‌‌‌क्या भूत सच मे ही होते हैं भूतों का असली रहस्य

भूत सच मे ही होते हैं या नहीं यह ‌‌‌हमेशा एक बहस का ‌‌‌विषय रहाहै। कुछ लोग ऐसे हैं जोकि भूतों पर ‌‌‌विश्वास करते हैं जबकि कुछ लोग इनको अंध ‌‌‌विश्वास कानाम देते हैं। आज हम इस लेख के अंदर यह यह सिद्व करने का प्रयास करेंगे कि भूत सच मे ही होते हैं।लेकिन हमारी साईंस अभी तक भूतों के मामले में मौन है। इसकी वजह से अधिकतर लोग भूतों पर विष्वास नहीं करते और इस तरह की बातों को अंध ‌‌विश्वास का नाम देते हैं। किंतु उनको यह सोचना चाहिये कि अंधविष्वास का यह मतलब कतई नहीं है कि जिस चीज को सिद्व करने की ताकत हमारे पास नहीं है तो उस चीज के अस्तित्व को ही नकार देना यह सच है की विज्ञान के पास भूतों को सिद्व करने की कोई लेब या मषीन नहीं है। जैसा की आप जानते हैं भूतों को सिद्व करने के लिये विज्ञानकेपास अभी सही साधनों की कमी है। आगे हो सकता है वह इसे सिद्व कर पाये

विज्ञान भूतों को तभी सिद्व कर पायेगा जब वह भूतों को अपने ‌‌‌वश मे करना जानता हो यदि वह किसी तरह से भूतों को अपने ‌‌‌वश मेकरलेता है। और बाद मे उसे सब लोगों को दिखा देता है तो वह सिद्व हो गया समझो यानि किसी भी भूत के अस्तित्व को सिद्व करने के लिये विज्ञान को भूतों की दुनियां से आगे जाना होगा तभी वह उनके अस्तित्व को सिद्व कर पायेगा
और तब वह भूतों को आसानी से अपने काबू मे कर लेगा उसे सब लोग भी आसानी से देख पायेंगें जो लोग भूतों को ‌‌‌अंधविश्वास की संज्ञा देते हैं यह उन लोगों मे से होते हैं जिनका अपना कोई भूत अनुभव नहीं होता है। जबकि जो लोग भूतों के अनुभव से गुजर चुके हैं। वे इस सच को स्वीकारकरते हैं। और जहां तक विज्ञान का ‌‌‌प्रश्न है विज्ञानकीभीसिमाएं हैं। यदि विज्ञान भूतों को नहीं मानता किंतु अनाज बरसने वाले पेड़ का रहस्य का विज्ञान सुलझा पाया है। मेरे हिसाब से यह ‌‌‌अंधविश्वास ही लगेगा लेकिन मैं इसे ‌‌‌अंधविश्वास नहीं मानता क्योंकि इसके मेरे पास बहुत से प्रमाण मौजूद हैं। लेकिन विज्ञान को मानने वाले इसको पूरी तरह से नकार भी नहीं सकते तो सिद्व भी नहीं कर सकते कि पेड़ से अनाज कैसे बरसता है। कुल मिलाकर विज्ञान यहां आकर पंगु हो जाता है।

 

तो दोस्तों मेरा कहने का इतना ही मतलब है कि जैसे हर चीज की अपनी सीमा होती है। उसी तरह से विज्ञान की भी एक सीमा है। और यदि हम कहें कि विज्ञान से ‌‌‌समाजशास्त्र को सिद्व कैसे किया जाए तो यह एक बेकार की बात होगी तो भूतों को सिद्व करने के लिये विज्ञानकोअपनी सीमा का विस्तार करना होगा
अब उन बातों का जिक्र करते हैं जिनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि भूत होते हैं। सच मे ही आत्मा की अपनी दुनिया होती है।
भूतों के अस्तित्व को हम तीन आधारों पर सिद्व कर सकते हैं।

भूत फोटो सूट

समय सयम पर लोगों ने अनेक फोटो ली हैं। किंतु कुछ फोटों एकदम से हैरान करने वाली हैं। इसतरह की फोटों के अंदर भूत साफ साफ नजर आते दिखे बहुत सी फोटो ऐसे स्थानों से ली गयी हैं जहां पर भूतों के होने का पहले से संदेह था जिसमे से कुछ निम्न हैं।

 

1. तस्वीर 1959 के अंदर आॅस्ट्रेलिया के अंदर ली गयी थी इस तस्वीर मे आप देख सकते हैं कि एक महिला खड़ी नजर रही है। यह महिला फोटो सूट करते समय वहां पर नहीं थी यदि यह फोटो साप से बनाया हुआ हो सकता है किंतु उस समय यह मौजूद नहीं था

 

2.दूसरी घटना फोटो एक कब्रिस्तान से ली गयी थी जब फोटो लेने बाले ने इसको सूट किया था तो वहां पर कोई नहीं था किंतु बाद मे एक चित्र फोटो के अंदर साफ नजर आई लोगों का मानना है कि यह भूत का चित्र था
3.तीसरी घटना राॅयल एयर फोर्स के सभी साथियों की एक साथ ही फोटो सूट की गयी किंतु जब फोटो के अंदर म्रतक फ्रेडी जैक्सन को देखा तो सभी हैरान रह गये जैक्सन एयर फोर्स का एक मैकेनिक था वह एक दुर्घटना के अंदर मारा गया था इस तस्वीर को देखकर गई लोगों ने जैक्सन के होने की ‌‌‌पुष्टि की
यदि आप इस बारे मे और भी नेट पर सर्च करेंगे तो आपको और भी बहुत से प्रमाण मिल जाएंगे। यानि यह फोटो भूत के अस्तित्व को सिद्व करती हैं।

भूताहा स्थान

भारत के अंदर कई ऐसे स्थान भी हैं जहां पर भूतों का अनुभव वहां पर जाने वालो को होता है। हो सकता है। एक दो लोग झूठ कहें किंतु हर व्यक्ति झूठ नहीं बोलता यदि भूत नहीं होते तो वहां पर जाने पर लोगों को अजीब ताकत का एहसास क्यों होता है। कुछ भूत स्थान निम्न हैं।
1 .थ्री किंग्स चर्च गोवा
यहां पर तीन पूर्तगाली की आत्मा भटकती है। कई बार चर्च के अंदर आए लोगों को इसका एहसास भी हुआ है। यहां पर दो पूर्तगालियों को होल्गरे नाम के राजा ने मारा था बाद मे खुद ने आत्महत्या करली थी
2 .अग्रसैन की बावड़ी
यह बावड़ी दिल्ली के अंदर स्थिति है। इसके बारे मे एक कहावत है कि इसका काला पानी लोगों को अपने ‌‌‌वश मे कर लेता है। और उन्हेंआत्महत्या के लिये उकसाता है। अब इस बावड़ी का पानी सूख चुका है।
3.मानगढ़ का किला
यह राजस्थान के अलवर जिले के अंदर है। पड़ोसी राज्य अजबगढ़ के आक्रमण से यहां की सारी जता मारी गयी थी यहां पर उन सभी की आत्माएं भटकती हैं दिन के समय तो लोग यहां देखने आते हैं किंतु रात के समय कोई भी यहां पर नहीं आता
ठस तरह के भारत के अंदर और भी भूत वाले स्थान हैं। इन स्थानों पर आने वाले लोगों को भूतों के अनुभव प्राप्त होते हैं। हो सकता है कुछ लोगों के अनुभव झूठे हो किंतु यह नहीं हो सकता की हर व्यक्ति ही झूठ बोलता हो निष्चय ही भूत होते हैं।

हमारे कुछ अनुभव

भूतों का प्रमाण देने के लिये हम कुछ अपने अनुभवों का उल्लेख भी कर रहे हैं। यह अनुभव हमारे हिसाब से एकदम से सही हैं। हो सकता है हांलाकि यह अनुभव जिन लोगों को हुए हैं वो तो पूरी तरह से मानते हैं कि सच मे ही भूत होते हैं ।उनके लिये यह मजाक का ‌‌‌विषय  नहींहै।
अनुभव .1
यह अनुभव हमारे घर का ही है मेरी दादी मां जिसकी पिछले दिनों मौत हो गयी थी वह बताती है। कि हमारे घर के पीछे से जाकर हमारे परिवारकीएकऔरत कुए के अंदर कूद गयी थी रात के समय जब हमारे दादी दादा सोये थे तब उनके मकान पर एक जोरदार धमाका हुआ ।ऐसा लगा जैसे किसी ने बड़ा पत्थर छत पर फेंका हो मेरी दादी डरी नहीं क्योंकिवहडरपोक नहीं थी इसी तरह के कई धमाके हमारी छत पर हुऐ थे किंतु जब मेरी दादी ने छत पर जाकर देखा तो वहां पर कोई पत्थर नहीं था उसे सारी कहानी समझ मे गयी यह मरने वाली औरत का भूत था उसके भूत को कुछ और लोगों के देखे जाने के भी दावे किये गये
अनुभव .2
यह मेरा पर्सनल अनुभव था जिसको अभी भी अधिक समय नहीं हुआ है। हमारे घर के अंदर रात को 11 बजें के बाद दिवार पर जैसे कोई जोर से मारता हो ऐसी आवाजे आती थी यह आवाजे बहुत पहले से ही रही थी जब से मैं छोटा था और रोज ही ऐसा होता था। एक दिन मैंने इस बारे मे पता लगाने का निष्चय किया और जैसे ही आवाजे आई मैं घर के पीछले हिस्से के अंदर गया और देखा तो वहां कुछ नहीं था मेरी समझ मे कुछ नहीं आया मैंने सोचा यदि कोई व्यक्ति दिवार पर जोर जोर से मारता है तो वह दिखता क्यों नहीं और यदि किसी जानवर की कोई हरकत होती तो वह रोज रोज उसी समय पर दिवार पर कैसे मार सकता है। मैंने कई बार इस बात का अनुभव किया जैसे कोई दिवार पर पीछे से मुक्के से मार रहा है किंतु इस रहस्य के बारे मे मैं आज तक कुछ पता लगा नहीं पाया इस बारे मे मैंने और भी ‌‌‌कोशिश की किंतु नाकाम रहा
दुसरी बात यह आवाजे हमारे दो मकानों के अंदर से ही आती थी एक मकान जो की पहले था और दूसरा मकान एकदम से उसके सटा हुआ था उसमे कोई आवाजे नहीं आती थी। जबकि तीसरा मकान दूसरे से सटा हुआ था इस तरह की आवाजे आज तो बंद हो चुकी हैं किंतु एक बहुत लम्बे समय से मैं इनको सुनता रहा था और कमाल की बात तो यह थी कि दोनों मकानों के अंदर एक साथ ही आवाजे आती थी लेकिन मैं यह समझ नहीं पाया कि एक मकान के अंदर आवाजे क्यों नहीं आती थी जबकि वह दोनों मकानों के बीच मे था
तो दोस्तों इस तरह के अनुभवों के बारे मे और उल्लेख करने की ‌‌‌आवश्यकता नहीं है। क्योंकि यहआपके आस पास भी मिल जाएंगे।

मेरा बस इतना ही कहना है कि परलौकिक ताकत होती है। भलेही उसे सिद्व नहीं किया जा सकता ठीक अनाज बरसने वाले पेड़ की तरह इसका मतलब यह नहीं है कि यह सब झूठ है। सच्चाई से भले ही हम मुंह मोडले किंतु हकिकत मूंह मोड़ने से बदल नहीं जाती

This post was last modified on October 29, 2018

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