dalda ghee ke fayde , dalda ghee ke fayde aur nuksan डालडा घी के फायदे
डालडा घी काफी लोकप्रिय घी होता है।वैसे आपको बतादें की डालडा किसी घी का नाम नहीं है। डालडा तो बस एक ब्रांड का नाम है। और इस घी को वनस्पति घी के नाम से भी जाना जाता है। दोस्तों जो वनस्पति घी होता है वह गाय या भैंस के नैचुरल घी की तुलना मे काफी सस्ता होता है। इसकी वजह से इसका प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है। जब शादी विवाह का समय होता है तो वनस्पति घी का प्रयोग ही सबसे अधिक किया जाता है। और उसकी मदद से कई तरह की मिठाइयां बनाई जाती हैं। इस तरह से दोस्तों आजकल वनस्पति घी का उपयोग सबसे अधिक किया जा रहा है। आपको यह एककिलो का डिब्बा आसानी से 500 रूपये के अंदर मिल जाएगा ।
लेकिन यदि हम गाय के घी की बात करें तो उसकी कीमत 700 रूपये किलो तक चली जाती है। वह महंगा बिकता है। खैर वनस्पति घी का प्रयोग सस्ते को लेकर होता है। लेकिन यदि किसी को खाने वैगरह के लिए घी चाहिए होता है तो वह वनस्पति घी का उपयोग कम ही करता है।
व अधिकतर केस के अंदर गाय का ऑरेजनल घी का ही प्रयोग करना पसंद करता है। और आप शहर के अंदर तरह तरह की मिठाई को देखते हैं वह गाय के घी के अंदर तैयार नहीं की जाती है उनको वनस्पति घी के अंदर ही तैयार किया जाता है। और आजकल तो लोग बाग तेल के अंदर भी मिठाई बना रहे हैं। यह घी के तुलना मे काफी सस्ता भी पड़ता है और किसी भी तरह से हानिकारक भी नहीं है। हमारे यहां पर कुछ साल पहले शादी हुई थी तो हमने तेल के अंदर ही मिठाई बनाई थी। यह बहुत ही अच्छा तरीका है मिठाई बनाने का ।
दोस्तों आपको नहीं पता कि डालडा घी किस तरह से बनता है ? तो इसके बारे मे भी हम आपको बताने वाले हैं। दोस्तों वनस्पति घी जो होता है वह वनस्पति तेलों की मदद से बनाया जाता है। वनस्पति तेलों को हाइड्रोजनीकृत किया जाता है। वनस्पति घी का एक तेल या तेलों के मिश्रण के साथ उत्पादन किया जा सकता है। यह तेल 70 डिग्री सेल्सियस पर मिश्रण वाले बर्तन में गर्म होता है।
रंग, स्वाद, विटामिन और एंटीऑक्सीडेंट को इसके अंदर मिलाया जाता है। यह घी के नियमों के अनुसार होता है। इस घी को बनाने के लिए कई चीजों के तेल का इस्तेमाल किया जाता है जैसे सोयाबीन का तेल ,ताड़ का तेल,कपास के बीज का तेल,सरसों का तेल
इस तरह से दोस्तों डालडा घी काफी फायदेमंद होता है। और इसका सबसे बड़ा फायदा जो मुझे लगा । इसकी कम रेट है। जिसकी वजह से इसको कोई भी खरीद सकता है। यदि आपके पास 400 रूपये नहीं हैं तो आप इसके आधा किलो के पैक को खरीद सकते हैं जोकि आपको 250 रूपये के अंदर बहुत ही आसानी से मिल जाएगा । डालडा घी की वजह से मार्केट के अंदर घी की आपूर्ति सदैव बनी ही रहती है।दोस्तों डालडा घी का सेवन तो हर किसी ने किया ही होगा । और आजकल यह आसानी से पहुंच के अंदर होने की वजह से हर कोई इसका सेवन कर भी लेता है।
दोस्तों यदि आप मुझे डालडा घी और देसी घी की तुलना करने के लिए कहेंगे तो मैं आपको एक ही बात कहूंगा कि आपको यदि सेवन ही करना है तो आपको देसी घी का सेवन करना चाहिए । और यदि आपको बस एक बार खाना है तो डालडा घी का सेवन कर सकते हैं। लेकिन हममेसे अधिकतर लोग वनस्पति घी का ही सेवन करते हैं।
क्योंकि यदि आप शहर के अंदर रहते हैं तो वनस्पति घी आसानी से मिल जाता है लेकिन देसी घी आसानी से मिलता नहीं है तो आपको मजबूरी के अंदर वनस्पति घी ही खरीद कर खाना पड़ता है। ऐसा बहुत से लोगों के साथ हो रहा है।
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डालडा घी के नुकसान या वनस्पति घी के नुकसान
दोस्तों जैसे कि हमने बताया कि डालडा एक ब्रांड का नाम है। असल मे यह घी वनस्पति घी के नाम से ही बेचा जाता है। और हम अपने घरों के अंदर इसी की मिठाई को बनाकर खाते हैं।यदि आप थोड़ी मात्रा के अंदर डालडा घी का सेवन कर रहे हैं तो यह किसी भी तरह से नुकसानदायी नहीं होता है। लेकिन यदि आप अधिक मात्रा के अंदर इसका सेवन कर रहे हैं तो यह आपके लिए नुकसान पैदा कर सकता है तो आइए जानते हैं। डालडा घी के सेवन करने के नुकसान के बारे मे पूरे विस्तार से ।
डालडा घी के नुकसान दिल के लिए हानिकारक
दोस्तों डालडा घी या वनस्पति घी आपके दिल के लिए काफी हानिकारक होता है।यदि आप पहले से ही दिल की बीमारी या दिल से जुड़ी समस्याओं से झूझ रहे हैं तो फिर आपको इस घी का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । इसी प्रकार से यह कहा जाता है कि ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा इसके अंदर बहुत अधिक होती है जोकि आपके दिल पर बुरा असर डालने का काम करता है।और इसकी वजह से खराब कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो जाती है। और इसकी वजह से दिल से जुड़ी बीमारियां होती हैं।भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले वनस्पति ऑयल में ट्रांस फैटी एसिड 40 से 50 प्रतिशत तक होता है।
वैसे भी आजकल आप यह देख रहे हैं कि कई लोग हार्ट अटैक की वजह से मर रहे हैं। ऐसी स्थिति के अंदर आप क्या समझते हैं। आपको डालडा घी का सेवन कम करना चाहिए । हालांकि आप इसका उपयोग होम वैगरह और दूसरे पूजा पाठ मे कर सकते हैं।
हालांकि हम शादी विवाह के अंदर जाते हैं तो वहां पर सारा खाना इसी के अंदर बना होता है। ऐसी स्थिति के अंदर आप इसका सेवन कर सकते हैं। एक बार खाने से कुछ नहीं होता है। लेकिन बार बार इसका सेवन काफी घातक हो सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को बढ़ाने का काम करता है
दोस्तों डालडा घी या वनस्पति घी ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ाने का काम करता है। पुरूषों के अंदर जहां यह हार्ट अटैक से जुड़ा होता है वहीं महिलाओं के अंदर ब्रेस्ट कैंसर की समस्या से जुड़ा हुआ होता है।
दोस्तों आजकल ब्रेस्ट कैंसर काफी उभरती हुई समस्या बन चुकी है। कारण यह है कि कई महिलाएं इससे काफी परेशान रहती हैं। तो आपको चाहिए कि आप भी इस मामले मे सावधानी पूरी बरते ।
यदि ब्रेस्ट के अंदर किसी भी तरह की गांठ वैगरह दिखाई दे रही है तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करें । यदि समय रहते इस समस्या का ईलाज नहीं करवाया जाता है तो फिर यह काफी गम्भीर रूप को धारण कर सकती है और बाद मे मरीज की मौत भी हो सकती है। भले ही किसी भी तरह की कैंसर क्यों ना हो यह आमतौर पर खाने पीने की वजह से ही होती है। हम जहरीली चीजों का सेवन करते हैं जिससे यह कैंसर होती है।
सैचुरेटिड फैटी एसिड काफी हानिकारक होता है। और यह वनस्पति घी के अंदर पाया जाता है। इसकी वजह से पुरूषों के अंदर हार्ट अटैक और महिलाओं के अंदर ब्रेस्ट कैंसर का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इसलिए डालडा घी या वनस्पति घी का सोच समझ कर ही सेवन करना चाहिए । या फिर कम मात्रा के अंदर इसका सेवन करना चाहिए।
इसके अलावा इसी की वजह से भी कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ावा मिलता है। कुल मिलाकर यह सब हार्ट के लिए भी काफी हानिकारक होता है।
गर्भवति महिलाओं को डालडा घी का सेवन नहीं करना चाहिए
दोस्तों डालडा घी के नुकसान की यदि हम बात करें तो यह गर्भवति महिलाओं के लिए काफी नुकसानदायी होता है। कारण यह है कि इसके अंदर ट्रांस फैटी ऐसिड होता है जोकि पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी ऐसिड को रोकने का काम करता है। और जिसकी वजह से गर्भ मे पल रहे बच्चे को काफी नुकसान होता है। आमतौर पर उसकी आंखों को नुकसान होता है। तो दोस्तों यदि आपके यहां पर भी कोई गर्भवति महिला है तो उसको डालडा घी का सेवन नहीं करना चाहिए ।
क्योंकि यह उसके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि महिला पहले से ही किसी डॉक्टर आदि की दवा ले रही है तो आपको चाहिए कि आप एक बार खाने पीने के बारे मे अपने डॉक्टर से ही संपर्क करें जैसा आपका डॉक्टर आपको निर्देश देता है आपको वही करना चाहिए । आमतौर पर दवा देने वाले डॉक्टर बता देते हैं कि आपको क्या करना है ? और क्या नहीं करना है ? यदि आप गर्भवति हैं तो आपको अधिक से अधिक नैचुरल चीजों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसी की वजह से आपका बच्चा काफी सुरक्षित रहेगा ।
डालडा घी के नुकसान वजन और मोटापे को बढ़ाता है
दोस्तों जो लोग पहले से ही अधिक वजन और मोटापे की वजह से परेशान है उनको डालडा घी का सेवन नहीं करना चाहिए । क्योंकि डालडा घी वजन और मोटापे को बढ़ाने का काम करता है।ट्रांस फैटी एसिड इसमे होता है। और इस घी को बनाने के लिए पौधों का इस्तेमाल किया जाता है तो फिर यह आपकी कैलोरी को बढ़ाने का काम भी करता है।
दोस्तों यदि आप पहले से ही अधिक मोटे हैं तो फिर डालडा घी या फिर वनस्पति घी का सेवन नहीं करना चाहिए । यह काफी नुकसानदायी होता है। जो लोग वजन कम करने मे लगे हैं अपने मोटापे को घटाने मे लगे हैं। उनको खास कर ऐसी चीजों के खाने पीने से परहेज करना चाहिए जोकि मोटापे को बढ़ाने के लिए जानी जाती है।
वैसे भी आजकल देखने को मिलता है कि लोग अधिक मोटे होते जा रहे हैं जो लोग बैठे बैठे काम करते हैं उनके अंदर मोटापे की समस्या काफी अधिक होती है। और जो लोग शारीरिक श्रम करते हैं उनके अंदर मोटापे की समस्या उतनी अधिक नहीं होती है।
डायबिटीज़ होने का खतरा
डायबिटीज होने का खतरा भी डालडा घी के सेवन करने से बढ़ जाता है। और आसानी से डायबिटीज के बारे मे पता भी नहीं चल पाता है। 90 फीसदी मामलों के अंदर डायबिटीज का पता तब चलता है जब यह बीमारी हुए काफी लंबा समय बीत जाता है और उसके बाद ईलाज करने मे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
डायबिटीज का यदि सही समय पर पता चल जाता है तो उसके बाद उसको कंट्रोल मे किया जा सकता है। लेकिन यदि इसका लंबे समय बाद पता चलता है तब तक यह पूरे शरीर को नुकसान पहुंचा चुकी होती है।ट्रांस फैटी एसिड डालडा घी के अंदर होता है जोकि आपके शरीर के अंदर पहुंचने के बाद इंसुलीन के उत्पादन को प्रभावित करता है। और इसकी वजह से मधुमेह का खतरा काफी तेजी से बढ़ जाता है। तो यदि आप डालडा घी का सेवन भी कर रहे हैं तो आपको इसका सेवन सीमित मात्रा मे ही करना चाहिए । यही आपके लिए काफी फायदेमंद होता है।
डायबिटीज एक प्रकार का साइलेंट रोग होता है। जिसका पता बहुत ही आसानी से नहीं लगता है। लेकिन इसको होने पर कुछ लक्षण प्रकट हो जाते हैं। जैसे कि
- डायबिटीज के रोगी को भूख अधिक लगती है। आमतौर पर जब वह कार्बोहाइर्ड्रेट का सेवन करता है तो उसके रक्त के अंदर शुगर का स्तर काफी तेजी से बढ़ता है। लेकिन उतनी ही तेजी से घट जाता है। तो उसे फिर भूख लगने लग जाती है। यदि आपको भी बार बार भूख लगती है तो फिर सावधान हो जाने की जरूरत है।
- डायबिटीज के लक्षणों के अंदर एक यह भी आता है कि रोगी को बार बार प्यास लगती है। क्योंकि उनके शरीर के अंदर पानी की काफी तेजी से कमी होती है।
- शुगर का स्तर यदि रक्त के अंदर काफी अधिक बढ़ जाता है तो शरीर को बार बार पेशाब करने की जरूरत होती है। और बार बार यदि पेशाब आ रहा है तो आपको अधिक सावधान होने की आवश्यकता हो सकती है।
- डायबिटीज आपको भीतर से कमजोर बनाने का काम भी करती है। यदि आपको निरंतर उर्जा की कमी महसूस हो रही है तो हो सकता है कि आपको डायबिटीज की समस्या हो आपको एक बार अपने डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी हो जाता है।
- डायबिटीज का समय पर ईलाज करवाना काफी जरूरी होता है। यदि आप इसका समय पर ईलाज नहीं कर वाते हैं तो उसके बाद यह अपना भयंकर रूप प्रकट करता है। और बाद मे आपको बड़ी परेशानी मे डाल सकता है।
वनस्पति घी के नुकसान या डालडा घी के नुकसान अवसाद पैदा करना
दोस्तों अवसाद एक प्रकार की मानसिक समस्या होती है।और यह एक प्रकार का गम्भीर मनोविकार है जिसकी वजह से कई तरह की मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं।वयस्कों और बच्चों के अंदर प्रतिदिन डिप्रेसन की संख्या के अंदर बढ़ोतरी हो रही है।
जब कोई व्यक्ति डिप्रेसन के अंदर चला जाता है तो उसके अंदर कई तरह के बदलाव आते हैं और वह काफी परेशान हो जाता है। हालांकि आजकल जगह जगह पर अनेक तरह के मनोवैज्ञानिक अस्पताल खुल चुके हैं। लेकिन अभी भी हम डिप्रेसन को रोग नहीं समझ पा रहे हैं। जिसके घातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं।
ट्रांस फैट डालडा घी के अंदर होता है। जिसकी वजह से यह डिप्रेसन पैदा कर सकता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।जिस इंसान को डिप्रेसन घेर लेता है उसके अंदर कई तरह के लक्षण दिखने लग जाते हैं। इस तरह का इंसान काफी निराश रहने लग जाता है। चिंता उदासीनता खालीपन और अपराध बोध जैसी समस्याएं होने लग जाती हैं। यदि आपके परिवार के अंदर कोई इंसान डिप्रेसन के अंदर चला गया है तो उसका जल्दी से जल्दी ईलाज किया जाना चाहिए । यदि आप जल्दी से जल्दी ईलाज करते हैं तो फिर सब कुछ सही हो जाएगा । वरन जो लोग डिप्रेसन के अंदर चले जाते हैं वे सुसाइड भी बहुत ही जल्दी कर लेते हैं तो आपको इन सब चीजों को अच्छी तरह से समझना होगा और उसके बाद ही काम करना होगा तब सब कुछ सही हो जाएगा ।
डिप्रेसन एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्या होती है और इसको दवाओं से ठीक किया जा सकता है। हमारे पास मे ही एक लड़का रहता था पता नहीं वह किसके प्यार मे पागल था तो डिप्रेसन के अंदर चला गया । उसके बाद कुछ दिन ऐसे ही रहा और फिर सुसाइड कर लिया। होना यही था कि मर गया । कुछ हुआ नहीं ।
ऐसा नहीं है कि सबको डिप्रेसन हो जाता है। लेकिन कुछ मेरे जैसे लोग भी हैं जिनको कभी भी डिप्रेसन नहीं होता है। क्योंकि हम जानते हैं मौत से बड़ा कोई दुख नहीं होता है । खैर दोस्तों हंसते रहिए डिप्रेसन के अंदर जाने से अच्छा है आप बस चलते रहिए किसी की फ्रीक्र ना करें जो है वो है जो नहीं है वह नहीं है। लेकिन आपको अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है।
डिप्रेसन को या अवसाद को पहचानने के वैसे तो कई सारे लक्षण होते हैं। लेकिन सबसे बड़ा लक्षण यही है कि आपके दिमाग के अंदर बस एक ही विचार बार बार घूमेगा और आप उस विचार की वजह से परेशान हो जाएंगे । कई बार तो आपको उपर यह विचार काफी हावी हो जाएगा और आप चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे ।यदि ऐसा आपके साथ हो रहा है तो फिर आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए या फिर आप ध्यान लगा सकते हैं। अपने मन को एकाग्र करने की कोशिश करें । ताकि आपके मन के अंदर जो एक ही विचार घूम रहा है वह बदला जा सके ।
वनस्पति घी आपके अंदर मनोभ्रंश रोग को पैदा कर सकता है
दोस्तों मनोभ्रंश रोग का मतलब होता है यादाश्त की कमी होना ।मनोभ्रंश की समस्या जिन लोगों के अंदर हो जाती है। वे ठीक से चीजों को याद नहीं रख पाते हैं। जैसे कि कौनसा महिना चल रहा है ? कौनसी साल चल रही है ? या फिर वे किस शहर के अंदर हैं।
यह सब वे भूल जाते हैं।और उनका जो व्यवहार होता है वह बदला हुआ लगता है और उनके व्यक्तित्व के अंदर भी फर्क आ सकता है। आप समझ सकते हैं।इस रोग से ग्रस्ति इंसान के दिमाग के अंदर निरंतर बदलाव होता रहता है। जिसकी वजह से स्मृति, सोच, आचरण तथा मनोभाव आदि के अंदर भी बदलाव आ सकता है।
मनोभ्रंश रोग ट्रांस फैट की अधिक खपत की वजह से भी होता है। हालांकि इसके और भी कारण हैं। यदि आप अधिक मात्रा के अंदर डालडा घी का सेवन करते हैं तो इस रोग का खतरा आपके लिए काफी अधिक बढ़ जाता है। यदि इस रोग के अन्य कारणों की हम बात करें तो कई सारे कारण आपको देखने को मिल सकते हैं। जैसे कि जैसे दिमाग की नशों के अंदर क्षति होना , अधिक धुम्रपान करने की वजह से । और अधिक चर्बी का होना और मधुमेह वाले रोगियों के अंदर यह समस्या देखने को मिलती है। दोस्तों यह रोग छोटी उम्र के लोगों के अंदर कम ही देखने को मिलता है। यह आमतौर पर 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के अंदर अधिक देखने को मिलता है।
मनोभ्रंश रोग के यदि हम लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण नजर आ सकते हैं। और व्यक्ति की स्थति सालदर साल काफी खराब होती चली जाती है।और उसके बाद व्यक्ति को सामान्य काम जैसे कि चलना फिरना और उठना बैठना खाना खाना आदि के अंदर भी समस्या होने लग जाती है। व्यक्ति अजीब तरह से पेश आने लग जाता है। और इस तरह के व्यक्ति का यदि समय पर ईलाज नहीं करवाया जाता है तो उसके बाद व्यक्ति बिस्तर पकड़ लेता है। लेकिन इसके लक्षणों को देखकर हर कोई इसको आसानी से पहचान सकता है।निर्णय लेने की क्षमता में बिगाड़
- समय और स्थान का संभ्रम
- व्यक्तित्व में बदलाव
- स्वभाव या आचरण में बदलाव
- भाषा के साथ मुश्किलें
- गाड़ी चलाने की योग्यताओं में बिगाड़
- वस्तुओं को गलत जगह पर रखना
- सामान्य काम करने मे काफी परेशानी होना
- निर्णय लेने की क्षमता के अंदर कमी हो जाना ।
डालडा घी खाने के नुकसान अल्जाइमर
अल्जाइमर का नाम तो आपने सुना ही होगा । अल्जाइमर एक प्रकार का रोग होता है।अल्जाइमर रोग हो जाने की वजह से व्यक्ति चीजों को भूलने लग जाता है। अधिक ट्रांस फैटी ऐसिड की वजह से भी यह रोग हो सकता है। इसलिए ट्रांस फैटी एसिड वाले पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए ।
याददाश्त की कमी होना, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना आदि समस्याएं होने लग जाती हैं। और सिर के अंदर चोट लगने की वजह से भी यह रोग हो जाता है। आमतौर पर जिन लोगों की उम्र 60 साल से अधिक हो जाती है उनको यह समस्या काफी अधिक होती है।
कई बार सिर पर चोट लग जाने की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। यदि इसका भी सही समय पर इलाज किया जाता है तो फिर इसके उपर काबू पाया जा सकता है। जैसे जैसे हम बूढ़े होते जाते हैं वैसे वैसे हमारे दिमाग की कोशिकाएं मरती चली जाती हैं और हमारे सोचने और समझने की क्षमता प्रभावित होती है जोकि अल्जाइमर रोग का संकेत हो सकता है। आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से समझ लेना होगा ।
दिमाग में एक सौ अरब कोशिकाएं (न्यूरॉन) होती हैं। और यह हर कोशिकाओं के अपने अपने कार्य होते हैं। जैसे कि कुछ कोशिकाएं सोचने और विचारने का काम करती हैं तो कुछ शरीर के दूसरे अंगों को नियंत्रित करती हैं। लेकिन अल्जाइमर रोग के अंदर कोशिकाएं मरने लग जाती हैं जिससे कि उनसे जुड़े काम काफी प्रभावित हो जाते हैं और इसके लक्षण व्यक्ति के दैनिक कार्य के अंदर प्रकट होने लग जाते हैं।
- याददाश्त खोना अल्जाइमर रोग का प्रमुख लक्षण होता है। व्यक्ति अक्सर कई चीजों को भूलने लग जाता है और उसके बाद उनको ठीक से याद नहीं कर पाता है।
- इसके अलावा जो इंसान अल्माइजर का शिकार हो जाता है वह अपने सामान्य कार्य के अंदर कठिनाई महससू करता है। जैसे कि खाना बनाने मे समस्या और सामान्य खेल कूद के अंदर भी समस्या होने लग जाती है उसे ।
- इसके अलावा जिन मरीजों को अल्जाइमर की समस्या होती है उनको भाषा की भी समस्या होने लग जाती है। वह भाषा के अनेक शब्दों को भूल जाता है। और ठीक से याद नहीं रख पाता है।
- इसके अलावा अल्जाइमर रोग से जो लोग ग्रस्ति हो जाते हैं वे अपने स्थान को भी भूल जाते हैं। उनको याद नहीं रहता है कि वे कहां हैं और यहां पर किस तरह से आयें हैं ? और उनको कहां पर जाना होगा ।
- इसके अलावा अल्जाइमर रोग जिन लोगों को हो जाता है वह मानसिक कार्यों को करने मे भी काफी कठिनाई महसूस करता है। क्योंकि वह समझ नहीं पाता है कि वह किस तरह से सोचे और किसी समस्या का किस तरह से समाधान निकाल सकता है ?
- अल्जाइमर का मरीज बेहद निष्क्रिय, टीवी के सामने घंटों बैठनेवाला, बहुत अधिक सोनेवाला या सामान्य गतिविधियों को पूरा करने में अनिच्छुक हो सकता है।
डालडा घी खाने के नुकसान एलर्जी होना
दोस्तों एलर्जी एक प्रकार की त्वचा प्रतिक्रिया होती है जोकि किसी के साथ भी हो सकती है। लेकिन हाल ही मे हुए एक वैज्ञानिक रिसर्च से यह बात सामने आई है कि डालडा घी जो वनस्पति घी होता है उसके अंदर ट्रांस वसा की अधिक खपत के कारण एलर्जी की समस्या भी पैदा हो सकती है हालांकि यह समस्या हर किसी के साथ नहीं होती है। खास तौर पर 13 से 15 साल के उम्र के बच्चों के अंदर यह समस्या देखने को मिलती है। यदि डालडा घी को खाने के बाद आपको किसी भी तरह की एलर्जी जैसा महसूस होता है तो आपको इस घी का सेवन करना बंद कर देना चाहिए । और अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । वे आपको कुछ दवाएं दे सकते हैं जिससे कि आपके एलर्जी होने की जो समस्या है वह ठीक हो जाएगी ।
एलर्जी एक प्रकार की त्वचा प्रतिक्रिया होती है। जिसके अंदर होता यह है कि हमारी एंटि बॉडी सही पदार्थ और गलत चीजों को अंदर फर्क करना बंद कर देती है और हमारे शरीर को ही नुकसान पहुंचाने लग जाती है। इसी को ही एलर्जी के नाम से जाना जाता है। एलर्जी की समस्या यदि हो रही है तो इसका इलाज आसानी से मार्केट के अंदर उपलब्ध है। कोई भी अपने डॉक्टर से संपर्क कर दवा को प्राप्त कर सकता है।
डालडा या वनस्पति घी के नुकसान कोलन कैंसर
दोस्तों अधिक ट्रांस फैट की खपत ले रहे हैं, उन लोगों में कोलन कैंसर होने का खतरा 50 प्रतिशत अधिक है।और खास कर यह समस्या 67 साल से उपर के लोगों के अंदर अधिक होती है। कोलन कैंसर का नाम तो आपने सुना ही होगा ।आपको बतादें कि कोलन कैंसर की शूरूआत बड़ी आंत बड़ी आंत के भीतरी दीवार पर होती है।और उसके बाद यदि इसका सही समय पर ईलाज नहीं करवाया जाता है तो उसके बाद यह पूरी तरह से दीवार के अंदर फैल जाता है।इसके अंदर मलाशय के भीतरी दीवार पर सूजन आ जाता है।
कोलाइटिस के नाम से भी इसको जाना जाता है।मलाशय में बैक्टीरिया के प्रवेश या फिर किसी दूसरे कारण से संक्रमण हो जाना और यह आगे चलकर एक बड़ी समस्या का रूप ले सकता है।
यदि हम बात करें कोलन कैंसर के लक्षणों की तो इसके कुछ लक्षण भी दिखाई देते हैं। जिसकी मदद से कोलन कैंसर को बहुत ही आसानी से पहचाना जा सकता है।
- मल त्याग करने की आदतों के अंदर बदलाव आ जाता है। जैसे कि दस्त लगना कब्ज महसूस होना और पेट पूरी तरह से खाली नहीं होना आदि ।
- लगातार थकान महससू होना
- कमजोरी होना
- खून की कमी होना ।
- पेट में दर्द या बेचैनी
- लगातार दस्त का होना या फिर कब्ज की समस्या होना भी इसका एक लक्षण हो सकता है।
- इसके अलावा खून मे रक्त का आना ।
- दोस्तों 11 अलग अलग प्रकार के कैंसर होते हैं जिनको मोटापे से जोड़ा जाता है। मतलब यह है कि यह कैंसर मोटापे की वजह से होते हैं। यदि आप भी एक तरह से मोटे इंसान हैं तो आपको अपने मोटापे को कम करने पर विचार करना होगा । इसके लिए आप एक्सरसाइज कर सकते हैं। याफिर घूमने के लिए जा सकते हैं। जिससे कि आपका मोटापा कम हो जाए ।
- धूम्रपान की आदत हम लोगों के अंदर हो चुकी है। लेकिन वैज्ञानिक इस बात को मानते हैं कि नशा करने से 14 अलग अलग तरह के कैंसर जो होते हैं वे हो सकते हैं। इसलिए यदि आप नशा करते हैं तो आज ही नशे का त्याग करें । या फिर आपको इसको कम मात्रा के अंदर सेवन करना चाहिए ।
- इसके अलावा शारीरिक रूप से यदि आप अधिक सक्रिय रहते हैं तो फिर कोई कारण नहीं है कि आपको इतनी आसानी से केंसर हो जाएगा । आप दौड़ कर सकते हैं या फिर एक्सरसाइज कर सकते हैं। जिसके अंदर कि अधिक पसीना बहाना पड़ता हो या फिर आप खेत के अंदर भी काम कर सकते हैं। जिससे कि शरीर से पसीना निकलेगा ।
- कैल्शियम और विटामिन डी का सेवन करने से कोलन कैंसर से बचाव होता है। ऐसा हम नही वैज्ञानिकों का कहना है। यदि आप कोलन कैंसर से बचे रहना चाहते हैं तो अच्छी मात्रा मे कैल्शियम और विटामिन डी को लेना चाहिए । और विटामिन डी को तो आप धूप से भी प्राप्त कर सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है
दोस्तों डालडा घी का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी असर पड़ता है। आपको पता ही है कि शरीर के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का अच्छा होना बहुत ही जरूरी होता है। यदि शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता नहीं होगी तो हम चाहकर भी रोगों से बच नहीं पाएंगे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने के लिए गिलोय जैसी चीजों का सेवन किया जा सकता है।
यह पूरी तरह से नैचुरल हैं और इनको खाने से किसी भी तरह का नुकसान भी नहीं होता है तो आप इसका सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा भी मार्केट के अंदर और भी कई तरह के सप्लाईमेंट उपलब्ध हैं तो आप उनका भी सेवन कर सकते हैं जोकि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने मे काफी मदद कर सकते हैं। कुल मिलाकर देसी घी जहां पर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जाना जाता है वहीं यह वनस्पति घी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर बुरा असर डालता है।
सूजन की समस्या होना
दोस्तों डालडा घी खाने की एक समस्या और होती है। आमतौर पर यह पेट के आस पास सूजन की समस्या पैदा करता है। इसके अंदर ट्रांस फैटी ऐसिड होता है जोकि पेट के आस पास एकत्रित हो जाता है और बाद मे सूजन की समस्या पैदा करने का काम करता है।
यदि आप भी अधिक डालडा घी का सेवन कर रहे हैं तो आपको भी सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।
dalda ghee ke fayde डालडा घी खाने के फायदे
दोस्तों डालडा एक वनस्पति घी होता है तो वैसे तो इसको खाना नहीं चाहिए । आप इसको दूसरे किसी काम के अंदर प्रयोग मे ले सकते हैं। जैसे कि पूजा पाठ के अंदर डालडा घी का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा कुछ लोग इस घी को खाने के लिए भी प्रयोग मे लेते हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह घी किसी भी तरह का फायदा नहीं देता है। वरन यह नुकसान ही पहुंचाता है। और यदि आप अधिक मात्रा मे इस घी का सेवन करते हैं तो आपको नुकसान हो सकता है। डालडा घी एक प्रकार का वनस्पति घी होता है। लेकिन आमतौर पर इसके कुछ अपने फायदे होते हैं।
dalda ghee ke fayde यह मूल्य मे काफी सस्ता है
दोस्तों यदि हम डालडा घी की कीमत की बात करें तो यह बहुत ही सस्ता होता है। और यदि ऑरेजनल घी की बात करें तो यह 800 रूपये किलो तक पहुंच चुका है। लेकिन डालडा के मामले मे ऐसा नहीं है। यह काफी सस्ता है और हर घर तक बहुत ही आसानी से पहुंच जाता है। क्योंकि इतने कम पैसा के अंदर इसको कोई भी खरीद सकता है जोकि इसका सबसे बड़ा फायदा है।
dalda ghee ke fayde पूजा पाठ मे उपयोग मे सस्ता
दोस्तों यदि आप इसका पूजा पाठ मे उपयोग करते हैं तो यह काफी सस्ता पड़ता है। हालांकि यदि आपके पास गाय का घी है तो आप उसे ही पूजा पाठ मे यूज करें । यदि नहीं है तो फिर आप इस घी को भी पूजा पाठ के अंदर उपयोग कर सकते हैं।
dalda ghee ke fayde आसानी से उपलब्धता
दोस्तों डालडा घी बहुत ही आसानी से उपलब्ध होने वाली चीज है। इसका मतलब यह है कि यह बहुत ही आसानी से आपको किसी भी दुकान पर मिल जाएगी । लेकिन यदि आप देसी घी को तलास करेंगे तो आपको सही समय पर नहीं मिल पाएगा । और जरूरी भी नहीं है कि वह आपको मिल ही जाए । हो सकता है कि आपको ना मिल पाए।
मिठाई बनाने वाले दुकानदारों के लिए सस्ता
दोस्तों जो दुकानदार घी से मिठाई बनाते हैं वे डालडा घी का प्रयोग करते हैं। यह उनके लिए काफी सस्ता होता है। यदि वे देसी घी का मिठाई बनाने मे प्रयोग करेंगे तो मिठाई बहुत अधिक महंगी हो जाएगी । और कस्टमर उसे खरीदेंगे ही नहीं तो यह लोग मिठाई को बनाने के लिए डालडा घी का प्रयोग करते हैं। जोकि मिठाई को सस्ता तो बनाता ही है। इसके अलावा दुकानदारों के लिए मुनाफे वाला सौदा भी होता है।
dalda ghee ke fayde शादी विवाह मे डालडा घी का उपयोग
दोस्तों आजकल तो शादी के अंदर आमतौर पर तेल की मिठाई बनाई जाती है। और यह घी भी तेल का ही बना होता है। लेकिन यदि शादी मे घी की मिठाई बनाने की जरूरत पड़ती है या फिर रोटी के लिए घी की जरूरत पड़ती है तो उसके लिए डालडा घी का ही उपयोग किया जाता है। यह सस्ता होने होने की वजह से इसके अंदर खर्चा काफी कम लगता है जोकि काफी बेहतर बात हो सकती है।
इस तरह से दोस्तों डालडा घी का सेवन कुछ जगहों पर हम करते हैं जोकि अपने फायदे के लिए करते हैं। लेकिन आपको डालडा घी का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए । हां एक दो बार हो गया तो उससे आपको किसी तरह का नुकसान नहीं होगा लेकिन यदि आप असली घी को छोड़कर डालडा घी का सेवन करने लग जाते हैं तो फिर समस्या बड़ी हो सकती है। इसलिए जहां तक हो सके डालडा घी का सेवन कम करें । यदि महिने मे शादी विवाह मे कुछ समय सेवन कर भी लेते हैं तो यह कोई समस्या पैदा नहीं करता है।
वनस्पति घी के अंदर कोई गुण नहीं होते हैं
दोस्तों मैंने वनस्पति घी के बारे मे काफी कुछ सर्च किया लेकिन मुझे इसके फायदों के बारे मे कहीं पर भी पता नहीं चला । जबकि देसी घी खाने के आपको काफी सारे फायदे मिल जाएंगे । जैसा कि आपको पता ही है कि डालडा घी एक प्रकार का वनस्पति घी होता है। और भी कई ऐसे घी हैं जोकि वनस्पति घी के नाम से जाने जाते हैं लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि यह रियल घी की तरह किसी भी तरह का फायदा देने मे असमर्थ होते हैं।
आमतौर पर वनस्पति घी को तेलों से बनाया जाता है। मतलब यही है कि तेलों का रूप और गुण को बदल दिया जाता है और इनको घी के जैसा दिखाया जाता है। इससे किसी भी तरह का कोई फायदा होना काफी कठिन होता है। हालांकि कुछ घी बनाने वाले पोषक तत्वों को भी इनके अंदर मिलते हैं।
डॉ राइट के अनुसार 90 फीसदी जो वनस्पति घी होता है वह मिलावटी होता है।और वनस्पति घी तेलों से बनता है। तेलों के अंदर घी जैसा रूप और गुण मिलाया जाता है। जिससे कि देखने मे वह असली जैसा लगता है और आजकल तो आलम यह हो गया है कि असली घी बनाने वाले किसान भी मिलावट करने मे लगे हुए हैं। जिसकी वजह से लोगों का भी उनके उपर विश्वास उठ गया है और लोग बाजार मे से नकली घी को खरीदते हैं और उसके बाद उसका सेवन करने मे लगे हुए हैं। जोकि असली घी की तरह किसी भी तरह से फायदे मंद नहीं है। यह बस एक तरह से जमा हुआ तेल ही है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिन इलाकों के अंदर भैंस का घी अधिक होता है उन इलाकों के अंदर जो वनस्पति घी को बनाया जाता है वह थोड़े हरे रंग के साथ होता है और जिन इलाकों के अंदर गाय का घी अधिक होता है वहां पर वनस्पति घी का जो रंग होता है वह पीले रंग को लिये हुए होता है जोकि देखने मे असली जैसा लगता है। और पता ही नहीं चल पाता है कि घी असली है या नकली है ?
दोस्तों यदि आप भी अधिक वनस्पति घी का सेवन कर रहे हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए । क्योंकि यह आपके लिए घातक साबित हो सकता है। यदि आपके पास घी नहीं है तो आप ऐसे ही रह सकते हैं। या साफ सुथरा खाना आप खा सकते हैं।
आमतौर पर वनस्पति घी जिन तेलों से बनाया जाता है उनके अंदर किसी भी तरह के विटामिन और खनीज नहीं होते हैं। उनको बस जमा कर इसको बनाया जाता है। 1937 में कैप्टन थामस आई. एम. एस. कैमिकल इनेलाईजर ने पंजाब सरकार से कहा कि सरकार को इस वनस्पति घी पर प्रतिबंध लगाना चाहिए । क्योंकि इस घी को खाने से कई सारी समस्याएं पैदा हो रही हैं। जैसे कि लोगों का स्वास्थ्य खराब हो सकता है।जमाये तेल की अपेक्षा शुद्ध तेल का खाना अधिक अच्छा तथा सस्ता रहेगा। देश के प्रायः डॉक्टरों, वैद्यों तथा हकीमों ने इस जमाये तेल को सेहत के लिये खराब बतलाया।
इज्जत नगर (बरेली) की सरकारी प्रयोगशाला में वनस्पति घी और रियल घी के उपर एक प्रयोग किया गया । जिसके अंदर क्या हुआ कुछ चूहों के समूहों को चुना गया और दो समूह इसके अंदर थे । समूह मे से एक समूह को असली गाय का घी खिलाया गया और दूसरे समूह को नकली वनस्पति घी को दिया गया ।
6 महिने तक उन दोनों समूह को लगातार घी को खिलाया गया । उसके बाद परिणाम मे यह देखा गया कि जिन चूहों ने देसी घी का सेवन किया था उनको किसी भी तरह की बीमारी नहीं हुई लेकिन जो चूहे 6 महिने से लगातार यह वनस्पति घी का सेवन कर रहे थे उनके अंदर कई तरह की समस्याएं देखने को मिली अधरंग, पेशाब की खराबी, या नपुंसकता आदि बीमारी हो गई, और कुछ चूहों की मौत भी हो गई । दोस्तों इसी तरह से यदि इंसान भी इस घी का काफी लंबे समय तक सेवन करते हैं तो उनके स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है। और यह उनके लिए काफी घातक साबित होता है।
हालांकि जमे हुए तेलों की तुलना मे बिना जमा हुआ तेल खाना काफी फायदेमंद हो सकता है। इसलिए जमा हुआ तेल नहीं खाना चाहिए । क्योंकि यह नुकसानदायी अधिक होता है। और बिना जमा हुआ तेल काफी सस्ता भी पड़ता है।जैसे वनस्पति घी आपको 500 रूपये किलो पड़ेगा लेकिन बिना जमा मूंगफली का तेल 150 किलो मे आसानी से आ जाएगा ।
आमतौर पर जिस तरह से मार्केट के उपर वनस्पति घी कब्जा कर चुका है। उससे देखकर तो यही लगता है कि आने वाले दिनों मे असली देसी घी मिलना भी बंद हो जाएगा । और वैसे भी अधिकतर लोग देसी घी को नहीं खरीदते हैं। वे वनस्पति घी को खरीदना काफी पसंद करते हैं लेकिन उसके अंदर किसी भी तरह के गुण नहीं होते हैं।
और यदि आप उसको असली घी समझकर खाएंगे तो फिर कैसे चलेगा । हालांकि आजकल वनस्पति घी के अंदर भी कई चीजों के अंदर बदलाव किया गया है। उसके अंदर भी देसी घी की तरह उपर से कई तरह के पोषक तत्वों को डाला जाता है। हालांकि यह पोषक तत्व कितने कारगर होते हैं ? इसके बारे मे कुछ कहा नहीं जा सकता है।
सन् 1937 में शुद्ध घी की पैदावार देश भर में दो करोड़ 30 लाख मन थी, सन् 1947 में वह केवल 1 करोड़ 11 लाख मन रह गई और वर्तमान के आंकड़ों के बारे मे कोई जानकारी नहीं है। यदि नकली घी के उत्पादन की यही गति रही तो आने वाले दिनों मे असली देसी घी का मिलना काफी कठिन हो जाएगा ।
आज भी मार्केट के अंदर वैसे तो असली घी काफी अधिक मात्रा मे मिल रहा है। लेकिन इसके लिए अच्छी कीमत चुकानी पड़ रही है। और मार्केट के अंदर वनस्पति घी हमेशा से ही असली घी से सस्ता होता है। जिसकी वजह से अधिकतर लोग वनस्पति घी को ही खरीदना पसंद करते हैं।
इसका नुकसान किसानों को भी हो रहा है क्योंकि लोग अधिक पैसा वनस्पति घी पर खर्च कर रहे हैं तो किसान अपने घी को बेच नहीं पा रहे हैं। जिसकी वजह से उनको पशुपालन से काफी घाटा होता है। मार्केट के अंदर भले ही असली घी की कीमत अधिक होती है लेकिन उसको खरीदने वाले बहुत ही कम मात्रा के अंदर होते हैं तो इस वजह से कई बार तो असली घी घर के अंदर रखा हुआ ही खराब हो जाता है। और पूरे गांव के अंदर यदि आप फिरोगे तो असली देसी घी 5 किलो मिलना भी काफी कठिन हो जाएगा ।
और जो लोग गाय भैंस आदि रखते हैं वे घी तो बनाते ही हैं लेनिकन वे बस इतना ही घी बनाते हैं कि अपने खाने के लिए होता है और कुछ रिश्तेदारों को देदेते हैं। उससे अधिक घी वे पैदा नहीं कर पाते हैं। आपको तो पता ही होगा कि देसी घी को बनाने मे कितना अधिक समय लगता है।
आज की पीढ़ी वैसे भी खुद को काफी समझदार समझती है। जिसकी वजह से वह अधिक मेहनत भी नहीं कर पाती है। और अधिकतर लोगों ने तो गाय और भैंस को रखना ही बंद कर दिया है। क्योंकि उनके अंदर मेहनत करने की क्षमता ही नहीं बची है।
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