कंप्यूटर वायरस का वर्गीकरण ,what is computer virus in hindi , types of computer virus computer virus in hindi के बारे मे आप सभी लोग काफी अच्छी तरह से जानते ही हैं। computer virus का नाम तो आपने कई बार टीवी पर देखा और न्यूज के अंदर पढ़ा होगा । और हो सकता है कि कुछ लोगों ने सच मे ही कम्प्यूटर वायरस का सामना किया होगा । computer virus एक तरह से देखा जाए तो क्प्यूटर के डेटा के अंदर गड़बड़ी होना होता है। आमतौर पर कम्प्यूटर के पास दो तरह के भाग होते हैं। एक हार्डवेयर और दूसरा होता है साफटवेयर हार्डवेयर कम्प्यूटर का फिजिकल पार्ट होता है और software एक प्रकार का प्रोग्राम होता है।
समझने के लिए हम एक इंसान का उदाहरण ले सकते हैं। जैसे कि हमारी बॉडी जो होती है। वह एक प्रकार का फिजकल पार्ट होती है। और इसके अलावा हमारे दिमाग के अंदर जो डेटा होता है वह एक तरह से साफटवेयर हम कह सकते हैं दोस्तों ।
यदि हमारे दिमाग के विचारों के अंदर खराबी आती है तो हम अजीब व्यवहार करने लग जाते हैं। और आप आजकल आए दिन देखते हैं कि किसी ने यह कर दिया किसी ने वह कर दिया वह दिमागी वायरस के वजह से होता है। यही बात आपके कम्प्यूटर पर लागू होती है। यदि आपके कम्प्यूटर के अंदर यदि किसी तरह का गलत कोड इंटर कर गया तो वह जो सही कोड उसके अंदर पहले से काम कर रहे हैं वह उनको डिस्टर्ब करेगा । जैसे की एक साथ बहुत सारे इंसान काम कर रहे हैं। और यदि उनके अंदर एक गलत आदमी का प्रवेश हो गया तो फिर वह गलत आदमी उन सही आदमियों को काम नहीं करने देगा । इसी तरह से वायरस काम करता है।
यह तो हुई अपनी भाषा के अंदर समझना कि वायरस क्या होता है ? अब हम आपको विज्ञान की भाषा के अंदर भी समझाने का प्रयास करते हैं कि वायरस क्या होता है ?
computer virus एक प्रकार का प्रोग्राम होता है जिसका मुख्य उदेश्य किसी कम्प्यूटर को नुकसान पहुंचाना होता है। हर वायरस का अलग अलग कार्य होता है तो आप समझ सकते हैं कि इनको अलग करना कठिन होता है। कई वायरस इस प्रकार के होते हैं कि वे खुद की कॉपी करने मे सक्षम होते हैं। और खुद को बहुत अधिक संख्या मे बढ़ाकर एक तरह से हमला कर देते हैं। इस तरह से दोस्तों कम्प्यूटर वायरस काफी डेंजर चीज होती है। यदि किसी के कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ जाता है तो उसके बाद वह उसके अंदर रखी हुई फाइलों को नष्ट कर सकता है।
कंप्यूटर वायरस कई तरह से फैलते हैं। प्रसार के कुछ सामान्य तरीके डाउनलोड, ईमेल अटैचमेंट, हटाने योग्य हार्डवेयर आदि हैं। अधिकांश वायरस बहुत खतरनाक प्रकार के मैलवेयर होते हैं।
computer virus एक प्रकार का प्रोग्राम होता है। और आपको बतादें कि अपने आप ही कोई computer virus नहीं बनता है। वरन इनको बनाया जाता है। जिस तरह से कम्प्यूटर के प्रोग्राम को बनाया जाता है उसी तरीके से कम्प्यूटर वायरस को भी बनाया जाता है। दोस्तों कम्प्यूटर वारयस को बनाने वाले अलग किस्म के इंसान होते हैं। जिस तरीके से समाज के अंदर अच्छे और बुरे इंसान होते हैं। उसी प्रकार से ही कम्प्यूटर की दुनिया मे भी ऐसे लोग होते हैं। इन लोगों का जो मकसद होता है वह दूसरे के कम्प्यूटरों को नुकसान पहुंचाने का होता है। और यह इसके लिए काफी कुछ करते हैं।
ऐसा नहीं है कि computer virus को बनाने वाले हम और आप जैसे इंसान होते हैं। असल मे यह जानकार लोग होते हैं जिनको कोडिंग अच्छी तरीके से आती है। मतलब यह है कि यह कोडिंग के जानकार होते हैं और किस तरह से सिक्योरिटी का तोड़ निकालना होता है इसके बारे मे भी इनको अच्छी तरह से पता होता है।
computer virus अक्सर हैक करने वाले लोग बनाते हैं। और आपको यह भी पता होना चाहिए कि जो हैकर होते हैं वे बड़ी बड़ी कंपनियों को हैक कर लेते हैं। और यहां तक की याहू जैसी कंपनियों को भी हैकरों ने हैक कर लिया था तो आप समझ सकते हैं कि हैकरों की पॉवर क्या है ?
यदि हम बात करें दुनिया के अंदर कम्प्यूटर वायरस की तो आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया मे हर मिनट नजाने कितने वायरस हैकर के द्धारा बनाये जाते हैं। यह एक अलग बात है कि उनमे से कुछ अपना काम करने मे सफल होते हैं तो कुछ अपना काम करने मे सफल नहीं हो पाते हैं।
Robert Thomas वह पहला इंसान था जिसने कि कम्प्यूटर वायरस को सन 1971 के अंदर बनाया था। वैसे आपको बतादें कि इस वायरस का उदेश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं था । इसका प्रमुख उदेश्य था कि चीजों का किस तरह से एक्सपेरिमेंट किया जा सके ।
Fred Cohen नामक एक व्यक्ति ने 1983 ई के अंदर Malicious Programs को कम्प्यूटर वायरस का नाम दिया था। अब यदि हम बात करें कि कम्प्यूटर वायरस क्या कर सकता है ? तो आपको बतादें कि यह बहुत कुछ कर सकता है। इसके विस्तार से नुकसान के बारे मे नीचे चर्चा करेंगे। लेकिन मोटे तौर पर यह आपके कम्प्यूटर के डेटा को मोटे तौर पर नष्ट कर सकता है। इसके अलावा यदि आपके कम्प्यूटर के अंदर किसी भी तरह की नीजी जानकारी रखी हुई है तो वह भी यह चुरा सकता है। और आपसे फिरोती भी मांग सकता है। और आपके कम्प्यूटर पर यह पूरी तरह से कंट्रोल कर सकता है।
computer virus इस तरह से काफी डेंजर होता है तो आपको इसे लेकर बहुत अधिक सावधानी बरतनी चाहिए । आपके कम्प्यूटर के अंदर कोई वायरस पैदा नहीं होता है। वरन यह किसी बाहरी माध्यम से आता है। जैसे कि यह आपके ईमेल से आ सकता है। जैसे कि कोई आपको वायरस भेज सकता है और आप उस संक्रमित फाइल को खोलते हैं तो यह आपके कम्प्यूटर को संक्रमित कर देता है। इस तरह से दोस्तों आप समझ सकते हैं कि कम्प्यूटर का वायरस किस तरह से आता है और यह किस तरह से सिस्टम को हानि पहुंचा सकता है।
और यदि एक बार कम्प्यूटर के अंदर वायरस घूस जाता है तो उसके बाद उसको आपके सिस्टम से निकालना बहुत ही कठिन हो जाता है। और हो सकता है कि आपको विंडो फिर से बदलने की आवश्यकता पड़ जाए । इसलिए सावधानी ही इससे बचने का एक मात्र उपाय है।
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Types of Virus on Computer – कंप्यूटर वायरस के प्रकार
दोस्तों हमने कम्प्यूटर वायरस के बारे मे जाना । अब हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि कम्प्यूटर वायरस कितने प्रकार के होते हैं ? दोस्तों आपको बतादें कि कम्प्यूटर वायरस कई प्रकार के होते हैं। जिनके बारे मे हम आपको बता रहे हैं। वैसे कम्प्यूटर वायरस को अलग अलग आधारों पर बांटा जाता है। तो हम आपको कुछ कम्प्यूटर वायरस के बारे मे बताने का प्रयास करते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको यह जानकारी पसंद आएगी ।
what is computer virus in hindi Boot sector virus
Boot sector virus जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो जाता है यह कम्प्यूटर के बूट सेक्टर प्रोग्राम को ही नुकसान पहुंचा देता है।जब आपका कम्प्यूटर बूट हो रहा होता है तो यह आपके कम्प्यूटर को नुकसान पहुंचाता है। और यदि बूटिंग के बाद आपके कम्प्यूटर के अंदर यह प्रवेश करता है तो यह उतना अधिक नुकसान पहुंचाने मे सक्षम नहीं हो पाता है।USB डिवाइस का उपयोग करके इस प्रकार के वायरस को फैलाते हैं । जब उपयोगकर्ता यूएसबी डिवाइस में प्लग इन करते हैं और अपनी मशीन को बूट करते हैं तो वायरस सक्रिय हो जाता है।
Boot sector virus को सही तरीके से समझने के लिए हम कुछ इस तरह से समझते हैं। जैसे कि एक यूजर ने कम्प्यूटर के अंदर किसी हार्ड डिस्क के अंदर वायरस को डाल दिया और उसके बाद कम्प्यूटर को बंद कर दिया । अब यदि वह कम्प्यूटर फिर से चालू होता है तो कम्प्यूटर के अंदर फिर से वायरस का अटैक हो चुका होता है।
computer virus in hindi Overwrite virus
Overwrite virus एक अलग किस्म का कम्प्यूटर वायरस होता है जोकि कम्प्यूटर की फाइल्स को नुकसान पहुंचाने का काम करता है। जैसे ही यह कम्प्यूटर के अंदर प्रवेश करता है वैसे ही यह काम करना शूरू कर देता है । कम्प्यूटर के अंदर कई तरह के फाइल्स होते हैं जिनको यह नुकसान पहुंचाना शूरू कर देता है। और एक बार यह कम्प्यूटर के अंदर प्रवेश कर गया तो उसके बाद इसको वहां से निकाला नहीं जा सकता है। यह फाइलों को डिलिट भी कर सकता है और उनके अंदर के डेटा को भी बदल सकता है तो आप समझ गए होंगे कि यह आपके कम्प्यूटर के लिए कितना डेंजर हो सकता है।
Overwrite virus आमतौर पर ईमेल से अधिक फैलता है। तो अनजान व्यक्ति के इमेल यदि आपके पास आते हैं तो उनको खोलने की गलती ना करें वरना आपको ही नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
Web Scripting Virus
वेब स्क्रिप्टिंग वायरस मैलवेयर है जो वेब ब्राउज़र सुरक्षा को भंग करने की क्षमता रखता है। जब यह वेब ब्राउज़र सुरक्षा का उल्लंघन करता है।जब यह वायरस कम्प्यूटर के वेब ब्राउजर को प्रभावित करता है तो यह आमतौर पर वेब ब्राउजर की सेटिंग को बदल देता है। और रही बात इसके फैलने की तो यह संक्रमित वेब पेज और पॉपअप वाले विज्ञापनों से फैल सकता है।वेब स्क्रिप्टिंग वायरस का मुख्य लक्ष्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स हैं। जब यह वायरस वेब ब्राउजर को प्रभावित करता है ।
गैर-स्थायी वेब स्क्रिप्टिंग वायरस – यह वायरस जो होता है यह बिना देखे ही यूजर पर अटैक कर देता है। और इसके बारे मे कुछ भी यूजर को जानकारी नहीं होती है।
लगातार वेब स्क्रिप्टिंग वायरस –भी एक अलग प्रकार का वायरस होता है जोकि यूजर को निरंतर नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है।यह वेब ब्राउजर को अपने कब्जे में लेने और उसमें कुछ बदलाव करने के लिए वेब ब्राउजर सुरक्षा का उल्लंघन करता है।
यह वायरस कई चीजों को कर सकता है। जैसे कि स्पैम मैल को भेज सकता है। जिसकी मदद से किसी को परेशान किया जा सके । इसके अलावा यूजर के कम्प्यूटर के अंदर तक संक्रमण फैला सकता है। दुर्भावनापूर्ण लिंक बनाने के लिए भी किया जा सकता है, जिसे ईमेल में अटैचमेंट के रूप में भेजा जा सकता है।
यदि हम इस वायरस के लक्षणों की बात करें तो कई लक्षण इसके प्रकट हो सकते हैं। जिससे कि आपको यह पता चल जाएगा कि आपका कम्प्यूटर इस वायरस की चपैट मे आ चुका है और आपको कुछ करना होगा
- जैसे कि ब्राउजर का होमपेज अपने आप बदल रहा है।
- सिस्टम अपने आप बंद हो रहा है।
- दुर्भावनापूर्ण साइटों पर पुनर्निर्देशित किया जा रहा है।
- डेस्कटॉप की पृष्ठभूमि बदली जा सकती है।
दोस्तों आपको एक बात और बतादें कि यह वायरस आपके कम्प्यूटर के डेटा को चोरी कर सकता है। और उसें नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसके अलावा हम आपको बतादें कि कुछ चीजों को ध्यान मे रखकर आप इस तरह के वायरस से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं।
- क्रोम एंटी मालवेयर प्रोग्राम का प्रयोग करें।
- समय समय पर ब्राउजर को रिसेट करते रहें।
- एंटीवायरस आपके कम्प्यूटर के अंदर होना चाहिए ताकि आपको समय समय पर चेतावनी दे सके ।
computer virus in hindi browser hijacker virus
browser hijacker virus जैसा कि नाम से स्पष्ट है। यह ब्राउजर को हाइजैक कर लेता है। और ब्राउजर के अपने मन पसंद के होम पेज को सेट कर देता है।और सारे चीजों को बदल देगा । और आपको किसी दूसरी वेब पर रिडायरेक्ट कर देगा जहां पर आपको कुछ सूचना इंटर करने को कहा जा सकता है। जिसके बाद यदि आप गलती से कुछ भी इंटर करते हैं तो फिर आपको इसके नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। और इस तरह की समस्या कई लोगों के साथ होती है।
browser hijacker virus के फायदे के बारे मे भी आपको पता होना चाहिए । आपको यह तो पता ही है कि जानकारी काफी महंगी बिकती है। और browser hijacker virus की मदद से एक हैकर किसी भी यूजर की हिस्ट्री को जान सकता है। और काफी हिस्ट्री का रिकोर्ड करता है। और फिर इन सारी जानकारी को किसी थर्डपार्टी को बेच देता है। और इसकी मदद से वह काफी मोटी कमाई कर सकता है।इसके अलावा हैकर यूजर के एक विशेष लिंक पर या वेब पेज पर जाने के लिए फोर्स करता है। और यदि वह वहां पर जाता है तो इसका पैसा हैकर को मिलता है।
browser hijacker virus के यदि हम अन्य फायदे की बात करें तो बैंकिंग जानकारी, क्रेडिट कार्ड नंबर या अन्य संवेदनशील डेटा आदि जानकारी को चुरा सकता है। और यह आपकी नीजी चीजों को भी ब्राउजर की मदद से चुरा सकता है। और आपसे राशि का भुगतान मांगता है। और यदि आप तय राशी नहीं देते हैं तो चीजों को बंधक बना सकता है।
browser hijacker virus के बारे मे आपके दिमाग मे यह भी आता होगा कि यह browser hijacker virus किस तरह से सिस्टम के अंदर फैल जाता है तो आपको यह बतादें कि यह संक्रमित फाइलों को डाउनलोड करने और संक्रमित वेब पर जाने की वजह से भी यह फैल सकता है।
इसके अलावा आपको कुछ डाउनलोड करने के लिए दिया जा सकता है। और आप यदि इसको डाउनलोड करते हैं तो फिर आपके कम्प्यूटर के अंदर यह वायरस आ सकता है। इसके अलावा इस चीज का मैं खुद भी अनुभव कर चुका हूं । आमतौर पर कई बार मैं कुछ ऐसी वेब पर गया जहां पर मेरे पास अचानक से एक नोटिफिकेसन आया जिसके अंदर कुछ लुभावने ऑफर दिया गया था। इस तरह से दोस्तों आप इन सब चीजों के अंदर ना फंसे वरना आपको नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
browser hijacker virus के लक्षणों की बात करें तो इसकी वजह से आपको कुछ लक्षण नजर आ सकते हैं। जिनके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- एकाधिक पॉप-अप विज्ञापन;
- धीमी गति से लोड होने वाले वेबपेज;
- उनके खोज इंजन को बदल दिया गया है
- किसी खास किस्म का टूलबार बार बार दिखाई देना । जबकि आपने उसे अनुमति नहीं दी।
इसके अलावा कई बार यह वायरस सिर्फ डेटा को एकत्रित करने का काम करता है और उसके बाद वहां से अपने आप ही निकल जाता है।
browser hijacker virus यदि कम्प्यूटर के अंदर प्रवेश कर चुका है। और यदि आप इसको हटाना चाहते हैं तो आप कुछ टिप्स को फोलो कर सकते हैं । जिसकी मदद से आप इस वायरस को हटा सकते हैं। तो दोस्तों आइए जानते हैं उन तरीकों के बारे मे जिनकी मदद से आप browser hijacker virus को हाइजेक कर सकते हैं।
- अपने कम्प्यूटर के अंदर इस प्रकार का एंटिवायरस प्रोग्राम को इंस्टॉल करें जोकि browser hijacker virus को हटाने की विशेषज्ञता को रखता हो । तो आप उसे हटा सकते हैं।
- यदि ब्राउज़र को हाईजैक कर लिया गया है, तो सिस्टम का DNS कैश साफ़ करने से दुर्भावनापूर्ण प्रोग्राम से कनेक्शन भी समाप्त हो सकते हैं।
- इसके अलावा यदि वायरस किसी और चीज के अंदर दखल नहीं दिया है तो कंट्रोल पैनल के अंदर जाकर एक बार उस ब्राउजर को वहां से हटा सकते हैं। जिसको की वायरस ने हाइजेक कर लिया हो ।
- और यदि सारे तरीके काम करना बंद करदें। तो आप यह कर सकते हैं कि अपने कम्प्यूटर की विंडों को ही बदल सकते हैं ताकि सब कुछ सही हो जाए । हालांकि इस तरीके के अंदर आपको काफी समय लग सकता है। और दूसरी विंडों को डालना भी आसान काम नहीं है। लेकिन आप प्रयोग करके देख सकते हैं। यह काफी सुरक्षित तरीका है। यदि आप खुद विंडों के अंदर किस तरह से बदलाव करना है के बारे मे नहीं जानते हैं तो फिर आप किसी दूसरे की मदद ले सकते हैं।
- ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) को आपको निरंतर अपडेट करते रहना होगा । आमतौर पर इस तरह के जो वायरस हमले होते हैं वे पुराने ज्ञात वर्जन की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं तो इस बात को भी आप अच्छी तरह से ध्यान मे रखें ।
- संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें । यह बात आपको अच्छी तरह से ध्यान देनी चाहिए । जैसे मैल के अंदर कोई लिंक आपको मिल सकती है और उसके अंदर कुछ डाउनलोड हो सकता है तो इस तरह कि किसी भी लिंक पर से क्लिक करने से आपको बचना होगा ।
- सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने मे भी आपको सावधानी बरतनी होगी । यदि आप कहीं से भी सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर रहे हैं तो आपको ऐसा करने से बचना होगा । आपको उन्हीं जगहों से सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना चाहिए जहां पर किसी भी तरह के वायरस के आने की संभावना नहीं होती है।
computer virus in hindi Resident Virus
एक रेजिडेंट वायरस एक प्रकार का कंप्यूटर वायरस है जो कंप्यूटर मेमोरी में खुद को छुपाता है। और यह कम्प्यूटर की मैमोरी के अंदर आसानी से छुपा रहता है। इसको हटाना भी उतना आसान कार्य नहीं होता है।भी ऑपरेटिंग सिस्टम किसी विशिष्ट फ़ंक्शन को लोड या संचालित करता है तो यह सक्रिय हो जाता है। और जब एंटिवायरस को रन किया जाता है तो यह उसका हिस्सा बन जाता है।
इसकी वजह से एंटिवायरस के लिए भी इसको पहचानना काफी कठिन होता है।और कम्प्यूटर की मैमोरी मे होने की वजह से यह आसानी से किसी भी प्रोग्राम को संक्रमित कर सकता है।
ऐसे वायरस को हटाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि यह पहले से ही कंप्यूटर की मेमोरी में खुद को एम्बेड कर चुका होता है। और इस वायरस को कुछ इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि यह एंटिवायरस को भी गच्चा दे सकता है। तो दोस्तों आप समझ सकते हैं कि यह वायरस कितना डेंजर होता है।
Resident Virus के यदि हम हटाने की बात करें तो इसको हटना उतना आसान नहीं होता है क्योंकि यह कम्प्यूटर की फाइलों के अंदर छुपा हुआ रहता है। इसको हटाने के लिए एक्स्पर्ट की आवश्यकता होती है। और आपको तो पता ही है कि भारत के कम्प्यूटरों के अंदर इस तरह का एक्सपर्ट का मिलना काफी कठिन होता है। हम लोगों को तो ऐसे ही काम चलाना पड़ता है।
Direct Action Virus
Direct Action Virus भी एक प्रकार का कम्प्यूटर वायरस ही होता है।जब कोई उपयोगकर्ता दुर्भावनापूर्ण कोड से जुड़ी प्रतीत होने वाली हानिरहित फ़ाइल को निष्पादित करता है, तो डायरेक्ट एक्शन वायरस तुरंत एक पेलोड वितरित करते हैं। ये वायरस तब तक निष्क्रिय भी रह सकते हैं जब तक कोई विशिष्ट कार्रवाई नहीं की जाती या एक समय सीमा बीत जाती है।
Polymorphic Virus
पॉलीमॉर्फिक वायरस जटिल फ़ाइल संक्रामक होते हैं। और आपको यह बतादें कि यह वायरस खुद को बदलने मे काफी सक्षम होते हैं।प्रत्येक संक्रमण के दौरान अपने भौतिक फ़ाइल मेकअप को बदलने के लिए, पॉलीमॉर्फिक वायरस अपने कोड को एन्क्रिप्ट करते हैं ।अरबों डिक्रिप्शन रूटीन उत्पन्न करने वाले जटिल उत्परिवर्तन इंजनों के उपयोग से उनका पता लगाना और भी कठिन हो जाता है।।
इस तरह से इन वायरस की सबसे बड़ी बात तो यह है कि इनके कोड बदलते रहते हैं जिसकी वजह से इनको पकड़ना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। यदि यह एक बार सिस्टम के अंदर घुस जाते हैं तो उसके बाद इनका पता लगाना आसान काम नहीं होता है।
पॉलीमॉर्फिक वायरस आमतौर पर स्पैम, संक्रमित साइटों या अन्य मैलवेयर के उपयोग के माध्यम से वितरित किए जाते हैं।रेसमवेयर नामक वायरस का नाम तो आपने सुना ही होगा । यह एक अलग प्रकार का वायरस होता है जोकि एक बार यदि किसी कम्प्यूटर के अंदर घुस जाता है तो उसके बाद उसका पता लगाना काफी कठिन हो जाता है।
File Infector Virus
File Infector Virus जैसा कि नाम से ही स्पष्ट हो जाता है। यह एक प्रकार का वायरस होता है जोकि फाइलों को संक्रमित करने का काम करता है। यह किसी तरह की फाइलों को संक्रमित कर देता है। जिसके बाद फाइले किसी काम की नहीं रहती हैं। यह वायरस आमतौर वर विंडों और अन्य दूसरे तरह के ऑपरेटिंग सिस्टम को संक्रमित कर सकता है। इस तरह से यह काफी डेंजर वायरस होता है। यदि यह एक बार किसी कम्प्यूटर के अंदर घुस जाता है तो उसके बाद यह उसे पूरी तरह से खराब कर देता है।
एक फ़ाइल-संक्रमित वायरस सबसे आम प्रकार के वायरस में से एक है। आमतौर पर, यह .exe या .com एक्सटेंशन वाली फ़ाइलों को संक्रमित करता है।Win32.Sality.BK एक लोकप्रिय फ़ाइल-संक्रमित वायरस है जो 2011 और 2012 में शीर्ष 10 मैलवेयर संक्रमणों में से एक था।
computer virus in hindi Multipartite Virus
Multipartite Virus भी एक प्रकार का डेंजर वायरस होता है जोकि खुद की कॉपी करने मे सक्षम होता है। और इस वायरस की खास बात तो यह है कि यह बूटसेक्टर पर हमला कर देता है। और काफी तेजी से अपनी संख्या को बढ़ा सकता है। मल्टीपार्टाइट वायरस एक ही समय में बूट सेक्टर और प्रोग्राम फाइल दोनों को प्रभावित कर सकता है।यदि कम्प्यूटर के अंदर यह वायरस घूस चुका है तो कम्प्यूटर के चालू करने के बाद ही यह पूरे कम्प्यूटर के अंदर फैल सकता है। और यदि यह एक बार पूरे कम्प्यूटर के अंदर फैल गया तो उसके बाद इसको वहां से निकालना काफी कठिन हो जाता है। और पूरे सिस्टम को ही साफ करना पड़ जाता है।
पहला मल्टीपार्टाइट वायरस घोस्टबॉल वायरस था। इसे 1989 में Fridrik Skulason द्वारा खोजा गया था।
- यदि आप इस वायरस से बचना चाहते हैं तो आपको चाहिए कि आप किसी भी अनजान इंसान के द्धारा भेजे गए इमेल को ना खोले
- और किसी भी तरह की चीजों को डाउनलोड करने के लिए आपको एक सही साइट का प्रयोग करना जरूरी होता है।
Macro Virus
मैक्रो वायरस एक कंप्यूटर वायरस है जो उसी मैक्रो भाषा में लिखा जाता है जिसका उपयोग माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल या वर्ड जैसे सॉफ्टवेयर प्रोग्राम बनाने के लिए किया जाता है।विंडोज , मैकओएस और लिनक्स आदि किसी भी तरह के सिस्टम को यह वायरस संक्रमित कर सकता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
स्प्रैडशीट्स और अन्य डेटा फ़ाइलों से जुड़े मैक्रोज़ में अपना कोड जोड़कर काम करते हैं।सॉफ़्टवेयर को लक्षित करके यह बनाये जाते हैं और सिस्टम की बजाये यह os को लक्षित करने का काम करते हैं।1995 के आस पास मेक्रो वायरस आये थे।Microsoft Office 2000 और बाद के सभी संस्करणों के रिलीज़ होने के साथ, Microsoft ने मैक्रोज़ को डिफ़ॉल्ट रूप से अक्षम कर दिया।
दोस्तों यदि कोई मेक्रो वायरस फाइल को संक्रमित करता है तो उसके बाद यह सिस्टम तक अपनी पहुंच बना सकता है। इसकी वजह से सावधानी बहुत अधिक जरूरी होती है।
मैक्रो फैलने के तरीकों के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि यह आमतौर पर संक्रमित ईमले की मदद से भेजा जाता है। और इसके अंदर जब कोई ईमेल पर क्लिक करता है तो उसके बाद यह वायरस उनके कम्प्यूटर के अंदर चला जाता है। इसी तरीके से हर किसी जगह से यदि आप फाइल को डाउनलोड करते हैं तो उसकी वजह से भी यह आपके कम्प्यूटर के अंदर फैल सकता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। इस वजह से आप यदि इससे बचना चाहते हैं तो आपको सावधानी बरतनी होगी ।
- नई फाइलें बनाएं;
- संग्रहीत डेटा को दूषित या मिटाना;
- हार्ड ड्राइव को प्रारूपित करें
- और उपयोगकर्ता की निजी जानकारी को चुराना ।
इस तरह से यह वायरस बहुत कुछ कर सकते हैं। और एक बार यदि यह कम्प्यूटर के अंदर घुस जाते हैं तो इनको वहां से निकालना काफी कठिन हो जाता है।
2017 में, मैकडाउनलोडर, ऐप्पल के मैकोज़ के लिए पहला वर्ड मैक्रो वायरस खोजा गया था। डेटा, जैसे ब्राउज़र इतिहास लॉग, वेब कैमरा फ़ाइलें, पासवर्ड और एन्क्रिप्शन कुंजी जैसी चीजों को चोरी करने के लिए इस वायरस को सक्षम बनाया गया था।
एक अधिक उल्लेखनीय मैक्रो वायरस मेलिसा वायरस था । 1999 में खोजा गया। यह एक तरह से ईमेल की मदद से फैल गया था। माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 97 और 2000 में मैक्रोज़ के साथ-साथ एक्सेल और आउटलुक का उपयोग करके अन्य ईमेल संदेशों में तेजी से फैल गया। आपको यह जानकार हैरानी होगी कि यह कम्प्यूटर वायरस एक मिलियन से से अधिक कम्प्यूटरों के अंदर फैल गया था और इसकी वजह से $80 मिलियन का नुकसान हुआ था।सबसे प्रसिद्ध मैक्रो वायरस में से एक, जिसे पहली बार 2014 में देखा गया था, वह हैन्सीटर था , जिसे चैनिटर के नाम से भी जाना जाता है।और यह ईमेल की मदद से फैल गया था।
- मैक्रो वायरस से बचने के तरीकों पर यदि हम बात करें तो स्पैम फिल्टर का यूज आपको करना चाहिए ।स्पैम फिल्टर का यूज करने का फायदा यह होगा कि यदि किसी ईमेल के अंदर यह वायरस आ गया है तो हम उस वायरस से दूरी बना सकते हैं।
- एंटीवायरस प्रोग्राम बहुत ही जरूरी होता है। यदि आप एक एंटीवायरस प्रोग्राम अपने कम्प्यूटर के अंदर इंस्टॉल करके रखते हैं तो वह एक तरह से आपके लिए काफी उपयोगी हो सकता है।
- अटैचमेंट से आपको सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि अटैचमेंट से वायरस आपके कम्प्यूटर के अंदर घुस सकता है जोकि आपके लिए सही नहीं होगा ।
कंप्यूटर वायरस के लक्षण
दोस्तों अब तक हमने कप्प्यूटर वायरस के प्रकार के बारे मे विस्तार से जाना । अब हम आपको यह बताने का प्रयास करते हैं कि आप किस तरह से यह पता कर सकते हैं कि आपके कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ चुका है ? यदि आपके कम्प्यूटर के अंदर वायरस घुस गया है तो फिर आप कुछ लक्षणों की मदद से वायरस को पहचान सकते हैं। और इससे आपको फायदा ही मिलेगा ।
- यदि आपके कम्प्यूटर के अंदर किसी तरह का वायरस आ जाता है तो आपके वेब ब्राउजर का होमपेज बदल सकता है। और यह इस तरह से बदलता है कि आपने बदला ही नहीं उसके बाद भी यह बदल जाता है। यदि ऐसा हो रहा है तो इसका मतलब यह है कि आपके कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ चुका है।
- आपके ईमले से अपने आप मेल का भेजे जाना भी इसका लक्षण हो सकता है। यदि किसी कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ जाता है तो उसके बाद हो सकता है कि वह वायरस आपके ईमल का इस्तेमाल करके आपके कांटेक्ट के अंदर जो मेल हैं उनकेा अजीब प्रकार के ईमेल को भेजना शूरू कर दे ।
- कंप्यूटर को यदि आप ऑन करते हैं तो यह काफी स्लो हो सकता है। या फिर यदि आप कम्प्यूटर के किसी प्रोग्राम को खोलने का प्रयास करते हैं तो फिर यह काफी स्लो हो जाता है।
- इसके अलावा आपके पासवर्ड जो होते हैं वे भी आपकी बिना किसी जानकारी के लिए बदल जाते हैं। यदि आपके कम्प्यूटर के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए । आपके कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ चुका है।
- और कई बार क्या होता है कि आपका कम्प्यूटर आपकी किसी भी तरह की कमांड को मानने से इंनकार कर देता है। और कई बार कम्प्यूटर पर किसी तरह का अजीब संदेश दिखाई देने लग जाता है। तो ऐसी स्थिति के अंदर आपको समझ लेना चाहिए कि आपका कम्प्यूटर हैक हो चुका है। और अब आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं।
- इसके अलावा कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ जाता है तो यह एक तरह से अजीब व्यवहार भी करने लग जाता है इसका मतलब यह है कि अपने आप ही चलना और कुछ का कुछ मानना । यदि ऐसा कुछ हो रहा है तो आपको समझना चाहिए कि आपके कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ चुका है। और अब आपको सावधान रहने की आवश्यकता है।
- इसके अलावा कई वायरस जो होते हैं वे हार्ड डिस्क के किसी खास फोल्डर और फाइल्स को खोलने की अनुमति नहीं देते हैं। वे आमतौर पर उनके उपर कब्जा कर लेते हैं। जिससे कि आपको समझना चाहिए कि आपके कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ चुका है।
कम्प्यूटर के अंदर वायरस आने के कारण
कम्प्यूटर के अंदर किसी तरह का वायरस पैदा नहीं होता है। वरन कम्प्यूटर वायरस एक ऐसी चीज होती है जोकि कम्प्यूटर के बाहर से इस प्रकार का वायरस आता है और उसके बाद आपके कम्प्यूटर को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है।
कम्प्यूटर से बचने के लिए यदि आप कुछ सावधानी बरतते हैं तो आप आसानी से इसके प्रभाव से बच सकते हैं।तो आइए सबसे पहले उन कारणेां के बारे मे जानने का प्रयास करते हैं जिसकी वजह से कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ जाता है।
- किसी गलत लिंक पर क्लि्क करने से भी आपके कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ सकता है। जैसे कि आप किसी वेब पेज पर जाते हैं और वहां पर किसी लिंक पर क्लिक करते हैं तो हो सकता है कि कुछ कोड आपके कम्प्यूटर के अंदर डाउनलोड हो जाए । जिससे कि आपके कम्प्यूटर के अंदर वायरस आ जाएगा ।इसके अलावा ईमेल के अंदर भी कई बार इस तरह की लिंक होती है जोकि आपके एक डेंजर साइट पर भेज देती है जिसकी वजह से आपके कम्प्यूटर मे वायरस आ सकता है इस तरह से आपको सावधान रहने की आवश्यकता है।
- अपने ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट रखना आपके लिए जरूरी हो जाता है। ऑपरेटिंग सस्टिम का मतलब है आप किस साफटवेयर पर काम कर रहे हैं। उसको अपडेट करना जरूरी होता है। जैसे आप विंडो पर काम कर रहे हैं तो उसको अपडेट करना जरूरी होता है। आमतौर पर कई बार क्या होता है कि हम अपने ऑपरेटिंग सिस्टम को अपडेट नही करते हैं। और आपको पता ही है कि पुराने सिस्टम के अंदर कुछ कमियों को ढूंढ लिया जाता है। विंडोज 7 या विंडोज एक्सपी आदि का इस्तेमाल यदि आप कर रहे हैं तो अब इनका इस्तेमाल आपको बंद कर देना चाहिए । क्योंकि यह वर्जन अब पुराने हो चुके हैं और अब आपको एक नए वर्जन की जरूरत है। तो आप विंडो 10 का प्रयोग कर सकते हैं। हालांकि कम्प्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम काफी महंगा आता है। लेकिन यदि बात करें मोबाइल की तो इसके अंदर आपको कुछ भी पैसा खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है। यह काफी सस्ता होता है और आसानी से आप इसको अपडेट कर सकते हैं।इस तरह से दोस्तों यदि आप कम्प्यूटर के वायरस से बचना चाहते हैं तो आपको समय समय पर अपने कम्प्यूटर कि सिस्टम को अपडेट करना होगा ताकि किसी भी तरह की समस्या ना हो । यदि आप अपडेट नहीं करेंगे तो समस्या बढ़ सकती है।
- अनजान ईमेल से दूर रहे । दोस्तों आज के समय मे हर इंसान ईमेल का तो यूज करता ही है। लेकिन आपको यह बतादें कि ईमेल का यूज यदि आप सही तरीके से नहीं करते हैं तो उसके बाद आपको काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आजकल क्या होता है कि कुछ लोग आपके कम्प्यूटर को नुकसान पहुंचाने के लिए आपके ईमेल बॉक्स के अंदर कुछ खास प्रकार के ईमेल को सेंड करते हैं। और इन ईमेल को खासतौर पर आकर्षक बनाया जाता है। और इनके अंदर कुछ अटैचमेंट भी जोड़े जाते हैं। इन अटैचमेंट के अंदर वायरस हो सकता है। यदि आप किसी ईमेल सेंड कर्ता को नहीं जानते हैं तो उसके बाद आपको चाहिए कि आप उसका ईमेल ना खोलें और खास कर अटैचमेंट को खोलना किसी खतरें से कम नहीं होता है क्योंकि इसके अंदर ही वायरस होते हैं जोकि बाद मे आपके कम्प्यूटर के अंदर शामिल हो सकते हैं।
- अपने ब्राउजर को समय समय पर अपडेट करते रहें । दोस्तों यदि आप एक पुराना वर्जन ब्राउजर चलाते हैं तो यह सही तरीके से नहीं चलता है और इसके अंदर कई तरह के सिक्योरिटी फैचर नहीं आते हैं। लेकिन इसकी वजह से आप किसी ऐसी वेबसाइट पर जा सकते हैं। जहां पर वायरस हो या आपकी नीजी जानकारी चोरी होने का डर हो ।क्योंकि इन ब्राउजर को आसानी से हैक कर लिया जाता है। तो आप एक बार चैक करें कि आपका ब्राउजर अपडेट तो है ना यदि आपका ब्राउजर अपडेट नहीं है तो इसको अपडेट करें ।
- यदि आप कम्प्यूटर वायरस से बचना चाहते हैं तो आपको चाहिए कि आप किसी भी डिवाइस जैसे युएसबी पैनड्राइव आदि को कम्प्यूटर मे लगाने से पहले उसे अच्छी तरह से स्खैन करलें ।क्योंकि हो सकता है कि उसके अंदर किसी भी तरह का वायरस हो जोकि बाद मे आपके कम्प्यूटर के अंदर घुस सकता है। तो हम आपको यही सजेशन देना चाहेंगे कि आप दूसरे के पैनड्राइव या फोन को कभी भी अपने कम्प्यूटर के अंदर ना लगाएं । यही आपके लिए काफी फायदेमंद होगा ।
- पायरेटेड सॉफ़्टवेयर का उपयोग न करें-पायरेटेड सॉफ़्टवेयर का मतलब होता है कि यह ऑरेजनल प्रोग्राम नहीं होता है। वरन उसकी कॉपी होता है। और भारत के अंदर यह सब चीजें बहुत अधिक होती है। आमतौर पर जो ऑरेजनल सॉफ़्टवेयर होता है। वह काफी महंगा होता है। लेकिन जो ऑरेजनल सॉफ़्टवेयर की कॉपी होता है वह काफी सस्ता होता है। ऐसी स्थिति के अंदर लोग वही यूज करते हैं। इसके अलावा दोस्तों भले ही इस तरह का प्रोग्राम सस्ता होता है लेकिन इनके अंदर वायरस घुस जाने की बहुत अधिक क्षमता होती है तो आपको इसके बारे मे भी अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।ऑखिर ऑरेजनल चीज तो ऑरेजनल ही होती है।
- इसके अलावा एक गलत जो हम और करते हैं। हम लोग इंटरनेट से कुछ भी हर किसी जगह से अपने कम्प्यूटर के अंदर डाउनलोड कर लेते हैं। आपको यह गलती नहीं करनी चाहिए । यदि आप ऐसा करते हैं तो इससे आपको काफी नुकसान हो सकता है।क्योंकि इस तरह की चीजों के साथ वायरस आ सकता है और आपको यह पता भी नहीं चलेगा कि आपके कम्प्यूटर के अंदर कब और किस तरह से वायरस को इंस्टॉल कर दिया गया है तो आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आप जिस भी इंटरनेट साइट से डाउनलोड करें वह विश्वसनिय होनी चाहिए ।लेकिन हम जानते हैं कि यह बहुत सारे यूजर नहीं देखते हैं। मेरे साथ एक बार ऐसा ही हुआ था। मैं एक ब्लॉग चलाता हूं तो मैंने पता नहीं एक ऐसी वैसी साइट से इमेज को डाउनलोड कर लिया था । और उस इमेज के अंदर वायरस था। मुझे पता नहीं चला तो वायरस मेरे कम्प्यूटर के अंदर चला गया ।फिर उस कम्प्यूटर से वायरस वेब के अंदर चला गया तब मुझे काफी परेशानी हुई और फिर किसी तरह से एंटिवायरस को रन किया और वायरस को काटा तो दोस्तों सही जगह से चीजों को डाउनलोड करना चाहिए । यदि आप गलत जगह से चीजों को डाउनलोड करते हैं तो फिर काफी परेशानी हो सकती है।
इस तरह से दोस्तों यदि आप कम्प्यूटर के अंदर यदि आप वायरस आने से बचे रहना चाहते हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप उपर दी गई क्रियाओं के दौरान सावधानी बरते । खास तौर पर ईमेल अटैचमेंट से ही वायरस सबसे अधिक फैलता है। यदि आप इस एक चीज को खास तौर पर ध्यान मे रखते हैं तो फिर आप वायरस से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं। लेकिन यदि आप इसको सही तरीके से ध्यान मे नहीं रखते हैं तो फिर कुछ फायदा नहीं होगा । और एक बार वायरस आने के बाद आपके कम्प्यूटर की सारी फाइले बेकार कर सकता है।
दुनिया के 10 सबसे खतरनाक कम्प्यूटर वायरस
दोस्तों वैसे तो कम्प्यूटर वायरस के अलग प्रकार होते हैं। लेकिन हम आपको यहां पर बताने वाले हैं। दुनिया के सबसे डेंजर कम्प्यूटर वायरस के बारे मे जिनके बारे मे आप जानकर काफी हैरान रह जाएंगे । यह वायरस किसी तरह के खास उदेश्य के लिए बनाए गए थे तो आइए जानते हैं दुनिया के सबसे डेंजर कम्प्यूटर वायरस के बारे मे जिसके बारे मे जानकार आप दंग रह जाएंगे ।
Conficker वायरस
Conficker वायरस कम्प्यूटर की विंडों को संक्रमित करने वाला एक प्रकार का वर्म होता है जोकि हली बार नवंबर 2008 में खोजा गया था। इसका मूल संस्करण, कॉन्फिकर ए, विंडोज सर्वर सेवा में भेद्यता के माध्यम से फैला हुआ था। और सबसे बड़ी बात जो इस कम्प्यूटर वायरस की यह थी कि इसके नए नए संस्करण आते रहे । जिसकी वजह से यह काफी डेंजर साबित होता रहा है। इसके कई वर्जन अब तक सामने आ चुके हैं।जनवरी 2009 में इसके संक्रमणों की संख्या 9 से 15 मिलियन के बीच होने का अनुमान लगाया गया था। Microsoft सुरक्षा खुफिया रिपोर्ट 12 के अनुसार, Conficker ने अपनी प्रारंभिक खोज के वर्षों बाद Q4 2011 में 1.7 मिलियन मशीनों को संक्रमित किया।
और इससे भी बड़ी बात यह थी कि Conficker को बनाने वाले हैंकर को कभी भी पकड़ा नहीं जा सकता था। और यह किसी को पता नहीं चल पाया कि यह Conficker वायरस कौन बनाता हैऔर इससे निबटने के लिए Microsoft इन हैकर को पकड़े के लिए लाखों डॉलर का इनाम भी दे रहा है। आप इस बात को समझें । Conficker तरह से आप समझ सकते हैं कि यह कितना डेंजर वायरस है जिसको नियंत्रित करना भी कोई आसान काम नहीं है।
i love you computer virus
ILOVEYOU कम्प्यूटर वारस का नाम तो आपने सुना ही होगा ।क्योंकि यह एक फेमस कम्प्यूटर वायरस है जोकि कई तरह के सिस्टम को बरबाद कर चुका है।इसको कभी भी लव लेटर के नाम से भी जाना जाता है। 5 मई 2000 को और उसके बाद दस मिलियन से अधिक विंडोज़ पर्सनल कंप्यूटरों को संक्रमित करता है।
आमतौर पर यह जो कम्प्यूटर वायरस होता है। वह किसी अटैचमेंट के साथ आता है। और अधिकतर ईमेल की मदद से कम्प्यूटर के अंदर प्रवेश करता है। जब इमेल को खोला जाता है तो यूजर को यही लगता है कि यह बस एक बस फाइल है। लेकिन असल मे यह एक फाइल ही नहीं होती है। इसके साथ वायरस भी होता है और यह चुपके से यूजर के कम्प्यूटर को संक्रमित कर देता है।
ILOVEYOU को फिलीपींस के मनीला में एक कॉलेज के छात्र ओनेल डी गुज़मैन द्वारा बनाया गया था, जो उस समय 24 वर्ष का था। यह एक गरीब लड़का था और इसके पास इंटरनेट का रिचार्ज करवाने तक के पैसा नहीं था तो इसने एक खास प्रकार का वर्म बनाया और उसके बाद बिना किसी शुल्क के इंटरनेट का यूज करने लग गया ।और इससे जब यह पूछा गया कि इसने ऐसा क्यों किया तो इसने बताया कि इंटरनेट का यूज करना मेरा अधिकार है इसलिए मैंने ऐसा किया था।डी गुज़मैनके एक सिद्धांत का उपयोग करके इसने एक वायरस बनाया था और बाद मे यही वायरस पूरी दुनिया के अंदर फैल गया था।हालांकि इसके पूरी दुनिया के अंदर फैलेने की उम्मीद नहीं की थी।
चूंकि फिलीपींस में इसके निर्माण के समय मैलवेयर बनाने के खिलाफ कोई कानून नहीं था। और इस मालवैयर के बनाने के बाद वहां पर कानून को बनाया गया जिसकी वजह से इस मैलवेयर को बनाने वाले को सजा कभी भी नहीं हो पाई थी।
दुनिया भर में 5.5-8.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान इस वायरस की वजह से हुआ और इसको हटाने मे भी काफी मेहनत करनी पड़ी ।यह अनुमान लगाया गया है कि दुनिया में इंटरनेट से जुड़े 10% कंप्यूटर प्रभावित हुए हैं। जिस नुकसान का हवाला दिया गया वह ज्यादातर संक्रमण से छुटकारा पाने और बैकअप से फ़ाइलों को पुनर्प्राप्त करने में लगने वाला समय और प्रयास था। इसके अलावा इस वायरस से बचाने के लिए कई सारी कंपनियों ने खुद के मैल सर्वर को बंद करने का फैसला लिया । और उस समय यह दुनिया भर की सबसे अधिक डेंजर कम्प्यूटर आपदाओं मे से एक यही था।
इस तरह से आप समझ सकते हैं कि यह वायरस कितना डेंजर था और किस तरह से लोगों के कम्प्यूटरों को काफी डेंजर तरीके से नुकसान पहुंचाने की दिशा मे काम कर रहा था।
Yankee Doodle
Yankee Doodle एक प्रकार का कम्प्यूटर वायरस होता है जोकि काफी डेंजर होता है। और यह काफी घातक होता है।यांकीडूडल 1989 से एक बल्गेरियाई वायरस है। इसे टीपी द्वारा कोडित किया गया था , जो वैक्सीना वायरस के निर्माता हैं। यह बहुत हद तक वैक्सीना वायरस से मिलता-जुलता है।
एक बार जब यह कम्प्यूटर के अंदर प्रवेश कर जाता है तो उसके बाद यह खुद को ही कम्प्यूटर का स्टोरेज बना लेता है। फ़्लॉपी डिस्क, सीडी, डीवीडी और ईमेल की मदद से भी यह बहुत ही आसानी से फैलता है।यदि हम इस वायरस के लक्षणों की बात करें तो यह कई तरह के लक्षण प्रकट कर सकता है। जैसे कि
- आपका कम्प्यूटर पहले की तुलना मे काफी धीरे चलता है।
- और आपके कम्प्यूटर की मैमोरी काफी कम दिखा सकता है जोकि अपने आप मे इसका एक लक्षण होता है।
- सिस्टम हमेशा बिना किसी मानव निर्मित कारण के दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है।
दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बतादें कि यह कम्प्यूटर वायरस जो होता है वह काफी डेंजर होता है और यदि आप इसको एंटिवायरस की मदद से हटाने का प्रयास करते हैं तो फिर यह एंटिवायरस से भी बच सकता है और छुप सकता है। इसलिए आप किसी पेशेवर की भी मदद ले सकते हैं। यदि आपकी सारी फाइले संक्रमित हो चुकी हैं तो आपको एक वायरस हटाने वाले से संपर्क करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा । नहीं तो यह वायरस समस्या क्रियट कर सकता है।
Nimda वायरस
पहली बार 18 सितंबर, 2001 को प्रदर्शित होने वाला, निमडा एक कंप्यूटर वायरस है जिसके कारण ट्रैफ़िक धीमा हो गया क्योंकि यह पूरे इंटरनेट पर फैल गया। और इसका मतलब यह है कि इसने इंटरनेट की स्पीड को ही धीमा कर दिया था। दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बतादें कि यह वायरस जो था वह कई अलग अलग तरीको से फैलता है।
लेकिन इसके खास तौर पर जो फैलने का तरीका है वह इंटरनेट से भेजे गए ईमेल ही होता है। यह किसी भी इमेल पते से बहुत ही आसानी से फैल सकता है।
वैसे यह वायरस किसी भी तरह से कम्प्यूटर की फाइलों को नुकसान नहीं पहुंचाता है और ना ही किसी अन्य तरह की गड़बड़ी पैदा करता है लेकिन यह इंटरनेट की स्पीड को कम करने का काम करता है।
एक खुला आईआईएस वेब सर्वर वाला सिस्टम उन वेबसाइटों को पढ़ता है जिनमें एम्बेडेड जावास्क्रिप्ट होती है जो स्वचालित रूप से निष्पादित होती है, जिससे एक ही जावास्क्रिप्ट कोड उस सर्वर पर सभी वेब पेजों पर प्रचारित हो जाता है।
इस तरह से देखा जाएं तो यह पूरी तरह से डिस्टर्ब करने वाला वायरस होता है जोकि डिस्टर्ब करने का काम करता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
Morris Worm के बारे मे जानकारी
2 नवंबर, 1988 का मॉरिस वर्म या इंटरनेट वर्म, इंटरनेट के माध्यम से वितरित किए जाने वाले सबसे पुराने कंप्यूटर वर्म्स में से एक था। यह कॉर्नेल विश्वविद्यालय के एक स्नातक छात्र रॉबर्ट टप्पन मॉरिस द्वारा लिखा गया था , और 2 नवंबर, 1988 को मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के कंप्यूटर सिस्टम से लॉन्च किया गया था ।इस कम्प्यूटर वायरस को किसी भी तरह के अपराध के लिए नहीं बनाया गया था। इसको इसलिए बनाया गया था कि इसकी मदद से क्या किया जा सकता है।
आपको बतादें कि यह जो वायरस होता है वह कमजोर पासवर्ड को भी निशाना बना सकता है।वैसे आपको बतादें कि इस वायरस को बनाने का उदेश्य किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं था । वरन इस वायरस को बनाने का उदेश्य था कि आसानी से कमियों को पहचाना जा सके और उनको दूर किया जा सके ।
यह कम्प्यूटर वायरस खुद को कॉपी करने मे सक्षम होता है और आसानी से यह किसी भी कम्प्यूटर को क्रैश कर सकता है और उसे धीमा भी कर सकता है। आपको इस बात का पता होना चाहिए ।
मॉरिस की कोडिंग गलती की वजह से बाद मे यह
वायरस काफी डेंजर हो गया और खुद को एक काफी डेंजर वायरस बना लिया और उसके बाद यह काफी भयंकर तरीके से फैलने लगा । इस तरह से दोस्तों एक सही उदेश्य के लिए बनाया गया वायरस गलत दिशा के अंदर चला गया ।
skynet virus
skynet virus एक तरह से मूवी से प्रेरित होकर बनने वाला वायरस होता है जोकि एक तरह से काफी अलग ही प्रकार का वायरस है। और काफी सिंपल भी होता है।SkyNet वायरस जब आपके कम्प्यूटर को संक्रमित करता है तो आपके कम्प्यूटर की विंडो लाल हो जाती है और उसके बाद उसके उपर एक संदेश लिखा हुआ आता है जोकि कुछ इस प्रकार से है। डरो मत, मैं एक बहुत ही प्रकार का वायरस हूँ आपने आज कई काम किए हैं तो, मैं आपके कंप्यूटर को धीमा कर दूँगा। आपका दिन शुभ हो, अलविदा जारी रखने के लिए एक कंटीन्यू दबाएं और इस तरह से यह आपके पूरे कम्प्यूटर को ही धीमा कर देता है। और यदि आप इसके उपर ठीक से ध्यान नहीं देत हैं तो यह आपके कम्प्यूटर को काफी भयंकर तरीके से नुकसान देता है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझलें। और यदि हम इस वायरस के फैलने की बात करें तो यह कई तरीकों से फैल सकता है। लेकिन यह खास तौर पर ईमेल की मदद से बहुत अधिक फैलता है।
CryptoLocker
क्रिप्टो लॉकर रैंसमवेयर हमला 5 सितंबर 2013 से मई 2014 के अंत तक क्रिप्टो लॉकर रैंसमवेयर का उपयोग करने वाला एक साइबर हमला था। इस हमले ने एक ट्रोजन का उपयोग किया था।माइक्रोसॉफ्ट विंडोज चलाने वालो को यह खास तौर पर टारगेट करता था।
और यदि हम इस वायरस की खास बात पर नजर डालें तो एक बार यह आपके कम्प्यूटर के अंदर प्रवेश करने के बाद कम्प्यूटर की सारी फाइलों को ब्लॉक कर देता है
और उसके बाद एक संदेश भेजता है जिसके अंदर रकम की मांग की जाती है। यदि समय के भीतर रकम नहीं दी जाती है तो फिर यह आपके कम्प्यूटर की सारी फाइलों को खराब कर सकता है। इसलिए यूजर भी इसकी शर्त को मानने के लिए मजबूर होता है। और यदि फाइलों को बैंकअप नहीं लिया गया है तो उसके बाद आपके पास पैसा का भुकतान करने के अलावा और कोई चारा नहीं होता है।
हालांकि क्रिप्टो लॉकर को आसानी से हटा दिया गया था, लेकिन प्रभावित फाइलें इस तरह से एन्क्रिप्टेड रहीं, जिसे शोधकर्ताओं ने तोड़ना असंभव माना। कई लोगों ने कहा कि फिरौती का भुगतान नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन फाइलों को पुनर्प्राप्त करने का कोई तरीका नहीं बताया ।
CryptoLocker वायरस को भेजने की बात हम करें तो यह आमतौर पर किसी फाइल के अंदर रखकर भेजा जाता है। जैसे कि आपको कोई अनजान पर्सन पिडिएफ फाइल को भेजता है और यदि आप उस अटैचमेंट को ऑपन करते हैं तो उसके अंदर वायरस हो सकता है।
इसके अलावा यह किसी दूसरी फाइल के अंदर भी अटैच करके भेजा जा सकता है। आपको किसी अनजान सख्स की तरफ से आने वाले इमेल के बारे मे सावधानी बरतनी चाहिए ।
दोस्तों यदि आप एक कम्प्यूटर चलाते हैं और यदि किसी भी तरह से आपके कम्प्यूटर के अंदर यह वायरस प्रवेश कर जाता है और आपकी फाइलों को खराब करने की धमकी देता है। ऐसी स्थिति के अंदर यदि आपके पास कोई बैकअप नहीं है तो फिर आपको भुगतान करने के अलावा कोई और कोई चारा नहीं बचेगा ।
इस वायरस ने काफी डेंजर प्रभाव डालें। और इस वायरस की वजह से जिन लोगों के कम्प्यूटर ब्लॉक हुए थे । उनमे से अधिकतर ने लगभग $ 3 मिलियन तक का भुकतान किया था। और उसके बाद उनमे से अधिकतर लोगों के डेटा और फाइलों को एकदम से सही कर दिया गया था।
CryptoLocker और इस तरह के दूसरे वायरस को बनाने वाले कौन होते हैं ? और कहां पर रहते हैं। इसके बारे मे कुछ भी पता लगाना आसान नहीं होता है। और आपको यह पता होना चाहिए कि इन लोगों के बारे मे कभी भी कुछ भी पता नहीं चल पाता है।यह बस फिरौती को वसूलते हैं और उसके बाद बस अपने काम पर लग जाते हैं।
और सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह वायरस को बनाने वाले लोग बड़ी बड़ी कंपनियों के लिए बहुत ही बड़ी चुनौती होते हैं। उनको सुरक्षा के लिए हर साल पानी की तरह डॉलर बहाने पड़ते हैं।
CryptoLocker से यदि आपको बचना है तो आपको सही तरीके से ईमेल और उसके अंदर आने वाले अटैचमेंट पर ध्यान देना होगा । आंख् मींच कर कुछ भी खोलने की गलती ना करें ।
Stuxnet
Stuxnet भी एक प्रकार का कम्प्यूटर वायरस होता है जोकि काफी डेंजर होता है।मूल स्टक्सनेट मैलवेयर हमले ने मशीन प्रक्रियाओं को स्वचालित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर (पीएलसी) को लक्षित किया।और यह मुख्य रूप से ईरान के परमाणु के उदेश्य से था।और इस वायरस के बारे मे सन 2010 को पता चला था। यह इजराइल और अमेरिका की मदद से बनाया गया था।यह जो वायरस है वह यूएसबी स्टिक पर यात्रा करता था और माइक्रोसॉफ्ट विंडोज कंप्यूटरों के माध्यम से फैलता था।और सबसे बड़ी बात यह थी कि यह मशीनो को गलत संदेश भेजने का काम करता था और इसके बारे मे तब तक किसी को शक भी नहीं होता था जब तक कि उपकरणों को यह नुकसान नहीं पहुंचा देता था। लेकिन एक बार हार्डवेयर को नुकसान पहुंचने के बाद कुछ भी नहीं किया जा सकता था। इस इसको आगे फैलने से रोका जा सकता था।
Zeus (malware)computer virus in hindi
Zeus (malware) भी एक प्रकार का डेंजर वायरस होता है। जिसको हम कम्प्यूटर वायरस के नाम से जानते हैं। Microsoft Windows के अंदर चलने वाला एक वायरस होता है। जिसका उपयोग हैकर कई तरह की जानकारियों को चोरी करने के लिए करते हैं जैसे कि इसका उपयोग अक्सर मैन-इन-द-ब्राउज़र कीस्ट्रोक लॉगिंग और फॉर्म हथियाने के द्वारा बैंकिंग जानकारी को चुराने के लिए किया जाता है
और यदि हम इसके फैलने के तरीके के बारे मे बात करें तो यह फिशिंग के माध्यम से फैलता है।और इसकी सबसे पहली बार पहचान सन 2007 ई के अंदर हुई थी और अमेरिका के परिवहन विभाग का इसने डेटा चोरी कर लिया था।यह मार्च 2009 में अधिक व्यापक हो गया। और सन 2009 के अंदर 740000 से अधिक एफटिपी खातों तक इसने अपनी पहुंच को बना लिया था। बैंक ऑफ अमेरिका , NASA , Monster.com , ABC , Oracle , Play.com , Cisco , Amazon , और BusinessWeek जैसी कंपनियां भी इस वायरस की शिकार हो चुकी थी।
ज़ीउस एक इस प्रकार का वायरस है जिसका पता कोई एंटिवायरस भी नहीं लगा सकता है। क्योंकि यह आसानी से खुद को इस तरह से छिपाता है कि इसका पता हर किसी को नहीं चल पाता है।मैलवेयर ने 2009 में अमेरिका में 3.6 मिलियन पीसी को संक्रमित किया।
अक्टूबर 2010 में यूएस एफबीआई ने कहा कि जिउस वायरस की मदद से दुनियाभर के कम्प्यूटर को संक्रमिक करने मे कामयाब रहे हैं।वायरस को एक ई-मेल में वितरित किया गया था, और जब व्यवसायों और नगर पालिकाओं में लक्षित व्यक्तियों ने ई-मेल खोला, तो ट्रोजन सॉफ़्टवेयर ने पीड़ित कंप्यूटर पर खुद को स्थापित कर लिया ।
उसके बाद यह वायरस गुप्त रूप से कम्प्यूटर के अंदर खोले जाने वाली चीजों के पासवर्ड और पूरी जानकारी को हैकर के पास भेज देता था। इस तरह से यह वायरस काफी डेंजर तरीके से काम कर रहा था और किसी को इसके बारे मे कुछ भी पता भी नहीं चल रहा था।
और एक बार जब हैकर के हाथ आपका बैंक डिटेल लग जाता है तो उसके बाद आपका सारा खाता साफ किया जा सकता है। और आपके खाते के अंदर जो पैसा है वह किसी दूसरे खाते के अंदर भेज दिया जाता है।
जोकि किसी विदेश के अंदर होता है। और जिस भी खाते के अंदर पैसा चोरी हुआ है वह भी इस स्थिति के अंदर कुछ नहीं कर सकता है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि इस स्थिति के अंदर यदि आप पुलिस के पास भी कम्प्लेंट के लिए जाते हैं तो पुलिस भी कुछ नहीं कर पाएगी ।
mydoom virus
mydoom virus भी एक प्रकार का डेंजर वायरस होता है।mydoom जिसे my.doom , W32.MyDoom@mm , Novarg , Mimail.R और Shimgapi के नाम से भी जाना जाता है, एक कंप्यूटर वर्म है जो Microsoft Windows को प्रभावित करता है । इसे पहली बार 26 जनवरी, 2004 को देखा गया था।और यह दुनिया के अंदर सबसे अधिक तेज गति से फैला जाने वाला वायरस बन चुका है और इसने आई लवयू वायरस को भी पार कर दिया है। इस तरह से यह काफी डेंजर कम्प्यूटर वायरस बन चुका है।
mydoom virus के बारे मे यह कहा गया है कि य किसी को एक ईमेल की मदद से मिल सकता है। और ईमेल के अंदर अटैचमेंट दिया हुआ आता है जिसके साथ यह वायरस हो सकता है। और यदि गलती से कोई उस अटैचमेंट को खोल लेता है तो उसके बाद वायरस कम्प्यूटर के अंदर प्रवेश कर जाता है।
हालांकि कई लोग होते हैं ऐसे जोकि इस तरह से किसी भी अनजान सख्स के इमेल को ऑपन नहीं करते हैं। लेकिन यदि किसी जानकार ने वायरस को भेज दिया हो या उसके कम्प्यूटर के अंदर यह हो तो उसके डॉक्यूमेंट के साथ भी यह चिपक कर आ सकता है। और यदि आप इस तरह के ईमेल को खोते हैं तो उसके बाद यह आपके कम्प्यूटर के अंदर भी प्रवेश कर जाता है।
दुनिया भर में 50 मिलियन से अधिक कंप्यूटरों को संक्रमित करने के लिए फैल गया। mydoom virus ने काफी नुकसान पहुंचाया लेकिन इसके बनाने वाले कभी भी पकड़े नहीं जा सके थे । और सबसे बड़ी बात यह थी कि यह बड़ी बड़ी कंपनियों को टारगेट बना रहे थे। लेकिन कुछ भी कहना अभी मुश्किल है कि इस वायरस को किसने बनाया था।
26 जनवरी 2004: माईडूम वायरस की पहचान पहली बार सुबह 8 बजे। और काफी कम समय के अंदर ही यह वायरस काफी तेजी से दूसरे कम्प्यूटरों के अंदर फैल चुका था।
जब इस वायरस का का हमला SCO समूह की वेबसाइट पर हुआ तो वर्म के पहली बार रिलीज़ होने के कुछ घंटों बाद ही ऑफ़लाइन हो जाती है
7 जनवरी 2004: एससीओ समूह ने कृमि के निर्माता की गिरफ्तारी की सूचना देने के लिए 250,000 अमेरिकी डॉलर का इनाम देने के लिए कहा गया लेकिन कोई इस वायरस को बनाने वाले के बारे मे कुछ भी जानता ही नहीं था।
28 जनवरी 2004 के अंदर इसी वायरस का दूसरा संस्करण खोजा गया था और उसके बाद धीरे धीरे यह वर्जन भी काफी डेंजर होता चला गया जिससे कि दुनिया की चिंता काफी तेजी से बढ गई थी।
Microsoft ने Mydoom.B को बनाने वाले के बारे मे सूचना देने के लिए काफी ईनाम रखा लेकिन इसके बारे मे भी किसी को जानकारी नहीं मिल सकी ।
1 फरवरी 2004: माईडूम से संक्रमित दुनिया भर में अनुमानित दस लाख कंप्यूटरों ने वायरस के बड़े पैमाने पर वितरित इनकार सेवा हमले की शुरुआत की- जो अब तक का सबसे बड़ा हमला है।
23 सितंबर 2004: MyDoom संस्करण U, V, W और X दिखाई देते हैं, जिससे चिंता बढ़ जाती है कि एक नया, अधिक शक्तिशाली MyDoom तैयार किया जा रहा है।
18 फरवरी 2005: MyDoom संस्करण AO प्रकट हुआ।
Sasser
Sasser भी एक प्रकार का कम्प्यूटर वायरस होता है।Sasser एक कंप्यूटर वर्म है जो Microsoft ऑपरेटिंग सिस्टम Windows XP और Windows 2000 के कमजोर संस्करण चलाने वाले कंप्यूटरों को प्रभावित करता है ।इस वायरस को सन 2004 के अंदर बनाया गया था।Sasser के प्रभावों में समाचार एजेंसी Agence France-Presse (AFP) शामिल है, जिसके सभी उपग्रह संचार घंटों के लिए अवरुद्ध हो गए हैं और अमेरिकी उड़ान कंपनी डेल्टा एयर लाइन्स को कई ट्रांस-अटलांटिक उड़ानें रद्द करनी पड़ीं क्योंकि यह एक बहुत ही डेंजर वायरस था जिसने कम्प्यूटरों को खराब कर दिया था।फिनलैंड में अपने 130 कार्यालयों को बंद करना पड़ा । ब्रिटिश कोस्टगार्ड ने अपनी इलेक्ट्रॉनिक मैपिंग सेवा को कुछ घंटों के लिए अक्षम कर दिया था।इसके अलावा इस वायरस के आ जाने के बाद कई लोगों ने अपने कम्प्यूटर को इंटरनेट से ही दूर कर दिया था।7 मई 2004 को, रोटेनबर्ग , लोअर सैक्सोनी के 18 वर्षीय जर्मन स्वेन जसचन , जो उस समय एक तकनीकी कॉलेज के छात्र थे और उनको इस वायरस के बनाने के आरोप के अंदर पकड़ लिया था। और उसके बाद उनके उपर जर्मनी के अंदर मुकदमा चलाया गया और नाबालिग होने की वजह से उसे सिर्फ 21 महिने की सजा ही हो पाई थी। और उसके बाद वह जेल से बाहर आ गया था।
Storm Trojan computer virus in hindi
स्टॉर्म वर्म ( फिनिश कंपनी एफ-सिक्योर द्वारा इसे डब किया गया ) एक फ़िशिंग बैकडोर ट्रोजन हॉर्स है जो माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करने वाले कंप्यूटरों को प्रभावित करता है।स्टॉर्म वर्म ने शुक्रवार, 19 जनवरी, 2007 को यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में हजारों कम्प्यूटरों पर इस वायरस ने हमला करना शूरू कर दिया था।और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यदि कोई कम्प्यूटर इससे संक्रमित हो जाता है तो उसके बाद वह एक ही समय के अंदर 18000 से अधिक ईमेल को सेंड करता है और उसके बाद वह बंद हो जाता है।
स्टॉर्म वर्म का पता लगाने वाली एंटीवायरस कंपनियों की सूची में ऑथेंटियम , बिटडिफेंडर , क्लैमएवी , ईसेफ , एसेट , एफ-प्रोट , एफ-सिक्योर , कैस्परस्की , मैकेफी , सोफोस , सिमेंटेक , ट्रेंड माइक्रो ने देखा कि इस वर्म को बनाने वालों ने इसको लगातार अपडेट किया जाता रहा है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि इसका पता कोई भी एंटिवायरस कंपनी भी आसानी से नहीं लगा सकती थी। इस तरह से देखा जाए तो यह एक काफी डेंजर वायरस है जोकि आपके लिए काफी घातक हो सकता है। हम यदि इसके फैलने की बात करें तो यह आमतौर पर ईमेल की मदद से आसानी से फैल जाता है। तो आपको किसी अनजान जगह से आने वाले मैल को ऑपन नहीं करना चाहिए । यही इस वायरस से बचने का तरीका है।
melissa virus what is computer virus in hindi
मेलिसा वायरस एक मास-मेलिंग मैक्रो वायरस था जिसे 26 मार्च, 1999 को या उसके आसपास जारी किया गया था। इसने माइक्रोसॉफ्ट वर्ड और आउटलुक-आधारित सिस्टम को लक्षित किया । और इस वायरस की जो खास बात थी वह यह थी कि यह वायरस किसी ईमेल की मदद से कम्प्यूटर के अंदर प्रवेश करता था जब यूजर उस मेल को खोलता था तो वह यूजर के कम्प्यूटर को भी संक्रमित कर देता था । उसके बाद यूजर के नाम से उसकी लिस्ट के अंदर रहने वाले लोगों को भी अपने आप ही ईमेल कर देता था। इस तरह से यह वायरस काफी तेजी से फैल जाता था।
यह वायरस 26 मार्च 1999 को डेविड एल स्मिथ द्वारा जारी किया गया था। और उसके बाद डेविड एल स्मिथ को भी पुलिस ने पकड़ लिया था और उनको 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर के नुकसान का आरोप भी लगाया गया था। 1 मई 2002 को, उन्हें संघीय जेल में 20 महीने की सजा सुनाई गई और 5,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया गया।
Sobig
Sobig भी एक प्रकार का कम्प्यूटर वायरस होता है जोकि काफी डेंजर होता है। सोबिग वर्म एक कंप्यूटर वर्म था जिसने अगस्त 2003 में लाखों इंटरनेट – कनेक्टेड, माइक्रोसॉफ्ट विंडोज कंप्यूटरों को संक्रमित किया था। और इसके बारे मे यह पता चला है कि यह सन 2003 के अंदर इस वायरस का पता चल गया था।
सोबिग वायरस एक मेजबान कंप्यूटर को उपर्युक्त संलग्नक के माध्यम से संक्रमित करता है। जब यह शुरू किया जाता है तो वे अपने स्वयं के एसएमटीपी एजेंट इंजन का उपयोग करके दोहराएंगे। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस वायरस ने खुद को निष्कि्रय कर दिया और आपको बतादें कि उसी साल वर्ष 5 नवंबर को, माइक्रोसॉफ्ट ने घोषणा की कि वे सोबिग वर्म के निर्माता की गिरफ्तारी के लिए सूचना के लिए $ 250,000 का भुगतान करेंगे। आज तक अपराधी पकड़ा नहीं जा सका है।
Klez कम्प्यूटर वायरस
दोस्तों Klez भी एक प्रकार का कम्प्यूटर वायरस होता है जोकि ईमेल की मदद से फैलता है और यह पहली बार सन 2001 के अंदर दिखाई दिया था।और एक बार जब यह यूजर के कम्प्यूटर को संक्रमित कर देता है तो उसके बाद यह खुद के पते का प्रयोग करता है और फिर दूसरे यूजर को ईमेल भेजने का काम
करने लग जाता है। इस तरीके से यह लगभ गई सारे कम्प्यूटरों को संक्रमित करने का काम भी करता है। आप इस बात को समझ सकते हैं कि यह कितना डेंजर होता है।
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