यदि आप जानना चाहते हैं शरीर रक्षा मंत्र sharir raksha mantra या देह रक्षा मंत्र तो यह लेख आपके लिए ही है। देह रक्षा मंत्र या शरीर रक्षा मंत्र या शरीर रक्षा कवच साधना के क्षेत्र मे बहुत अधिक महत्व पूर्ण होता है। यदि आप एक साधक हैं तो इसके महत्व के बारे मे अच्छी तरह से जानते ही हैं लेकिन यदि आप एक साधक नहीं हैं तो आप इसके बारे मे नहीं जानते हैं । जो लोग तंत्र मंत्र के मार्ग मे होते हैं उनके पास देह रक्षा मंत्र या शरीर रक्षा मंत्र सिद्व होता है।देह रक्षा मंत्र का अर्थ है शरीर की रक्षा या देह की रक्षा ।
अब बात आती है कि वे किससे देह की रक्षा करना चाहते हैं तो इसका अर्थ है वे दूसरी ताकतों से अपनी देह की रक्षा करना चाहते हैं। जैसे कोई भूत प्रेत की साधना करता है तो भूत प्रेत उस साधक को मौत के घाट उतार सकता है। ऐसी स्थिति मे यदि उसने देह रक्षा मंत्र का प्रयोग किया है तो भूत चाहकर भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।इसी प्रकार से सात्विक उग्र साधना के अंदर भी आपको देह रक्षा मंत्र की आवश्यकता होती है।
तो आप समझ ही चुके हैं कि देह रक्षा मंत्र का प्रयोग क्यों आवश्यक होता है। यदि आप यक्षिणी या यहां तक की अप्सरा साधना भी कर रहे हो तो देह रक्षा मंत्र का प्रयोग करना बेहद की जरूरी होता है।
Table of Contents
1.देह रक्षा मंत्र और शरीर रक्षा कवच मंत्र
नीचे दिये गए मंत्र को आप किसी भी ग्रहण काल से शूरू करें और उसके बाद लगातार 21 दिन 1008 बार मंत्र का जाप करें और जाप करने से पहले हनुमाजी की पूजा करें और उनकी फोटो के आगे दीप जलाएं । मंत्र जाप पूरा होने के बाद हनुमाजी के मंदिर मे जाकर चोला चढ़ाएं उनको भोग लगाएं । और जब आपको इसको प्रयोग करना होतो 7 बार मंत्र पढ़कर अपने शरीर को फूंक मारें ।
ॐ नमः वज्र का कोठा
जिसमें पिण्ड हमारा पैठा
ईश्वर की कुंजी , ब्रह्मा का ताला
मेरे आठोंयाम का यती हनुमन्त रखवाला |
2. शरीर बांधने का मंत्र sharir suraksha kavach mantra
यदि आप कोई भयंकर साधना कर रहे हैं तो आपको अपने शरीर की रक्षा के लिए यह शाबर मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं। यह मंत्र हर प्रकार की साधना के अंदर प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन इस शरीर रक्षा मंत्र का प्रयोग करने से पहले आपको इसको सिद्व करना होगा । शुक्रवार या होली दिवाली के उपर आप यह मंत्र सिद्व कर सकते हैं।पश्चिम दिशा की तरफ मुंह करके वज्रासन की अवस्था में आसन जप करना है।उसके बाद सामने हलवे का भागे लगाएं ।
सरसों के तेल का दीपक जलाएं और लोबान की धूनी देना है। उसके बाद सबसे पहले गुरू मंत्र का जाप करें ।उसके बाद एक माला ओम गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करना होगा ।उसके बाद नीचे दिये गए मंत्र का 1008 जाप काले हकीक की जाप करें ।उसके बाद आसन के नीचे जल को छिड़के और 5 मिनट तक मंत्र सिद्व होने की कामना करें ।
इस मंत्र का प्रयोग करने से पहले आसन पर बैठ जाएं और उसके बाद सुरक्षा मंत्र का 7 आर जाप करें और दाहिने हाथ के उपर फूंक मारे ।उसके बाद उस हाथ को अपने पूरे शरीर के उपर फिरावें । फिर 7 बार मंत्र पढ़कर लोहे के चाकू से अपने चारो ओर घेरा बना लें । उसके बाद आप कितनी भी भयंकर साधना करें । उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा और आप की देह की रक्षा हो जाएगी ।
छोटी-मोटी थमंत वार को वार बांधे
पार को पार बांधे, मरघट मसान बांधे
टोना-टँवर बांधे, जादू वार बांधे
दीठ और मूठ बांधे, बिच्छू-साँपा बांधे
भेडि़या-बाघ बांधे, लखूरी सियार बांधे
अस्सी-अस्सी दोष बांधे, काली का लिलार बांधे
योगिनी संहार बांधे, ताडिका कलेज बांधे,
उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम बांधे, मरी मसानी बांधे,
और बांधे डायन भूत के गुण.
लाइल्लाह को कोट इलल्लाह की खाई,
मोहम्मद रसूलिल्लाह की चोकी हजरत अली की दुहाई।
3. देह रक्षा शाबर मंत्र/ शरीर बांधने का शाबर मंत्र
इस मंत्र को आप किसी भी रविवार को शूरू कर सकते हैं।इसमे आपको सफेद आसन लेना है।रात को जाप कर सकते हैं।पूर्व या उत्तर की ओर मुख रखें और रूद्राक्ष की माला का प्रयोग करें ।
इस मंत्र का 10000 बार जाप करना है। फिर 101बार आहूति देनी होती है। उसके बाद यह मंत्र सिद्व हो जाता है। फिर आपको जब प्रयोग करना होता है तो पानी हथेली पर लें और 4 बार मंत्र बोलकर उस पानी को अपने शरीर पर छिड़क लेना है। और लौहे की कील से अपने चारो ओर घेरा बनाएं ।
ॐ परब्रम्ह परमात्मने नमः मम शरीरे पाहि पाहि कुरु कुरु स्वाहा।
4.मां काली का सुरक्षा घेरा मंत्र
आपको इसके अंदर नीचे दिये गए मंत्र का रात 9 से रात 4 बजे के बीच मे 11 दिन तक 1008 बार जाप करना होता है।चमेली के तेल का आपको दीपक जलाना होगा ।इस मंत्र को 11 बार बढ़कर सूरक्षा घेरा बना सकते हैं। या फिर भोजपत्र के उपर लिखकर आप 108 बार पढ़कर ताबीज बना सकते हैं या फिर यदि आप चाहें तो काली मिर्च के दानों पर मंत्र 1008 बार पढ़ें और उसके बाद महाकाली को नींबू की बली दे ।दोस्तों मंत्र पढ़ने से पहले माता से प्रार्थना अवश्य करें कि वह किस वजह से इस मंत्र को पढ़ रहे हैं।
ॐ कालिका देवी, काल रूपिणी, महाकाली, नव नाड़ी, बहत्तर जाली, मम भयम् हर हर, रक्षाम् कुरु कुरु स्वाहा।
5.प्राणों की रक्षा और रक्षा कवच बनाने के लिए सीता मंत्र
दोस्तों यह मंत्र उस समय प्राणों की रक्षा या शरीर की रक्षा करने का काम करता है यदि आपके घर के अंदर कोई बहुत अधिक बीमार है और आपको लगता है कि उसकी असमय ही मौत हो सकती है तो आप यह मंत्र प्रयोग कर सकते हैं।
नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट ॥
इस मंत्र को आपको दिन के अंदर जितना हो सके जपना है। यदि रोगी खुद जप सकता है तो बहुत ही अच्छा है और यदि रोगी खुद नहीं जपता है तो दूसरा उसको सुना सकता है। ऐसा करने से उसके शरीर की रक्षा होती है।
उपर दिये गए मंत्र का अर्थ भी आपको जान लेना चाहिए ……सीता के प्राणों की रक्षा के संबंध मे हनुमान बता रहे हैं कि शीताजी के नाम के चारो ओर आपके नाम का पहरा है।वे सदैव रामजी का ध्यान करती रहती हैं।आपको भी इसी प्रकार से सोचना है कि आपके चारो ओर कड़ा पहरा है और जमीन आसमा और किसी भी तरह से घुसने का मार्ग नहीं है।सीता जी ने राम का रक्षा कवच धारण किया था।
6.शरीर कीलन मंत्र शरीर रक्षा कवच शाबर मंत्र
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दोस्तों नीचे एक ऐसा मंत्र दिया गया है जिसका प्रयोग आप कहीं पर भी कर सकते हैं। यदि आप इसको एक बार सिद्व कर लेते हैं तो उसके बाद आप रात के अंदर जा रहे हैं तो भूत प्रेत आपके शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं। इसी प्रकार से आपके शरीर को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाएगा । यह बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है।
इस मंत्र को सिद्व करने के लिए आपको मंगलवार के दिन हनुमाजी के मंदिर मे जाना है और उसके बाद 108 बार मंत्र का जाप करना है । ऐसा आपको 21 दिन तक करना है उसके बाद मंत्र सिद्व हो जाएगा और भगवान को भोग लगाएं ।
यदि आप कहीं पर साधना कर रहे हैं तो मंत्र को 7 बार पढ़ें और उसके बाद अपने चारो ओर रेखा खींच दें या पानी की धार बनालें ।उसके बाद उसके अंदर आप निश्चित होकर सो सकते हैं आपको कोई भी चीज नुकसान नहीं पहुंचा पाएगी ।
ॐ नमो आदेश गुरु को। ईश्वर वाचा अजपी बजरी बाड़ा, बज्जरी में बज्जरी बाँधा दसौं दुवार छवा और के घालो तो पलट बीर उसी को मारे । पहली चौकी गणपति, दूजी चौकी हनुमन्त, तिजी चौकी भैंरो, चौथी चौकी देत रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देवजी । शब्द साँचा पिण्ड काँचा, ऐ वचन गुरु गोरखनाथ का जुगोही जुग साँचा, फुरै मन्त्र ईशवरी वाचा ।
7.माता काली रक्षा मंत्र
दोस्तों इस मंत्र को आप किसी माता काली के मंदिर मे जाकर या घर पर शुभ मर्हूत के अंदर 1007 बार जाप करें ।और उसके बाद माता काली को भोग लगाएं । और उनको प्रसन्न करें । दोस्तों उसके बाद 11 बार मंत्र को बोले और फिर अपने शरीर पर हाथ फैर दें ।
ॐ वज्र का सीकड़ ! वज्र का किवाड़ ! वज्र बंधे दसो द्वार ! वज्र का सीकड़ से पी बोल ! गहे दोष हाथ न लगे ! आगे वज्र किवाड़ भैरो बाबा ! पसारी चौसठ योगिनी रक्षा कारी ! सब दिशा रक्षक भूतनाथ !दुहाई इश्वर , महादेव, गौरा पारवती की ! दुहाई माता काली की
8.गुरू गोरख नाथ शरीर रक्षा मंत्र
दोस्तों हम आपको यह बता देना चाहते हैं कि हम अब जो मंत्र बताने जा रहे हैं वह पूर्ण रूप से सिद्व मंत्र है। और आपको इसको अलग से सिद्व करने की आवश्यकता नहीं है।सबसे पहले आपको इस मंत्र को किसी कागज के उपर लिखना होगा ।उसके बाद इस मंत्र को याद करलें और 108 बार होम करें ।उसके बाद जब होली या दीवाली हो तो इस मंत्र का 108 बार जाप करलें और यह सदा के लिए जाग्रत हो जाएगा । उसके बाद आप इसका प्रयोग कहीं पर भी कर सकते हैं।
यदि आप भूत प्रेत जीन निजात से अपनी सुरक्षा करना चाहते हैं तो इस मंत्र को 21 बार पढ़ें और अपने शरीर को फूंक मारदें । ऐसा करने से भूत आपके पास भी नहीं आ पाएंगे ।
अब दूसरा तरीका यह है कि यदि आप अपने शत्रूओं से शरीर की रक्षा करना चाहते हैं तो भी आप इस मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए आपको मंत्र को 41 बार पढ़ना होगा ।अपने हाथों पर फूंक माकर 3 ताली बजाएं ।
इसी प्रकार से जब आप कोई साधना कर रहे हों और घेरा बनाना हो तो मंत्र को 51 बार पढ़ें और चाकू से घेरा बनाएं और चाकू को वहीं पर रोप दें । जब साधना पूर्ण हो जाए तो चाकू से घरे के उपर क्रास करते हुए बाहर निकल जाएं ।
ॐ नमो आदेश गुरु को धरती माता धरती पिता धरती धरे ना धीर बाजे सिंगी बाजै तरतरी आया गोरखनाथ मीन का पूत मूंज का छड़ा लोहे का कड़ा यति हनुमंत हमारे पिंड पीछे खड़ा शब्द सांचा पिंड काचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा ।
9.सरल शरीर रक्षा मंत्र
दोस्तों सबसे पहले आपको नीचे दिया गया मंत्र को किसी भी हनुमान जी के मंदिर के अंदर जाकर 1008 बार जप करलेना चाहिए और उसके बाद 7 बार मंत्र पढ़कर अपनी हथेली पर फूंक मारकर शरीर पर फिरालें ।
ॐ नमों आदेश गुरू को आदेश जय हनुमान वीर महान करथों तोला प्रनाम,
भूत–प्रेत मरी–मशान भाग जाय तोर सुन के नाम, मोर शरीर के रक्षा करिबे
नही तो सिता भैया के सैया पर पग ला धरबे, मोर फूके मोर गुरू के फुके
गुरू कौन गौर महादेव के फूके जा रे शरीर बँधा जा।
यदि आप इस मंत्र की मदद से अपने चारो ओर सुरक्षा चक्र बनाना चाहते हैं तो मंत्र को 11 बार पढ़ें और चाकू से सूरक्षा घेरा बनाएं ।लेकिन इस मंत्र का प्रयोग करने से पहले गुरू मंत्र सिद्व होना जरूरी है।
10.हनुमान शाबर मंत्र
ओम गुरुजी को आदेश गुरजी को प्रणाम, धरती माता धरती पिता, धरती धरे ना धीरबाजे श्रींगी बाजे तुरतुरि आया गोरखनाथमीन का पुत् मुंज का छड़ा लोहे का कड़ा हमारी पीठ पीछे यति हनुमंत खड़ा, शब्द सांचा पिंड काचास्फुरो मन्त्र ईश्वरो वाचा।।
यह हनुमान शाबर मंत्र है। इसकी मदद से आप अपने देह की रक्षा कर सकते हैं। इस मंत्र को पढ़कर अपने चारो ओर चाकू से घेरा बना लेना चाहिए । हालांकि इस मंत्र का प्रयोग करने से पहले इसको सिद्व करना आवश्यक है। इसकी विधि के बारे मे अपने गुरू से परामर्श करें ।
11.देह रक्षा करने का मंत्र लॉक करें
ओम ब्रह्रा शुद्र समस्त मम देह आबध आबध वज्र देह फट
इस मंत्र का प्रयोग करने से पहले आपको सिद्व करना आवश्यक होता है। हनुमानजी की मूर्ति के सामने बैठकर इस मंत्र का 31 दिन तक रोजाना 1 घंटे जाप करना चाहिए और जब प्रयोग करना हो तो मंत्र पढ़कर अपनी देह को फूंक मारनी चाहिए।
12.शरीर रक्षा शाबर मंत्र
दाएं बांध बाए बांध उपर बांध नीचे बांध
आप बांध चाप बांध
आंख कान नाक बांध
हाथ बांध पांव बांध
शत्रु का सारा शरीर बांध।
इस मंत्र को आपको सिद्व करना होगा ।इसके लिए आपको किसी भी दिन 1008 बार इस मंत्र का जाप करना होगा । उसके बाद आप इसको आप प्रयोग कर सकते हैं लेकिन आपको इसकी 11 आहूती देनी होगी । उसके बाद आपको प्रयोग करना हो तो मंत्र को 11 बार पाठ करें । और उसके बाद अपनी साधना कर सकते हैं।
13.शरीर बंधन शाबर मंत्र बजरंग बली का मंत्र
अकवन बीरा कचवन पात गात बांधों ।।
छे दिन नौ रात लोहे की कोठरी बज्र
किवाड़ उसमे राखो आपन पांचो पिंड ।।
और प्राण ,कोई खोले ना खुले कोई खोले
छाती फाट मरे जान जी से जाय ।।
ततवा खार नहाय आ गये परदेश ।
जिया जान से दुहाई बजरंग बली की ।।
आपको इस मंत्र का आपको नहा धोकर 21 बार रोजाना पाठ करना है। बस कुछ ही दिनों के अंदर यह मंत्र प्रभावी हो जाएगा । और आप इसका प्रयोग कर सकते हैं। लाल धागे पर 7 गांठ लागाएं और हर गांठ पर 3 बार मंत्र बोलें ।
14.भैरव बाबा का देह रक्षा मंत्र sharir ki raksha ka mantra
चेत सूना सान औंधी खोपड़ी मरघटिया मसान
बांध दे बाबा भैरों की आन ।।
दोस्तों यह बहुत ही सरल रक्षा मंत्र है। इसको आपको होली या दिवाली किसी भी दिन सिद्व कर सकते हैं। आपको इसको 108 बार जाप करना होता है।प्रयोग के समय 7 बार मंत्र पढ़ना होता है। और उसके बाद शरीर के उपर फूंक मारनी होती है।
15.देह रक्षा मंत्र पॉवर फुल
ओम नमो आदेश गुरू को वज्र व्रजी किवाड़ व्रजी मैं बांधा।।
दशो द्वार जो घाले घात उल्ट वेद वाही को खात पहली चोकी ।।
गणपति की ,दूजी चौकी हनुमंत की तीजी चौकी भैरव की चौथी चौकी
राम रक्षा करने की ,क्ष्री नरसिंह देव जी आए शब्द सांचा ।
पिंड कांचा फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा सत्यनाम आदेश गुरूको
आप इस मंत्र को सिर्फ होली के दिन ही कर सकते हैं।होली वाले दिन आपको दाल ,चावल व हल्दी का टुकड़ा लेकर जाना है। इसके अलावा गोबर के कंडे लेकर जाना है और होलिका मे डालते हुए बोलना है कि हे माता होलिका मेरा निमंत्रण स्वीकार करें । मैं जो कार्य करूंगा उसके अंदर मेरी सफलता दिलाना ।
उसके बाद वहां पर आपको 5 अगरबती जला देनी है।फिर आधी रात को वहीं पर जाना है।और होली के अंदर आपको बैठना है। कोई दिसा में बैठकर 108 बार पढ़ लेना है। और होली का माता से रक्षा के बारे मे बोलना । वह राख को डिब्बे के अंदर डाल देना है। और नारियल को भेंट देना है। और बिना मुड़े घर आ जाना । अब जब आपको प्रयोग करना हो तो आप राख को एक चुटकी अपने माथे पर लगाएं । उसके बाद आपको किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं होगा ।
16.माता काली का रक्षा मंत्र
काली काली महाकाली – इन्द्र की बेटी – ब्रह्मा की साली ।
पीती भर-भर रक्त प्याली – उड़ बैठी पीपल की डाली – दोनों हाथ बजाए ताली ।जहां जाए वज्र की ताली – वहाँ न आए दुश्मन हाली ।
दुहाई कामरू कामाख्या नैना योगिनी की,
ईश्वर महादेव गौरा पार्वती की, दुहाई वीर मसान की।
इस विधि को आपको 40 दिन तक करना है और रोजाना 108 बार मंत्र का जाप करना होगा ।और उसके बाद जब मंत्र का प्रयोग करना हो तो 3 बार मंत्र पढ़ें और उसके बाद ताली बजाएं । जहां तक ताली की आवाज जाएगी । वहां पर किसी प्रकार का भूत प्रेत का खतरा नहीं होगा ।इस प्रयोग के अंदर आपको यह ध्यान रखना होगा कि आप केवल एक ही समय और एक ही जगह पर बैठकर मंत्र का जाप करना है।
17.बिना सिद्व किये शरीर रक्षा मंत्र
ओम गुरूजी को आदेश गुरू
जी को प्रणाम धरती माता
धरती पिता धरती धीरे ना धीर ।।
बाजे क्ष्रंगी बाजे तुर्तुरी ।
आया गोरखनाथ मीन का
पूत मूंज का सड़ा लोहे का
कड़ा हमारी पीठ पीछे यति ।
हनुमंत खड़ा शब्द सांचा पिंड काचा ।
सुफरो मंत्र ईश्वर वाचा ।।
आपको यह मंत्र 108 बार मंगलवार के दिन जाप करना है और उसके बाद आपको हनुमाजी को भोग लगा देना है। बस जब इस मंत्र का प्रयोग करना हो तो 21 बार जप करें और देह पर फूंक मारें ।
हनुमानजी की सवारी बुलाने का मंत्र
इसको प्रयोग करने के लिए आपको सबसे पहले अपने गुरू से परामर्श करना चाहिए । और यदि आप गुरू से परामर्श नहीं करते हैं। तो यह प्रयोग आप नहीं कर सकते हैं।
शेरावाली माता की प्रतिमा किसी बाजोट पर कुमकुम से बनाएं । उसके बाद उसके उपर चार दीपक आपको जलाने होंगे ।फिर आपको वहां पर फूलों को अर्पित करना होगा ।मंत्र शुक्ल अष्टमी या नवरात्रि के दिन जाप करना हैं । और यह मंत्र आपको लगातार जाप करना होगा ।फिर आपको मिठाई का भोग लगाना चाहिए ।यह प्रयोग आपको 21 दिन तक करना होता है। प्रयोग के दौरान सात्विक रहना काफी अधिक जरूरी होता है। और आपको साधना के बीच मे डर भी हो सकता है। लेकिन आपको डरना भी नहीं है।
इसका प्रयोग के लिए हम आपको मंत्र के बारे मे बता रहे हैं।
ॐ नमो आदेश गुरु को,बंगाल से आयी सवारी शेरावाली माता की, आगे चले हनुमान पीछे चले भैरव, साथ मे आये अमुक माता मेरे शरीर को सवारों,सवारी के रूप में रुक जाओ भगत का वाचा सिध्द करो ना करो तो गुरु का मंत्र सच्चा चले छू वाचापुरी
देह रक्षा मंत्र का उपयोग करने के फायदे
दोस्तों देह रक्षा मंत्र का प्रयोग करने के कई सारे फायदे होते हैं। एक देह रक्षा मंत्र आपको अवश्य प्रयोग करना चाहिए । यदि आपको देह को नुकसान होने का डर हो तो । यहां पर हम आपको देह रक्षा मंत्र के कुछ खास तरह के फायदे और सामान्य उपयोग के बारे मे बताएंगे ।
साधना काल मे निडरता
दोस्तों यदि आप एक साधक हैं तो आपको साधना काल के अंदर निडर होना जरूरी होता है। यदि आप निडर नहीं होंगे तो ताकते आपके मन के उपर प्रभाव डालेंगी और आप साधना से भाग खड़े होंगे ऐसी स्थिति मे आपको नुकसान हो सकता है। देह रक्षा मंत्र होने पर साधक को पता होता है कि कोई भूत उसे नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। भले ही वह बाहर कुछ भी करे लेकिन आपके शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा सकता है। जो आपके मन मे निडरता का भाव पैदा करता है।
आपके देह या शरीर की सुरक्षा
दोस्तों एक इंसान जब कोई साधना करता है और वह साधना बहुत ही उग्र है तो देह रक्षा मंत्र उसके लिए बहुत ही काम का होता है। जैसे कोई गणेश की साधना कर रहा है तो गणेश एक उग्र शक्ति है । और यदि आप देह रक्षा मंत्र प्रयोग नहीं कर रहे हैं तो वह भी आपके लिए नुकसान पहुंचा सकती है। उसी प्रकार से कुछ लोग अप्सरा साधना करने के लिए जंगल मे जाते हैं और वहां पर साधना करते हैं। ऐसी साधना से कोई प्रेत आपकी ओर आकर्षित हो सकता है। और वह आपको नुकसान पहुंचा सकता है।इसी संबंध मे एक युवक अपना दुख बता रहा था कि उसने विडियो के अंदर अप्सरा साधना के बारे मे देखा और जंगल के अंदर नंगा होकर साधना करने के लिए बैठ गया । उसके बाद एक दिन मे ही अप्सरा सिद्व हो गई ।
असल मे वह जिसे अप्सरा समझ रहा था वह एक प्रेतनी थी जो उसकी गर्लफ्रेंड बनकर उसके साथ रहने लगी । कुछ समय तो उसे पता नहीं चला लेकिन बाद मे वह उसे हर वक्त परेशान करने लगी तो वह किसी तांत्रिक के पास गया । यह युवक भी बिना देह रक्षा के और गलत तरीके से साधना कर रहा था।यदि कोई भयंकर शक्ति होती तो वह उसे मार भी सकती थी।
शत्रुओं से शरीर की रक्षा के लिए
यदि आपको यह लगता है कि आपके चारो ओर शत्रू हैं और आपको मारने की फिराक मे हैं आपकी जान को खतरा है तो देह रक्षा मंत्र काम करता है। आप यदि शत्रू से धिर गए हैं तो आप देह रक्षा मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं। इसी प्रकार से यदि आप किसी जंगल के अंदर फंस गए हैं और आपको वहां पर जंगली जानवरों का खतरा है तो देह रक्षा मंत्र का प्रयोग करते हुए । अपने चारो और सुरक्षा घेरा बनाएं । ऐसा करने से आपकी देह रक्षा होगी ।
भूत प्रेत से सामान्य देह रक्षा
कई बार ऐसा होता है कि हमे रात बिरात कहीं पर जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति के अंदर हमे यह डर सताता रहता है कि कहीं कोई भूत प्रेत हमको कोई नुकसान पहुंचा ना दे । तो इस स्थिति के अंदर देह रक्षा मंत्र का प्रयोग करना बेहद आवश्यक होता है।
हमारे एक जानकार के साथ इस प्रकार का हादसा हुआ था। वह एक बार रात को 2 बजे पैदल ही घर जा रहा था तो उसको पीछे से आवाजे आने लगी कि उसे पेड़ा देकर जा । क्योंकि वह पेड़ा लेकर जा रहा था। उसके बाद उसने पेड़े तो पीछे फेंके नहीं और वहीं पर खड़ा होकर देह रक्षा मंत्र का जाप कर शरीर पर फूंक मारी उसके बाद घर आ गया । वह एक बेहद की खतरनाख प्रेत था । उस प्रेत ने उसका तो कुछ नहीं बिगाड़ा लेकिन वह उसके पीछे घर आ गया और उसके बाद पेड़ों को फेंका तो वह वापस चला गया ।
देह रक्षा मंत्र का प्रयोग करते समय सावधानियां
दोस्तों कुछ लोगों की समस्या यह होती है कि वे बिना किसी गुरू के परामर्श के देह रक्षा मंत्र को सिद्व कर लेते हैं और इसके अंदर गलतियां हो जाती हैं। मैं जितने भी मंत्र और तंत्र के बारे मे इस वेबसाइट के उपर बताता हूं ।उनको गुरू के परामर्श से ही करना चाहिए । हम इन चीजों के बारे मे अधिक नहीं जानते हैं। बस संग्रह करते हैं। अनुभवी तो गुरू ही हो सकते हैं।
मान लिजिए कि आप सही तरीके से मंत्र को सिद्व नहीं कर पाते हैं और कोई भयंकर साधना के अंदर बैठ जाते हैं तो फिर इसका परिणाम क्या हो सकता है यह आप जानते ही हैं। हां तंत्र के अंदर बहुत से कार्य ऐसे होते हैं जिनको आप बिना गुरू के कर सकते हैं। और उसके अंदर आपको थोड़ी समझ की आवश्यकता होती है।
इस संबंध मे एक साधक ने अपना अनुभव बताया था। उसने बताया कि वह इंटरनेट के उपर देखा कि अप्सरा साधना करले और उसके बाद साधना करने लगा साधना पूरी हो गई । अप्सरा उसके सामने प्रत्यक्ष नहीं हुई लेकिन उसे दिन और रात पायल की झनकार सुनाई देती । इस पायल की झनकार की वजह से वह शनिधाम के अंदर आया था। उसने बताया कि बिना गुरू के किसी भी प्रकार की साधना को नहीं करना चाहिए । यदि आप ऐसा करते हैं तो आप अधिक मुश्बित के अंदर पड़ सकते हैं।
देह रक्षा मंत्र का सही प्रयोग की वजह से साधक का हुआ नाश
दोस्तों जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि देह रक्षा मंत्र सिर्फ किसी गुरू की देख रेख के अंदर सिद्व करना चाहिए । यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो समस्या हो सकती है।
यह घटना हुई बिहार के रहने वाले एक साधक राजगोपाल के साथ। उन्होंने बताया कि प्राचीन काल से ही उनकी तंत्र के अंदर गहरी रूचि रही है। उसी रूचि के चलते इंटरनेट से उन्होंने कई प्रकार की किताबे मंगवाई और किताब के अंदर एक बबूल को सिद्व करने की विधि का दिया हुआ था।यह देखने मे काफी सरल विधि थी ।लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि यह काफी डेंजर साबित होगी । इस विधि के अंदर बबूल की जड़ के अंदर शौच के बाद बचा हुआ पानी डालना होता है।
इस विधि के अंदर बबूल के पेड़ के प्रेत को सिद्व किया जाता है। यह तरीका 21 दिन का होता है। और करने मे तो यह बहुत ही आसान होता है । जब मैंने 15 दिन तक किया तो कुछ नहीं हुआ । उसके बाद जैसे ही 16 दिन हुए उस दिन से मुझे अजीब अजीब से अनुभव होना शूरू हो गया जैसे मेरे साथ कोई चल रहा है। और अचानक से ठंड लगाना । हालांकि मेरे उपर तो प्रेत को सिद्व करने का जनून सवार था तो उन अनुभवों से थोड़ा डरा लेकिन उसके बाद भी यह क्रिया नहीं छोड़ी ।
और जब 21 वे दिन बबलू के पेड़ के अंदर बिना पानी डाले ही जाने लगा तो एक बहुत ही भयंकर प्रेत प्रकट हुआ और उसके देखने के बाद मैं बेहोश हो गया । और जब काफी देर बात कुछ लोगों ने मेरे को देखा और उठाकर घर ले आए । उस वक्त मेरा मानसिक संतुलन खराब हो गया ।पता नहीं कैसे वह प्रेत मेरे पीछे पड़ गया वह घर से बाहर खड़ा होकर पानी मांग रहा था। और इस हरकत से मेरी हालत पागलों के जैसी हो गई ।
मेरी पत्नी को कुछ भी मैंने इसके बारे मे बताया नहीं था।इसलिए उन लोगों को समझ नहीं आ रहा था। वे डॉक्टर के पास मुझे लेकर गए और मे खुद इस वक्त बताने की हालत मे नहीं था। लेकिन डॉक्टर से उपचार नहीं हो सका तो वे किसी तांत्रिक के पास लेकर गए ।तांत्रिक ने पूरी कहानी घरवालों को बतादी और कहा कि यदि आप थोड़ा और समय इसको यहां पर नहीं लाते तो फिर इसका बचना मुश्किल था। उसके बाद तांत्रिक के उपचार से मुझे आराम मिला लेकिन मेरा दिमागी संतुलन लगभग 6 महिने बाद तक सही हुआ । इस लिए कहना चाहता हूं कि बिना गुरू के कोई भी साधना ना करें । वरना आपको खतरनाख नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।
इसी तरह की एक घटना मनोहरी नामक महिला के पिता के साथ हुई थी । इस महिला की शादी हमारे गांव के अंदर ही हुई थी। इसका पिता एक साधक है और एक बार शक्ति हाशिल करने के चक्कर मे समशान के अंदर साधना कर रहा था। लेकिन पता नहीं बीच मे ही श्मसान मे उसकी साधना भंग हो गई और वह घर भाग आया । श्मसान के अंदर सारे मुर्दे उठ खड़े हुए और उसके बाद वे उसकी पीछे आने लगे । उन मुर्दों को शांत करने के लिए उसने अपने हाथ पैर को काट लिया था। घर वालों को लगा की वह पागल हो गया है तो उसको एक मकान के अंदर बंद कर दिया था।
इस प्रकार की घटना बताने का मतलब यह है कि यदि आप रात मे कहीं आते जाते हैं तो सरल देह रक्षा मंत्र प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए कोई गुरू की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि इसमे मंत्र गलत भी हो जाए तो कोई खतरा नहीं होता है। लेकिन जब आप कोई साधना करने के लिए बैठते हैं तो आपके पास सही तरीके से सिद्व किया हुआ देह रक्षा मंत्र होना चाहिए और वह पूरी तरह से काम करने वाला भी होना चाहिए ।
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