नमाज पढ़ने से होते हैं यह चमत्कारी 18 फायदे जानिए

‌‌‌ ‌‌‌इस लेख मे हम बात करेंगे नमाज पढ़ने के फायदे namaz padhne ke fayde के बारे मे विस्तार से बात कर रहे हैं।इस्लाम के अंदर नमाज़ पढ़ना अनिवार्य है। बिना नमाज के कुछ नहीं हो सकता है।कुरान के अंदर यह बताया गया है कि हर मुस्लमान का नवाज पढ़ना पहला कर्त्तव्य है और यही सबसे बड़ा पुण्य भी है।इस्लाम के अंदर 5 वक्त की नमाजें के बारे मे बताया गया है। जो हर मुस्लिम के लिए अनिवार्य है।

  • नमाज़ -ए-फ़ज्र वह पहली नमाज है जो सूर्योदय होने से पहले पढ़ी जाती होगी । आप देख सकते हैं अपने आस पास की जगह पर ।
  • नमाज-ए-ज़ुहर सूर्य ढ़लना शूरू होने से पहले पढ़ी जाती है।
  • नमाज -ए-अस्र तीसरी नमाज है जो सूर्य अस्त होने से पूर्व पढ़ी जाती है।
  • नमाज-ए-मग़रिब सूर्य अस्त होने के तुरन्त बाद पढ़ी ‌‌‌जाती है।
  • नमाज-ए-ईशा यह रात के अंदर पढ़ी जाती है।

‌‌‌कुरान के अंदर नमाज का महत्व बताते हुए लिखा गया है   “वस्त-ईनू बिस्सब्री वस्स्लाह”     

5 नमाजे इंसान के मन को पवित्र करती हैं। संभव है आप 5 नदी के अंदर नहाने के बाद भी अपवित्र रह जाओ लेकिन यदि आप 5 नमाजों को पढ़ते हो तो किसी भी प्रकार से अपवित्र नहीं रह जाते हो । नमाज आपके मन को क्लीन करती हैं।

namaz padhne ke fayde

‌‌‌नमाज के संबंध मे द हिस्ट्री ऑफ मुहम्मद  के अंदर एक किस्सा आता है। जब मुहम्मद  मुस्लमानों समझा रहे थे कि नमाज किस तरह से पढ़ना चाहिए ? उस वक्त इस्लाम का ज्ञान लोगों को नहीं था तो कुछ लोग नमाज को बीच मे ही छोड़कर जा रहे थे तो मुहम्मद  ने कहा की नमाज को बीच मे कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए । ‌‌‌उसके बाद उन अज्ञानी लोगों ने क्षमा मांगी और कहा कि आज के बाद वे कभी भी नमाज को बीच मे छोड़कर नहीं जाएंगे । तब से कोई भी मुस्लि्म नमाज को बीच मे नहीं छोड़ता है। ‌‌‌तो अब आइए जानते है नमाज पढ़ने के फायदे के बारे मे ।

Table of Contents

‌‌‌1.नमाज के फायदे मानसिक शांति देती है namaz padhne ke fayde

दोस्तों आज कल जीवन के अंदर बहुत अधिक संघर्ष हो चुका है। इतना ज्यादा संघर्ष हो चुका है कि रोटी रोटी के लिए बहुत अधिक मेहनत करनी होती है। ऐसी स्थिति मे मन मे उथल पुथल होना संभव है। यदि आप 5 वक्त की नमाज पढ़ते हैं तो इसका अर्थ है आप 5 वक्त अपने मन को ‌‌‌केंद्रित करते हैं।और जब मन केंद्रित होता है तो आप दूसरी फालतू की चीजों को भूल जाते हैं जो आपको परेशान कर रही थी। नमाज से आपका मन एकदम से शांत हो जाता है। कारण यह है कि आपका दिमाग एकदम से फोक्स होता है। ‌‌‌अपने मन की शांति के लिए नमाज पढ़ना बेहद ही जरूरी होता है।इस्लाम मे 5 बार नमाज पढ़ा जाता है जो आपके मन की शांति को बहुत ही बेहतर करता है।

‌‌‌2.नमाज मन की एकाग्रता को बढ़ाती है

मन की एकाग्रता बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है।यदि आपके मन की एकाग्रता कम है तो आप किसी भी काम को बेहतर ढंग से नहीं कर सकते हैं। मन की एकाग्रता को बढ़ाने के लिए नमाज उपयोगी है। जब नमाज पढ़ी जाती है तो सभी को अल्लाह का ध्यान करते रहना होता है यानी उनके अंदर मन ‌‌‌मन को टिकाना होता है।हालांकि यह नए लोगों के लिए काफी कठिन है लेकिन धीरे धीरे सब सही होने लग जाता है। 5 बार नमाज पढ़ने पर आपके मन की एकाग्रता शक्ति बढ़ जाती है। इसी एकाग्रता शक्ति का फायदा आप अनेक चीजों के अंदर उठा सकते हैं। जैसे किसी बिजनेस के अंदर या दूसरी समस्याओं के अंदर आप प्रयोग ‌‌‌ कर सकते हैं।

‌‌‌3.नमाज पढ़ने के फायदे तनाव को कम करती है

नमाज पढ़ने से तनाव भी कम हो जाता है। कुछ लोगों को  डिप्रेशन की समस्या रहती है।तो इस प्रकार की समस्याओं का इलाज नमाज है। यह आपके दिमाग को  शांत करती है और आपके दिमाग को अल्लाह के अंदर लगाती है जिससे अपने आप ही डिप्रेशन कम हो जाती है।

‌‌‌4.नमाज से ही जन्नत संभव है

यदि कोई बिना नमाज के जन्नत मे जाने की सोच रहा है तो यह असंभव है। नबी सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने इरशाद फरमाया है कि जो बंदा जब नमाज़ के लिए खड़ा होता है तो उसके लिए जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। उसके लिए अल्लाह तआला के बीच के परदे हटा दिए जाते हैं।

‌‌‌अधिकतर मुस्लमानों का एक ही मकसद होता है कि उनको मौत के बाद अल्लाह जन्नत दे और इसके लिए वे निरंतर प्रयास ही करते रहते हैं। कुछ मुस्लमान तो ऐसे हैं जो इसके लिए बहुत अधिक प्रयास करते हैं । कहा गया है कि अल्लाह रहम करने वाला है। वह सबकी सुनता है। ‌‌‌तो नमाज पढ़ने का एक फायदा यह है कि आपको जन्नत मिलेगी ।

‌‌‌5.मन के बुरे विचारों को नष्ट करती है नमाज

दोस्तों जब तक हम इस धरती पर हैं तब तक हमारे मन पर शैतानों का भी प्रभाव पड़ता रहता है। जिसकी वजह से गलत विचार और गलत कार्य हमारे से हो जाते हैं।यह विचार जो हमारे मन को मलिन कर देते है और मलिन मन शैतानों को बहुत अधिक पसंद होता है। जब नमाज पढ़ा जाता ‌‌‌तो मन के बुरे विचार दूर हो जाते हैं।कुछ लोगों के मन मे बहुत अधिक नगेटिव विचार आते हैं इन नगेटिव विचारों की वजह से उनको अनेक प्रकार के नुकसान उठाने पड़ते हैं। तो नगेटिव विचार को दूर करने के लिए नमाज एक तरह की दवा की भांति काम करती है।

‌‌‌यदि आप रोजाना नमाज पढ़ते हैं तो आपको पता ही होगा । नमाज की मदद से आपके मन के नगेटिव विचार दूर हो जाते हैं और उसके स्थान पर अच्छे विचार आते हैं जो आपके जीवन के अंदर कुछ अच्छा करने मे मदद करते हैं।

‌‌‌6.नमाज पढ़ने से गुनाह माफ होते हैं

 मिशकात शरीफ़ जिल्द अव्वल सफ़ा 58 के अंदर कहा गया है कि जिस प्रकार से सर्द मौसम के अंदर हवा के चलने से पेड़ों के पत्ते अपने आप ही गिर जाते हैं। उसकी प्रकार से नमाज पढ़ने से अल्लाह हर गुनाह को माफ कर देते हैं और पाप नष्ट हो जाते हैं।

‌‌‌वैसे इंसानी जीवन के अंदर कई तरह के गुनाह हो ही जाते हैं।और इनमे से कुछ गुनाह तो हम जानबूझ कर ही कर देते हैं तो इनमे से कुछ गुनाह अनजाने के अंदर हो जाते हैं तो अल्लाह उन गुनाह को माफ करने वाला है ।

‌‌‌7.सिर्फ नमाज ‌‌‌ही आपकी दुआ को कबूल करवा सकती है

यदि कोई मुस्लिम नमाज नहीं पढ़ता है तो उसकी कोई भी दुआ कबूल नहीं हो सकती है। यदि आप कोई दुआ कबूल करवाना चाहते हैं तो आपको नमाज अदा करनी ही होगी बिना नमाज के कुछ नहीं होगा । ‌‌‌कुछ लोग जो तंत्र वैगरह का काम करते हैं।उनको तो 5 वक्त की नमाज पढ़ना बहुत ही जरूरी होता है क्योंकि कोई भी तांत्रिक क्रिया बिना नमाज के नहीं हो सकती है। ‌‌‌जब आप नमाज पढ़ते हैं तो अल्लाह अवश्य ही आपकी बात को सुनते हैं और आपकी दुआ कबूल होती है।

‌‌‌8.नमाज ही असली मुस्लिम की पहचान है

तफ़सीर नईमी जि. 5 स. 264 के अंदर लिखा गया है कि किसी को भी नमाज पढ़ने के लिए मना नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना नमाज का अपमान होगा । यदि आप मस्जिद के अंदर जाकर नमाज नहीं पढ़ सकते हैं तो घर पर या जहां पर काम कर रहे हैं वहां पढ़ सकते हैं। नमाज के लिए ‌‌‌ मना करने वाले को काफिर कहा गया है। जिसका अर्थ है कि वह दूसरे धर्म का व्यक्ति है।

‌‌‌9.यह शैतानों को दूर भगा देती है

आमतौर पर धरती पर कई सारे शैतान रहते हैं लेकिन हम उनको नंगी आंखों से नहीं देख सकते हैं। यह शैतान कभी भी ऐसे व्यक्ति के पास भी नहीं फटकते हैं जो 5 वक्त का नमाज पढ़ते हैं शैतान उनसे दूर भाग जाते हैं क्योंकि शैतान अल्लाह से डरते हैं। ‌‌‌कहने का मतलब यह है कि यदि आप 5 वक्त की नमाज पढ़ते हैं तो कोई भी बुरी शक्ति आपको कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकती है।

‌‌‌10.कमर दर्द की समस्या दूर होती है

नमाज एक तरह का व्यायाम भी होता है।जिसका अर्थ यह है कि इसके अंदर आपकी कमर पर भी जोर पड़ता है। जिन लोगों की कमर मे दर्द होता है उनको नमाज पढ़ने से आराम मिलता है।

‌‌‌11.गर्दन की कसरत होती है

नमाज पढ़ने का एक फायदा यह भी होता है कि आपको नमाज के अंदर गर्दन को बाएं दाएं घूमाना होता है। ऐसा करने से गर्दन की कसरत होती है । कई बार गर्दन के अंदर अकड़न हो जाती है। तो इस तरह का व्यायाम किया जाता है जो गर्दन की अकड़न को दूर करने का काम करता है।

‌‌‌12.यह आपको अधिक धार्मिक बनाती है

यह आपको अधिक धार्मिक बनाती है

आमतौर पर जब इंसान सिर्फ काम के अंदर ही बिजी रहता है जैसा कि दूसरे धर्मों के अंदर होता है। लोग लंबे समय तक मंदिर और चर्च तक नहीं जाते हैं। तो इसका सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ता है। ‌‌‌ऐसा करने से समाज अपने धर्म से कटता चला जाता है और वह पैसा कमाने को ही अपना धंधा बना लेता है। जैसा कि हिंदु धर्म मे हो रहा है लोग वर्षों तक मंदिर नहीं जाते हैं ऐसी स्थिति मे इंसान धर्म के नियमों को भूल जाता है और वासनाओं की पूर्ति की सब कुछ मान लेता है।

‌‌‌5 वक्त की नमाज अदा करने के पीछे यह बहुत बड़ा फायदा है कि हर मुस्लिम के लिए अपना धर्म सबसे पहले हो और बाकी दूसरे कार्य बाद मे हो । जब 5 वक्त की नमाज अदा हर दी की जाती है तो इंसान कैसे अपने धर्म से भटक सकता है तो नमाज आपको अपने धर्म के प्रति निरंतर जागरूक बनाती रहती है । ‌‌‌और आप धर्म के नियमों पर चलने वाले इंसान बने रहते हैं।

‌‌‌13.शारिरिक परेशानियों का अंत होता है

यदि आप 5 वक्त की नमाज रोजाना पढ़ते हैं तो अल्लाह आपके उपर रहम फरमाता है और आपको जो भी बीमारी लगी है वह अपने आप ही दूर हो जाती है। क्योंकि अल्लाह अपने बंदों पर दया करने वाला है।‌‌‌नमाज के अंदर अल्लाह के आगे सर झुकाने का अर्थ यही होता है कि हे अल्लाह हम तुम्हारे बंदे हैं हम पर अपना रहम फरमा होता है।

‌‌‌14.जीवन की समस्या समस्याओं का अंत होता हैं

इस जीवन के अंदर अनेक प्रकार की समस्या होती हैं जैसी पैसा की कमी और मनमुटाव यह सारी समस्याएं नमाज पढ़ने से दूर हो जाती है।‌‌‌अल्लाह सब कुछ देखता है उसकी नजर से कुछ भी बच नहीं सकता है। जब अल्लाह के आगे इबादत की जाती है तो प्रसन्न होकर अपने बंदों पर दया करता है।

‌‌‌15.सबसे प्रिय चीजों को अल्लाह को अर्पण कर देना है

‌‌‌अल्लाह को प्रिय चीजों को अर्पण करने वाला उसका सबसे प्रिय बंदा होता है और यही नमाज का अर्थ होता है। इस संबंध मे इस्लाम मे एक कहानी का उल्लेख किया जाता है। एक बार अल्लाह नें हज़रत इब्राहिम से कहा कि वे चाहते हैं कि उनको आपकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी चाहिए । तब हज़रत इब्राहिम ‌‌‌ने अपने सबसे प्रिय बेटे की कुर्बान देने के लिए वार किया अल्लाह की शक्ति उनके बेटे की गर्दन नहीं कटी । उसके बाद एक बकरे की कुर्बान दी गई है।

इस कहानी का अर्थ है कि मुस्लमानों को सिर्फ अल्लाह के सिवाय किसी को अपना प्रिय नहीं बनाना चाहिए । मतलब उनके के लिए अल्लाह से प्यारा कोई दूसरा ‌‌‌ नहीं है। अपनी हर प्यारी से प्यारी चीजों को बस अल्लाह की ही समझनी चाहिए । वे बस अल्लाह नें उपयोग के लिए दी हैं । उनसे दिल नहीं लगाना चाहिए । दिल सिर्फ अल्लाह से ही लगाया जा सकता है।

‌‌‌नमाज के अंदर अल्लाह के आगे झुकने का अर्थ यही है कि सिवाय अल्लाह के दूसरा कोई भी नहीं है। और अल्लाह के आगे इस संसार की चीजों का कोई मतलब नहीं है।

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‌‌‌16.यह सामाजिक मेल जोल बढ़ाती है

नमाज का एक बड़ा फायदा यह है कि यह एक दूसरे से सामाजिक मेल जोल भी बढ़ाने का काम करती है। जब आस पास के सारे लोग एक साथ किसी मस्जिद के अंदर आते हैं तो उनके मेलजोल बढ़ता है। जो उनको अधिक सामाजिक बनाने का काम करता है। ‌‌‌वरना तो मैं कई जगह पर देखता हूं कि लोगों को यही पता नहीं होता है कि उनके घर के पास कौन रहता है ? लेकिन अधिकतर मुस्लिम आसानी से एक दूसरे परिवार के साथ जुड़ जाते हैं क्योंकि वे साथ नमाज पढ़ने जाते हैं।

जन्न्नत के दरवाजे खुल जाते हैं

दोस्तों अल्लाह ने किताब के अंदर बताया है , कि जो मोमिन नमाज को बढ़ता है। और अपने काम को छोड़ कर जो उसके आगे सर को झुकाता है। उसके लिए जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं। और इस तरह का मोमिन इस दुनिया को जब छोड़कर जाता है , तो वह सीधे जन्नत के अंदर जाता है। उसके दोजख के अंदर भटकने की कोई भी जरूरत नहीं होती है।

वैसे भी हर मुस्लिम यही चाहते हैं , कि मरने के बाद उनको किसी तरह से जन्नत नसीब हो जाए । और जन्नत किसी को आसानी से नहीं मिलती है। आप इस बात को समझ सकते हैं ।

सभी बुराइयों का अंत हो जाता है

कहा जाता है , कि जो इंसान नमाज को अदा करता है , उसके अंदर की सभी तरह की बुराइयों का अंत हो जाता है। हम इंसानों के अंदर अनेक तरह की बुराइयां होती हैं। और बुराइयों की वजह से ही हमें नर्क या दोजख को भुगतना पड़ता है। मगर जो सख्स नमाज को अदा करता है , उसकी सभी मन की बुराइयों को अल्लाह दूर कर देते हैं।

‌‌‌इस्लाम मे ‌‌‌जुमे की नमाज के नियम

जैसा कि हमने आपको उपर बताया इस्लाम के अंदर नमाज पढ़ना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। हर मुस्लमान के लिए यह जरूरी है।वैसे तो 5 वक्त की नमाज हर दिन पढ़ी जाती है लेकिन जो व्यक्ति हर दिन नमाज नहीं पढ़ पाते हैं उनको शुक्रवार के दिन जरूरी ही नमाज को पढ़ना चाहिए । ‌‌‌शुक्रवार को अल्लाह ने खुद ही निर्धारित किया था।इस दिन को जुमे का दिन कहा जाता है और इसमे तीन नियमों का ध्यान रखना होता है।

‌‌‌पहले नियम को गुसल कहा जाता है जिसका अर्थ है कि नमाज पढ़ने से पहले खास कर शुक्रवार के दिन नमाज पढ़ने से पहले स्नान करना होता है।ऐसा करने से शरीर पाक हो जाता है। ‌‌‌इसके अलावा जुमाने की नमाज पढ़ने के लिए जाते समय इत्र लगाना भी जरूरी होता है। और तीसरा नियम होता है सिवाक जिसका अर्थ होता है जाते समय अपने दांतों को साफ करना बेहद ही जरूरी होता है।

अज़ान

अल्लाहु अकबर,

अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाह,

अशहदु अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह,

हय्या अलस्सलात,

हय्या अलल फ़लाह,

हय्या अला ख़ैरिल अमल,

अल्लाहु अकबर,

ला लाहा इल्लल्लाह,

इक़ामत में सतरह जुम्ले हैं, जो इस तरह हैं।

अल्लाहु अकबर,

अशहदु अन ला इलाहा इल्लल्लाह,

अशहदु अन्ना मुहम्मदर रसूलुल्लाह,

हय्या अलस्सलात,

हय्या अलल फ़लाह,

हय्या अला ख़ैरिल अमल,

क़द क़ा-मतिस्सलात,

अल्लाहु अकबर,

ला इलाहा इल्लल्लाह,

‌‌‌अजान के बारे मे तो आप जानते ही होगें 5 वक्त उपर लिखी लाइने बोली जाती हैं। तो नमाज के फायदे लेख के अंदर हमने यह जाना कि नमाज पढ़ने से क्या क्या फायदे होते हैं तो हम यह समझते हैं कि आपको यह लेख समझ आया होगा । आपके विचार कमेंट के माध्यम से बताएं ।

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arif khan

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