अब हम यहां पर बात करने वाले हैं बकरे का वजन कैसे बढ़ाएं ?बकरे को मोटा ताजा करने का उपाय ,बकरे को मोटा करने का घरेलू उपाय के बारे मे हम आपको विस्तार से बताने वालें हैं। इस लेख के अंदर सम्पूर्ण जानकारी है।
बकरी पालन आज एक अच्छा व्यवसाय बन चुका है। और देश के कई हिस्सों के अंदर बकरी पालन किया जा रहा है। खास कर राजस्थान और झारखंड के अंदर बकरी पालन बहुत अधिक किया जाता है लेकिन किसानों को बकरी पालन के सही तरीके के बारे मे जानकारी नहीं होने की वजह से वे अधिक लाभ नहीं कमा पाते हैं।इसके पीछे एक कारण यह भी है कि अधिकतर किसान अनपढ़ होते हैं और पुराने तरीके से ही बकरी पालन करते हैं ।
ऐसी स्थिति मे कई बार तो बकरियों की मौत हो जाती है तो कई बार उनकी कीमत अच्छी नहीं बैठ पाती है। आपको पता ही होगा कि बकरियों की कीमत उनके वजन के आधार पर होती है।यदि बकरी का वजन कम है तो उनकी कम कीमत ही उठेगी ।सही आहार का ज्ञान नहीं होने की वजह से भी बकरियों का वजन कम हो जाता है।
आपको बतादें कि भारत के अंदर 55 लाख लोगों की आजीविका सिर्फ बकरी पालन से ही जुड़ी हुई है। 19 वीं पशुगणना के अनुसार भारत के अंदर 135.17 मिलियन बकरियां मौजूद हैं।आज बहुत से किसान ऐसे हैं जो बकरी पालन करके लाखों की कमाई कर रहे हैं ।लेकिन इसके पीछे कई चीजों के बारे मे जानकारी होनी चाहिए । यदि आपके पास बकरी की अच्छी किस्म है तो आप भी आसानी से अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
लेकिन आजकल के बहुत से युवाओं को बकरी पालन पसंद नहीं है। उनको 200 रूपये की नौकरी चाहिए होती है। मैं ऐसे अनेक लोगों को जानता हूं जो आसानी से बकरी पालन कर सकते हैं लेकिन वे मेहनत नहीं करना चाहते हैं।यदि आप भी बकरी पालन करने की सोच रहे हैं तो आप इसको 21 बकरियों से शुरू कर सकते हैं और बरबरी बकरी आप पाल सकते हैं जो एक बार मे 3 से 4 बच्चे देती है जो आपके लिए बहुत अधिक मुनाफे का सौदा हो सकता है।
आमतौर पर अधिकतर किसान बकरी पालन करते हैं लेकिन उनमे से बहुत से किसान गलती करते हैं वे सुबह बकरी को खोलते हैं और उसके बाद खेत के अंदर उनको लेकर जाते हैं। वहां पर चरा कर शाम को वापस घर लेकर आते हैं और बांध देते हैं। ऐसा करने से बकरी तो बची रहेगी लेकिन उसके वजन के अंदर बढ़ोतरी नहीं होगी ।बकरी का वजन बढ़ाने के लिए आपको उसे आहार देना होगा ।
बकरी एक जगुली करने वाला जानवर होता है।जो एक बार मे नहीं वरन रूक रूक कर जुगाली करके खाता है।आपने देखा होगा कि बकरियां खेत और जंगल मे घूम घूम कर खाती है।वैसे आप इनको खूंटे से बांध कर खिला सकते हैं लेकिन बारबरी और सिरोही बकरी को आप बांध कर खिला सकते हैं तो सबसे पहले आपको यह तय करना चाहिए कि यदि आप बकरियों को चराने ले जा सकते हैं तो आप किसी भी नस्ल की बकरी का चुनाव कर सकते हैं । वरना अक्सर शहरी लोग बकरी को घर पर ही खिलाते हैं तो वैसी स्थिति मे बारबरी सबसे अच्छी है।
- वैसे यदि आप केवल चराकर ही बकरी को पाल रहे हैं तो उसके वजन मे बढ़ोतरी नहीं होगी और कीमत भी कम उठेगी । चराकर बकरी वहां पर पाली जाती है जहां पर अधिक भूमी की उपलब्धता होती है। खास कर गांवों मे इसी प्रकार से बकरी को पाला जाता है।
- बकरी पालने का दूसरा तरीका यह है कि आप उनको केवल खूंटे से ही बांध कर रखते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर बकरियां अधिक मोटी हो सकती हैं। यदि आप उनके उपर अधिक ध्यान देते हैं तो लेकिन कुछ जगहों पर यही भी देखा गया है कि खूंटे से बांधने के बाद उनको दाना पानी समय पर नहीं मिलने की वजह से भूखी मरती हैं।
- बकरी पालन का एक तरीका यह है कि इसमे बकरियों को 7 से 6 घंटे तक खेत के अंदर चराने के लिए लेकर जाया जाता है और उसके बाद घर के अंदर भी बांध कर उनको चारा और हरी पतियों को खिलाया जाता है। यह बकरी पालने की उत्मम विधि है इसके अंदर बकरी जल्दी ही मोटी हो जाती हैं ।और उनकी कीमत भी अधिक उठती है।
Table of Contents
बकरे को मोटा ताजा करने का उपाय चारे का प्रयोग
आमतौर पर बकरियों को मोटा करने के लिए 3 अलग अलग प्रकार का चारा दिया जाता है।इसके अंदर हरा चारा ,सूखा चारा और दाना । इन सभी का अपना महत्व होता है। हम यहां पर तीनों प्रकार के चारे के बारे मे विस्तार से बात करेंगे ।
बकरियों के लिए अलग अलग प्रकार का चारा
यहां पर हम आपको अलग अलग प्रकार के हरे चारे के बारे मे बता रहे हैं जो आप अपनी बकरी को जिससे वे अधिक मोटी होंगी और बकरी का वजन बढ़ जाएगा ।
बरसीन हरा चारा
यह रबी मौसम की चारे की फसल है और इसको अक्टूबर माह के अंदर बोया जाता है । पहली कटाई ढेड माह के अंदर होती है।आप इसकी 15 दिन तक के अंतराल की सींचाई कर सकते हैं।प्रति हेक्टर आप 500 केजी हरा चारा ले सकते हैं।इसमे प्रोटीन की जो मात्रा है वह 20 प्रतिशत तक होती है और यह बकरी के आहार का 50 प्रतिशत तक दे सकते हैं।
N. | प्रजातियॉ | हरा चारा | क्षेत्र |
1. | वरदान | 900-1000 | उत्तर प्रदेश |
2. | मेस्कावी | 800-900 | उत्तर प्रदेश |
3. | बुंदेलखण्ड बरसीन-2 | 900-1100 | उत्तर प्रदेश |
4. | बुंदेलखण्ड बरसीन-3 | 950-1100 | सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश पश्चिमी व पूर्वी क्षेत्र |
प्रति हेक्टेयर 25-30 किग्रा० बीज बोते है। और इसकी कटाई 8 से 10 सेमी उपर आने पर ही करनी चाहिए ।इसकी दो से 3 कटाई के बाद बीच उत्पादन के लिए कटाई बंद कर सकते हैं।
यदि आपके पास केवल एक या दो बकरी है तो आप इस चारे को खरीद कर ला सकते हैं या फिर दूसरे विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। यह बकरी का वजन बढ़ाने का तरीका एकदम से अच्छा है। जो अधिक बकरी पालक हैं वे इसे अपने खते मे उगा सकते हैं।
Lucerne हरा चारा
इस चारे को अक्टूबर माह के अंदर बोया जाता है और उसके बाद इसकी कटाई 40 से 45 दिन के बाद ही की जाती है।इसको प्रति हेक्टर 1000 किलो तक प्राप्त किया जा सकता है। ल्यूसर्न या अल्फाल्फा (मेडिकैगो सैटिवा) एक गहरी जड़ वाली, समशीतोष्ण, बारहमासी चराई की फलियां है।
ल्यूसर्न की गहरी जड़ें मिट्टी को सुखा सकती हैं और इस तरह अधिक समय में पानी को जमा करने की मिट्टी की क्षमता को बढ़ाती है और इसकी वजह से रेत के अंदर जल भंडारण की क्षमता बढ़ जाती है।
ल्यूसर्न चारा आप कभी भी उगा सकते हैं आप इसको गर्मी के अंदर उगा सकते हैं। इसके अलावा वसंत और सर्दी के अंदर भी आप उगा सकते हैं।बारिश के मौसम मे यह 20 से 25 मिमी बहुत ही जल्द बढ़ जाता है।
ल्यूसर्न को यदि आप एक बार लगा देते हैं तो उसके बाद यह यह अनियमित वर्षा पैटर्न के अनुकूल होता है, लेकिन यह विस्तारित शुष्क अवधि के दौरान निष्क्रिय दिखाई देगा।यह 325 मिमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में बढ़ता है, लेकिन 700 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी गर्मी उत्पादन भी प्रदान करता है।
यह घास आपकी बकरी को मोटा करने और उसका वजन बढ़ाने मे बहुत ही उपयोगी है।यह घास उच्च प्रोटीन (12-24%) की चयापचय ऊर्जा के साथ 65-72% की पाचनशक्ति प्रदान करता है। ल्यूसर्न कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस और विटामिन ए और डी का भी स्रोत है।जिससे खाकर आपकी बकरी बहुत ही जल्दी मोटी हो जाएगी । यह घास आपके खेत के अंदर नाइट्रोजन का स्तर भी बढ़ाने का काम करता है।
- इस घास के कई सारे फायदे होते हैं जैसे
- बकरी के स्वास्थ्य मे सुधार रहता है।
- यहां तक कि मौसमी पशुधन फ़ीड और सीजन के बाहर चारे के अवसर पैदा करता है।
- मिट्टी की उर्वरता और संरचना में सुधार
- खरपतवार के बोझ को कम करें
बकरे को मोटा करने का घरेलू उपाय जड़वाली फसलें
गाजर और चुकंदर आप चुन्नी मिलाकर बकरे को खिला सकते हैं। ऐसा करने से बकरे का वजन बढ़ता है।यदि आप बड़ी संख्या के अंदर बकरियों को पालते हैं तो यह उन बकरों को दे सकते हैं जो आप बेचने का विचार कर रहे हैं।
बकरे को मोटा करने का घरेलू उपाय गोभी की पतियां
आमतौर पर यदि आप खेती करते हैं और सब्जी वैगरह की खेती करते हैं तो गोभी की पतियां और गाजर के पौधे व मूली वैगर की पतियों को आप उनको खिला सकते हैं। यह बकरी का वजन बढ़ाने का उपाय है। यदि आप खेती नहीं करते हैं तो भी आप अपने घर के अंदर एक या दो क्यारी मे गाजर और भूली उगा सकते हैं जो आपके लिए भी फायदेमंद होगा ।
अरहर की पतियां
अरहर की पतियां बकरी के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होती हैं।अरहर का प्रयोग अधिकतर दाल के रूप मे किया जाता है।भारत के अंदर इसकी खेती होती है। और इसका पौधा होता है जो बहुवर्षिय होता है। आप अपने घर के अंदर भी इसको उगा सकते हैं। इसकी कई सारी किस्मे मार्केट के अंदर उपलब्ध हैं । भूमि की योग्यता के अनुसार आप इसकी किस्म का चुनाव कर सकते हैं। इसके पौधे की पतियां आप अपनी घर की बकरियों को खिला सकते हैं और बीज का प्रयोग दाल के रूप मे किया जा सकता है। जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह के अंदर इसकी बुआई की जाती है।
अरहर की किस्में/विकसित वर्ष | उपज क्वि./हे. | फसल अवधि | विशेषताऐं |
उपास-120 (1976) | 10-12 | 130-140 | असीमित वृद्धि वाली, लाल दाने की , कम अवधि में पकने वाली जाति |
आई.सी.पी.एल.-87 (प्रगति,1986) | 10-12 | 125-135 | सीमित वृद्धि की कम अवधि में पकती है। बीज गहरा लाल मध्यम आकार का होता है। |
ट्राम्बे जवाहर तुवर-501 (2008) | 19-23 | 145-150 | असीमित वृद्धि वाली, लाल दाने की , कम अवधि में पकने वाली, उकटा रोगरोधी जाति है। |
लोबिया
लोबिया एक प्रकार की फसल होती है जिसका प्रयोग चारे के रूप मे किया जा सकता है। यह बकरियों के लिए सबसे अच्छी होती है। इस फसल को आप बाजरा और ज्वार के साथ मिलकर बो सकते हैं। प्रति हेक्टर क्वीं हरा चारा प्राप्त कर सकते हैं। इस पौधे के उपर एक लंबी फली लगती है जिसको पका कर खाया जाता है।
लोबिया प्रोटीन, कैल्शियम और लोहे का मुख्य स्त्रोत है जो आपकी बकरी के लिए बहुत उपयोगी होती है। आप इसके पौधे की पतियों को भी अपनी बकरी को खिला सकते हैं। लोबिया की खेती के लिए आर्द और गर्म जलवायु अधिक उपयोगी होती है । ठंडे मौसम के अंदर पैदावार रूक जाती है। यह ऐसे क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त होती है जहां का तापमान 25 से 27 डिग्री तक रहता है।
इसकी बुवाई फरवरी -मार्च में तथा वर्षा के मौसम में जून अंत से जुलाई माह मे की जा सकती है।इसकी बुआई करते समय यह ध्यान मे रखना चाहिए कि बीज की दूर 10 सेमी होनी चाहिए ।इससे पहले बीज का राजजोबियम नामक जीवाणु से उपचार करें और भूमी के अंदर नमी को देखें ।
बकरे को मोटा करने का घरेलू उपाय नेपियर या हाथी घास
नेपियर या हाथी घास के अंदर कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं।यह आपकी बकरी का वजन बढ़ाने के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है।इसके अंदर प्रोटिन 8 से 10 प्रतिशत ,क्रूड रेशा 30 प्रतिशत और कैल्शियम 0.5 प्रतिशत व पाचक क्षमता 60 प्रतिशत तक होती है। इस चारे को आप दलहनी चारे के साथ प्रयोग मे ले सकते हैं।
भारत के अंदर एक वर्ष मे आप इस घास की 6 से 7 कटाई ले सकते हैं और हाथी घास की प्रत्येक कटाई के अंदर 250 क्वीं प्रति हेक्टर चारा आसानी से प्राप्त हो जाता है। इसको आप पांच से आठ पीएच की रेत के अंदर उगा सकते हैं और यह गर्मी की फसल है। 31 डिग्री वाले इलाकों के अंदर यह काफी अच्छी तरीके से काम करती है। यदि तापमान 15 डिग्री से नीचे गिरता है तो फिर पैदावार कम हो जाती है।
यह घास सबसे पहले अफ्रिका के अंदर पैदा किया गया था। उसके बाद वहां पर यह तेजी से लोकप्रिय हुई तो सन 1912 के अंदर भारत मे लाई गई और यहां पर भी यह काफी लोकप्रिय हो गई। इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि आप इसको एक बार लगाएं और 5 से 6 साल तक लगातार हरा चारा पा सकते हैं।इस घास के बीज आपको मार्केट के अंदर आसानी से मिल जाएंगे । यदि आपके आस पास की दुकान पर नहीं मिलते हैं तो आप अमेजन से खरीद सकते हैं।
बकरे को मोटा करने का घरेलू उपाय गिनी घास
गिनी घास बकरी के लिए बहुत ही उपयोगी घास होता है।यह बहुत तेजी से बढ़ने वाला घास है और स्वादिष्ट भी होता है।एक साल के अंदर इस घास को 6 से 8 बार काट सकते हैं।गिनी घास 15 डिग्री से लेकर 38 डिग्री तक के तापमान मे पनपता है। अधिक नमी होने की स्थिति मे उत्पादन कम हो जाता है।
गिनी घास को जून और जुलाई मे बोना चाहिए ।इससे एक माह पहले इस घास के बीज को नर्सर मे आप उगाकर पौध तैयार कर सकते हैं और उसके बाद खेत मे इसे लगा सकते हैं।गिनी घास की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। जैसे बुंदेल गिनी 1 से लेकर 4 तक ।
आपको बतादें कि गिनी घास को एक बार उगाने के बाद आप 2 से 3 साल तक उपयोग कर सकते हैं। उसके बाद नया गिनी घास उगाने की आवश्यकता होती है।
बंजर भूमि में उगने वाले चारे
यदि हम बंजर भूमी के अंदर उगने वाले चारे की बात करें तो अधिक भारत के इलाकों के अंदर खेजड़ी ,नीम ,बबूल शीश आदि की कोमल पतियों को एकत्रित करके आप बकरी को खिला सकते हैं। इससे भी बकरी का मोटापा बढ़ता है।
बकरे का वजन कैसे बढ़ाएं मैदानी क्षेत्रों के वृक्ष से मिलने वाले चारे
हरे चारे के रूप मे आप बरगद ,गूलर ,पीपल और जामुन की पतियों का आप बकरी को चारे के रूप मे दे सकते हैं। यह सदाबहार पेड़ हैं और आप इनकी पतियों को बकरी को रोजाना 2 से 3 किलो तक दे सकते हैं।
सूखा चारा
सूखा चारा भी बकरी के लिए अच्छा होता है।बबलू की सूखी पतियां ,अरहर ,चना और मटर का भूंसा ,बरसीम और लूसर्न आदि के सूखे चारे को आप बकरियों को खिला सकते हैं।गेंहू के भूसे को सानी के अंदर मिलाकर खिलाने से भी भूसे की बरबादी नहीं होती है। यह बकरियों के पाचन मे ठीक रहता है।
दाना
बकरी के बहेतर स्वास्थ्य के लिए हरे चारे के साथ साथ दाना भी दिया जाना बेहद ही आवश्यक होता है। दाने के अंदर आप ,जौ ,मकई ,और गेंहू दे सकते हैं। इनको खली मे मिलाकर दे सकते हैं।इसके अंदर प्रोटीन ,विटामिन और खनीज लवण प्रचूर मात्रा मे होता है। दिये जाने वाले आहार की मात्रा बकरी की आयु और उसके वजन पर निर्भर करती है।यदि दुधारू बकरी है तो उसे हरी घास देनी चाहिए ।आहार के अंदर हरा चारा 15 प्रतशित हरा चारा 65 प्रतिशत और दाना 20 प्रतिशत दिया जाना चाहिए ।
जन्म से तीन माह तक के मेमनों के आहार –
यदि बकरी के बच्चे ने अभी जन्म लिया है तो उसे एक सप्ताह तक तो बकरी का दूध ही पिलाया जाना चाहिए । इससे उसकी बीमारियों से रक्षा होती है और वह काफी तंदूरस्त रहता है।आपको यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चे को दिन के अंदर 3 बार ही दूध पिलाएं ।अधिक बार दूध पिलाने से नुकसान हो सकता है।15 दिन के बाद बकरी के बच्चों को आप दाना खिलाना शूरू कर सकते हैं।बचपन मे ही दाना खिलाने का फायदा यह है कि बकरी का वजन तेजी से बढ़ता है और वह मोटी हो जाती है।
बकरी के लिए दाना बनाने की विधि ।इस प्रकार से है।
अनाज का नाम | मात्रा |
मकई | 32% |
खल्ली | 35% |
गेंहू का चोकर | 20% |
फिश मिल | 10% |
खनिज लवण | 2.5% |
नमक | 0.5% |
उपर दी गई सामग्री को अच्छी तरह से मिलाकर बकरी के बच्चे को दें । उसका वजन तेजी से बढ़ने लग जाएगा ।
0 से 3 महिने के बकरी के बच्चों को आहार की तालिका
यदि आपकी बकरी का बच्चा 0 से 3 महिने का है तो आप उसको नीचे दी गई टेबल के अनुसार खाना दे सकते हैं। जिससे उसका वजन तेजी से बढ़ने लग जाएगा ।
उम्र दिनों मे | शारिरिक भार kg | कितनी बार | दूध ml | हरा चारा | अन्य आहार |
0-7 | 1-3 | 2 बार | इच्छानुसार | – | – |
8-15 | 3-4 | – | 250-300 | इच्छानुसार | इच्छानुसार |
15-30 | 4-5 | – | 300-350 | – | – |
30-60 | 5-6 | – | 300- 400 | इच्छानुसार | इच्छानुसार |
61-90 | 6-7 | 2 bar | 200 | – | – |
4 से 6 महिने की बकरी के लिए आहार
यदि आपकी बकरी की उम्र 4 से 6 महिने की है तो उसके लिए अलग प्रकार की आहार की आवश्यकता होती है।आहार के सही तरीके से नहीं देने की वजह से ही तो बकरी कमजोर होती है।बढ़ती हुई बकरी को मसूर ,मूंग ,अरहर आदि के पौधे की पतियेां को दिया जाना चाहिए यह बकरी के वजन को बढ़ाने मे मदद करते हैं।यदि यह सब नहीं हैं तो बरसीम, लूसर्न, लोिबया में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है आप इनको भी बकरी को दे सकते हैं।
अनाज का नाम | मात्रा |
मकई | 37% |
खल्ली | 25% |
गेंहू का चोकर | 20% |
चना और मसूर | 15% |
खनिज लवण | 2.5% |
नमक | 0.5% |
इसके साथ ही बकरी को हरा चारा भी प्रतिदिन खिलाया जाना चाहिए ।
चार से छः महीनों के बकरियों का आहार
बरसीम, लूसर्न, लोबिया में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इस वजह से बढ़ती हुई बकरी को यह सब देना चाहिए । लेकिन यदि यह उपलब्ध नहीं है तो चना ,अरहर और मूंग का दाना दे सकते हैं। नीचे टेबल के अंदर भी आप देख सकते हैं।
अनाज का नाम | मात्रा |
मकई | 37% |
खल्ली | 25% |
गेंहू का चोकर | 20% |
चना और मसूर | 15% |
खनिज लवण | 2.5% |
नमक | 0.5% |
सात से दस माह तक की बकरियों का आहार
इस समय बकरी को सूखा और हरा चारा तो खिलाना आवश्यक होता ही है।लेकिन इसके अलावा भी बकरी को हर महिने 3 किलो दाने की आवश्यकता होती है।
- गेंहूं की खुद्दी – 22 %
- 2. खल्ली – 30 %
- 3. गेंहूं का चोकर – 30 %
- 4. अरहर या किसी दाल की चुन्नी – 15 %
- 5. खनिज लवण – 2 %
- 6. नमक – 1 %
या
- 1. बाजरा – 38 %
- 2. खल्ली – 35 %
- 3. चावल का कुंडा- 20 %
- 4. अरहर या किसी दाल की चुन्नी – 14 %
- 5. खनिज लवण – 2 %
- 6. नमक – 1 %
या
- 1. मकई का दर्रा – 37 %
- 2. चोकर – 10 %
- 3. दाल की चुन्नी – 10 %
- 4. धूप में सुखाई गयी मुर्गी की बीट – 10 %
- 5. खनिज लवण – 2 %
- 6. नमक – 1
गर्भवति बकरी का आहार कैसे दें ?
यदि आप बकरी पाल रहे हैं तो बकरी पालन की सफलता मदा बकरी के प्रजनन पर बहुत अधिक निर्भर करती है। यदि प्रजनन सही तरीके से नहीं होता है तो यह व्यवसाय की असफलता का ही संकेत है।प्रजनन चक्र को सही करने के लिए बकरी को उचित पोषण दिया जाना चाहिए। बकरी का गर्भकाल 5 माह का होता है। बकरी के ब्याने के 60 दिन बाद गाफिन करा देना चाहिए और उसके बाद उसे 15 से 20 दिन के बाद 200 से 300 ग्राम दाना दिया जाना चाहिए ।और 300 से 400 ग्राम हरा चारा भूसे मे मिलाकर देना चाहिए ।
जब बच्चा गर्भ के अंदर पड़ता है तो बकरी के अंदर पोषक तत्वों की जरूरत बढ़ जाती है। इस वजह से बकरी को हरा चारा और दाना उचित मात्रा के अंदर खिलाया जाना चाहिए । यदि इस समय बकरी के पोषक तत्वों पर सही से ध्यान नहीं दिया जाता है तो उसके बाद बकरी के होने वाले दूध और बच्चे पर भी बुरा असर पड़ता है।
आकार के मुताबिक कुल खुराक का लगभग पाचवाँ भाग तक दाना दें।बरसीम या लूसर्न घास को बकरी को आप दे सकते हैं। यदि बकरी को आफरा की समस्या होती है तो आप घास के साथ भूसे को खिला सकते हैं। और प्रजनन के समय बकरी को बहुत दूर लेकर नहीं जाना चाहिए ।
दुधारू बकरी का आहार किस प्रकार होना चाहिए ?
यदि कोई बकरी दूधारू है तो उसे अधिक संतुलित और पौष्टिक आहार दिया जाना चाहिए ।एक बकरी दिन के अंदर 3 से 4 किलो सूखा चारा खाती है।और आप अधिक उत्पादन के लिए 300 ग्राम दाना भी दे सकते हैं।
प्रजनन बकरों का आहार
प्रजनन के अंदर काम मे आने वाले बकरों को भी सही आहार देना चाहिए । बकरे आमतौर पर चरने के लिए कम ही जाते हैं।बकरे को हरा और सूखा चारा खिलाया जाना चाहिए ।इसके अलावा बकरे को 400 से 600 ग्राम दाना प्रतिदिन देना चाहिए । इससे बकरा मोटा होगा और उसका वजन भी बढ़ जाएगा ।
बकरियों के चारा-पानी खिलानें में सावधानियाँ रखनी चाहिए
- बकरी को हरे चारे के बंडल को लटकार ही खाने दें
- गिली घास को बकरी को कभी भी ना खाने दें ।
- दिन के अंदर 4 बार चारा डालें । एक साथ ही चारा ना डालें ।
- साफ और ताजा पानी बकरी को देना चाहिए ।
एक सामान्य मौसम के अंदर 20 किलो की बकरी को 700 मिली लिटर की पानी की आवश्यकता होती है।गर्मी के दिनों मे इससे ढेड गुना पानी की आवश्यकता होगी ।
यदि आप बकरी का वजन कर रहे हैं तो सही तरीके से बकरी का वजन करें ।किसी बोरी से रस्सी बांधे और बकरी को उस बोरी से इस प्रकार से बांधे कि उसे तकलीफ ना हो और कांटे पर वजन देख सकते हैं। नीचे तालिका के अंदर आप अलग अलग बकरी के वजन को देख सकते हैं।
नस्ल | जन्म के समय (kg) | 3 माह के उम्र में (kg) | 6 माह के उम्र में (kg) | 12 माह के उम्र में (kg) |
बारबरी | 1.75 | 7.25 | 12.75 | 21 |
बीटल | 3 | 8.50 | 12.50 | 22.50 |
बंगाल या गजाम | 1.33 | 4.75 | 7 | 12.50 |
सिरोही | 2.75 | 10 | 14 | 22 |
जमुनापुरी | 3 | 8.50 | 12.50 | 22 |
बकरे का वजन बढ़ाने की दवा
4XG Ultra Mass Ultimate Goat Weight Gainer एक ऐसी ही दवा है जो आपके बकरें के वजन को बढाने का काम करती है। इसके अंदर मिनरल्स और विटामिन अच्छी मात्रा मे होते हैं जो बकरों के शरीर की जरूरतों को पूरा करते हैं। 4XG Ultra Mass Ultimate Goat Weight Gainer को बकरे के वजन के हिसाब से देना होता है।एक तरह से यह एक कोर्स की तरह ही होता है।आपके बकरे के वजन के हिसाब से देना है। मतलब हर किलो पर आपको 2 ग्राम देना है। जैसे आपका बकरा 20 किलो का है तो आप 20 ग्राम इसे दे सकते हैं।
- बकरे को यह दवा खिलाने के कई सारे फायदे होते हैं।
- यह बकरे के वजन को बढ़ने मे मदद करता है।
- बकरे को काफी चमकदार बनाता है।
- बकरे की मांसपेशियों को बलिष्ठ बनाने का काम करता है।
4XG Ultra Mass Ultimate Goat Weight Gainer के बारे मे आपको पहले पता कर लेना चाहिए क्योंकि कुछ लोगों के लिए यह काम करता है तो कुछ के लिए नहीं करता है।1 किलो की कीमत लगभग 500 रूपये के आस पास आती है।
बकरे का वजन कैसे बढ़ाएं ? कुछ टिप्स
दोस्तों बकरों को मोटा करने के अनेक तरीकों के बारे मे हमने जाना । इसके अंदर आहार को सही ढंग से देना शामिल है। अब हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताएंगे जो अधिक यूज किये जाते हैं और इनके सफल होने के प्रमाण भी उपलब्ध हैं।इन तरीकों से लाखों लोग अपने बकरे का वजन बढ़ा चुके हैं।
बकरे की डिवोर्मिंग हर 3 महिने मे करें
हम मे से बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो की कभी भी बकरों की डिवोर्मिंग नहीं करते हैं। जिसकी वजह से पता ही नहीं चलता है कि कब उसके पेट के अंदर कीड़े क्रियाशील हो जाते हैं। और यदि बकरे के पेट के अंदर कीड़ें हैं तो आप कुछ भी खिलादें । वह कभी भी मोटा नहीं होगा तो आपको चाहिए कि हर 3 महिने मे काला जीरा और हींग बकरे को दें या फिर मार्केट के अंदर डीवोर्मिंग टेबलेट आती है आप उसे लेकर आ सकते हैं और बकरे को दे सकते हैं। बकरे को खाली पेट ही डिवोर्मिंग करवाना चाहिए ।
बकरे को नीम की पतियां खिलाएं
दोस्तों यदि आपके पास एक बकरा है तो उसे रोजाना थोड़ी मात्रा के अंदर नीम की पतियां खिलाएं । नीम बकरे को स्वस्थ रखने मे मदद करता है। यदि आपके घर के अंदर नीम है तो आप नीम की पतियों को खिला सकते हैं नहीं तो तोड़कर लेकर आ सकते हैं।
सही नस्ल की बकरी पालें
बकरी की कुछ नस्ले ऐसी होती हैं कि जिनका बकरा बहुत अधिक मोटा होता है जैसे सिरोही और जमुनापुरी । इन नस्लों की बकरी यदि आपके पास है तो अच्छा है। लेकिन यदि नहीं है तो आप खरीद कर ला सकते हैं।वजन को आप उपर तालिका के अंदर भी देख सकते हैं।
liver tonic for goats बकरे के वजन को बढ़ा सकता है ?
आप इसको लेकर ट्राई कर सकते हैं।बहुत से लोग इसका प्रयेाग करते हैं जब कि कुछ लोगों को इसके अच्छे रिजेल्ट भी देखने को मिले हैं।
बकरे को मोटे करने की सबसे बेस्ट दवाएं कौनसी हैं बताएं ?
बकरे को मोटा करने की वैसे तो अनेक दवाएं मार्केट के अंदर उपलब्ध हैं लेकिन कुछ दवाएं हम आपको बता रहे हैं जिनका यूज आप अपने डॉक्टर के परामर्श से यूज कर सकते हैं।
बकरे को एक जगह बांध कर ना रखें
दोस्तों यदि आप बकरे का वजन बढ़ाने का विचार कर रहे हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप बकरे को एक जगह पर बांध कर ना रखें । वरन उसे दिन के अंदर 4 से 5 घंटे खुला छोड़ें । ताकि वह अपने भोजन को सही से पचा सके ।
बकरे के लिए आयरन टॉनिक goat iron supplement
बकरे के लिए आयरन बहुत ही जरूरी होता है। यदि बकरे को अधिक मोटा बनाना है तो उसे आयरन दे सकते हैं। मार्केट के अंदर आयरन की दवा मिलती है। यह कई कम्पनियों की आती है। आप अपने डॉक्टर से परामर्श करके और उनके निर्देश के अनुसार बकरे को आयरन टॉनिक दें । example sharkoferrol vet
केल्सिियम लिक्विड calcium for goats
बकरी को सर्दी जुकाम कारण उपचार व दवा
चमगादड़ को भगाने के 12 तरीके ghar se chamgadar bhagane ka tarika
अपने तोते को अब बोलना सीखाएं आसान तरीकों से
मछली पालने के 24 फायदे जानकर आप हैरान रह जाएंगे
कैल्शियम का प्रमुख जैविक कार्य हड्डियों के लिए है। हड्डियों में शरीर में 99 प्रतिशत कैल्शियम होता है। मांसपेशियों के संकुचन, तंत्रिका चालन और रक्त के थक्के के लिए कैल्शियम भी आवश्यक है। कैल्शियम के कम हो जाने पर कंकाल प्रणाली पर इसका असर होना शूरू हो जाता है।हड्डियां नरम और कमजोर हो जाती हैं। और इस वजह से बकरियां बहुत अधिक कमजोर दिखाई देती हैं।
कैल्शियम के अवशोषण और चयापचय में विटामिन डी की भूमिका के कारण विटामिन डी की कमी के समान लक्षण होते हैं।और यदि बकरी स्तनपान करवा रही है तो उसे अधिक कैल्शियम की आवश्यकता होती है। आमतौर पर, फास्फोरस से दोगुना कैल्शियम, जुगाली करने वाले जानवरों के आहार में होना चाहिए। कैल्शियम की अधिकता से हड्डी की असामान्य वृद्धि हो सकती है। calcium आपको मार्केट मे आसानी से मिल जाएगा । आप किसी डॉक्टर के परामर्श से इसको ले सकते हैं। और अपने बकरे को दे सकते हैं। इससे उसका वजन बढ़ेगा । example ostovet forte
multistar
विटामिन शरीर के चयापचय को सही करने का काम करते हैं। बकरी के शरीर मे विटामिन की कमी चयापचय क्रियाओं को धीमा कर सकती है। बकरी के रूमेन में बैक्टीरिया पर्याप्त मात्रा में पानी में घुलनशील विटामिन को संश्लेषित कर सकते हैं।
- बी 12 विटामिनी बकरी अपने अंदर नहीं बना सकती है। इस वजह इसको बकरी को दिया जाना चाहिए ।विटामिन ए प्रति पाउंड, विटामिन डी का 2,000 आइयू प्रति पाउंड दिया जाना चाहिए ।
- बकरी के लिए विटामिन ए भी बहुत अधिक आवश्यक होता है।यह घास के अंदर होता है तो जब तक बकरी को हरी घास प्राप्त होती रहती है उसे विटामिन ए मिलता रहता है।त्वचा, विकास और दृष्टि के लिए विटामिन ए आवश्यक है। विटामिन ए की कमी कई लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं। जैसे आँखों का फटना, दस्त, श्वसन संक्रमण और प्रजनन मे समस्या होना ।यदि आपकी बकरी हरा चारा नहीं खाती है या उसके लिए उपलब्ध नहीं है तो उसे विटामिन ए देना चाहिए ।
- शरीर द्वारा कैल्शियम अवशोषण और चयापचय के लिए विटामिन डी आवश्यक है। रिकेट्स नामक विटामिन डी की कमी के परिणामस्वरूप लंगड़ापन, कमजोर हड्डियां और झुके और टेढ़े पैर होते हैं विटामिन डी को धूप से प्राप्त किया जा सकता है।धूप में पराबैंगनी प्रकाश त्वचा में पाए जाने वाले प्री-विटामिन डी को एक प्रो-विटामिन डी रूप में परिवर्तित करता है।
- विटामिन ई खनिज सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है।विटामिन ई भी बकरियों के लिए बहुत अधिक उपयोगी होता है। और इसकी कमी की वजह से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। प्रजनन विफलता भी हो सकती है।
- विटामिन K को तकनीकी रूप से जानवरों और रक्त के थक्के में काम करने की आवश्यकता होती है। विटामिन K पाचन तंत्र में बैक्टीरिया द्वारा निर्मित और अवशोषित होता है।
broton vet for goats
broton vet को लिवर टॉनिक के नाम से भी जाना जाता है।तेजी से वजन बढ़ाने के लिए, पीक उत्पादन को बनाए रखने के लिए यह दी जाती है। यह अच्छा पोषण सहायता प्रदान करता है और अपनी गतिविधियों को अच्छी तरह से बनाए रखने में लीवर की सहायता करता है।यह उन तत्वों को एक साथ लाया है जो जिगर को पनपने के लिए एक स्वस्थ वातावरण बनाते हैं।अपने पालतू जानवरों के लिए सर्वश्रेष्ठ पूरक है।
vetzyme powder or deworming powder
जीवाणुरोधी पाउडर कुत्तों, बकरी, बिल्लियों और छोटे जानवरों के लिए उपयुक्त एक प्रभावी और शक्तिशाली जीवाणुरोधी पाउडर है। Vetzyme जीवाणुरोधी पाउडर Vetzyme के कोमल, सुखदायक प्रभाव के कारण और अधिक असुविधा पैदा किए बिना त्वचा को शांत करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। त्वचा को साफ, शुष्क और रोगाणु-मुक्त रखने के लिए डिज़ाइन किया गया, वेजाइम जीवाणुरोधी पाउडर एक्जिमा सहित अन्य स्थितियों से पीड़ित त्वचा पर उपयोग करने के के लिए उपयोगी है।
बकरे का वजन कैसे बढ़ाएं ? लेख के अंदर हमने बकरे का वजन बढ़ाने के अनेक तरीकों के बारे मे जाना । हमे उम्मीद है कि आपको यह लेख काफी पसंद आया होगा । यह उम्मीद करते हैं कि आपको उपर दिये हुए तरीके पसंद आये होंगे । आपको यहां से कुछ आइडिया मिल जाएगा । लेकिन एक बार किसी भी दवा का प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श अवश्य ही करें ।