हनुमान चालीसा की सिद्धि कैसे करें ? hanuman chalisa sadhna , hanuman chalisa ki sadhna ,हनुमानजी की लीला अपरंपार है।और उनकी शक्ति को कोई नहीं जान सकता है। यदि आप हनुमानजी के भगत हैं तो आपको पता ही होगा कि महाबलशाली हनुमान कितने प्राक्रमी हैं। और जो लोग हनुमानजी की भगती करते हैं वे उनके दुखों को दूर करते भी हैं। हनुमान चालीसा की सिद्धि कैसे करें ? यदि आपको नहीं पता तो यह लेख पूरा पढ़ें ।
यदि आप हनुमानजी के भगत हैं तो आपको पता ही होगा कि हनुमानजी अपने भगतों पर कितनी कृपा करते हैं। आपके सामने मैं जो लिख रहा हूं वह सब हनुमानजी की कृपा का ही नतिजा है। हनुमानजी ने ही मुझे जीवन दिया था। जब मैं किसी बीमारी के चलते मरने वाला था।तब हनुमानजी की कृपा से वास ठीक हुआ था। खैर यदि आप हनुमानजी के भगत हैं तो आप हनुमान चालिसा रोज पढ़ते ही होंगे और उसकी सिद्धी भी आप कर सकते हैं । हनुमानजी की के फायदे के बारे मे हमने आपको एक लेख मे पहले भी बताया था।
हनुमानजी को वानर कहा जाता है।असल मे वानर का मतलब बंदर नहीं होता है। इसका मतलब वानर कुल है। वैज्ञानिक रिसर्च से यह पता चलता है कि प्राचीन काल के अंदर श्रिलंका के जंगलों मे इसी प्रकार के इंसान रहा करते थे । हालांकि यह अब विलुप्त हो चुके हैं।
इन लोगों के पास सुपर पॉवर हुआ करती थी और यह काफी बलवान भी हुआ करते थे । यह वानर कुल के अंदर उत्पन्न होने की वजह से इनका नाम वानर था। असल मे यह इंसान ही थे लेकिन इनकी शक्ल बंदरों से मिलती जुलती थी।
कलयुग के अंदर हनुमानजी का अस्तित्व माना जाता है।ऐसे कई सबूत हैं जिससे यह पता चलता है कि कलयुग मे भी हनुमानजी मौजूद हैं।कहा जाता है कि माता सिता ने हनुमानजी को अमर रहने का वरदान दिया था। और यह भी कहा जाता है कि जहां पर भी राम नाम का गुण गान होता है वहां पर हनुमानजी आते जरूर हैं।
- त्रेता युग में राम के साथ हनुमानजी ही थे । हनुमानजी को राम की मदद के लिए धरती पर अवतरित होना पड़ा था । आपको पता ही होगा की किस प्रकार से हनुमानजी ने भगवान राम की मदद की और रावण का संहार करवाया था। रामायण के बाद राम वापस अपने राज्य मे आए और कई वर्षों तक राज किया । उसके बाद जब समय समाप्त हुआ तो राम अपने वैकुंठ लोक लौट गए और माता सीता ने हनुमानजी को अमर रहने का वरदान दिया । और जब रामजी ने अपना शरीर छोड़ दिया तो हनुमानजी दक्षिण भारत की तरफ चले गए और जंगलों मे रहने लगे कहा जाता है कि हनुमानजी की एक कबिले ने बहुत सेवा की थी। जिससे प्रेरित होकर हनुमानजी ने उनको आत्मज्ञान दिया । उसके बाद कबिले के लोगों ने हनुमानजी से वचन लिया कि आप हमारे लोगों को हर 41 साल मे एक बार ज्ञान देने के लिए आया करें । न्यूज के मुताबिक इस कबिले के बारे मे किसी को कुछ नहीं पता था लेकिन खोज के अंदर वहां पर कई तरह के ताम्रपत्र मिले हैं जो संस्कृत मे लिखे हुए हैं। इसके अलावा इन कबिले के लोगों के पास एक मंत्र भी है जो इनकी मदद करता है।
- त्रेता युग के बाद द्वापर युग आता है। द्वापर युग के अंदर भी हनुमानजी का उल्लेख मिलता है।अर्जुन के घमंड को तोड़ने की कहानी और भीम के अहंकार को नष्ट करने की कहानी का उल्लेख महाभारत मे ही मिलता है। इसके अलावा एक अन्य महाभारत की कहानी मे यह उल्लेख मिलता है कि हनुमानजी अर्जुन के रथ के उपर विराज मान थे । और इसी वजह से कर्ण के बाणों का असर अर्जुन के रथ पर नहीं हो रहा था। उसके बाद जैसे ही हनुमानजी उस रथ से हटे रथ जलकर खाक हो गया ।
- अब यदि हम बात करें कलयुग की तो कलयुग के अंदर तुलसीदास ने रामायण जैसा महाकाव्य लिखा । कहा जाता है कि तुलसी दास को हनुमानजी ने दिव्य ज्ञान दिया । जिससे ही तो तुलसीदास यह सब काम कर पाए । इसके अलावा भी बहुत से ऐसे संत थे जिन्होंने हनुमानजी के दर्शन होने का दावा किया था। इसके अलावा आज भी हनुमानजी अपने भगतों की मदद करते हैं जो सबसे बड़ा प्रमाण है कि हनुमानजी सूक्ष्म लोकों मे आज भी मौजूद हैं।
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हनुमान चालीसा की सिद्धि कैसे करें hanuman chalisa sadhna
यदि आप खुद सात्विक इंसान हैं तो हनुमान चालिसा को सिद्ध कर सकते हैं।और यदि आप पहले से ही हनुमानजी के भगत हैं तो फिर यह सिद्धी करना आपके लिए बहुत ही अच्छा होता है। लेकिन सिद्धी करने से पहले आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए । या कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा तभी आपकी सिद्धी सफल हो पाएगी।
यदि आप इन नियमों का सही तरीके से पालन नहीं करते हैं तो फिर आप इसको सिद्ध करने का कोई फायदा ही नहीं होगा । क्योंकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जोकि हनुमानजी की सिद्ध तो करना चाहते हैं लेकिन वे नियमों का ठीक तरह से पालन नहीं कर पाते हैं जिससे सिद्धी सफल नहीं हो पाती है।
- ब्रह्मचर्य का पालन करना करना इसमे बेहद ही जरूरी होता है। ब्रह्मचर्य का मतलब है वीर्य की रक्षा और वीर्य की रक्षा से ही मन और बुद्धि को नियंत्रित करने की क्षमता प्राप्त होती है। ब्रह्मचर्य का पालन करना आज के समय मे काफी कठिन होता जा रहा है।
कारण यही है कि सब कुछ तेजी से बदल रहा है। आज फिल्मों के अंदर जहां भी देखो बस अश्लीलता के सिवाय कुछ भी नहीं परोशा जाता है। यदि आप ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते हैं तो आपको खुद को पूरी तरह से सात्विक रहना होगा । और अपने मन को नियंत्रण मे रखने के प्रयास करने होगे तभी कुछ संभव हो सकता है।
- यदि आप हनुमान चालिसा की सिद्धी कर रहे हैं तो सात्विक भोजन करना बेहद ही जरूरी होता है। जैसे कि यदि आप मांस का सेवन करते हैं अंडा खाते हैं तो यह सब खाना बंद कर दें । और कम से कम तब तक बंद रखें जब तक कि आप हनुमान चालिसा की सिद्धी कर रहे हैं। यदि आप इनको खाते हुए। ऐसा करते हैं तो फिर आपकी हनुमान चालिसा की सिद्धी किसी काम नहीं आएगी । और ना ही आप सिद्ध ही कर पाएंगे ।
- झूठ बोलना भी इस दौरान वर्जित माना गया है। इसलिए इसको सिद्ध करने के दौरान झूठ नहीं बोलना है। कोई भी ऐसा काम ना करें जिससे कि आपको झूंठ बोलने की आवश्यकता पड़े सो आपको झूंठ नहीं बोलना है। जो कुछ भी बोलें वह सच ही बोलें। और हो सके तो कम से कम बोलें । बेहतर यही होगा कि बाहर के लोगों से मिले ही ना ।और तब तक खुद को अकेला ही रखें जब तक की सिद्धी पूरी तरह से कम्पलिट नहीं हो जाती है।
- किसी को धोखा देना भी अच्छी बात नहीं है।यह कभी नहीं हो सकता है कि आप साधना कर रहे हैं और किसी को धोखा दे रहे हैं । जैसे कि पैसा ऐंठ रहे हैं या कुछ ऐसा कर रहे हैं जोकि काफी बुरा है तो आपको यह सब करना बंद कर देना चाहिए । वरना आपका काम सिद्ध नहीं होगा और मेहनत भी बेकार चली जाएगी ।
- कुछ लोगों को मदिरा का सेवन करने की आदत होती है।यदि आपको भी मदिरा के सेवन करने की आदत है तो आपको यह कुछ समय के लिए बंद करनी होगी । मदिरा के सेवन करने की आदत आप यदि नहीं त्याग सकते हैं तो फिर हनुमान चालिसा सिद्ध नहीं होगी ।
यदि आप उपर दिये गए नियमों को पालन कर सकते हैं तो ही आप हनुमान चालिसा को सिद्ध करें । नहीं तो आपके पास और भी बहुत सारी साधनाएं हैं आप उनको सिद्ध कर सकते हैं।
हनुमान चालीसा की सिद्धि के लिए शुभ मुहुर्त hanuman chalisa sadhna vidhi
दोस्तो जैसा कि आपको पता ही होगा कि किसी भी तरह की साधना को सम्पन्न करने के लिए शुभ मुहुर्त का पता होना चाहिए । हनुमान चालिसा को सिद्ध करने के लिए आप शुक्ल पक्ष के मंगलवार या फिर हनुमान जयंती को चुन सकते हैं। लेकिन साधना को रात को 9 बजे के बाद ही शूरू करना होगा ।
आपको बता दे कि किसी भी साधना मे समय और दिन काफी उपयोगी होता है। इससे सफलता के चांस काफी बढ़ जाते हैं यह एक गहरा विज्ञान है। जिसको समझाने वाले विलुप्त से हो चुके हैं।
हनुमान चालिसा सिद्धी के अंदर क्या सामग्री चाहिए होती है ?
दोस्तों यदि आप हनुमान चालिसा को सिद्ध करना चाहते हैं तो आपको इसकी सामग्री के बारे मे भी पता होना चाहिए । इसके अंदर आप हनुमानजी की मूर्ति आप ले सकते हैं और यदि कोई सिद्ध किया यंत्र है तो वह लेना और भी उत्तम रहता है।
इसके अलावा आपको अगरबत्ती, चमेली या फिर शुद्ध घी का दीपक और 100 गुलाब के फूलों की जरूरत भी पड़ेगी ।सिंदूर भी अपने पास रखलें और तांबे के लौटे मे जल भरकर अपने पास रखें। इस साधना के दौरान आप गुड़ और चने का प्रसाद्ध अपने पास रख सकते हैं।
हनुमान चालिसा की सिद्ध विधि
दोस्तों सबसे पहले आपको शाम को स्नान करना है।उसके बाद आपके पास जो लाल वस्त्र हैं उनको धारण करना होगा यदि लाल वस्त्र नहीं हैं तो आप मार्केट से खरीद सकते हैं।
- उसके बाद आपको इसके अंदर लाल आसन पर बैठ जाना है। उत्तर दिशा की तरफ आपको अपना मुख करना होगा ।
- अब साधक को चाहिए कि एक लकड़ी के पटटे पर लाल कपड़ा बिछाए उसके बाद उसके उपर हनुमानजी की मूर्ति या यंत्र को रखे । पास मे गणेश जी को भी रखे । और गणेश जी के सामने कुछ सुपारी भी रखे और धूप दीप की मदद से इनकी पूजा भी करनी चाहिए ।
- अब सबसे पहले साधक को चाहिए कि वह गणेश मंत्र का जाप करे और वह यह गणेश मंत्र अपने गुरू से प्राप्त कर सकता है। गणेश मंत्र की एक माला जाप करें । उसके बाद गणेश जी से प्रार्थना करे कि उनकी साधना मे किसी भी प्रकार की बाधा ना आए ।
- उसके बाद हनुमान चालिसा का पाठ करने वाले साधक को चाहिए कि गुरू पूजन करे । यदि आपने गुरू बना लिया है तो इस बारे मे गुरू से बात कर सकते हैं नहीं तो आप किसी को गुरू मानकर साधना कर सकते हैं लेकिन यह सही नहीं है।
- अब आपको हनुमानजी का पूजन करना है।हनुमानजी की मूर्ति के आगे घी का दीपक जलाना होगा । उसके बाद धूप और दीप को अर्पित करें । गुड़ व चने भी अर्पित करें। यदि आपने गुलाब का फूल लिया है तो वह भी अर्पित करें ।इस काम को करते समय हनुमानजी के मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए ।
- अब आपको संकल्प लेना होगा । इसके लिए पात्र मे जो जल लिया है।मैं अमुक नाम का साधक अमुक गोत्र अमुक गुरु का शिष्य और अमुक कामना के लिए यह साधना कर रहा हूं ।हनुमानजी मुझे आशीर्वाद प्रदान करें ।इस बात को बोलते समय जल को हाथ मे लेना है और उसके बाद उसको धरती पर डाल देना है।मतलब यह है कि हाथ मे जल लेकर यह संकल्प लेना होता है।
- जैसा कि हमने आपको बताया था।आपको 108 भूने हुए चने लेने हैं। उनको एक कटोरी मे रखें और अपने सामने हनुमान चालिसा रखें। अब एक बार हनुमान चालिसा पढ़ने के बाद एक चना हनुमानजी को समर्पित करदें। इस प्रकार से एक बार हनुमान चालिसा को पढ़ने मे लगभग 6 से 7 मिनट लग जाते हैं तो आपका इसमे समय लग सकता है।और आपको एक दिन मे 108 बार हनुमान चालिसा को पढ़ना होगा ।अब यही प्रक्रिया आपको लगातार 21 दिन करनी होगी ।
- जब 21 वां दिन हो जाए तो साधना पूर्ण हो जाएगी और उसके बाद आप किसी हनुमान मंदिर मे जाएं और वहां पर प्रसाद चढ़ाएं और उनके दर्शन करें ।
साधना मे आ सकती हैं बाधाएं
दोस्तों साधना किसी भी प्रकार की क्योंना हो । उसके अंदर बाधाएं आना आम बात होती है। सबसे बड़ी समस्या साधना मे हमारा मन होता है। कई लोग यह कहते हैं कि साधन मे मन काफी बैचेन हो जाता है और उसके बाद ऐसा लगता है जैसे कि साधना को बीच मे ही छोड़ दूं । लेकिन यदि आप खुद को रोकने मे सफल हो गए तो फिर आपके लिए फायदा ही फायदा है। आपके सारे काम सफल हो जाएंगे । यदि आप इस मामले मे काफी नए हैं तो आपको गुरू की जरूरत होगी । क्योंकि लगातार 4 से 5 घंटे साधना मे खुद को बनाए रखना इतना आसान नहीं होता है।
यदि आप बिना अभियास करे ही साधना मे बैठ जाएंगे तो फिर आप साधना को बीच मे ही छोड़कर भागेगे । इसमे कोई शक नहीं है। लेकिन यदि आप पहले से कई साधनाएं कर चुके हैं तो यह आपके लिए बहुत ही आसान साधना है।
यदि आप हनुमान चालिसा की साधना करते हैं तो पहले से अपने मन मे द्रढ निश्चय बनाकर रखिए । और आपको यह संकल्प करना होगा कि आप किसी भी हाल मे डिगेंगे नहीं । खुद को अभियासी बनाएं । बेहतर होगा कि आप ऐसे की लंबे समय तक बैठे रहने अभियास करना होगा ।
हनुमान चालीसा हिंदी अर्थ सहित
दोस्तों हनुमान चालिसा की सिद्धी के बारे मे हमने आपको बताया था। अब हम आपको हनुमान चालिसा का अर्थ सहित बताते हैं। वैसे तो आपने हनुमान चालिसा को कई बार पढ़ा होगा । लेकिन हनुमान चालिसा का अर्थ उसके अंदर नहीं दिया होता है। आपको हनुमान चालिसा के अर्थ के बारे मे भी पता होना चाहिए ।
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि |
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ||
इसमे यह कहा गया है कि गुरू के चरणों रूप कमल से अपने मन रूपी दर्पण को निर्मण करता हूं ।इसका अर्थ यह है कि जब गुरू के चरण पड़ते हैं तो वह स्थान निर्मल और पवित्र हो जाता है। इसी प्रकार से गुरू के ज्ञान से ही मेरा मन निर्मल हो गया है। उसके अंदर कलेष नष्ट हो गया है।अब मैं अपने निर्मल मन से प्रभु राम के गुणों का वर्णन करता हूं जो सब प्रकार के फल धर्म अर्थ व काम व मोक्ष देने वाले हैं।
बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन–कुमार |
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ||
हे पवन कुमार मैं बुद्धिहीन हूं और मुझे बुद्धिहीन मानकर मेरी विनती को सुनिए और बल, बुद्धि, विद्या मुझे प्रदान करें मेरे जो क्लेश हैं उनको हर लिजिए । मतलब यह है कि हे पवन पुत्र मैं तो बुद्धिहीन हूं लेकिन आप महाज्ञानी हैं। मुझ बुद्धिहीन पर कृपा करो और मेरे समस्त कष्टो का विनाश कीजिए ।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||
हे हनुमानजी सदा ही तुम्हारी जय हो तुम ज्ञान और गुणों के सागर हो ।या तुम सभी गुणों से युक्त हो तुम्हारी जय हो ।तीनों लोको को अपने यश से प्रकृाशित करने वाले कपिस की जय हो । हे हनुमान तुम्हारी जय को जो तीनों लोको को अपनी कीर्ति से प्रकाशित करने की क्षमता रखते हो ।
राम दूत अतुलित बल धामा |
अंजनि–पुत्र पवनसुत नामा ||
हे महाबलशाली हनुमान आप इस संसार मे राम के दूत कहलाते हैं आप इस संसार मे माता अंजनी के पुत्र होने की वजह से अंजनीपुत्र और पवन देव के पुत्र भी कहलाते हैं। इसिलिए आपको पवनसुत के नाम से जाना जाता है।
महाबीर बिक्रम बजरंगी |
कुमति निवार सुमति के संगी |
हे महावीर बजरंगी आपका शरीर वज्र के समान है। जिसके उपर बड़े से बड़े अस्त्र का प्रहार व्यर्थ हो जाता है। इस प्रकार के शरीर को वज्र का जाता है।आप अपने भगतों की कुमती को दूर करने वाले हैं और उनको सुमति प्रदान करते हैं कुमति का मतलब है खराब बुद्धि को हर कर बुद्धि और अच्छी सोच देने वाले हैं।
कंचन बरन बिराज सुबेसा |
कानन कुण्डल कुँचित केसा ||
हे महावीर बजरंगी आपके इस स्वर्णमान शरीर या जो सोने के समान शरीर है उसके उपर सुंदर वस्त्र सुशोभित हैं।और आपके कानों मे कुंडल हैं बाल घुंघराले हैं। यहां पर हनुमानजी की शारीरिक विशेषताओं के बारे मे वर्णन किया गया है।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै |
काँधे मूँज जनेउ साजै ||
हे हनुमानजी आप अपने हाथों मे वज्र के समान कठोर गदा को धारण किये हुए हैं।इसके अलावा कंधे पर मूज और जनेउ भी धारण किये हुए हैं। यहां पर हनुमानजी की शारीरिक संरचना का वर्णन किया गया है।
संकर सुवन केसरी नंदन |
तेज प्रताप महा जग वंदन ||
जैसा कि आपको पता होगा कि हनुमानजी को भगवान शंकर के अवतार के रूप मे ही याद किया जाता है। इस वजह से हनुमानजी को संकर सुवन केसरी नंदन कहा गया है।आप परम तेजस्वी और जगत के अंदर वंदनिय हैं । या आप सदैव वंदना किये जाने योग्य हैं।
बिद्यावान गुनी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर ||
आगे हनुमानजी के गुणों के बारे मे कहा गया है कि आप विद्धान ,गुण और चतुर हैं आप इन सभी गुणों को धारण करने वाले हैं।और प्रभु राम जी की सेवा मे सदैव ही तत्पर ही रहते हैं। हे हनुमानजी आपको प्रणाम है।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||
आप प्रभु राम की कथा को सुनने के लिए सदैव लालायित रहते हैं। तभी तो कहा जाता है कि जहां कहीं पर भगवान राम की कथा होती है वहां पर हनुमानजी जरूर आते हैं। इस प्रकार की कई कहानियां भी प्रचलित हैं।राम लक्ष्मण आपके हृदय मे विराजते हैं। तभी तो भरी सभा मे हनुमानजी ने अपने सीने मे राम और लक्ष्मण के दर्शन करवाये थे ।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा |
बिकट रूप धरि लंक जरावा ||
हे हनुमानजी आप अपने रूप को बदलने मे सक्ष्म हैं आपने सूक्ष्म रूप को धारण करके माता सीता को अशोक वाटिका मे दर्शन दिया तो विकराल रूप को धारण करके जब रावण ने आपको जलाने की कोशिश की तो सारी लंका को जला डाला और उसको तहस नहस कर डाला।
भीम रूप धरि असुर सँहारे |
रामचन्द्र के काज सँवारे ||
हे हनुमानजी आपने भीम के समान विशाल रूप को धारण करके असुरों या राक्षसों का विनाश किया और प्रभु राम के कार्य को पूर्ण किया । जिस प्रकार से हनुमानजी ने राम की मदद की वह वास्तव मे एक महामानव ही कर सकता है।
लाय सजीवन लखन जियाये |
श्री रघुबीर हरषि उर लाये ||
जब बाण की वजह से लक्ष्मण बेहोश हो गए तो उनको वापस जिंदा करने के लिए संजीवनी बूंटी की आवश्यकता थी। उस बूंटी को सिर्फ हनुमान ही ला सकते थे और उसके बाद हनुमान जी ने संजीवनी बूंटी को लाकर लक्ष्मण को जीवित किया । जिसके बाद प्रभु राम ने आपको ह्रदय से लगा लिया ।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
भगवान राम ने तुम्हारी प्रसंसा की और कहा कि हे हनुमान तुम भरत के समान ही मुझे अति प्रिय हो ।रामायण मे हनुमान की सहायता से राम प्रसन्न हुए और उनकी प्रसंसा की थी।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं |
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ||
हजारों मुख वाले शेष नाग हे हनुमान तुम्हारे यश का गान करें ।ऐसा कहकर हनुमानजी को रामजी ने अपने गले से लगा लिया और रामजी का भी गला भर आया ।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते |
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ||
हे हनुमानजी आपके यश का गान सनकादिक ऋषि, ब्रह्मा और अन्य मुनि गण, नारद, सरस्वती के साथ शेषनाग, यमराज , कुबेर आदि भी नहीं कर सकते हैं। फिर कोई सामान्य कवि तो आपके यश का गान कैसे कर सकता है ? आप महान से भी महान हैं। अर्थात भगवान राम ने हनुमानजी के यश के बारे म चर्चा की है।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
हे हनुमान तुमने ही सुग्रीव को राम से मिलाया था और उसकी की बदलौलत सुग्रीव राजपद को प्राप्त किया था। सुग्रीव रामायण के एक प्रमुख पात्र है सूर्यनारायण और अरूण के पुत्र और बालि के अनुज थे। सुग्रीव ने राम की मदद से ही अपने भाई का वध किया था।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना |
लंकेस्वर भए सब जग जाना ||
आपके सलाह को मानकर विभीषण लंकेश्वर हुए यह सारा संसार जानता ही है।
जुग सहस्र जोजन पर भानू |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
हे हनुमानजी आपने हजारो योजन दूर सूर्य को मीठा फल समझकर खालिया था। जैसा कि आपको पता होगा एक कहानी के अनुसार जब हनुमानजी को भूख लगी तो उन्होंने सूर्य को ही फल समझ कर खालिया था। इसप्रकार की कहानी के बारे मे आपने भी पढ़ा होगा ।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं |
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ||
जब आपको सीता की तलास करने के लिए भेजा गया तो आपने भगवान की राम की अंगूठी को निशाने के तौर पर लिया था। जिससे यह पता चल सके कि आप राम के दूत हैं। और आपने उस अंगूठी को मुख मे दबाया और विशाल समुद्र को लांघ गए थे । बाद मे माता सीता को अंगूठ प्रदान की ।
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ||
इस संसार के अंदर जितने भी दुर्गम हैं या जो भी कठिन कार्य हैं वे सब आपकी कृपा मात्र से ही सरल हो जाते हैं।इसका अर्थ यह है कि यदि कोई हनुमानजी की भगती करता है और उनकी कृपा प्राप्त कर लेता है तो सब बाधाएं मिट जाती हैं।
राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||
भगवान राम के द्धवारपालक आप ही हैं आपकी आज्ञा के बिना राम के दरबार मे प्रवेश नहीं मिल पाता है।इसका अर्थ यह है कि आप भगवान राम के सेवक हैं आपकी कृपा जो प्राप्त कर लेता है। उसके उपर भगवान राम की कृपा अपने आप ही हो जाती है।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रच्छक काहू को डर ना |
जो इंसान आपकी शरण मे आ जाता है या जो इंसान आपकी छत्रछाया मे आ जाता है उसको सभी तरह के सुख प्राप्त हो जाते हैं।उसके सभी दुख भी दूर हो जाते हैं।जिसकी आप रक्षा करते हैं उसे किसी से डरना नहीं चाहिए क्योंकि आपके होते हुए उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
आपन तेज सम्हारो आपै |
तीनों लोक हाँक तें काँपै ||
हे महावीर आप अपने तेज के बल को स्वयं ही सम्हाल सकते हैं आपकी हुंकार से तीनों लोक कांपते हैं।इसका अर्थ यह है कि आप का तेज ऐसा है कि हर कोई उसको सम्हाल नहीं सकता है।आपके तेजस स्वरूप को हर कोई नहीं देख सकता है।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै |
महाबीर जब नाम सुनावै ||
भूत प्रेत और पिशाच के बारे मे तो आप अच्छे तरह से जानते ही हैं जिस प्रकार से इंसानों की दुनिया है उसी प्रकार से भूत प्रेतों की भी दुनिया होती है। हे हनुमानजी आपका नाम लेते ही भूत पिशाच निकट नहीं आते हैं। अक्सर जब हम कई बार किसी संकट के अंदर फंस जाते हैं तो हनुमानजी का नाम लेने लग जाते हैं। ऐसा करने से भूत भाग जाते हैं। तभी यह कहा गया है।
नासै रोग हरे सब पीरा |
जपत निरन्तर हनुमत बीरा ||
हनुमानजी की पूजा करने के फायदे एक लेख के अंदर हमने यह बताया था कि हनुमानजी की पूजा करने से कई सारे फायदे होते हैं।यहां पर यह कहा गया है कि जो इंसान हनुमानजी के नाम का निरंतर जाप करता रहता है । उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसकी जो पीड़ा है वह पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। बहुत से लोग ऐसे हैं जिनकी पीड़ा हनुमानजी ने हरली है। आपके आस पास भी अनेक ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे ।
संकट तें हनुमान छुड़ावै |
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ||
जो इंसान मन कर्म और वचन से हनुमानजी का ध्यान करता रहता है उसको संकट से हनुमानजी बचा लेते हैं। या जो हनुमानजी का सच्चा भगत होता है उसके उपर किसी तरह का संकट हनुमानजी नहीं आने देते हैं। हनुमानजी ने मेरे सर पर आए बड़े संकट को काट दिया था।तभी तो हनुमानजी महान हैं।
सब पर राम तपस्वी राजा |
तिन के काज सकल तुम साजा ||
राम स्वयं भगवान हैं उनके समस्त कार्यों का संपादन भी आपके ही द्धारा किया गया । जैसा कि रामायण मे पता चलता है कि राम के समस्त कामों मे हनुमानजी का बहुत बड़ा सहयोग रहा था।
और मनोरथ जो कोई लावै |
सोई अमित जीवन फल पावै ||
हे हनुमानजी जो कोई भी आपकी भगती करता है।आपकी पूजा करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं या कहें कि उसके सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं। उसकेा किसी भी कार्य के बारे मे चिंता करने की जरूरत नहीं होती है। उनको हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
चारों जुग परताप तुम्हारा |
है परसिद्ध जगत उजियारा ||
हे हनुमानजी आपके नाम का प्रताप चारो युग के अंदर गुंज रहा है। मतलब यही है कि चारो युगों मे आपके यश का गान है। जैसा कि हिंदु धर्म मे 4 युग के बारे मे बताया गया है।सतयुग, त्रेता , द्वापर और कलियुग । इन सभी मे आपका यश लोग गाते रहेंगे ।
साधु सन्त के तुम रखवारे |
असुर निकन्दन राम दुलारे ||
आप साधु संतों की रक्षा करने वाले हैं। जैसा कि आपको पता ही होगा की आज ही नहीं प्राचीन काल के अंदर भी राक्षस जाति के लोग अपनी मायावी ताकतों की वजह से साधु संतों पर अत्याचार करते थे ।लेकिन हे हनुमानजी आप असुरों का संहार करने वाले और प्रभु राम के अत्यधिक प्रिय हैं। आप प्रभु राम के सेवक हैं।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता |
अस बर दीन जानकी माता ||
इसके अंदर हनुमानजी की सिद्धियों के बारे मे वर्णन करते हुए कहा गया है कि हे हनुमानजी आप आठ सिद्धियों और नो निधियों के दाता हैं या आप आठ सिद्धियां प्रदान करते हैं। इसका वरदान बचपन मे ही आपकी माता ने आपको दिया था।
राम रसायन तुम्हरे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ||
हे हनुमानजी आप अनन्त काल से राम के भगत हैं और आप सदैव ही राम नाम का गुणगान करते रहते हैं। आपके पास राम रूपी सबसे बड़ा धन है ।राम नाम की औषधी सदैव ही आपके पास रहती है।
तुह्मरे भजन राम को पावै |
जनम जनम के दुख बिसरावै ||
हे हनुमानजी जो कोई भी तुम्हारी भगती करता है।उसके सारे दुख समाप्त हो जाते हैं और उसके बाद राम की कृपा प्राप्त होती है। कहने का मतलब यह है कि जो इंसान तुम्हारी भक्ति करता है उसे राम की कृपा तो अपने आप ही प्राप्त हो जाती है।
अन्त काल रघुबर पुर जाई |
जहाँ जन्म हरि–भक्त कहाई ||
इसमे यह बताया गया है कि जो आपका भगत है जो आपकी पूजा करता है।और जो आपका ही सदैव ध्यान करता रहता है वह मरने के बाद आपके लोक मे चला जाता है और जन्म लेने के बाद हरिभगत बन जाता है।
जैसा कि गीता मे भी बताया गया है कि जो इंसान जिस देवता की भक्ति करता है वह मरने के बाद उसी देवता को प्राप्त हो जाता है या उसके लोक के अंदर चला जाता है।
और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ||
जो इंसान दूसरे देवता की पूजा ना कर आपकी ही पूजा करता है।वह आपकी पूजा मात्र से ही समस्त सुखों को प्राप्त कर लेता है। इसका मतलब यह है कि आपकी पूजा करने के बाद किसी अन्य देवता की पूजा आप ना भी करें तो भी आप समस्त सुखों को भोग सकते हैं।
संकट कटै मिटै सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
जो इंसान हनुमानजी का ध्यान करते हैं उनके नाम का जाप करते हैं उनकी पूजा करते है।उनके सभी संकट कट जाते हैं और उनकी पीड़ा भी नष्ट हो जाती है।मतलब यही है कि हनुमानजी के भगतों की सब पीड़ा को वे हर लेते हैं।
जय जय जय हनुमान गोसाईं |
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ||
हे हनुमान गोसांई सदैव ही आपकी जय हो ,आप सदैव गुरूदेव के समान मुझपर कृपा करें । एक गुरू के समान मुझपर कृपा बनाए रखें ।
जो सत बार पाठ कर कोई |
छूटहि बन्दि महा सुख होई ||
जो इंसान हनुमान चालिसा का 100 बार पाठ करता है उसके सारे संकट मिट जाते हैं।और उसे सुख की प्राप्ति होती है। इसका मतलब यह है कि आप हनुमान चालिसा का 100 बार पाठ करते हैं तो आपको परमपद की प्राप्ति होती है।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
जो हनुमान चालिसा का पाठ करता है उसे सिद्धि प्राप्त होती है। और इसके साक्षी स्वयं भगवान शिव हैं।कहने का मतलब यह है कि भगवान शिव की कृपा से हनुमान चालिसा पढ़ने पर सिद्धि मिलती है।
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ||
हे हनुमानजी तुलसी दास जी सदैव प्रभु राम के भगत हैं।ऐसा जानकर आप सदैव मेरे हृदय मे निवास करें ।इसका अर्थ यह है कि आप मेरे मन मे कुछ ऐसा करें कि आपके जैसे गुण मेरे अंदर आ जाए और मेरा कल्याण हो ।
पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ||
हे मंगल मूर्ति पवनसुत हनुमान जी, आप मेरे ह्रदय में राम लखन सीता सहित निवास करें ।
हनुमान चालिसा सिद्धी के फायदे
हनुमान चालिसा के फायदे के बारे मे हमने एक अन्य लेख मे बताया था। लेकिन यहां पर भी इसके बारे मे थोड़ा जिक्र कर लेते हैं।ऐसा माना जाता है कि कलयुग मे हनुमानजी एक जागृत देव हैं और जो इनकी पूजा करता है उनके समस्त दुखों का नाश हो जाता है। और उसके बाद वह अनन्त काल तक परलोक के अंदर निवास करता है। आमतौर पर हनुमान चालिसा पढ़ने के फायदे सिर्फ इतने ही नहीं है कि आपका भौतिक कल्याण होगा । वरन इसके फायदे यह भी है कि यह परलौकिक कल्याण मे भी मदद करता है।
आपको यह भी बतादें कि बिना हनुमानजी की आज्ञा के भगवान राम के दर्शन नहीं हो सकते हैं। इसका उल्लेख भी किया गया है।
हनुमान चालिसा सिद्धी के फायदे आत्मविश्वास मे वृद्धि
हनुमान चालिसा सिद्धी से आपके आत्मविश्वास मे बढ़ोतरी होगी। और एक बार जब आपके अंदर आत्मविश्वास स्थापित हो जाता है तो आप किसी भी काम को काफी बेहतर ढंग से कर सकते हैं।आमतौर पर यह देखा गया है कि कई लोगों को काम तो बहुत ही अच्छा आता है लेकिन उनके अंदर आत्मविश्वास नहीं होता है जिसकी वजह से वे काम को सही ढंग से नहीं कर पाते हैं। लेकिन यदि आप हनुमान चालिसा को सिद्ध कर लेते हैं तो आपके अंदर भरपूर आत्मविश्वास आ जाएगा ।
भय से मुक्त हो जाते हैं आप
मन के अंदर कई बार छोटी छोटी बांतों को लेकर भय पनप जाता है। ऐसी स्थिति मे कोई भी काम सही से नहीं हो पाता है। और इसका परिणाम यह होता है कि हम पिछड़ जाते हैं यदि आपके मन मे बार बार भय की समस्या हो तो आप खुद को निर्भय बनाने के लिए हनुमान चालिसा का पाठ करें और उसे सिद्ध करलें। जिससे कि आपके अंदर निर्भयता आ जाएगी ।
जो इंसान हनुमानजी की पूजा करता है उसके अंदर निर्भयता आ जाती है और उसके बाद रात के अंधेरे मे डरने जैसी समस्याएं नहीं आती है।
आर्थिक समस्याओं से छूटकारा मिल जाता है
आज के समय अर्थ काफी महत्वपूर्ण हो चुका है बिना अर्थ के कुछ भी नहीं होता है।और यदि अर्थ नहीं है तो फिर कोई भी काम आपका नहीं होगा । इसलिए घर को चलाने मे अर्थ बहुत ही उपयोगी होता है। यदि आपने हनुमान चालिसा को सिद्ध कर लिया है जो इसके प्रभाव से आपके काम धंधे जो ठप्प पड़े हैं वे सही हो जाएंगे और इनसे आपको इनकम होना शूरू हो जाएगी और उसके बाद आपके घर की जो आर्थिक समस्या है वह दूर हो जाएगी । यह आप ट्राई कर सकते हैं।
कार्यों का विघ्न दूर होता है
दोस्तों आपको यह बतादें कि कार्यों का विघ्न भी दूर होता है। आमतौर पर कई लोगों के साथ यह होता है कि वे जब भी काम शूरू करने का प्रयास करते हैं तो काम के अंदर बार बार रूकावटें आ जाती हैं। और कई बार तो बनता बनता काम भी रूक जाता है।
ऐसी स्थिति मे बेकार के कामों मे उलझ जाते हैं। यदि आपके कामों मे बार बार रूकावट आ रही है तो आप हनुमान चालिसा को सिद्ध करलें ।जिससे की कामों मे रूकावट आना बंद हो जाएगी ।
रूकावट का अर्थ यह है कि आपके काम अटक जाते हैं और लंबे समय तक काम नहीं हो पाते हैं। और आप कामों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहते हैं लेकिन उसके बाद भी काम नहीं बन पाते हैं।
नकारात्मकता दूर हो जाती है
यदि आप हनुमान चालिसा को सिद्ध कर लेते हैं तो आपके अंदर की नकारात्मकता दूर हो जाती है और सकारात्मकता का संचार होने लग जाता है। कहने का मतलब यह है कि आपके मन मे जो नकारात्मक विचार होते हैं वे नष्ट हो जाते हैं और उसके स्थान पर अच्छे और सात्विक विचार आने लग जाते हैं।
हनुमान चालिसा को सिद्ध करने के लिए भी आपको सात्विक होना पड़ता है। और उसके बाद जब धीरे धीरे हनुमान चालिसा को पढ़ते हैं तो उसके बाद आप गलत प्रवृतियों को छोड़ते चले जाते हैं। और अच्छी चीजों को ग्रहण करना आपकी आदत बन जाती है।
रोगों से मुक्ति मिलती है
दोस्तों यदि आप हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं या फिर उसे सिद्ध कर लेते हैं तो आपके काया कष्ट कम हो जाते हैं। काया कष्ट का मतलब यह है कि आपके शरीर को जो अनेक प्रकार के रोग जकड़े हुए होते हैं वे धीरे धीरे करके कम हो जाते हैं और उसके बाद आराम मिलता है।आपके सामने अनेक ऐसे उदाहरण हैं जिनमे हनुमानजी ने भगतों का कल्याण किया था।
यदि आप हनुमानजी के भगत हैं तो आपको इसके बारे मे अच्छे से पता ही होगा । लेकिन यदि आप हनुमानी के भगत नहीं हैं तो आप उनके भगतों से पता कर सकते हैं। कई लोगों के असाध्य रोग ठीक हो गए जिनके बारे मे डॉक्टर तक मना कर चुके थे ।
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं
दोस्तों आपको बतादें कि जो इंसान हनुमान चालिसा को सिद्ध कर लेता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। और वह जो कुछ भी इच्छा करता है उसकी वह इच्छा पूरी होती है। तो आपको भी हनुमान चालिसा सिद्ध करनी चाहिए ।
बहुत से लोग मनोकामना की पूर्ति का गलत अर्थ निकालते हैं। उनको यह लगता है कि यदि हम हनुमान चालिसा को सिद्ध कर लेते हैं तो उसके बाद यदि हनुमानजी से कार मांगेगे तो वे देदेंगे । लेकिन असल मे आपको इसके लिए खुद मेहनत करनी होगी । देवता आपकी मेहनत के अंदर जो रूकावट बन रही है उसको दूर कर सकते हैं।लेकिन कर्म तो आपको ही करना होगा बिना कर्म किये कोई आपको कुछ भी नहीं दे सकता है।
यदि आप सही से कर्म करते हैं और उसके बाद आपको वह नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति मे देवता आपकी मदद करते हैं।
शत्रू पराजित होते हैं
दोस्तों यदि आप हनुमान चालिसा को सिद्ध कर लेते हैं तो शत्रु पर भी आप विजय हाशिल कर पाएंगे जो लोग हनुमानजी की पूजा करते हैं उनके शत्रू हनुमानजी के बल से कमजोर पड़ती हैं और उनको नाना प्रकार के कष्टों से होकर गुजरना पड़ता है।अक्सर जब आप किसी ज्योतिष और पंडित के पास किसी काम से जाते हैं और पूछते हैं कि शत्रुओं को शांत कैसे किया जाए तो आपको पता होगा कि आपको बजरंग बाण का पाठ बताया जाता है।बजरंगबाण का पाठ यदि आप निरंतर करते हैं तो आपके शत्रु यातों समाप्त हो जाते हैं या फिर वे अपनी शत्रुता को समाप्त कर लेते हैं।इसलिए यदि आपको शत्रुओं का भय बना रहता है तो आपको हनुमानजी की पूजा और हनुमान चालिसा सिद्ध करनी चाहिए यह आपके लिए बहुत उपयोगी होती है।
हनुमान चालिसा सिद्ध करने के फायदे अध्यात्मिक कल्याण होता है
अब यदि आप हनुमान चालिसा को सिद्ध कर लेते हैं तो इसका एक फायदा यह भी है कि आपका अध्यात्मिक कल्याण होता है। धीरे धीरे आप बुरी चीजों को छोड़ने लग जाते हैं और अच्छी चीजों को अपनाने लग जाते हैं । इस प्रकार से आप अच्छाई की तरफ जाते हैं। आप हनुमान जी के भगत होने की वजह से सूक्ष्म जगत मे जाने के बाद आपको इधर उधर भटकने की आवश्यकता नहीं होती है। वरन हनुमानजी खुद आपको अपने लोक मे ले जाते हैं जो सबसे अच्छी बातों मे से है।
असल मे जो इंसान एक बार सिद्धियों को पाने की इच्छा करता है बाद मे उसकी और अधिक इच्छाएं बढ़ने लग जाती हैं। और वह निरंतर आगे बढ़ता चला जाता है। ऐसा व्यक्ति खुद का तो कल्याण करता ही है। इसके अलावा भी दूसरों का भी कल्याण करने मे काफी मदद करता है।
हनुमान चालीसा की सिद्धि कैसे करें ? लेख के अंदर हमने यह जाना कि किस प्रकार से हम हनुमान चालिसा को सिद्ध कर सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको सब कुछ आसानी से समझ आ गया होगा । यदि इस संबंध मे आपका कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं।
एक बार फिर हम यही कहना चाहेंगे कि आप केवल तभी हनुमान चालिसा को सिद्ध करें जब आप एक गुरू बना चुके हों बिना गुरू के हनुमान चालिसा को सिद्ध करना सही नहीं होगा ।
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