khud se baat karne ki bimari khud se baat karne ke fayde के बारे मे हम बात करने वाले है।दोस्तों यह कोई आज की कहानी नहीं है। मैं खुद से बात करता हूं । मैं अक्सर अकेलापन पसंद करता हूं , तो खुद से बात भी कर लेता हूं । यह आज की बात नहीं है। यह हमेशा से ही ऐसा ही हूं । बहुत से लोगों को खुद से बात करना एक बीमारी लग सकती है। लेकिन यह एक बीमारी नहीं है। और फायदे का सौदा है। हालांकि यह एक बीमारी भी हो सकती है। जैसे कि आप हर वक्त बिना काम की बातें करने लग जाते हैं। जिसका कोई सिर पैर नहीं होता है , तो फिर यह एक बीमारी का रूप हो सकता है। मगर यह देखा गया है , कि जो लोग खुद से बातें करते हैं ,वे अक्सर कल्पना भी करते हैं। और जरूरी बातें भी करते हैं। एक वैज्ञानिक रिसर्च से यह पता चला है , कि जो लोग खुद से बातें करते हैं , वे काफी बुद्धिमान होते हैं। क्योंकि वे अक्सर जटिल फैसले इसी तरह से लेते हैं। वे खुद को एक पक्ष मे और दूसरे को दूसरे पक्ष की तरह रखते हैं। और तर्क वितर्क करते हैं। जिससे कि फैसले सही जाने के चांस काफी अधिक बढ़ जाते हैं।
आज हम अपने अनुभव से आपको बताने वाले हैं। कि खुद से बात करने से क्या क्या फायदे आपको मिल सकते हैं। जितना की हमने अनुभव किया है। उसके हिसाब से ही हम आपको बताने का प्रयास करने वाले हैं।
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khud se baat karne ke fayde अकेलापन महसूस नहीं होता है
दोस्तों जो लोग खुद से बात करते हैं , उनकी खास बात यह होती है , कि उनके अंदर अकेलापन महसूस नहीं होता है। अक्सर वे लोग खुद से बात करने लग जाते हैं , तो उनको किसी भी तरह के साथी की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन जो लोग खुद से बात नहीं करते हैं , उनको अक्सर अकेलापन महससू होता है। लेकिन खुद से बात करने वाले लोग भीड़ के अंदर रहना पसंद नहीं करते हैं। वरन अकेला रहना पसंद करते हैं।
khud se baat karne ke fayde कभी भी बोरियत महसूस नहीं होती है
अकेले बात करने वाले इंसान को कभी भी बोरियत महसूस नहीं होती है। क्योंकि जब भी उसको बोरियत महसूस होती है , वह खुद से बात करने लग जाते हैं। और काफी मस्त रहते हैं। तर्क वितर्क खुद से ही करने लग जाते हैं। जिसकी वजह से उनको जरा भी बोरियत का एहसास नहीं होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। मुझे जब भी बोरियत महसूस होती थी , तो मैं ऐसा ही करता था । उस वक्त कल्पना करने लग जाता था । और आपको पता ही है , कि जब हम अच्छी अच्छी कल्पना करते हैं , तो फिर बोरियत महसूस होने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है।
मन को सकून मिलता है
दोस्तों अपने आप से बात करने से एक तरह से हमारे मन को सकून मिलता है। इसकी वजह यह है , कि जो लोग अकेले से बात करते हैं , वे खुद को काफी सकून मे पातें हैं। क्योंकि वे इस तरह की कल्पना पैदा कर सकते हैं , जोकि उनके दिल को सकून देने का काम करती है। इस तरह की कल्पना करने के लिए उनको किसी भी तरह का पैसा नहीं देना पड़ता है। इस तरह से देखा जाए तो अकेले बात करना दिल को सकून देता है। और काफी संतोष होता है। यकीन नहीं आता है , तो आप खुद ट्राई कर सकते हैं।
कल्पना शक्ति के अंदर बढ़ोतरी होती है
अकेले बात करने से आपकी कल्पना शक्ति के अंदर भी बढ़ोतरी होती है। ऐसा नहीं है , कि अकेेले बात करने से कुछ अच्छा नहीं होता है। जब आप खुद से बात करते हैं , तो धीरे धीरे आप तरह तरह की कल्पना करना सीख जाते हैं , इस तरह की कल्पना का प्रयोग आप कुछ क्रियटिव करने मे भी कर सकते हैं। जैसे कि कोई लेख लिखना या फिर कोई कहानी लिखना आदि के अंदर आप कर सकते हैं।
तार्किक क्षमता के अंदर बढ़ोतरी होती है
खुद से बात करने से इंसान की तार्किक क्षमता के अंदर भी बढ़ोतरी होती है। क्योंकि उसके जीवन के अंदर कुछ इस तरह की समस्याएं आती हैं , जिनके उपर उसको तर्क वितर्क करना पड़ता है। और तर्क वितर्क करने की वजह से वह अपने तार्किक क्षमता के अंदर सुधार करने मे काफी हद तक सक्षम हो जाता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। यदि आप भी अपनी तार्किक क्षमता के अंदर बढ़ोतरी करना चाहते हैं , तो यह उपाय कर सकते हैं।
अपने टारगेट को लेकर होते हैं क्लियर
खुद से बात करने वाले लोग हमेशा अपने टारगेट को लेकर काफी क्लियर होते हैं। इसके अंदर कोई शक नहीं है। वे उन लोगों की तरह नहीं होते हैं , जिनके पास कोई भी टारगेट नहीं होता है। वे अक्सर फिक्स टारगेट के साथ आते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर उनके सफल होने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं , क्योंकि वे अपनी पूरी उर्जा को बस एक ही दिशा के अंदर लगाने का काम करते हैं।
आप अपने विचारों को लेकर क्लियर होते हैं
दोस्तों यदि आप खुद से बात करते हैं , तो आप अपने विचारों को लेकर क्लियर हो जाते हैं। मतलब आपको किसी भी तरह की इफ बट वाली स्थिति नहीं रहती है। आपको यह अच्छी तरह से पता चल जाता है , कि आपको क्या करना है ? और क्या नहीं करना है ? इन सब चीजों के अंदर आप पहले से ही तय कर चुके होते हैं।
आपके फैसले हमेशा सही होते हैं
जो लोग खुद से बात करते हैं , उनके फैसले हमेशा सही होने के चांस होते हैं। क्योंकि किसी भी फैसले को लेने से पहले वे यह तय करते हैं , कि उनको क्या करना चाहिए ? और तर्क वितर्क करने के बाद ही वे कोई फैसला लेते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । खुद से बात करने वाले लोग तुरंत ही कोई फैसला नहीं लेते हैं। उनको इसके अंदर काफी अधिक समय लगता है।
खुद को बेहतर तरीके से कंट्रोल करना
जो लोग खुद से बात करते हैं , उनके बारे मे यह कहा गया है , कि वे खुद को काफी बेहतर तरीके से कंट्रोल कर सकते हैं। यदि उनके मन मे किसी के प्रति गुस्सा और नाराजगी रहती है , तो वे उसके बारे मे अच्छे से विचार करते हैं , और उसके बाद तय करते हैं , कि उनको क्या करना चाहिए ? और क्या नहीं करना चाहिए ।
खुद से बात करने के फायदे तनाव को कम करता है
खुद से बात करना एक तरह से आपके तनाव को कम करने का काम करता है। यदि आप अक्सर तनाव के अंदर रहते हैं , तो आपको खुद से बात करनी चाहिए । जिससे कि धीरे धीरे आपका तनाव अपने आप ही दूर हो जाएगा । वैसे भी आजकल आपको तनाव बहुत अधिक देखने को मिल जाता है। तनाव होने की वजह से कई लोग सुसाइड तक कर लेते हैं। तो तनाव से बचने के लिए यह एक अच्छा तरीका हो सकता है।
एकाग्रता मे बढ़ोतरी होती है
यदि आपको खुद से बात करने की आदत है , तो आपकी एकाग्रता के अंदर बढ़ोतरी होने के चांस काफी अधिक हो जाते हैं। क्योंकि आप समस्याओं के बारे मे अच्छी तरह से विचार करते हैं , और चीजों को समझने का प्रयास करते हैं। एक तरह से एकाग्रता मे काफी अच्छी बढ़ोतरी आपको आगे बढ़ने मे मदद करने का काम करती है।
क्या खुद से बात करना एक बीमारी हो सकती है ?
अक्सर यदि आप और हम जोकि खुद से बात करते हैं , और किसी और को बात करते हुए देखते हैं , तो हमको यह सब सामान्य लगता है। मगर यदि कोई खुद से बात नहीं करता है। और वह यह सब चीजों को देखता है , तो उसके लिए यह सब अजीब हो सकता है । क्योंकि वह खुद से बात नहीं करता है। ऐसी स्थिति के अंदर उसे यह लग सकता है कि मानसिक परेशानी है। मगर यह सच नहीं है। आमतौर पर हम सभी कभी ना कभी खुद से बात करते ही हैं। कुछ लोग कम बात करते हैं , तो कुछ लोग अधिक बात करते हैं। जैसे कि आपको चाबी नहीं मिल रही है , तो आप खुद से बात कर सकते हैं कि अब चाबी नहीं मिल रही है , क्या करें कहां पर हमने उसको रख दिया था , तो यह कोई मानसिक बीमारी नहीं है।
मानसिक बीमारी के लक्षण पूरी तरह से अलग होते हैं। अक्सर जो लोग मानसिक बीमार होते हैं। वे खुद से बात तो करते हैं। मगर इस तरह की कोई भी बुद्धिमानी भरी बात नहीं करते हैं। उनका ऐसा कोई मकसद नहीं होता है , कि वह इस तरीके से किसी समस्या को सुलझाएं । वे अक्सर बेकार और फिजुल की बातें करते है। और यही उनका हमेशा ही चलता रहता है।
और आपको यह भी पता होना चाहिए । कि जो लोग खुद से बात करते हैं। और मानसिक बीमारी के शिकार नहीं है। वे हर वक्त आपको खुद से बात करते हुए नहीं मिलेंगे । वे तभी आपको बात करते हुए मिलेंगे , जब उनको जरूरत होगी । बिना जरूरत के वे बस बात नहीं करेंगे । यह भी आपको पाइंट को नोट करना चाहिए। इसलिए ही तो वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर यह बात सामने आई है कि खुद से बात करने वाले इंसान काफी अधिक बुद्धिमान होते हैं।
खुद से बात करने वालों का मजाक उड़ाया जा सकता है
समाज के अंदर खुद से बात करने को काफी अधिक बुरा माना जाता है। और इसका मजाक उड़ाया जा सकता है। इसलिए यदि आप खुद से बात करते भी हैं। तो आपको किसी के सामने ऐसा नहीं करना चाहिए । आपको तब ऐसा करना चाहिए । जब आप अकेले होते हैं। यदि आप अकेले नहीं हैं , तो फिर आपको खुद से बात करने से बचना होगा । नहीं तो लेाग आपको यही समझेंगे कि आप पागल हैं।
क्योंकि इस तरह का व्यवहार पागल लोग ही करते हैं।
खुद से बात करने की आदत को कैसे रोंके ?
दोस्तों खुद से बात करने की आदत को रोकना काफी आसान हो सकता है। लेकिन आपको इसको रोकने की कोई जरूरत नहीं है। यह आपको किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है। वरन आपको फायदा ही देने का काम करती है। बस आपको इसको सही तरह से इस्तेमाल करना आना चाहिए ।