बहुत से लोगों की यह समस्या होती है कि उनका study के अंदर मन नहीं लगता है। उनका सिर्फ एक ही सवाल होता है कि उनका पढाई के अंदर मन क्यों नहीं लग रहा है
जबकि वे खुद तो पढ़ना चाह रहे हैं।
इस question का उनके पास कोई answer नहींहोता है। मन नहीं लगने की वजह से study ढंग से नहीं होती है । जबरदस्ती पढ़ने का नतीजा यह होता है कि कुछ ढंग से याद नहीं हो पाता है जिसका result तों आप जानते ही हैं। आपको पता है कि आज के समय मे study कितनी important हो गयी है। जबरदस्ती study करने से वैसे भी सक्सेसहोने के चांसेज बहुत ही कम हो जाते हैं ।
जब हम पढ़ने बैठते हैं जब हमारा मन study के अंदर होता है तो ही अच्छी study कर पाते हैं । किंतु पढ़ने मे मन नहीं है तो पढ़ने की इच्छा भी नहीं होती है।
ऐसे जाने study मे मन नहीं लगने का कारण
अपना study मे मन नहीं लगने का कारण पता करने के लिये आप इस question का answer पता करें
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आपके दिमाग के अंदर क्या विचार आते हैं जब आप पढ़ने बैठते हैं या पढ़ रहे होते हैं जोकि आपको दूसरा काम करने को उकसाते हैं ?
इस question का answer आप खुद ही पता करें आपको study के अंदर मन नहीं लगने का कारण अपने आप ही पता चल जायेगा।
जब हम पढ़ने बैठते हैं तो दूसरे कार्य से जुड़े विचार हमारे दिमाग के अंदर आने लगते हैं। जो हमारे दिमाग को बताता है कि पढ़ने से कोई फायदा नहीं है।
इस तरह के विचार की वजह से हमारा पढ़ने मे मन नहीं लगता है। यह ही विचार हमारे study मे मन नहीं लगने का कारण हैं।
एक उदाहरण के लिये जब भी मैं कोई competitions की कोई बुक लेकर बैठता हूं तो तुरन्त ही मेरे दिमाग मे यह विचार आने लगते हैं कि मैं इस काम मे सक्सेस नहीं हो सकता । इसलिये मुझे यह काम बंद कर देना चाहिये । सो मैं यह काम छोड़ देता हूं ।
कई बार ऐसा भी हो सकता है कि बहुत से विचार हमारी study मे बाधक हो जाते हैं। जैसे ही हम पढ़ने की सोचते हैं तो तुरन्तहीTV देखने और खेलने के विचार आने लगते हैं। यहां पर यह विचार हमारे मन नहीं लगने का कारण होते हैं। इसी तरह से जब आप पढने बैठे तो आपके दिमाग के अंदर आने वाले दूसरे काम से जुड़े विचारों को नोट करें । यही आपका study के अंदर मन नहीं लगने का कारण हैं।
आखिर क्यों यह विचार study के समय ही अपने आप ही आने लगते हैं?
इस question का answer मुझे कुछ रोचक लग रहा है। यहां पर होता यह कि हमारे दिमाग के अंदर इस समय आने वाले विचार दो प्रकारकेहोते हैं। एक positive और दूसरे negative।negative विचारों के अंदर केवल वे ही विचार आते हैं जोकि हमारे दिमाग पर अधिक effect डाल चुके हैं। और positive विचारों के अंदर केवल वे ही विचार आते हैं। जिनसे जुड़े काम करने मे आपको करने से अधिक मजा आता है।
ऐसी बात नहीं है कि जब हम study करते हैं तब ही यह विचार हमारे दिमाग मे अपने आप ही आते हैं। वरन यह positiveविचार उन सभी कामों के अंदर आते हैं जोकि इनसे कम रूचि कर होते हों । और इसमे कुछ अन्य बाते भी जुड़ी होती हैं। आप खुद भी इस बात का पता लगा सकते हैं।
इस बात का पता लगाने के लिये मैंने एक प्रयोगकिया था । जिसका यहां पर जिक्र करना आवश्यक है।
1 मैने एक competitions की book को लिया और पढ़ने लगा किंतु कुछ देर पढ़ने के बाद मेरा मन इसमे नहीं लगा मेरा मन केवल रूचि के काम को करने के लिये कहने लगा ।
2 मैं tv देखने के लिये tv के आगे बैठा किंतु तुरंत ही मेरे मन को यह पसंद नहीं आया और मेरी रूचि के विचार मेरे दिमाग के अंदर आने लगे तो मुझे tv के पास से दूर होना पड़ा ।
3 एक दिन मे किसी के यहां पर मजदूरीपरगया किंतु मेरा मन इस काम को कतई पसंद नहीं करता और मैं पूरे दिन किसी तरह से काटा । पूरे दिन मे केवल अपने काम के बारे मे सोचता रहा ।
आखिर इन positive thoughts की ओर हमारा मन क्यों करता है?
इस question का answer फिल्हाल मे नहीं दे सकता किंतु जहां तक मैं सोच रहा हूं । हमारे दिमाग का आंतरिक structure ही कुछ इस प्रकारकाहोता है जोकि positive प्रभावों को अधिक पसंद करता है। इनसे जुड़े कामों को करना पसंद करता है।
जब हमारा दिमाग study को पसंद नहीं करता तो हम पढ़ने के बारे मे दिन रात सोचते ही क्यों हैं ?
हमारा दिमाग पूरी तरह से इस काम को करने के लिये नहीं रोक पाता है। यानि कहें कि हमारे दिमाग के अंदर कुछ विचार ऐसे होते हैं जोकि study करने के समर्थक होते हैं ।जबकि कुछ ऐसे होते हैं जोकि इसके विरोध मे होते हैं। जो विरोधी विचार होते हैं वे study का समर्थन नहीं करते हैं चूंिक हमारा study वाला काम जटिल सिस्टमकीवजह से किसी तरह से हमको अच्छा अनुभव नहीं करा पाता है और मानव स्वभावकिnature कुछ ऐसी होती है जोकि positivefeel वाले कामों को पसंद करता हैं। यह दोनों तरह के विचार आपस मे विरोधीहोते हैं जबकि आपके दोनों विचारों के अंदर वैसे कोई फर्क नहीं होता है केवल positive प्रभाव देने का ही अंतर होता है।
जो दूसरे पढ़ाई से जुड़े विचार आपको पढ़ने के लिये कहतें हैं जबकि दूसरे इसका विरोध करतें हैं। इन पहले प्रकार के विचारों से आप पढ़ने की इच्छा करते हैं । जबकि दूसरे की वजह से आपका मन पढ़ने मे नहीं लगता ।
यहंा पर मैं आपको पूरी तरह से नहीं समझा सकता क्योंकि जटिल चीजों को अधिकतर विजिटिर पसंद नहीं करते ।
यह लेख आपको कैसा लगा कम्मेंट से बतायें ।