क्या आप जानते हैं कि आदमी कितने प्रकार के होते हैं (aadmi kitne prakar ke hote hain) ? या मनुष्य कितने प्रकार के होते हैं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
दोस्तों यदि बात करें इस धरती पर मनुष्यों की तो हम मुख्य रूप से 4 प्रकार के मनुष्यों की बात करेंगे । इस धरती के उपर जितने भी मनुष्य हैं उनको प्राचीन भारतिय ग्रंथों ने 4 भागों के अंदर बांटा है। और इन चार प्रकारों के अंदर हम सभी आते हैं। जो मनुष्य जिस प्रकार का होता है।वह वैसी ही चीजों के अंदर रूचि लेने लग जाता है । आपने देखा होगा कि कुछ लोग अपने आप ही ज्ञान के अंदर रूचि लेने लग जाते हैं जबकि कुछ लोग पढ़ना बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं। यह स्वाभाव जन्म से ही उनका होता है।
माना जाता है कि जिस मनुष्य का पिछले जन्म के अंदर जैसा संस्कार होता है वह अपने आप ही वैसा काम करने लग जाता है। आपको पता होना चाहिए कि आपको कुछ ऐसे काम पंसद आते हैं जिनका किसी प्रकार का आपके परिवार से कोई कनेक्सन नहीं होता है। जैसे कई बार आपने देखा होगा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके घर के अंदर कभी गाना तक नहीं गाया गया था लेकिन फिर भी वे एक गायक कलाकार बन जाते हैं।
यह सब संस्कार ही तो होता है।भले ही हम यह नहीं जानते हैं कि हम पिछले जन्म मे क्या थे ? और कैसे इंसान थे ? लेकिन पिछले जन्म की वासनाएं हमें इस जन्म के अंदर प्रभावित जरूर करती हैं।वासनाओं की वजह से हमारी मानसिकता अपने आप ही बदलती चली जाती है।आपने देखा होगा कि कुछ चीजों के प्रति आपका स्वाभाविक आकर्षण होता है तो कुछ चीजों को आप बिल्कुल ही पंसद नहीं करते हैं। यह सब बहुत हद तक हमारी प्रक्रति से प्रभावित होता है।
मनुष्यों को 4 प्रकारों के अंदर उनके आचरणों की वजह से बांटा गया है। तो आइए जानते हैं मनुष्य कितने प्रकार के होते हैं के बारे मे ।आपको बतादें कि यह विभाजन मनुष्य के गुणों के आधार पर ही किया गया है।एक इंसान के अंदर तीनो गुण मिक्स हो सकते हैं लेकिन कभी भी बराबर मात्रा मे नहीं होते हैं। जिस गुण की प्राधनता अधिक होती है वह उसी गुण का व्यक्ति माना जाता है। जबकि कुछ इंसान मात्र तमोगुणी होते हैं। और कुछ केवल सतोगुणी होते हैं।
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आदमी कितने प्रकार के होते हैं तमोगुणी मनुष्य (aadmi kitne prakar ke hote hain)
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस धरती पर सबसे अधिक तमोगुणी इंसान रहते हैं। तमोगुण का मतलब होता है अज्ञानी जो कुछ भी करता है वह बस अज्ञान के वशीभूत होकर करता है। उसे ना तर्क का पता होता है ना किसी और सत्य चीज को वह जानना ही चाहता है। बस सदैव वासना के अंदर वशीभूत होकर कार्य करता है। इस प्रकार के मनुष्य यह कभी नहीं सोचते हैं कि वे गलत हैं। वे बस खुद के फायदे के लिए ही काम करते रहते हैं। उनके इस बात से कोई मतलब नहीं होता है कि दूसरा क्या कहेगा । एक तमोगुणी इंसान को समझाना बहुत ही कठिन कार्य होता है। क्योंकि उस इंसान को इसी प्रकार के कार्य अच्छे लगते हैं।
इस प्रकार के इंसान अपने फायदे के लिए किसी की हत्या कर देते हैं और क्षण भर के आनन्द के लिए रेप वैगरह करने का काम करते हैं। एक तरह से देखा जाए तो तमोगुणी इंसान वासनाओं को
शांत करने के लिए भौतिक चीजों का प्रयोग करने की कोशिश करते हैं। यह हमेशा वासना के अंदर डूबे रहने वाले इंसान होते हैं। इस धरती के उपर जितने भी अमानविय कार्य होते हैं वे सिर्फ तमोगुणी इंसान के द्वारा ही किये जाते हैं। इन इंसानों की बुद्वि जानवर के जैसी होती है। देखने मे यह इंसान लगते हैं लेकिन केवल तमोगुणी जानवर से भी खतरनाख होते हैं।
केवल तमोगुणी इंसान के अंदर दया और दूसरी मानविय भावनाएं नहीं होती हैं। क्रोध हिंसा , और सारे खराब गुण इन्हीं के अंदर होते हैं। तमोगुणी इंसानों की संख्या जैसे जैसे धरती पर बढ़ती जाएगी वैसे वैसे यहां पर अशांति फैलती जाएगी । आज आप देख रहे हैं कि धरती पर कितनी अशांति हो चुकी है और आत्माएं और पतित हो रही हैं। इसका कारण यही है कि कलयुग के अंदर तमोगुणी इंसानों के हाथ में पॉवर चला जाता है। कलयुग तमोगुणी आत्माओं का युग है।
एक धर्मगुरू है जिसका नाम लेना विवाद का विषय हो जाएगा लेकिन अक्सर वह शिव को तमोगुणी रूप मे बोलता है।लेकिन वह कभी भी यह नहीं कहता है कि शिव बस तमोगुण का एक प्रतीक है। प्रतीक और असल मे तमोगुण होने मे बेहद फर्क है।
आपको यह भी पता होना चाहिए कि एक तमोगुणी इंसान के साथ केवल तमोगुणी इंसान ही रह सकता है। यदि आप सतोगुणी इंसान और तमोगुणी इंसान दोनों को एक साथ रखने की कोशिश करोगे तो यह नहीं हो पाएगा । बहुत से लोगों का यह सवाल हो सकता है कि इंसान तमोगुणी बनता कैसे है तो ? इस सवाल का जवाब है कि इंसान पक्रति की वजह से तमोगुणी बनता है। तमोगुण ,रजोगुण और सतोगुण प्रक्रति के हैं। आत्मा का कोई गुण नहीं है। आत्मा के साथ मन जुड़ा रहता है और जब यह मन प्रक्रति के संपर्क मे आता है तो उसके अंदर विकार पैदा हो जाता है।
जैसे किसी बच्चे ने जन्म लिया तो वह तमोगुण वातावरण मे रहता है ऐसी स्थिति के अंदर उसके मन के उपर तमोगुण की छाप पड़नी शूरू हो जाएगी और यदि उसका पीछला जन्म भी उसी प्रकार का रह चुका है तो वह वह घोर तमोगुणी बन जाएगा । लेकिन यदि उसका पिछला जन्म सतोगुणी का था तो अधिकतर केस के अंदर वह समय के साथ तमोगुण को छोड़कर सतोगुणी होता चला जाएगा ।
आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि एक घोर तमोगुणी आत्मा को भी जन्म लेने के लिए बेहद प्रतिक्षा करनी होती है। अब कलयुग चल रहा है तो घोर तमोगुणी आत्माओं के लिए गर्भ उपलब्ध आसानी से हो जाएगा लेकिन जैसे ही सतयुग आएगा । घोर तमोगुणी आत्माओं को जन्म के लिए लाखों साल इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि उनके लिए वैसा गर्भ नहीं मिल जाएगा ।एक बार मै परलोक विज्ञान नामक किताब पढ़ रहा था तो मुझे पता चला कि यदि कोई घोर तमोगुणी आत्मा गलती से सतोगुणी गर्भ के अंदर प्रवेश भी कर जाती है तो वह उसके अंदर ठहर नहीं पाएगी ।यह पक्रति का नियम है।
एक तमोगुणी इंसान का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि वह हर जगह पर सुख की तलास करने की कोशिश करता है।
उसकी सोच ही यही होती है कि भौतिक वस्तुओं के अंदर ही सुख है और इसके लिए वह हर प्रकार के गलत कार्य करता है। वह जो भी कार्यकरता है वह बस वासनाओं से वशीभूत होकर करता है। वासनाएं उसके मन पर इंसप्रकार से चिपकी रहती हैं कि वह इनको अपनी इच्छा मानता है। अधिकतर तमोगुणी इंसान अपने जैसे ही ईश्वर के अंदर विश्वास करते हैं। उनको सतोगुणी देवता उतने पंसद नहीं आते हैं। उनके देवता भी उनके जैसे ही होते हैं।
दुनिया में आदमी कितने प्रकार के होते हैं रजोगुणी मनुष्य
वैसे रजोगुणी और तमोगुणी के अंदर कोई अधिक फर्क नहीं होता है। तमोगुणी और रजोगुणी के अंदर तुख्य फर्क होता है प्रभावशीलता का । तमोगुणी एक राजा की तरह जीने के लिए कोई कार्य नहीं करता है। बस वह अपनी वासनाओं को शांत करने के लिए ही काम करता है लेकिन रजोगुणी को पॉवर बहुत अधिक पसंद होता है। वह अपने जीवन को एक राजा की तरह ही जीना चाहता है।
और इसके लिए वह बहुत कुछ करता है। रजोगुणी इंसान वैसे तो तमोगुणी से बेहद ही भयंकर होता है। एक तमोगुणी किसी एक महिला का रेप कर सकता है लेकिन रजोगुणी अपनी वासनाओं को शांत करने के लिए कई महिला के उपर धावा बोल सकता है। वह अपने पॉवर के बलबुते पर किसी भी महिला को उठवा सकता है। अधिकतर रजोगुणी इंसानों की खास बात यह होती है कि उनके अंदर अधिक रखने की प्रव्रति बहुत अधिक होती है। आपने बहुत से ऐसे लोग देखे होगे जो मरने की अवस्था के अंदर पहुंच चुके हैं उसके बाद भी धन के संग्रह के अंदर लगे रहते हैं।
काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर इनके अंदर बहुत अधिक मात्रा के अंदर होते हैं। यह हर बार अधिक पाने की कोशिश करते हैं। जैसे यह अपनी कामवासना को शांत करने के लिए नई नई महिलाओं के साथ संबंध बनाने की कोशिश करते हैं। अधिक चीजों को संग्रह करने का लोभ इनको बना ही रहता है। धन और स्त्री का मोह इनको बहुत अधिक होता है।गाड़ी बंगला और दूसरी महंगी चीजों का इनको बहुत अधिक शौक होता है।
मैं ऐसे अनेक व्यक्तियों को जानता हूं जो रजोगुणी हैं। भले ही उनके घर के अंदर खाने के लिए दाने ना हो लेकिन फिर भी वे दिखाव करते हैं। महंगे कपड़े पहनना ,महंगा मोबाइल रखना और जब किसी से मिलते हैं तो खुद को बहुत अधिक उंचा दिखाने का प्रयास करते हैं।वे दूसरों को यह दिखाने का प्रयास करते हैं कि उनके पास बहुत कुछ है और वे बहुत अधिक पैसे वाले हैं। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि रजोगुणी झूंठी शान शौकत के अंदर विश्वास रखते हैं या अपनी शानशौकत को बनाए रखना चाहते हैं। इन लक्षणों को देखकर आप आसानी से यह पता कर सकते हैं कि कौन व्यक्ति रजोगुणी है।
दोस्तों इस धरती के उपर रजोगुणी व्यक्तियों की दसा बहुत ही बुरी होती है। जिस प्रकार से तमोगुणी हर चीज का उपयोग करके आनन्द उठाते हैं लेकिन वे कभी कुछ समय बाद उनके मन की दसा वापस वहीं हो जाती है ।
जबकि रजोगुणी थोड़े के अंदर संतुष्ट होने वाले लोग नहीं होते हैं। जैसे कोई रजोगुणी 20 हजार की नौकरी कर रहा है तो वह उस नौकरी से कभी भी संतुष्ट नहीं हो पता है। वरन वह अधिक से अधिक पाने की कोशिश करता है। हर रजोगुणी इंसान का यही हाल होता है। वह अपने ही बनाए मन के जाल के अंदर फंस होता है।
रजोगुणी इंसानों की संख्या इस धरती पर बहुत अधिक है।यदि किसी रजोगुणी इंसान के हाथों मे किसी देश की सता चली जाती है तो जाहिर सी बात है दूसरे देशों से वह इंसान युद्व करेगा । क्योंकि वह अपना भला चाहता है। उसे इस बात की परवाह नहीं है कि दूसरे को क्या नुकसान होता है।
प्राचीन काल के अंदर अनेक ऐसे राजा हुए जिनका आप इतिहास पढ़ सकते हैं । उनकी यह आकांक्षा थी कि वे अधिक से अधिक भू भाग पर अपना अधिकार करलें । यह एक तरह से अपने अहंकार को पोषित करने के लिए ही वे करते थे । जबकि वे इस बात को कभी नहीं समझ पाए कि भू भाग पर अधिकर किसी का यहां पर नहीं रह सकता है।
इस प्रकार के केवल रजोगुणी इंसान या रजोगुणी इंसान मरने के बाद अधिकतर केसों के अंदर प्रेत बन जाते हैं और अपनी वासनाओं को पूरा करने के लिए बार बार धरती पर जन्म लेते हैं। फिर मरते हैं इस प्रकार से जन्म मरण के चक्र मे फंसे होते हैं। हालांकि घोर तमोगुणी अपने ही पापों के अंदर जलते रहते हैं और उनको जल्दी से जन्म नहीं मिल पाता है।लेकिन रजोगुणी के लिए हर काल मे जन्म के अवसर आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
आपको यह भी बता दें कि रजोगुणी व्यक्तियों के अंदर तमोगुण और सतोगुण दोनो ही होते हैं। एक तरह से देखा जाए तो यह मिक्सचर प्रकार के व्यक्ति ही होते हैं।
सतोगुणी इंसान
दोस्तों सतोगुणी इंसान वह होते हैं ,जो अच्छे कार्य के अंदर विश्वास रखते हैं। दुर्भाग्य से कलयुग के अंदर बहुत ही कम इंसान सतोगुणी बचे हैं। अधिकतर इंसान रजोगुण हो चुके हैं।सतोगुणी इंसान की भी वासनाएं होती हैं।और इन्ही वासनाओं के वशीभूत होकर यह पूरे जीवन के अंदर कार्य करते हैं। इन मनुष्यों को अच्छे कार्य और अच्छी चीजों के प्रति आकर्षण होता है। जैसे किसी का भला करके यह मन को संतुष्टी प्रदान करते हैं।वैसे देखा जाए तो सतयुग के अंदर सतगुण प्रधान आत्माएं निवास करती थी।
इस प्रकार के इंसान अपना जीवन लोक कल्याण के लिए ही लगाते हैं। और निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा भी करते हैं। इस धरती पर जितनी अधिक सतोगुणी आत्माएं होगी उतना ही खुशहाल जीवन यहां के लोगों का होगा लेकिन सतोगुणी इंसानों को सबसे अधिक कष्ट तमोगुणी आत्माओं और रजोगुणी आत्माओं के द्वारा पहुंचाया जाता है। प्राचीन काल के अंदर भी ऐसी अनेक कहानियां मिलती हैं जिसके अंदर राक्षस आकर संतों के ध्यान को भंग कर देते थे और उनको मार देते थे ।
कलयुग के अंदर सतोगुणी व्यक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है और उसके स्थान पर पाखंड व तमोगुणी आत्माओं का प्रभाव बढ़ जाता है। जिसका परिणाम यह होगा है कि कलयुग के अंत आते आते इस धरती पर अशांति और दुखी जीवन से लोग उब जाएंगे ।
सतोगुणी इंसान के अंदर क्रोध ,माया और लोभ तो होते हैं लेकिन उनकी एक दिसा होती है जो लोक कल्याण से जुड़े होते हैं। सीधे अर्थ मे यदि आप एक सतोगुणी इंसान को किसी स्त्री के पास भेजेंगे और व स्त्री यदि उसे संबंध बनाने के लिए कहेगी तो वे तैयार नहीं होंगे क्योंकि उनके लिए यह गलत है या सत नहीं है।
इसके विपरित यदि कोई तमोगुणी इंसान जाएगा तो वह तुरन्त ही तैयार हो जाएगा ।जबकि रजोगुणी संबंध बनाने के बाद भी असंतुष्ट रहेगा या संबंध ही नहीं बनाएगा क्योंकि उसे बहुत अधिक स्त्री चाहिए ।
देवलोक के अंदर जो भी आत्माएं रहती हैं वे सतोगुणी आत्माएं हैं। और इसी प्रकार से जो इस धरती पर अच्छे कर्म करते हैं । मरने के बाद उन आत्माओं को देवलोक और अन्य उच्च लोक प्राप्त होते हैं। उनकी आत्माओं की दुर्गति नहीं होती है।यह सतोगुणी आत्माएं काफी समय तक देवलोक के अंदर रहती हैं और देवलोक के अनेक सुख को प्राप्त करती हैं। उसके बाद वापस धरती पर जन्म लेती हैं। इस प्रकार से जन्म मरण का चक्र चलता रहता है।
पितर लोक भी एक प्रकार का उच्चलोक होता है जिसके अंदर सतोगुणी आत्माएं रहती हैं। और यह आत्माएं भी यहां पर अपने कर्मों का फल भोगती हैं। हालांकि पितर लोक भूत प्रेत के लोकों से अधिक अच्छा है।
सतोगुणी आत्मांओं की सबसे खास बात यह होती है कि वे अपने जीवनकाल की भांति ही वहां पर रहती हैं। उनको वहां पर किसी तरह की उनको कोई समस्या नहीं होती है। एक सतोगुणी आत्मा हमारे संपर्क मे है तो उसने बताया कि वह जहां पर रहता है वहां बहुत सारी आत्माएं रहती हैं।हम सभी आत्माओं के पास बहुत सारा काम होता है। और यहां पर धरती के जैसा कुछ नहीं होता है। हम थकते नहीं हैं और सोते भी नहीं हैं दिन और रात काम करते हैं।
जैसे किसी इंसान को ज्ञान बाटना बहुत अच्छा लगता है। और वह ज्ञान देने के लिए जगह जगह पर जाता है। अब ज्ञान बांटना अच्छी बात है लेकिन यह मन की वासना है।
यदि आपका मन किसी अच्छे काम को पकड़ लेता है तो वह सतोगुण प्रधान हो जाता है । इसी प्रकार से कुछ लोग दान देते हैं और अपने मन को दान देकर संतुष्टि प्रधान करते हैं।यह भी एक प्रकार की सतोगुणी वासना है। इस धरती के उपर जितने अधिक सतोगुण प्रधान इंसान होंगे या सतोगुण की मात्रा जैसे जैसे इंसानों के अंदर बढ़ेगी वैसे वैसे मानवता कायम होगी ।
आपको यह पता होना चाहिए कि सतोगुणी बनना भी आसान काम नहीं है। क्योंकि तमोगुणी शक्तियां सतोगुणी शक्तियों से अधिक प्रभावी होती हैं और वे इंसान के मन पर आसानी से कब्जा जमा लेती हैं। देवता सतोगुण प्रधान होते हैं तो भूत तमोगुणी होते हैं।
भूतों और देवताओं की लड़ाई कोई नहीं बात नहीं है। प्राचीन काल से यह चली आ रही ही । केवल भौतिक जगत के अंदर ही नहीं सुक्ष्म जगत मे भी तमोगुणी और सतोगुणी आत्माओं मे झगड़ा होता ही है।
यदि सतयुग को छोड़ दे तो कलयुग मे पूरी धरती तमोगुणी आत्माओं से भर जाती है। यह एक काल चक्र हैं। यहां पर इस समय सबसे अधिक तमोगुणी आत्माओं के जन्म लेने के अवसर उपलब्ध हैं।आपको बतादें कि घोर सतोगुणी आत्माओं को जन्म लेने का अवसर लाखों साल तक नहीं मिलता है। उनके अनुकूल गर्भ नहीं मिल पाता है। इसलिए वे सूक्ष्म शरीर के अंदर ही निवास करती हैं।
सतोगुणी इंसान को आपने देखा होगा कि वह कुछ अच्छा करने का प्रयास करता है पर सतोगुण तमोगुण के जितना प्रबल नहीं होता है। जिसका सिधा सा अर्थ यह है कि सतोगुणी इंसान जीवन के अंदर काफी सुखी होते हैं।लेकिन बात करें तमोगुणी इंसानों की तो यह ना तो जीवन के अंदर सुखी रह पाते हैं और ना ही मरने के बाद यह सुखी हो पाते हैं।क्योंकि इनको लगता है
वासनाएं ही जीवन है। एक सतोगुणी आत्मा मौत के समय अपने अच्छे कार्यों को याद करके काफी खुश होती है। जो हमेशा उसके साथ बनी रहती है। जबकि तमोगुणी आत्मा शरीर तक ही सीमित रहती है। वह मरते समय काफी दुखी रहती है। अपने घर और परिवार को छोड़कर जाने की इच्छा उसके अंदर नहीं होती है।
सतोगुणी आत्मा का भी पुनर्जन्म होता है। हालांकि उसका जन्म अच्छे घर के अंदर होता है और अच्छे लोग उसे मिलते हैं लेकिन एक तमोगुणी आत्मा की दुर्गति होती है। उसको उसके जैसे ही लोग मिलते हैं। इतना ही नहीं कई बार वासना की वजह से तमोगुणी आत्माएं नीच योनी के अंदर चली जाती हैं।
गुणहीन इंसान
इस प्रकार का इंसान मिलना बहुत ही कठिन होती है।असल मे यह इंसान केवल कोई योगी ही हो सकता है।गणुहीन इंसान का मतलब यह है कि जिसके मन पर किसी भी प्रकार की छाप नहीं हो जो गुणों से परे हो प्रक्रति के त्री गुणों से रहित हो ।
वह जो ना रजोगुण को पकड़ता है ना तमोगुण को पकड़ता है ना सतोगुण को पकड़ता है।इस प्रकार के इंसान की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि यह गुणों को वशीभूत करता है। जबकि त्री गुण इंसान गुण के वशीभूत काम करते हैं। गुण रहित इंसान गुणों का प्रयोग बेहतर करने के लिए करता है । वह किसी गुण के अधीन नहीं होता वरन गुण उसके आधीन होते हैं।
इस प्रकार के इंसान के अंदर किसी प्रकार की वासना नहीं होती है।इस धरती पर इस प्रकार के इंसान को खोजना कठिन होगा । इस तरह के इंसान को ना धन का मोह होता है ना रूप का मोह होता है ना काम वासना प्रभावित कर पाती है या कोई और चीज । वह बस स्थिर रहता है। और यही स्थिरता एक जबरदस्त चीज होती है।इस प्रकार के इंसान की तुलना आप एक पत्थर से कर सकते हो ।
उसका मन पूरी तरीके से पत्थर होता है।आप उसके साथ कितना भी बुरा करदो लेकिन अपने मन मे वह कभी भी आपके प्रति बुरा नहीं सोचेगा । हां वह आपको रोकने के लिए प्रतिकार कर सकता है। क्योंकि वह जानता है कि यह आप नहीं कर रहे हैं यह तो आपके मन के अंदर पैदा हुआ दोष आपसे करवा रहा है।
इस प्रकार के इंसानों के कर्म भी दिव्य होते हैं।भगवान राम ,क्रष्ण और भी कई सारे योगी इसी के अंदर आते हैं।यदि आपको मोक्ष पाना है तो फिर आपको भी यही करना होगा । अपने मन को तीनो गुणों से हटा लेना ही तो मोक्ष है। बस आपको इसके अंदर खाली होना होता है।
यदि आप पूरी तरह से खाली हो जाते हो तो आप बस यहीं पर भी मोक्ष का अनुभव कर सकते हो ।हम मोक्ष का अनुभव यहां पर इसलिए नहीं कर पाते हैं क्योंकि हम 3 गुणों के अधीन अपने मन को छोड़ देते हैं।
यदि मन को इन तीनो गुणों से रहित कर लेते हैं तो मन पूरी तरह से शांत हो जाएगा और आप को कुछ पाने की चिंता होगी ना कुछ खोने का डर होगा । क्योंकि आपके पास खोने के लिए कुछ है ही नहीं । आप अधूरे नहीं हैं। आप कभी अधूरे थे ही नहीं ।वरन आपका मन था जो आपको अधूरा होने का एहसास दिलाता था।
इस प्रकार की आत्माओं का धरती के उपर बहुत ही कम जन्म होता है। वे तभी जन्म लेती हैं जब लोक कल्याण करना होता है। जब लोग अज्ञान से त्रस्त हो जाते हैं और दूसरी आत्माएं नीचे गिरने लगती हैं तब आत्माओं को उपर उठाने के लिए दिव्य आत्माएं आती हैं। जिनको हम अवतार कहते हैं।राम और क्रष्ण और ओशो इसी प्रकार की दिव्यात्माएं थी। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कुछ अज्ञानी लोगों ने ओशों को अपने देश के अंदर भी नहीं घुसने दिया ।
वैसे देखा जाए तो इसप्रकार के मूढ लोग खुद की उन्नति मे तो बाधक हैं ही वरन दूसरों की उन्नति मे भी बड़े बाधक हैं।
इंसानो के प्रकार को बताती एक कहानी
दोस्तों अब तक हमने इंसानों के प्रकार के बारे मे विस्तार से जाना अब हम यहां पर एक छोटी सी कहानी बता रहे हैं। जिससे आप सही तरीके से समझ सकेंगे कि किस प्रकार का इंसान किस तरह से व्यवहार करता है ?
प्राचीन काल की बात है।एक राजा ने घोषणा की कि जो भी आत्मज्ञानी है। उसको पकड़ कर हमारे दरबार मे पेश किया जाए। उसे इनाम दिया जाएगा । राज्य के अंदर इस प्रकार की राजा की घोषणा सुनकर बहुत से लोग राजा के सामने पेश हो गए ।
एक बहुत बड़ी सभा बुलाई गई । राजा जब सभा मे आया तो देखा कि राज्य के आधे से अधिक लोग आत्मज्ञानी हैं । राजा बहुत खुश हुआ ।राजा ने एक एक लोगों की परीक्षा लेनी शूरू की तो काफी दिन लग गए लेकिन एक भी आत्माज्ञानी इंसान उनके अंदर नहीं मिला ।राजा ने अफसोस के साथ कहा कि मेरे राज्य के अंदर क्या एक भी आत्मज्ञानी इंसान नहीं है। जिसे सच्चा ज्ञान हो चुका है।अब राजा ने सोचा कि हो ना हो आधे लोग जो खुद को कोई बड़ा इंसान नहीं मानते हैं वे इस सभा मे नहीं आए । या फिर कुछ मूड भी हो सकते हैं तो राजा खुद एक भिखारी के भेष मे अपने राज्य के अंदर एक अत्मज्ञानी और सच्चा संत खोजने के लिए निकल पड़ा ।
वह खुद एक कूड़े के पास बैठ गया और शराब की बोतले छिपादी । लोग उस भिखारी के पास आते और शराब की बोतलें ले जाते । लेकिन उस भिखरी को कोई कुछ पूछता ही नहीं । शहर के अंदर यह बात आग की तरह फैल गई कि कूड़े के अंदर शराब खाना है। कुछ लोग तो शराब के एक बोतल से ही खुश हो जाते लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते जो
एक से संतुष्ट नहीं होते और बहुत अधिक कामना करते ।अब राजा ने अपने सूत्रों से यह पता लगाया कि सारे तमोगुणी इंसान आ चुके हैं । अब राजा ने दूसरी तरकीब निकाली और अपने राज्य से घोषणा करवाई की जनता के कल्याण के लिए यदि कोई बूढे और बेसाहरा लोगों के लिए कुछ करना चाहता है तो वह आजाए ।
इस प्रकार की घोषणा को सुनकर बहुत से लोग आए ।अब राजा ने एक लंगड़े इंसान को काटने का आदेश दिया । यह आदेश सुनकर तमाम इंसान रोने लगे और राजा को सही और गलत का पाठ पढ़ाने लगे । उनको बहुत दुख हुआ। लेकिन राजा ने देखा कि पीछे खड़ा एक बूढ़ा इंसान ना तो रो रहा है और ना ही शौक प्रकट कर रहा है।राजा ने उसको आगे बुलाया और पूछा ………क्या हमे इस विकलांग को काट देना चाहिए ?
………यह नैतिक द्रष्टि से सही नहीं है। हां आप इसके शरीर को काट सकते हैं। आप मेरे शरीर को काट सकते हैं।लेकिन आप मुझे कभी नहीं काट सकते हैं। आपको याद रखना चाहिए कि यह खेल आज आप दूसरों के साथ खेल रहे है तो कोई आपके साथ भी खेल सकता है।क्योंकि इस धरती पर कोई भी चीज सदा नहीं है। आज आपके पास पद और पॉवर है लेकिन आपको यह भी सोच लेना चाहिए कि आपके पास यह सदा नहीं रहने वाली है।
कल आपसे यह छीन ही जाएगी और उसके बाद आपको कोई काटे तो आप उसे मना मत करना । क्योंकि आप यदि आज इसको सही कह रहे हैं तो वह आपके लिए सही है। और किसी दूसरे वक्त मे दूसरा इसको सही कहेगा तो वह दूसरे के लिए सही होगा आपके लिए नहीं होगा । तो सही और गलत तो तय करना आसान नहीं है। बस हमको केवल लोक कल्याण के लिए ही काम करना चाहिए । और रही बात इस इंसान को काटने की तो आप इसके शरीर को भले ही नष्ट करदें लेकिन आप इसकी आत्मा को छू भी नहीं सकते हैं।क्योंकि यह अधिकार हमारे पास नहीं है। तो काटने का कोई फायदा ही नजर नहीं आता है।
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बूढ़े ने कहा था।
उसके बाद राजा ने आदेश दिया की बूढ़े को सुली पर चढ़ाया जाए । सैनिकों ने उस बूढ़े को पकड़ लिया और सूली पर खड़ा कर दिया । उसे फांसी होने वाली थी।
उसके बाद बूढ़ा जोर जोर से हंसने लगा । और इस प्रकार से हंसते हुए देख लोग हैरान होकर पूछने लगे कि आपकी मौत होने वाली है और आप हंस रहे हैं ?
……….मौत मेरी नहीं मेरे शरीर की होने वाली है। इस तरह की मौत तो मैं करोंड़ो बार मर चुका हूं । मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता हां मैं इतना कहना चाहता हूं कि इस मूर्ख राजा को सदबुद्वि दे क्योंकि यह अपने एक और जीवन को नष्ट करदेगा । मुझे अपना जीवन नष्ट होने का डर नहीं है क्योंकि मैंने सब कुछ पा लिया हैं। मुझे कुछ पाने की इच्छा नहीं है।
उसके बाद राजा उस इंसान से क्षमा मांगते हुए चरणों मे गिर पड़ा और बोला ……..हे महान आत्मा सचमुच आप ज्ञानी हैं मैंने आपका अपमान किया इसलिए क्षमा करें ।
…….. मेरे क्षमा करने या ना करें से कुछ नहीं होने वाला । आपको क्षमा अपने आप से मांगनी चाहिए ।आपके कर्म मुझे परेशान नहीं करेंगे । वरन आपके कर्म केवल आपको ही परेशान करेंगे । आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं ? इस बारे मे आप खुद तय कर सकते हैं क्योंकि अभी आपके पास विवेक है।
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वैसे इस पूरी दुनिया के अंदर देखें तो तमोगुणी इंसान सबसे अधिक होते हैं । हालांकि यह केवल कलयुग की बात है। दूसरे युगों के अंदर अलग अलग प्रकार के इंसान होते हैं। जैसा कि उपर बताया गया । जैसे जैसे कलयुग का प्रभाव बढ़ता जाएगा । तमोगुणी इंसानों का प्रभाव भी बढ़ जाएगा । इसके बारे मे हम आपको उपर बता ही चुके हैं। तमोगुणी इंसान का धरती पर बढ़ने का सीधा सा मतलब यह है कि यहां पर अत्याचार और पाप का बढ़ जाना और आज आप यह देख ही रहे हैं कि कितना पाप बढ़ चुका है।
aapka yah blog kaafi achha hai or is post ki jaankari bhi isme kuch alag hi jawab hai jo ham shayd hi jaante hai
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