aalu ki unnat kheti kaise kare , आलू की खेती कैसे करें, aalu ki kheti karne ka tarika ,आलू एक प्रकार का तना होता है जो अमेरिका के पेरू मे उत्पन्न हुआ था।आधुनिक पेरू में उत्पन्न होने वाली जंगली आलू की प्रजातियां कनाडा से लेकर दक्षिणी चिली तक पूरे अमेरिका में पाई जा सकती है। अमेरिकन लोगों ने आलू को पालतू बना लिया था।आलू को आज से 10 हजार साल पहले पालतू बनाया गया था।16 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में स्पेनियों द्वारा आलू को अमेरिका से यूरोप लाया गया था। वर्तमान मे आलू की खेती दुनिया के कई हिस्सों के अंदर की जाने लगी है।
आपको बतादें कि चयनात्मक प्रजनन के माध्यम से आलू की 5000 से अधिक किस्मों को प्राप्त किया जा चुका है।सन 2014 के अंदर यह दुनिया की चौथी खाद्य फसल है।
आपको बतादें कि दुनिया के 99 प्रतिशत आलू चिली के अंदर पैदा होते हैं।आलू के पौधे 12 मासी होते हैं जोकि लगभग 60 सेंटीमिटर लंबे होते हैं।आलू के पौधे सफेद, गुलाबी, लाल, नीले या बैंगनी रंग के फूल धारण करते हैं ।
फूल आने के बाद आलू छोटे फल पैदा करते हैं जोकि टमाटर के समान होते हैं।और इसके अंदर लगभग 300 बीज होते हैं। कंद को छोड़कर पौधे के सभी भागों की तरह, फल में जहरीले अल्कलॉइड सोलनिन होते हैं और इसलिए खपत के लिए अनुपयुक्त होते हैं।
दुनिया भर के अंदर आलू की 5000 से अधिक किस्में होती हैं जिनमे से 3000 केवल एंडीज के अंदर ही देखने को मिल जाती हैं।दुनिया भर में उगाई जाने वाली प्रमुख प्रजाति सोलनम ट्यूबरोसम ( 48 गुणसूत्रों वाला एक टेट्राप्लोइड ) है, और इस प्रजाति की आधुनिक किस्में सबसे व्यापक रूप से खेती की जाती हैं।
और यदि बात करें आलू के रंग की तो यह कई रंगों के अंदर आते हैं।लाल रंग और नीले रंग के आलू भी होते हैं। इसके अलावा गेंहूआ रंग भी आलू का होता है। आलू के रंग उसकी किस्म के हिसाब से अलग अलग होते हैं।
दोस्तों आपको बतादें कि आलू से कई चीजें बनती हैं जिसके अंदर जैसे वड़ापाव, चाट, आलू भरी कचौड़ी, चिप्स, पापड़, फ्रेंचफ्राइस, समोसा आदि बनाए जाते हैं। आपने आलू की कचौड़ी तो खाई ही होगी ।
वैसे भारत के अंदर आलू 30 रूपये किलो तक बिकते हैं और बहुत अधिक पसंद किये जाते हैं।हालांकि आलू के संबंध मे यह माना जाता है कि यह गैस बनने और चर्बी बढ़ाने का कारण बनते हैं।आलू में विटामिन सी, बी कॉम्पलेक्स तथा आयरन , कैल्शियम, मैंगनीज, फास्फोरस तत्त्व होते हैं। इसके अलावा आलू त्वचा पर लगाने का कार्य करते हैं।
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आलू की खेती कैसे करें ? aalu ki kheti kaise kare
दोस्तों भारत के अंदर आलू की खेती काफी मात्रा मे की जाती है।तमिलनाडू और केरल को छोड़कर लगभग सभी राज्यों मे आलू की खेती की जाती है।भारत मे आलू की उपज 152 क्वींटल प्रति हेक्टर होती है।हालांकि आलू की खेती करने के लिए रोग रहित बीजों की आवश्यकता होती है।
इसकी खेती शरदऋतु मे की जा सकती है।और यदि इसकी उपज की बात करें तो यह अन्य फसलों की तुलना मे अधिक होती है।और आलू के अंदर अच्छे पोषक तत्व होते हैं। आलू की सब्जी सबसे अधिक घरों मे प्रयोग की जाती है। क्योंकि यह अन्य सब्जी की तुलना मे सस्ती होती है।जिस प्रकार से आबादी बढ़ रही है उसको भूखमरी से बचाने के लिए आलू की फसल बहुत अधिक प्रयोग मे ली जाती है।
आलू की खेती के लिए भूमी और जलवायु आलू की खेती कैसे करें
दोस्तों आलू की खेती के लिए दोमट मिट्टी अच्छी होती है। और आलू के लिए ऐसी भूमी का प्रयोग किया जाना चाहिए । जहां पर जलभराव जैसी कोई भी समस्या मौजूद नहीं हो जलभराव होने की स्थिति मे आलू की पैदावार नहीं होगी और आलू के पौधे को बढ़ने के लिए शर्दी की आवश्यकता होती है।
आलू का बिजोपचार aalu ki unnat kheti kaise kare
शीत भंडार से आलू निकलने के बाद बीज को एक चदर पर डालदें। और इनको एक सप्ताह तक ऐसे ही रखा जाता है। और इसके अंदर से सड़े गले बीजों को निकाल दिया जाता है।जब इनके अंकुरण निकल आएं तो उसके बाद इनका रासायनिक तरीके से बिजोपचार किया जाता है।
फफूंद एवं बैक्टिरिया से बचने के लिए बिजों का सही तरीके से उपचार करना जरूरी होता है।फफूंदनाशक एवं एन्टीवायोटिक दवाओं का इसके अंदर इस्तेमाल किया जाता है।इसके लिए आपको प्रति लिटर पानी के अंदर 5ग्राम इमिशान 500 मिलीग्राम स्ट्रोप्टोसाइक्लिन एन्टीवायोटिक दवा को डालें और उसके बाद पानी को अच्छी तरीके से मिलाएं । एक घोल तैयार हो जाएगा ।यह दवा आप मार्केट से खरीद सकते हैं। उसके बाद इस दवा के अंदर 15 मिनट तक कंद को डूबोकर रखदें । फिर कंद को बाहर निकाल कर सूखा लें और सूखाने के लिए छायादार स्थान का चयन करें। उसके बाद यदि घोल गंदा हो जाता है तो नया घोल आपको तैयार कर लेना चाहिए। इन्डोफिल एम.-45, कैप्टाफ या ब्लाइटाक्स 2.5 ग्राम मात्र प्रति लीटर मे उसके बाद मिलाएं और इसी प्रकार से कंद को डालकर सुखा लें इस प्रकार से आलू का बिजोपचार किया जा सकता है।
आलू के लिए बीज की किस्म
दोस्तों आलू के लिए सही बीज की किस्म का चुनाव करना बहुत ही जरूरी होता है।खास कर ऐसे बीजों का चुनाव करना चाहिए जोकि रोगाणु रहती होते हों ।और आप किस जलवायु के अंदर रहते हैं उस हिसाब से आलू की किस्म का चुनाव करना चाहिए ।आपके क्षेत्र मे कौनसी आलू की किस्म अच्छा काम करेगी ।इस चीज का पता लगाने के लिए आपको चाहिए कि आप अपने राज्य का नाम और आलू की किस्मे सर्च करें । इससे पता चल जाएगा ।
और यदि आप नहीं जानते हैं तो अपने आस पास के किसी भी खाद और बीज भंडार की दुकान पर जाएं और वहां पर आलू के बीज मांगे । अक्सर यह लोग जानते हैं कि आपके यहां पर कौनसी किस्म चलती है। उसी के अनुसार बीज वैगरह रखते हैं।
आलू के बीज का आकार भी फसल की मात्रा को प्रभावित करता है।और यदि बड़े आकार का बीज है तो उसकी उपज तो अधिक होगी लेकिन बीज की कीमत अधिक होने की वजह से फायदा नहीं होता है। और छोटे आकार के बीज की कीमत कम होती है लेकिन रोग लगने का खतरा भी अधिक हो जाता है।आप आलू के 3 सेमी तक के बीज ले सकते हैं।और उसके बाद इनका भार भी 30 ग्राम के करीब कम से कम होना चाहिए ।
आलू की खेती कैसे करें आलू बुआई का सही समय
दोस्तों स्थान के अनुसार आलू की बुआई का समय भी अलग अलग होता है।उत्तर भारत के अंदर सर्दी अधिक पड़ती है तो आलू की बुआई के लिए कम समय मिलता है। ऐसी स्थिति मे आलू की बुआई के लिए दिसंबर महिने के अंत तक आलू की बुआई करें ।
इसी प्रकार से उत्तर पश्चिम भागों के अंदर बुआई का सही समय उक्टुबर महिने का प्रथम सप्ताह होता है।इसके अलावा पूर्व भारत मे आलू अक्टूबर से जनवरी के बीच बोया जाता है।
आलू की जुताई
दोस्तों आलू की जुताई सही तरीके से करनी चाहिए । इसके लिए आलू के पौधे का फासला सही से रखा जाना चाहिए ।अधिक फासला होने से पौधे को पोषण तो मिल जाता है लेकिन उपज घट जाती है।इसके लिए हर पौधे के बीच 20 से 25 सेमी की दूरी होनी चाहिए । और दो पंक्तियों के बीच 50 सेमी की दूरी होना जरूरी होता है।
और यदि खेत के अंदर खरपतवार होती है तो जुताई करने के एक सप्ताह पहले ग्लायफोसेट नामक एक दवा का प्रयोग करना चाहिए जोकि खरपतवार को कम करने के लिए जानी जाती है। इसका प्रयोग करने से खरपतवार नहीं होती है।
आलू के लिए उर्वरक और खाद का प्रयोग
आलू को पैदा होने के लिए अधिक मात्रा मे खाद की आवश्यकता होती है।यह मिट्टी के उपरी सतह से भोजन प्राप्त करती है। इसके लिए मिट्टी मे अच्छी रासायनिक और जैविक खाद डालना बेहद जरूरी होता है।
आलू के पौधे के अंदर फास्फोरस और पोटाश उचित मात्रा मे डालनी चाहिए ।आलू की फसल के अंदर प्रतिहेक्टर 120 किलो नाइट्रोजन और 80 किलो फास्फोरस और बाकि 80 किलो की पोटाश को डालना चाहिए ।बुबाई के समय भी खाद देना बहुत ही जरूरी होता है।
यदि आप आलू के अंदर जैविक खाद का प्रयोग करना चाहते हैं तो 200 किंवटल गोबर की खाद और 5 क्विंटल खली डाल सकते हैं। खली का मतलब नीम और सरसों के पत्तों से बनी सड़ी खाद प्रति हैक्टर के हिसाब से आप इनके अंदर दें ।
यूरिया की मात्रा यदि आप आलू के अंदर डाल रहे हैं तो पहली बार केवल आधी मात्रा ही डालें और उसके रोपनी के बाद आधी मात्रा और डालदें । एक साथ पूरी मात्रा डालना सही नहीं होगा ।
रोपनी के बाद आलू के अंदर खाद देना सही होता है। लेकिन आलू के कंद और खाद का सीधा संपर्क नहीं करना चाहिए नहीं तो कंद सड़ सकता है। आप नाली की मदद से खाद दे सकते हैं।
आलू को रोपने की विधि
दोस्तों आलू को सही तरीके से रोपन किया जाना चाहिए ।आलू की रोपनी के लिए कुदली से 15 सेमी उंची मेड़ बनादी जाती है।और मिट्टी को थपथपा दिया जाता है। मिट्टी को थपाने का फायदा यह होता है कि उसके अंदर नमी बनी रहती है।
इसके अलावा कुछ लोग आलू और मक्का की खेती एक साथ भी करते हैं।ऐसा करने का फायदा यह है कि एक ही समय मे दो तरह की फसल को प्राप्त किया जा सकता है।
आलू की सिंचाई कैसे करें
आलू की फसल को कम पानी की आवश्यकता होती है।इसलिए खेत के अंदर कभी भी पानी भरा हुआ नहीं रखना चाहिए नहीं तो फसल को नुकसान हो सकता है।आपको बतादें कि रोपनी के 10 दिन के भितर या फिर 20 दिन के भीतर आलू की पहली सिंचाई कर देनी चाहिए ।ऐसा करने से अंकुरण जल्दी हो जाएगा ।और जो उपज को दो गुना बढ़ा देगा ।
इसके अलावा दूसरी सिंचाई मिट्टी की स्थिति के आधार पर की जा सकती है।सिंचाई के अंदर 20 दिन से अधिक अंतर नहीं रखना चाहिए और सिंचाई के समय को अनुभव के आधार पर घटा बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा फसल के तैयार होने के 10 दिन पहले ही सिंचाई को बंद कर देना चाहिए ।पूर्वी भारत के अंदर कुल 6 से 7 सिंचाई होती हैं। और जब आलू फलने फूलने लग जाता है तो पानी की कमी नहीं रखनी चाहिए । इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।
आलू की फसल मे खरपतवार
दोस्तों आलू की फसल के अंदर खरपतवार नहीं उगने देना चाहिए । खरपतवार आलू की फसल के लिए बहुत अधिक हानिकारक होती है।यदि आप फसल मे खरपतवार को रोकना चाहते हैं तो बुआई के 7 दिन के अंदर ही खरपतवार को हटा सकते हैं। खरपतवार को या तो आप मैन्यूअली हटा सकते हैं। इसके अलावा भी कई तरह के खरपतवार नाशक आते हैं जिनकी मदद से भी आप खरपतवार को हटा सकते हैं।इन दवाओं के नाम हैं जैसे सिमैजन और लिन्यूरोन आदि का प्रयेाग कर सकते हैं।आलू की फसल की कटाई उस समय करनी चाहिए जब फसल पूरी तरह से पक जाती है।आलू की त्वचा सख्त होने पर इसकी कटाई की जा सकती है।
आलू के पौधें की देखभाल
आलू की बुआई के 60 दिन बाद पूरे खेत के अंदर घूमकर देखना चाहिए ।यदि आलू के कंद से दिखाई दें तो उनको मिट्टी से ढक देना चाहिए वरना उनका रंग लाल हो सकता है।और यदि खेत मे चूहे हैं तो 10 ग्राम थीमेट नामक दवा को चूहे के बिल मे डालकर बिल बंद करदें चूहा वहीं पर मर जाएगा ।और यदि खेत मे कोई अन्य जानवर नुकसान करते हैं तो उनके नुकसान से बचने के लिए उपाय किया जाना जरूरी होता है।
आलू की फसल मे कीट ,पतंगे और बीमारियां
दोस्तों आलू की फसल के अंदर कई प्रकार की बीमारियां लग सकती हैं जिसकी वजह से फसल खराब हो सकती है तो समय समय पर बीमारी का पहचान करके उसका उपचार करना जरूरी हो जाता है।
- जड़ गांठ और सूत्रक्रमी भी एक प्रकार के आलू के पौधे की बीमारी होती है।जिस पौधे को यह बीमारी प्रभावित करती है उसकी पतियां सामान्य से अधिक बड़ी हो जाती हैं ।पौधे की बढ़ोतरी रूक जाती है और पौधे सूख जाते हैं।और पौधे की जड़ों के अंदर गांठे सी बंध जाती हैं।इस बीमारी से बचने के लिए एल्डीकार्ब कार्ब्योफयूरान दवा दो किलोग्राम प्रति हेक्टर के हिसाब से छिड़कना चाहिए । जिससे कि इस बीमारी से निजात मिलती है।
- माहू भी आलू के पौधों की पतियों पर लगने वाले एक तरह का रोग होता है।यह आलू के पौधे की पतियों के पीछे लगता है। जिससे कि पौधे की पतियां मूड जाती हैं।इस समस्या से छूटकारा पाने के लिए मैलाथियान दवा का छिड़काव करना होगा । इस संबंध मे विवरण आपको दवा पर ही दिया हुआ मिल जाएगा ।
- टयूबर मॉथ कीड़े कंद के अंदर सुराग बना लेते हैं। खास कर उस परिस्थितियों के अंदर जब कंद को ठीक से ढका नहीं गया हो ।इससे बचने के लिए एंडोसल्फान दवा का छिड़काव किया जाना जरूरी होता है।
- इसके अलावा आलू की फसल मे कटुआ कीड़े भी लगते हैं। यह आलू की फसल को नीचे से ही काट देते हैं।इस बीमारी से बचाव करने के लिए एल्डि्रन को जमीन के अंदर पौधों की बुआई करने से पहले छिड़कना चाहिए । जिससे कि इस रोग से बचा जा सकता है।
आलू की फसल की खुदाई
दोस्तों बुआई के 60 दिन बाद आलू की खुदाई की जाती है। और यदि घर के अंदर भंडारण के लिए आलू को रखना है तो इसके परिपक्व होने के बाद ही खुदाई करना जरूरी होता है।आलू पक चुका है। इससे जानने के लिए उसे हाथ से दबाया जाता है।यदि छिलका अंदर नहीं धंसता है तो इसका मतलब यह है कि आलू पक चुका है। यदि आप परिपक्व आलू को रखते हैं तो वह लंबे समय तक चल जाता है और सड़ता भी नहीं है।
आलू को धूप के अंदर नहीं खोदा जाना चाहिए । और इसको सूखाते समय छाया का प्रयोग किया जाना जरूरी होता है। क्योंकि बिना छाया के यदि आप धूप मे आलू को सुखाते हैं तो इसकी भंडारण क्षमता कम होती है।आलू को खोदने के लिए खुरपी का इस्तेमाल किया जा सकता है।लेकिन ध्यान से खुदाई करनी चाहिए ।क्योंकि नहीं तो आलू कट सकता है।
आलू की उपज
दोस्तों आलू की उपज रोपनी के 60 दिन के बाद 100 क्विंटल प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा आलू की उपज 90 दिन बाद 300 क्विंटल प्रतिहेक्टर प्राप्त की जा सकती है।
आलू की उन्नत किस्में
आलू की खेती के लिए उन्नत किस्म का चुनाव किया जाना बेहद जरूरी होता है।यदि आप सही किस्म का चुनाव नहीं करते हैं तो उसके बाद पैदावार मे कमी आ जाती है। हम आपको आलू की कुछ खास किस्म के बारे मे बता रहे हैं।
- अगेती किस्में के अंदर आती हैं।कुफरी अलंकार, कुफरी पुखराज, कुफऱी चंदरमुखी, कुफरी अशोका यह 80 से 100 दिन के अंदर पक जाती हैं।
- कुफरी बहार, कुफरी लालिमा, कुफरी सतलुज, कुफरी सदाबहार जैसी आलू की कुछ किस्में हैं जोकि पकने मे 110 दिन का समय लेती हैं।
- कुफरी सिंधुरी कुफरी फ़्राईसोना और कुफरी बादशाह जैसी कुछ किस्में होती हैं जोकि पकने मे 110 से 120 दिनों का समय लेती हैं।
- ई- 4486 आलू की एक संकर किस्म है।इसके कंद मध्यम आकार के और सफेद रंग के होते हैं। और इसको पकने मे लगभग 135 दिन का समय लगता है। हरियाणा, यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, गुजरात समेत मध्य प्रदेश में यह देखने को मिलती है।
- कुफरी अशोक (पी जे- 376) भी आलू की एक संकर किस्म होती है जिसके पौधे मध्यम आकार वाले होते हैं।और इसकी उंचाई 60 से 80 सेंटिमिटर होती है।यह किस्म 75 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है।
- कुफरी चंद्रमुखी एक अगेती आलू की किस्म है। यह किस्म 80 से 90 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है।इसके कंद बड़े और अंडाकार और सफेद छिलके वाले होते हैं।यह लगभग 200 क्विंटल प्रतिहेक्टर के हिसाब से हो सकती है।
- ई- 3792 (कुफरी बहार) किस्म के आलू काफी बड़े रंग के होते हैं और यह 135 दिनों के अंदर तैयार हो जाती है।
- कुफरी लालिमा आलू की किस्म 80 से 90 दिनों के अंदर पककर तैयार हो जाती है और इसका छिलका गुलाबी रंग का होता है।
आलू के फायदे
आलू सब्जी के अंदर सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है।और इसको शाकहारी और मांसहारी दोनो ही तरह की सब्जी के अंदर खाया जाता है। आलू खाने से वैसे तो कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं लेकिन सस्ता होने की वजह से इसका प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है।आलू के अंदर कैंसर रोधी गुण होते हैं।ऐसा वैज्ञानिक रिसर्च मे समाने आया है।
आलू कब्ज और मोटापे को दूर करने के लिए काफी उपयोगी होता है।यह पोटैशियम से भरपूर होता है।और इसके अंदर कई प्रकार के औषधिय गुण पाये जाते हैं।
आलू आपके हर्ट के लिए अच्छा होता है
आज के दौर मे हर्ट की बीमारी तेजी से पैर पसार रही है।और आलू कॉलेस्ट्रॉल से मुक्त होता है। ऐसी स्थिति के अंदर यह आपके हर्ट के लिए किसी भी प्रकार से नुकसान दायी नहीं होता है।वैसे बढ़ता कॉलेस्ट्रॉल आपके हर्ट के लिए हानिकारक होता है। यदि आपको हर्ट की समस्या है तो आलू का सेवन आपके लिए काफी फायदे मंद हो सकता है।इसके अलावा आलू के अंदर फाइबर नहीं होता है।फाइबर की अधिक मात्रा स्ट्रोक को बढ़ा सकती है ऐसा उच्च रक्तचाप की वजह से होता है।
इसके अलावा आलू के अंदर पौटेशियम भी पाया जाता है जोकि आपके हर्ट के लिए अच्छा है। पौटेशियम से रक्तचाप कम हो जाता है जो आपके हर्ट के लिए काफी फायदेमंद होता है।
रक्तचाप को नियंत्रित करता है आलू
दोस्तों आलू रक्तचाप को नियंत्रित करने का काम भी करता है।जैसा कि आपको पहले ही बताया जा चुका है। शरीर के अंदर अधिक पौटेशियम रक्तचाप को कम करने का कार्य करता है। और रक्तचाप के अधिक होने से रोकने के लिए आलू कॉलेस्ट्रॉल फ्री होता है।
यदि आप अपने रक्तचाप के स्तर को कम करना चाहते हैं तो आलू का सेवन कर सकते हैं।आलू का सेवन आपके रक्तचाप को कम करने मे आपकी मदद करेगा । हालांकि इससे पहले डॉक्टर की सलाह लेना भी जरूरी होता है।
हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए
हड्डियों का स्वास्थ्य भी बहुत जरूरी होता है। हड्डियों के कमजोर होने पर फेक्चर का खतरा बढ़ जाता है।आलू के अंदर मैग्नीशियम नामक एक तत्व होता है जोकि आपकी हड्डी के लिए काफी फायदेमंद होता है।
आलू के अंदर कैल्शियम भी होता है जोकि हड्डी के लिए बहुत जरूरी होता है। यह हडि्डयों के विकास के लिए काफी फायदेमंद होता है। कैल्शियम की कमी की वजह से हडि्डयां काफी कमजोर हो जाती हैं और उसके बाद उनके अंदर फैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है।ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या को रोकने के लिए आलू का सेवन करना चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस होने की वजह से हडि्डयां बहुत अधिक कमजोर हो जाती हैं और शरीर भी बहुत अधिक दुबला पतला हो जाता है। ऐसी स्थिति के अंदर आलू का सेवन काफी फायदेमंद हो सकता है।
कैंसर को रोकता है आलू
दोस्तों आजकल कैंसर एक जानलेवा रोग बन चुका है।आलू कैंसर को रोकने का कार्य करता है। क्योंकि आलू कॉलेस्ट्रॉल मुक्त होता है। और शरीर के अंदर अधिक मात्रा मे कॉलेस्ट्रॉल का होना कई तरह की कैंसर का कारण बन सकता है।
इसके अलावा आलू के अंदर विटामिन सी भी होता है जोकि एंटीऑक्सीडेंट के रूप मे कैंसर से लड़ने मे काफी मदद करता है। इस प्रकार से आलू का सेवन कुछ हद तक आपको कैंसर से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
पाचन के रूप मे आलू के फायदे
आलू के अंदर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के गुण भी होते हैं।आलू के अंदर फाइबर होता है जो पाचन तंत्र को सही रखने का कार्य करता है और यह पेट संबंधित समस्याओं को दूर करने का कार्य करता है।
आलू एक स्टार्च युक्त कार्बोहाइड्रेट है जोकि आसानी से पच जाता है और आलू के अंदर विटामीन बी होता है जोकि पाचन तंत्र के लिए कई तरीकों से काफी फायदेमंद होता है।
किडनी स्टोन मे आलू के फायदे
दोस्तों किडनी स्टोन मे भी आलू काफी फायदेमंद होता है।आलू के अंदर पोटैशियम होता है। एक रिसर्च के अनुसार पोटैशियम किडनी स्टोन को ठीक करने का कार्य करता है।आजकल किडनी स्टोन की समस्या भी काफी तेजी से बढ़ती ही जा रही है।
महावारी के पूर्व लक्षणों को कम करता है
दोस्तों कई महिलाओं मे यह समस्या होती है कि इसके अंदर कई लक्षण महिलाओं के पिरियड से पहले नजर आने लग जाते हैं।इसके अंदर सिरदर्द और मूड के अंदर बदलाव हो सकता है।आलू इन लक्षणों से निजात पाने के लिए जाना जाता है। आलू के अंदर कार्बोहाइड्रेट और फाइबर होते हैं जो कि दर्द से राहत देने के साथ ही आराम प्रदान करते हैं।
नींद लाने मे मदद करता है आलू
दोस्तों आजकल कई लोगों को नींद की समस्या होती है।रात को ठीक से नींद नहीं आने की वजह से सुबह मूड बेकार रहता है।आलू विटामिन सी से युक्त होता है। और विटामिन सी ब्रेन कैमिकल का उत्पादन करता है जोकि नींद को लाने मे काफी सहायह होता है।आलू चिंता ,तनाव और अवसाद को दूर करने मे भी काफी उपयोगी होता है।
वजन को कम करता है आलू
यदि आप बढ़ते हुए वजन से परेशान हैं तो आलू आपके वजन को कम कर सकता है।आलू मे फाइबर अधिक होता है जो बिना कैरोली बढ़ाए आपके पेट को कम करने मे मदद करता है।इसके अलावा आलू के अंदर विटामिन सी होता है जोकि बढ़ते वजन को कम करने के लिए जाना जाता है।इसके अलावा आलू किस प्रकार से खाते हैं यह भी आपके वजन के कम करने को निर्धारित करता है यदि आप आलू के चिप्स, बर्गर, समोसा आदि का सेवन करते हैं तो यह आपके वजन को बढ़ा सकते हैं।
आमतौर पर आलू की खास बात यह होती है कि आलू खाने के बाद आपका पेट भरा हुआ सा महसूस होता है जिससे कि आप दूसरा भोजन कम करते हैं। जिससे कि वजन कम होता है। यदि आपको ज्यादा खाना खाने की आदत है तो आलू का सेवन करें आपका खाना काम हो जाएगा ।
आपके शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है आलू
दोस्तों शरीर के अंदर रोगप्रतिरोधक क्षमता अधिक होना बेहद ही जरूरी होता है। यदि शरीर मे कम रोगप्रतिरोधक क्षमता है तो आप अधिक बीमार पड़ेंगे तो शरीर मे अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता का होना जरूरी है।आलू शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है।आलू के अंदर विटामिन सी होता है जोकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करता है। यह एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप मे काम करता है।इसके अलावा आलू के अंदर मौजूद फाइबर भी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
दिमागी हेल्थ के लिए आलू के उपयोग
दोस्तों दिमागी हेल्थ के लिए भी आलू काफी फायदेमंद होता है।यह दिमाग के विकास को बढ़ावा देता है और जो लोग अल्जाइमर से पिड़ित हैं उनकी यादाश्त को बरकरार रखने का काम भी करता है।इसके अलावा आलू के अंदर मौजूद विटामिन सी ब्रेन कैमिकल के स्त्राव के लिए जिम्मेदार होता है । जिससे कि आपका मूड सुधरता है।और यदि आपका मूड अच्छा होता है तो आपको बेहतर नींद आएगी । और आप चीजों का अच्छे तरीके से आनन्द लेंगे ।
सूजन को कम करता है आलू का सेवन
यदि सूजन की समस्या है। जैसे कुछ लोगों को आम कारणों से सूजन आ जाता है तो इसके अंदर आलू के छिलके काफी प्रभावी हो सकते हैं।आलू के छिलके सूजन को कम करते हैं क्योंकि इनके अंदर एंटीफिलामेंटरी गुण होता है।
डायरिया की समस्या को दूर करता है आलू
दोस्तों डायरिया दस्त को कहा जाता है। यदि किसी को डायरिया की समस्या है तो आलू का सेवन फायदे मंद हो सकता है।जिंक ओरल सप्लीमेंट का प्रयोग डायरिया मे किया जा सकता है। इस मामले मे आलू काफी उपयोगी हो सकता है।
झुर्रियों को दूर करने मे आलू का प्रयोग
दोस्तों आलू का प्रयोग झुर्रियों को सही करने मे किया जाता है।बढ़ती उम्र के साथ झुर्रियां आना बेहद ही आम बात होती है।इसके लिए सरल तरीका है। यदि आपके फेस पर झुर्रियां आ चुकी हैं तो आपको करना यह है कि एक छिलके वाला आलू लेना है। उसके बाद उस आलू का पेस्ट बना लेना है।उस पेस्ट को आपको अपने चेहरे पर लगभग 15 मिनट तक लगाकर रखना होगा उसके बाद आपको अपना चेहरा धो लेना होगा । ऐसा दिन के अंदर दो बार करें। कुछ दिनों तक करेंगे तो आपको इसका असर दिख जाएगा ।
त्वचा पर काले धब्बे को दूर करता है आलू
दोस्तों कई बार त्वचा पर काले धब्बे आ जाते हैं। त्वचा के काले धब्बों को दूर करने मे आलू काफी फायदेमंद हो सकता है।इसके लिए आपको एक छिलके वाला आलू लेना होगा और उस आलू को पीस कर पेस्ट तैयार कर लेना है। अब इस पेस्ट को आप अपनी त्वचा पर लगाएं ।10 मिनट तक आपको इस पेस्ट को अपने चेहरे पर ऐसे ही रखना होगा उसके बाद ठंडे पानी से अपना चेहरा धो लेना होगा । ऐसा कुछ दिन करेंगे तो त्वचा पर मौजूद धब्बे दूर हो जाएंगे ।
सनबर्न मे फायदेमंद होता है आलू
दोस्तों सनबर्न मे आलू सबसे अधिक फायदेमंद होता है। सनबर्न का मतलब यह होता है कि सूर्य से आने वाली यूवी किरणें आपकी त्वचा के उत्तकों को नुकसान पहुंचाती हैं।जिससे कि त्वचा को नुकसान होता है। कुछ लोगों को यह समस्या होती है कि जब उनकी त्वचा सूर्य के प्रकाश के संपर्क मे आती है तो फिर वह लाल हो जाती है। इसी को सनबर्न के नाम से जाना जाता है।
इसके लिए आलू का प्रयोग किया जा सकता है। सबसे पहले एक आलू को अच्छे तरीके से धो लें और उसके बाद उस आलू को फ्रीज मे रखदें । फिर जब आलू एकदम से ठंडा हो जाए तो उसको बाहर निकालें और फिर इसका पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगा लें ।लगभग 20 मिनट तक इस पेस्ट को अपनी त्वचा पर लगाए रखें। उसके बाद अपनी त्वचा को धो लें। यह आपको आराम प्रदान करेगा ।
डार्क सर्कल को दूर करता है आलू
दोस्तों आलू डार्क सर्कल को दूर करने का काम करता है। कई बार किसी वजह से आंखों के चारों ओर काले घेरे जैसी संरचना बन जाती है।और यह आपके चेहरे पर काफी बूरी लगती है।आलू के अंदर विटामिन सी होता है। यह एंटी ऑक्सीडेंट होता है जो आपके चेहरे को साफ करने मे काफी मदद गार होता है।
आलू के अंदर एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होता है जो आपके आंखों के सूजन को कम करने मे सहायक होता है।आलू को प्रयोग करने का तरीका बहुत ही सरल है। इसके लिए आपको करना यह है एक आलू लें और उसके बाद आलू को टुकड़ों के अंदर काटकर आंखों के नीचे मौजूद काले घेरे के उपर रखदें । उसके बाद कुछ समय तक ऐसे ही रखें रहने दें फिर गुन गुने पानी से चेहरे को अच्छी तरह से धो लें ।
सूखी त्वचा
दोस्तों कुछ लोगों को सूखी त्वचा की समस्या होती है। आलू आपकी त्वचा को सूखी होने से बचाने का कार्य करता है।यदि आप चाहते हैं कि आपकी त्वचा अच्छी स्थिति मे हो तो आपको चाहिए कि आप एक आलू लें और उसको छिलकों सहित पीसें उसके अंदर कुछ चम्मच दही मिलाएं । उसके बाद उसको अपनी त्वचा पर लगाएं आपको फायदा देखने को मिलेगा ।
आपकी त्वचा को चमकाता है आलू
दोस्तों चमकदार त्वचा के लिए आलू काफी फायदेमंद हो सकता है।आलू के अंदर एंटीऑक्सीडेंट जैसे गुण पाये जाते हैं ।इसके लिए आलू को सबसे पहले पीसा जाता है और उसके बाद उसको अपने चेहरे पर लगाएं ।और लगभग 30 मिनट तक इसको ऐसे ही रखें और उसके बाद आप अपने चेहरे को अच्छी तरह से धो लें । ऐसा सप्ताह के अंदर 3 बार करें । ऐसा करने से आपका चेहरा चमकदार रहेगा ।
त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने मे प्रयोग
दोस्तों आलू का प्रयोग त्वचा की मृत कोशिकाओं को हटाने मे भी किया जा सकता है।इसके लिए एक बहुत ही सरल तरीका आपको प्रयोग मे लाना होगा । आप अपने चेहरे मरी हुई कोशिकाओं को हटाने के लिए एक आलू को पीसें और उसके बाद उसको अपने चेहरे पर लगा लें ।और उसके बाद अपने चेहरे को पानी से धो लें दिन मे कई बार ऐसा करें। जिससे कि आपके चेहरे की मृत कोशिका हट जाएगी ।
गिरते बालों को रोकने के लिए आलू का प्रयोग
दोस्तों अक्सर आप देखते ही होगे कि गिरते बालों की समस्या को दूर करने के लिए कई उपाय किये जाते हैं। इन उपायों के अंदर एक उपाय आलू का भी आता है।आलू के अंदर विटामिन सी होता है जोकि झड़ते हुए बालों को कम करता है और बाल लंबे बनाने का कार्य करता है।
सबसे पहले आपको एक आलू लेना है और उसको चाकू की मदद से या नाखुन की मदद से छील लेना होगा । उसके बाद दो बड़े चम्मच आलू के रस मे 2 ऐलोवीरा और 2 ही शहद के चम्मच मिलाएं और उसके बाद बालों को हल्के से मालिश करें और फिर कुछ घंटों के लिए बालों को ऐसे ही रहने दें । उसके बाद बालों को सैंपू से धो लेना चाहिए ।
सफेद बालों मे आलू का प्रयोग
दोस्तों आपने देखा होगा कि आजकल छोटे छोटे बच्चों मे भी सफेद बालों की समस्या देखने को मिलती है।आलू के अंदर आलू विटामिन बी-12, फोलेट आदि चीजें होती हैं जोकि असमय बालों के अंदर होने वाली सफेदी को दूर करने के लिए फायदेमंद होता है।
इसके लिए आप एक बहुत ही सरल उपाय कर सकते हैं।आपको एक आलू लेना होगा उसके छिलकों को अलग करें और उन छिलकों को पानी मे उबालें बालों को शैंपू से धोकर इस पानी से भी बाल धो लें। ऐसा करने का फायदा यह होगा कि बालों का जो असमय सफेद होने की समस्या होती है उससे छूटकारा मिल जाएगा ।लेकिन इसके लिए आपको कई बार इस तरीके का प्रयोग करना होगा ।
आलू का भंडारण कैसे करे aalu ki kheti kaise kare
दोस्तों आपको बतादें कि आलू के अंदर लगभग 70 फिसदी जल होता है। और हमारे भारत के अंदर हर साल 400 मैट्रिक टन आलू होता है। ऐसी स्थिति मे आलू का भंडारण करना एक बड़ी चुनौती के रूप मे सामने आया है।आलू की खुदाई फरवरी से मार्च मे की जाती है। और गर्मी मे आलू का भंडारण सबसे अधिक कठिन होता है। यदि सही तरीके से भंडारण नहीं हो पाता है तो आलू की सही कीमत किसान को नहीं मिल पाती है।यदि आप एक किसान हैं तो आलू के भंडारण के महत्व को जानते ही होंगे । जब बाजार भाव उंचे हो जाते हैं तो भंडारित आलू को बेच दिया जाता है।दोस्तों आलू के भंडारण के तरीके भी अलग अलग होते हैं। आलू को कई तरीके से भंडारित किया जा सकता है।
कोल्ड स्टोरेज के अंदर आलू का भंडारण
दोस्तों कोल्ड स्टोरेज के अंदर आलू को आसानी से भंडारित किया जा सकता है।कोल्ड स्टोरेज के अंदर आलू का अंकुरण नगण्य होता है।इसके अलावा यदि आप लंबे समय तक आलू को स्टोरेज करके रखते हैं तो फिर यह तरीका आपके लिए काफी फायदेमंद होता है।इस विधि से आलू को बीज के लिए प्रयोग किया जा सकता है देश के अंदर कुल भंडारण का 79 फिसदी आलू को कोल्ड स्टोरेज के अंदर रखा जाता है।
खाद्य और प्रसंस्करण आलू भंडारण
इस विधि के अंदर आलू को बहुत कम तापमान पर संग्रहित किया जाता है। आलू को कम तापमान पर संग्रहित किये जाने की वजह से आलू के उपर एक परत जम जाती है। इस प्रकार के आलू खाने मे मीठे जैसे लगते हैं। यदि आपने कभी इस प्रकार के आलू को खाया होगा तो आपको पता चला होगा कि यह स्वाद के अंदर काफी मीठे होते हैं।और यह आलू स्वाद मे मीठे होने की वजह से इनको उपभोक्ता कम पसंद करते हैं।
देशी आलू भंडारण विधि
देशी आलू भंडारण विधि वैसे बहुत ही सरल विधि है।देशी भंडारण तरीकों के अंदर एक छप्पर लगाया जाता है और उसके अंदर आलू को भंडारित किया जाता है। या फिर हवादार कमरों मे रखा जाता है।और आलू को किसी घास फूस पर डाला जाता है और उसके बाद उसके उपर आलू को रख दिया जाता है। हालांकि इन तरीकों से आलू के भंडारण को 3 से 4 महिने तक रखा जा सकता है। और जब कीमतें उंची हो जाती हैं उनको बेच कर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।क्लोरप्रोफाम जैसी चीजों से भी आलू को उपचारित किया जा सकता है। जिससे की आलू की अच्छी कीमत उठ सके ।
यदि किसान आलू को लंबे समय तक भंडारित करने मे सक्षम हो जाता है तो उसके बाद वह अपनी फसल की अच्छी कीमत भी हासिल कर सकता है।
कोल्ड स्टोरेज की आधुनिक विधि
इस विधि के अंदर आलू को लगभग 10 डिग्री तापमान पर स्टोर रखा जाता है। हालांकि इससे आलू के उपर जो शर्करा जम जाती है वह कम हो जाती है लेकिन उंचे तापमान पर अंकुरण बहुत जल्दी हो जाता है।अंकुरण से बचने के लिए क्लोरप्रोफाम जैसे रसायन से आलू को उपचारित करना पड़ता है।इस तकनीक की मदद से आलू को 6 महिने तक भंडारित किया जा सकता है। और उपभोक्ता इन अच्छे आलू की अधिक कीमत देने मे भी नहीं हिचकिचाते हैं।
हालांकि आलू के अंकुरण से बचने के लिए उनको महिने मे दो बार उपचारित करना पड़ता है।दोस्तों इस तरीके से आलू को काफी अधिक मात्रा मे आसानी से भंडारित किया जा सकता है।
बीज हेतु आलू का भंडारण
दोस्तों बीजों हेतु आलू का भंडारण आप कर सकते हैं।आलू को एक फसल से लेकर दूसरी फसल तक बचाकर रखना जरूरी होता है।शीत भंडारण अच्छा माना जाता है। इसमे 2 से 4 डिग्री टेंपरेचर पर आलू को रखा जाता है।
शीत भंडारण के अपने फायदे होते हैं। इसमे आलू के अंदर अंकुरण ना के बराबर होता है और इसके अलावा आलू को लंबे समय तक आसानी से सही स्थिति के अंदर रखा जा सकता है।
हमारे देश के अंदर का 70 से 80 फिसदी आलू इसी तरीके से सुरक्षित रखा जाता है।शीतकाल के अंदर आलू के अंकुरण नहीं हो पाते हैं और गर्मी आने के बाद आलू के अंकुरण होते हैं जिसके बाद इनकी बुआई करदी जाती है।
अंकुरित आलू खाने के नुकसान
दोस्तों एक बार जब आलू अंकुरित होने लग जाता है तो उसके बाद उसके अंदर कई प्रकार की क्रियाएं होने लग जाती हैं।
उस आलू को नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचाता है। कार्बोहाइड्रेट स्टार्च शुगर में बदल जाता है और आलू के अंदर सोलानिन और अल्फा कैकोनिन नामक दो तत्व होते हैं जोकि विषैले होते हैं।यदि आप अंकुरित आलू खाते हैं तो यह आपके पाचन तंत्र के लिए विष का काम करता है। सो आपको अंकुरित आलू का सेवन नहीं करना चाहिए ।आमतौर पर आलू यदि अंकुरित हो रहे हैं तो उनको भंडारण से अलग कर देना चाहिए । क्योंकि वैसे भी अंकुरित आलू कोई कस्टमर नहीं लेगा ।
आलू को फ्रीज मे क्यों नहीं रखना चाहिए
दोस्तों आलू को अक्सर हम फ्रीज मे रख देते हैं लेकिन आलू को कभी भी फ्रीज मे नहीं रखना चाहिए । आलू के अंदर मौजूद स्टार्च शर्करा के अंदर बदलने लग जाता है।और इस प्रकार के आलू का यदि आप सेवन करते हैं तो कैंसर का खतरा बढ़ जाता है । सो आपको आलू भूलकर भी फ्रीज मे नहीं रखना चाहिए ।
आलू के स्टोरेज से जुड़ी कुछ सावधानियां
- दोस्तों आलू को स्टोर करने से पहले उनको कभी भी धोना नहीं चाहिए । इससे आलू मे नमी रह सकती है और वे जल्दी खराब हो जाएंगे ।
- आलू को हमेशा अंधेरी और सूखी जगह पर रखने की जरूरत होती है। वरना आलू खराब हो सकते हैं।
- आलू को आप लंबे समय तक स्टोर करने के लिए किसी ठंडे और हवादार स्थान पर रख सकते हैं। यह लंबे समय तक आसानी से रह सकते हैं।
- आलू को स्टोर करने से पहले सड़े और गले आलू को निकाल देना चाहिए क्योंकि एक आलू कई आलू को खराब कर सकता है।
- नमी और हवा नहीं पहुंचने वाले स्थान पर आलू को नहीं रखना चाहिए क्योंकि इससे वह अंकुरित होने लग जाते हैं।
- आलू को अंकुरण से बचाने के लिए उचित दवाओं का प्रयोग करना चाहिए । वरना सारे आलू अंकुरित हो जाते हैं तो फिर कोई भी फायदा होने की बजाय उल्टा नुकसान होगा ।
- आलू का सेवन करने से पहले आलू को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए लेकिन स्टोर करने से पहले उनकी नमी को निकाल देना चाहिए । उनको सूरज की धूप दी जा सकती है।
आलू की खेती कैसे करें लेख के अंदर हमने आलू की खेती के बारे मे विस्तार से जाना । उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा ।यदि आपका इस संबंध मे कोई सवाल है तो हमें कमेंट करके बताना ना भूलें ।
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