aarti kunj bihari ki lyrics pdf आरती कुंज बिहारी की पीडीएफ Download

aarti kunj bihari ki lyrics pdf -आरती कुंजबिहारी की लिरिक्स हिंदी PDF Download  भगवान् श्री कृष्ण के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। आपको बतादें भगवान् श्री कृष्ण को विष्णु का 8 वां अवतार माना जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन मनाया जाता है । और यह अगस्त से दिसंबर महिने के अंदर आता है। यदि आप कृष्ण जी के भगत हैं तो आपको इसके बारे मे जानकारी होगी ही  । और भारत के अंदर तो भगवान कृष्ण के अनेक मंदिर बने हुए हैं। जंहा पर आरती की  जाती है।

श्री कृष्ण के जन्म की कहानी के बारे मे बात करें तो आपको बतादें कि श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। मथुरा उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित है। उनके माता-पिता का नाम वसुदेव और देवकी था । कहा जाता है कि उस समय राजा कंस हुआ करता था । और उसकी बहन देवकी थी। कंस को किसी ने बताया कि उसका काल या उसको मारने वाला उसकी बहन देवकी की संतान होगा । और इसकी वजह से कंस काफी अधिक भयभीत हो गया । और उसने अपनी बहन देवकी को और उसके पति वासुदेव को जेल के अंदर बंद कर दिया । और उसके बाद उन दोनों से जो भी संतान पैदा होती थी। वह उसको मार देता था । कहा जाता है कि देवकी की कृष्ण आठवीं संतान था । और कहा जाता है कि जब कृष्ण पैदा हुए तो उस समय रात का वक्त था । और जेल के ताले लगे हुए थे वे सारे ताले अपने आप ही ​खुल गए और पहरेदार सो गए । उसके बाद जब बच्चे का जन्म हुआ तो वसुदेव डर गए और उन्होंने अपने बच्चे को अपने एक मित्र को सौंप दिया ताकि वह उस बच्चे को नंद के पास ले जा सके । और उसने ऐसा ही किया । कहा जाता है कि उसी समय नंद के घर पर बैटी का जन्म हुआ ।

वसुदेव के एक मित्र ने उस नंद की बेटी को वसुदेव को लाकर देदिया । फिर क्या था  कि जब कंस को पता चला तो कंस ने उस लड़की को मार दिया । और उसे लगा कि उसने अपने पैदा होने वाले काल को नष्ट कर दिया । और कहा जाता है कि कंस निश्चित होकर कई साल तक राज करता रहा लेकिन बाद मे उसे यह पता चल गया कि उसका काल अभी जिंदा है। वहीं दूसरी कहानियों के अंदर यह उल्लेख मिलता है कि  कंस ने जब उस लड़की को मारा तो आकाशवाणी हुई कि उसका काल अभी भी जिंदा है वह मरा नहीं है।

और जब यह बात कंस ने सुनी तो वह भयभीत हो गया और उसको डर लगने लग गया ।

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aarti kunj bihari ki lyrics pdf आरती कुंज बिहारी की पीडीएफ यदि आप डाउनलोड करना चाहते हैं तो हम आपको यहां पर यह फाइल दे रहे हैं आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।

“आरती कुंज बिहारी की” श्री कृष्णा जी की आरती

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

गले में बैजंतीमाला, बजावै मुरली मधुर बाला,

श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला,

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली,

लतन में ठाढ़े बनमाली, भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,

चंद्र – सी झलक, ललित छवि स्यामा प्यारी की ||

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

कनकमय मोर- मुकुट बिलसै, देवता दरसनको तरसैं,

गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, 

ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की ||

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल- मल- हारिणि श्रीगंगा,

स्मरन ते होत मोह- भंगा, बसी सिव सीस, जटाके बीच,

हरै अघ कीच, चरन छबि श्री बनवारी की ||

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही बृन्दाबन बेनू,

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू, हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,

कटत भव-फंद, टेर सुनु दीन दुखारी की || 

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ||

Aarti Kunj Bihari Ki, Shree Giridhar Krishna Murari Ki ||

Aarti Kunj Bihari Ki, Shree Giridhar Krishna Murari Ki ||

Gale Mein Baijantimala, Bajaavai Murali Madhur Bala,

Shravan Mein Kundal Jhalakala, Nand Ke Aanand Nandalala,

Gagan Sam Ang Kanti Kalee, Radhika Chamak Rahi Aalee,

Latan Mein Thadhe Banamalee, Bhramar See Alak,

Kasturi Tilak, Chandra – See Jhalak, Lalit Chhavi Syama Pyaree Ki ||

Aarti Kunj Bihari Ki, Shree Giridhar Krishna Murari Ki ||

Kanakamay Mor- Mukut Bilasai, Devta Darasanako Tarasain,

Gagan Son Suman Raasi Barasai, Baje Murachang, Madhur Miradang,

Gvaalin Sang, Atul Rati Gop Kumaree Ki ||

Aarti Kunj Bihari Ki, Shree Giridhar Krishna Murari Ki ||

Jahaan Te Prakat Bhee Ganga, Sakal- Mal- Harini Shreeganga,

Smaran Te Hot Moh- Bhanga, Basee Siv Sees, Jataake Beech,

Harai Agh Kich, Charan Chhabi Shree Banavaree Ki ||

Aarti Kunj Bihari Ki, Shree Giridhar Krishna Murari Ki ||

Chamakatee Ujjval Tat Renoo, Baj Rahee Brindaban Benoo,

Chahun Disi Gopi Gvaal Dhenoo, Hansat Mrdu Mand,

Chandanee Chand, Katat Bhav-Phand, Ter Sunu Deen Dukhaaree Ki ||

Aarti Kunj Bihari Ki, Shree Giridhar Krishna Murari Ki ||

Aarti Kunj Bihari Ki, Shree Giridhar Krishna Murari Ki ||

आरती कुंज बिहारी की किसने लिखी थी ।

आरती कुंजबिहारी की का लेखक स्वतंत्र भारत के संत श्री जयदेव थे। वे एक महान कवि थे जो 12वीं शताब्दी में जीवन बिताए थे। उन्होंने गीत गोविन्द के लिए जाने जाते हैं, जो सबसे अधिक जाने जाते हैं। आरती कुंजबिहारी की भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है और यह आरती भगवान श्री कृष्ण की पूजा और भक्ति का अभिनंदन करती है।

आरती कुंज बिहारी की को कब चला सकते हैं ?

दोस्तों यदि आप शाम को पूजा पाठ करते हैं तो उसके अंदर आप चला सकते हैं या फिर आप अपने मुख से भी बोल सकते हैं। यह काफी सुंदर और मन को मोहने वाली आरती होती है। जिसको आप कर सकते हैं। आपके दिल और दिमाग को सकून मिलेगा ।

कृष्ण जी को कूंज बिहारी क्यों कहा जाता है ?

कुंज का अर्थ होता है  झील से  जो श्री कृष्ण को बहुत पसंद थी। कुंज बिहारी का अर्थ ये भी है कि वे कुंज नामक गली में विहार करने थे।

तीन जगह से टेढ़े है.होठ,कमर और पैर इसकी वजह से उनको त्रिभगी के नाम से भी जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । असल मे कूंज बिहारी क्यों कहा जाता है ? इसके बारे मे भी एक दिलचस्प कहानी है। इस कहानी के अनुसार जब भगवान का जन्म हुआ तो नंद की दो बहने थी जिनका नाम नंदा और सुनंदा । जब भगवान को जन्म हुए कुछ समय हो गया तो सुनंदा ने कहा कि भाभी आपको बालक को दूध पीलाना चाहिए । तो यशोदा ने कहा हां बहन तुम ठीक कह रही हो । और उसके बाद सनंदा ने क​हा कि मैं बाहर खड़ी हो जाती हूं और किसी को अंदर नहीं आने देती हूं । और आप दूध पीला देना ।

उसके बाद यशोदा ने भगवान को अपने हाथों मे उठाना चाहा लेकिन भगवान इतने अधिक कोमल थे कि यशोदा ने सोचा कि मेरी उंगली इनको चुभेगी तो मैं ऐसे ही इनको दूध पिला देती है।। उसके बाद यशोदा ने भगवान को उपर से ही सोते हुए दूध पिला लिया ।उसके बाद भगवान ने एक घूंट पिया , दो घूंट पिया जैसे ही तीसरा घूंट पिया तो सनंदा ने देख लिया और कहा भाभी टेडे होकर दूध मत पिलाओ । यह जितनी घूंट दूध पीयेगा उतनी जगह से टेढा हो जाएगा ।और तब तक भगवान तीन घूंट दूध पी चुके थे ।

तीन घूँट दूध पीने के कारण कृष्ण तीन जगह से टेढे हो गए अर्थात “बाँके” और भगवान के जन्म कुंडली का नाम “बिहारी” था  । इस तरह से उसके बाद भगवान को बांके बिहारी के नाम से जाना जाने लगा । आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।

इस तरह से दोस्तों इस लेख के अंदर हमने कूंज बिहारी की आरती के बारे मे आपको बतादिया है। यदि आप आरती को डाउनलोड करना चाहते हैं तो इसके लिए उपर डाउनलोड लिंक दिया गया है आप वहां से आरती को डाउनलोड कर सकते हैं आसानी से डाउनलोड हो जाएगी ।

यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं हम आपके सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे । आप इस बात को समझ सकते हैं और उम्मीद करते हैं कि आपको सब कुछ अच्छा लगा होगा ।

This post was last modified on April 25, 2023

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