ac मोटर कितने प्रकार के होते है- एसी मोटर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण का उपयोग करके विधुत उर्जा को यांत्रिक उर्जा के अंदर बदलती है। प्रत्यावर्ती धारा के माध्यम से संचालित होती है। एसी मोटर के दो सबसे महत्वपूर्ण भाग होते हैं। एक भाग को स्टेटर कहा जाता है तो दूसरे को रोटर कहा जाता है। स्टेटर मोटर का स्थिर हिस्सा होता है तो रोटर मोटर के घूमने वाले हिस्से को कहा जाता है।
वैसे तो एसी मोटर कई प्रकार की हो सकती है। लेकिन यह आमतौर पर सिगल फेज और 3 फेज प्रकार की होती है। सिंगल फेज एसी मोटर के बारे मे आप जानते ही होंगे । इसका प्रयोग हम सभी अपने घरों के अंदर करते हैं। जैसे रेफ्रिजरेटर, पंखे, वॉशिंग मशीन, हेयर ड्रायर, मिक्सर आदि के अंदर एसी मोटर का ही प्रयोग किया जाता है।
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ac मोटर कितने प्रकार के होते है Based On Type Of Current
Single Phase and Three Phase एसी मोटर के बारे मे आप जानते ही होंगे । अक्सर आप जो पंखे के अंदर एसी मोटर यूज लेते हैं वह एक Single Phase मोटर होती है। जबकि बड़ी चक्की के अंदर या किसी कारखाने के अंदर जो बड़ी मोटरे यूज की जाती हैं। वे 3 फेज मोटर होती हैं। 3 फेज मोटर का प्रयोग आपके घरों के अंदर नहीं किया जाता है। वरन इसके लिए अलग से कनेक्सन लेना होता है।
Single Phase ac motor
single phase supply की मदद से यह मोटर ऑपरेट होती है। यह 220 वोल्ट का प्रयोग करती है। और इसका प्रयोग पंखें ,कूलर और मिक्सी के अंदर किया जाता है।इसका स्टार्टिंग टोर्क कम होता है और इसको आसानी से रिपेयर किया जा सकता है। इसकी Efficiency और फावर फेक्टर बहुत ही कम होता है।और इसकी बनावट काफी सरल होती है।
सिंगल फेज इंडक्शन मोटर में स्टेटर पर सिंगल फेज वाइंडिंग और रोटर पर एक केज वाइंडिंग होती है।आपूर्ति स्टेटर वाइंडिंग से कनेक्ट रहती है।एक स्पंदित चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है और रोटर जड़ता के कारण घूमता नहीं है। इसी वजह से सिंगल फेज मोटर सेल्फ र्स्टाट नहीं होती है।
सिंगल फेज मोटर की कार्यप्रणाली के बारे मे दो सिद्वांत बताते हैं। जिनको डबल रिवाल्विंग फील्ड थ्योरी और क्रॉस-फील्ड सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। एकल चरण प्रेरण मोटर के दोहरे परिक्रामी क्षेत्र सिद्धांत में कहा गया है कि एक स्पंदित चुंबकीय क्षेत्र को दो घूर्णन चुंबकीय क्षेत्रों में हल किया जाता है।
वे परिमाण में समान हैं लेकिन दिशाओं में विपरीत हैं। प्रेरण मोटर चुंबकीय क्षेत्रों में से प्रत्येक के लिए अलग से प्रतिक्रिया करता है। मोटर में शुद्ध टोर्क दो चुंबकीय क्षेत्रों में से प्रत्येक के कारण टोर्क के योग के बराबर है।
Three Phase ac motor
इस मोटर को चलाने के लिए three phase supply की आवश्यकता होती है। इस मोटर का प्रयोग कारखानों के अंदर किया जाता है। और इसको रिपेयर करना आसान नहीं होता है। इसका starting torque काफी ज्यादा होता है। यह उच्च दक्षता पर काम करती है। 3 फेज मोटर एक सिंगल फेज मोटर की तुलना मे काफी महंगी आती है।
3 फेज मोटर के अंदर एक स्टेटर और रोटर होता है। जिनके बीच कोई भी विधुतिये कनेक्सन नहीं होता है। और इनका निर्माण उच्च-चुंबकीय कोर सामग्रियों से किया जाता है ताकि हिस्टैरिसीस नुकसान को कम से कम किया जा सके ।
- जब मोटर के अंदर 3 फेज सप्लाई दी जाती है।तो तीन-चरण स्टेटर वाइंडिंग एक स्थिर चुंबकीय क्षेत्र को 120 विस्थापन के साथ स्थिर परिमाण में उत्पन्न करती है ,जोकि तुल्यकालिक गति से घूमती है।यह बदलता हुआ चुंबकिय क्षेत्र रोटर कंडेक्टरों को काटता है।फैराडे के विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र के नियमों के अनुसार इसके अंदर करंट बहता है।
- स्टेटर के चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में, रोटर कंडक्टर होते हैं। जिसकी वजह से एक यांत्रिक बल रोटर कंडक्टर पर कार्य करता है।यांत्रिक बलों का योग रोटर मे टोर्क पैदा करता है।
- स्टेटर फ़ील्ड और रोटर कंडक्टर के बीच सापेक्ष गति रोटर को एक विशेष दिशा में घुमाने का कारण बनती है।रोटर की गति स्टेटर फील्ड से हमेशा कम होनी चाहिए।
एसी मोटर के प्रकार Commutator Motors
यह मोटर डीसी मोटर की तुलना मे उच्च शुरुआत टोक़ और एसी प्रेरण मोटर्स की तुलना में उच्च गति दे सकती है।यह एक पारम्परिक मोटर की तुलना मे तुल्यकालिक गति से उपर संचालित होता है।एसी कम्यूटेटर मोटर सिंगल फेज और पोली फेज हो सकते हैं।यह समान आकार की प्रेरण मोटर की तुलना मे बहुत अधिक शक्ति का उत्पादन करती है।
Single Phase Series Motor
यदि डीसी श्रृंखला मोटर का लेमेटेड फिल्ड एसी से कनेक्ट होता है। और फिल्ड कॉयल का lagging reactance कम होता है। और मोटर रोटेट करती है।इसके अंदर ब्रश द्वारा शॉर्ट किए गए कम्यूटेटर सेगमेंट से जुड़ी आर्मेचर वाइंडिंग होती है।लैगिंग रिएक्शन और arcing ब्रश केवल बहुत ही छोटे असम्बद्ध श्रृंखला एसी मोटर में उच्च गति पर संचालित होते हैं।
Compensated Series Motor
आर्मिंग श्रृंखला में स्टेटर को एक क्षतिपूर्ति घुमावदार स्टेटर को रखकर स्पार्किंग को कम किया जाता है।लैगिंग को भी इसके अंदर कम किया जाता है।
Universal Motor
Universal Motor का प्रयोग आमतौर पर 300 वाट से कम के उपकरणों के अंदर किया जाता है। इस मोटर की स्पीड अच्छी होती है। और यह डीसी और एसी पर काम कर सकती है। हालांकि यह एसी पर कम स्पीड से काम करती है।ड्रिल, वैक्यूम क्लीनर और मिक्सर, को 3000 से 10,000 आरपीएम की आवश्यकता होती है। इनके अंदर Universal Motor का प्रयोग किया जाता है।
Repulsion Motor
प्रतिकर्षण मोटर के अंदर एक क्षेत्र तो सीधे लाइन वोल्टेज से जुड़ा हुआ होता है।शॉर्ट ब्रश की एक जोड़ी फील्ड अक्ष से 15 ° से 25 ° तक ऑफसेट होती है।शॉर्ट आर्मेचर में धारा बहती है। जिसका चुंबकिये फिल्ड कॉयल का विरोध करता है। इस मोटर में सिंक्रोनस स्पीड के नीचे बेहतर कम्यूटेशन है, सिंक्रोनस स्पीड के ऊपर अवर कम्यूटेशन। कम शुरुआती करंट हाई स्टार्टिंग टॉर्क पैदा करता है।
Repulsion Start Induction Motor
जब एक मोटर को उच्च शूरूआती भार को उठाने के लिए प्रयोग मे लाया जाता है तो रोटर वाइंडिंग को शॉर्ट ब्रश की एक जोड़ी से जोड़ा जाता है और कम्यूटेटर सेगमेंट के अंदर लाया जाता है।
Speed Of Operation के आधार पर ac मोटर के प्रकार
दोस्तों कई बार हम लोगों को ऐसी मोटर की आवश्यकता होती है। जिसके अंदर स्पीड को नियंत्रित किया जा सके या स्पीड को बदला जा सके आजकल के ई बाइक के अंदर डसी मोटर का प्रयोग किया जाता है। और उनकी स्पीड को बदला जा सकता है। इसी प्रकार से ऐसी मोटर के अंदर स्पीड को बदल सकते हैं।
Constant Speed
दोस्तों Constant Speed वाली एसी मोटर की स्पीड स्थिर रहती है। उसके अंदर लोड के बदलाव के साथ बहुत ही कम बदलावा आता है। कई ऐसी मसीने होती हैं जिनके अंदर Constant Speed की मोटर की आवश्यकता होती है। वहीं पर इसका यूज किया जाता है।
Variable Speed
Variable Speed वाली ऐसी मोटर के बारे मे आप जानते ही होंगे अक्सर मोटर की स्पीड लोड के साथ बदलती रहती है। यदि मोटर पर अधिक लोड़ हो जाता है तो उसकी स्पीड कम हो जाती है। आमतौर पर हम लोग आटा चक्की की मोटर को ले सकते हैं तो अपनी रेंज के अंदर अपनी स्पीड को बदल सकती है।
Adjustable Speed मोटर
दोस्तों Adjustable Speed मोटर के अंदर हमे स्पीड बदलने का आप्सन मिल जाता है। यदि हम उसे उच्च गति पर चलाना चाहते हैं तो उच्च गति पर चला सकते हैं । अक्सर आपने कई ऐसे फेन देखे होंगे जिनके अंदर आप मोटर की घूमने की स्पीड को कम या अधिक कर सकते हैं । यानि आप उसकी स्पीड को एडजस्ट कर सकते हैं।
Principle Of Operation के आधार पर मोटर के प्रकार
दोस्तों मोटर के कार्यप्रणाली के आधार पर भी हम इसको दो भागों के अंदर बांट सकते हैं। जिसके अंदर Synchronous मोटर और Asynchronous Motor आता है।
Synchronous मोटर
इस मोटर की गति उतनी ही रहती है। जितनी की rotating magnetic field की होती है। इसका प्रयोग किसी भी लोड पर नहीं किया जाता है। वरन इसका प्रयोग शक्ति गुणंक को सुधारने मे किया जाता है। यह छोटी मोटरे अपने आप ही र्स्टाट हो जाती हैं। लेकिन बड़ी तुल्यकालिक मोटरें सेल्फ-स्टार्टिंग नहीं होती हैं।इनको र्स्टाट करने के लिए कई बार बड़ी मोटरों का प्रयोग किया जाता है। और यह मोटर तुल्यकालिक मोटर को घूमाकर र्स्टाट करती हैं।
ac मोटर कितने प्रकार के होते है Asynchronous Motor
इस मोटर Asynchronous Motor इसलिए कहा जाता है क्योंकि रोटर की कोणीय चाल स्टेटर वाइण्डिंग द्वारा पैदा किये गये घूर्णी चुम्बकीय क्षेत्र की कोणीय चाल से कम होती है।इसको प्रेरण मोटर के नाम से भी जाना जाता है। वो इसलिए क्योंकि इसके रोटर के अंदर प्रेरण के द्वारा धारा उत्पन्न होती है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इसके अंदर घीसने वाला कोई भी भाग नहीं है। इसलिए यह लंबे समय तक चलती है।
यह मोटरे निम्न प्रकार की होती हैं।
- तीन फेजी प्रेरण मोटर
- स्क्वैरेल केज
- स्लिप-रिंग
- एक फेजी प्रेरण मोटर
- स्प्लिट-फेज प्रेरण मोटर
- कैपेसिटर-स्टार्ट प्रेरण मोटर,
- कैपेसिटर-स्टार्ट कैपेसिटर रन प्रेरण मोटर,
- रेसिस्टैंस स्प्लिट-फेज प्रेरण मोटर,
- शेडेड पोल प्रेरण मोटर
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