aham shabd roop , अस्मद् शब्द रूप संस्कृत में यदि हम अहम शब्द रूप की बात करें तो आपको बतादें कि यह तीनों लिंगों के अंदर समान होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । नीचे अहम शब्द रूप की टेबल दी गई है। यदि आपको कुछ भी याद करना है तो आप टेबल से याद कर सकते हैं। यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमें बता सकते हैं।
aham shabd roop in sanskrit अस्मद् शब्द रूप संस्कृत में
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | अहम् | आवाम् | वयम् |
द्वितीया | माम् | आवाम् | अस्मान् |
तृतीया | मया | आवाभ्याम् | अस्माभिः |
चतुर्थी | मह्यम् | आवाभ्याम् | अस्मभ्यम् |
पंचमी | मत् | आवाभ्याम् | अस्मत् |
षष्ठी | मम | आवयोः | अस्माकम् |
सप्तमी | मयि | आवयोः | अस्मासु |
प्राचीन काल की बात है। एक गांव के अंदर एक राजा रहता था। वह काफी घमंडी राजा था । और वह इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकता था कि कोई उसके खिलाफ बोले । यदि उसे कोई भी प्रजा उसके खिलाफ बोलता हुआ सुनाई देता था तो वह उसको पकड़ लेता था और उसके बाद उसे फांसी पर चढ़ा देता था।
और आपको तो पता ही है कि प्रजा राजा की बुराई किये बिना नहीं रह सकती थी। और यदि यह बात राजा तक पहुंच जाती तो उसके बाद वह उस बुराई करने वाले को पकड़ लेता था और उसके बाद फांसी पर चढ़ा देता था । इसी तरह से समय बीतता गया । राजा काफी खुश रहता था कि उसके खिलाफ बोलने वाले हर इंसान को वह मार देगा । और वह करता भी यही था । एक बार एक बुढ़ाई उस गांव के अंदर आई और वहीं पर रहने लगी । उसके राजा की इस आदत के बारे मे कोई पता नहीं था । और जब उसने कुछ दिन राज्य के अंदर बिताये तो उसने देखा कि राज्य की हालत बहुत अधिक खराब है। और हर जगह पर गदंगी ही गदंगी बिखरी हुई है। तो उसने एक दिन राजा के पास जाने का निश्चय किया । जब राजदरबार चल रहा था तो उसके बाद वह राजा के दरबार मे आने के लिए सेवक के पास पहुंची और कहा कि उसे राजा से मिलना है। सेवक ने राजा को अंदर आकर पूछा और उसके बाद बूढ़िया राजा के सामने आ गई ।
उसने कहा ………हे राजन सुना है आप महान हैं उसके बाद भी आपके राज्य के अंदर बहुत अधिक गदंगी फैली हुई है। और आप अपने कर्मचारियों से काम करने की क्यों नहीं कहते हैं।
राजा ने कभी इस बारे मे जाना ही नहीं । तो उसने सफाई कर्मचारी के हेड को बुलाया और पूछा ………क्यों भई यह जो बूढ़िया कह रही है क्या वह सच है ?
……….नहीं महाराज ऐसा कुछ नहीं है । राज्य के अंदर पूरी साफ सफाई है। कर्मचारी झूठ बोलने लगा । तो उसके बाद बूढ़िया ने कहा ………नहीं महाराज आप खुद चलकर देख लिजिए ।और राजा भी आज बूढ़िया की बात पर सहमत हो गया और राजा ने उस बुढ़िया को बैठाया और राज्य की सैर करने निकल गया।
राजा कुछ समय के बाद वापस आया और कहा ………हमारे कर्मचारी झूठ नहीं बोलते हैं। राज्य के अंदर इतनी गदंगी तो रहना आम बात है। आप इतनी बूढ़ी होकर झूंठ बोल रही हैं। इसलिए आपको जेल मे डाला जाता है। बूढ़िया काफी हैरान रही और कहा ……महाराज मुझे लगा था कि आप एक महान राजा है लेकिन आप तो मूर्ख निकले ।
बूढ़िया की यह बात सुनने के बाद राजा को काफी अधिक गुस्सा आ गया और राजा ने कहा कि इस बूढ़िया को 100 कोड़े लगाएं जाएं और जेल के अंदर डाला जाए । उसके बाद क्या था भरी सभा के अंदर उस बूढ़िया को सौकोड़े लगाए गए । और जेल के अंदर डाल दिया गया ।
असल मे वह कोई साधारण बूढ़िया नहीं थी । वरन पास के राज्य के राजा सुखवीर सिंह की जासूस थी । जब यह बात राजा सुखवीर सिंह को पता चली तो वह काफी अधिक दुखी हुई । क्योंकि उसकी आदत थी कि वह किसी को भी दुख के अंदर नहीं देख सकता था । उसके बाद उसने अपने मंत्रियों से बात की और अपने पास के राज्य पर आक्रमण करने का मन बनाया । उसके बाद क्या था । राजा सुखवीर सिंह ने धूर्त राजा को अपना संदेश भिजवाया कि यदि वह उस बुढ़िया को नहीं छोड़ता है तो युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहे । उसके बाद क्या था इसकी वजह से मूर्ख राजा और अधिक भड़क गया और राजा सुखवीर सिंह को और अधिक चुनौती देने लगा । यह बात राजा सुखवीर सिंह को पता चली तो उसे यह लगने लगा था कि यह राजा ऐसे नहीं मानने वाला है तो उसने मूर्ख राजा के राज्य के उपर चढ़ाई करदी । और मूर्ख राजा कुछ भी नहीं समझ पाया । उसकी सेना कुछ समय तक तो लड़ी लेकिन उसके बाद वह धराशायी हो गई और मैदान को छोड़कर भाग गई ।
और उधर राजा सुखवीर सिंह के लिए अब सब कुछ आसान हो चुका था । उसकी सेना ने पूरे राज्य पर कब्जा कर लिया और मूर्ख राजा अभी भी महल के अंदर छुपा हुआ था । सुखवीर सिंह की सेना महल के अंदर दाखिल नहीं हो पा रही थी । लेकिन सुखवीर सिंह को यह पता था कि मूर्ख राजा अधिक समय तक महल मे छुपा हुआ नहीं रह सकता है। सुखवीर सिंह की सेना कुछ समय के लिए महल के चारों और अपना ढेरा जमा कर बैठी रही । कुछ समय बाद जब महल का रासन पानी खत्म हो गया तो मूर्ख राजा ने महल से भागने की कोशिश की लेकिन वह पकड़ा गया । और उसके बाद
मूर्ख राजा को सुखवीर सिंह के सामने पेश किया गया । तो सबसे पहले राजा सुखवीर सिंह ने मूर्ख को 100 कोड़े लगाने का आदेश दिया तो वह रोने लगा । उसके बाद उससे राजा सुखवीर ने कहा कि मेरा तुम्हारे राज्य पर आक्रमण करने का कोई भी इरादा नहीं था लेकिन तुमने कर्म ही कुछ इस प्रकार के किये थे कि मुझे तुम्हारे राज्य पर आक्रमण करना ही पड़ा मेरे पास इसके अलावा और कोई चारा भी नहीं था । एक तो तुम्हारे काननू की वजह से आम जनता परेशान थी । और अब भी तुम्हारे यहां का योग्य व्यक्ति को हम राजा बनाएंगे । जोकि हमारे अधीन रहकर काम करेगा । और आज से तुम्हारे पाप कर्मों की सजा मिलना शूरू हो चुका है। तुम इस बात को समझ सकते हैं। और उसके बाद मूर्ख राजा को जेल के अंदर डाल दिया गया । इस तरह से मूर्ख राजा का अंत हुआ । इसलिए दोस्तों यह कहानी आपको यह सीख देती है कि इंसान को कभी भी अपने उपर घमंड नहीं करना चाहिए ।