क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा पक्षी होता है जो हाथी को उठा ले जाता है ? ऐसा कौन सा पक्षी है जो हाथी को लेकर उड़ता है ? तो इसका एक ही जावाब होगा और वो ह चंगुल चिड़िया ।दोस्तों दुनिया के अंदर बहुत कुछ अजीब हो चुका है और बहुत कुछ अजीब हो भी रहा है। क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि कभी इस धरती पर इतनी बड़ी चिड़िया रहती थी ,जो हाथियों को भी उड़ा सकती थी। लेकिन हम मे से बहुत से लोग इस पर यकीन नहीं करेंगे क्योंकि वो एक सीमा के दायरे के अंदर बंधे हुए हैं।
अक्सर प्राचीन कथाओं के अंदर सुनने को मिलता है कि एक ऐसी चिड़िया रहती थी , जो बड़े बड़े जानवरों जैसे हाथी को भी उड़ा सकती थी। भारत के अंदर इस चिड़िया को चंगुल चिड़िया के नाम से जाना जाता था।
इस चिड़िया के बारे मे केवल भारत के अंदर ही नहीं मिलता है । वरन चाइना के अंदर इस चिड़िया को ड्रेगन कहा जाता था और अरबियन नाइटस की कथाओं के अंदर इसको उकात पक्षी के नाम से भी जाना जाता था।ऐसा माना जाता था कि यह बगदाद के अंदर रहती थी ।आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा कुंतलपुर में 1992 के अंदर खुदाई मे यह प्रमाणित किया गया कि यह जगह महाभारत काल की है और यहां पर एक शिव मंदिर भी मिला था जिस पर इस चंगुल चिड़िया का चित्र भी देखने को मिलता है।
इस चित्र को लगभग 16 वी सदी के अंदर बनाया गया था जिसमे कोई चिड़िया 7 हाथियों को पकड़े हुए है।माना जाता है कि चंगुल चिड़िया का स्वरूप आज से 500 साल पहले भारत के अंदर भी प्रचलित था।
पक्षी जो हाथी को अपने पंजे में दबाकर उड़ जाता है aisa kaun sa pakshi hai jo hathi ko lekar ud sakta hai
कौवा के जैसा दिखने वाली यह चंगुल चिड़िया Middle East के अंदर काफी पोपुलर है।और इस तरह के पक्षी का उल्लेख One Thousand and One Nights कहानी के अंदर मिलता है।
इतिहासकार रूडोल्फ विटकोवर के अनुसार भारत के अंदर गरूड पक्षी के बारे मे जानकारी मिलती है। और यह बताया गया है कि वह पक्षी इसी प्रकार का एक विशाल पक्षी था। जिसका उल्लेख महाभारत और रामायण के अंदर किया गया है। शायद इसकी उत्पति वहीं से हुई हो ।
13 वीं शताब्दी में, मार्को पोलो ने इसके बारे मे लिखा था । आपको बतादें कि Marco Polo का जन्म 1271 ई के आस पास हुआ था और इन्होंने यूरोप के अंदर भ्रमण किया और उसके अंदर अजीबोगरीब चीजों का उल्लेख किया था। इस बारे मे इन्होंने अपनी बुक भी लिखी थी।
यह ईगल की तरह सभी दुनिया के लिए था, लेकिन वास्तव में विशाल आकार का; वास्तव में इतना बड़ा है कि इसकी मात्रा बारह पेस लंबे और अनुपात में मोटी थी। और यह इतना मजबूत है कि यह अपने तालों में एक हाथी को पकड़ लेगा और उसे हवा में ऊंचा ले जाएगा और उसे गिरा देगा और उसके बाद इसको मारकर खा जाएगा ।
द अरेबियन नाइट्स में आरसी सिनाबाद की दूसरी यात्रा के दौरान एक उष्णकटिबंधीय द्वीप पर इस पक्षी को देखे जाने के दावा किया गया और उसके बाद चित्रकारो ने इस पक्षी की कल्पना करते हुए चित्र बनाने शूरू कर दिये और स्ट्रैडेनस सीए 1590 या थियोडोर डी ब्राय 1594 में जिन्होंने एक हाथी को आरओसी के ताल में ले जाते हुए दिखाया।
ऑर्निथोलोगिया (1599) में हाथी के साथ इसको दिखाया गया था।
19 वीं शताब्दी के अंदर इस प्रकार की कल्पनाओं की वैज्ञानिक व्याख्या होनी शूरू हुई ।और बताया गया कि यह एक विशाल ईगल पक्षी हो सकता है जो छोटे मेमनों को आसानी से उड़ा ले जा सकता था।न्यूजीलैंड के हास्ट ईगल के साथ भी इस चिड़िया की तुलना की जाती है। और कहा जाता है कि चिड़िया और ईगल एक ही हो सकते हैं।यह ईगल 1.4 मीटर (4 फीट 7 इंच) लंबे समय तक 3 मीटर (9.8 फीट) पंखों के साथ, यह 15 वीं शताब्दी के आसपास विलुप्त हो गया था।
होकियोई एक ऐसा ही पक्षी था जो ज्यादातर केसों के अंदर आकाश मे उड़ता रहता था और केवल शिकार के लिए नीचे आता था। और तब यह मनुष्यों का भी शिकार कर सकता था।इस ईगल को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता था कि यह बहुत ही खतरनाख पक्षी है और किसी हाथी को आसानी से मार सकता था।
80 किलो की उड़ने वाली चिड़िया
दोस्तों इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कभी चंगुल चिड़िया का अस्ति्व रहा होगा । क्योंकि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी चिड़िया के अवशेष खोजे हैं जो धरती पर 28 मिलियन साल पहले रहती थी और इसका वजन 80 किलोग्राम था।
पैलागोरनिस सेंडेर्सी नाम की चिड़िया के पंख 24 फुटे के रहे होंगे । हालांकि इस प्रकार की चिड़िया भी धरती पर कभी रही होगी । वास्तव मे यह काफी अजीब है।
वैज्ञानिक इस चिड़िया की साइज देखकर काफी हैरान रह गए ।वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि यह एक बार आसमान मे उड़ने के बाद काफी संतुलन मे रहता होगा । काफी विशाल पंखों की वजह से यह हरी किसी स्थान पर उतर भी नहीं सकती थी । इसको उतरने के लिए किसी खास प्रकार की समतल जगह की आवश्यकता होती होगी ।
यह चिड़िया इतनी भारी है कि आप इसको अपने हाथों से उठा भी नहीं सकते थे ।वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर प्रोग्रामों की मदद से यह समझने का प्रयास किया कि यह भारी चिड़िया किस प्रकार से उड़ती थी।
पेलागोर्निस सैंडर्सि पेलागोर्निथ की एक प्रजाति है – विशाल समुद्री पक्षी का एक विलुप्त समूह माना जाता है कि पेलिकन और सारस 3 के पूर्वज हैं।रिसर्च कर्ताओं को इस विशाल चिड़िया के पंख मिले और इसकी खोपड़ी भी मिली है।प्रागैतिहासिक फ्लायर के जीवाश्म का 1983 में दक्षिण कैरोलिना में पता लगाया गया था।श्रमिकों ने चार्ल्सटन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक नया टर्मिनल खोदना शुरू किया, चिड़िया के पंखों का आकार इतना बड़ा था कि उनको निकालने के लिए जेसीबी का प्रयोग करना पड़ा था।इसकी काग़ज़-पतली खोखली हड्डियाँ, टेढ़ी-मेढ़ी टाँगें और पंखों की आकृति ने इसे आज उड़ने वाले पक्षियों के समान बना दिया है।
पक्षी 25 से 28 मिलियन साल पहले रहता था, डायनासोर के मरने के बाद, लेकिन क्षेत्र में पहले मनुष्यों के आने से बहुत पहले इस धरती पर निवास करता था।
माना जाता है कि खुले महासागर के उपर यह मिलों तक की उंचाई पर चढ़ने मे सक्षम थी। सैंडरसी ने पहले ज्ञात सबसे बड़े फ्लायर अर्जेणवीस मैग्जीनिंस रिकॉर्ड को तोड़ दिया एक कंडोर जैसा पक्षी जो छह लाख साल पहले एंडीज पहाड़ों और अर्जेंटीना के पम्पास में रहा करता था।
ऐसा कौन सा पक्षी है जो हाथी को उठा ले जाता है ? लेख के अंदर हमने चंगुल चिड़िया के बारे मे जाना ।लेकिन दोस्तों इस चिड़िया का कभी अस्ति्व रहा होगा । जिस प्रकार से 80 किलो वाली चिड़िया भी कभी रही थी।
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This post was last modified on March 17, 2020