अकबर की मौत कैसे हुई और से जुड़ी पूरी स्टोरी के बारे मे हम बात करेंगे ।अकबर की मौत कैसे हुई ? अकबर की मौत का रहस्य क्या था? के बारे मे बताने से पहले हम अकबर के बारे मे कुछ जान लेते हैं। दोस्तों अकबर का पूरा नाम जलाल उद्दीन मुहम्मद अकबर था। जिसका जन्म सन 15 अक्टूबर, 1542 ई के अंदर अमरकोट के अंदर हुआ था।अकबर की माता का नाम ‘हमीदा बानू था और उसके पिता का नाम हूमायूं था।सबसे बड़ी बात तो यह है कि अकबर को माता पिता का प्यार नहीं मिल सका ।शम्सुद्दीन ख़ाँ एवं जीजी अनगा की देख-रेख में कंधार मे ही अकबर का पालन पोषण हुआ था। और अकबर के जन्म के समय हूमायूं की दशा बेहद खराब थी।
अकबर के पिता का शासन काल भी काफी बुरा रहा था। वह तो केवल नो वर्ष की शासन कर पाया था। सन 1539 ई के अंदर हूमायूं को शेरख़ाँ के हाथों गंगा किनारे काफी बड़ी हार को झेलना पड़ा था।अकबर के जन्म के समय हूमायूं अपने खोए हुए राज्य को प्राप्त करने के लिए मारा मारा फिर रहा था। और इसके लिए वह कई जगहों पर सहायता के लिए संपर्क कर चुका था। लेकिन उसे किसी ने भी सहायता नहीं दी।
कंधार की सीमा पर जब हूमायूं पहुंचा तो वहां पर उसका भाई अस्करी राज्य करता था। और वह हूमायूं को पकड़ना चाहता था। इस बात की सूचना जब हूमायूं को मिली तो वह भाग खड़ा हुआ और उस समय अकबर साल भर का था। जिसको वह वहीं पर छोड़कर भाग गया ।
यदि अकबर की शिक्षा की बात करें तो अकबर निरक्षर था। हालांकि उसके पिता ने उसे पढ़ाने के लिए कई मौलवी को न्यूक्त किया था। लेकिन कोई भी मौलवी उसको पढ़ा नहीं सका । क्योंकि अकबर को तो खेलने मे ही फूर्सत नहीं मिलती थी। आइए अब जानते हैं अकबर की मौत कैसे हुई ?
Table of Contents
अकबर की मौत कैसे हुई ?
वैसे अकबर की मौत स्वाभाविक हुई थी। लेकिन उसकी मौत के पीछे और भी कई कारण थे । जिनपर हम बात करेंगे । कुछ हद तक अकबर की मौत का संबंध सलीम से भी रहा था। बीमार होने के बाद सलीम के व्यवहार की वजह से भी अकबर काफी नाराज था । और इस वजह से वह जल्दी ठीक ना होकर जिंदगी के प्रति निराश हो गया था।
अकबर का उत्तराधिकारी
अकबर के उत्तराधिकारी की बात करें तो अकबर का बड़ा बेटा सलीम इसके योग्य था। लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह थी की सलीम शराब और अफीम दोनों का सेवन करता था। और बस वह इस फिराक के अंदर बैठा था कि कब अकबर को ठिकाने लगाया जाए ।
सलीम की अकबर को खत्म करने की कोशिश
दोस्तों इस बात का कोई सबूत नहीं है। लेकिन जानकार बताते हैं कि अकबर को मारने के लिए सलीम ने 1591 में जहर भी दिया था। लेकिन किसी तरीके से अकबर बच गया ।हालांकि इस बात का शक खुद अकबर को था कि सलीम ने ही उसे जहर दिया हो सकता है। क्योंकि वह सता पाने के लिए बहुत ही उतावला था।
सलीम का विद्रोह
1600 ई के अंदर अकबर के ही बेटे सलीम ने विद्रोह कर दिया था। 1602 ई के अंदर सलीम के उकसाने की वजह से बुंदेला राजा वीरसिंहदेव ने अबुल फजल की हत्या करदी । अकबर को इस बात का पता चला तो वह बुरे तरीके से टूट गया । वह सब कुछ जानते हुए भी कुछ नहीं कर सकता था।उस दिन के बाद अकबर की हिम्मत एकदम से ही गिरने लगी थी।
खुसरु को सिंहासन पर बैठाने का विचार
सलीम के विद्रोह के बाद अकबर का मन उससे काफी उठ चुका था। और इसके बाद उसने खुसरू को भी सिंहासन पर बैठाने का विचार किया था। लेकिन बाद मे पता नहीं उसे क्यों टाल दिया गया ।
सिंहासन के लिए प्रतियोगिता
अकबर ने सिंहासन के लिए एक प्रतियोगिता भी रखी थी। जिसके अंदर सलीम की जीत हुई थी। जिसके बाद खुसरो और सलीम के समर्थक आपस मे भिड़ गए । और इस वजह से भी अकबर काफी परेशान हो गया था। अब उसका मनोबल टूट चुका था।
अकबर की बीमारी 1605 और मौत
अकबर के बिमार पड़ने के बाद कई चिकित्सकों ने उनको सही करने का प्रयास किया लेकिन कोई सफलता नहीं मिल सकी । क्योंकि अकबर का अंत समय नजदिग आ चुका था।अकबर के अंत के पांच दिन पहले जेसुइट्स के एक समूह ने दौरा किया था। उस समय अकबर की हालत काफी खराब हो चुकी थी।अकबर को पेचिश नामक रोग था। जिसके चलते उसकी मौत 27 अक्टूबर 1605 के अंदर हो गई थी।
सलीम को उतराधिकारी घोषित करना
जब सलीम अकबर से मिलने के लिए उनके कक्ष मे गया तो अकबर की बोली बंद हो चुकी थी और वह आखिरी सांसे ले रहा था।तब अकबर ने अधिकारियों को शाही पगड़ी सलीम के सर पर रखने का आदेश दिया । और इस तरह से सलीम को अकबर ने उतराधिकारी घोषित कर दिया ।
अकबर को कहाँ दफनाया गया
अकबर की मृत्यु के बाद उसे चुपके से दफनादिया गया । क्योंकि सलीम नहीं चाहता था कि इस काम के अंदर ज्यादा से ज्यादा देर की चाहिए । या फिर कोई दिखावा किया जाए । दुर्ग को तोड़ने के बाद एक मार्ग बनाकर सिकंदरा के मकबरे मे अकबर को दफना दिया गया था।
अकबर की मौत कैसे हुई ?
अकबर की मौत कैसे हूई ? इस पर एक जनक्ष्रूति भी प्रचलित है। इसके अनुसार अकबर अंत मे पागल हो गया था। और वह अपने पास विष कि गोलियां रखता था । जोभी उपद्रवी उमरांव उसके पास आता उसे वह विष की गोली अपने हाथों से देता था। और एक वैसी ही गोली खुद भी खा लेता था।लेकिन एक बार गोली बदल जाने की वजह से विष वाली गोली खुद अकबर ने खाली थी। और इससे उसकी मौत हो गई थी।कुछ इतिहास कारों ने इस बात का उल्लेख भी किया है।
और संभव है अकबर ने ऐसा किया भी होगा । क्योंकि जितना अकबर को दयालू दिखाया जाता है। असल मे वैसा कुछ नहीं है। अकबर कोई महान शासक नहीं था। उसके कत्लेआम के कई किस्से इतिहास मे मिलते हैं।जून 1561- एटा जिले के 8 गांवों के अंदर 2000 से अधिक लोगों को अकबर ने जिंदा जलादिया था। इसी तरीके से अकबरनामा के अंदर लिखा मिलता है कि 3 maarch 1075 को बंगाल विजय के दौरान बहुत से लोगों की हत्या करवादी थी।हेमू के धड़ को तो अकबर ने दिल्ली दरवाजे पर टांग दिया था।
महाम अंगा ने रची अकबर की मौत की साजिश
दोस्तों महाम अंगा अकबर को पालने वाली एक दायी थी। उसका अकबर के जीवन मे काफी अधिक महत्व था। वह उसे सबसे उंच्चा दर्जा देता था। और उसे बहुत मानता भी था। वह खुद राजपूत महिला होने के बाद भी अकबर से काफी स्नेह करती थी।और बहुत बार जब अकबर बीमार हो जाता या शासन संभालने के निए अनुपस्थित होता तो अंगा के हाथ मे ही सारी पॉवर आ जाती थी। जिसको वह बखूबी ही संभालती थी।
लेकिन अंगा के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य हैं। जिनके बारे मे कोई भी सही सही नहीं जानता है। और वो सब उसकी मौत के बाद दफन हो चुके हैं।लेकिन यह समझ मे नहीं आया की अंगा ने अकबर को मारने की कोशिश क्योंकि ? जहां तक हम अनुमान लगा सकते हैं कि अंगा राजपाट को हथियाने की फिराक मे थी । तभी उसने अकबर पर हमले करवाए थे ।
एक बार जब अकबर हजरत निजामुद्दीन की दरगाह के अंदर जा रहा था तो किसी ने अकबर पर तीर चला दिया जो उसके कंधे पर जाकर लगा । अकबर को तुरन्त राजमहल के अंदर लाया गया और उसका उपचार किया । और उधर सैनिक उस आदमी को पकड़ लाये जिसने अकबर पर हमला किया था।उसके बाद उससे पूछा गया तो उसने खुद को मिर्ज़ा शरीफुद्दीन का आदमी बताया । मिर्ज़ा शरीफुद्दीन अकबर का एक सेवक था। हालांकि पूरी बात जाने बिना ही अकबर ने उसको मौत की सजा देदी थी।
अकबर की गम्भीर हालत के चलते शासन एक बार फिर अंगा के हाथो मे आ गया और अंगा ने अपने पॉवर का इस्तेमाल करते हुए सबसे पहले मंत्री बैरम खान को निकाल दिया और उसे मरवा भी दिया था।कुछ इतिहास कार यह मानते हैं कि अंगा ने ही अकबर पर हमले करवाए थे । उसने कई बार अकबर को मारने की साजिश रची थी लेकिन वह अपने काम के अंदर कभी सफल नहीं हो पाई थी। और इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यह है कि अंगा की मौत के बाद ही अकबर पर होने वाले हमले का रूक जाना ।
अंगा को पॉवर का इतना नशा हो चुका था कि वह बहुत बार अकबर के कार्य के अंदर हस्तक्षेप कर देती थी। लेकिन अंगा के पतन की शूरूआत तब हुई जब उसका बेटा अधाम खान मालवा अभियान पर गया ।
वहां पर उसने लूट के खजाने को चुरा लिया और अतगा खान को मार दिया ।वह इतने पर ही नहीं रूका वरन उसके बाद उसने अकबर को मारने की साजिश रची लेकिन वह इसमे कामयाब नहीं हुआ । उससे पहले ही अकबर ने उसको पकड़ लिया ।और सीढ़ियों से गिराकर उसने अंगा के बेटे को मार दिया । उसके बाद अंगा के मन मे अकबर के प्रति नफरत की भावना भर गई ।
अंगा ने उसके बाद भी अकबर को मारने के प्रयास किये । लेकिन वह उसमे से किसी भी प्रयास के अंदर सफल नहीं हो सकी । और अंतत: उसकी मौत हो गयी ।
अकबर का बेटा सलीम सदा अकबर के विरोध मे रहता था
इतिहास के अंदर इस बात का उल्लेख मिलता है , कि अकबर का बेटा सलीम हमेशा ही अकबर के विरोध के अंदर रहता था । और वह अपने पिता के खिलाफ रोजाना नए नए षडयंत्र करता रहता था ।सलीम की कई सारी गलतियों को अकबर ने माफ किया था । मगर बाद मे सलीम की गलतियों की वजह से अकबर ने शाहज़ादा ख़ुसरो को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने का प्लान बना लिया था।सलीम को अकबर बहुत अधिक पसंद करता था । और इसकी वजह से अकबर ने बाद मे अपने बड़े बेटे को राज्य देने से मना कर दिया । उधर सलीम ने भी अपने भाई खुसरों को मारने का प्रयास किया था ।सलीम ने राजा बनने के लिए अकबर के खिलाफ ही लड़ाई छेड़ दी थी। और बाद मे अकबर को पेचिश हो गया । और राज्य की टेंशन के चलते अकबर अपना इलाज नहीं करवा पाए । इसकी वजह से उनकी मौत हो गई।
हम समझते हैं कि आप जान चुके होंगे कि अकबर की मौत कैसे हुई थी।