अर्थव्यवस्था के प्रकार arthvyavastha kitne prakar ki hai , अर्थव्यवस्था शब्द का नाम तो हमने सुना ही होगा । और कई बार किताबों के अंदर पढ़ा भी होगा । अर्थव्यवस्था का मतलब होता है ।धन की व्यवस्था के बारे मे , अर्थ की व्यवस्था के बारे मे ।अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान होता है , जिसके अंदर हम धन की व्यवस्था और धन से जुड़ी दूसरी चीजों के बारे मे पढ़ते हैं।
जब हम अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हैं, तब हम उस प्रणाली के बारे मे बात कर रहे होते हैं जो किसी क्षेत्र या देश के भीतर वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण और खपत को आदि को नियंत्रित करने का काम करती है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि यह एक संगठित संरचना है जो इस बात से संबंधित है कि लोगों की जरूरतों और चाहतों को पूरा करने के लिए भूमि, श्रम और पूंजी आदि संसाधनों का प्रयोग किस तरह से किया जा सकता है ।
अर्थव्यवस्था को दो मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत के अंदर बांटा जा सकता है जैसे कि बाजार अर्थव्यवस्था और कमांड अर्थव्यवस्था। एक बाजार अर्थव्यवस्था खरीदारों और विक्रेताओं के बीच मुक्त बातचीत के माध्यम से संचालित होती है जहां कीमतें आपूर्ति और मांग से निर्धारित होती हैं। दूसरी ओर, एक कमांड इकोनॉमी को एक केंद्रीय प्राधिकरण नियंत्रित करने का काम करता है ,जो तय करता है कि किस सामान का उत्पादन किस तरह से करना चाहिए , फिर किस कीमत पर उन्हें बेचा जाना चाहिए, और उन्हें कौन प्राप्त करेगा।
अर्थशास्त्र का अध्ययन इसलिए किया जाता है ,कि कैसे एक सिस्टम काम करता है। इसमें मुद्रास्फीति दरों, ब्याज दरों, रोजगार दरों जैसे विभिन्न कारकों का विश्लेषण करना जैसी चीजें होती हैं। आप इस बात को समझ सकते हैं।
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पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalist Economy) arthvyavastha kitne prakar ki hai
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था एक ऐसी आर्थिक प्रणाली के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला वर्ड , जो लाभ और व्यावसायिक उद्यमों के निजी स्वामित्व से संचालित होता है। एक पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में कई सारी चीजें हो सकती हैं जैसे कि आपूर्ति और मांग की बाजार शक्तियां कीमतों और संसाधनों के आवंटन को निर्धारित करने का काम करती हैं । व्यवसायों का प्राथमिक लक्ष्य अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । जो बदले में नवाचार, प्रतिस्पर्धा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं की एक विशेषता मुक्त बाजारों की उपस्थिति होती है। इसके अंदर खरीददार और विक्रेता आपस मे साठ गांठ करते हैं और उसके बाद चीजों को अच्छी तरह से खरीद लेते हैं। मूल्य प्रणाली के अंदर होता यह है कि , जब मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है तो कीमतों में वृद्धि होती है। पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं मे व्यवसायों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है , क्योंकि वे कम कीमतों या बेहतर उत्पादों के माध्यम से ग्राहकों को आकर्षित करना चाहते हैं।
इसके कई फायदों के बावजूद, आलोचकों का तर्क है कि पूंजीवाद में आय असमानता और श्रमिकों के शोषण जैसी समस्याएं अक्सर देखने को मिलती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के बारे मे यदि हम भारत की बात करें तो आपको बतादें कि भारत भी एक प्रकार से पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वाला देश है। यदि आप यहां पर बाजार की स्थिति देखेंगे तो आपको पता चलेगा । कि यहां पर एक ही सामान को बेचने वाली कई सारी कंपनियां होती हैं। और हर कंपनी कस्टमर को लुभाने का प्रयास करती हैं। और काफी अधिक प्रतिस्पर्धा इसके अंदर देखने को मिलती है।
वैसे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के अंदर बाजार पर किसी का भी नियंत्रण नहीं होता है। जैसा कि आप भारत के अंदर देख सकते हैं । यदि किसी उत्पाद की मांग घट जाती है , तो उसके बाद उसकी कीमत अपने आप ही गिरने लग जाती है। और यदि किसी उत्पाद की मांग बढ़ने लग जाती है , तो उसके बाद उसकी कीमत अपने आप ही बढ़ने लगती है।
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था वाले देशों के नाम लिस्ट के बारे मे हम बात करें , तो यहां पर हम आपको कुछ देश बता रहे हैं , जिनकी अर्थ व्यवस्था पूंजीवादी हो सकती है , तो आइए जानते हैं। इसके बारे मे ।
संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America)
चीन (China)
जापान (Japan)
जर्मनी (Germany)
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom)
- फ्रांस (France)
- इटली (Italy)
- कनाडा (Canada)
- अस्ट्रेलिया (Australia)
- भारत (India)
- ब्राज़ील (Brazil)
- रूस (Russia)
- दक्षिण कोरिया (South Korea)
- मेक्सिको (Mexico)
- इंडोनेशिया (Indonesia)
- स्पेन (Spain)
- नीदरलैंड्स (Netherlands)
- स्विट्जरलैंड (Switzerland)
- साउथ अफ्रीका (South Africa)
- सौदी अरब (Saudi Arabia)
समाजवादी अर्थव्यवस्था (Socialist Economy) arthvyavastha kitne prakar ki hoti hai
वैसे समाजवादी अर्थव्यवस्था के बारे मे आप ठीक तरह से जानते नहीं होंगे। क्योंकि भारत जैसे कई देशों के अंदर समाजवादी अर्थ व्यवस्था नहीं है।
एक समाजवादी अर्थव्यवस्था एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है जहां उत्पादन, वितरण और विनिमय जैसी चीजों पर सरकार का ही नियंत्रण होता है । इस प्रकार की अर्थव्यवस्था का उद्देश्य निजी लाभ की बजाया नीजी कल्याण के लिए काफी अधिक उपयोग किया जाता है। एक समाजवादी अर्थव्यवस्था में संसाधनों का आवंटन बाजार की ताकतों के बजाय एक सामूहिक निर्णय लेने के लिए किया जाता है।
समाजवादी अर्थव्यवस्था का एक मुख्य लाभ यह है कि यह आय वितरण में इसकी वजह से असमानता नहीं आती है । राज्य प्रगतिशील कराधान और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से धन को अमीरों से गरीबों में पुनर्वितरित करने के उपाय कर सकता है। और इस व्यवस्था के अंदर गरीबी को कम करने के लिए काफी बेहतरीन प्रयास किये जाते हैं । इसके अतिरिक्त, एक समाजवादी अर्थव्यवस्था में, सभी नागरिकों को मुफ्त या न्यूनतम लागत पर स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास जैसी जरूरतें प्रदान करने का काम किया जाता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
हालांकि समाजवादी अर्थव्यवस्था की कुछ कमियां भी होती हैं। कुछ आलोचकों का तर्क है कि एक समाजवादी अर्थव्यवस्था नवाचार और उद्यमशीलता को रोकती है क्योंकि व्यक्तियों को नवाचार करने के लिए बहुत कम प्रोत्साहन मिलता है । क्योंकि यहां पर सब कुछ सरकार के नियंत्रण मे होने की वजह से कोई भी इंसान नया आविष्कार करने के इच्छुक नहीं होता है।
यदि हम समाजवादी अर्थव्यवस्था को कुछ शब्दों के अंदर समझने का प्रयास करें । तो इसका मतलब होता है , समाज को महत्व देना । मतलब यहां पर समाज के फायदे को काफी अधिक महत्व दिया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
- चीन (People’s Republic of China)
- क्यूबा (Cuba)
- नॉर्थ कोरिया (Democratic People’s Republic of Korea)
- वियतनाम (Socialist Republic of Vietnam)
- लाओस (Lao People’s Democratic Republic)
- वेनेजुएला (Bolivarian Republic of Venezuela)
- नेपाल (Federal Democratic Republic of Nepal)
- बोलीविया (Plurinational State of Bolivia)
- उर्ग्वे (Oriental Republic of Uruguay)
- निकारागुआ (Republic of Nicaragua)
मिश्रित अर्थव्यवस्था (Mixed Economy)
मिश्रित अर्थव्यवस्था जैसा कि आपको नाम से ही स्पष्ट हो जाता है। इसके अंदर कुछ चीजें बाजार के नियंत्रण मे होती हैं , तो कुछ चीजें सरकार के नियंत्रण मे होती हैं। और सरकार और बाजार मिलकर देश के लिए काम करते हैं। मिश्रित अर्थव्यवस्था के अंदर आप भारत का उदाहरण ले सकते हैं। यहां पर आपको कुछ चीजें सरकार के द्धारा नियंत्रित मिलेगी । जैसे कि यदि किन्ही चीजों की कीमत बढ़ जाती है , तो सरकार उस कीमत को कम करने का प्रयास करती हैं।
मिश्रित अर्थव्यवस्था का प्रयोग अक्सर विकासशील देशों के लिए किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए
बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)
बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy)की जब हम बात करते हैं , तो हम ऐसी अर्थव्यवस्था की बात कर रहे होते हैं , जिसके अंदर ना तो बाहर सामान भेजा जाता है और ना ही बाहर से सामान को आयात किया जाता है। मतलब ऐसी अर्थव्यवस्था जिसके अंदर ही सब कुछ हो जाता है। उसको बाहर से कुछ भी मंगवाने की जरूरत नहीं है। तो ऐसी अर्थव्यवस्था को बंद अर्थव्यवस्था के नाम से जाना जाता है। वैसे आपको बतादें कि रियल मे इस तरह की अर्थव्यवस्था का होना संभव नहीं है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
लेकिन उसके बाद भी दुनिया के अंदर कुछ इस तरह के देश हैं , जोकि बंद अर्थव्यवस्था के जैसा व्यवहार करते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
- उत्तर कोरिया (Democratic People’s Republic of Korea)
- क्यूबा (Cuba)
- वेनेजुएला (Bolivarian Republic of Venezuela)
- लाओस (Lao People’s Democratic Republic)
- इरान (Islamic Republic of Iran)
- अल्जीरिया (People’s Democratic Republic of Algeria)
- एरिट्रिया (State of Eritrea)
- सीरिया (Syrian Arab Republic)
- लीबिया (State of Libya)
- सउदी अरब (Kingdom of Saudi Arabia)
बन्द अर्थव्यवस्था (Closed Economy) वैसे देखा जाए तो उतनी अच्छी चीज नहीं है। लेकिन आमतौर पर अमेरिका अपने फायदे के लिए किसी देश पर प्रतिबंध लगाता है। और उसके बाद दूसरे लोगों का जीना हराम कर देता है। तो फिर बंद उनको बनना पड़ता है।
खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy)
खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy) जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है। यह एक ऐसी अर्थव्यवस्था है , जिसके अंदर काफी अधिक खुलापन होता है। आसानी से चीजों का आयात निर्यात हो जाता है। और एक देस से दूसरे देस मे सामान आता है और जाता है। इस तरह से उपभोगता के पास भी कई तरह की चीजों को खरीदने के विकल्प होते है। उनको फोर्स नहीं होना पड़ता है। और कोई भी कंपनी मनमानी नहीं कर सकती है। कि उसे ही सामान को लेना पड़ेगा । तो यह सब खुली अर्थ व्यवस्थाओं के अंदर होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा ।
खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy) के वैसे तो अनेक फायदे भी होते हैं। जैसे कि कई सारी कंपनी होती हैं। और उनके बीच प्रतिस्पर्धा होने की वजह से सामान काफी सस्ता मिलता है। मार्केट पर किसी एक कंपनी का कब्जा नहीं होता है। और आपको पता ही है कि कब्जा सदैव हानिकारक होता है। आप गूगल को ही देख सकते हैं। भारत के 90 फीसदी मार्केट पर कब्जा होने की वजह से मोनोपोली यह करता है। और क्रियटर के लिए गूगल काफी अधिक नुकसानदायी साबित हो रहा है।
खुली अर्थव्यवस्था के अंदर फायदा यह होता है कि कब्जा करने जैसी समस्याएं नहीं होती हैं। आप इस बात को समझ सकते हैं। तो फिर सब कुछ अच्छा ही होता है।
कनाडा (Canada)
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom)
जर्मनी (Germany)
फ्रांस (France)
आस्ट्रेलिया (Australia)
न्यूजीलैंड (New Zealand)
जापान (Japan)
दक्षिण कोरिया (South Korea)
भारत (India)
चीन (China)
ब्राजील (Brazil)
मेक्सिको (Mexico)
आर्जेंटीना (Argentina)
रूस (Russia)
नीदरलैंड्स (Netherlands)
स्वीडन (Sweden)
नॉर्वे (Norway)
डेनमार्क (Denmark)
फिनलैंड (Finland)
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र (Sectors of Economy)
दोस्तों आपको बतादें कि अर्थव्यवस्था को अलग अलग सेक्टर के अंदर बांटा गया है। इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए । तो हम आपको यहां पर अलग अलग सेक्टर के बारे मे बता रहे हैं तो आइए जानते है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र (Sectors of Economy) के बारे मे विस्तार से
प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)
प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector) के अंदर ऐसे उत्पादन को शामिल किया जाता है ,जोकि कच्चे माल के अंदर आते हैं। जैसे कि आप मछली पाल रहे हैं। या फिर आप खेती कर रहे हैं।यह सब चीजें को प्राथमिक क्षेत्र के अंदर माना जाता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector)
द्वितीयक क्षेत्र के अंदर ऐसा कार्य होता है। कि इसके अंदर कच्चे माल का प्रयोग किया जाता है। और उस कच्चे माल की मदद से दूसरे माल का उत्पादन किया जाता है। इसके अंदर कई सारी चीजें आती हैं। जैसे कि आप बिजली का उत्पादन कर रहे हैं। आप उन से कपड़ा बना रहे हैं। बिजली के तार बनाना । और गेहूं से ब्रेड को बनाना । यह सब कच्चे माल की मदद से ही उत्पादित किये जाते हैं। आप इस बात को समझ सकते हैं।
तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Section)
तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Section)के अंदर वस्तुओं को शामिल नहीं किया जाता है। वरन इसके अंदर बंद कमरें की चीजों को शामिल किया जाता है। इसके अंदर कई सारी चीजें आ सकती हैं। संचार क्षेत्र, परिवहन, बीमा, बैंकिंग, शिक्षा
इस तरह से इस लेख के अंदर हमने जाना कि अर्थव्यवस्था कितने प्रकार की होती है। और यह किस तरह से काम करती हैं। उम्मीद करते हैं , कि आपको हमारा प्रयास पसंद आएगा । यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमें बता सकते हैं।
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