asti shabd roop अस्थि शब्द रूप अस्थि शब्द इकारान्त नपुंसकलिंङ्ग् संज्ञा शब्द है। इसके शब्द रूप के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं। और उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह प्रयास पसंद आएगा ।और यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमें बता सकते है। हम आपके सवाल का उत्तर देने की कोशिश करेंगे ।
asti shabd roop अस्थि शब्द रूप
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | अस्थि | अस्थिणी | अस्थीणि |
द्वितीया | अस्थि | अस्थिणी | अस्थीणि |
तृतीया | अस्थिणा | अस्थिभ्याम् | अस्थिभिः |
चतुर्थी | अस्थिणे | अस्थिभ्याम् | अस्थिभ्यः |
पंचमी | अस्थिणः | अस्थिभ्याम् | अस्थिभ्यः |
षष्ठी | अस्थिणः | अस्थिणोः | अस्थीणाम् |
सप्तमी | अस्थिणि | अस्थिणोः | अस्थिषु |
सम्बोधन | हे अस्थिे ! | हे अस्थिणी ! | हे अस्थीणि |
पुराने जमाने की बात है । एक राज्य के अंदर सहदेव नामक राजा राज्य करता था । वह एक तरह से काफी अच्छा राजा था ।और उसके राज्य के अंदर प्रजा काफी अधिक खुशी से रहती थी। और देश के लोग ही नहीं दुश्मन भी उसको काफी अधिक पसंद किया करते थे ।वह राजा काफी अधिक बूढ़ा हो चला था तो उसने सोचा कि क्योंकि अब वह अपने राज्यों के भार को नहीं संभाल सकता है तो अपने बेटों को सौंप दिया जाए और खुद वन के अंदर जाकर तपस्या की जाए । अब तो उसकी जिदंगी के कुछ ही दिन बचे तो भगवान के नाम लेते हुए यदि गुजारे जाएं तो अच्छी गति हो सकती है। उसके बाद उसने अपने तीन बेटों को बुलाया जिनका नाम कवि भाव रवि था ।
वैसे तो उसके तीनों ही बेटे काफी अधिक बुद्धिमान थे लेकिन वह उनकी परीक्षा लेना चाहता था । तो उसने अपने बेटों कहा कि जो मुझे महिने का 2000 हजार रूपये कमाकर लाकर देगा उसी को यह राज्य मिलेगा । बस क्या था । तीनों बेटों के अंदर होड़ लग गई। अब राजा तो हर कोई बनना चाहता था । सबसे पहले बड़ा बेटा कवि था । उसने दिमाग लगाया और उसके बाद वह अपने एक जानकार के पास गया और फिर वहां से दो हजार रूपये मांगे और अपने पिता के पास गया । और उनको देते हुए कहा कि बाकि दो अभी तक पैसा कमा कर लेकर नहीं आए हैं। लेकिन मैं ले आया सहदेव ने उनके पैसों को लिया और पूछा क्या सच मैं तुम पैसा कमाकर लाये हो ?
उसने झूठ बोल दिया और उसके बाद सहदेव ने कुछ नहीं कहा और कवि काफी खुश हो रहा था कि वह पिता की परीक्षा के अंदर खरा उतर चुका है। उसे यकीन नहीं था कि वह फैल हो जाएगा । इसी तरह से कुछ दिन बीत गए । उधर भाव ने किसी से पैसे नहीं मांगे वह अपनी पहचान को छुपा कर रहा था । और काफी दिनों काम करने के बाद उसने दो हजार रूपये मिल गए । और उन रूपयों को लेकर वह अपने राज्य के अंदर जा रहा था तो उसके आस पास बहुत सारे अपंग लोग आ गए और पैसे मांगने लगे । लेकिन उसने पैसा नहीं दिया वरन उनको दुत्कार कर भगा दिया । और उसके बाद अपने पिता सहदेव को पैसा लेजाकर दिया ।
और कहा कि यह उसकी मेहनत की कमाई है। इसलिए उसे ही राजा बनाया जाना चाहिए । इसी तरह से कुछ दिन बीत गए और अब बारी थी रवि की रवि भी काफी दिनों से मेहनत कर रहा था और अब पिता का दिया समय भी पुरा होने वाला था तो किसी तरह से अपने पास 2000 रूपये जमा किये और जाने लगा । रस्तें के अंदर वही अपंग लोगों की टोली मिल गई। वह रवि से पैसा मांगने लगी । उसके बाद क्या था । रवि से उन लोगों का दर्द देखा नहीं गया तो उसने उन लोगों को पैसा देदिया और बिना पैसे के ही अपने पिता के पास गया और बोला पिताजी मैं आपकी शर्त को पूरी नहीं कर पाया । लेकिन पिता हंस रहे थे ।
और उसके बाद पिता ने तीनों भाइयों को बुलाया और कहा कवि तुमने इस परीक्षा को पास नहीं किया है। तुमने एक पैसा कमाया ही नहीं मेरे कहने पर तुम एक जानकार के पास गए थे और उसकी मदद से पैसा लाकर तुमने मुझे देदिया । इस तरह का इंसान को मैं राजा नहीं बना सकता हूं जोकि झूठ बोलता है। तुम परीक्षा के अंदर फैल हो गए हो ।उसके बाद भाव को कहा भाव तुमने मेहनत से पैसा कमाया तो इसकी मैं प्रसन्सा करता हूं । लेकिन तुमने सिर्फ अपने ही फायदे के लिए काम किया इसलिए तुम राजा बनने के योग्य नहीं हो । उसके बाद सहदेव ने रवि से कहा तुमने पैसा तो अपनी मेहनत से कमाया था लेकिन मेरे ही भेजे भिखारियों पर दया करके उनको पैसा देदिया । और तुमने यह एक बार भी नहीं सोचा कि यदि यह पैसा अपने पिता को नहीं दूंगा तो मुझे राजा नहीं बनाया जाएगा । मतलब यही है कि तुम्हारे लिये राजा बनना जरूरी नहीं है। इससे अधिक सेवा जरूरी है इसलिए तुम ही राजा बनने के योग्य हो । इसलिए आज से राजा तुमको बनाया जाता है।
और उसके बाद सहदेव ने अपने बेटे रवि को राजा बना दिया । दोस्तों यह कहानी आपको बहुत ही बड़ी शिक्षा देती है। यह कहती है कि आप आज के लुटैरे नेता मत बनों आपका मकसद जनता की सेवा करना है। यदि आप जनता की सेवा कर सकते हैं। तो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
लेकिन आजकल यह सिस्टम कहीं पर भी देखने को नहीं मिलता है। आजकल नेता गण जनता की सेवा नहीं करते हैं। उनका काम होता है किसी भी तरह से अधिक से अधिक पैसा को लूटने के लिए घौटाले करना ।
और जब वे अधिक से अधिक पैसा लुटने के लिए घौटाले करते हैं तो उसके बाद अपने घर पर बहुत सारे पैसा को छुपा लेते हैं। आजतक इस देश के अंदर कितने सारे घोटाले हुए हैं। उसके बारे मे आपको पता ही नहीं है। बहुत सारे घोटाले तो इस प्रकार के हैं जोकि सामने भी नहीं आ पाए थे । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए।
और बहुत सारे घोटालों के अंदर आमतौर पर अपराधी तो पकडे जाते हैं लेकिन उनके पास पहले से ही अधिक पैसा होता है तो वे अपने पैसों के दम पर आसानी से बच जाते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं। यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इस तरह से दोस्तों एक अच्छा इंसान का राजा बनना काफी कठिन होता है। और भारत जैसे लोकतंत्र के अंदर तो यह संभव हो ही नहीं सकता है। कारण यह है कि लोकतंत्र के अंदर सरकारें बदलती रहती हैं तो सारी सरकारें अपने घर को भरने मे लगी रहती है।।
- सीता शब्द के रूप sita shabd roop
- swami shabd roop स्वामी के शब्द रूप
- vidvas shabd roop in sanskrit विद्वस् शब्द के रूप के बारे मे
- likh ke shabd roop लिख् शब्द रूप के बारे मे
- rishi shabd roop ऋषि के शब्द रूप
This post was last modified on October 27, 2023