atman shabd roop आत्मन् के शब्द रूप ,आत्मन् शब्द के रूप के बारे मे बात करें तो नीचे आत्मन् के शब्द रूप के बारे मे दिया गया है। और एक टेबल दी गई है जिसको आप देख सकते हैं। और उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आएगा । यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट करके बताएं ।
atman shabd roop आत्मन् के शब्द रूप
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | आत्मा | आत्मनौ | आत्मानः |
द्वितीया | आत्मान् | आत्मनौ | आत्मनः |
तृतीया | आत्मना | आत्मभ्याम् | आत्मभिः |
चतुर्थी | आत्मने | आत्मभ्याम् | आत्मभ्यः |
पंचमी | आत्मनः | आत्मभ्याम् | आत्मभ्यः |
षष्ठी | आत्मनः | आत्मनोः | आत्मनाम् |
सप्तमी | आत्मनि | आत्मनोः | आत्मसु |
सम्बोधन | हे आत्मन् | हे आत्मनौ | हे आत्मानः |
आत्मा एक रहस्यमय और शक्तिशाली शक्ति है जो प्रत्येक मनुष्य के भीतर निवास करती है। अपनी रहस्यमय प्रकृति के बावजूद, आत्मा को मानवीय प्रेरणा, भावना और विवेक का स्रोत समझा जाता है। आत्मा शारीरिक कार्यों और संवेदनाओं को नियंत्रित करने में भी भूमिका निभाती है।
दोस्तों जब हम आत्मा की बात करते हैं तो आपको बतादें कि आत्मा एक प्रकार की उर्जा होती है। और हम सभी जीव जंतु इसी आत्मा से ही संचालित होते हैं। यदि शरीर के अंदर आत्मा नहीं होती है तो उसके बाद आपको समझ जाना चाहिए कि शरीर के अंदर कुछ नहीं बचा है। यदि शरीर से आत्मा को हटा दिया जाए तो शरीर एक प्रकार की मिट्टी ही रह जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इंसान जब मर जाता है तो यह आत्मा ही है जोकि उसके शरीर से निकल जाती है। यदि शरीर जब योग्य नहीं होता है आत्मा को थामे रखने के लिए तो उसके बाद आत्मा शरीर से निकल जाती है। और हम कहते हैं कि वह इंसान मर गया है।
लेकिन आपको बतादें कि हकीकत के अंदर कोई भी इंसान मरता नहीं है। आप इस बात को समझ सकते हैं। क्योंकि हमारी पहचान शरीर से होती है वह शरीर मर जाने की वजह से उसकी पहचान मर जाती है लेकिन हम शरीर नहीं हैं। शरीर के मर जाने के बाद भी हम रहते हैं। लेकिन असल मे हम लोग शरीर का होना ही अपना होना समझते हैं।
यह एक प्रकार का बहुत ही बड़ा झूठ है जोकि फैलाया गया है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । हम असल मे शरीर को अपने होने का एहसास मानते हैं। लेकिन जब हम मर जाते हैं तो उसके बाद हमें यह पता चल जाता है कि हम शरीर नहीं हैं। हम शरीर से पूरी तरह से अलग हैं। लेकिन मरने के बाद कोई भी हमें देख नहीं सकता है। और शरीर को तो जला दिया जाता है तो ऐसी स्थिति के अंदर जो इंसान मर जाता है वह उसके बाद फिर कभी भी नजर नहीं आता है आप इस बात को समझ सकते हैं। और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।
असल मे शरीर के बहुत सारे काम होते हैं। आत्मा कोई भी कर्म नहीं करती है। आत्मा तो माध्यम होती है। वह खुद कुछ नहीं करती है। लेकिन जब शरीर कर्म करता है तो उसके बाद हमें यह लगता है कि हम कर रहे हैं। बस जो मन के अंदर कर्ता का भाव होता है वही हमें सबसे अधिक परेशान करता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
और कर्म बंधन की वजह से आत्मा बार बार जन्म लेती है और उसके बाद मर जाती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । वह अपनी वासनाओं की वजह से ऐसा करती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यहां पर जन्म लेने के हम जो उदेश्य होते हैं वह तो भूल जाते हैं और फालतू काम को करने लग जाते हैं जिसका कोई भी फायदा नहीं होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। पैसा कमाने के लिए किसी को मारना चोरी करना और सारे गलत काम फालतू के होते हैं। आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि आपने बेवजह किसी की हत्या की है तो आप अदालत से भले ही बच जाएंगे ।
लेकिन जब प्रकृति आपको दंड दैगी तब आप नहीं बच पाएंगे । कर्म का रहस्य आप अभी भी नहीं समझ पाए हैं। जो कर्म के रहस्य को समझ जाता है वह कभी भी कोई बुरा कर्म नहीं करता है आप इस बात को समझ सकते हैं।
क्योंकि आप वहां पर कोई भी महंगा वकील नहीं कर सकता है जोकि आपको कोर्ट मे मदद करेगा । आप यह बात अच्छी तरह से समझलें । और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।
और जिन परिवार वालों के लिए आप धन एकत्रित कर रहे हैं जब आपको अपने कर्मों का भुगतान करने की बारी आएगी । तब कोई भी आपके निकट नहीं आएगा। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लें और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
इसलिए यदि आप बुरे कर्म कर रहे हैं तो आपको आज से ही बुरे कर्म करना बंद कर देना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।यदि आप बंद नहीं करते हैं तो फिर आप और अधिक नीचे गिरते चले जाएंगे । मतलब यही है कि आपका नीच योनियों के अंदर जन्म होगा ।
अब आपको यह भी बतादें कि नीच योनियां क्या होती हैं ? तो नीच योनियों का मतलब होता है दुर्गति । वैसे आत्मा की दो गति होती हैं। एक नीचे की ओर और दूसरी होती है उपर की ओर राक्षस वेताल और प्रेत नीचे की गति के अंदर आते हैं और देवता आदि उपर की गति के अंदर आते हैं।
इस तरह से आप समझ सकते हैं कि आत्मा होती है और आप भले ही इस सत्य को ना माने लेकिन आपके मानने से या फिर ना मानने से कुछ नहीं होता है। जो सत्य है वह एक ना एक दिन आपके सामने आकर ही रहेगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।
आज नहीं तो कल आपको इस सत्य का सामना करना ही होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा ।
इसलिए दोस्तों यदि आप खुद को अधिक तकलीफ नहीं देना