दुनिया के अंदर बहुत से अजीबो गरीब रोग हैं। जिनके बारे मे हमे पता नहीं है। एक ऐसा ही रोग है ऑटोफैगिया। हांलाकि यह एक मानसिक रोग भी है। और इस रोग को इम्पलस विकार से जोड़कर भी देखा जाता है। जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसका व्यवहार विचित्र प्रकार का हो जाता है। और उसे अपना मांस खाना पसंद आने लग जाता है। हालांकि इस रोग के केस बहुत कम देखने को मिलते हैं।
इस विकार से प्रभावित अधिकांश व्यक्ति अक्सर कार्य करने से पहले तनाव या उत्तेजना की भावना महसूस करेंगे, और फिर कार्य करने के समय आनंद, तृप्ति या राहत का अनुभव करेंगे। एक बार यह कार्य पूरा हो गया है, व्यक्ति को अफसोस, आत्म-निंदा या दोषी नहीं लग सकता है।
Autophagia का रोगी खुद को दर्द देने को मजबूर होता है।
इसलिए वह अपना मांस भी जबा लेता है। वैज्ञानिक प्रयोगों के अनुसार चूहों के रीढ़ की हड़डी के अंदर चोट लगने के बाद उनमे इस प्रकार का व्यवहार उत्पन्न हो गया था । वे धीरे धीरे अपने पैरों को चबाने लगे थे । कुछ केसों मे तो वे अपने पूरे पैर को ही चबा गए ।
वैज्ञानिकों ने चूहों के इस प्रकार के व्यवहार को दूर करने के लिए उसके अंगों पर कड़वे मिस्रण का छिड़काव कर दिया गया । क्योंकि चूहे कड़वी चीजों को खाना कम पसंद करते हैं।इस रोग से प्रभावित रोगी प्रारम्भिक दसाओं के अंदर नाखून खाना हाथों की उंगलियों को चबाना आदि आदते होती हैं। जोकि बाद मे autophagia के रूप मे पैदा हो सकती हैं।
इस प्रक्रिया को Self-cannibalism भी कहा जाता है जोकि cannibalism से अलग है। क्योंकि cannibalism के अंदर इंसान दूसरे इंसान का मांस खाता है। किंतु इसमे वह खुद ही खुद का मांस खाता है।
ऑटोफैगिया के कारण
इस रोग के पैदा होने के पीछे कोई एक कारण मौजूद नहीं है। वरन इसके पीछे कई सारे कारण मौजूद हैं। कुपोषण, मनोवैज्ञानिक संकट, और मस्तिष्क के किसी भी हिस्से से प्राप्त असामान्य संकेत। आदि इस रोग को पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। लेकिन इस रोग के बारे मे अभी भी विस्तार से जानकारी उपलब्ध नहीं है
यदि आप स्वास्थ्य विशेषज्ञ से इस रोग के बारे मे बात करेंगे तो वे इसे एक रोग नहीं मानते हैं। वरन वे इसे एक गलत आदत के रूप मे देखते हैं। वही मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक रोग है। नाखून चबाना आदि क्रियाएं तो आम इंसान कभी ना कभी करता ही है। लेकिन कुछ मनौवेज्ञानिकों का कहना है कि कुछ लोग नाखून चबाते चबाते खुद का मांस भी खाने लग जाते हैं।
दुनिया के अंदर 10 मे से 7 व्यक्तियों को नाखून और अपनी उंगलियों को काटने की आदत होती है। यदि उनको इस आदत के बारे मे टोका जाए तो वे शर्मिनदा भी होते हैं। लेकिन अपनी आदत के आगे मजबुर होते हैं। वैसे देखा जाए तो इस तरह की आदते बाद मे विकराल रूप लेने से ऑटोफैगिया भी पैदा हो सकता है।
वर्जीनिया 38 साल का है और उसके माता पिता भी काफी अमीर घराने से हैं। लेकिन उसे यह रोग है। जिसकी वजह से वह अब खुद का मांस खाने लगा है। उसका अब उपचार चल रहा है। वह खुद को मारकार भी खा सकता है। आंद्रे थॉमस केवल 25 वर्ष का था जब उन्होंने 2009 में अपनी आंखों को खा लिया