भाषा के कितने रूप होते हैं bhasha ke kitne roop hote hain ,दोस्तों भाषा एक प्रकार का साधन होता है जिसकी मदद से हम एक इंसान से दूसरे इंसान के बीच संदेश प्रसारित करते हैं। या उसके साथ क्रियाकलाप करते हैं।और भाषा वह साधन होता है जिसकी मदद से एक एक इंसान से दूसरे इंसान के पास ध्वनियों के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्ति करते हैं।
नाराज़गी, गुस्सा, प्यार, उप कार, शिष्टाचार, आज्ञा, मोह, आदेश, ख़ुशी यह सभी भावनाएं भाषा के द्धारा भी व्यक्त की जाती हैं।भाषा के अंदर कई तरह के शब्द और वाक्यों का समूह होता है जिसकी मदद से अपने मन की बात बताई जाती है।वह भाषा ही माध्यम होती है जिसकी मदद से एक देश या समूह के लोग अपने विचारों को प्रकट करते हैं। वैसे भारत के अंदर हिंदी और अंग्रेजी उर्दू और पंजाबी हरियाणवी आदि कई तरह की भाषाएं बोली जाती हैं और भारत एक तरह से बहुभाषी देश है इसके बारे मे आपको बताने की कोई आवश्यकता नहीं है।
भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जा सकता है। भाषा आभ्यन्तर अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। इस दुनिया के अंदर हजारों तरह की अलग अलग भाषाएं होती हैं आप जिस क्षेत्र के अंदर रहते हैं उस क्षेत्र की भाषाएं तो आपको बहुत ही आसानी से समझ आ जाती हैं लेकिन आपको दूसरे किसी क्षेत्र की भाषा को समझने से पहले उस भाषा को अच्छी तरह से सीखना होता है। उसके बाद ही आप उस भाषा को ठीक तरह से समझ पाते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।अब यदि हम कई वैज्ञानिकों की भाषा की परिभाषा की बात करें तो प्लेटो के अनुसार विचार और भाषा में थोड़ा ही अंतर है। विचार आत्मा की मूक या अध्वन्यात्मक बातचीत है और वही शब्द जब ध्वन्यात्मक होकर होठों पर प्रकट होती है तो उसे भाषा की संज्ञा देते हैं।
स्वीट के अनुसार ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों को प्रकट करना ही भाषा है।
वेन्द्रीय के अनुसार भाषा एक प्रकार का चिंह होता है इसका मतलब यह है कि चिन्ह वह प्रतीक होता है जिसकी मदद से अपने विचारों को प्रकट किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।प्रतीक कई प्रकार के होते हैं जैसे नेत्रग्राह्य, श्रोत्र ग्राह्य और स्पर्श ग्राह्य।
इस तरह से आप भाषा के अर्थ को अच्छी तरह से समझ ही गए होंगे ।इस तरह से भाषा एक प्रकार की पद्धति होती है जिसके अंदर सुयोजन और संगठन होता है जिसमे कर्ता कर्म और क्रिया आदि पूरी तरह से व्यवस्थ होती हैं। जिससे कि उनका सही सही अर्थ निकलता है। इसमे जो ध्वनियाँ उच्चारित होती हैं उनका कार्य कारण से संबंध होता है यह संकेतिक हो सकती हैं।इसके अलावा प्रतीकात्मक भी हो सकती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
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Bhasha Ke Kitne Roop Hote Hain भाषा के कितने रूप होते हैं ?
दोस्तों यदि हम भाषा के रूप की बात करें तो भाषा के तीन रूप होते हैं। दोस्तों रूप का मतलब यह है कि भाषा को तीन तरह से प्रकट किया जा सकता है। और उसके अलावा कोई तरीका नहीं होता है भाषा को प्रकट करने का । यदि आप किसी को कुछ समझाना चाहते हैं तो या तो आप उसको लिखकर समझाएंगे या बोलकर या फिर संकेत की मदद से इसके अलावा आपके पास उसे समझाने के कोई तरीके नहीं होते हैं। तो इस तरह से भाषा के तीन रूप माने जाते हैं एक मौखिक और लिखित और सांकेतिक । हम अपनी सुविधा के अनुसार इनमे से कोई एक चुन लेते हैं। जैसे कि कोई इंसान हमसे
काफी अधिक दूर खड़ा है वहां तक हमारी आवाज नहीं जा सकती है तो फिर हम उसे उसे संकेतिक भाषा का उपयोग करके अपने पास बुलाएंगे । और इस तरह से हम भाषा का उपयोग कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इस तरह से आप भाषा के रूप को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। अब हम आपको यह अलग अलग बताने वाले हैं कि भाषा के कितने रूप होते हैं।
मौखिक भाषा किसे कहते है ? Maukhik Bhasha Kise Kahte Hai
मौखिक भाषा का मतलब होता है हमे अपने पड़ोसी से कुछ कहना है तो हम उसके पास जाते हैं और उसे कुछ बोलकर बताते हैं। यह जो बोलकर हम बता रहे हैं अपनी वाणी का इस्तेमाल कर रहे हैं यह मौखिक भाषा होती है। मौखिक का मतलब होता है हम किसी को बोल कर बताते हैं तो उसको मौखिक भाषा के नाम से जाना जाता है।
इस तरह से मौखिक भाषा के अंदर वै सारी चीजें आती हैं जिनका आप उपयोग करते हैं। जैसे आपने किसी को फोन किया और उसके बाद आपने उसको कुछ बोला तो यह मौखिक भाषा ही कहा जाएगा । इसी प्रकार से आपने माइक के अंदर कुछ बोला और लोग आपको सुन रहे हैं तो यह भी मौखिक भाषा के अंदर आता है।
मतलब यही है कि मौखिक भाषा का फंड़ा यही है कि आप किसी को बोलकर बताते हैं तो उसको मौखिक भाषा के नाम से जाना जाता है। आप अच्छी तरह से समझ ही गए होंगे । तो मौखिक भाषा वही होती है जिसके अंदर आप किसी से वार्तालाप करते हैं अपनी जीभ का इस्तेमाल करते हैं।
लिखित भाषा किसे कहते हैं
लिखित भाषा का मतलब होता है भाषा के वे शब्द जो लिखे गए हैं उनको लिखित भाषा के नाम से जाना जाता है। आप एक कागज लें और उसके बाद एक पेन की मदद से उस कागज पर कुछ भी लिखते हैं तो उसको लिखित भाषा के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । लिखित भाषा की मदद से आप सामने वाले को बहुत कुछ आसानी से समझा सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । जैसे कि सामने वाला सुन नहीं सकता है और आप उसे समझाना चाहते हैं तो इसके लिए लिखकर समझा सकते हैं। जब आप स्कूल के अंदर जाते थे तो टीचर आपको कुछ लिखने के लिए देते थे । और होमवर्क आपको दिया जाता था। वह सब लिखित भाषा के अंदर आता है। आज इस दुनिया के अंदर बहुत सारी उपयोगी किताबे हैं वह सब भी लिखित भाषा के अंदर आती हैं। मतलब उनको लिखा गया है। अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का एक अच्छा जरिया होता है लेखन । कई लोग लेखक का काम करते हैं वे अलग अलग विषयों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। यह सब लिखित भाषा के अंदर ही आता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इस तरह से भाषा का एक रूप होता है लिखित ।
सांकेतिक भाषा किसे कहते हैं इसके बारे मे बताएं ?
सांकेतिक का मतलब होता है संकेत करना । दोस्तों हर समाज देश की अपनी एक सांकेतिक भाषा होती है। यह एक तरह से संकेत देती है।इसके अंदर कोई इंसान अपने विचारों और भावनाओं को संकेत की मदद से अगले इंसान तक पहुंचाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसको सांकेतिक भाषा के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । जैसे कोई इंसान दूर खड़ा है और आप उसे संकेत की मदद से अपने पास बुलाना चाहते हैं तो आप उसे अपने हाथों से संकेत देंगे । यह संकेत दूसरे देश के अंदर अलग किस्म का हो सकता है। इसको ही सांकेतिक भाषा के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । इशारों का नाम तो आपने सुना ही होगा । इशारों की मदद से आप किसी इंसान के भाव को समझ सकते हैं कि वह आपसे क्या कहना चाहता है। जैसे कि कोई इंसान बोल नहीं सकता है तो वह अपने भावों को आपके सामने व्यक्त करने के लिए इशारों कही ही मदद लेगा आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
इस तरह से सांकेतिक भाषा काफी उपयोगी होती है।सांकेतिक भाषा की मदद से ही हम चीजों को और बेहतर ढंग से समझ पाते हैं। जब हम किसी को अपनी बात व्यक्ति कर रहे होते थे तो उसके साथ ही सांकेतिक भाषा का भी प्रयोग कर रहे होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इस तरह से सांकेतिक भाषा काफी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
इस प्रकार से आपने जाना कि भाषा के 3 रूप होते हैं और उनके बारे मे भी आपने अच्छी तरह से समझ लिया है।
बोली, विभाषा, भाषा और राजभाषा
बोली विभाषा और भाषा के अंदर अंतर करना काफी कठिन होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।यदि हम बात करें बोली और भाषा की तो यह दोनो ही अलग अलग होती है। यदि बात करें बोली की तो यह किसी खास क्षेत्र और स्थान आदि तक सीमित होती है।और देशज शब्दों तथा घरेलू शब्दावली का बाहुल्य होता है। और यह लिपिबद्ध नहीं होने की वजह से इसके अंदर कई तरह की विसंगतियां पाई जाती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।विभाषा का क्षेत्र बोली की अपेक्षा विस्तृत होता है यह एक प्रान्त या उपप्रान्त में प्रचलित होती है। एक विभाषा में स्थानीय भेदों के आधार पर कई बोलियाँ प्रचलित रहती हैं।
और आपको बतादें कि विभाषा के अंदर कई तरह की साहित्यक रचनाएं मिल सकती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।और उसके बाद आती है भाषा भाषा विभाषा का एक विकसित रूप होती है। और इसको लिपिबद्ध भी किया जा सकता है। इस तरह से यह काफी उपयोगी भाषा होती है। इसके अंदर विसंगतियां होने के चांस काफी कम ही होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
और यह देखा गया है कि विभाषा अपने गुण और बोले जाने वाले लोगों की संख्या के आधार पर राज कार्य के अंदर चुन ली जाती है।
राज्यभाषा, राष्ट्रभाषा और राजभाषा
आपने राज्यभाषा और राष्ट्रभाषा आदि का नाम तो सुना ही होगा ।जैसे कि किसी राज्य के जो अधिकांश राज कार्य जिस भाषा के अंदर सम्पन्न किये जाते हैं उसको राज भाषा के नाम से जाना जाता है। और यह कई लोगों के द्धारा लिखी जाती है और समझी जाती है।
भारतीय संविधान में राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए हिन्दी के अतिरिक्त 22 अन्य भाषाएं राजभाषा स्वीकार की गई हैं। और राज्य अपनी सुविधा के अनुसार इसके अंदर से किसी भाषा को अपनी राजभाषा को घोषित कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
भाषा के विभिन्न रूप
दोस्तों समय समय पर भाषा के अनेक रूप विकसित हुए हैं और इन रूप का प्रयोग अलग अलग उदेश्य के लिए किया जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।वर्गाभाषा, तकनीकी भाषा, साहित्यिक भाषा, राजभाषा, राष्ट्रभाषा, सम्पर्क भाषा, बोलचाल की भाषा, मानक भाषा आदि।
बोलचाल की भाषा
दोस्तों बोलचाल की भाषा को समझने के लिए सबसे पहले बोली को समझना जरूरी हो जाता है। बोली आमतौर पर कई भाषाओं का मसिरित रूप होता है। और देखने पर इसके अंदर भेद मालुम नहीं होता है। विश्व के अंदर जब किसी जनसमूह का महत्व बढ़ जाता है तो उसके बाद उसकी भाषा के शब्द को कई लोगों के द्धारा बोली के रूप मे अपना लिया जाता है।आपको बतादें कि भाषा के अंदर कई सारी बोलियां हो सकती है। उसी प्रकार बोली के अंदर भी कई सारी भाषाओं के शब्द हो सकते हैं। जैसे कि हम लोग मारवाड़ी बोलते हैं तो इसके अंदर अंग्रेजी भाषा उर्दू भाषा आदि के शब्द भी हो सकते हैं।
मानक भाषा
दोस्तों आपने मानक भाषा का नाम तो सुना ही होगा । मानक भाषा एक तरह की भाषा ही होती है लेकिन उसको अन्य भाषाओं की तुलना मे काफी अधिक महत्व प्राप्त होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
किसी भाषा की उस विभाषा को परिनिष्ठित भाषा कहते हैंजो अन्य विभाषाओं पर अपनी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक श्रेष्ठता स्थापित कर लेती है और उसको बोलने वाले भी उसको उपयुक्त समझने लग जाते हैं तो एक तरह से उस भाषा का महत्व काफी अधिक बढ़ जाता है।
मानक भाषा शिक्षित वर्ग की शिक्षा, पत्राचार एवं व्यवहार की भाषा होती है। और इस भाषा की व्याकरण आदि भी लगभग पूरी तरह से निश्चित होती है। इसके अंदर अंग्रेजी ग्रीक और हिंदी आदि भाषाओं को मानक भाषा के तौर पर जाना जा सकता है। भाषा का वह रूप जो उच्चारण, रूप-रचना, वाक्य-रचना, शब्द और शब्द-रचना, अर्थ, मुहावरे, लोकोक्तियाँ, प्रयोग तथा लेखन आदि की दृष्टि से शुद्ध माना जाता है उसको आमतौर पर मानक भाषा कह सकते हैं।
संपर्क भाषा
दोस्तों जैसा कि आपने पढ़ा संपर्क भाषा का मतलब होता है संपर्क करने की भाषा ।दुनिया के अंदर अनेक तरह की भाषा होती है। और अनेक तरह की भाषा की मदद से ही दुनिया के एक इंसान से दूसरे इंसान के बीच संपर्क स्थापित किया जाता है। उसको संपर्क भाषा के नाम से जाना जाता है।
जैसे कि आप अमेरिका के अंदर जाते हैं और वहां पर आपको दुकान से कुछ खरीदना है तो फिर आपको दुकानदार को या तो संकेत से बताना होगा या फिर अंग्रेजी के अंदर बताना होगा तो अंग्रेजी के अंदर आप उस दुकानदार को जो भी बताते हैं वह एक तरह से संपर्क भाषा है।
जैसे वर्तमान मे अंग्रेजी भाषा को सबसे अधिक अच्छी संपर्क भाषा के तौर पर जाना जाता है। क्योंकि यह एक ऐसी भाषा है जिसको बोलने वाले पूरी दुनिया के अंदर बहुत ही आसानी से मिल जाएंगे तो कई लोग इसको संपर्क भाषा के तौर पर उपयोग मे लेते हैं।
राजभाषा
राजभाषा का नाम तो आपने सुना ही होगा ।दोस्तों किसी राज्य की कार्यप्रणाली जिस भाषा के अंदर होती है उसको राज भाषा के नाम से जाना जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । वैसे राष्ट्रभाषा और राज भाषा के अंदर काफी अंतर होता है। राजभाषा किसी राज्य की भाषा होती है। और यदि हम बात करें राष्ट्रभाषा की तो वह पूरे राष्ट्र की भाषा होती है। पूरे देश के अंदर वह बोली जाती है। या फिर उसको समझने वाले लोग आसानी से मिल जाते हैं इसके अंदर हम अंग्रेजी को ले सकते हैं।
राष्ट्रभाषा
राष्ट्रभाषा के बारे मे जैसा कि हमने आपको उपर बताया वही राष्ट्रभाषा हो सकती है जिसको बोलने वाले अधिक हो और आसानी से सरकारी कर्मचारियों के समझ मे आ जाए । भारत के अंदर लगभग सभी सरकारी काम काज अंग्रेजी के अंदर ही होते हैं तो हम उसको राष्ट्रभाषा के तौर पर कह सकते हैं। आपको बतादें कि कोई एक देश की राष्ट्रभाषा कई अलग अलग देशों की राष्ट्रभाषा भी हो सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । जैसे अंग्रेजी की बात करें तो अंग्रेजी सिर्फ भारत की ही राष्ट्रभाषा नहीं है वरन अमेरिका इंगलेंड आदि की भी राष्ट्रभाषा है।
भारत की भाषाएँ
यदि हम भारत की भाषाओं की बात करें तो यहां पर मान्यता प्राप्त भाषाएं 22 हैं और सन 1950 ई तक इनकी जो संख्या थी वह मात्र 14 थी । उसके बाद सिन्धी, कोंकणी, नेपाली, मणिपुरी, मैथिली, डोगरी, बोडो और सन्थाली आदि भाषाओं को 8 वी अनुसुचि की मदद से जोड़ा गया था। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
मन्त्रालय की 2011 की रिपोर्ट के अनुसार पहचान योग्य मातृभाषाओं की संख्या 234 है । और शास्त्रीय भाषा की दर्जा प्राप्त करने वाली यदि पहली भाषा का बात करें तो उसका नाम तमिल है। इसके बाद कई अन्य भाषाएं भी हैं जिनको शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा मिला है जैसे कि संस्कृत, कन्नड़, मलयालम, तेलुगू और उड़िया नागालैंड आदि आती हैं।
भाषा के संबंध मे जुड़े कुछ रोचक तथ्य
दोस्तों अब तक हमने भाषा के रूप के बारे मे विस्तार से जाना अब हम आपको यह बताने वाले हैं कि भाषा से जुड़े कुछ रोचक बातें कौनसी हैं ? असल मे आप इन बातों को जानकर आप आसानी से चौंक जाएंगे तो आइए जानते हैं भाषा से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे मे ।
- एक भाषा सिर्फ दुनिया के आठ लोगों के द्धारा बोली जाती है क्या आप उस भाषा के बारे मे जानते हैं ? यदि नहीं जानते हैं तो हम आपको बतादें कि उस भाषा का नाम Busuu है। और 1986 ई के अंदर इस भाषों को बोलने वाले 8 लोग थे और सन 2005 ई के अंदर मात्र 3 ही रह गए थे और वर्तमान मे तो काफी समय हो चुका है तो यह संभव है कि इस भाषा को बोलने वाले लोग जा चुके हैं और यह भाषा दुनिया के नक्से कदम से गायब हो चुकी है। इसके बारे मे भी आपको पता होना चाहिए । हालांकि हमे इसके बारे मे जानकारी नहीं है।
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This post was last modified on July 9, 2022