यदि आप भीम आर्मी को पसंद करते हैं तो भीम आर्मी से जुड़ने के लिए क्या करें ? bhim army se kaise jude इसके बारे मे हम आपको कुछ बताने वाले हैं भीम आर्मी अब एक जाना पहचाना नाम बन चुका है।और यह खासकर दलितों के लिए बनाया गया संगठन है।चंद्रशेखर आजाद ने इस संगठन को बनाया था और इस संगठन का नाम निरंतर सुर्खियों के अंदर आता रहता है। दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों से लेकर आरक्षण बचाओं रैली और संत रविदास मंदिर के तोडे जाने पर इस संगठन ने अपना विरोध दर्ज किया था।
यदि हम भीम आर्मी के उदेश्यों की बात करें तो यह छूआछूत जैसी चीजों से मुक्ति दिलाने का काम करती है।आपको पता ही होगा भले ही भारत मे आज कितना भी शिक्षा का प्रचार प्रसार हो गया हो । लेकिन अभी तक लोग छुआछूत जैसी चीजों को नहीं छोड़ पाए हैं। दूसर जगह की बात नहीं है। यदि हम हमारे गांव की ही बात करें तो यहां पर भी कुछ बड़ी जाती वाले लोग छूआछूत करते देखे जा सकते हैं। मेरा मासी का लड़का अलग जगह पर नौकरी करता है और वहां पर कई उच्च जातियों वाले लोग रहते हैं और वहां पर यदि कोई नीची जाति का है तो उसे कमरा तक नहीं दिया जाता है।
आपको भी इस बारे मे जानकारी होगी ।हालांकि बदलाव हुआ है लेकिन अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है। खैर यह जो जाति पांति का सिस्टम है वह वर्ण व्यवस्था से आया है।वैसे वर्ण व्यवस्था गुणों के आधार पर होती थी बाद मे कुछ प्रभावशाली लोगों ने इसको जाति के आधार पर बांट दिया ।
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भीम आर्मी से जुड़ने के लिए क्या करें
अब तक भीम आर्मी से लाखों लोग जुड़ चुके हैं।और यदि आप भी भीम आर्मी से जुड़ना चाहते हैं तो ऑनलाइन जुड़ सकते हैं। इसके लिए आपको सबसे पहले भीम आर्मी की वेबसाइट पर जाना होगा ।
उसके बाद आपको वहां पर एक फोर्म मिलेगा उसके अंदर आपको अपनी डिटेल को भरना होगा फिर आपको संबिट कर देना है। यह बहुत ही सरल तरीका है।
भीम आर्मी में जुड़ने के लिए भीम आर्मी से संपर्क कैसे करें ?
भीम आर्मी से संपर्क करने के कई सारे तरीके हैं। आप वेबसाइट पर जाकर संपर्क कर सकते हैं।यहां पर आपको संपर्क फोर्म दिया होगा और उस फोर्म मे आपको अपना नाम व ईमेल और मेसैज दिया होगा । इनके अंदर सब कुछ भरें और भेज दें ।इसके अलावा आप भीम आर्मी के फेसबुक पेज से भी जुड़ सकते हैं।
इस प्रकार से हुआ था भीम आर्मी का जन्म bhim army se kaise jude
सहारनपुर में एक एएचपी नाम के विश्वविद्यालयों मे राजपूतों की दबंगाई चलती थी।और यहां पर दलित बच्चों को मारा पीटा जाता था और कॉलेज के अंदर भी दलित बच्चों को अलग बैठाया जाता था। इतना ही नहीं दलितों को पानी भी नहीं भरने दिया जाता था।उसके बाद वहां के छात्रों ने चंद्ररशेखर आजाद के साथ मिलकर एक संगठन बनाया जोकि वहां पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाता था। बाद मे सब दलितों को अत्याचारों से मुक्ति मिल गई। और बाद मे इस संगठन का और अधिक विस्तार किया गया ।सन 2015 के अंदर इस दलित संगठन का नाम भीम आर्मी रखा गया जो आज बहुत अधिक पोपुलर हो चुका है।
चंद्रशेखकर रावण कौन हैं ?
सन 2019 ई के अंदर एक खबर वायरल हुई थी जिसमे कहा गया था कि चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ का असली नाम नसीमुद्दीन खान है । हालांकि वह सच नहीं था।बाद मे यह खबर जब आग की तरह फैल गई तो रावण ने टवीट किया कि यह सब झूठ है। और कई प्रूफ भी शैयर किये । खैर इस प्रकार की खबरे निरंतर वायरल होती रहती हैं जो बाद मैं झूठी साबित होती है।
घड़कौली कांड से मसहूर हुई भीम आर्मी
दोस्तों आपको बतादें कि घड़कौली कांड की वजह से भीम आर्मी पूरी तरह से मशहूर हो गई है।सहारनपुर रोड एक घड़कौली नाम का गांव है। वहां पर कुछ दलित युवकों ने एक बोर्ड द ग्रेट चमार लगा दिया और यही बात वहां के संगठन द ग्रेट राजपूतों को समझ मे नहीं आई और उन्होंने उस बोर्ड को गिरा दिया ।और उस बोर्ड के उपर कालिख पोत दी । उसके बाद झगड़ा हूआ और राजपूत संगठन को पीछे हटना पड़ा ।
सहारनपुर में जातीय हिंसा मे जेल मे बंद रहे थे रावण
जब सहारनपुर के अंदर हिंसा हुई तो चंद्रशेखर को जेल मे बंद कर दिया गया और उनके उपर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने लोगों को भड़काया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाद मे चंद्रशेखर को 4 मामलों मे जमानत देदी थी। और यहां से निकलने के बाद चंद्रशेखर को अस्पताल मे भर्ति करवाया गया था।आपको बतादें कि जेल मे रहने के दौरान उनको टायफ़ाइड हो गया था और उसके बाद उनकी हालत मे सुधार हो गया था।
चंद्रशेखर रावण के अनुसार वे जेल मे मिलने वाला खाना ही खाते थे और जेल मे मिलने वाले दूध का ही सेवन करते थे इसकी वजह से उनको इन्फेक्सन हो गया था। सहारनपुर के अंदर हिंसा मे दलित और ठाकुरों का नाम आया था और इसका आरोप चंद्रशेखर के उपर मंड दिया गया था।
चंद्रशेखर के बाद भीम आर्मी का क्या ?
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भीम आर्मी ने कहा कि चंद्रेशखर अकेले ही इसके अंदर नहीं जुड़े हैं। वरन इसके अंदर बहुत सारे लोग जुड़े हुए हैं और इन लौंगों के अंदर कुछ ऐसे लौग भी मौजूद हैं जो सही से नेत्रत्व करने की क्षमता रखते हैं। भीम आर्मी मे अब मुस्लिम युवक और दलितों को आत्मरक्षा के लिए प्रशीक्षण दिया जाएगा ।
मिडिया नहीं दिखा रहा है सच्चाई
दोस्तों आज आप चारो तरफ देख ही रहे हैं कि हर खबर को अलग अलग तरीके से मिडिया के द्वारा पैस किया जाता है।दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन हुए थे सहारनपुर हिंसा को लेकर तो मिडिया ने सच्चाई नहीं दिखाई । वहां पर लाखों लोग एकत्रित हुए थे ।इसमे मिडिया पर यह आरोप लगे थे कि मिडिया ने इस खबर को मुख्य खबर नहीं बनाया और बहुत ही हल्के के अंदर लिया बस एक छोटी सी खबर बताकर स्वाहा कर दिया । कुल मिलाकर जितना कुछ होना चाहिए था वैसा नहीं हुआ । और दलितों के खिलाफ होते अत्याचारों के बारे मे भी मिडिया चुप रहा ।
खैर इस संबंध मे आगे कुछ न्यूज वेबसाइट लिखती हैं कि सरकार भी इस मामले मे कोई भी कदम नहीं उठा रही है। और सरकार नहीं चाहती है कि दलित एकजुट होकर उंची जतियों का विरोध करें ।खैर यदि हम समाचार जगत का विश्लेषण करें तो आपको एक भी न्यूज सही सही मिलना मुश्किल होगा ।सब मिलकर ऐजेंडा चला रहे हैं लेकिन इससे एक बात तय है और वो यह है कि हिंदुओं का मानसिक पतन होगा ।
हो रहा है दलितों का पतन
आपको यह पता होना चाहिए कि जब समाज से धर्म को हटा दिया जाता है तो उसके परिणाम भयंकर होते हैं। दलितों के साथ भी यही हो रहा है। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना बेहतर है लेकिन अध्यात्मिक रूप से उनका बहुत ही बुरे तरीके से पतन हो रहा है।इसके परिणाम भयंकर होगे ।और आने वाले 50 सालों के अंदर एक ऐसी मानवता पैदा हो जाएगी जिसके लिए सिर्फ उपभोग की वस्तुएं सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाएंगी । दलितों के लिए एक धर्म संकट यह भी है कि वे हिंदू धर्म को ना तो ग्रहण कर पा रहे हैं और ना ही छोड़ पा रहे हैं।जबकि यदि वे भीम आर्मी को मानते हैं तो बौद्ध धर्म को उनको ग्रहण करना चाहिए । लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। वे हिंदु धर्म के खिलाफ बोलते हैं उसके बाद भी हिंदु त्यौहारों को मनाते हैं। कुल मिलाकार समाज पूरा विवेक हीन दिशा की तरफ जा रहा है।यह सिर्फ अनपढ इंसानों के साथ ही नहीं हो रहा है । वरन पढ़े लिखे इंसान भी यही कर रहे हैं। मैंने एक जानकार को फोन किया तो उसने कहा कि भगवान विष्णु और देवता तो ब्रहा्रमणों के हैं। लेकिन उसके बाद भी वह इनकी पूजा कर रहा है। कुल मिलाकर यह बहुत बुरी स्थिति है।
ज्ञान के नष्ट होने पर हो रही है हिंदुओं की दुर्दशा
भीम आर्मी हो या कोई और आर्मी कब तक किसी के लिए आवाज उठाती रहेगी । क्योंकि कोई भी पार्टी लंबे समय तक नहीं टिक सकती है।हिंदुओं मे जो जाति पाति का भेदभाव है ,वह काफी लंबे समय से चला आ रहा है। और इसकी वजह से हिंदुओं का बुरे तरीके से पतन हुआ है। बहुत कम हिंदु आपको ऐसे मिलेंगे जो इसको नहीं मानते हैं ।या इसके सही स्वरूप को समझते हैं।
वर्ण व्यवस्था का बड़े और छोटे से कोई लेना देना नहीं है
आपको बतादें कि पहले वर्ण व्यवस्था हुआ करती थी और उस समय जाति का स्थान नहीं था। यह हजारों सालों पहले की बात है लेकिन बाद मे जैसे जैसे योग्य इंसानों की संख्या घटती गई और लोगों का मन कद और पद मे फंसता गया उनका प्रभाव भी बढ़ता गया और वर्ण व्यवस्था बन गई।
इस संबंध मे आपको भीम आर्मी मनुस्मति कई बार जलाते हुए देखी जा सकती है।लेकिन सच्चाई यह है कि उसका जाति व्यवस्था से कोई सीधा कनेक्सन नहीं है। इसमे वर्ण व्यवस्था का वर्णन है जो गुणों के आधार पर थी । यह किताब सिर्फ इसलिए लिखी गई थी ताकि इंसान की शक्तियों का सही उपयोग किया जा सके ।जैसे आप अपने घर के अंदर 4 लड़के हैं तो वे चारों साहसी नहीं होते हैं।और इनमे से जो साहसी होते हैं वे क्षत्रिय कहलाते हैं जिनका काम राज्य की रक्षा करना होता है।
जबकि कुछ ज्ञान मे निपुण हैं तो वे ब्रहा्रमण कहे जाते थे । खैर मनुस्मति एक गन की तरह है जिसका यदि आप सही से उपयोग करना जानते हो तो वह आपकी रक्षा कर सकती है लेकिन यदि आप उसका उपयोग करना नहीं जानते हो तो वही आपके पतन का कारण बन सकती है । आप खुद को ही उससे गोली मार सकते हो ।
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भीम आर्मी की विचारधारा का कोई मेल नहीं
दोस्तों भीम आर्मी बौद्ध धर्म को स्पोर्ट करती है। इसके अलावा इस्लाम धर्म को स्पोर्ट भी करती है। लेकिन असल मे बौद्ध धर्म और इस्लाम धर्म दोनो एक दूसरे के विपरित धर्म हैं। और इनकी विचारधाराएं भी एक दूसरे से मेल नहीं खाती हैं।यह सिर्फ हकीकत नहीं है आप इसके प्रमाण जमीनी स्तर पर भी देख सकते हैं। आप मुस्लिम देशों के अंदर देख सकते हैं कि कितने बौद्ध वहां पर रह रहे हैं । कुल मिलाकर भीम आर्मी जिन दो धर्मों का मेल करने की कोशिश कर रही है उसका मेल संभव नहीं है।और ऐसी स्थिति के अंदर आगे भयंकर परीणाम सामने आ सकते हैं। खैर यह धरती लोक है और यहां पर सब चलता है
क्या भीम आर्मी दलितों की रक्षा कर पाएगी ?
यह कहना मुश्किल है कि भीम आर्मी दलितों की रक्षा कर पाएगी या नहीं । लेकिन जहां तक मेरा अनुमान है दलितों को अपनी रक्षा खुद ही करनी होगी ।भीम आर्मी से पहले भारत मे यदि आप देखेंगे तो कितनी आर्मी बनी ,पार्टी बनी लेकिन आज उनमे से बहुत सी पार्टी खत्म हो चुकी हैं।
समाजवादी पार्टी जो खुद को दलितों का मसिहा बताती है कितना दलितों की रक्षा कर पाई । शिवसेना का तो कहना ही क्या ? और रही बात भीम आर्मी की तो इसके बारे मे पता नहीं यह कब तक करेगी ? लेकिन एक बात तय है कि जब तक दलित विवेकशील नहीं होंगे और अपने आंख और कान नहीं खोलेंगे कोई भी आर्मी दलितों की रक्षा नहीं कर पाएगी ।
और रही बात दलितों पर अत्याचार की तो यह बात सच है कि दलितों पर अत्याचार होते हैं लेकिन दलित एकत्रित नहीं हैं और यही वजह है कि हर कोई उनका फायदा उठा लेता है। दलितों को एकत्रित करने मे भीम आर्मी भी अभी तक पूरे तरीके से सफल नहीं हुई है।
भीम आर्मी से जुड़ने के लिए क्या करें ? लेख मे हमने यह जाना कि भीम आर्मी से आप किस प्रकार से जुड़ सकते हैं। लेख के अंत मे मैं आपको यह कहना चाहूंगा कि आपको किसी भी समाचार की न्यूज पर भरोशा नहीं करना चाहिए क्योंकि आज हर समाचार न्यूज को अपने ऐजेंडे के हिसाब से तोड़मरोड़ कर पेस करता है।
यदि आपको मेरी बात पर यकीन नहीं है तो आप एक ही न्यूज को 10 अलग अलग समाचार पत्र मे देखेंगे तो आपको हर समाचार पत्र एक खास ऐजेडें की तरफ न्यूज को मोड़ने की कोशिश करता हुआ नजर आएगा ।तो चीजों को सही तरीके से देखने के लिए अपने विवेक का इस्तेमाल करें ।
Sir mujhe contact kiya jaye i am muslim m aaap ke पार्टी से judna chahta hun kayi mahino se jai bheem jai meem