भोजन मंत्र बोलने 9 के शानदार फायदे bhojanam mantra

‌‌‌दोस्तों भोजन मंत्र  बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है।और यदि आप इस भोजन मंत्र का नियमित पाठ करते हैं तो वास्तव मे यह आपको सही दिसा के अंदर लेकर जाएगा । और बच्चों के मन पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव पड़ेगा । हां हो सकता है कि कुछ खराब मानसिकता के लोग इसके अंदर भी राजनिति करने लग जाएं और बोलेंगे ‌‌‌कि इस तरह का मंत्र बच्चों को नहीं पढ़ाया जाना चाहिए । वरना वे भटक सकते हैं।

‌‌‌पर असल मे जो ऐसा बोल रहे हैं वो खुद ही भटके हुए हैं।क्योंकि दुनिया के अंदर आज भी 90 प्रतिशत लोग मन के वशीभूत होकर काम करते हैं। वे उससे उपर पूरे जीवनकाल के अंदर कभी नहीं उठ पाते हैं। मन क्या है तो मन का नाम ही  प्रक्रति है। 

Table of Contents

bhojanam mantra ‌‌‌भोजन मंत्र 

‌‌‌दोस्तों भोजन मंत्र के बारे मे यह उल्लेख मिलता है कि यह क्रष्ण यजूर्वेद से ही आया है और उसके बाद दूसरे ग्रंथों के अंदर इसका उल्लेख किया गया है। वैसे यह एक प्रार्थना है और हम  भगवान से प्रार्थना करते हैं कि मैं तेरी सेवा के अंदर लग जाउं तो मेरा कल्याण हो सके । ‌‌‌मंत्र बोलने से पहले आपको नीचे दी गई  प्रार्थना करनी होती है।

अन्न ग्रहण करने से पहले

विचार मन मे करना है

किस हेतु से इस शरीर का

रक्षण पोषण करना है

हे परमेश्वर एक प्रार्थना

नित्य तुम्हारे चरणों में

लग जाये तन मन धन मेरा

विश्व धर्म की सेवा में।

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।

ॐ सह नाववतु।

सह नौ भुनक्तु।

सह वीर्यं करवावहै।

तेजस्विनावधीतमस्तु।

मा विद्‌विषावहै ॥

ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:: ॥

भोजन मंत्र का अर्थ हिंदी में

‌‌‌भोजन मंत्र का अर्थ है कि

 हे परमात्मा हमारी साथ साथ रक्षा करें

हमारा साथ साथ पालन करें ।

हमको पराकरमी बनाएं ।

पढ़े हुए शास्त्र तेजस्वी हो जाए।

हम गुरू और शिष्य द्वेष ना करें ।

‌‌‌भोजन मंत्र या प्रार्थना मंत्र बोलने के क्या फायदे होते हैं ?

दोस्तों यह प्राचीनकाल के मंत्र थे और इनका उस समय बहुत अधिक मुल्य था।जैसे जैसे कलियुग आता गया वैसे वैसे लोग अधिक धुर्त और कपटी होते गए । और यही वजह है कि आज इस तरह के शांति शांति वाले मंत्रों को भी लोग बुरी नजर से देख रहे हैं।

 ‌‌‌इस मंत्र को यदि बच्चे बोलते हैं तो उनको बहुत अधिक फयदा मिलता है।बच्चों काम  कोरा कागज की तरह होता है पर कलियुग मे बच्चे पैदा होते ही राग क्रोध खीज कर रहे हैं। खैर बच्चों के मन पर इस तरह के मंत्रों का गहरा प्रभाव पड़ता है और उनके स्वाभाव पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।

‌‌‌1.मानसिक शांति का विकास करता है

दोस्तों मंत्र के अंदर मे शांति शांति की कामना की गई है। जिसका मतलब यह है कि जब हम इस मंत्र को बोलते हैं तो हमारे मन मे मानसिक शांति की स्थापना होती है। मन मे जो उथल पुथल मच रही है । वह समाप्त हो जाती है। और मन को सकून मिलता है।

‌‌‌शांति की कामना का मतलब भी यही है कि हम शांति से रहना चाहते हैं। हर एक स्टूडेंट के अंदर जब मानसिक शांति स्थापित हो जाएगी । जिसका अर्थ विध्वंसक विचार नष्ट हो जाएंगे तो फिर जगह जगह पर बम धमाके और दंगे नहीं होगे। एक तरह से देखा जाए तो यह एक बहुत ही अच्छी चीज होती है। ‌‌‌विश्व अशांति का कारण ही मन ही है।क्योंकि लोग मनके वशीभूत होते हैं और मन प्रक्रति के वशीभूत होता है।

‌‌‌2.आत्मबोध पैदा होना

यह मंत्र आत्म बोध पैदा करता है।कल मैंने एक 27 साल के लड़के से पूछा की वह कौन है ? क्या वह अपने नाम से अलग है ? लेकिन वह नहीं बता पाया । भारत की इससे बुरी दसा और क्या हो सकती है। जो कभी अध्यात्म मे गुरू था आज ‌‌‌बहुत पीछे हो गया है ।जब आप भोजन ग्रहण करने से पहले प्रार्थना करते हैं कि इस शरीर की रक्षा हेतू भोजन ग्रहण करना है तो उसी वक्त आप खुद आत्मा हो जाते हो आप शरीर से अलग हो जाते हो आज के घोर अंधकार मे इतना प्रकाश मिलना बहुत बड़ी बात होती है। ‌‌‌और जब आत्मा हो जाते हो तो आप खुद के लिए कुछ करने के बारे मे सोच सकते हो ।

वरना तो बहुत से लोग मन के नचाये नाच रहे हैं उन्हें नहीं पता की वे मन से भी परे हैं। उनको यही लगता है कि सब ढोंग है। क्योंकि वे अभी भी अपनी मन की बनाई दुनिया मे जी रहे हैं। सब कुछ विज्ञान है। इससे अलग कुछ नहीं है।

‌‌‌3.अपने भगवान को याद करना फायदे मंद

अफसोस है कि आज हम लोगों ने भगवान को खरीद फरोख्त बना दिया है। कुछ लोग कहते हैं भगवान नहीं है। यह सच है कि भगवान नहीं है। सब कुछ नेचर के गुणों से हो रहा है लेकिन जो लोग हमसे ज्यादा जानते हैं वे भगवान तुल्य हो जाते हैं।

इस मंत्र मे हम परमेश्वर से प्रार्थना ‌‌‌करते हैं कि हे परमेश्वर हमारा कल्याण कर हम आपको याद करते हैं। वास्तव मे यह उपयोगी है आपके मन मे डर बना रहता है कि कोई है जो आपको गलत काम करने पर दंड दे सकता है। ‌‌‌बहुत से लोग बस इसी काम की वजह से बुरा करने से बचे हुए हैं।

‌‌‌4.विश्व कल्याण की भावना पैदा करता है

दोस्तों भेाजन मंत्र का प्रयोग करने से पहले एक प्रार्थना करनी पड़ती है। कि हे परमात्मा हमारा तन मन धन विश्व कल्याण के अंदर लगादे । वास्तव मे हम सभी यहां पर हैं प्रक्रति के के नियमों से बंधे हुए हैं। और उससे निकल नहीं पा रहे हैं। ‌‌‌

हर काम मन के वशीभूत कर रहे हैं और मन प्रक्रति के वशीभूत है। यही तो खेल है। यदि हम सभी इस प्रकार की प्रार्थना करते हैं या कुछ लोग भी करते हैं रोजाना करते हैं तो कम से कम उनके मन मे तो दूसरों के कल्याण की भावना आएगी । असल मे यदि हम एक इंसान को मारने लगे तो हम पशूओं से भी गये गुजरे हो चुके होंगे। ‌‌‌वास्तव मे यह संदेश हर बच्चे बच्चे के मन मे बिठाने की आवश्यकता है।

‌‌‌5.भोजन का महत्व

दोस्तों कभी भारत के अंदर अन्न की काफी कदर की जाती थी और लोग एक कतरा भी व्यर्थ नहीं जाने देते थे । उनको पता था कि यह महत्वपूर्ण है लेकिन अब हम भूल चुके हैं और फालतू के अंदर अनाज को नष्ट करते हैं। यह मंत्र हमे अनाज की कद्र करना सीखाता है। ‌‌‌कुछ लोग भगवान को तो मानते हैं लेकिन उनको पता होना चाहिए कि निर्गुण ईश्वर इसके अंदर भी है। समस्त चराचर जगत के अंदर उसका स्थान है।

‌‌‌6.ईश्वर से खुद की रक्षा की कामना

दोस्तों इस मंत्र के अंदर हम ईश्वर से खुद की रक्षा की कामना करते हैं। जिसका मतलब यह है कि हम अपने ईष्ट से खुद की रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं ताकि हम धरती पर रखकर अपनी अध्यात्मिक प्रगति को अच्छी तरह से कर सकें ।

‌‌‌7.गुरू और शिष्य मे प्रेम

दोस्तों यह मंत्र गुरू और शिष्य के अंदर प्रेम रखना सीखाता है। आज गुरू और शिष्य पथ से भ्रष्ट हो चुके हैं। गुरू अपनी शिष्या के साथ लव करते हैं और उसे भगा ले जाते हैं। ‌‌‌कुछ गुरू ऐसे भी होते हैं जो अपनी शिष्या का बलात्कार तक कर देते हैं। इसकी वजह यही तो है कि हम पश्चिम सभ्यता के अंदर जिने लगें हैं।

‌‌‌कुछ शिष्य तो ऐसे पैदा हो गए हैं कि अपने गुरू के उपर लाइन मारने लग जाते हैं । टीवी न्यूज के अंदर इस तरह की स्टोरी खूब छापी जाती है। और लोग बड़े चाव से देखते हैं और पढ़ते भी हैं।

‌‌‌8.शास्त्र ज्ञान के लिए  प्रार्थना

दोस्तों आज शास्त्र का ज्ञान तो है ही नहीं । आपको वो चीजें पढ़ाई जाती हैं जिसका आपको कुछ लेना देना नहीं है। अफसोस की बात है कि हमे यह नहीं पता कि हम कौंन है और दूनिया की खोज करने की कोशिश कर रहे हैं। खुद की खोज अभी कर नहीं पाएं हैं। ‌‌‌एक तरह से यह मंत्र हमे अभौतिक शक्तियों से जोड़ता है ताकि वे हमे ज्ञान हाशिल करने मे मदद कर सकें ।

‌‌‌9.एक बच्चे के लिए अच्छा है भोजन मंत्र

दोस्तों एक बच्चे के लिए भोजन मंत्र बहुत ही अच्छा होता है। एक बच्चे का मन कोरे कागज की तरह होता है और उस पर यदि आप अच्छा लिखते हो तो अच्छा सामने आएगा । और यदि बुरा लिखते हो तो बुरा सामने आएगा । ‌‌‌लेकिन बड़ों का दिमाग कोरे कागज की तरह नहीं होता है। उसके अंदर तो पहले से ही पूरा कागज भर चुका होता है। उसपे लिखा सही नहीं दिखाई देगा ।

‌‌‌भोजन करने से पहले

दोस्तों आज हम सब भूल चूके हैं कि प्राचीन काल के अंदर लोग भोजन करने से पहले हाथ धोकर भोजन को प्रणाम करते थे और उसके बाद गो माता और देवताओं के लिए ग्रास निकाल कर रखते थे और उनको पानी से चलू करवाते थे । यह सब उनकी क्ष्रद्वा थी । ‌‌‌और भगवान को धन्यवाद देते थे कि आपने भोजन उपलब्ध करवाया ईश्वर किसी को भूखा ना रखे। उसके बाद नीचे दिया गया मंत्र बोलते थे ।

ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।।

‌‌‌भोजन से जुड़े कुछ समान्य नियम

दोस्तों यदि बात भोजन की हो रही है तो हमको भोजन से जुड़े कुछ सामान्य नियमों के बारे मे भी अवश्य ही जान लेना चाहिए ताकि सही तरीके से भोजन किया जा सके ।

‌‌‌जितनी जरूरत हो उतना ही खाना लें

दोस्तों भोजन करने का सबसे पहला नियम तो यह है कि थाली के अंदर केवल उतना ही भोजन लें जितना की आपको आवश्यक हो । यदि आपको आवश्यक नहीं है तो अतिरिक्त भोजन नहीं लें । भोजन बच जाता है तो उसे पशु या पक्षियों को डालदें ।

‌‌‌भोजन करने से पूर्व अच्छे से सफाई करें

दोस्तों भोजन करने से पूर्व हाथ पैर और मुंह की अच्छे तरीके से सफाई करें और इसके लिए आप कोई भी हाथ साफ करने वाली साबुन का प्रयोग कर सकते हैं। इसका फायदा यह होगा कि जो भी कीटाणू होंगे वे आपके शरीर के अंदर नहीं जा पाएंगे और आप ‌‌‌बीमारियों से बच जाएंगे ।

‌‌‌खड़े खड़े भोजन ना करें

दोस्तों ऐसा कहा गया है कि खड़े खड़े भोजन करना अच्छा नहीं है।  हालांकि इसके पीछे के कारणों के बारे मे पता नहीं है। लेकिन यह भी किसी ना किसी वैज्ञानिकता से जुड़ा हुआ है।

‌‌‌भोजन की बुराई ना करें

दोस्तों आजकल भोजन की बुराई करना बहुत ही आम बात हो गई है। लोग कहते हैं अमुक की शादी के अंदर घटिया भोजन बना था। हम और आप सभी ऐसा करते हैं लेकिन असल मे हमे ऐसा नहीं करना चाहिए । क्योंकि इंद्रियों को त्रपत कभी नहीं किया जा सकता है। ‌‌‌इसमे स्वाद ज्यादा उपयोगी नहीं है। वरन आपको शरीर के पौष्टिक तत्वों को अधिक महत्व देना चाहिए ।

‌‌‌किसी पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन ना करें

दोस्तों कहा गया है कि पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए । इसका कारण यह है कि पीपल के पेड़ के उपर काफी सारी प्रेतआत्माएं हो सकती हैं । इस तरह की आत्माएं वे आत्माएं हैं जिनके पास शरीर तो नहीं है लेकिन उनके मन की वासनाएं अभी बची हुई ‌‌‌हैं।

‌‌‌बिस्तर पर भोजन नहीं करना चाहिए

यह भी कहा गया है कि बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए । यदि आप ऐसा करते हैं तो आपको रात को बुरे सपने आ सकते हैं। आप चाहें तो जमीन पर आसान बिछाकर भोजन कर सकते हैं। और आप अलग से कोई भोजन की टेबल पर बैठकर भोजन कर सकते हैं।

‌‌‌भोजन करने से पहले जानवरों को रोटी दें

दोस्तों कहा गया है कि भोजन परोसने से पहले एक रोटी गाय के लिए एक कूते के लिए और एक कौवे के लिए सदैव रखना चाहिए । लेकिन आजकल हम सभी लोग इस परम्परा को भूल चुके हैं।

‌‌‌अग्निी देव को भोग लगाना

दोस्तों भोजन परोसने से पहले ग्रहणी को किसी भी खिरे के उपर अग्निी देव का नाम लेने के बाद उसके उपर भोजन चढ़ाना चाहिए  । यह देव के प्रसन्न करने के लिए होता है।

bhojanam mantra लेख के अंदर हमने भोजन करने का मंत्र और भोजन करने के कुछ खास नियमों के बारे मे जाना । मुझे यकीन है कि आपको यह नियम अच्छी तरीके से समझ मे आए होगे । यदि आपका कोई सवाल है तो नीचे कमेंट करें ।

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This post was last modified on March 24, 2020

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