भूत प्रेत क्या खाते हैं- दोस्तों इंसान के बारे मे तो हम सभी जानते हैं कि वह क्या खाता है और सभी जानवरों और पशु पक्षियों के भोजन के बारे मे भी हम जानते हैं। लेकिन यदि आपसे यह पूछा जाए कि भूत प्रेत क्या खाते हैं ? तो इसका उत्तर शायद आप नहीं दे पाएं । इसका ठीक ठीक उत्तर तो हम भी नहीं दे पाएंगे या कोई भी नहीं दे पाएगा ।क्योंकि भूतों के शरीर नहीं होता है। और ऐसी स्थिति के अंदर भौतिक वस्तुओं का सेवन करना उनके लिए बहुत कठिन हो जाता है।
लेकिन यह देखा गया है कि वे शरीर नहीं होने के बाद भी अनेक प्रकार की भौतिक क्रियाओं से प्रभावित होते हैं।हम लोग अपने घरों के अंदर गूगल धूप या लोबान करते हैं तो भूत प्रेत वहां से भाग जाते हैं? इसका मतलब यही है की वे इन चीजों से प्रभावित होते हैं।
इसके अलावा भूम प्रेत घर मे भी आ सकते हैं क्योंकि उनको मिठाई बहुत पसंद होती है। और वे मिठाई को लेने के लिए घर मे आ जाते हैं। लेकिन उनके साथ सबसे बड़ी समस्या तो तब होती है।जब वे मिठाई को खा नहीं पाते हैं। यही वजह है कि उनको सिर्फ मानसिक संतुष्टि मिलती है।
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भूत प्रेत क्या खाता है? क्या सच मे वे खाना खाते हैं?
दोस्तों सच बात तो यह है कि भूत प्रेत खाना नहीं खाते हैं। वे हमेशा बिना खाने के ही रहते हैं। लेकिन उनके मन मे भोजन की मांग हमेशा बनी रहती है।डॉ अरूण कुमार जिन्होंने भूतों के उपर काफी रिसर्च किया तो पता चला कि भूत प्रेत सिर्फ वैचारिक रूप से संतुष्ट होने को ही खाना समझते हैं। वे हमारी तरह भौतिक चीजों को कभी नहीं खा सकते हैं।जब उनके मन मे खाना खाने की इच्छा होती है तो वे कहीं पर पड़े हुए खाने के पास जा सकते हैं और उसको उठाने की कोशिश कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं करने के बाद वे बस वैचारिक रूप से संतुष्ट हो जाते हैं कि उनको मिल गया ।
इसी तरीके से आपने देखा होगा कि जब कई बार हम लोग चोराहे के अंदर शराब रखने के लिए जाते हैं तो उस शराब से 7 बूंद उस भूत के नाम की चौराहे मे छिड़क दी जाती है और बाकी की हम खुद पी जाते हैं। इसका मतलब यही है कि यह शराब मिलने के बाद प्रेत संतुष्ट हो गया ।
इसके अलावा कई बार परिजनों को कोई मरा हुआ इंसान सपने मे आता है कि वह भूखा है उसे खाना चाहिए तो हम लोग किसी ब्रहा्रमण को उसके नाम का खाना दान कर देते हैं। उसके बाद उसे यह पता चल जाता है और उसका मन संतुष्ट हो जाता है।
भूत प्रेत क्या खाते पीते हैं प्रेत के मन मे खाने की होती है तीव्र इच्छा
दोस्तों प्रेत के मन मे खाने की तीव्र इच्छा होती है।वे खाने के लिए इधर उधर भटकते रहते हैं और दूसरों के घरों के अंदर घुसने की कोशिश करते हैं। लेकिन ऐसे से ही वे दूसरों के घरो मे नहीं घुस सकते हैं। प्रेत को जब कोई देवात्मा मिलती है तो वे उसे विनती करते हैं कि वह उनको कहीं ले जाकर खाना खिलाकर लाए।हिंदु धर्म के अंदर जो पितर देव होते हैं उनके साथ कई बार भूत हो जाते हैं और उसके बाद वे उन पर दबाव डालना शूरू कर देते हैं कि वह उनको कहीं पर खाना खिलाकर लाए । और जब कोई पितर गलती कर देता है तो वे उस पितर के घर मे चले जाते हैं और उसके बाद उत्पात मचाने की कोशिश करते हैं। वैसे भी उत्पात मचाना तो उनका स्वाभाव होता है।
1000 साल पुरानी चुड़ैल पकड़ी गई क्या खाती थी यह ?
दोस्तों दिल्ली के अंदर एक मनू भइया नामक शनी धाम है।वहां पर भूत प्रेत को निकालने का काम किया जाता है। और वहां पर एक लगभग 26 साल का लड़का आया ।उस लड़के के शरीर के अंदर यह चूड़ैल पीछले 8 साल से रमी हुई थी।
यह चूड़ैल उस लड़के के अंदर तब घुस गई जब लड़का सुनसान खंडर के पास मिठाई खा रहा था।क्या आप सोच सकते हैं कि यह चूड़ैल 1000 साल तक इस खंडर के अंदर क्या खाती होगी । खैर सच तो यह है कि चूड़ैल की खाने की इच्छा तो बहुत अधिक होती थी लेकिन बिना शरीर कुछ खा नहीं सकती थी। और जब से इस चूड़ैल को लड़का मिल गया तब से तो उसके लिए और ही मजा हो गया चूड़ैल लड़के के माध्यम से अपनी इच्छा पूर्ति कर लिया करती थी।
शराब पीने वाला प्रेत कैसे अपनी इच्छा पूर्ति करता है
यदि कोई प्रेत शराब का शौकिन है और मरने के बाद प्रेत बन गया तो उसके मन मे शराब के तो विचार उठेंगे । ऐसी स्थिति मे वह शराब के बोतलों के पास भटकेगा लेकिन भौतिक शरीर नहीं होने की वजह से वह उनको नहीं छू पाएगा । इस तरह का प्रेत उसके बाद जब किसी इंसान को शराब पीते हुए देखेगा तो वह उसके पीछे लग जाएगा और उसके शरीर को माध्यम बनाकर अपनी इच्छा पूर्ति कर लेगा ।
बहुत बार जब प्रेत को शराब नहीं मिलती है तो वह उस शराब की खोज के अंदर वह भटकता रहता है।और आने जाने वाले लोगों से शराब की मांग करता है। ऐसे प्रेत को लोग शराब देते भी लेकिन कोई फायदा नहीं है । बस वह अपना मन संतुष्ट कर लेता है। इससे ज्यादा कुछ नहीं होता ।
प्रेत के मन मे खाने का विचार पैदा होने के बाद क्या होता है ?
दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया कि मरने के बाद इंसान के पास सिर्फ सूचनाओं का ढेर होता है।और जब उसके मन मे कुछ खाने का विचार पैदा होता है तो वह इसके लिए इधर उधर जाता है और खाने की चीजों को तलास करने की कोशिश करता है।
और जब वे उसे नहीं मिलती हैं तो उसकी स्थिति बहुत खराब हो जाती है।वह अपनी खुद की विचार शक्ति से बहुत अधिक अस्थिर हो जाता है। यह अस्थिरता ही उसकी सबसे बड़ी परेशानी होती है। उसे नहीं पता होता है कि वह इसके बिना भी हर सकता है। आत्मा को इन सब चीजों की आवश्यकता नहीं होती है।यदि हम जीवन मे अपने मन को मारने मे कामयाब हो जाते हैं तो हम प्रेत बन ही नहीं सकते ।
भूत प्रेत खाते क्या है मिठाई के पीछे भूत क्यों आता है ?
आपको बतादें कि हर प्रेत मिठाई के पीछे नहीं आता है। लेकिन अधिकतर प्रेत की मिठाई पहली पसंद होती है।जब कोई रात बेरात मिठाई लेकर घर मे आता है तो उसके पीछे प्रेत लग जाता है। क्योंकि मिठाई देखकर उसका मन कंट्रोल से बाहर हो जाता है। इसी तरह की घटना हमारी मां के साथ घटी थी।
वह देर रात कहीं से मिठाई लेकर आ रही थी तो एक प्रेतनी उसके पीछे लग गई ।उसके बाद क्या था कि मेरी मां को पता चल गया और उस मिठाई को बाहर फेंक दिया ।यहां पर आपको समझ लेना चाहिए कि प्रेत उस मिठाई को खाया नहीं था । सुबह भी वह वहीं पड़ी थी और उसे दूसरे जानवर खा रहे थे । बस प्रेत को वैचारिक संतुष्टी मिल गई थी।
प्रेत जब मिनिरल वॉटर और सगिरेट को मांगने लगे
दोस्तों जैसा कि आपको पता होना चाहिए कि जो इंसान अपने जीवन काल के अंदर जैसा होता है वह मरने के बाद भी वैसा ही होता है। इसी तरह की यह घटना है मिनाली साइड की जिसमे एक लड़के की ट्रेक्टर के नीचे दबकर मौत हो गई।
उसके बाद वह लड़का प्रेत बन गया और राह चलने वाले राहगिरों से मिनिरल बोटल और सिगरेट की मांग करता है।यदि कोई उसे यह सब नहीं देता है तो वह उसको मार देता है। अब उस स्थान पर इन सब चीजों का ढेर लगा हुआ है। और यदि आप बोतलों को देखोगे तो उनमे से एक बूंद पानी भी किसी ने नहीं पिया है।तो आप समझ सकते हैं कि यह प्रेत की एक वैचारिक संतुष्टी ही होती है।
प्रेत का अवचेतन मन सात गुना ताकतवर हो जाता है
दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि प्रेत सिर्फ सूचनाओं के ढेर पर काम करता है।यदि कोई इंसान खाने की इच्छाओं के साथ मरता है तो मरने के बाद यह इच्छा 7 गुना अधिक ताकतवर हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि प्रेत बहुत अधिक अशांत हो जाते हैं। तभी तो हिंदु धर्म के अंदर यह कहा जाता है कि मरने से पहले इंसान का मन भगवान मे लग जाता है तो उसके बाद वह कहीं पर भी भटकता नहीं है।
क्या भूत प्रेत रोटी खाते हैं ?
दोस्तों भूत प्रेत रोटी के प्रति आकर्षित नहीं होते हैं।और वे उसे खाना भी पसंद नहीं करते हैं। इसका कारण यह होता है कि जीवन काल के अंदर वे रोटी को अधिक महत्व नहीं देते हैं। इस वजह से रोटी उनके लिए कोई उपयोगी चीज नहीं रह जाती है। हां यदि कोई मरा हुआ परिजन आपको सपने मे खाना मांगता है तो आपको उसको खाना देना चाहिए । हालांकि यदि आप उसे खाना ना भी देते हैं तो कुछ नहीं होता है। लेकिन दे देते हैं तो उसे कम से कम वैचारिक संतुष्टि अवश्य ही मिल जाती है।
क्या सब भूतों को खाना पसंद होता है ?
नहीं सब भूतों को खाना पसंद नहीं होता है। जो लोग यौन वासना की संतुष्टी नहीं होने की वजह से भूत बने होते हैं उनको कम ही चांस मे खाने की चीजें अच्छी लगती हैं। इस तरह के भूतों को यदि वे पुरूष हैं तो उनको हर सुंदर महिला अच्छी लगती है और वे उसके साथ संबंध बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन शरीर नहीं होने की वजह से वे कुछ नहीं कर पाते हैं।
प्रेत मर चुके हैं तो फिर उनको खाने की क्या आवश्यकता ?
दोस्तों प्रेत दैहिक रूप से तो मर चुके हैं लेकिन मानसिक रूपसे या वैचारिक रूप से वे अभी भी वैसे ही होते हैं जैसे कि वे जीवन काल के अंदर होते हैं।और जो लोग आत्मा जैसी चीजों के अंदर विश्वास नहीं करते हैं। उनकी दशा बहुत ही बुरी होती है।
यदि ऐसे लोग मरने के बाद प्रेत बन जाते हैं तो उनको यही लगता है कि वे अभी जिंदा हैं।उसके बाद वे ठीक वैसा ही करने की कोशिश करते हैं जैसा कि वे जीवन काल के अंदर थे ।जैसे वे रात को सोने की कोशिश कर सकते हैं और खाना खाने की कोशिश कर सकते हैं और भी बहुत कुछ करने की कोशिश कर सकते हैं।
इसके अलावा जब ऐसे प्रेत शहर आदि स्थानों पर जाते हैं तो वे बाजार के अंदर मौजूद मिठाई की दुकानों के आस पास मंडराते हैं।और मिठाई लेने की कोशिश भी करते हैं लेकिन भौतिक शरीर नहीं होने की वजह से वे किसी भी भौतिक चीज को छू नहीं सकते हैं।
बस इसी वजह से वे परेशान हो जाते हैं । यदि आपने अपने जीवन मे मन को सही तरीके से नहीं सुधारा है तो मरने के बाद प्रेत जैसी हालत होती है। तभी तो हिंदु धर्म मे कहा गया है कि मन राम भजा कर । मतलब कि राम नाम ले तभी तेरे बंधन खुलेंगे । प्रेत बनना भी एक प्रकार का बंधन ही तो होता है।
यदि प्रेत नहीं खाएंगे तो क्या होगा ?
दोस्तों जैसा कि हमने आपको बताया प्रेत खाना नहीं खाते हैं।और यदि प्रेत को खाना नहीं भी मिले तो कुछ नहीं होगा । वे दुबारा नहीं मरेंगे । क्योंकि वे पहले ही मर चुके हैं। हिंदु धर्म के अंदर कहा गया है कि आत्मा अजर अमर है।
जो ज्ञानी लोग होत हैं ,वे जानते हैं कि वे यह शरीर नहीं हैं वे तो आत्मा हैं उनको खाने पीने की आवश्यकता नहीं है।वे खुद को हमेशा मन और शरीर से अलग रखते हैं। किंतु जो प्रेत होते हैं वे खुद को आत्मा न समझ कर शरीर समझते हैं। और मरने के बाद यादों की गठरी को लिए हुए भटकते रहते हैं।
क्या प्रेत को प्यास लगती है ?
दोस्तों जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि प्रेत वास्तव मे पानी नहीं पीता है। लेकिन वैचारिक रूप से उसके मन मे पानी पीने का विचार उत्पन्न होता है। और उसके बाद उस विचार की वजह से वह पानी के लिए भटकता है। यदि उसें कहीं पानी दिख जाता है । तो वह मात्र वैचारिक रूप से संतुष्ट हो जाता है। हालांकि कई जगह पर यह भी देखने आया है कि प्रेत उस पानी को खत्म कर देता है।हमारे गांव की एक घटना है। जिसमे एक महिला ने एक पितर को अपने घर पर बैठाया और उसकी पूजा करने लगी ।
कुछ समय बाद प्रेत उस पितर जो एक अच्छी आत्मा थी ,के साथ हो गए और वहां पर रखे पानी को खाली करने लगे ।जब सही से देखा गया तो वह पानी पहले कि तुलना मे तेजी से जमीन के द्वारा सोखा जा रहा था।कई जगह पर प्रेत के द्वारा इस तरह से पानी को पीने की खबरे आती हैं। लेकिन चूंकि प्रेत वायुविय शरीर होता है तो पानी को वास्तव मे पीता नहीं है।
भूत प्रेत क्या खाते हैं ? पौराणकि कहानी
दोस्तों प्रेत के खाने के बारे मे स्कदपुराण के अंदर एक कथा मिलती है।प्राचीन काल की बात है विदुरत नाम के एक राजा थे । एक बार राजा जंगल के अंदर शिकार खैलने के लिए गए थे । वहां पर उन्होंने कई जीवों का शिकार किया था।
लेकिन एक जीव को उन्होंने जब बाण मारा तो वह गिरा नहीं और भागने लगा राजा उसके पीछे भागने लगा । कुछ दूर जाने के बाद वह जीव तो गायब हो गया । और राजा जंगल के अंदर रस्ता भटक गया ।उनका घोड़ा भी राजा का साथ नहीं दे रहा था। राजा प्यास से व्याकूल हो गए ।
उसके बाद राजा घोड़े से उतरे और फिर पैदल ही पानी की तलास मे भटकने लगे ।लेकिन उनको कुछ नहीं मिला और वे भी बेहोश होकर वहीं पर गिर पड़े । उसके बाद जब राजा को होशआया तो राजा ने देखा कि उनके सामने तीन प्रेत खड़े हुए हैं।
उसके बाद राजा ने प्रेतों को बोला …………..तुम कौन हो ? मैं राजा विदूरत हूं ।
उसके बाद एक प्रेत ने कहा …….. महाराज हम तीनों प्रेत हैं और इसी वन मे रहते हैं। अपने कर्मों की वजह से इसी वन मे रहते हैं और दुख उठा रहे हैं। मेरा नाम मांसाद है ,दूसरा विदैवत तीसरा पापकर्मी है।
हम तीनों को अपनी गलतियों के कारण प्रेत योनी की प्राप्ति हुई है।हम तीनों किसी ब्रहा्रमण के घर जन्म लिया था और कभी भी धर्म का पालन नहीं किया । इसके अलावा सदा पराई स्त्री के साथ क्रिडा की है। इसके अलावा सदा मांस का ही भोजन किया है।मैंने सदैव मांस का भोजन किया है। इस वजह से मेरा नाम मासांद नाम पड़ा है। यह दूसरा देवताओं के विपरित चलता था। इसी वजह से इसका नाम विद्वत हुआ है। इसके अलावा इस एक ने दूसरों के साथ सदैव पाप कर्म किया है। इस वजह से इसका नाम पापकर्मी है।
उसके बाद राजा ने पूछा कि सब प्राणी भोजन करते हैं।लेकिन तुम इस जंगल के अंदर रहकर किस तरह से भोजन प्राप्त करते हो ।
उसके बाद प्रेतों ने बताया कि जिस घर के अंदर लड़ाई झगड़ा होता है। उस घर के अंदर प्रेत भोजन करते हैं। इसके अलावा जहां पर साफ सफाई नहीं होती है। घर मे भोग नहीं लगाया जाता है। वहां पर प्रेत भोजन करते हैं।
इस कथा के अंदर कहा गया है कि जो इंसान झगड़ा करते हैं ,चोरी करते हैं और तमाम तरह के गलत काम करते हैं उनके उपर प्रेतों का प्रभाव जल्दी पड़ता है और प्रेत उनकी मदद से अपने मन को संतुष्ट करते हैं।
भूत प्रेत क्या खाते हैं ? लेख के अंदर हमने यह जाना की भूत प्रेत क्या खाते हैं ? जैसा कि आपको पता चल गया कि भूतों को खाने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन वे अपने मन को रोक नहीं पाते हैं। बस इसी लिए भटकते हैं। प्रेतों का सबसे बड़ा दुश्मन उनका मन होता है। जो इंसान अपने जीवन मे मन को सही दिशा नहीं देता है। मरने के बाद वही मन उसके लिए परेशानी का कारण बन जाता है।
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