चाय की पत्ती कैसे बनती है और चाय के प्रकार के बारे मे हम बात करेंगे । चाय के बारे मे हम सभी जानते हैं। चाय को बनाने के लिए पौधे कैमेलिया साइनेंसिस की पतियों का प्रयोग किया जाता है। यह जो अलग अलग प्रकार की चाय हम देखते हैं। यह प्रारम्भ मे एक ही प्रकार की होती है।
और बाद मे इसको गुणवता के हिसाब से अलग अलग कर दिया जाता है। पत्ते से चाय तैयार करने के लिए कई सारी प्रोसेस होती हैं। और अंत मे चाय के स्वाद को बदलने के लिए फ्लेवोनेंट्स के साथ मिश्रित किया जा सकता है। चाय के प्रोसेसिंग के तरीके मे चीन सबसे आगे था और दुनिया ने भी चीन से ही सीखा की चाय को किस तरह से प्रोसेस किया जा सकता है।
चाय के पौधे अलग अलग स्थानों पर लगाने से उनके अंदर अलग अलग स्वाद की भिन्नताएं आ जाती हैं।कैलिफ़ोर्निया में उगाई जाने वाली वाइन अंगूर फ्रांस में उगाई चाय से भिन्न होती है। किसान चाय की संरचना को नियंत्रित करने के लिए अलग अलग स्थानों पर पौधे को लगा सकते हैं।
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चाय की पत्ती कैसे बनती है बताएं
प्रकार की चाय में अलग स्वाद, गंध और दृश्य उपस्थिति होती है, सभी चाय के प्रकारों के लिए चाय प्रसंस्करण में बहुत ही मामूली बदलाव किया जाता है। इसके निर्माण दौरान सावधानीपूर्वक नमी और तापमान नियंत्रण के बिना, चाय पर कवक बढ़ेगा जो चाय को दुषित कर सकता है।
चाय की पत्ती कैसे तैयार की जाती है Plucking
चाय की पत्तियां और फ्लश, जिसमें एक टर्मिनल कली और दो युवा पत्ते शामिल हैं, को कैमेलिया साइनेंसिस झाड़ियों से उठाया जाता है।यह काम वंसत के दौरान या गर्मियों के अंदर वर्ष मे दो बार किया जाता है। चाय के फ्लश की शरद ऋतु या सर्दियों की पिकिंग बहुत कम होती है। हालांकि ऐसा तभी हो सकता है जब जलवायु इसके अनकूल हो ।
चाय के बिनने वाले के पास भी कौसल होना चाहिए ताकि चाय के फ्लश और पत्तों को सही ढंग से उठाया जा सके ।चाय के फ्लश और पत्तों को मशीन के द्वारा भी उठाया जा सकता है।अधिक टूटी हुई पतियों की वजह से चाय की गुणवता कम होती है। चाय को बिनने के लिए अधिकतर महिलाएं कुशल होती हैं। चाय उत्पादक आसाम के अंदर महिलाएं चाय बिनने का काम करती हैं।
Withering
एक बार चाय की पतियों के एकत्रित किये जाने के बाद दूसरी प्रक्रिया Withering शूरू हो जाती है। पत्तियों को तोड़ने के बाद उनमे एंजाइमी ऑक्सीकरण की शूरूआत होती है।पत्तियों के अतिरिक्त पानी को निकालने के लिए विदरिंग का उपयोग किया जाता है जो बहुत कम मात्रा में ऑक्सीकरण की अनुमति देता है।
पत्तियों से नमी को बाहर निकालने के लिए या तो सूर्य की धूप के अंदर रखा जाता है या उनको किसी कमरे के अंदर रखकर सूखाया जाता है।इसके अलावा चाय की पत्तियों को सूखाने के लिए बांस की चटाई पर भी रखा जा सकता है।आधुनिक किसान इस काम को बहुत ही बेहतर ढंग से कर सकते हैं। वे नमी और तापमान को आसानी से नियंत्रित करते हैं।
पत्तियों के सूखने के का समय वहां के वातावरण पर निर्भर करता है। सूखने के बाद चाय की पत्तियां अपने वजन का कुछ भाग खो देती हैं। और इनके स्वाद के अंदर भी बदलाव आता है।यह प्रक्रिया पत्ते के प्रोटीन को मुक्त अमीनो एसिड में तोड़ने को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण है और मुक्त कैफीन की उपलब्धता को बढ़ाती है।
लीफ मैकरेशन
लीफ मैकरेशन को विघटन के नाम से भी जाना जाता है। चाय के पत्तियों मे ऑक्सीकरण को बढ़ावा देने के लिए उनका विघटन किया जाता है। मतलब चाय की पत्तियों को तोड़ा जाता है। आपने देखा होगा कि चाय की पत्ती तोड़ी हुई आती हैं।
इसके लिए बांस की टोकरी के अंदर दबाकर या किसी बर्तन मे दबाकर इनके किनारों को काट दिया जाता है।चोट लगने से पत्तियों के अंदर और बाहर की संरचनाएं टूट जाती हैं और इससे कुछ पत्तों का रस भी निकलता है, जो ऑक्सीकरण में मदद कर सकता है और चाय के स्वाद प्रोफाइल को बदल देता है।
ऑक्सीकरण Oxidation
चाय के लिए ऑक्सीकरण की बहुत अधिक आवश्यकता होती है।इसके लिए चाय को एक जलवायु नियंत्रित कमरे के अंदर छोड़ दिया जाता है।इस प्रक्रिया में पत्तियों में मौजूद क्लोरोफिल को रासायनिक रूप से तोड़ा जाता है। हर चाय के प्रकार के अंदर ऑक्सिकरण अलग अलग होता है। कुछ चाय ऐसी होती हैं। जिसके अंदर बहुत अधिक ऑक्सीकरण की आवश्यकता होती है। जबकि कुछ ऐसी होती हैं।जिनके अंदर कम ऑक्सीकरण की आवश्यकता होती है।
हल्के ऊलॉन्ग टी के लिए यह 5-40% ऑक्सीकरण से कहीं भी हो सकता है, गहरे ऊलॉन्ग टी में 60-70%, और काले चाय में 100% ऑक्सीकरण होता है। चाय के स्वाद और सुगंध के निर्माण के लिए ऑक्सीकरण बहुत अधिक उपयुक्त है।
Fixation / kill-green
चाय पत्ती ऑक्सीकरण को रोकने के लिए इस प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है।इस प्रक्रिया के अंदर चाय की पत्तियों को अच्छी तरह से गर्म किया जाता है और उसकी ऑक्सीडेटिव एंजाइमों को निष्कि्रय कर दिया जाता है। चाय के स्वाद को नुकसान पहुंचाए बिना इसके अंदर मौजूद बेकार की चीजों को हटा दिया जाता है।हालांकि अब तकनीक प्रगति कर चुकी है तो इसी प्रक्रिया को रोलिंग ड्रम में बेकिंग या “पैनिंग के रूप मे किया जाता है।
स्वाल्टरिंग / पीलापन
किल-ग्रीन की प्रोसेस पूरी हो जाने के बाद चाय नम चाय को एक कंटेनर के अंदर हल्के से गर्म किया जाता है। जिसकी वजह से पत्तियां पीली हो जाती हैं।उसके बाद चाय को मधुर और अच्छे स्वाद के लिए अमीनो एसिड और पॉलीफेनॉल के रसायनिक परिवर्तन से गुजारा जाता है।
रोलिंग
नम चाय की पत्तियां फिर हाथ से या रोलिंग मशीन का उपयोग करके झुर्रियों वाली स्ट्रिप्स में बनाई जाती हैं,मतलब चाय की पत्तियों को अलग अलग आकार के अंदर ढाला जाता है।सर्पिल में लुढ़का हुआ, गूंधा हुआ और छर्रों मे ,गेंदों के आकार के अंदर चाय की पत्तियों को ढाला जा सकता है।
चाय की पत्ती कैसे बनती है Drying
उसके बाद चाय को सूखाने के लिए बेकिंग का प्रयोग किया जाता है।चाय को बहुत सावधानी से सुखाया जाता है क्योंकि सही से नहीं सूखाने से चाय के अंदर अनेक प्रकार के रसायनिक बदलाव हो सकते हैं जो चाय के स्वाद को प्रभावित कर सकते हैं।
इस प्रोसेस करने की हमेशा आवश्यकता नहीं होती है।लेकिन चाय की उम्र बढ़ाने के लिए यह तरीका बहुत अधिक बढ़िया होता है। ग्रीन टी पुएर चाय का स्वाद आमतौर पर कड़वा होता है । लेकिन समय बीतने के बाद इस चाय का स्वाद बदल जाता है। और यह मीठी और मधुर हो जाती है।
Sorting
चाय के अंदर मौजूत चाय के पत्ते के फालतू अशुद्धियों को हटाने को छंटाई कहते हैं। छंटाई या तो हाथों से की जाती है लेकिन अब इसके लिए मशीनों का ही प्रयोग किया जाता है।जिससे काम बहुत जल्दी हो जाता है।टी कलर सॉर्टर जैसी मशीनों का प्रयोग चाय की छंटाई के लिए किया जाता है।
चाय के प्रकार
दोस्तों लगभग सभी प्रकार की चाय को इन्हीं उपर दी हुई विधि की मदद से बनाया जाता है।आज दुनिया के अंदर पानी के बाद चाय सबसे ज्यादा पीया जाने वाला पे है।इसकी 3,000 से अधिक किस्में होती हैं। जिनकी खेती की जाती है।तो आइए हम जान लेते हैं कि चाय कितनी प्रकार की होती है और उसके बारे मे कुछ संक्षिप्त जानकारी ।मुख्य रूप से चाय को 6 भागों के अंदर बांटा गया है।
काली चाय Black Tea
काली चाय की सबसे बड़ी खास बात यह होती है कि इसका 100 प्रतिशम ऑक्सीकरण होता है। कभी कभी इसको गलत तरीके से सूखा लिया जाता है जिसको किण्वन कहा जाता है।ऑक्सीकरण पूर्ण हो जाने के बाद चाय की पत्ती का पानी बाहर निकल जाता है और इसका रंग काले और भूरे रंग का हो जाता है।यह काफी स्पष्ट और मजूबत स्वाद के साथ आती है। इसके अंदर कैफीन सामग्री काफी अधिक होती है।
पीली चाय Yellow Tea
पीली चाय का स्वाद हरे रंग की चाय के समान ही होता है। लेकिन इस रंग अलग होता है। हरे रंग की चाय को जब धीमी गति से सूखाया जाता है तो इसका रंग पीला हो जाता है।ऑक्सीकरण की एक विशेष प्रक्रिया का इसके अंदर प्रयोग किया जाता है। ओलोंग न तो एक काली चाय है और न ही एक हरी चाय है लेकिन यह काली चाय और हरी चाय के बीच की विशेषताओं के अंदर आती है।
पुअर चाय Puer Tea
लिनकांग, ज़िशुआंगबना, और पुएर के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्रों से लाई जाती हैं।यह चाय मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है शेंग पुअर और शू पुअर।इस चाय को बनाने के लिए असमिका पत्ती का ही प्रयोग किया जाता है।शेंग प्यूर एक साधारण गैर-ऑक्सीकृत चाय है।शू पयार एक शेंग पुअर के रूप में शुरू होता है, लेकिन इसको त्वरित पोस्ट किण्वन के माध्यम से बनाया जाता है।
Puer Tea आमतौर पर दो चरणों के माध्यम से बनाया जाता है। सबसे पहले, ऑक्सीकरण को रोकने के लिए सभी पत्तियों को मोटे तौर पर मोचा में संसाधित किया जाता है। वहाँ से इसे आगे किण्वन द्वारा संसाधित किया जा सकता है, या सीधे पैक करने के लिए भेजा जा सकता है।
ऊलौंग चाय Oolong Tea
ओलोंग चाय को एक आंशिक ऑक्सीकरण की प्रक्रिया से गुजारा जाता है।इस चाय के अंदर हरी चाय और काली चाय के बीच का कैफिन होता है।यह चाय काफी सुगंधित होती है।इसकी तुलना ताजे फल और फूलों से की जाती है। यह काफी अच्छी चाय होती है। काली चाय को प्रसंस्करण के दौरान पूरी तरह से ऑक्सीकरण किया जा सकता है। अक्सर इसे आंशिक रूप से ऑक्सीकृत चाय के रूप में जाना जाता है। ओलोंग में ऑक्सीकरण का स्तर 8% से 80% तक होता है।
चीन और ताइवान में सबसे प्रसिद्ध ऊलोंग चाय का उदभव हुआ है, आज दुनिया के अन्य हिस्सों में ऊलोंग की विभिन्न शैलियों को बनाया जा रहा है। भारत, श्रीलंका, जापान, थाईलैंड और न्यूज़ीलैंड ऐसे कुछ ही देश हैं जो दुनिया के कुछ ओलोंग चाय का उत्पादन करते हैं।
डार्क चाय
डार्क चाय चीन के हुनान प्रांत की है।किण्वित चाय जिसे डार्क कहते हैं यह चाय का एक वर्ग है जिसमें कई महीनों से लेकर कई वर्षों तक माइक्रोबियल किण्वन होता है। प्रक्रिया के दौरान चाय की पत्तियों को नमी और ऑक्सीजन के संपर्क में लाने से एंडो-ऑक्सीकरण और एक्सो-ऑक्सीकरण का कारण बनता है।
इस प्रकार, चीन भर में उत्पादित विभिन्न प्रकार की किण्वित चाय को भी काली चाय के रूप में जाना जाता हैसबसे प्रसिद्ध किण्वित चाय कोम्बुचा है जो अक्सर होमब्रेव्ड, पु-एर्ह, युन्नान प्रांत में बनाई जाती है।
चाय की किण्वन चाय के रसायनिकता को बदल देती है।किण्वन चाय की गंध और स्वाद को प्रभावित करता है।अधिकांश किण्वित चाय चीन में पैदा की जाती हैं, लेकिन जापान में कई किस्मों का उत्पादन होता है। । शान स्टेट, म्यांमार में, लेहपेट किण्वित चाय के नाम हैं। जिसे सब्जी के रूप में खाया जाता है, और इसी तरह के मसालेदार चाय उत्तरी थाईलैंड और दक्षिणी युन्नान में भी खाने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
Green Tea
ग्रीन टी एक प्रकार की चाय है जिसे कैमेलिया साइनेंसिस के पत्तों और कलियों से इसको तैयार किया जाता है।ऑक्सीकरण प्रक्रिया से इस चाय को नहीं गुजारा जाता है। इसका प्रयोग औलोंग चाय और काली चाय बनाने के लिए किया जाता है।
ग्रीन टी की उत्पत्ति चीन में हुई थी।नियमित रूप से ग्री टी का सेवन करने से अनेक प्रकार के फायदे होते हैं। हालांकि अभी तक इस बारे मे नहीं पता चला है कि ग्री टी के सेवन करने से क्या नुकसान होते हैं ?
White Tea
सफेद चाय को नाजुक किस्मों के अंदर यह सबसे एक माना जाता है।यह बहुत कम बदलाव होती है।चाय के पौधे की पत्तियों को पूरी तरह से खोलने से पहले सफेद चाय काटा जाता है। सफेद चाय प्राक्रतिक मिठास और सूक्ष्मता और जटिलता के लिए जानी जाती है।अधिक समय तक खड़ी रहने और तापमान अधिक होने से यह कम मात्रा मे कैफीन देती है।
चाय की पत्ती कैसे बनती है ? लेख के अंदर हमने चाय बनाने की प्रोसेसिंग के बारे मे विस्तार से जाना । दोस्तों चाय को बनाने के लिए कई स्टेप्स का प्रयोग होता है। जिसके बारे मे हमने आपको उपर बताया है। इसके अलावा चाय के अलग अलग प्रकारों के बारे मे बताया गया है। ताकि आप चाय का बिजनेस करते समय यह अच्छी तरह से जान लें कि चाय सिर्फ एक ही प्रकार की नहीं होती है।अलग अलग चाय को बनाने का तरीका भी अलग अलग होता है। आप तरीके को नेट के उपर देख सकते हैं।
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This post was last modified on February 18, 2020