chand par jane ke fayde चांद पर जाने के फायदे जानेंगे ।चांद को वैसे तो आप आकाश के अंदर रोज ही देखते हैं। चांद धरती का एक उपग्रह है , जोकि इसके चारो ओर चक्कर लगाने का काम करता है। यह खुद प्रकाशमान नहीं है। वरन सूर्य के प्रकाश से चमकता है।पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी 384000 किलोमीटर है। यह दूरी पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है।और यदि हम चांद की आयु की बात करें तो यह 4 अरब वर्ष है।और यहां पर धरती की तुलना मे काफी कम गुरूत्वाकर्षण है। और कोई वायुमंडल भी मौजूद नहीं है। हालांकि चंद्रमा पर जीवन भी नहीं है। 1969 में, नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन ने चांद पर कदम रखा। यह मानव इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था। और उसके बाद तो दुनिया भर से कई सारे लोग चंद्रमा पर गए हैं। भारत के अंतरिक्षयान भी चंद्रमा पर जा चुके हैं।
जैसा कि आपको पता ही है कि चंद्रमा पर जाने के अंदर काफी अधिक खर्च आता है।2023 में, भारत के चंद्रयान-3 मिशन का कुल बजट लगभग 615 करोड़ रुपए था। इस बजट में अंतरिक्ष यान, ईंधन की लागत थी। तो इतना जब खर्च आता है , तो चांद पर जाने के कुछ ना कुछ फायदे तो होने ही चाहिए । तो आज के लेख के अंदर हम आपको चांद पर जाने के फायदे के बारे मे विस्तार से बताने वाले हैं। जिससे कि आपको यह पता चलेगा कि चांद पर जाना यूं ही कोई नुकसान का सौदा नहीं है।
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chand par jane ke fayde इसके इतिहास को समझने के लिए
दोस्तों जब तक मानव चांद पर नहीं जाता , तो उसको यह कैसे पता चलता कि चंद्रमा का इतिहास क्या है ? और किस तरह से चंद्रमा बना था । यह सब थ्योरी चांद पर जाने की वजह से ही तो पता चलती है।जैसे कि चांद पर जाने के बाद वैज्ञानिकों ने यह पता किया की
चांद का निर्माण लगभग 4.5 अरब साल पहले हुआ था।और यह एक विशाल ग्रह के टकराने की वजह से हुआ था ।इसके अलावा चांद की संरचना कैसी है ? और किस तरह की वहां पर चट्टाने हैं। ? और गुरूत्वाकर्षण किस तरह का है ? इन सब चीजों के बारे मे यदि आपको जानकारी हाशिल करनी है , तो आपको चांद पर जाना ही होगा । तो चांद पर जाने का पहला फायदा यह है कि चांद के इतिहास को समझने मे हमको काफी हद तक मदद मिलेगी । जब हम चंद्रमा पर जाते हैं , तो इसकी सतह की तस्वीरे लेते हैं ।यहां पर बने गहरे गढ्डों के बारे मे जानकारी हाशिल होती है , किस तरह से यह उल्का पिंड के गिरने की वजह से बने हुए हैं। चंद्रमा की जमीन के अंदर क्या हो सकता है ? यह सब चांद पर जाने की वजह से ही पता चलेगा ।
चांद पर जीवन की संभावनाओं की खोज के लिए
दोस्तों अभी तक चांद पर जीवन है या नहीं है ? इसके बारे मे रिसर्च चल रही है। लेकिन इस तरह की रिसर्च को पूरा करने के लिए चांद पर जाना बहुत अधिक महत्वपूर्ण होता है। बिना चांद पर जाए कुछ हो नहीं सकता है। हालांकि यहां पर कुछ ऐसी चीजें पता चली हैं , जिससे यह लग सकता है कि यहां पर हमारे जैसे जीव नहीं हैं। लेकिन जीवन हो सकता है।
जैसे कि चांद के दक्षिण धुव्र पर जल मौजूद है , तो यह जीवन की पहली जरूरत है।
इसके अलावा चांद के उपर उष्मा भी मौजूद है। सूर्य का ताप यहां पर अच्छा आता है। चांद का वातावरण पतला होने की वजह से सूर्य की गर्मी को अवशोषित नहीं करता है। फिर भी चट्टानों मे गर्मी रह सकती है , जोकि जीवन की संभावना को बढ़ाने का काम करती है।चांद पर कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे कार्बन यौगिक पाए गए हैं। जोकि जीवन के लिए जरूरी चीजें हैं।
हालांकि बहुत सारी बातें हैं , जो यह कहती हैं कि यहां पर जीवन को बनाए रखना काफी अधिक कठिन है। जैसे कि चांद का वायुमंडल काफी अधिक पतला है , जोकि यहां पर नाइट्रोजन और आॅक्सीजन को बनाए नहीं रख सकता है।चंद्रमा पर विकिरण का स्तर पृथ्वी पर विकिरण के स्तर से अधिक है। यह जीवन को नुकसान पहुंचा सकता है।
प्रोटोबयोटिक्स एक खास प्रकार के बैक्टिरिया होते हैं , जिनको जीवन के लिए सभी तरह के घटकों की जरूरत नहीं होती है। तो यह कहा जाता है कि चंद्रमा के अंदर पानी मे यह मौजूद हो सकते हैं।
अमीनो एसिड और न्यूक्लिक एसिड भी जीवन निर्माण के खंड हैं। और इसके बारे मे यह कहा जाता है , कि यह कार्बनिक योगिकों के अंदर मौजूद हो सकते हैं ।
इसके अलावा चांद पर खास प्रकार के पौधे भी मौजूद हो सकते हैं।
इन सब चीजों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए कई तरह के मिशन लांच हुए हैं।
अपोलो मिशन जब चांद पर गया तो यहां पर कुछ रेत के नमुने लेकर आए । जिसके अंदर कार्बनिक यौगिक मौजूद हैं। जिससे पता चलता है कि चंद्रमा पर जीवन हो सकता है।
लूनर एक्सप्लोरर मिशन ने चांद पर विकिरण स्तार का रिसर्च किया है।
तो इस तरह से बहुत सारे रिसर्च हो रहे हैं। जोकि चंद्रमा पर जीवन की संभावनाओं को तलास रहे हैं।
भविष्य मे चांद पर मानव बस्तियां बसाने की संभावनाएं तलासना
दोस्तों भविष्य के अंदर क्या होगा ? और क्या नहीं यह कुछ कहा नहीं जा सकता है। लेकिन चांद पर जाने का हमारा मकसद यह भी है कि हम भविष्य के अंदर चांद पर मानव बस्तियों को बसा सकें । और इस दिशा के अंदर और अधिक रिसर्च चल रही है। वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।नासा का आर्टेमिस मिशन, जिसका लक्ष्य 2025 तक चांद पर स्थायी मानव उपस्थिति स्थापित करना है।
आपको यह भी पता होना चाहिए कि चांद पर बस्तियों को बसाना काफी कठिन कार्य होगा । यह सब इतना आसान नहीं है। क्योंकि चांद पर भोजन, पानी, ऑक्सीजन और ऊर्जा की भारी कमी है।हालांकि चुनौतियों को दूर करने के लिए काफी कुछ किया जा रहा है। चांद पर बस्तियों को दो तरह से बसाया जाएगा । पहले चंद्रमा पर अस्थाई बस्तियों को बसाया जाएगा । जंहा पर सबसे पहले अंतरिक्ष यात्री को रखा जाएगा । जोकि सबसे पहले वहां पर रिसर्च करेंगे । एक बार सारा रिसर्च पूरा हो जाता है , तो फिर चंद्रमा की जमीन को मानवों के लिए खोल दिया जाएगा । और फिर मानव भी चंद्रमा पर बस्तियों को बसा सकेंगे । लेकिन यह इतना आसान नहीं है।
चंद्रमा पर खनन की संभावनाओं की तलास करना
दोस्तों चंद्रमा पर जाने का एक फायदा यह भी है कि यहां पर जाकर वैज्ञानिक खनन की संभावनाओं की तलास करने का काम करते हैं। आपको यह पता होना चाहिए कि चंद्रमा पर कई तरह की कीमती धातु हैं।सोना, प्लेटिनम, टाइटेनियम, यूरेनियम, और हीलियम-3 जैसी धातु मौजूद हैं। और वैज्ञानिक इस दिशा के अंदर काम कर रहे हैं कि इन धातुओं को धरती पर लाया जा सके तो इसकी मदद से काफी अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।
चंद्रमा पर सोने के बहुत ही बड़े भंडार हैं। और वैज्ञानिक रिसर्च से यह पता चला है कि चांद पर से सोने के भंडार काफी गहराई मे फैले हैं।
प्लेटिनम भी एक प्रकार की दुर्लभ धातु है। जिसका प्रयोग इलेक्ट्रोनिक और उधोगों मे किया जाता है। चांद पर इसके भंडार होने के भी अनुमान लगाए गए हैं।
टाइटेनियम एक मजबूत और हल्की धातु है जिसका उपयोग विमान, अंतरिक्ष यान, और चिकित्सा उपकरणों में किया जाता है। और अनुमान के अनुसार इस धातु के भी चंद्रमा पर विशाल भंडार हो सकते हैं ।
यदि इन धातुओं का खनन करने और इनको धरती पर लाने मे वैज्ञानिक सक्षम हो जाते हैं। मतलब एक सस्ते के अंदर यह कर लेते हैं , तो इसकी मदद से वैज्ञानिक लाभ कमा सकते हैं।हालांकि वैज्ञानिकों के लिए यह सब करना इतना आसान नहीं है। इसके अंदर काफी अधिक जोखिम है।
अंतरिक्ष की बेहतर रिसर्च के लिए चंद्रमा की जानकारी जरूरी
दोस्तों चंद्रमा धरती से बाहर की तरफ है। तो वैज्ञानिक चंद्रमा पर किसी तरह अपने निवास को बनाने मे चुटे हुए हैं। क्योंकि उनको यह लगता है कि अंतरिक्ष की समझ को बेहतर करने के लिए उनको पहले चंद्रमा पर अपनी उपस्थिति को बढ़ाना होगा । एक बार वो चंद्रमा पर सेटल हो जाते हैं , तो उसके बाद उनेके लिए अंतरिक्ष मे रिसर्च करना काफी अधिक आसान हो जाएग ।
पृथ्वी पर संकट आने पर चंद्रमा करेगा मदद
दोस्तों आपको पता ही है कि धरती पर समय समय पर बदलाव होते रहते हैं। एक समय यहां पर डायनासोर का राज चलता था लेकिन उसके बाद सारे डायनासोर समाप्त हो गए । अब इंसानों का राज चल रहा है। तो भविष्य के अंदर यदि मानव सभ्यता पर किस तरह का कोई नैचुरल संकट आता है , तो इंसानों के पास रहने के लिए दूसरी जगह होनी चाहिए । तो इन सभी संभावनाओं की तलास करने के लिए इंसान चंद्रमा पर जाता है। जैसे कि क्लाइमेट चेंज हो रहा है , तो धरती पर रहना काफी कठिन हो सकता है। डायनासोर जैसे विशाल जीव की मौत भी क्लाइमेट चेंज की वजह से ही हुई थी। इसी तरह से मोहनजोदड़ों जैसी सभ्यता भी क्लाइमेट चेंज की वजह से नष्ट हो गई । मतलब यही है कि इंसानों की पीढ़ी भविष्य के अंदर तभी बची रह सकती है , जब उनके पास रहने के लिए दूसरा कोई प्लेनेट मौजूद हो ।
चंद्रमा से धरती की रिसर्च करने मे आसानी
दोस्तों चंद्रमा पर जाने का एक फायदा यह भी है। कि वैज्ञानिक इस तरह के तरीके को विकास करना चाहते हैं , जिससे कि वे यदि एक बार चंद्रमा पर सब स्टेशन बना लेते हैं , तो फिर वे वहां से धरती के बारे मे अच्छे से रिसर्च कर सकते हैं। क्योंकि वहां पर से सब कुछ क्लिरियर हो जाता है। तो आपको इन सब चीजों के बारे मे पता होना चाहिए ।
चंद्रमा पर जीवन विकास के प्रयास करना
दोस्तों चंद्रमा पर जाने का एक फायदा यह भी है कि वैज्ञानिक चंद्रमा पर जीवन विकास करने के बारे मे विचार कर रहे हैं। मतलब वे सबसे पहले चंद्रमा के वातावरण का अध्ययन करते हैं और उसके बाद उस वातावरण के अंदर किस तरह के जीवन के रहने की संभावनाएं हैं। इसके बारे मे रिसर्च किया जाता है। एक तरह से कई तरह के प्रयोग करने की दिशा मे वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। इन सब प्रयासों के लिए चंद्रमा पर जाना काफी अधिक जरूरी होता है। चंद्रमा पर मानव जैसे जीवन के रहने से पहले वहां पर बैक्टिरिया और दूसरे छोटे जीवन का विकास होना बहुत ही अधिक जरूरी है। हालांकि अभी इन सब चीजों पर रिसर्च चल रही है।
प्रौद्योगिकी विकास
दोस्तों चद्रमा तक जाने या फिर अंतरिक्ष के अंदर जाने के लिए अभी भी वैज्ञानिकों को इस तरह की तकनीक की जरूरत है , जोकि लंबे समय तक उड़ सके । जैसे कि उड़न तस्तरी हम कह सकते हैं। जोकि बिना किसी समस्या के लंबी यात्रा कर सके । यह सब करना आसान नहीं है। लेकिन वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर जाने के बाद ही पता चलेगा कि रस्ते के अंदर क्या समस्याएं हैं ? और इनके अंदर कैसे बदलाव किया जा सकता है। वैज्ञानिक चाहते हैं कि कोई ऐसी तकनीक बन जाए जोकि प्रकाश की गति से यात्रा करे ताकि वे आसानी से ब्रह्रमांड के रहस्यों को जान सकें । लेकिन यह बहुत अधिक कठिन है।
आर्थिक विकास मे मदद मिलती है
जैसे कि कोई इंसान चंद्रमा पर जाते हैं , और आपको जैसा कि हमने बताया कि वहां पर कई तरह के कीमती धातु मौजूद हैं। और यदि इन कीमती धातु को धरती पर लाया जाता है , तो इससे देश का आर्थिक विकास काफी तेजी से हो सकता है। हालांकि यह एक खर्चिला कार्य होगा । मगर हो सकता है कि भविष्य के अंदर ऐसे यान बनाए जा सकें , जोकि आसानी से वजन को लेकर आ सकें । तो यह फायदे का सौदा हो सकता है।
राष्ट्रीय सम्मान
दोस्तों चंद्रमा पर जाने का एक फायदा यह भी होता है कि इससे सम्मान बढ़ता है। और ऐसे देश जो चंद्रमा पर अपने कदम रख चुके हैं। उनको काफी अधिक सम्मान की नजरों मे देखा जाता है। जैसें कि भारत ने हाल ही मे 2023 मे चंद्रमा पर विक्रम लेंडर की मदद से कदम रखा तो भारत की दुनिया भर मे जय जयकार हुई ।
chand par jane ke fayde के बारे मे जाना और उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आएगा । यदि आपके मन मे कोई सवाल है , तो आप कमेंट मे पूछ सकते हैं।
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This post was last modified on October 17, 2023