chuha katne se kya hota hai चूहे के काटने पर इलाज , चूहे के काटने पर घरेलू उपाय chuha katne ka ilaj दोस्तों आपको बतादें कि चूहे एक बहुत ही बड़ी समस्या होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । चूहे काटने का मतलब यह है कि आपके साथ एक और मुश्बित का जुड़ जाना । दोस्तों घर के अंदर चूहे एक बहुत ही बड़ी समस्या हैं। लगभग हर घर के अंदर आपको चूहे मिल ही जाएंगे । क्योंकि घर मे उनको खाने पीने की चीजें बहुत ही आसानी से मिल जाती हैं तो फिर यह घर के अंदर से जाते नहीं हैं। ऐसा नहीं है कि हम उनको भगाने का प्रयास नहीं करते हैं हम चूहों को भगाने के लिए काफी अधिक प्रयास करते हैं जैसे कि जहर डालते हैं जिसकी वजह से कुछ चूहे तो मर जाते हैं लेकिन उसके बाद भी बहुत सारे चूहे होते हैं जोकि फिर से पैदा होते हैं। हमारे घर के अंदर तो हमेशा से ही चूहे थे और आज भी हैं। हालांकि चूहों के लिए जहर बस कुछ समय के लिए ही काम करता है क्योंकि इनकी आबादी काफी तेजी से बढ़ती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
और कई बार तो घरों के अंदर चूहों की आबादी इतनी अधिक बढ़ जाती है कि पूछो मत और उसके बाद काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह घर की सारी चीजों को दूषित कर देते हैं। इसके बारे मे आप समझ सकते हैं। खैर जो भी हो चूहे घर के अंदर हानिकारक ही होते हैं। और इन चूहों की वजह से घर के अंदर सांप भी आ जाता है जोकि काफी डेंजर हो सकता है। चूहे घर के अंदर गंदगी फैलाते हैं इस तरह से घर के अंदर यदि चूहे हैं तो उनको भगाने का उपाय किये जाने चाहें । खैर यदि आपके घर के अंदर एक बिल्ली है तो उसके बाद आप चूहों को बहुत ही आसानी से भगा सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप बात को समझ सकते हैं। खैर जो भी हो घर के अंदर चूहों का होना आपके लिए फायदेमंद नहीं है। लेकिन हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं। सिवाय घर मे बिल्ली होने के । इसके अलावा चूहों को कंट्रोल करने का और कोई भी तरीका काम नहीं करता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
दोस्तों अब हम आपको बताने वाले हैं कि यदि चूहा काट ले तो क्या हो सकता है। दोस्तों आमतौर पर यदि आप सोते हैं तो उस समय आपको चूहा काट सकता है। यह आपके पैर और उंगलियों पर सबसे अधिक काटने के चांस बन जाते हैं। एक बार मैं जगा हुआ था तभी चूहे ने मेरे उंगली पर काटने की कोशिश की थी हालांकि वह काट नहीं पाया था । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
इसके अलावा कई बार क्या होता है कि जब हम चूहेदानी के अंदर चूहे को छेड़ते हैं तो तब भी चूहा काट लेता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और यदि आप चूहेदान मे मौजूद चूहे को छेड़ रहे हैं तो फिर आपको सावधानी बरतने की जरूरत है।
चूहे के काटने से काफी भयंकर समस्या हो सकती है। इसलिए यदि किसी को चूहे ने काट लिया है तो उसके बाद आपको उसे हल्के मे नहीं लेना चाहिए । क्योंकि चूहे काटने से कई सारे रोग हो सकते हैं। और जितना जल्दी हो सके आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए और आपको डॉक्टर जो निर्देश देता है। उसका पालन करना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा । दोस्तों चूहा काटने पर इन्फेक्सन हो सकता है। और यदि आप समय पर इसका ईलाज नहीं करवाते हैं तो यह पूरे शरीर के अंदर फैल सकता है। और उसके बाद यहां तक हो सकता है कि इंसान की मौत तक हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
सिर्फ इतना ही नहीं है। चूहे के काटने से कई सारे रोग फैल सकते हैं जिसकी लिस्ट बहुत अधिक लंबी है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और यदि नहीं पता है तो हम आपको उस लिस्ट के बारे मे विस्तार से बताने वाले हैं।
हम आपको यही सजेशन देना चाहेंगे कि यदि चूहे ने काट लिया है तो उसके बाद जल्दी से जल्दी डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए यही आपके लिए सही होगा आप समझ सकते हैं।
वैसे तो चूहे इतनी आसानी से नहीं काटते हैं लेकिन वे कई बार काफी अधिक डर जाने की वजह से भी काट लेते हैं जिस स्थान पर इंसान कोई क्रिया करते हैं ।उस स्थान पर चूहे कम ही आते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।बैक्टीरिया और वायरस जो होते हैं वे चूहे की लार के अंदर पाये जाते हैं और जिस स्थान पर चूहों ने काटा है वहां पर टिटनेस हो सकता है। इसके अलावा मरीज को बुखार आ जाता है। इस तरह के कई सारे लक्षण होते हैं जिसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।यदि चूहे के काटने से इन्फेक्सन हो जाता है तो इसका ईलाज एंटीबायोटिक दवाओ से किया जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इस तरह से आप समझ सकते हैं।
यदि आपको चूहे ने हल्के से काटा है तो यह अधिक बड़ा घाव नहीं होता है। लेकिन यदि आपको चूहे ने काफी तेजी से काटा है तो यहां पर गहरा घाव हो सकता है। इसके लिए आपको एक बार अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए । यही आपके लिए सबसे अधिक जरूरी चीज है। इसके बारे मे आपको अच्छे से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
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चूहे के काटने पर इलाज chuha katne ka ilaj
चूहे के काटने पर इलाज की यदि हम बात करें तो इसके लिए आपको अपने डॉक्टर को दिखाना चाहिए । यही बहुत ही जरूरी है। आपको किसी भी तरह के घरेलू उपायों के सहारे नहीं रहना चाहिए । आप समझ सकते हैं। तो आप कुछ समय के लिए घरेलू उपायों का प्रयोग कर सकते हैं जब तक कि आप डॉक्टर के पास नहीं पहुंच जाते हैं। चूहे के काटने से कई बार घातक बीमारियां फैल जाती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
चूहे के काटने पर इलाज पुदीना चूहे के काटने पर घरेलू उपाय
दोस्तों पुदीना के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। पुदीना आपको मार्केट के अंदर मिल जाएगा । यह एक घरेलू नुस्खा है जिसको चूहे के काटने पर आजमाया जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । चूहे के काटने से यह काफी राहत देता है। इसके लिए आपको करना यह होगा कि पुदीने की पतियों को आपको लेकर आना है और उसके बाद आपको उन पतियों को पीस लेना है। फिर उनके रस को जिस स्थान पर चूहे ने काटा है उस स्थान पर लगा लेना है। इससे काफी फायदा होगा और चूहे के काटने वाले स्थान पर जलन और दर्द कम हो जाएगा । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
इसके अलावा यदि चूहे ने काटा है तो उसके बाद आपको चाहिए कि आप पुदीने का रस भी पी सकते हैं। पुदीने का रस आपके लिए काफी फायदेमंद होता है। आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से पता होना चाहिए । आप समझ सकते हैं।
ककड़ी के पत्ते चूहे काटने का ईलाज
दोस्तों ककड़ी के जो पत्ते होते हैं वे भी चूहे काटने का अच्छा ईलाज हैं। इसके बारे मे आपको अच्छे से पता होना चाहिए । ककड़ी के पत्ते शरीर मे विष बनने से रोकते हैं। जब चूहा काट लेता है तो शरीर पर ककड़ी के पत्तों का लेप लगाएं और उसके बाद आप इन पत्तों का काढ़ा बनाकर पी सकते हैं इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।इसके लिए ककड़ी के पत्तों को पानी मे उबालें और जब आधा पानी रह जाए तो उसके बाद आप इसको छान कर पी सकते हैं। यह काफी फायदेमंद होगा और जहर का असर कम करने मे काफी मददगार होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
सनाय के पत्ते चूहे काटने का ईलाज chuha katne se kya hota hai
दोस्तों सनाय एक प्रकार का पौधा होता है। हालांकि यह हर जगहों पर नहीं मिलता है। तो यदि आपके आस पास यह पौधा है तो आप यह प्रयोग कर सकते हैं। आपके लिए यह काफी फायदेमंद हो सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । आप सनाय के पत्तों को सबसे पहले लें आएं और उसके बाद इन पत्तों को अच्छी तरह से पीसें और उसके बाद इनको घाव पर लगालें। ऐसा करने का फायदा यह होगा कि आपका जो घाव है वह ठीक हो जाएगा । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । लेकिन आपको सिर्फ इन पत्तों के भरोशे ही नहीं रहना चाहिए । आपको दूसरा कुछ जुगाड़ भी करना चाहिए । आप समझ सकते हैं।
इसके अलावा आप इसके पत्तों को पीस कर इसका काढ़ा भी बना सकते हैं और उसके बाद पी सकते हैं जिससे कि जहर का असर कम हो जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । आप समझ सकते हैं।
chuha katne se kya hota hai मूली चूहे काटने मे फायदेमंद
दोस्तों आप मूली के बारे मे अच्छी तरह से जानते ही हैं। आपको पता होना चाहिए कि मूली चूहे के काटने मे काफी फायदेमंद होती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और दोस्तों यदि आपको चूहे ने काट लिया है तो उसके बाद आपको एक ताजा मूली लेकर आनी है और उस मूली का रस निकाल कर आपको पीना है। इस तरह से आप मूली के चूर्ण और शहद को मिलाकर भी चाट सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए आप समझ सकते हैं।
और वैसे भी आपको पता ही है कि मूली बहुत ही आसानी से मिल जाती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए आप समझ सकते हैं।
एंटीबायोटिक दवा का उपयोग करना चाहिए
दोस्तों यदि चूहा काट लेता है तो इसके लिए एंटीबायोटिक दवा क्रीम का उपयोग किया जा सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । एंटीबायोटिक दवा आपको आसानी से मार्केट के अंदर मिल जाएगी तो आप इसका यूज कर सकते हैं। और इसका फायदा यह होगा कि यह जहर के असर को कम करने का काम करेगी । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । आप समझ सकते हैं।
चूहे काटने पर शहद का इस्तेमाल करें
दोस्तों यदि आपको चूहा काट लेता है तो उसके लिए आप शहद का इस्तेमाल कर सकते हैं शहद आपके घर के अंदर बहुत ही आसानी से मिल जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । अब आपके दिमाग मे यह आता होगा कि आप शहद का इस्तेमाल किस तरह से कर सकते हैं
आप दिन के अंदर एक चम्मच शहद का सेवन 4 बार करें। ऐसा करने से काफी अधिक फायदा होगा और आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । यह चूहे के काटने जाने पर जहर के असर को कम कर देगा । यही आपके लिए सही होगा ।
चूहे के काटने के लक्षण
दोस्तों यदि चूहा काट लेता है तो उसके बाद आपके अंदर इसके कई सारे लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इन लक्षणों के अंदर कम गम्भीर लक्षणों से लेकर अधिक गम्भीर लक्षण तक प्रकट हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।तो आइए जानते हैं चूहा काटने के लक्षणों के बारे मे।
- दर्द
- लालिमा
- खून बहना
- सिरदर्द
- उल्टी
- दस्त
- बुखार
- ठंड लगना
- मांसपेशियों में दर्द
- गठिया
चूहे के दांत काफी नुकिले होते हैं जिसकी वजह से समस्या यह होती है कि यह आपकी त्वचा के अंदर तक बैठ जाते हैं जिसकी वजह से काफी अधिक समस्या होती है और यह गम्भीर बीमारी को पैदा कर सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए आप समझ सकते हैं।टाइफस (Typhus), लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis), प्लेग और रैट फीवर आदि के जो लक्षण होते हैं वह 10 दिन के भीतर ही प्रकट होने लग जाते हैं । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए आप समझ सकते हैं।
चूहे काटने के बाद क्या करना चाहिए ?
दोस्तों यदि चूहा काट लेता है और उसके बाद आपके दिमाग के अंदर काफी अधिक टेंशन हो जाती है। खैर चूहा काटने के बाद आप कई तरह के उपाय कर सकते हैं। हालांकि यह सभी घरेलू उपाय होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आपको चाहिए कि इन उपायो को करने के बाद डॉक्टर के पास जाना चाहिए यह जरूरी होता है क्योंकि चूहे कई तरह के रोग आपके अंदर फैला सकते हैं। इसलिए डॉक्टर के पास जाना बहुत ही जरूरी होता है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
- यदि चूहे ने काट लिया है और छोटा मोटा भी घाव बन गया है तो उसके आस पास कपड़ा और ज्वैलरी वैगरह है तो उसको हटा देना चाहिए । यही आपके लिए सही होगा क्योंकि सूजन आ सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और बाद मे हटाने मे काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए पहले ही हटाना ठीक रहता है।
- और यदि आप उस घाव को छू रहे हैं तो उससे पहले आपको अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धो लेना चाहिए । यह बहुत ही जरूरी चीज है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । क्योंकि आप यदि आप नहीं धोते हैं तो आपके हाथों से चिपक कर कई तरह के बैक्टिरिया घाव के अंदर जा सकते हैं और बीमारी पैदा कर सकते हैं।
- अब यदि घाव से खून आ रहा है तो आपको चाहिए कि आप घाव को पहले एक सूती कपड़ा लें और अच्छे से बांध लें। जिससे कि खून रूकना बंद हो जाएगा । घाव से यदि खून नहीं बह रहा है तो उसके बाद आपको यह सब करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जैसे कि चूहे ने हल्का सा काट लिया है तो फिर इसकी कोई जरूरत नहीं है।
- घाव पर आमतौर पर कई बार मिट्टी और दूसरे पदार्थ भी लगे रह सकते हैं। और कचरे के अंदर कई तरह के बैक्टिरिया वैगरह पाये जाते हैं तो अपने घाव को अच्छी तरह से साफ करना बहुत ही जरूरी होता है। ताकि किसी तरह का संक्रमण नहीं फैल पाए ।
- आइबुप्रोफेन जैसी कई दवाएं आती हैं जोकि आपको मेडिकल स्टोर पर मिल जाती हैं। आप उनका उपयोग कर सकती हैं जोकि दर्द से राहत देने का काम करता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । इन दवाओं को आप किसी भी मेडिकल स्टोर से बहुत ही आसानी से खरीद सकते हैं।
- इसके अलावा यदि आपके पास एंटिबायोटिक क्रीम है तो ठीक है यदि एंटिबायोटिक क्रीम नहीं है तो आप अपने डॉक्टर के पास जाएंगे तो आपका डॉक्टर इसको लिखकर आपको देखा तो आप इस क्रीम को ला सकते हैं और उसके बाद यूज कर सकते हैं।
चूहे के काटने के बाद परीक्षण
दोस्तों यदि चूहे ने काट लिया है तो उसके बाद आपको एक बार अपने डॉक्टर के पास जाना होता है। और डॉक्टर ही आपको कई तरह की जांच करने के लिए बोलता है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि संक्रमण किसी सूक्ष्म जीव की वजह से हुआ है।
सबसे पहले आपको डॉक्टर खून का टेस्ट करने के लिए कह सकता है। जिससे यह पता चलता है कि यदि सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ रही है तो इसका मतलब यह है कि संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
इसके अलावा एक तरह से पस की जांच भी की जाती है। इसके लिए पस को निकाला जाता है और उसके बाद उसको लेब के अंदर भेजना पड़ता है। जिससे कि यह पता चलता है कि जो संक्रमण है वह किस सूक्ष्म जीव की वजह से हुआ है। और उसके बाद डॉक्टर इसकी दवा देता है ताकि संक्रमण को बहुत ही आसानी से खत्म किया जा सके ।
एमोक्सिसिलिन (Amoxicillin) ,पेनिसिलिन (Penicillin) ,इरीथ्रोमाइसीन (Penicillin)डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) जैसी कुछ दवाएं हैं जोकि चूहे काटने मे काफी उपयोगी होती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
चूहे काटने से होने वाले रोग
दोस्तों चूहे काटने से कई तरह के रोग हो सकते हैं और इस लिस्ट के अंदर बहुत सारे रोगों के नमा आते है यहां पर हम आपको कुछ रोगों के नाम बताने वाले हैं जोकि चूहे के काटने से होते हैं तो आइए जानते हैं कि वे कौन कौनसे रोग हैं जोकि चूहे के काटने से हो सकते हैं।
rat bite fever in hindi
रैट-बाइट फीवर (आरबीएफ) के बारे मे शायद आपने कम ही सुना होगा । यह एक बीमारी होती है जोकि आमतौर पर चूहों के द्धारा अक्सर फैलाई जाती है। और यह दो प्रकार के बैक्टिरिया की वजह से फैलती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।स्ट्रेप्टोबैसिलस मोनिलिफोर्मिस , एकमात्र रिपोर्ट किया गया बैक्टीरिया है जो उत्तरी अमेरिका में आरबीएफ का कारण बनता है
स्पिरिलस माइनस बैक्टिरिया जो होता है वह एशिया के अंदर देखने को मिलता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।यह आमतौर पर सिर्फ चूहों के काटने से ही नहीं फैलती है। यह चूहों के द्धारा दूषित भोजन पानी और मल मूत्र की वजह से भी फैल सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
- बैक्टीरिया ले जाने वाले कृन्तकों के काटने या खरोंच के माध्यम से। बैक्टीरिया सीधे काटने के घाव, खुली त्वचा, या श्लेष्मा झिल्ली जैसे आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।
- और बैक्टिरिया के सीधे घाव के अंदर प्रवेश करने की वजह से भी यह समस्या हो सकती है।
- इसके अलावा इस प्रकार का भोजन का सेवन करना जोकि बैक्टिरिया ले जाने वाले चूहों से संक्रमित हो चुका है। तो इन सब चीजों का ध्यान रखना चाहिए । इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
दोस्तों यदि हम इस बीमारी के लक्षण की बात करें तो इस बीमारी के कई सारे लक्षण हो सकते हैं। और सबसे अच्छी बात यह रहती है कि इसके लक्षण दिखने के तुरंत बाद ही उपचार करने की जरूरत होती है। यदि मामला काफी गम्भीर हो जाता है तो उसके बाद मौत तक हो सकती है।
- बुखार
- उल्टी
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- जोड़ों का दर्द या सूजन (आरबीएफ वाले लगभग 10 में से 5 लोगों को यह होता है)
- दाने (आरबीएफ वाले 4 में से लगभग 3 लोगों में होता है)
संक्रमण होने के 3 से 10 दिन बाद ही इसके लक्षण दिखाई देना शूरू हो जाते हैं ।तो यदि संक्रमण हो चुका है तो उसके बाद आपको अपने डॉक्टर से जितना जल्दी हो सके संपर्क करना चाहिए । यह बहुत ही जरूरी है। वरना काफी अधिक समस्या हो सकती है।
बुखार शुरू होने के 2 से 4 दिनों के भीतर हाथों और पैरों पर दाने दिखाई दे सकते हैं। यह दाने छोटे धक्कों के साथ सपाट, लाल क्षेत्रों जैसा दिखता है
यह उपर जो बताए गए हैं वे तो इसके सामान्य लक्षण होते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । इसके अलावा कई बार जटिलताएं भी काफी अधिक बढ़ जाती हैं। जिसकी वजह से संक्रमण काफी संवेदनशील भागों तक पहुंच सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- शरीर के अंदर फोड़े हो सकते हैं
- जिगर के अंदर संक्रमण हो सकता है।
- दिल के अंदर संक्रमण हो सकता है।
यदि कोई चूहों के संपर्क मे आ जाता है यदि चूहा उसे काटता नहीं है तो उसके बाद यह सही तरह से पता नहीं चल पाता है कि यह रोग हुआ है या नहीं ? जब लक्षण प्रकट होते हैं तो फिर समस्या होती है।
Rat-bite Fever के यदि हम ईलाज की बात करें तो इसका ईलाज एंटिबायोटिक्स दवाओं की मदद से किया जाता है। यदि किसी को इस रोग के लक्षण दिखाई पड़ते हैं तो जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए । और उसके बाद डॉक्टर आपको कुछ दवाएं लिखकर दे सकते हैं आप उन दवाओं का सेवन कर सकते हैं। उसके बाद आपको डॉक्टर जिस तरह से दवा लेना बताता है आपको उसी तरह से दवाओं को लेना चाहिए और इस रोग का समय पर उपचार करवाना बहुत ही जरूरी होता है। यदि आप समय पर उपचार नहीं करवाते हैं तो उसके बाद समस्या काफी अधिक गम्भीर हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
कोई भी व्यक्ति जो आरबीएफ पैदा करने वाले बैक्टीरिया के संपर्क में आता है, उसके बीमार होने का खतरा होता है । और जिनके घर के अंदर मरे हुए या जीवित चूहे होते हैं उनके यहां पर संक्रमण काफी तेजी से फैल सकता है। इसलिए घर के अंदर चूहों को कम करने के बारे मे विचार करना जरूरी है। इसके अलावा घर के अंदर जो खाने पीने की चीजें होती हैं। उनको ढककर रखना बहुत ही जरूरी होता है। वरना चूहे उन सभी चीजों को मल मूत्र से दूषित कर सकते हैं। यह जो संक्रमण होता है वह दो तरह के लोगों के अंदर सबसे अधिक होता है। पहले तरह के लोग जो बच्चे होते हैं उनके अंदर यह काफी तेजी से फैलता है ।
इसका कारण यह है कि उनकी जो प्रतिरक्षा प्रणाली है वह काफी कमजोर होती है। इसकी वजह से संक्रमण काफी तेजी से फैल जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के वयस्क, गर्भवती महिलाएं, या कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाली जिन्हें संक्रमण से लड़ने में कठिनाई होती है उनके अंदर भी यह संक्रमण काफी तेजी से फैल जाता है। इसके अलावा कैंसर और दूसरे किसी भयंकर बीमारी से ग्रस्ति रहने वाले लोगों के अंदर भी यह संक्रमण काफी तेजी से फैलता है।
चूहे से होने वाले रोग हैंटावायरस (Hantavirus)
हंतावायरस का नाम तो आपने अच्छी तरह से सुना ही होगा । और हंतावायरस आमतौर पर एक प्रकार का संक्रमण पैदा कर सकता है। और सबसे बड़ी बात यह है कि यह आजकल दुनिया के अंदर काफी अधिक फैल रहा है। यह चूहों के द्धारा ही फैलता है। और बाद मे इंसानों के द्धारा भी फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
और यह वायरस वैसे तो चूहे के काटने से भी फैल सकता है। लेकिन ऐसा कम ही होता है। यह अक्सर चूहे के मल और मूत्र की मदद से भी फैल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
1 नवंबर, 2012 तक राष्ट्रीय उद्यान सेवा (एनपीएस) ने हाल ही में योसेमाइट नेशनल पार्क का दौरा करने वाले लोगों में हंटवायरस संक्रमण के कुल 10 पुष्ट मामलों की घोषणा की है।इसी तरह के बहुत सारे मामले प्रकाश के अंदर आते रहते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
यदि हम इस वायरस के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं जिसके बारे मे हम बात करने वाले हैं। एचएफआरएस के लक्षण आमतौर पर संक्रामक सामग्री के संपर्क में आने के 1 से 2 सप्ताह के भीतर विकसित होते हैं, लेकिन दुर्लभ मामलों में, उन्हें विकसित होने में 8 सप्ताह तक का समय लग सकता है। प्रारंभिक लक्षण अचानक शुरू होते हैं और इसमें तेज सिरदर्द, पीठ और पेट में दर्द, बुखार, ठंड लगना, मतली और धुंधली दृष्टि शामिल हैं।
क्तियों के चेहरे पर लाली, सूजन या आंखों की लाली, या दाने हो सकते हैं। बाद के लक्षणों में निम्न रक्तचाप, तीव्र आघात, संवहनी रिसाव, और तीव्र गुर्दे की विफलता शामिल हो सकती है । और यदि इसका समय पर कोई उपचार नहीं किया जाता है तो उसके बाद परेशानी काफी गम्भीर हो सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । इसलिए लक्षण दिखने के बाद जितना जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से उपाय करवाना बहुत ही जरूरी होता है।
वैसे आपको बतादें कि यह रोग अधिक घातक नहीं है। और 1 फीसदी लोग ही इसके अंदर मरते हैं। यदि आप इसका समय पर उपचार करवाते हैं तो उसके बाद आपको किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है और आप आसानी से ठीक हो सकते हैं लेकिन यदि आप समय पर उपचार नहीं करवाते हैं तो उसके बाद परेशानी मे पड़ सकते हैं।
2017 में संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में सियोल वायरस का प्रकोप देखने को मिला था।
सीडीसी ने सियोल वायरस संक्रमण के प्रकोप की जांच में स्वास्थ्य अधिकारियों की सहायता की जिसने 17 लोगों को संक्रमित किया और 11 राज्यों में 31 संक्रमित रैटरीज पाए, जिसमें कोलोराडो, जॉर्जिया, इलिनोइस, आयोवा, मिनेसोटा, मिसौरी, पेंसिल्वेनिया, दक्षिण कैरोलिना, टेनेसी, यूटा और विस्कॉन्सिन शामिल थे।
लिम्फोसाइटिक क्रोरियोमेनिनजाइटिस वायरस (LYMPHOCYTIC CHORIOMENINGITIS VIRUS/ LCMV)
दोस्तों आपको बतादें कि यह एक वायरल संक्रमण है जो लिम्फोसाइटिक कोरियोमेनिन्जाइटिस वायरस (एलसीएमवी) के कारण होता है।सन 1933 ई के अंदर इस रोग की पहचान की गई थी। यह खास तौर पर चूहों से फैलता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान आदि देशों के अंदर इस रोग की पहचान की गई है। यह जो रोग होता है वह चूहे के काटने या फिर चूहों के साथ घर मे रहने पर आसानी से फैल जाता है। इस वजह से यदि आपके घर के अंदर चूहें हैं तो फिर आपको अधिक सावधान रहने की जरूरत है। क्योंकि आपको इस तरह के कई रोग चूहे दे सकते हैं।
एलसीएमवी संक्रमण के फैलने की बात करें तो यह सभी चूहों से नहीं फैलता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । यह आमतौर पर पहले से संक्रमित चूहों के बारे मे फैल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।संक्रमित कृन्तकों से ताजा मूत्र, बूंदों, लार या घोंसले के शिकार सामग्री के संपर्क में आने के बाद हो सकता है।
लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि संक्रमण तब होता है जब यह वायरस आंख काना नाक और मुंह से अंदर जाता है। सिर्फ त्वचा के संपर्क मे आने पर किसी भी तरह का संक्रमण नहीं होता है। यदि त्वचा के उपर घाव है तो उसके अंदर से भी यह वायरस शरीर के अंदर घुस सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
एलसीएमवी को आमतौर पर न्यूरोलॉजिकल बीमारी के कारण के रूप में पहचाना जाता है और संक्रमित होने के 8 से 10 दिन के अंदर ही इस रोग के लक्षण प्रकट होते हैं जोकि देखने मे बहुत ही सामान्य होते हैं। इससे पता भी नहीं चल पाता है कि व्यक्ति को कोई रोग है या फिर नहीं है। बुखार, अस्वस्थता, भूख न लगना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, मतली और उल्टी गले मे खराश , सीने मे दर्द जोड़ों के अंदर दर्द आदि समस्याएं दिखाई देने लग जाती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।ठीक होने के कुछ दिनों के बाद, बीमारी का दूसरा चरण हो सकता है। लक्षणों में मेनिन्जाइटिस (बुखार, सिरदर्द, कठोर गर्दन, आदि), एन्सेफलाइटिस (उनींदापन, भ्रम, संवेदी गड़बड़ी, और/या मोटर असामान्यताएं, जैसे पक्षाघात), या मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क और मस्तिष्कावरण दोनों की सूजन) शामिल हो सकते हैं।
यह काफी डेंजर स्थिति होती है। और उसके बाद रीढ़ की हड्डी मे सूजन आ जाती है। और काफी कमजोरी महसूस होती है और लकवा मार सकता है। हालांकि, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के सभी संक्रमणों की तरह, विशेष रूप से एन्सेफलाइटिस, अस्थायी या स्थायी न्यूरोलॉजिकल क्षति संभव है। तंत्रिका बहरापन और गठिया की सूचना मिली है।
इसके अलावा जो गर्भवति महिलाएं होती हैं। उनके अंदर यदि इसका संक्रमण हो जाता है तो बच्चे के अंदर जन्म दोष विकसित हो सकता है।और बच्चे की मौत तक हो सकती है। इसी प्रकार से दूसरी तिमाही के दौरान दृष्टि समस्याएं, मानसिक मंदता और हाइड्रोसेफली जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। इस वजह से यह संक्रमण काफी गम्भीर होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
दोस्तों इस रोग के जोखिम के बारे मे बात करें कि अक्सर किन किन लोगों को इस रोग से काफी अधिक खतरा रहता है तो इसके उपर हम बात कर लेते हैं। असल मे जो लोग चूहों के मल मूत्र और उनके संपर्क मे आते हैं उनको इस तरह के संक्रमण से काफी अधिक खतरा होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इसके अलावा यदि आपके घर के अंदर चूहे रहते हैं तो आपके घर मे भी संक्रमण का खतरा काफी अधिक हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
लेब के अंदर जो लोग चूहों पर काम कर रहे हैं उनके यहां पर भी संक्रमण का काफी अधिक खतरा हो जाता है। इससे बचने के लिए आपको चाहिए कि आप एक बार अपने सुरक्षा के लिए उचित साधन का प्रयोग करें । यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा और आप समझ सकते हैं।
सड़न रोकनेवाला मैनिंजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, या मेनिंगोएन्सेफलाइटिस को गंभीरता के आधार पर अस्पताल में भर्ती और सहायक उपचार की आवश्यकता होती है। और इस रोग का उपचार करने के लिए कुछ दवाओं का प्रयोग किया जाता है जोकि काफी फायदेमंद होती हैं और यदि इनका सेवन नियमित डॉक्टर के परामर्श से किया जाता है तो समस्या से कुछ हद तक छूटकारा पाया जा सकता है। लेकिन दवा का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । यही फायदेमंद रहेगा ताकि दवा का सेवन करने पर किसी तरह का नुकसान ना हो ।
अब दोस्तों यदि आप इस रोग से बचना चाहते हैं तो आपको कुछ सावधानियों को बरतना होगा । और तो आइए जानते हैं कि आप क्या कुछ कदम उठा सकते हैं जिसकी मदद से आप चूहों के द्धारा फैलाये जाने वाले इस रोग से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं।
- यदि आपने अपने घर के अंदर एक चूहा पाल रखा है तो आपको चाहिए कि आप उस चूहे को सही से रखें। वह बाहर के चूहों से नहीं मिल पाए । यदि वह बाहर के चूहों से मिल जाता है तो बाहर के चूहों के अंदर मौजूद संक्रमण उस चूहे से होते हुए आप तक फैल सकता है।इस वजह से आपको सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
- स्टील वूल, लैथ मेटल, या कौल्क के साथ कृंतक प्रवेश छेद या अंतराल को सील करें।आमतौर पर चूहे कई तरह के छेद बना लेते हैं जिससे कि वे घर के अंदर आते जाते रहते हैं तो इस तरह के अंतराल को बंद करना बहुत जरूरी है ताकि चूहे के आने का सिल सिला रूक जाए ।
- स्नैप ट्रैप का उपयोग आप कर सकते हैं और उसके बाद उसकी मदद से चूहों को पकड़ सकते हैं। और उसके बाद उनको घर से बाहर का रस्ता दिखा सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- रबर, लेटेक्स, विनाइल या नाइट्राइल दस्ताने आप पहन सकते हैं। और उसके बाद जहां पर चूहे घूमते हैं उन क्षेत्रों की अच्छे से साफ सफाई करना बहुत ही जरूरी हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।ताकि सभी तरह के वायरस और कीटाणू आसानी से मर जाएं आप समझ सकते हैं।
- ब्लीच के घोल से आप उन सभी परतों को साफ कर सकते हैं जहां पर चूहे आते जाते रहते हैं। इससे कीटाणू नष्ट हो जाते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और घर साफ सुथरा रहता है।
- मृत कृन्तकों को कीटाणुनाशक से स्प्रे करें और फिर सभी सफाई सामग्री के साथ डबल बैग और उचित अपशिष्ट निपटान प्रणाली में बैग को बाहर फेंक दें।
- पूरी तरह से साफ सफाई करने के बाद आपको चाहिए कि आप अपने दस्तानों को हटा दें और अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन से साफ करें । और उसके बाद ही कोई दूसरा काम करें । यह सब करने से संक्रमण के फैलने के चांस काफी कम हो जाते हैं आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
टूलेरिमिया (tularemia)
tularemia एक प्रकार की बीमारी होती है जोकि खरगोश और चूहों से सबसे अधिक फैलती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।इसके प्रकोप की वजह से जानवर बड़ी संख्या के अंदर मर सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- टिक और हिरण मक्खी के काटने
- संक्रमित जानवरों के साथ त्वचा का संपर्क
- दूषित पानी पीना
- दूषित एरोसोल या कृषि और भूनिर्माण धूल में श्वास लेना
इन सभी चीजों की वजह से संक्रमण फैल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और उसके बाद हर इंसान के अंदर इनके संक्रमण के लक्षण अलग अलग हो सकते हैं जिसकी वजह से संक्रमण की पहचान करना बहुत ही कठिन हो सकता है। आप यदि इस रोग से बचना चाहते हैं तो आपको कुछ सावधानियों का सहारा लेना होगा तभी आपके लिए कुछ फायदेमंद होगा आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । नहीं तो आपके लिए कुछ भी फायदेमंद नहीं होने वाला है।
टुलारेमिया का जो जीवाणु होता है वह काफी संक्रामक होता है यह आंखों फेफड़ों और नाक मुंह से आसानी से शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है। और उसके बाद रोग फैला सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।और इस संक्रमण के जो लक्षण होते हैं वे प्रवेश मार्ग के आधार पर अलग अलग बताएं गए हैं।
- टिक और हिरण मक्खी के काटने से अमेरिका के अंदर यह सबसे अधिक संक्रमण फैलता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- इसके अलावा जब आप किसी संक्रमित जानवर को सम्भालते हैं तो यह आपकी त्वचा के अंदर भी प्रवेश कर सकता है। और आपको इसका पता भी नहीं चल पाएगा ।खरगोशों, कस्तूरी, प्रेयरी कुत्तों और अन्य कृन्तकों का शिकार या उनकी खाल उतारी जाती है
- इसके अलावा बिल्ली जो होती हैं वे इस जीवाणू के प्रति काफी संवेदनशील होती हैं। और आसानी से वह इस संक्रमण को इंसानों के अंदर फैला सकती हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आप भी एक फालतू बिल्ली को पालते हैं तो उसके बाद आपको काफी सावधान रहने की जरूरत है।
- इसके अलावा यदि आप किसी मरे हुए जानवर को सम्भालते हैं तो उसकी वजह से भी यह रोग हो सकता है और आपको मरे हुए जानवर को सम्भालने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ कर देना चाहिए । यही आपके लिए काफी फायदेमंद होगा और आप समझ सकते हैं।
- टुलारेन्सिस बैक्टीरिया से दूषित धूल या एरोसोल में सांस लेने से टुलारेमिया प्राप्त कर सकते हैं।जब आप खेत को जोत रहे होते हैं तो मशीन संक्रमित जानवरों के शवों पर चलती है तो भी सांस के साथ इसका जीवाणू आपके शरीर के अंदर प्रवेश कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
टुलारेमिया के लक्षण की यदि हम बात करें तो यह बीमारी हल्के असर से लेकर मौत तक का कारण बन सकती है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।और इसके अंदर आपको बुखार भी हो सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- अल्सरोग्लैंडुलर यह टुलारेमिया का सबसे आम रूप है और आमतौर पर एक टिक या हिरण मक्खी के काटने या संक्रमित होता है। इसके अंदर त्वचा पर अल्सर दिखाई देता है जहां से बैक्टिरिया ने प्रवेश किया है। और उसके आस पास सूजन भी आ सकता है।
- ग्लैंडुलर अल्सरोग्लैंडुलर टुलारेमिया के समान लेकिन बिना अल्सर के। इसके अलावा आम तौर पर एक संक्रमित टिक या हिरण मक्खी के काटने या बीमार या मृत जानवरों को संभालने से प्राप्त होता है।
- Oculoglandular के अंदर बैक्टिरिया आंख के माध्यम से प्रवेश कर जाता है। जिसकी वजह से संक्रमण और सूजन आ जाता है। और आंख के अंदर जलन आदि भी देखने को मिलती है। ऐसी स्थिति के अंदर आपको डॉक्टर को दिखाया जाना चाहिए । यही सही रहता है।
- न्यूमोनिक भी एक प्रकार की काफी गम्भीर समस्या है और यदि इसका समय पर उपचार नहीं किया जाता है तो उसके बाद नुकसान हो सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।और यदि इसको अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो उसके बाद यह फेफड़ों के अंदर फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
तुलारेमिया के यदि हम निदान की बात करते हैं तो इसका निदान करना बहुत ही कठिन होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।क्योंकि इसके लक्षणों का कई बार पता ही नहीं चल पाता है। इस वजह से निदान करना आसान कार्य नहीं होता है। आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
एंटीबायोटिक्स में स्ट्रेप्टोमाइसिन, जेंटामाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन इस रोग के उपचार के लिए दी जाती हैं। और सबसे बड़ी बात यह है कि इसके उपचार करने के बाद अधिकांश मामलों मे रोगी आसानी से ठीक हो जाता है। और मौत काफी कम ही होती है।
उपचार आमतौर पर बीमारी के चरण और उपयोग की जाने वाली दवा के आधार पर 10 से 21 दिनों तक रहता है। हालांकि लक्षण कई हफ्तों तक रह सकते हैं, अधिकांश रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।
साल्मोनेला (salmonella)
कई चूहों के पाचन तंत्र में साल्मोनेला नामक बैक्टीरिया होता है और जब चूहे किसी भोजन को अपने मल और मूत्र से दुषित कर देते हैं और इंसान उसको सेवन कर लेते हैं तो उसके बाद यह रोग काफी तेजी से फैलता है। हालांकि चूहे इसका एक कारण नहीं है। इसके अलावा भी बहुत सारे कारण हैं जिसकी वजह से साल्मोनेला रोग काफी तेजी से फैलता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।और यह संक्रमण जब हो जाता है तो इसकी वजह से इंसान सूंघ नहीं सकता है और खाने पीने की चीजों का स्वाद नहीं ले सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
इन जीवाणुओं से होने वाली बीमारी को आधिकारिक तौर पर साल्मोनेलोसिस कहा जाता है। यह आपके पेट की ख़राबी , दस्त , बुखार और आपके पेट में दर्द और ऐंठन पैदा कर सकता है। हालांकि इस रोग के जो लक्षण होते हैं वे काफी कम ही गम्भीर होते हैं। और अधिकांश केस के अंदर यह रोग घर पर ही अपने आप 7 से 10 दिन के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
साल्मोनेला संक्रमण बहुत आम हैं। जब लोग फ़ूड पॉइज़निंग का उल्लेख करते हैं, तो वे आमतौर पर साल्मोनेला के बारे में बात कर रहे होते हैं । और दुनिया भर के अंदर इसके लाखों मामले सामने आते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।और इसके अंदर अस्पताल मे जाने की जरूरत उतनी नहीं होती है। और यह जो रोग होता है।
यह सर्दी के अंदर उतना अधिक नहीं फैलता है। वरन गर्मी मे काफी तेजी से फैलता है। इसका कारण यह है कि इसका जो रोगाणू होता है वह गर्मी के अंदर बढ़ने के लिए अनुकूल होता है। सर्दी मे बढ़ने के लिए अनुकूल नहीं होता है।
साल्मोनेला के फैलने के कारणों पर बात करें तो इसके कई सारे कारण हो सकते हैं। जिसकी वजह से यह रोग काफी तेजी से फैलता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- चिकन, टर्की, बत्तख, बीफ, वील और पोर्क आदि को यदि आप कच्चा खाते हैं या आप इनको सही तरह से पकाकर नहीं खाते हैं तो उसकी वजह से भी यह रोग फैल सकता है। तो आपको सभी तरह के मांस को पका कर ही ,खाना चाहिए । यही आपके लिए सबसे अधिक सही होगा और आप समझ सकते हैं।
- इसके अलावा जो कच्चे फल और सब्जी होती है। उसकी वजह से भी यह रोग फैल सकता है। अक्सर हम यह गलती करते हैं कि कच्चे फल और सब्जी को बिना धोकर खा लेते हैं। बाजार से लाकर खाने लगते हैं जिसकी वजह से हम साल्मोनेला जैसे रोग के शिकार बहुत ही आसानी से हो जाते हैं।
- इसके अलावा जो कच्चे अंडे होते हैं उसकी वजह से भी यह रोग फैल सकता है। अक्सर कई लोग अंडों को सही से पकाकर नहीं खाते हैं और उसके वजह से वे इस रोग के शिकार बन जाते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- इसके अलावा यदि चूहे के द्धारा दूषित भोजन का आप सेवन करते हैं तो उसकी वजह से भी यह रोग फैल सकता है। इसके बारे मे हम आपको अच्छी तरह से बता ही चुके हैं। तो आपको चाहिए कि आप अपने खाने पीने की चीजों को ढक कर रखें यही आपके लिए सही होगा ।
- इसके अलावा कुछ लोगों की यह आदत होती है कि वे बाथरूम का प्रयोग करने के बाद याद बच्चों की डायपर का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को ठीक तरह से नहीं धो पाते हैं। जिसकी वजह से यह संक्रमण फैल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- पालतू जानवर की वजह से भी यह रोग फैल सकता है। जैसे कि आपके घर के अंदर कुत्ता बिल्ली जैसे जानवर हैं तो वे भी इस रोग को फैला सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और आप समझ सकते हैं।
साल्मोनेला जोखिम कारक की बात करें तो दोस्तों यह जो बीमारी होती है वह 5 साल से कम उम्र के बच्चों को होने की संभावना अधिक होती है क्योंकि उनकी जो प्रतिरक्षा प्रणाली है वह काफी अच्छी नहीं होती है। इसके अलावा जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी अधिक कमजोर हो गई है। उनको भी यह बीमारी होने की संभावना काफी अधिक बढ़ गई है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
साल्मोनेला तब हो सकता है जब आप किसी खराब और दूषित स्थानों की यात्रा करते हैं तो इसकी वजह से संक्रमण काफी अधिक फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
इसके अलावा यदि आप कैंसर रोधी दवाएं ले रहे हैं तो उसकी वजह से भी आपके शरीर के अंदर संक्रमण फैल सकता है क्योंकि यह प्रतिरक्षा प्रणाली को काफी अधिक कमजोर बना सकते हैं। इसके अलावा एंटिबॉटिक्स दवाएं यदि आप अधिक मात्रा मे ले रहे हैं तो भी संक्रमण काफी तेजी से फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
साल्मोनेला के लक्षणों की बात करें तो इसके कई सारे लक्षण होते हैं जिसकी वजह से आप इनको बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । तो आइए जानते हैं साल्मोनेला के लक्षणों के बारे मे विस्तार से ।
- आपके पेट में ऐंठन
- खूनी शौच
- दस्त
- ठंड और ठंड लगना
- बुखार
- सिरदर्द
- पेट की ख़राबी
- फेंक रहा
आमतौर पर यह जो लक्षण होते हैं वे संक्रमण के 72 के बाद ही शूरू हो जाते हैं और लगभग एक सप्ताह तक बने रह सकते हैं। आप इसके बारे मे अपने डॉक्टर को भी दिखा सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
वैसे तो दोस्तों यह जो रोग होता है वह अधिकांश केस मे अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन यदि किसी वजह से इस रोग को एक सप्ताह से अधिक बीत जाता है तो उसके बाद आपको एक बार अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए और डॉक्टर जो निर्देश देता है आपको उसका पालन करना चाहिए ।
वयस्क और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले जो लोग होते हैं उनके अंदर यह संक्रमण फैलने का खतरा काफी अधिक होता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- खूनी शौच
- चल रहा तेज बुखार
- निर्जलीकरण
- शुष्क और धंसी हुई आंखें
यह सभी लक्षण यदि आपको दिखाई देते हैं तो उसके बाद आपको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और हो सके तो इससे पहले ही आप संपर्क कर सकते हैं जिससे कि यह परेशानी आए ही नहीं ।
साल्मोनेला संक्रमण वैसे तो घातक नहीं होता है। लेकिन कई बार यह काफी अधिक घातक साबित हो सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।जैसे पेशाब मे दर्द होना खुजली होना और आंखों के अंदर जलन होना आदि हो सकते हैं।
यदि साल्मोनेला संक्रमण आपके रक्त में चला जाता है तो उसके बाद शरीर के अन्य भाग भी इसकी वजह से संक्रमित हो सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और उसके बाद इसका ईलाज और ही अधिक कठिन हो जाता है।
- साल्मोनेला निदान के लिए यदि आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर आपका रक्त परीक्षण कर सकता है यह पता लगाने के लिए आपको किस तरह के बैक्टिरिया की समस्या है ? और उसके बाद ही आगे की दवा देने के लिए काम करता है। तो यदि आपको समस्याअ धिक महसूस हो रही है तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करना बहुत ही जरूरी है और आप समझ ही गए होंगे ।
- यदि आपको दस्त है तो फिर आपको डॉक्टर बहुत सारा तरल पदार्थ को पीने की सलाह दे सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।जिससे शरीर के अंदर पानी की कमी नहीं होगी ।
- एंटीबायोटिक्स दवाएं भी आपका डॉक्टर आपको लिखकर दे सकता है। जिससे कि किसी भी तरह की समस्याएं नहीं होगी ।
- आपके बच्चे में एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली है , तो डॉक्टर संक्रमण को अपना काम करने दे सकते हैं। यदि उन्हें तेज बुखार है, तो आप एसिटामिनोफेन देना चाह सकते हैं ।
- इसके अलावा जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो चुकी है उनको एंटिबायोटिक्स दवाओं के अलावा और कोई चारा नहीं है।
साल्मोनेला (salmonella) से बचने के लिए उपायों की बात करें तो इसके लिए आप कई तरह के उपाय यदि करते हैं तो आप इसके प्रकोप से बहुत ही आसानी से बच सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- यदि आप अपने घर के अंदर जानवरों को पालते हैं तो उनके रहने और खाने की चीजों को छूने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए । जिससे कि किसी भी तरह का संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहेगा । आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
- यदि आप मांस का सेवन करते हैं तो उसको उच्च तापमान पर पकाना चाहिए । जब आप मांस को उच्च तापमान पर पकाते हैं तो इसके अंदर जो किसी भी तरह के बैक्टिरिया वैगरह होते हैं वह बहुत ही आसानी से नष्ट हो जाते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- कच्चे और पके हुए मांस को एक ही बर्तन के अंदर ना मिलाएं और ना ही रखें। जैसे कि आपने एक बर्तन के अंदर कच्चे मांस को काटा और बाद मे उसकें अंदर ही उस मांस को डाला और खा लिया या पका हुआ मांस डाल दिया । इस तरह से करने से संक्रमण काफी अधिक फैल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए।
- यदि आपको पहले से किसी भी तरह की उल्टी और दस्त की समस्या है तो फिर आपको भोजन नहीं बनाना चाहिए क्योंकि संक्रमण आपके अंदर से किसी दूसरे के अंदर फैल सकता है। इसके बारे मे आपको सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
- यदि आप मार्केट से सब्जी लेकर आते हैं तो उस सब्जी को कच्चा ही नहीं खाना चाहिए । जैसा कि हमने आपको उपर बताया है आपको चाहिए कि आप सब्जी को अच्छी तरह से धोकर ही खाएं यही आपके लिए सही होगा ।
प्लेग (Plague)
प्लेग (Plague) के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं। और यह काफी भयंकर रोग है जोकि चूहों के काटने से होता है। यदि कोई संक्रमित चूहा किसी इंसान को काटलेता है। तो उसके बाद यह रोग हो सकता है। हालांकि यह सभी चूहों से नहीं फैलता है। बस संक्रमित चूहे के काटने से ही फैलता है।
यह जीवाणु यर्सिनिया पेस्टिस के कारण होता है ।मध्य युग के अंदर जब इस रोग की कोई दवा उपलब्ध नहीं थी तो इसकी वजह से इसने लाखों लोग को मार दिया था। हालांकि वर्तमान के अंदर इसका प्रभावी उपचार एंटिबायोटिक्स दवाएं हैं। यदि रोगी का समय पर उपचार किया जाता है तो उसके बाद रोगी बहुत ही आसानी से ठीक हो जाता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए और आप समझ सकते हैं।
प्लेग पश्चिमी संयुक्त राज्य के ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में होता है, मुख्य रूप से अर्ध-शुष्क ऊपरी जंगलों और घास के मैदानों में जहां कई प्रकार की कृंतक प्रजातियां शामिल हो सकती हैं।
कई प्रकार के जानवर, जैसे रॉक गिलहरी, लकड़ी के चूहे, जमीनी गिलहरी, प्रेयरी कुत्ते, चिपमंक्स, चूहे, वोल और खरगोश आदि इससे संक्रमित हो सकते हैं। और यदि इन संक्रमित को कोई मांसहारी जानवर भी खा लेता है तो वह भी आसानी से संक्रमित हो सकता है।दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य में एपिज़ूटिक्स की संभावना ठंडी गर्मियों के दौरान अधिक होती है जो गीली सर्दियों के बाद होती है।
पिस्सू के काटने से भी यह फैलता है। प्लेग से जब संक्रमित चूहों की मौत हो जाती है तो खून को चूसने वाले जो पीसू होते हैं वे इन चूहों का खून चूसते हैं और इसकी वजह से यह भी संक्रमित हो जाते हैं और बाद मे यही पिस्सू इंसानों को काट लेते हैं तो उसके बाद संक्रमण इंसानों के अंदर फैल जाता है। इसके बारे मे भी आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।कुत्ते और बिल्लियाँ भी प्लेग से संक्रमित पिस्सू घर में ला सकते हैं। पिस्सू के काटने से प्राथमिक बुबोनिक प्लेग या सेप्टीसीमिक प्लेग हो सकता है।
- दूषित द्रव या ऊतक के संपर्क में आना। प्लेग से संक्रमित जानवर के ऊतक या शरीर के तरल पदार्थ को संभालने पर मनुष्य संक्रमित हो सकता है।जैसे कि जो लोग जानवरों को काटते हैं और उनकी खाल को निकालते हैं वे लोग प्लेग से संक्रमित होने के चांस काफी अधिक होते हैं। जानवरों की खाल के अंदर उस जानवर की खाल निकालना जिसके अंदर पहले से ही संक्रमण मौजूद है तो आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
- जब किसी व्यक्ति को प्लेग निमोनिया होता है, तो वे प्लेग बैक्टीरिया युक्त बूंदों को हवा में खा सकते हैं।इसका मतलब यह है कि जिस इंसान को प्लेग हो जाता है वह इंसान जब हवा के अंदर सांस लेता है तो वहां मे भी संक्रमण फैल सकता है और यदि कोई दूसरा इंसान उस हवा मे सांस लेता है तो संक्रमण उस तक भी जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।इसके अलावा जो घर के अंदर बिल्ली रहती हैं वे भी आसानी से प्लेग से संक्रमित हो जाती है। क्योंकि वे चूहों को खाने का काम करती हैं और जब चूहे संक्रमित होते हैं तो यह बिल्ली के अंदर फैल जाता है और उसके बाद बिल्ली से उसके मालिकों तक जा पहुंचता है।
दोस्तों अब यदि हम प्लेग के लक्षणों के बारे मे बात करें तो इसके कई सारे लक्षण हो सकते हैं। जिनके बारे मे आपको पता होना चाहिए और इन लक्षणों से आप यह पहचान सकते हैं कि प्लेग हुआ है या फिर नहीं हुआ है। इसके बारे मे आप अच्छी तरह से समझ सकते हैं।
- बुबोनिक प्लेग के जो लक्षण होते हैं वे 2 से 8 दिन के भीतर ही प्रकट हो जाते हैं और यह जो प्लेग होता है वह पिस्सू के काटने से अधिक होता है। इसकी वजह से कई सारे लक्षण दिखाई देने लग जाते जैंसे कि मरीजों को बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, और कमजोरी और एक या अधिक सूजन, दर्दनाक लिम्फ नोड्स ।यदि इसका समय पर ईलाज नहीं किया गया तो फिर संक्रमण काफी घातक हो सकता है। और आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता हैं। जल्दी ही संक्रमण पूरे शरीर के अंदर फैल सकता है और इंसान की मौत हो जाती है। इसके लिए जो दवाएं काम मे ली जाती हैं वे एंटिबायोटिक्स दवाएं होती हैं।
- सेप्टीसीमिक प्लेग की ऊष्मायन अवधि खराब रूप से परिभाषित है, लेकिन इसकी संभावना जोखिम के दिनों के भीतर होती है। मरीजों को बुखार, ठंड लगना, अत्यधिक कमजोरी, पेट में दर्द, सदमा, और संभवतः त्वचा और अन्य अंगों में रक्तस्राव होता है।और इसकी वजह से शरीर के उत्तक काले पड़ सकते हैं और उसके बाद मर सकते हैं।यदि इसका समय पर उपचार नहीं किया तो फिर काफी बड़ी समस्या हो सकती है। और इस प्लेग का संक्रमण पूरे शरीर के अंदर फैल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- न्यूमोनिक प्लेग की ऊष्मायन अवधि आमतौर पर सिर्फ 1 से 3 दिन होती है। मरीजों को बुखार, सिरदर्द, कमजोरी और सांस की तकलीफ, सीने में दर्द, खांसी और कभी-कभी खूनी या पानीदार श्लेष्मा के साथ तेजी से विकसित होने वाला निमोनिया होता है। और यह काफी गम्भीर प्लेग है। यदि इसका समय पर उपचार नहीं किया जाता है तो व्यक्ति की मौत होना तय है । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और यह एक इस प्रकार का प्लेग है जोकि सांस की बूंदो के द्धारा फैलता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
यदि दोस्तों हम प्लेग के उपचार की बात करें तो सबसे बड़ी बात यह होती है कि इसके रोगी को समय पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए । क्योंकि यह काफी गम्भीर बीमारी है। यदि रोगी को समय पर नहीं दिखाया जाता है तो उसके बाद संक्रमण पूरे शरीर के अंदर फैल सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
बुबोनिक प्लेग का सबसे आम लक्षण एक सूजन और दर्दनाक लिम्फ ग्रंथि का तेजी से विकास है जिसे बुबो कहा जाता है।कई मामलों में, विशेष रूप से सेप्टीसीमिक और न्यूमोनिक प्लेग में, कोई स्पष्ट संकेत नहीं होते हैं जो प्लेग का संकेत देते हैं। निदान रोगी, विशेष रूप से रक्त या सूजी हुई लसीका ग्रंथि के हिस्से से नमूने डॉक्टर लेते हैं और उसके बाद इसको प्रयोगशाला के अंदर भेजा जाता है जिससे कि पता हो सके कि यह सब समस्या किस वजह से हो रही है तो उसके बाद डॉक्टर उपचार करने का काम करता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
एंटीबायोटिक दवाओं की मदद से ही प्लेग के रोगी को ठीक किया जाता है। यदि किसी को प्लेग की समस्या है तो जितना जल्दी हो सके उसको अस्पताल के अंदर भर्ती करवाया जाना चाहिए क्योंकि यह जरूरी होता है। और उसके बाद उपचार शूरू करना चाहिए नहीं तो बहुत बड़ी समस्या हो सकती है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । प्लेग के रोगी को देरी करने पर उसकी जान भी जा सकती है।
प्लेग के लिए अनुशंसित रोगाणुरोधी उपचार की भी हम यहां पर बात करने वाले हैं यदि आपको प्लेग का संदेह है तो आप कुछ दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं । लेकिन यह सभी दवाएं अपने डॉक्टर के संपर्क करने के बाद ही दें । क्योंकि हो सकता है कि आपको प्लेग ना हो और कोई और समस्या हो तो यह दवाएं नुकसान कर सकतीं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
न्यूमोनिक या सेप्टीसीमिक प्लेग वाले वयस्कों और बच्चों के लिए रोगाणुरोधी उपचार
यह जो दवाएं हैं वे 1 से 17 साल के बच्चों को आप दे सकते हैं । और इनको देने का तरीका यह है कि आप एक बार डॉक्टर से परामर्श करें और उसके बाद ही रोगी को दें ।
एंटीबायोटिक दवाओं | खुराक |
सिप्रोफ्लोक्सासिं | वयस्क : 400 मिलीग्राम हर 8 घंटे |
बच्चे : 10 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 8 या 12 घंटे (अधिकतम 400 मिलीग्राम/खुराक) | |
वयस्क : 750 मिलीग्राम हर 12 घंटे | |
बच्चे : 15 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 8 या 12 घंटे (अधिकतम 500 मिलीग्राम/खुराक हर 8 घंटे या 750 मिलीग्राम/खुराक हर 12 घंटे) | |
लिवोफ़्लॉक्सासिन | वयस्क : 750 मिलीग्राम हर 24 घंटे |
बच्चे : | |
वजन <50 किग्रा: 8 मिलीग्राम / किग्रा हर 12 घंटे | |
वजन ≥50 किग्रा: 500-750 मिलीग्राम हर 24 घंटे | |
मोक्सीफ्लोक्सासिन | वयस्क : 400 मिलीग्राम हर 24 घंटे |
बच्चे : नोट देखें | |
जेंटामाइसिन | वयस्क : 5 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 24 घंटे |
बच्चे : 4.5-7.5 मिलीग्राम/किग्रा हर 24 घंटे | |
स्ट्रेप्टोमाइसिन | वयस्क : 1 ग्राम हर 12 घंटे |
बच्चे : 15 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 12 घंटे (अधिकतम 1 ग्राम/खुराक) |
बुबोनिक या ग्रसनी प्लेग वाले वयस्कों और बच्चों के रोगाणुरोधी उपचार
नीचे कुछ दवाएं दी जा रही हैं जोकि बुबोनिक प्लेग की हैं जोकि 1 से 17 वर्ष तक के बच्चों को दी जाती हैं। लेकिन दवा देने से पहले आपको एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ।और उसके बाद ही दवाओं का सेवन करना चाहिए ।
रोगाणुरोधी | खुराक |
सिप्रोफ्लोक्सासिं | वयस्क: हर 8 घंटे में 400 मिलीग्राम |
बच्चे: 10 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 8 या 12 घंटे (अधिकतम 400 मिलीग्राम/खुराक) | |
वयस्क: 750 मिलीग्राम हर 12 घंटे | |
बच्चे: 15 मिलीग्राम / किग्रा हर 8 या 12 घंटे (अधिकतम 500 मिलीग्राम / खुराक हर 8 घंटे या 750 मिलीग्राम / खुराक हर 12 घंटे) | |
लिवोफ़्लॉक्सासिन | वयस्क: 750 मिलीग्राम हर 24 घंटे |
बच्चे: | |
वजन <50 किलो: 8 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 12 घंटे (अधिकतम 250 मिलीग्राम/खुराक) | |
वजन ≥50 किलो: 500-750 मिलीग्राम हर 24 घंटे | |
मोक्सीफ्लोक्सासिन | वयस्क : 400 मिलीग्राम हर 24 घंटे |
बच्चे : नोट देखें | |
डॉक्सीसाइक्लिन | वयस्क: 200 मिलीग्राम लोडिंग खुराक, फिर 100 मिलीग्राम हर 12 घंटे |
बच्चे: वजन <45 किलो: 4.4 मिलीग्राम / किग्रा लोडिंग खुराक, फिर 2.2 मिलीग्राम / किग्रा हर 12 घंटे (अधिकतम 100 मिलीग्राम / खुराक) | |
वजन 45 किलो: वयस्क खुराक के समान | |
जेंटामाइसिन | वयस्क: 5 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 24 घंटे |
बच्चे: 4.5-7.5 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 24 घंटे | |
स्ट्रेप्टोमाइसिन | वयस्क: 1 ग्राम हर 12 घंटे |
बच्चे: 15 मिलीग्राम/किलोग्राम हर 12 घंटे (अधिकतम 1 ग्राम/खुराक) |
न्यूमोनिक, बुबोनिक, सेप्टीसीमिक या ग्रसनी प्लेग वाली गर्भवती महिलाओं के लिए उपचार
दोस्तों यदि कोई गर्भवति महिला है और उसको प्लेग हो गया है तो उसके लिए अलग तरह का उपचार उपलब्ध है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । और इसकी लिस्ट हम आपको नीचे दे रहे हैं।
रोगाणुरोधी | खुराक |
जेंटामाइसिन | वयस्क खुराक के समान |
और निम्नलिखित में से एक | |
सिप्रोफ्लोक्सासिं | हर 8 घंटे में 400 मिलीग्राम |
या | 500 मिलीग्राम हर 8 घंटे |
लिवोफ़्लॉक्सासिन | वयस्क खुराक के समान |
प्लेग फैलने से आप कैसे बचा सकते हैं। आइए इसके उपर भी हम जरा चर्चा कर लेते हैं। दोस्तों प्लेग को फैलने से पूरी तरह से नहीं रोका जा सकता है। लेकिन कुछ उपाय हैं जिनकी मदद से आप प्लेग को फैलने से रोक सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यदि आप सावधानी बरतते हैं तो उसके बाद आप प्लेग को फैलने से रोक सकते हैं। तो आइए जानते हैं इसके बारे मे कुछ जरूरी बातें ।
- अपने घर और कार्यालय के आस पास चूहों के आवास को कम करने का काम करें। अपने घर और कार्यालय के आस पास जो चूहे के खाने पीने की चीजें होती हैं उसकी वजह से चूहे वहां पर आते हैं उन सभी को हटा दें । जब चूहों को भोजन नहीं मिलेगा तो वे आपके यहां पर रहना पसंद नहीं करेंगे ।
- यदि आप पशुओं की खाल वैगरह निकालने का काम करते हैं तो आपको चाहिए कि आप अपने हाथों के अंदर दस्तानें पहनें । और काम करने के बाद अच्छी तरह से साफ करें। और यदि आप मरे हुए पशुओं को निबटाने का काम करते हैं तो उसके बाद आपको चाहिए कि आप पूरी सावधानी बरतें ।
- यदि आपको लगता है कि कैंपिंग, हाइकिंग या बाहर काम करने जैसी गतिविधियों के दौरान आप कृंतक पिस्सू के संपर्क में आ सकते हैं, तो विकर्षक का उपयोग करें। और इसका फायदा यह होगा कि पिस्सू आपसे दूर ही रहेंगे तो आप प्लेग जैसी बीमारी से आसानी से बचे रहेंगे । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
- पिस्सू नियंत्रण उत्पादों को लागू करके अपने पालतू जानवरों से पिस्सू दूर रखें। स्वतंत्र रूप से घूमने वाले जानवरों के प्लेग संक्रमित जानवरों या पिस्सू के संपर्क में आने की संभावना अधिक होती है। और यदि आपका पालतू बीमार हो जाता है तो उसको जल्दी से जल्दी अपने डॉक्टर को दिखाना काफी बेहतर होता है।
- इसके अलावा पालतू बिल्ली आदि को अपने बिस्तर से दूर रखना बहुत ही जरूरी होता है। वरना संक्रमण और तेजी से फैल सकता है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।जैसा कि आपको पता होना चाहिए । कि घरेलू इलाज कुछ समय के लिए होता है। और यदि आपको चूहा जैसा जानवर काट चुका है , तो आपको भयंकर बीमारियां हो सकती हैं । हालांकि इस दशा के अंदर इस बात का पता करने का आपके पास कोई साधन नहीं होता है , कि चूहा संक्रमित हैं या फिर नहीं हैं। इसलिए सबसे पहले आपको एक बार अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए । और उसके बाद अपनी जांच को करवाना चाहिए । फिर आपके डॉक्टर आपसे कहेंगे कि आपको क्या करना चाहिए ? डॉक्टर आपको कुछ इंजेक्सन लगवाने के लिए दे सकते हैं। उनका उपयोग करने के बाद आप काफी अधिक सुरक्षित महसूस कर सकते हैं।
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This post was last modified on November 8, 2023