क्या आपको पता है कि चूरू जिले में कितनी तहसील है churu me kitni tehsil hai ? और यदि आपको नहीं पता कि चुरू जिले मे कुल कितनी तहसील हैं? तो हम इस लेख के अंदर पुरे विस्तार से बताने वाले हैं।चुरू थार रेगिस्तान के पास स्थित, चुरू राजस्थान में एक अर्ध शुष्क जलवायु वाला जिला है।इसको ‘द गेटवे टू थार’ के नाम से भी जाना जाता है।
चूरू शहर जिला मुख्यालय है जिसकी स्थापना राजपूतों के एक कबिले निर्बान ने 1620 ई के अंदर की थी। चूरू जिला आजादी से पहले बिकानेर का हिस्सा था । इसके बाद सन 1948 ई के अंदर इसका दुबारा गठन करके इसको बिकानेर से अलग कर दिया गया था।
ऐतिहासिक महत्व की द्रष्टि मे चुरू जिले के अंदर एक किला है जिसके बारे मे यह कहा जाता है कि यह 400 साल पहले बनाया गया था। इसके अलावा यहां पर सालासर बालाजी और बाबोसा महाराज के सुंदर मंदिर हैं जो बड़े धार्मिक महत्व के हैं। शहर के पास साधुओं के नाथ संप्रदाय की एक धार्मिक सीट है जहाँ उनके देवताओं की आदमकद संगमरमर की मूर्तियाँ हैं । आपको बतादें कि चौहानों के नाम के बाद इस स्थान का नाम चूरू रखा गया था।
चूरू जिले में कितनी तहसील है/ चूरू जिले में कुल कितनी तहसील है
यह जिला 1948 में अस्तित्व में आया, जिसमें तीन तहसीलें शामिल थीं- चूरू, राजगढ़ और तारानगर, जब बीकानेर राज्य का प्रशासन पुनर्गठित किया गया था। अब चूरू, सादुलपुर, रतनगढ़, सुजानगढ़, सरदारशहर और तारानगर सहित छह तहसीलें हैं।
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चूरू जिले में तहसील सादुलपुर
सादुलपुर चूरू जिले का एक शहर और तहसील भी है।इसको कभी कभी राजगढ के नाम से भी पुकारा जाता है। यह हरियाणा सीमा के काफी करीब पड़ता है। सादुलपुर रेलवे जंक्शन बीकानेर-चूरू-सादुलपुर-दिल्ली, हिसार-सादुलपुर-लोहारू-रेवाड़ी और हिसार-सादुलपुर-चूरू रेल मार्ग, श्रीगंगानगर-जयपुर और दिल्ली- सादुलपुर-जोधपुर मार्गों पर स्थित है।
राजगढ लक्ष्मी निवास मित्तल, आर्सेलर मित्तल और बिमल जालान भारतिय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर का जन्म स्थान भी है।देवेंद्र झाझरिया जो स्वर्ण पदक विजेता हैं।श्री कृष्ण पूनिया ओलंपियन और सादुलपुर से विधायक भी हैं।
राजगढ का नाम शेखावाटी के महाराज राज सिंह के नाम पर रखा गया था।यह जगह भी शेखावाटी का हिस्सा थी जहां पर सोनारस नामक एक राजपूत ने शासन किया था। राज किला 1806 में शेखावाटी के महाराजा राज सिंह प्रथम ने बनाया था। इस दौरान यहां से मुस्लिम लोग चले गए थे और उन्होंने स्थानिय जनजातियों से युद्व लड़ा और उनको हराया था। क्योंकि वे किले के निर्माण के पक्ष मे नहीं थी।
राजगढ़ के क्षेत्र को एचएच महाराज श्री सर माधो सिंह जी बहादुर ने 1930 में अपने बेटे को देदिया था।
- महाराजकुमार बिजय सिंह (1930-1956)
- महाराजकुमार अजयप्रताप सिंह (1956-1967)
- महाराजकुमार बागवतप्रताप सिंह (1967-2000)
- साहिब अंशुप्रताप सिंह (2000-वर्तमान)
- साहिब जगन्नाथ सिंह
सादूलपूर मे गांव की लिस्ट
- Abadsar
- Alsar
- Binadesar Siddhan
- Budhwali
- Hamoosar
- Hansasar
- Hanumanpura
- Har Desar
- Haripura
- Hudera Agoona
- Hudera Athoona
- Hudera Siddhan
- Jaleu Bari
- Chainpura
- Chak Jaleu
- Chak Ratangarh
- Champawasi
- Alsar Bas
- Bachharara Bara
- Bachharara Chota
- Badhan Ki Dhani
- Balrampura
- Bandwa
- Barjangsar
- Beeramsar
- Bhanuda Bidawatan
- Bhanuda Charnan
- Bharpalsar Bidawatan
- Bharpalsar Charnan
- Bharpalsar Ladkhaniyan
- Bhawan Desar
- Bheenchari
- Bhukhredi
- Binadesar Bidawatan
- Charanwasi
- Chhabri Khari
- Chhabri Meethi
- Chhajoosar
- Chhotriya
- Dassusar
- Daudsar
- Deepsar
- Devipura
- Fransa
- Ghumanda
- Gogasar
- Khudera Bidawatan
- Khudera Charnan
- Kusum Desar
- Lachharsar
- Ladhasar
- Loha
- Loonasar
- Loonchh
- Malpur
- Menasar
- Molisar Chhota
- Nausariya
- Noonwa
- Pabusar
- Parihara
- Golsar
- Gopalpuriya
- Gorisar
- Gusainsar
- Jaleu Chhoti
- Jandwa
- Jegniya Bidawatan
- Jegniya Bikan
- Jorawarpura
- Kadiya
- Kangar
- Kanwari
- Khariya
- Khothdi
- Khudera Beekan
- Parihari
- Parsaneu
- Payli
- Prem Nagar
- Raghunathpura
- Rajaldesar ( Rural )
- Ratangarh ( Rural )
- Ratansara
- Ratnadesar
- Rukhasar
- Sangasar
- Sanwatiya
- Seetsar
- Sehla
- Sikrali
- Simsiya Bidawatan
- Simsiya Purohitan
- Sulkhaniya
- Thathawata
चूरू जिले में कुल कितनी तहसील है रतनगढ़ तहसील
रतनगढ भारत के राजस्थान मे चुरू जिले का एक शहर और तहसील है। रतनगढ़ को पहले कोलासर कहा जाता था।यहां पर काफी अच्छी पुरानी हवेलियां हैं। यह वास्तुशिल्प के लिए बहुत अधिक प्रसिद्व है।
ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार रतनगढ की स्थापना बिकानेर के महाराजा सूरत सिंह ने सन 1798 ई के अंदर की थी। जब वे अपने बेटे रतनसिंह के साथ चूरू से लौट रहे थे तो उन्होंने उन्होंने कोलसर और राजिया की दानी को एक नया नाम रतनगढ़ दिया । जो उन्होंने अपने बेटे के नाम पर रखा था। रतनगढ़ के लेआउट को बदलने के लिए इसकी जिम्मेदारी हुलाशचंद, दीपचंद और चरण सिंह शंकर नामक कुछ लोगों को दी गई थी।
- रतनगढ़ से मात्र 3 किलोमीटर दूर गांव हुडेरा के पास एक देवली मिली है। संवत 1309 की देवली एक पुराने सिध्द जोगियान नाथ गणित में पाई गई थी। इतिहासकारों के अनुसार यह 750 वर्ष पुरानी है। यह देवली राठौड़ नाहरदास की पत्नी की है, जो बैशाख सुदी 1, संवत 1309 को सती हो गई थी।
- रतनगढ़ के पास राजलदेसर मे भी एक ऐसी ही देवली मिली है जोकि 475 वर्ष पुरानी है।
वर्ष 1812 मे रतनगढ़ किला बनकर तैयार हो गया था। उसके बाद 1815 और 1816 मे सीकर के महारावल लक्ष्मण सिंह के समर्थन मे चूरू के ठाकुर पृथ्वी सिंह द्वारा दो बार हमला किया गया था। इन्हीं दोनों हमलो के अंदर हमलों में फोर्ट लालशाह सैयद और पुरोहित जेठमल के कार्यवाहक मारे गए थे।रतन सिंह ने 1834 में अंग्रेजी सेना के शेखावाटी ब्रिगेड को संगठित करने के लिए कॉर्नेल वेलसीन के साथ बातचीत की थी।
शहर के अंदर उस समय दो किले बनाए गए थे । लेकिन अब मूल किला और दूसरा किला अब खंड़रों के अलावा कुछ नहीं बचा है।इनके अलावा मुख्य चौराहे पर एक क्लॉक टॉवर है जिसे घंटानगर कहा जाता है। रतनगढ़ को जानेमाने देश भक्तों , कवियों , विद्वानों , संतों , व्यापारियों का स्थान है। इसीलिए इसको दूसरा काशी भी कहा जाता है। रतनगढ़ भी एक प्राचीन संस्कृति का हिस्सा रह चुका है।बीकानेर संग्रहालय मे 10 वीं शताब्दी का एक शिलालेख मिला है।रतनगढ़ बनने से पहले यहां पर माथदिश शिवालय बनाया गया था।
बिकानेर के महाराजा ने 1735 ई मे नाथ सम्प्रदाय की माला को कोलासर गांव मे भेंट किया था ,जिसे वर्तमान मे रतनगढ़ के नाम से जाना जाता है। कार्निजी मंदिर भी उसी समय बनाया गया था जोकि अब शहर के बीचो बीच बना हुआ है।
सोरजमुल जालान परिवार ने यहां पर 20 से अधिक संरचनाओं का निर्माण करवाया था। यह भारत के सबसे धनवान परिवारों मे से एक रह चुका है।इन्होंने अस्पतालों, स्कूलों, पुस्तकालयों और खेल केंद्रों का निर्माण कराया है।
रतनगढ़ तहसील मे गांव
- Kanwari
- Kusumdesar
- Lachharsar
- Ladhasar
- Loha
- Loonch
- Melusar
- Menasar
- Noowa
- Alsar
- Baccharara
- Bhanuda Bidawatan
- Bharpalsar Ladkhania
- Bhukredi
- Binadesar Bidawatan
- Biramsar
- Daudsar
- Gogasar
- Golsar
- Gorisar
- Jandwa
- Kangar
- Nosariya
- Parihara
- Perseneu
- Ratanadesar
- Ratangarh
- Ratansara
- Sangasar
- Seetsar
- Sikrali
- Simsiya
- Tidiyasar
सुजानगढ़ तहसील
यदि हम इसके इतिहास की बात करें तो माहभारत काल के अंदर यह गुरू द्रोणाचार्य की भूमी थी।और फिर इसको शिशुपाल की राजधानी चंदेरी कहा जाने लगा था।यहां पर महित नामक एक राजा रहता था। उनके वंशज माही, माहे कहलाते थे। राजस्थान के चूरू जिले के छपार शहर की पहचान द्रोणपुरा के रूप मे की गई है।इतिहासकार यह लिखते हैं कि राजपूतों से पहले छापर जाटों की राजधानी हुआ करती थी।
सुजान गढ का इतिहास भी काफी दिलचस्प है। इतिहास पढ़ने पर यह पता चलता है कि इसकी स्थापना सन 1573 ई के बाद हुई होगी । इसका संबंध गुलेरिया जाटों से जुड़ा हुआ है।कहा जाता है कि लादड़िया गांव से दो भाई यहां आए थे ।उनकी ठाकुरों से अनबन हो गई थी।
लादड़िया के ठाकुरों ने कहा कि जो इस गांव के अंदर रहेगा उनको ठाकुरों की जय बोलनी पड़ेगी जबकि जाटव भइयों को यह मंजूर नहीं था तो इन्होंने अपने सारे सामान को बैल गाड़ियों के अंदर डाला और एक अनजान जगह पर आ गए ।
इनका जाते समय ठाकुरों ने कहा था कि तुम जा तो रहे हो लेकिन जौधपुर रियासत मे नहीं बसनेदेंगे ।उसके बाद उसके बाद जसवंतगढ के पास इनको पता चला कि यहां पर जौधपुर रियासत खत्म होती है।
यह बिकानेर रियासत का ईलाका हुआ करता था। चांदनी चौक के पास बंजर जमीन पर जाटों ने अपना डेरा डाल लिया था।गोपालपुरा और मांडोता के बीच अनबन की वजह से यहां पर चार परिवार और आकर बस गये थे । इसको गुलेरियों की ढाणी के नाम से जाना जाता था।
यह पंच ढाणी बिकानेर और जौधपुर रियासत की सीमा के उपर थी। इसकी वजह से बिकानेर के महाराज इसका विशेष ध्यान रखते थे ।जब कभी यहां पर लूट पाट होती थी तो बिकानेर के राजा यहां की रक्षा के लिए अपने सैनिक भी भेजते थे ।इसके बाद धीरे धीरे यहां पर और अधिक आबादी बसती चली गई और जमीन के नीचे से पानी निकाल कर खेती की जाने लगी ।
गुलेरिया परिवार के गुलेरजी ने गुलेरिया गांव बसाया था। इसके अलावा हरियाणा के अंदर खैर गांव भी इन्हीं लोगों ने बसाया था। उसके बाद 1723 ई के अंदर पंच ढाणी का नाम ख़रबुज़ी कर दिया गया था।सांडवा के ठाकुर ने यहां पर एक गढ भी बनवाया था।
सन 1751 ई के अंदर सेवाराम गुलेरिया का देहांत हो गया । जिसके पीछे उनकी पत्नी भी सती हो गई और इनका मंदिर भी बनाया गया था। सन 1778 ई के अंदर सुजानसिंह ने इस गांव का नाम सुजानगढ़ रखदिया था।
सुजानगढ तहसील मे गांव
- Aidanpura
- Ankholyan
- Asarsar
- Baghsara ( East )
- Bairasar
- Bamaniya
- Bara
- Barabar
- Basi Agooni
- Basiathuni
- Beer Chhapar ( Rural )
- Benatha Jogliya
- Benatha Umji
- Bhagiwad
- Bhanisar Harawatan
- Bhojlai
- Bhom Bobasar
- Bhom Gondusar
- Bhom Jyak
- Dhoran Ki Dhani
- Dungras Agoona
- Dungras Athoona
- Dunkar
- Ganora
- Gedap
- Ghantiyal Chhoti
- Ghotra
- Bhom Nabbasar
- Bhom Parewara
- Bhom Telap
- Bhomiyara
- Bhomsadoo
- Bidas
- Bilanga
- Bilasi
- Bobasar Charnan
- Bothiyabas
- Chak Ghantiyal
- Chak Kalia
- Chak Rajiyasar
- Chariya
- Chuhas
- Dewani
- Dhadheru Godaran
- Dhakawali
- Dhan Charnan
- Dhani Kumharan
- Dhatri
- Dhigariya
- Gondusar
- Gondusar Narnotan
- Gudabari
- Hemasar Agoona
- Hemasar Athoona
- Jindrasar
- Jyak
- Kalero Ki Dhani
- Kandhalsar
- Neemri Bidawatan
- Neemri Charnan
- Nodiya
- Nyama
- Palas
- Parawa
- Karejra
- Katar Bari
- Khadaya
- Khaliya
- Khara
- Meegna
- Nabbasar
- Parwatisar
- Rajiyasar Khara
- Rajiyasar Meetha
- Khariya Bara
- Khariya Chhota
- Khora
- Khuri
- Kodasar Bidawatan
- Kodasar Jatan
- Kolasar
- Lalpura
- Likhmansar
- Lona
- Magrasar
- Malaksar
- Malasar
- Mangalwasi
- Marothiya
- Rajpura
- Rampur
- Ranwan Ki Dhani
- Rawali Dhani
- Reda
- Roopeli
- Sadoo Bari
- Sadoo Chhoti
- Sandan
- Sarangsar
- Siwaron Ki Dhani
- Soniyasar Sukhram
- Soniyasar Udaikarnawtan
- Soorwas
- Sujangarh ( Rural )
- Tada
- Telap
- Tharda
- Toliyasar
- Udasar
- Upadhiya
सरदारशहर तहसील
सरदारशहर भारत के राजस्थान के चुरू जिले का एक शहर है जो कि एक तहसील भी है।यह राजस्थान विधानसभा की एक सीट भी है। इस शहर का नाम बीकानेर के महाराजा सरदार सिंह के नाम पर रखा गया था। सरदारशहर को भित्तिचित्रों ,क्लॉक टॉवर ,इच्छा पूर्ण बालाजी ,शांति सेठ और हवेलियों के लिए जाना जाता है।
इन सबके अलावा ,चांदी के काम ,लकड़ी के काम ,हस्तकला के लिए जाना जाता है।इसके अलावा सरदारशहर मिठाई के लिए भी जाना जाता है। सरदारशहर जयपुर से 285 किलोमिटर और चुरू से 56 किलोमीटर दूरी पर पड़ता है। सरदारशहर का अपना आरएसआरटीसी बस डिपो भी है।यह रेलवे लाइन के माध्यम से रतनगढ से जुड़ा हुआ है।यह बिकानेर और गंगानगर से भी जुड़ा हुआ है।सरदारशहर श्री गंगानगर किशनगढ़ मेगा हाईवे पर है।
सरदारशहर थार रेगिस्तान के मध्य मे स्थिति है।यह एक पुराना शहर है जिसको 700 साल पहले स्थापित हुआ था।बीकानेर शहर के राजकुमार सरदार सिंह के नाम पर इस शहर का नाम रखा गया था।सरदारशहर संगीतकारों और बैंड के लिए जाना जाता है।चांदी के बर्तन और अन्य चांदी के गहनों पर कलात्मक प्रतिभा के लिए जाना जाता है।
सरदारशहर के अंदर क्लॉक टॉवर एक देखने लायक स्थान है। यह सफेद संगमरमर से बना हुआ है।इसकी उंचाई 60 फिट है और यह इसके चारोओर स्विटज़रलैंड की एंग्लो स्विश घड़ियाँ लगी हुई हैं।पर्यटकों के लिए यह आकर्षण का केंद्र है।इसको बहुत से पर्यटक देखने के लिए आते हैं।
- जमर हवेली भी यहां पर बनी हुई है जोकि 185 साल पुरानी है।इसके दिवार पर चित्र बनाए गए हैं। इसकी एक दिवार पर पाबुजी के चित्र बने हैं। जिसमे उंटो को दिखाया गया है।इसके अलावा इस हवेली मे दो कमरे भी हैं जिनको असली सोने के रंग से रंगा गया है।
- बुद्धमल्ल दुगर की हवेली को संगीत और मनोरंजन के लिए प्रयोग मे लिया जाता था।यह हवेली 150 साल पहले बनाई गई थी। और यह कहा जाता है कि पूर्वजों की आत्मा इस हवेली के अंदर निवास करती है।इसकी छते कांच और सोने की बनी हुई हैं।
- क्लॉक टॉवर के पास स्वर्गीय बैजनाथजी चौधरी की हवेली लगभग 125 साल पुरानी है।
- श्यामसुख भवन हवेली सिस्टम के प्राचीन और आधुनिक मिश्रण के लिए जाना जाता है और यह एक अच्छी तरह से निर्मित हवेली है। यह लगभग 120 साल पुरानी शानदार हवेली है।
- Iccha Puran Balaji यहां का सबसे प्रसिद्व मंदिर है।आमबोल चाल की भाषा के अंदर इसको बालाजी कहा जाता है।इस मंदिर को सेठ मूलचंद मालू ने बनाया था।
- शांति पीठ- जैन मंदिर और विश्व जैन आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की समाधि भी यहां पर बनी हुई है।
- सच्चियाय यहां पर काफी पुराना मंदिर है।
- सत्यनारायण जी का मंदिर भी यहां पर है जो अपनी वास्तुकला के लिए बहुत अधिक प्रसिद्व है।नाथ जी मंदिर दूसरा सबसे प्रसिद्व मंदिर है जो सोमनाथ जी महाराज ने स्थापित किया था।
सरदारशहर तहसील मे गांव
- Abadsar
- Alsar
- Alsar Bas
- Bhanuda Charnan
- Bharpalsar Bidawatan
- Bharpalsar Charnan
- Bharpalsar Ladkhaniyan
- Bhawan Desar
- Bheenchari
- Bhukhredi
- Binadesar Bidawatan
- Binadesar Siddhan
- Budhwali
- Chainpura
- Chak Jaleu
- Chak Ratangarh
- Champawasi
- Bachharara Bara
- Bachharara Chota
- Badhan Ki Dhani
- Balrampura
- Bandwa
- Barjangsar
- Beeramsar
- Bhanuda Bidawatan
- Charanwasi
- Chhabri Khari
- Chhabri Meethi
- Chhajoosar
- Chhotriya
- Dassusar
- Daudsar
- Khariya
- Khothdi
- Khudera Beekan
- Khudera Bidawatan
- Khudera Charnan
- Kusum Desar
- Lachharsar
- Deepsar
- Devipura
- Fransa
- Ghumanda
- Gogasar
- Golsar
- Gopalpuriya
- Gorisar
- Gusainsar
- Hamoosar
- Hansasar
- Hanumanpura
- Har Desar
- Haripura
- Hudera Agoona
- Hudera Athoona
- Hudera Siddhan
- Jaleu Bari
- Jaleu Chhoti
- Jandwa
- Jegniya Bidawatan
- Jegniya Bikan
- Jorawarpura
- Kadiya
- Kangar
- Kanwari
- Ladhasar
- Loha
- Loonasar
- Loonchh
- Malpur
- Menasar
- Molisar Chhota
- Nausariya
- Noonwa
- Pabusar
- Parihara
- Parihari
- Parsaneu
- Payli
- Prem Nagar
- Raghunathpura
- Rajaldesar
- Ratansara
- Ratnadesar
- Rukhasar
- Sangasar
- Sanwatiya
- Seetsar
- Sehla
- Sikrali
- Simsiya Bidawatan
- Simsiya Purohitan
- Sulkhaniya
- Thathawata
तारानगर तहसील
तारानगर भारतीय राज्य राजस्थान में चुरू जिले का एक शहर और एक नगर पालिका है।यह बिकानेर से जो बीकानेर से लगभग 120 मील उत्तर-पूर्व में है। तारानगर को पहले रेनी नाम से पहचाना जाता था। रिंकली के नामक एक महिला के नाम पर शहर को रेनी कहा जाता था।1948 में, राजा तारा सिंह के लिए इस शहर का नाम बदल दिया गया था।जो कभी यहां पर शासन कर चुका था।
तारानगर के पहले राजा की बात करें तो वह रणकपाल था। उसके बाद यहां पर राव बीकाजी ने विजय प्राप्त की थी।तारानगर एक बहुत पुराना शहर है जो अपने मंदिरों ,हवेलियों और छत्रियों के लिए प्रसिद्ध है। तारानगर कई छोटे गांवों से घिरा हुआ है, जो ज्यादातर किसानों द्वारा बसे हुए हैं।
तारानगर अपनी प्राचीनता के लिए बहुत अधिक प्रसिद्व है। यहां पर 942 के अंदर बने प्रसिद्ध जैन मंदिर भी है।जहां पर जैन तीर्थकरों की पुरानी मूर्तियां मिली हैं।संतों के घरों की छतरी काफी लोकप्रिय हैं। जिनको देखने के लिए दूर दूर के लोग आते हैं।
श्याम पांडिया नामक एक और प्रसिद्व मंदिर भी यहां पर है। इससे जुड़ी एक कथा भी मिलती है जिसके अनुसार भीम को कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद युधिष्ठिर के तिलक समारोह के लिए श्याम पांडिया नामक इस मंदिर के पूजारी को बुलाया गया था।
इन सबके अलावा तारानगर मे स्वर्गीय ओंकार मल मिंत्री द्वारा स्थापित एक रेफरल अस्पताल है भी है जोकि राज्य की सरकार के द्वारा चलाया जाता है और एक अस्पताल और है जो पशुओं की चिकित्सा के काम आता है।
एक सार्वजनिक पुस्तकालय तारानगर के बीचो बीच स्थिति है। जिसके अंदर पढ़ने का कमरा बना हुआ है। हालांकि अब इसके रखरखाव के अंदर कमी आई है। पिछले कुछ दशकों मे तारानगर एक अच्छे शहर के रूप मे उभर कर आया है।खरीदारी, व्यापार, संस्थागत संपर्क आदि के अलावा, मुख्य बाज़ार जो केंद्र में है। शहर में, कई तरह के दुकान-समूह या बाजार हैं जो फुटवियर, सब्जियों और फलों, दवाओं आदि के व्यापार में विशेषज्ञता रखते हैं।
इन सबके अलावा यहां पर व्यापारिक फर्म, बैंक शाखाएं, संगठन, सरकारी कार्यालय जैसी अनेक सुविधाओं का अच्छा विकास हुआ है।
तारानगर तहसील के अंदर आने वाले गांव के नाम
1 अभयपुरा
2 अलायला
3 आनंदसिंहपुरा
4 बैन
5 बलिया
6 बनियाला
7 बानरा
8.बस सरयण
9 बीघरान
10 भालौ ताल
11 भालौ तीबा
१२ भालेरी
13 भामरा
14 भानिन
15 भारंग
16 भूरवा
17 भूतिया
18 बिलिया
19 ब्रह्मनगर
२० ब्राह्मणवासी
21 बुचावस
22 चालकोइ खेचचरन
23 चांगोई
24 डाबड़ी
25 डाबरी छोटी
26 देवगढ़
27 धना भखारन
28 धनपत राजपुरा
29 धनपत सतयु
30 धनि आशा
31 धनी बाबरियन
32 धनी भटियान
33 धनी चतुूसिंह
34 धनि कुलिया
35 धनि कुम्हारन
३६ धनि मन
37 धनी मेघसार
38 धनी मोतीसिंह
39 धनी पूनियान
40 धनी राजू
41 ढेंगी
42 धीरवास बारा
43 धीरवास छोटा
44 दुलेरी
45 गदाना
46 गजजो
47 गलगती
48 घसला अगौना
४ ९ घशाला अथौना
50 गोडास तारानगर
५१ गोगतिया बगावतं
52 गोगतिया चारण
५३ गोगतिया कच्छावतन
54 गोगतिया पाटा चांगोई
55 हादियाल
56 हरिपुरा
57 इंदसी
58 जवानीपुरा
59 झाड़सर बारा
60 झाड़सर छोटा
61 झाड़सर गंजीया
62 झाड़सर कांधलान
63 झांझनी
64 झोथरा
65 जिगसाना ताल
66 जिगसाना तेबा
67 जोरजी का बास
68 कलास
69 कलावा
70 करनपुरा
71 कर्णीसार
72 खरथवासिया
73 खरतव
74 किकराली चारणन
75 किलीपुरा
76 किरसाली ब्राह्मण
77 किरसाली कांधलान
78 कोहिना तारानगर
79 लखनवास
80 लुदनिया
81 लुदनिया छोटा
82 लूनस
83 मदवास
84 महात्मा
85 मेघसार
86 मिखला
87 मर्त्यल
88 नरसीनगर
89 नेठवा
90 ओझरिया
91 पांडुरू ताल
92 पांड्रेउ टेबा
93 पेठना
94 पूनरास
95 पुणिसार
96 राय टुंडा
97 राजपुरा
98 रामपुरा
99 रंगहारी
100 रेडी
101 रेटना
102 रेवासी
103 रूहानी
104 साहवा
105 सरायण
106 सतयु
107 श्याम पांडिया
१०। श्योपुरा
109 सोमसीसर
११० सुखवासी
111 थेलन
112 तोगावास
चूरू तहसील
चूरू जिले के बारे मे हम आपको उपर बता चुके हैं। वैसे हम चुरू जिले के ही रहने वाले हैं। नीचे हम चुरू जिले के अंदर पड़ने वाले गांवों के नाम के बारे मे बता रहे हैं।
- Asalkheri
- Asloo
- Asloo Station
- Badhki
- Balrasar Athoona
- Balrasar Tanwaran
- Bardadas
- Bas Dhakan
- Bas Ghantel
- Bhamasi
- Bholusar
- Boontiya
- Chalkoi Baneerotan
- Chalkoi Beekan
- Chandelnagar
- Charanwasi
- Chhajusar
- Churu (M Cl + OG)
- Churu (Rural)
- Dabla
- Dandoo
- Depalsar
- Dhadhar
- Dhadhariya Baneerotan
- Dhadhariya Charnan
- Dhameri
- Dhani Doongarsinghpura
- Dhani Lachhmansingh
- Dhani Lalsinghpura
- Dhani Muneemji
- Dhani Pannesingh
- Dhani Ranwan
- Dheerasar Beekan
- Dheerasar Charnan
- Dheerasar Shekhawatan
- Dhodhliya
- Dudhwakhara
- Dudhwameetha
- Gajsar
- Ghanghoo
- Ghantel
- Ginri Patta Lohsana
- Ginri Patta Rajpura
- Hunatpura
- Indrapura
- Jasasar
- Jasrasar
- Jaswantpura
- Jhariya
- Jori Patta Charnan
- Jori Patta Lohsana
- Jori Patta Satyun
- Khariya
- Khasoli
- Kheenwasar
- Kotwad Nathotan
- Kotwad Tal
- Kotwad Teeba
- Kunsisar
- Ladariya
- Juharpura
- Kanrwasi
- Karanpura
- Karnisar
- Karwasar
- Khandwa Patta Churu
- Khandwa Patta Jhariya
- Khandwa Patta Peetheesar
- Lakhau
- Lalasar Banirotan
- Lalasar Patta Rajpura
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चूरू जिले में कितनी तहसील है ?लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके हमें बताएं । यदि आपको कुछ पूछना है तो आप नीचे कमेंट करके हमे बता सकते हैं।
बीदासर तहसील
दोस्तों चूरू जीले के अंदर बिदासर तहसील को भी एक नई तहसील के तौर पर जोड़ा गया है। बीदासर तहसील के अंदर कई सारे गांवों को शामिल किया गया है। यहां पर हम आपको कुछ गांवों के बारे मे बता रहे हैं।
2 अमरसर
3 असरासर
4 बाढ़सर
5 बैरासर
6 बलेरा
7 बांस
8 बेनाथा जोगलिया
9 बेनाथा उम्जी
10 भोम गोंदूसर
11 भोमियारा
12 भोम ज्यैक
13 भोम नब्बासर
14 भोम पारेवाड़ा
15 भोमसाडू
16 चाड़वास
17 चक घंटियाल
18 ढढेरू भामुवां
19 ढढेरू गोदारां
20 ढाणी भोमपुरा
21 ढाणी कुम्हारान
22 ढाणी पोटलियान
23 ढाणी स्वामीयान
24 ढिगारिया
25 धोराण की ढाणी
26 डुंगरास आथूना
27 डंकर
28 दुर्गना राम नगर
29 गेवरसर
30 घंटियाल बाड़ी
31 घंटियाल छोटी
32 गोंदूसर
33 गोंदूसर नारनोतान
34 हरिनगर
35 हेमासर आथूणा
36 इयारा
37 जोगलसर
38 ज्याक
39 कालेरो की ढाणी
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This post was last modified on January 12, 2024