Co2 kya hai- जब हम सांस छोड़ते हैं तो co2 बाहर निकलती है।इसके अलावा हमारे आस पास जितने भी पौधे हैं वे इसका उपयोग भोजन बनाने मे करते हैं। और आक्सीजन छोड़ते हैं। जिसको हम सांस के साथ अंदर लेते हैं।co2 को कार्बन डाइऑक्साइड के नाम से जाना जाता है।कार्बन डाइऑक्साइड के एक अणु में, ऑक्सीजन के दो परमाणुओं के साथ बंधे हुए कार्बन का एक परमाणु होता है। कार्बन डाइऑक्साइड का रासायनिक सूत्र CO2 है। CO2 उचित मात्रा में हानिरहित है। यह एक गैस है जो हमारे वातावरण में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है।
कार्बन डाइऑक्साइड पौधों के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है । क्योंकि वे इसको प्रकाश संष्लेषण के अंदर प्रयोग करते हैं।सूर्य की ऊर्जा और क्लोरोफिल नामक हरी पत्तियों में पाए जाने वाले वर्णक का उपयोग करके पौधे ग्लूकोज का उत्पादन करते हैं, जो कि शर्करा का एक रूप है।
और O2 ऑक्सीजन गैस है जो इस क्रिया के अंदर बाहर निकलती है।जबकी हमारे शरीर के अंदर co2 एक अपशिष्ट पदार्थ की तरह होती है जिसको बाहर निकालने की आवश्यकता होती है।कुल मिलाकर पौधे और जीव मिलकर co2 के स्तर को नियत बनाए रखते हैं। आमतौर पर कार्बन डाइऑक्साइड जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलती है।
इतने वर्षों के अंदर ईंधन जलाने से बहुत अधिक co2 वातावरण के अंदर एकत्रित हो गई है। इसकी मात्रा के अंदर अधिक बढ़ोतरी होने से धरती का तापमान बढ़ रहा है और इससे मौसम की अनियमितता पैदा हो रही है।
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Co2 kya hai
co2 एक रंगहीन और गंधहीन गैस होती है। जिसको सभी जीव सांस के साथ बाहर निकालते हैं और पेड पौधे इसका प्रयोग करके भोजन का निर्माण करते हैं।यह कार्बन का एक परमाणु और आक्सीजन के दो परमाणु से मिलकर बनी होती है।यह वातावरण के अंदर स्वाभाविक रूप से होती है । वर्तमान सांद्रता 0.04% है।
यह गैसे प्राकृतिक स्रोतों जैसे गर्म पानी के झरने ,कार्बोनेट चट्टानों, नदी , भू जल ,बर्फ , पेट्रोलियम , गैस आदी के अंदर होती है। इसके अलावा वर्तमान मे उधोगों से बड़ी मात्रा मे c02 गैस निकलती है।
वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी पर जीवन के लिए प्राथमिक कार्बन स्रोत है।कार्बन डाइऑक्साइड का निर्माण कार्बनिक पदार्थों के क्षय और ब्रेड , बीयर और वाइन बनाने में शर्करा के किण्वन की प्रक्रियाओं के दौरान होता है। वेल्डिंग और अग्निशामक मे इनके अलावा सुपरक्रिटिकल सुखाने ,बियर आदि मे भी इसका यूज होता है।
co2 kya hai in hindi co2 की खोज
कार्बन डाइऑक्साइड पहली गैस थी जिसे असतत पदार्थ के रूप मे देखा जाता है।1640 में फ्लेमिश केमिस्ट जन बैपटिस्ट वैन हेलमॉन्ट ने एक बंद बर्तन के अंदर कोयला जलाया तो देखा कि राख का द्रव्यमान मूल लकड़ी की तुलना मे बहुत कम था। जैसाकि अब भी आप देखते हो कि लकड़ी बहुत सारी जलने के बाद मात्र थोड़ी सी ही राख बचती है।
इसकी व्याख्या यह रही कि बाकी चारकोल को एक अदृश्य पदार्थ में बदल दिया गया था, जिसे उन्होंने “गैस” या “वाइल्ड स्पिरिट के नाम से जाना गया।1750 के दशक में स्कॉटिश चिकित्सक जोसेफ ब्लैक के द्वारा कार्बन डाई आक्साइड के गुणों का अध्ययन किया गया था।
चूना पत्थर को गर्म करने पर एक गैस निकली जो आम हवा से अधिक सघन थी और इसी गैस को इंसान और पशु सांस से बाहर छोड़ते थे ।कार्बन डाइऑक्साइड को पहली बार 1823 में हम्फ्री डेवी और माइकल फैराडे ने तरलीकृत किया था।ठोस कार्बन डाइऑक्साइड ( सूखी बर्फ ) का सबसे पहला विवरण फ्रांसीसी आविष्कारक एड्रियन-जीन-पियरे थिलोरियर द्वारा दिया गया था।
co2 gas kya hai co2 के गुण/ कार्बन डाई ऑक्साइड के गुण
रासायनिक सूत्र | Co2 |
अणु भार | 44.009 ग्राम · मोल m1 |
दिखावट | रंगहीन गैस |
गंध | कम सांद्रता: कोई नहीं उच्च सांद्रता: तेज; अम्लीय |
घनत्व | 1562 किग्रा / मी 3 (1 atm और °78.5 ° C पर ठोस) 1101 किग्रा / मी 3 (संतृप्ति में तरल C37 ° C) 1.977 किग्रा / मी 3 (1 एटीएम और 0 डिग्री सेल्सियस पर गैस) |
गलनांक | C56.6 ° C; F69.8 ° F; २१६.६ K (५.१ atm पर ट्रिपल पॉइंट ) |
महत्वपूर्ण बिंदु ( टी , पी ) | 31.1 ° C (304.2 K), 7.38 मेगाकैसल (73.8 बार) |
उच्च बनाने की क्रिया शर्तेँ | C78.5 ° C; −109.2 ° F; 194.7 K (1 एटीएम) |
पानी में घुलनशीलता | 25 ° C (77 ° F) पर 1.45 g / L, 100 kPa |
वाष्प दबाव | 5.73 एमपीए (20 डिग्री सेल्सियस) |
अम्लता (पी के ए ) | 6.35, 10.33 |
चुंबकीय संवेदनशीलता (() | 1020.5 · 10 cm6 सेमी 3 / मोल |
ऊष्मीय चालकता | 0.01662 W m -1 K -1 (300 K) |
श्यानता | 25 डिग्री सेल्सियस पर 14.90 μPa · 70 μPa · s78.5 ° C पर |
द्विध्रुव आघूर्ण | 0 डी |
- कार्बन डाइऑक्साइड अणु रैखिक और सेंट्रोसिमेट्रिक है ।कार्बन-ऑक्सीजन बॉन्ड की लंबाई 116.3 pm है।
- कार्बन डाइऑक्साइड पानी के अंदर घूलनशील होती है।
- कार्बन डाइऑक्साइड रंगहीन और कम सांद्रता पर यह गंधहीन भी होती है। उच्च सांद्रता पर इसके अंदर अम्लिय गंध आ जाती है।
- मानक ताप और दाब पर इसका घनत्व 1.9kg/m3 है।
- कार्बन डाइऑक्साइड 520pka दाब के नीचे कोई तरल अवस्था मे नहीं होती है। .578.5 ° C के नीचे यह ठोस रूप मे जमा हो जाती है।
- ठोस रूप को कार्बन डाइऑक्साइड को आमतौर पर सूखी बर्फ कहा जाता है।
co2 के विभिन्न स्त्रोत
जैसा कि हम आपको उपर बता चुके हैं कि कार्बनडाई ऑक्साइड वायुमंडल के अंदर मुक्त रूप मे पाई जाती है। यह इंसानों के क्रिया कलापों से भी पैदा होती है। आइए जानते हैं इसके विभिन्न स्त्रोतों के बारे मे ।
Co2 kya hai वायुमंडल के अंदर कार्बनडाई ऑक्साइड
जैसा कि आप सब को पता है कि वायुमंडल के अंदर कार्बनडाई ऑक्साइड होती है।कार्बन डाइऑक्साइड की वायुमंडलीय सांद्रता के अंदर मौसम के साथ बदलाव आते हैं। जैसे उत्तरी गोलार्ध में वसंत और गर्मियों के दौरान गिरती है क्योंकि पौधे गैस का उपभोग करते हैं और उत्तरी शरद ऋतु और सर्दियों के दौरान बढ़ते हैं क्योंकि पौधे निष्क्रिय हो जाते हैं या मर जाते हैं
इसके अलावा शहरी क्षेत्रों के अंदर इसकी सांद्रता अधिक होती है तो ग्रामिण क्षेत्रों के अंदर इसकी सांद्रता कम होती है।जिवाश्म ईंधन वनों की कटाई और औधोगिकरण की वजह से वायुमंडल के अंदर कार्बनडाई ऑक्साइड की सांद्रता के अंदर 45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
मानव गतिविधियाँ प्रति वर्ष लगभग 29 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती हैं, जबकि ज्वालामुखी 0.2 से 0.3 बिलियन टन के बीच उत्सर्जित होते हैं। ईंधन के जलने से पैदा कार्बनडाई आक्साइड का आधा हिस्सा वायुमंडल के अंदर रहता है जो वनस्पतियों के द्वारा भी उपयोग नहीं लिया जाता है।पांच सौ मिलियन वर्ष पहले कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता आज की तुलना में 20 गुना अधिक थी, जुरासिक अवधि के दौरान घटकर 5 गुना हो गई थी। ऐसा माना जाता है।
महासागरों के अंदर कार्बनडाई ऑक्साइड
वायुमंडल के अंदर पैदा होने वाली कार्बनडाई गैस का 50 प्रतिशत हिस्सा महासागरों के अंदर मौजूद है।यह मानव द्वारा पैदा की गई कार्बनडाई गैस का एक तिहाई हिस्सा अपने पास रखते हैं।महासागरों में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है तो महासागरों के अंदर अम्लीकरण अधिक हो जाता है।और यह महासागर के अंदर रहने वाले जीवों के लिए घातक होती है। coccolithophores , कोरल , foraminifera , एकिनोडर्मस आदि जीव इससे प्रभावित होते हैं।
co2 रूम के अंदर कितनी होनी चाहिए
दोस्तों आपको पता होगा कि यदि रूम के अंदर कार्बनडाई ऑक्साइड का लेवल अधिक होता है तो गम्भीर नुकसान हो सकते हैं।
- 250-350ppm कार्बनडाई ऑक्साइड आम होती है। जो आमतौर पर हवा के साथ होती है।
- 350-1,000ppm यदि कार्बनडाई ऑक्साइड है तो यह ठीक है।
- 1,000-2,000ppm कार्बन डाई आक्साइड हवा मे होने का मतलब है कि हवा खराब है।
- 2,000-5,000 पीपीएम सिरदर्द, नींद और स्थिर, बासी, भरी हुई हवा। गरीब एकाग्रता, ध्यान की हानि, हृदय गति में वृद्धि और मामूली मतली भी पैदा कर सकती है।
- 40,000 पीपीएम हवा मे आक्सीजन होना गम्भीर ब्रेन क्षति पैदा कर सकता है और इससे मौत भी हो सकती है।
- 800 पीपीएम सीओ होने पर 2 से 3 घंटे के भीतर मौत हो सकती है।
- 12,800 पीपीएम सीओ डेथ 1 से 3 मिनट के भीतर हो जाती है।
1986 में पश्चिम अफ्रीका के अंदर लगभग 1700 लोगों की मौत के लिए कार्बनडाई ऑक्साइड को दोषी माना जाता है।ज्वालामुखीय गैसे की वजह से यह लोग मरे थे ।845 लोगों को सुरक्षा कर्मियों ने अस्पताल के अंदर भर्ती करवाया था।कार्बन डाइऑक्साइड के उच्च स्तर की वजह से बहुत से लोग कोमा के अंदर भी चले गए थे । हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि हवा के अंदर दूसरे पदार्थ भी मौजूद थे जो विषैले भी थे ।
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