cruise missile in hindi , cruise missile meaning in hindi क्रूज़ मिसाइल का नाम तो आपने सुना ही होगा ।क्रूज़ मिसाइल एक ऐसी मिसाइल होती है जोकि एक क्रूज मिसाइल एक निर्देशित मिसाइल है जिसका उपयोग स्थलीय लक्ष्यों के खिलाफ किया जाता है, जो वायुमंडल में रहता है और अपने उड़ान पथ के बड़े हिस्से को लगभग स्थिर गति से उड़ाता है। क्रूज मिसाइलों को उच्च परिशुद्धता के साथ लंबी दूरी पर एक बड़ा वारहेड पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है । आधुनिक क्रूज मिसाइलें उच्च सबसोनिक , सुपरसोनिक या हाइपरसोनिक गति से यात्रा करने में सक्षम हैं।
- ब्रिटिश 1909 की फिल्म द एयरशिप डिस्ट्रॉयर में दिखाया गया था कि एक ऐसी मिसाइल थी जिसका उपयोग लंदन के अंदर बम बारी करने वाले हवाई जहाजों पर अटैक करने के लिए थी। और यह एक तरह से रिमोट से कंट्रोल होती थी।
- 1916 में, अमेरिकी एविएटर लॉरेंस स्पेरी ने एक “एरियल टारपीडो”, हेविट-स्पेरी ऑटोमैटिक एयरप्लेन , एक टीएनटी चार्ज ले जाने वाला एक छोटा बाइप्लेन, एक स्पेरी ऑटोपायलट और एक बैरोमेट्रिक ऊंचाई नियंत्रण का निर्माण और पेटेंट कराया
- संयुक्त राज्य की सेना ने केटरिंग बग नामक एक समान उड़ने वाला बम विकसित किया था।
- सोवियत संघ में , सर्गेई कोरोलेव ने 1932 से 1939 तक GIRD -06 क्रूज मिसाइल परियोजना का नेतृत्व किया, जिसमें रॉकेट-संचालित बूस्ट- ग्लाइड बम डिज़ाइन का उपयोग किया गया था।
- 1944 में, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान , जर्मनी ने पहली परिचालन क्रूज मिसाइलों को तैनात किया। V-1 , जिसे अक्सर उड़ने वाला बम कहा जाता है , में एक गायरोस्कोप मार्गदर्शन प्रणाली होती है और इसे एक साधारण पल्सजेट इंजन द्वारा संचालित किया जाता था।
- 1943 में नाजी जर्मनी ने मिस्टेल कम्पोजिट एयरक्राफ्ट प्रोग्राम भी विकसित किया, जिसे एक अल्पविकसित एयर-लॉन्च क्रूज मिसाइल के रूप में देखा जा सकता है इसके अंदर विमान जैसा सिस्टम होता था और इसके उपर सारे बमों को रखा जा सकता था । एक तरह से देखा जाए तो यह काफी डेंजर सिस्टम होता था और इस विमान जैसे उपकरण को नजदीग आने पर गिरा दिया जाता था।
- युद्ध के तुरंत बाद, संयुक्त राज्य वायु सेना के पास 21 विभिन्न निर्देशित मिसाइल परियोजनाएं थीं, जिनमें क्रूज मिसाइलें भी शामिल थीं। 1948 के आने तक 4 मिसाइलों को रदृ कर दिया गया था।
- शीत युद्ध के दौरान , संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने इस अवधारणा के साथ आगे प्रयोग किया, भूमि, पनडुब्बियों और विमानों पर क्रूज मिसाइलों को तैनात कर दिया गया था।
- संयुक्त राज्य वायु सेना की पहली परिचालन सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का नाम MGM-1 Matador था।
- 1957 और 1961 के बीच संयुक्त राज्य अमेरिका ने परमाणु ऊर्जा से चलने वाली क्रूज मिसाइल, सुपरसोनिक लो एल्टीट्यूड मिसाइल (SLAM) का निर्माण करने के लिए परियोजना चलाई ।1961 मे इस परियोजना का परीक्षण पूरा नहीं हो पाया और उसके बाद परीयोजना को बीच मे ही बंद करना पड़ा।
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cruise missile in hindi एक क्रूज मिसाइल का उपयोग स्थलिय लक्ष्य के लिए किया जाता है।
दोस्तों यदि हम एक क्रूज मिसाइल की विशेषताओं की बात करें तो यह एक इस प्रकार की मिसाइल होती है जिसका उपयोग किसी स्थलिय लक्ष्य के लिए किया जाता है। इसका मतलब यह है कि जैसे सेना को किसी मकान को तबाह करना है तो वह क्रूज मिसाइल का प्रयोग कर सकते हैं। इस मिसाइल की मदद से हवा के अंदर मारने की क्षमता नहीं होती है। और यदि जमीन पर किसी लक्ष्य को तबाह करना है तो इसके लिए क्रूज मिसाइल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह से इसकी पहली विशेषता है कि यह जमीन पर मार करने वाली मिसाइल है।
इसके अंदर लक्ष्य को पहले निर्धारित किया जाता है
दोस्तों क्रूज मिसाइल की एक और खास बात यह है कि इसके अंदर लक्ष्य को पहले निर्धारित किया जाता है। जब मिसाइल को छोड़ा जाता है तो उससे पहले ही लक्ष्य को निर्धारित कर दिया जाता है। और उसके हिसाब से ही मिसाइल को छोड़ा जाता है। बाद मे लक्ष्य को नहीं बदला जा सकता है। तो आप समझ सकते हैं। कि यह कितना फायदेमंद होता है। इसमे लक्ष्य को बादमे नहीं बदला जा सकता है।
उड़ान पथ के प्रमुख हिस्से को लगभग स्थिर गति से उड़ाता है।
दोस्तों क्रूज मिसाइल की एक और खास बात आपको बतादें कि जब इस मिसाइल को छोड़ा जाता है तो यह अपनी गति को स्थिर रखता है। इसका मतलब यह है कि इसकी गति बदलती नहीं है। वरन स्थिर रहती है। और स्थिर ही बनी रहती है। जब तक कि यह लक्ष्य पर पहुंच कर गिर नहीं जाता है। तो यह भी एक क्रूज मिसाइल की खास बात होती है। आप समझ गए होंगे ।
क्रूज मिसाइल की मारक क्षमता कम होती है
दोस्तों क्रुज मिसाइल की मारक क्षमता की बात करें तो इसकी मारक क्षमता 500 किमी के आस पास होती है। इसका कारण यह है कि इसको लगातार चलने की आवश्यकता होती है। जिसकी वजह से इसकी मारक रेंज जो होती है वह कम हो जाती है।हालांकि नए दौर के अंदर नई नई टेक्नालॉजी आरही है तो इसके मारक रेंज के अंदर बदलाव भी हो सकता है।
क्रुज मिसाइल एक विमान जैसी हो सकती है
दोस्तों कुछ क्रुज मिसाइल आमतौर पर रॉकेट की तरह ही लॉंच होती हैं। लेकिन लांच होने के बाद यह विमान के अंदर मतलब जाती हैं। मतलब यह दिखने मे यह विमान की तरह लगती हैं और उसके जैसे काम करती हैं।इसके पंख जैसी संरचना हो सकती है। भारत कि निर्भय एक इसी तरीके की क्रूज मिसाइल है।
क्रूज मिसाइल आमतौर पर किसी रडार से पता करना मुश्किल हो सकता है
दोस्तों कुछ क्रूज मिसाइल इस तरह की भी बनाई जाती हैं कि उनका रडार से पता करना काफी कठिन होता है। दोस्तों इन मिसाइलों के अंदर इस तरह के खास प्रकार के सिस्टम लगाये जाते हैं ताकि यह रडार के पकड़ मे ना आए और सीधे अपने लक्ष्य को भेद पाने मे सक्षम हो जाए तो । इस तरह से क्रुज मिसाइल भी रडार की पकड़ से बच सकती है और उसके बाद दुश्मन पर हमला करने की क्षमता यह रखती है।
भारत की क्रूज मिसाइल BrahMos की जानकारी
ब्रह्मोस भारत की एक क्रूज मिसाइल है। जोकि रसिया के पास है। और इस मिसाइल को भूमी या फिर विमान और पंडुब्बी से भी लांच किया जा सकता है।यह विशेष रूप से दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है।यह रूसी संघ के NPO Mashinostroyeniya और भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जिन्होंने मिलकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस का गठन किया है ।
ब्रह्मोस नाम दो नदियों, भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा के नाम से बना एक बंदरगाह है।यह जो क्रूज मिसाइल है वह एंटिशिप क्रूज मिशाइल है। भारत और रूस अब संयुक्त रूप से 800 किमी रेंज के साथ ब्रह्मोस मिसाइलों की एक नई पीढ़ी को विकसित करने की योजना बना रहे हैं और सटीक सटीकता के साथ संरक्षित लक्ष्यों को हिट करने की क्षमता रखते हैं। अंतत: सभी मिसाइलों को 1500 किमी की सीमा तक अपग्रेड करने की योजना है।
सन 2004 के अंत भारत की सेना ने पोखरण के पास इसका परिक्षण किया और उसके बाद युद्ध अभियास किया ।BrahMos मिशाइल के रिपेयरिंग के लिए पहले सारे कल पूर्जे रसिया से आते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब भारत के अंदर ही इसके 65 फीसदी कल पुर्जे बनते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस परियोजना को 85 फीसदी तक बढ़ाने की योजना है।
सतह से क्रूज मिशाइल का परीक्षण
दोस्तों सतह से सतह के अंदर मार करने वाली क्रूज मिसाइल का परिक्षण भारत के अंदर किया गया । 14 जून 2004 को आईटीआर में एक और परीक्षण किया गया और ब्रह्मोस को एक मोबाइल लांचर से दागा गया।5 मार्च 2008 को, मिसाइल के भूमि हमले संस्करण को विध्वंसक आईएनएस राजपूत से दागा गया और मिसाइल ने लक्ष्य के एक समूह के बीच सही लक्ष्य को मारा और नष्ट कर दिया।
- 20 जनवरी 2009 को एक उपयोगकर्ता परीक्षण के दौरान, ब्रह्मोस का एक नए नेविगेशन सिस्टम के साथ परीक्षण किया गया था और इस दौरान मिसाइल अपने लक्ष्य के अंदर से चूक गई और यह जो थी वह साफटवेयर के अंदर गड़बड़ी के चलते हुई थी। निर्धारित 84 सेकंड के बजाय 112 सेकंड की यात्रा की और लक्ष्य से 7 किमी दूर गिर गई।
- और उसके बाद 4 मार्च सन 2009 को मिसाइल का एक और परीक्षण किया गया जोकि काफी सफल रहा ।
- 29 मार्च 2009 को ब्रह्मोस का फिर से परीक्षण किया गया। परीक्षण के लिए, मिसाइल को शहरी वातावरण में इमारतों के समूह के बीच एक इमारत की पहचान करनी थी। ब्रह्मोस ने लांच होने के कुछ ही समय बाद अपने लक्ष्यों को पूरा कर लिया । इस तरह से यह एक सफल मिसाइल रही ।
- 5 सितंबर 2010 को ब्रह्मोस के परीक्षण ने स्टीप-डाइव मोड में सुपरसोनिक गति से परीक्षण की जाने वाली पहली क्रूज मिसाइल होने का विश्व रिकॉर्ड बनाया और इसको चांदीपुर के अंदर से लांच किया गया था। इस तरह से यह मिसाइल भारतिय सेना का प्रमुख अंग बन गई थी।
- 22 मार्च 2018 को पहली बार ब्रह्मोस का एक भारतीय साधक के साथ परीक्षण किया गया और 30 सितंबर 2019 को भारत द्वारा विकसित प्रणोदन प्रणाली, एयरफ्रेम और बिजली आपूर्ति के साथ परीक्षण किया गया।
- 30 सितंबर 2020 को, भारत ने एक विस्तारित रेंज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 400 किमी से अधिक के लक्ष्य को आसानी से भेद सकती है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं कि यह कितनी घातक क्रूज मिसाइल है।
भारत की क्रूज मिसाइल ब्रह्रमोस का पनडुब्बी से लांच किया गया संस्करण
दोस्तों ब्रह्रमोस मिसाइल को पनडुब्बी से भी लांच किया गया था। ब्रह्मोस के पनडुब्बी-प्रक्षेपित संस्करण का पहली बार 20 मार्च 2013 को बंगाल की खाड़ी के तट पर विशाखापत्तनम के पास एक जलमग्न पोंटून से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। और यह मिसाइल पाने के अंदर से 50 मीटर की गहराई से परीक्षण किया गया था जो कि पूरी तरह से सफल रहा ।
ब्रह्मोस-ए से मिसाइल को हवा से लांच करना
दोस्तों ब्रह्मोस-ए मिसाइल है जिसको सुखोई एसयू 30 से हवा के अंदर लांच किया जा सकता है। और यह ब्रह्मोस-ए मिसाइल की जो मारक क्षमता है वह 12 मीटर तक होती है।इसे 500 से 14,000 मीटर (1,640 से 46,000 फीट) की ऊंचाई से छोड़ा जा सकता है। और इस मिसाइल के वजन कम करने के लिए कई तरह के बूस्टर यूज किये गए जिससे इसका वजन भी काफी कम हो गया । ब्रह्मोस-II एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जो वर्तमान में विकास के अधीन है और इसकी सीमा 600 किमी होने का अनुमान है।
List of cruise missiles in world
Missile | Type | Range (km) |
AGM-28 Hound Dog | Air to Surface | 1,263 |
AGM-86 ALCM | Air to Surface | 2,400+ |
AGM-129 ACM | Air to Surface | 3,700 |
AGM-158 JASSM | Air to Surface | ~1,000 |
Tomahawk (missile) | 1,300-2,500 | |
Air-Sol Moyenne Portée | Air to Surface | 300 |
SOM (missile) | Air to Surface, Anti-ship missile | 250 |
Atmaca | Surface-to-surface missile, Anti-ship Cruise Missile | 220 |
GEZGİN | Surface-to-surface missile, Anti-ship Cruise Missile | 800-1,400 |
Hyunmoo-3 | 500-1,500 | |
Babur-1 | Surface to Surface | 700 |
Babur-1B | Surface to Surface | 900 |
Babur-1A | Surface to Surface | 700 |
Babur | Submarine launched Sea to Surface | 450 |
Harbah | Sea to Surface, Anti Ship missile | 750 |
Zarb missile | Sea to Surface, Surface to Sea, Surface to Surface | 320 |
Ra’ad Mk | Air to Surface | 350 |
Ra’ad MK-2 | Air to Surface | 600 |
BrahMos | Cruise missile | 290-600 |
Air-launched cruise missile | ||
Anti-ship missile | ||
Land-attack missile | ||
Surface-to-surface missile | ||
Submarine-launched cruise missile | ||
BrahMos-II | Hypersonic Cruise missile | 1000 |
Air-launched cruise missile | ||
Anti-ship missile | ||
Land-attack missile | ||
Surface-to-surface missile | ||
Nirbhay | 1,500 | |
P-700 Granit | Anti-ship missile | 625 |
P-800 Oniks | Anti-ship missile | 600 |
Perseus | Anti-ship & Land-attack missile | 300 |
Kh-101 | Air to Surface | 4,500 |
AV-TM 300 | Surface-to-surface missile | 300 km |
Ghadir | Anti-ship cruise missile | 300 km |
Qader | Anti-ship cruise missile | 300 km |
Top Cruise Missiles in the World
Cruise Missiles की जब बात आती है। तो दुनिया के अंदर एक से बड़कर एक घातक क्रूज मिसाइल मौजूद हैं आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । यदि क्रूज मिसाइल के बारे मे जानना चाहते हैं तो हम आपको यहां पर दुनिया की कुछ घातक क्रूज मिसाइल के बारे मे बताने वाले हैं। यदि आपको इन मिसाइल के बारे मे कुछ भी पता नहीं है। तो हम यहां पर आपको बताते हैं कि क्रूज मिसाइल क्या होती है ? और यह किस तरह से काम करती है ?
RGM 84 HARPOON BLOCK II
RGM 84 HARPOON BLOCK II एक बहुत ही घातक क्रूज मिसाइल है जोकि कई तरह के सिस्टमों से लेश होती है।यह एक जहाज-प्रक्षेपित ऑल-वेदर ओवर-द-क्षितिज एंटी-शिप मिसाइल है। और यह 500 पाउंड तक विस्फोटक को ले जाने मे सक्षम होती है। इस मिसाइल का प्रयोग तटिय इलाकें और बदरगाहों को नष्ट करने के लिए आसानी से किया जा सकता है। अब आप समझ सकते हैं कि यदि किसी जगह पर यह मिसाइल गिर जाएगी तो वहां की क्या दसा हो सकती है।
RBS-15 MK III
मिसाइल को स्वीडिश कंपनी साब बोफोर्स डायनेमिक्स द्वारा विकसित किया गया था ।और यह जमीन से सतह पर मार करने वाली क्रूज मिसाइल है। यह हवा से छोड़ी जा सकती है। और दुस्मनों के ठिकानों को तबाह करने के लिए काफी है।
विशेष विवरण | |
द्रव्यमान | 820-810 किग्रा (बूस्टर के साथ) 660-650 किग्रा (उड़ान में) |
लंबाई | 4.35 वर्ग मीटर |
व्यास | 50 सेमी |
वारहेड | 200 किग्रा एचई ब्लास्ट और प्री-फ्रैगमेंटेड वारहेड। |
पहला हथियार अनुबंध 1979 में हस्ताक्षरित किया गया था। और उसके बाद स्वीडन सरकार ने स्वदेशी मिसाइल का चयन किया गया था और पहली मिसाइल को सन 1985 ई के अंदर सेना को देदी गई थी।
स्वीडिश नौसेना ने 1984 में मिसाइल को RBS 15F का तटीय रक्षा संस्करण विकसित करने का आदेश दिया था । मिसाइल को स्वीडिश नौसेना द्वारा ‘आरबी 15’ के रूप में स्वीडिश नौसेना सेवा में शामिल किया गया था।
दोस्तों आपको बतादें कि यह मिसाइल सिर्फ स्वीडन के पास ही नहीं है। और भी बहुत सारे देश हैं जिनके पास यह मिसाइल मौजूद है। इस तरह से दोस्तों यह खास प्रकार की मिसाइल काफी डेंजर है।
Standoff missile
दोस्तों आपको बतादें कि यह सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। और यह जमीन पर आसानी से किसी भी तरह के लक्ष्य को भेद सकती है। यदि हम इसकी मार की बात करें तो यह 180 किलोमीटर तक आसानी से मार सकती है। तो आप समझ सकते हैं कि यह एक लंबी दूरी की मिसाइल है जोकि काफी घातक है।
विशिष्ट स्टैंड-ऑफ हथियारों में क्रूज मिसाइल , ग्लाइड बम और कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल शामिल हैं। दोस्तों आपको बतादें कि इस मिसाइल के कई सारे प्रकार होते हैं तो उनकी लिस्ट भी कुछ इस प्रकार से है ।
- एयर-सोल मोयेन पोर्टी फ्रेंच एयर-लॉन्च परमाणु मिसाइल
- एजीएम-28 हाउंड डॉग
- एजीएम-69 एसआरएएम
- एजीएम-86 एएलसीएम
- एजीएम-129 एसीएम
- एजीएम-154 जेएसओडब्ल्यू
- AGM-158 JASSM
- ब्रह्मोस
- बाबुरी
- Khagantak
- मॉड-12 टेल गाइडेंस किट के साथ B61 परमाणु बम ।
- उम्बानी
- DRDO SAAW
- GAM-87 स्काईबोल्ट
- एच-2 बोना
- एच-4 बोना
- राद एमके-1
- राद एमके-2
- तकबीर
- बार्क
- बाबर-1
- बाबर-1ए
- बाबर-2
- बाबर-3
- गाइड रेक
- ज्वाइंट स्ट्राइक मिसाइल
- इंद्रधनुष ख -20
- इंद्रधनुष ख-22
- इंद्रधनुष केएसआर -5
- इंद्रधनुष ख-55
- इंद्रधनुष ख -15
- Rudram-1
- Nirbhay
- सोम मिसाइल
- स्टैंडऑफ लैंड अटैक मिसाइल
- तूफानी छाया
- वाईजे-18
Naval Strike Missile
Naval Strike Missile नेवल स्ट्राइक मिसाइल (NSM) नॉर्वेजियन कंपनी कोंग्सबर्ग डिफेंस एंड एयरोस्पेस (KDA) द्वारा विकसित एक एंटी -शिप और लैंड-अटैक मिसाइल है।और यदि हम इस मिसाइल की बात करें तो यह आमतौर पर यह मिसाइल 400 टन की होती है। और इसकी जो मारक क्षमता होती है वह 180 किमी होती है। आप समझ सकते है कि इतनी वजन मिसाइल किस तरह से तबाही मचाने का काम करती है। खैर असंवेदनशील उच्च-विस्फोटक इसके अंदर भरा जाता है।लक्ष्य चयन तकनीक एनएसएम को समुद्र या तट पर स्वतंत्र पहचान, पहचान और लक्ष्यों के भेदभाव की क्षमता प्रदान करती है।
यह एक इमेजिंग इन्फ्रारेड (IIR) साधक और एक ऑनबोर्ड लक्ष्य डेटाबेस के संयोजन से संभव है । इसके अलावा इस मिसाइल के अंदर जीपीएस सिस्टम भी होता है। जिसकी मदद ली जा सकती है।एक ठोस रॉकेट बूस्टर द्वारा हवा में लॉन्च किए जाने के बाद वह जल जाता है और उसके बाद मिसाइल को टर्बोजेट सस्टेनर इंजन द्वारा उच्च सबसोनिक गति में अपने लक्ष्य के लिए प्रेरित किया जाता है। पौलेंड कनाडा जर्मनी और फ्रांस के पास इस तरह की मिसाइल देखने को मिलती है। आप इसके बारे मे जान सकते हैं।
AGM-86 ALCM
यह जो मिसाइल है वह अमेरिका सेना के अंदर है और अमेरिका की वायु सेना इसका उपयोग करती है। यह दुश्मन को कमजोर करने का काम करती है और अपने देश की रक्षा करती है।
बनाया गया | 1974 |
उत्पादक | बोइंग इंटीग्रेटेड डिफेंस सिस्टम्स |
इकाई लागत | AGM-86C के लिए $1 मिलियन (AGM-86B) अतिरिक्त $160,000 रूपांतरण लागत; AGM-86D के लिए अतिरिक्त $896,000 रूपांतरण लागत |
प्रस्तुत | 1980 |
संख्या निर्मित | 1,715 (एजीएम-86बी), 239 (एजीएम-86सी), 50 (एजीएम-86डी) |
वेरिएंट | एजीएम-86बी (1982), एजीएम-86सी (1991), एजीएम-86डी (2001) |
विशेष विवरण | |
द्रव्यमान | 3,150 पाउंड (1,430 किग्रा) |
लंबाई | 20 फीट 9 इंच (6.3 मीटर) |
व्यास | 24.5 इंच (620 मिमी) |
वारहेड | W80 थर्मोन्यूक्लियर हथियार (AGM-86B) पारंपरिक वारहेड (AGM-86C) AUP वारहेड (AGM-86D) |
वारहेड वजन | 908 किग्रा (एजीएम-86सी ब्लॉक 0) 1362 किग्रा (एजीएम-86सी ब्लॉक 1) 1,200 पौंड (540 किग्रा) वर्ग उन्नत एकात्मक मर्मज्ञ वारहेड (एजीएम-86डी) |
यन्त्र | विलियम्स इंटरनेशनल F107 -WR-101 टर्बोफैन इंजन 600 lbf (2.7 kN) थ्रस्ट |
पंख फैलाव | 12 फीट (3.7 मीटर) |
परिचालन सीमा | AGM-86B: 1,500+ मील (2,400+ किमी) AGM-86C: वर्गीकृत (नाममात्र 680 मील, 1,100 किमी) |
अधिकतम गति | एजीएम -86 बी: 550 मील प्रति घंटे (890 किमी / घंटा, मच 0.73) एजीएम 86 सी: वर्गीकृत (नाममात्र उच्च सबसोनिक) |
मार्गदर्शन प्रणाली | एजीएम-86बी: टरकॉम अपडेट के साथ लिटन जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली तत्व एजीएम 86सी: लिटन आईएनएस तत्व मल्टी-चैनल ऑनबोर्ड जीपीएस के साथ एकीकृत |
लॉन्च प्लेटफॉर्म | बोइंग बी-52एच स्ट्रैटोफ़ोर्ट्रेस |
Nirbhay
Nirbhay भारत की एक क्रूज मिसाइल है। जिसके बारे मे आपको पता होगा ही ।यह काफी डेंजर मिसाइल है। और भारत ने इसको स्वदेशी उपकरणों से विकसित किया है। इसकी जो मारक क्षमता होती है। वह 1500 किमी है।मिसाइल को कई प्लेटफार्मों से लॉन्च किया जा सकता है और यह पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। और जब से चीन के साथ गतिरोध पनपा है यह चीन की सीमा के पास ही तैनात कर दिया गया है।मिसाइल की लंबाई 6 मीटर, चौड़ाई 0.52 मीटर, पंख की लंबाई 2.7 मीटर और वजन लगभग 1500 किलोग्राम है। इसकी रेंज लगभग 1500 किमी है और यह 200 से 300 किलोग्राम के बीच मिशन की आवश्यकताओं के आधार पर 24 विभिन्न प्रकार के वॉरहेड देने में सक्षम है। इस मिसाइल के बारे मे यह कहा जा रहा है कि यह जो मिसाइल है इस प्रकार से बनाई गई है कि यह एक लक्ष्य को तलास सकती है। और उसके बाद उस लक्ष्य के उपर आसानी से हमला कर सकती है। इस तरह से यह काफी डेंजर मिसाइल है। आपको बतादें कि दुश्मन के रडार से बचने के लिए यह मिसाइल खास प्रकार से डिजाइन की गई है। मिसाइल की पहली परीक्षण उड़ान की योजना अक्टूबर 2012 में बनाई गई थी।
- पहली बार ओडिशा के बालासोर जिले के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से 12 मार्च 2013 को परीक्षण किया गया था।और इस मिसाइल का लक्ष्य बंगाल की खाड़ी के अंदर 1500 किमी स्थित लक्ष्य को मारना था लेकिन यह अपने लक्ष्य से चूक गई और यह आंशिक रूप से सफल रही ।
- 17 अक्टूबर 2014 को, ओडिशा के बालासोर जिले के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से मिसाइल के सतह संस्करण का एक बार फिर परीक्षण किया गया और इस बार परीक्षण सफल रहा।
- और उसके बाद इस मिसाइल का तीसरा परीक्षण किया जाना था ।मिसाइल का तीसरा परीक्षण 16 अक्टूबर 2015 को हुआ मिसाइल अपनी 1500 किमी की सीमा में केवल 128 किमी की दूरी तय करने के 11 मिनट बाद बंगाल की खाड़ी में दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
Kh-101 / Kh-102
Kh-101 / Kh-102 बहुत ही डेंजर मिसाइल है। और यह 4500 किमी तक की मारक क्षमता को रखती है।यह इन्फ्रारेड और रडार सिस्टम के नीचे कम ऊंचाई वाले उड़ान पथ पर यात्रा करता है । और यह मिसाइल इस प्रकार से डिजाइन की गई है। कि रडार भी इसका पता नहीं लगा सकती है। यह सीधे दुश्मन के इलाके को हिट करने का काम करती है। लॉन्च के समय मिसाइल का वजन 2,300-2,400 किलोग्राम होता है और इसे बिना बूस्टर के दागा जाता है, इसे प्रारंभिक वेग देने के लिए लॉन्चिंग एयरक्राफ्ट की गति का उपयोग किया जाता है।
मिसाइल लगभग 6,000 मीटर की ऊंचाई पर परिभ्रमण करती है।7 इसकी अनुमानित उड़ान सहनशक्ति लगभग 10 घंटे है।यह मिसाइल रूस की वायुसेना के पास सन 2012 से ही मौजूद है।रूस ने 17 नवंबर, 2016 को इदलिब और होम्स के शहरों के पास ISIS के ठिकानों के खिलाफ हमलों में दो Kh-101 का इस्तेमाल किया।
इसके अलावा भी कई बार रूस इस मिसाइल का इस्तेमाल कर चुका है। खास तौर पर रूस ने आईएसआई के लिए इस मिसाइल का इस्तेमाल किया था। आतंकवादी संगठनों को नष्ट करने के लिए इस मिसाइल का इस्तेमाल किया गया ।
Tomahawk (missile)
यह जो मिसाइल है वह एक लंबी दूरी की मिसाइल है जोकि 2500 किमी तक जा सकते है। और इसको पनडुब्बी या फिर जहाज से भी लांच किया जा सकता है। पहली बार 1970 के दशक में जनरल डायनेमिक्स द्वारा निर्मित किया गया था । इसका उद्देश्य एक मध्यम से लंबी दूरी की, कम ऊंचाई वाली मिसाइल की भूमिका को भरना था जिसे नौसैनिक सतह युद्ध मंच से लॉन्च किया जा सकता था। टॉमहॉक का उपयोग हाल ही में अमेरिकी नौसेना द्वारा सीरिया के खिलाफ 2018 मिसाइल हमलों में किया गया था ।
टॉमहॉक मिसाइलों की संख्या दागी गई | ||
कार्यवाही | वर्ष | संख्या |
खाड़ी युद्ध | 1991 | 288 |
इराक का हिस्सा निरस्त्रीकरण | 17 जनवरी 1993 | 46 |
इराक का हिस्सा निरस्त्रीकरण | 26 जून 1993 | 23 |
ऑपरेशन बल | 10 सितंबर 1995 | 13 |
इराक का हिस्सा निरस्त्रीकरण | 3 सितंबर 1996 | 44 |
ऑपरेशन अनंत पहुंच | 20 अगस्त 1998 | 79 |
ऑपरेशन डेजर्ट फॉक्स | 16 दिसंबर 1998 | 325 |
यूगोस्लाविया पर नाटो बमबारी | 1999 | 218 |
ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम | 2001 | 50 |
2003 इराक पर आक्रमण | 2003 | 802 |
डोबले हवाई हमला | 3 मार्च 2008 | 2 |
यमन में अल-कायदा के प्रशिक्षण शिविर के खिलाफ | 17 दिसंबर 2009 | 2 |
2011 लीबिया में सैन्य हस्तक्षेप | 19 मार्च 2011 | 124 |
आईएसआईएल के खिलाफ सैन्य हस्तक्षेप | 23 सितंबर 2014 | 47 |
यमन में हौथियों द्वारा दागी गई जहाज-रोधी मिसाइलों के जवाब में | 13 अक्टूबर 2016 | 5 |
Shayrat missile strike | 6 अप्रैल 2017 | 59 |
2018 दमिश्क और होम्स पर बमबारी | 13 अप्रैल 2018 | 66 |
इस तरह से दोस्तों इस लेख के अंदर हमने क्रुज मिसाइलों के बारे मे जाना और यह भी जाना कि दुनिया के अंदर किस किस तरह की क्रुज मिसाइल मौजुद हैं ? और यह किस तरह से काम करती हैं। आपको पता चला कि दुनिया के अंदर लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल भी मौजुद हैं। और छोटी दूर की क्रूज मिसाइल भी मौजूद हैं।
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This post was last modified on March 27, 2022