ध्वनि प्रदूषण को रोकने का उपाय के बारे मे जानकारी ध्वनि प्रदूषण की परिभाषा के बारे मे हम सबसे पहले बात कर लेते हैं। ध्वनी प्रदूषण का मतलब होता है , वे सारी अनुपयोगी ध्वनी जोकि मानव और जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचाती हैं। ध्वनी प्रदूषण काफी तेजी से बढ़ने वाली चीज हो चुकी है। यदि आप शहर के अंदर रहते हैं। तो वहां पर बहुत अधिक ध्वनी प्रदूषण होता है। कई सारे ध्वनी प्रदूषण के स्त्रोत होते हैं।तेज ध्वनी कानों के पर्दों को नुकसान पहुंचा सकती है।और यदि आप रोजाना तेज ध्वनी को सुनते हैं। तो इसकी वजह से आपके कान के पर्दे फट सकते हैं।
ध्वनि प्रदूषण किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव-जन्तुओं को परेशानी होती है। ध्वनिक प्रदूषण चिड़चिड़ापन एवं आक्रामकता के अतिरिक्त उच्च रक्तचाप, तनाव, कर्णक्ष्वेड, श्रवण शक्ति का ह्रास, नींद में गड़बड़ी और अन्य हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है।
ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं:
- परिवहन: वाहनों के हॉर्न, इंजन, ब्रेक, आदि से उत्पन्न ध्वनि
- औद्योगिक गतिविधियां: कारखानों, मशीनों, आदि से उत्पन्न ध्वनि
- निर्माण कार्य: निर्माण मशीनों, हथौड़ों, आदि से उत्पन्न ध्वनि
- मनोरंजन: संगीत कार्यक्रम, खेल आयोजन, आदि से उत्पन्न ध्वनि
- धार्मिक आयोजन: धार्मिक आयोजनों में बजाए जाने वाले वाद्ययंत्रों से उत्पन्न ध्वनि
60 डीबी की आवाज को सामान्य आवाज माना जाता है। लेकिन जब ध्वनी 80 डीबी से अधिक चली जाती है। तो यह यह ध्वनी प्रदूषण का कारण बन जाती हैं। और इस तरह की ध्वनी से दूरी बनाकर रखनी चाहिए । नहीं तो अपने कानों के अंदर ध्वनी को रोकने के लिए कुछ इयर प्लग लगाना चाहिए । यह आपको तेज ध्वनी से बचाने का काम करता है।
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ध्वनि प्रदुषण से बचाव के उपाय Dhwani Pradushan Se Bachne Ke Upay in Hindi
ध्वनि प्रदुषण से बचाव के उपाय के बारे मे हम सबसे पहले आपको बताने वाले हैं। ध्वनी प्रदूषण को रोकने के लिए कई सारे उपाय किये जा सकते हैं। और उनकी मदद से ध्वनी प्रदूषण को रोका जा सकता है। यह उपाय सरकार के स्तर पर और आम इंसान के स्तर पर किये जा सकते हैं। ध्वनी प्रदूषण को रोकने के लिए सभी की भागीदारी होना जरूरी होता है। कोई अकेला इंसान इन सब चीजों को नहीं रोक सकता है।
तेज ध्वनी स्त्रोतों पर प्रतिबंध लगाना
जो भी स्त्रोत काफी तेज ध्वनी करते है। उनके उपर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए । और ऐसे कई सारे उपकरण हो सकते हैं। जैसे कि शादी विवाह के अंदर बजने वाले डीजे और बड़े वाहनों की सीटी आदि कुछ ऐसी चीजें होती हैं , जोकि काफी तेज ध्वनी करती हैं। इसके अलावा पुराने वाहन जोकि खराब हो चुके हैं। और काफी तेज ध्वनी करते हैं। उनके उपयोग को बंद करना चाहिए । और उनके स्थान पर नए वाहनों का प्रयोग किया जाना चाहिए । जिससे कि ध्वनी प्रदूषण को कम करने मे मदद मिलेगी । यदि तेज ध्वनी स्त्रोतों पर प्रतिबंध लगाया जाता है , तो बहुत हद तक ध्वनी प्रदूषणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
अधिक ध्वनी पैदा करने वाली मशीनों को सुरक्षित ध्वनी पर सेट किया जाए
जैसे कि होर्न आदि की जो ध्वनी होती है , वह काफी तेज होती है। इसलिए इनकी ध्वनी को सुरक्षित ध्वनी के लिए सेट किया जाना चाहिए । सभी उपकरणों की ध्वनी को नियंत्रित करने के लिए ध्वनी रोधी उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए । जिससे कि इनका शौर काफी हद तक कम किया जा सकता है। ध्वनी रोधी उपकरणों को उपयोग करने से अधिक ध्वनी की हानि से बचा जा सकता है।
ध्वनी प्रदूषण के बारे मे जागरूकता फैलाएं
लोगों को ध्वनी प्रदूषण के बारे मे अधिक से अधिक बताया जाना चाहिए । इसके लिए कुछ चीजें की जा सकती है। स्कूल और कॉलेज के अंदर ध्वनी प्रदूषण से जुड़े नारों को लिखना चाहिए ।इसके अलावा मििडया के अंदर ध्वनी प्रदूषण से जुड़े विज्ञापन चलाये जाने चाहिए । ताकि अधिक से अधिक लोग इसके बारे मे जान सकें । ध्वनी प्रदूषण के नुकसान के बारे मे भी सभी को अवगत करवाया जाना जरूरी होता है। जितने अधिक लोग जागरूक होंगे उतना ही ध्वनी प्रदूषण काफी कम होगा ।इसके लिए सरकारें प्रयास कर सकती हैं।
टीवी वैगरह पर इसके लिए विज्ञापन भी चलायें जा सकते हैं। और लोगों को ध्वनी प्रदूषण के नुकसान के बारे मे अच्छे से बताया जा सकता है।
पब्लिक ट्रांसपोर्ट का अधिक उपयोग करना
दोस्तों आपको पता ही है कि आजकल हर किसी के पास अपना वाहन होता है , और यही वजह है कि शहर की सड़के काफी अधिक भरी रहती हैं। तो ध्वनी प्रदूषण को कम करना है , तो नीजी वाहनों की जगह पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाना जरूरी होता है। इससे ध्वनी प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। या कम करने मे मदद मिल सकती है। सरकारों को भी इसके उपर ध्यान देने की जरूरत है। हर शहर के अंदर सवारियों के लिए अच्छी तरह से यातायात उपलब्ध होने चाहिए । तभी यह संभव हो सकता है। इसके अलावा बड़े शहरों के अंदर यह नियम जल्दी ही लागू करने से ध्वनी प्रदूषण से बड़ी राहत मिल सकती है। हालांकि इस तरह के नियमों को लागू करना कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग अनिवार्य है , काफी अधिक कठिन है।
इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग करना
दोस्तों शहरों के अंदर सबसे अधिक ध्वनी गाड़ी और मोटर की वजह से होती है। और इससे बचने का एक तरीका यह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाना काफी अधिक जरूरी होता है। क्योंकि उनके अंदर इंजन नहीं होता है। और मोटर काफी कम आवाज करती है। उससे किसी भी तरह का ध्वनी प्रदूषण नहीं होता है। हालांकि सरकार इस दिशा के अंदर काम कर रही है। लेकिन अभी भी इसके बारे मे और अधिक काम करने की जरूरत है ।काफी अधिक प्रयास किये जाने की जरूरत है। धीरे धीरे ई बाइक की सेल के अंदर ग्रोथ देखने को मिल रहा है। मगर पूरी तरह से इन चीजों को धरातल पर उतरने मे समय लगेगा ।
अधिक से अधिक पौधारोपण करें
दोस्तों वैज्ञानिक रिसर्च से यह साफ हो चुका है
कि हरे पौधे ध्वनी को अवशोषित कर लेते हैं। उनके अंदर छोटे छोटे छिद्र होते हैं , जोकि ध्वनी को अवशोषित करने का काम करते हैं। इसके अलावा उनकी हरी पतियों से टकराकर ध्वनी बिखर जाती है। यह असल मे एक अनुभव है। और हमने भी यह देखा कि सड़क के किनारे और बीच मे जिन स्थानों पर पौधे लगे हुए थे । वहां पर ध्वनी अच्छी तरह से तेज नहीं थी। नीम, पीपल, बरगद, अशोक आदि को सड़क के किनारे लगाया जाना चाहिए ।और सड़के बीचों बीच भी पौधों को लगाया जा सकता है। नियमित रूप से यदि उनकी सही तरह से देखभाल की जाती है , तो बहुत हद तक ध्वनी प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सकता है। सड़क किनारे पौधारोपण से ध्वनि प्रदूषण को कम करने के अलावा अन्य भी कई लाभ होते हैं। जैसे कि:
- यह वायु गुणवत्ता में सुधार करता है।
- यह प्रदूषण से होने वाले रोगों को कम करता है।
- यह तापमान को कम करता है।
- यह शहर की सुंदरता में वृद्धि करता है।
सड़क के किनारे पौधे लगाने का प्रयास छोटे शहरों के अंदर भी काफी अधिक प्रचलित हुआ था । लेकिन वहां पर उतना अधिक सफल नहीं हो पाया । लेकिन यदि आप बड़े शहरों के अंदर देखेंगे तो सड़के के आस पास बहुत सारे पौधे लगे हुए हैं।
हार्न के अनुचित प्रयोग को रोकना
कुछ लोगों की आदत होती है , कि वे बार बार हार्न बचाते रहते हैं। जबकि उन जगहों पर हार्न की जरूरत भी नहीं होती है। तो बेकार के अंदर होर्न को बचाने से रोकना जरूरी होता है। खास कर शहर के अंदर बेकार मे होर्न बजाने पर पूरी तरह से प्रतिबंधित होना चाहिए । क्योंकि इसकी वजह से काफी अधिक लोग प्रभावित होते हैं। आस पास काम कर रहे लोगों का ध्यान भंग हो जाता है। होर्न की आवाज काफी अधिक तीखी होती है।
उद्योगों में ध्वनिरोधी उपकरण लगाए जा सकते हैं
कारखानो के अंदर कई सारी मशीनरी होती हैं।और वे मशीनरी आवाज करती हैं । जिसकी वजह से काफी अधिक शोर होता है। उधोगों से निकलने वाली ध्वनी को कम करने के लिए ध्वनी रोधी उपकरणों को लगाया जाना चाहिए । जिससे कि ध्वनी को कम करने मे काफी हद तक मदद मिलेगी ।
ध्वनि अवशोषक उपकरण वे उपकरण होते हैं , जोकि ध्वनी को अवशोषित करते हैं।यह आमतौर पर मोम आदि से बने होते हैं।
ध्वनि परिवर्तक ध्वनि को एक प्रकार की ध्वनि में बदलकर काम करते हैं जिसे अधिक आसानी से अवशोषित किया जा सकता है। ये आमतौर पर मिट्टी, कंक्रीट या अन्य भारी सामग्री से बने होते हैं।
ध्वनि प्रतिबिक्षक: ध्वनि प्रतिबिक्षक ध्वनि को एक अलग दिशा में प्रतिबिंबित करके काम करते हैं। ये आमतौर पर धातु, प्लास्टिक या अन्य चमकदार सामग्री से बने होते हैं।
ध्वनी प्रदूषण को कम करने के लिए पटाखों का प्रयोग कम करें
दोस्तों नई साल हो या फिर अन्य कोई त्यौहार लोग बहुत अधिक तेज आवाज वाले पटाखे का प्रयोग करते हैं। आपको बतादें कि ध्वनी प्रदूषण को कम करने के लिए पटाखों का प्रयोग कम करना चाहिए। या फिर इस तरह के पटाखे चलाये जाने चाहिए जोकि कम आवाज के होते हैं। अधिक आवाज के पटाखों को चलाने से बचना चाहिए । या फिर उनके उपर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ।
रात मे तेज आवाज मे स्पीकर बजाये जाने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए
दोस्तों जब किसी के यहां पर शादी और विवाह होता है , तो यह बहुत ही जरूरी है कि रात के अंदर खास कर देर रात पर स्पीकर बजाये जाने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए । अक्सर क्या होता है , कि दिन मे लोग कोई भी खास स्पीकर बजा नहीं पाते हैं। मगर रात मे काफी तेज आवाज मे स्पीकर को बजाते हैं। तो रात मे स्पीकर बजाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध होना चाहिए । इससे एक तो आस पास के लोग काफी अधिक परेशान हो जाते हैं और ध्वनी प्रदूषण भी फैलता है।
इसके उपर कानून भी बनाया जा सकता है। यदि कोई कानून को तोड़ता है , तो उसके उपर फाइन लगाया जाना चाहिए। बिना कानून के तो कोई यहां पर मानने वाला है नहीं ।
ध्वनी प्रदूषण पर कानून बनाया जाना चाहिए
दोस्तों वैसे तो भारत के अंदर कानून का कोई खास महत्व नहीं है। मगर फिर भी सरकारों को ध्वनी प्रदूषण को रोकने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए । यह बहुत ही जरूरी होता है। ध्वनी प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानून को सभी राज्यों के अंदर लागू किया जाना चाहिए । तभी इसका उचित फल मिल सकता है। जब पुलिस ध्वनी प्रदूषण कानून के तहत लोगों को पकड़ने लग जाएगी , तो उसके बाद लोग बेकार मे ध्वनी प्रदूषण करना अपने आप ही बंद कर देंगे।
ध्वनी प्रदूषण रोकने के लिए व्यक्तिगत प्रयास जरूरी
दोस्तों जब आपको पता है कि ध्वनी प्रदूषण करना अच्छी बात नहीं है। मगर उसके बाद भी आप नहीं रूकते हैं , तो इस तरह से कभी भी ध्वनी प्रदूषण को रोकने मे सफल नहीं हुआ जा सकता है। ध्वनी प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत प्रयास करना काफी अधिक जरूरी होता है। जब आप खुद नियमों का पालन करते हैं , तो उसके बाद ही दूसरों से आप अपेक्षा कर सकते हैं।
ध्वनी प्रदूषण के नुकसान
दोस्तों ध्वनी प्रदूषण को रोकने के उपायों के बारे मे हम जान ही चुके हैं। हम हम आपको ध्वनी प्रदूषण के नुकसान के बारे मे बताने वाले हैं। ध्वनी प्रदूषण को क्यों इतना अधिक हानिकारक माना जाता है ? इसके बारे मे हम आपसे बात करने वाले हैं।
- ध्वनी प्रदूषण का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह आपकी एकाग्रता की समस्या को प्रभावित करता है। जैसे कि स्कूल है , और वहां पर बहुत सारे बच्चे हैं वे पढ़ रहे हैं। यदि वहां पर डीजे बजने लग जाएगा तो क्या वे बच्चे पढ़ पाएंगे । कहने का मतलब यही है , कि ध्वनी प्रदूषण मानसिक एकाग्रता को प्रभावित करने का काम करता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
- बहरा होने का खतरा भी ध्वनी प्रदूषण की वजह से होता है। जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि 80 डीबी से अधिक की ध्वनी आपके कानों को काफी अधिक नुकसान पहुंचाती है। और इसकी वजह से कान के पर्दे फट सकते हैं और बहरापन आ सकता है। इसलिए अधिक ध्वनी वाले क्षेत्रों के अंदर यदि आप काम करते हैं , तो आपको चाहिए कि आप इयर प्लग के साथ काम करें । जिससे कि आपके कान के पर्दों पर किसी भी तरह का कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा । आजकल आप समय से पहले जो बहरापन देख रहे हैं , उसका सबसे बड़ा कारण यही है , कि लोग अधिक तेज आवाज के अंदर संगीत सुनते हैं । और इससे नुकसान होता है
गर्भवति महिलाओं को ध्वनी प्रदूषण से होता है नुकसान
जैसा कि आपको पता ही होगा कि ध्वनी प्रदूषण से गर्भवति महिलाओं को काफी अधिक नुकसान होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।गर्भवति महिलाओं के गर्भ गिरने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। एक अध्ययन में पाया गया कि 85 डीबी से अधिक की आवाज के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का खतरा 30% अधिक था। एक अध्ययन में पाया गया कि 85 डीबी से अधिक की आवाज के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं में प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा 25% अधिक था। और एक अन्य रिसर्च के अंदर यह भी पता चला है , कि ध्वनी प्रदूषण के होने की वजह से जन्म लेने वाले बच्चे का वजन काफी कम हो सकता है।
अधिक ध्वनी प्रदूषण नींद को प्रभावित करता है
दोस्तों अधिक ध्वनी प्रदूषण नींद को भी प्रभावित करने का काम करता है।जब आपके पास काफी तेज आवाज हो रही है ,तो आप कभी भी सही तरह से नहीं सो सकते हैं। नींद मे परेशानी पैदा करने का काम ध्वनी प्रदूषण करता है। आप जब सही ढंग से नहीं सो पाते हैं , तो उसकी वजह से आपके दिमाग पर और मूड पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।
किसी भी इंसान को बेहतर नींद लेने के लिए जरूरी है कि शांत जगहों पर सोये और यदि बहुत अधिक तेज आवाज हो रही है , तो अपने कानों के अंदर इयर प्लग का प्रयोग करना चाहिए ।
यह हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी ध्वनी प्रदूषण की वजह से पैदा हो सकती है
कई रिसर्च के अंदर यह पता चला है कि यदि कोई इंसान लंबे समय तक ध्वनी प्रदूषण के अंदर रहता है , तो उसकी वजह से हाई ब्लड प्रेसर की समस्या काफी हद तक बढ़ जाती है। हालांकि ब्लड प्रेसर के साथ ध्वनी प्रदूषण का कोई डायरेक्ट लिंक नहीं है। मगर उसके बाद भी यह तनाव को बढ़ाने का काम करता है। जिसकी वजह से ब्लडप्रेसर हाई हो जाता है। जिन लोगों का ब्लड प्रेसर पहले से ही हाई होता है। उनको ध्वनी प्रदूषण से बचना चाहिए।
पशु हिंसक हो सकते हैं
ध्वनी प्रदूषण का एक नुकसान यह भी है कि आपने देखा होगा कि जब हम तेज आवाज के अंदर पटाखे बजाते हैं , तो उसकी वजह से पशु काफी अधिक डर जाते हैं। और हिंसक हो जाते हैं। या फिर वे इधर उधर भागने लग जाते हैं।कई बार तेज आवाज की वजह से पशु हिंसक हो जाते हैं। और मारने को भी दोड़ने लग जाते हैं।
गर्भवती महिलाओं मे आता है चिड़चिड़ापन
दोस्तों तेज आवाज की वजह से गर्भवती महिलाओं का भी मूड़ खराब हो जाता है। उनके अंदर चिड़चिड़ापन आने लग जाता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को शांत जगहों पर अधिक रहना चाहिए। और अधिक शौर से बचना जरूरी होता है।