dinosaur ka ant kaise hua डायनासोर का अंत कैसे हुआ ? डायनासोर का नाम तो अपने सुना ही होगा । रियल मे तो हमने कभी भी डायनासोर नहीं देखा है लेकिन मिले जिवाश्म से यह पता चलता है कि इस धरती पर कभी डायनासोर रहा करते थे जोकि एक विशाल छिपकली की तरह होते थे ।और अब तो डायनासोर पर कई सारी फिल्में भी बन चुकी हैं। जिससे कि आपको यह अंदाजा हो गया होगा कि किस तरह से धरती पर डायनासोर राज करते थे ।डायनासोर के बारे मे कई सारे फेक्ट हैं जिनके बारे मे हम चर्चा करने वाले हैं। खैर डायनासोर के बारे मे यह कहा जाता है कि वे शाकहारी और मांसहारी दोनो ही प्रकार के थे । यह उनके शरीर से जांच मे पता चला है।
वैज्ञानिकों को कई जगहों पर डायनासोर के अंडे और जिवाश्म मिलें हैं जिनके उपर रिसर्च की जा रही है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
dinosaur ka ant kaise hua डायनासोर का अंत कैसे हुआ था ? यह सवाल हमारे सभी के दिमाग मे आता है तो इसके बारे मे वैज्ञानिकों ने कुछ कारण दिये हैं। जिनकी वजह से डायनासोर का अंत हुआ होगा हालांकि यह पूरी तरह से पक्का सबूत नहीं है। लेकिन धरती पर विशाल भू भाग पर मौजूद प्रजाति का अचानक से खत्म हो जाना अपने आप मे किसी बड़े घटनाक्रम की ओर संकेत देता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । और यही आपके लिए सही होगा ।
खैर ऐसा माना जाता है कि डायनासोर इस धरती पर 16 करोड़ साल राज किया और हम इंसान डायनासौर के बाद ही पैदा हुए थे तो हमको इनके बारे मे कुछ खास पता नहीं है। और यदि आज धतरती पर डायनासोर होते थे वे कभी भी हम इंसानों को पनपने नहीं देते । हालांकि अब हम बहुत एंडवांस हो चुके हैं। कोई भी डायनासोर हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि हर जीव का धरती पर एक काल आता है। और यह इंसानों का काल है। ऐसा नहीं है कि यह काल सदा ही बना रहेगा । एक समय ऐसा आएगा । जब धरती से इंसान भी समाप्त हो जाएंगे ।
जीवाश्म रिकॉर्ड से पता चलता है कि अपने अस्तित्व के पहले 175 मिलियन वर्षों के लिए, डायनासोर ने पर्यावरण में बदलाव के रूप में कई प्रकार के रूप धारण किए और नई प्रजातियां विकसित हुईं । और जो प्रजातियां आमतौर पर पर्यावरण के अनुकूल थी वह सब विकसित हो गई और बाकि की नष्ट हो गयी थी। यह तो आज भी हो रहा है।
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dinosaur ka ant kaise hua डायनासोर का अंत कैसे हुआ ?
मेसोज़ोइक युग (250- 65 मिलियन वर्ष पूर्व) के अंदर जो जलवायु हुआ करती थी वह गर्म और आद्र होती थी और डायनासौर का अंत आमतौर पर जलवायु परिवर्तन की वजह से हुआ था हालांकि इसके अन्य कारण हो सकते हैं। वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड वर्तमान स्तर के करीब था। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ की टोपियां पिघल गई थीं, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र का स्तर बढ़ गया था। ऑस्ट्रेलिया अंटार्कटिका से अलग हो रहा था और धीरे-धीरे भूमध्य रेखा के करीब दक्षिणी ध्रुव से दूर जा रहा था। इसके अलावा इस युग के अंदर फुलों वाले पौधे बहुत अधिक दिखाई देते थे ।
dinosaur ka ant kaise hua बड़े ऐस्टरॉइड के धरती से टकराने से
दोस्तों डायनासोर के बारे मे जो थ्योरी दी जाती है पहली थ्योरी यही है कि धरती पर एक क्षुद्र ग्रह टकरा गया होगा और उसकी वजह से डायनासोर का अंत हो गया होगा । ऐस्टरॉइड मेक्सिको के युकटॉन प्रायद्वीप से टकराया था जिस वजह से उस जगह 111 मील चौड़ा और 20 मील गहरा गड्ढा देखा जा सकता है। और ऐसा माना जाता कि इस बड़े क्षुद्र ग्रह के टकराने की वजह से हवा के अंदर बहुत अधिक धूल वातावरण के अंदर मिल गई और इसकी वजह से धरती के तापमान के अंदर तेजी से बदलाव होने लगे और इसकी वजह से डायनासोर के लिए खाने की समस्याएं पैदा होने लगी । तापमान काफी ठंडा हो गया जिससे उनका अंत हो गया ।
हालांकि जरूरी नहीं है कि यही एक कारण हो इसके दूसरे भी कारण हो सकते हैं। लेकिन कुछ वैज्ञानिक इस बात को मानते हैं कि धरती पर गिरने वाले क्षुद्रग्रह, उल्कापिंड या धूमकेतु आदि की वजह से वातावरण के अंदर बदलाव हुआ और डायनासोर इस तरह के बदलाव को झेलने मे सक्षम नहीं थे इसलिए वे समाप्त हो गए ।
डायनासोर का अंत कैसे हुआ ज्वालामुखी विस्फोट से
दोस्तों ऐसा माना जाता है कि उस समय काफी भयंकर ज्वालामुखी हुआ करते थे । यदि आपने किसी ज्वालामुखी को रियल मे देखा है तो आपको इसके भयंकरता के बारे मे अंदाजा हो गया होगा । या फिर आपको इसके बारे मे पता चल गया होगा । और जब ज्वालामुखी विस्फोट होता है तो एक बड़े पैमाने पर धुएं का गुब्बार फैल जाता है। जिसकी वजह से वातावरण पूरी तरह से बदल जाता है। इस तरह की स्थितियां भी बनी होगी जिसकी वजह से डायनासोर खत्म होता चला गया । आपको बतादें कि डायनासोर के खत्म होने का कारण सिर्फ वातावरण मे बदलाव था । यह एक अलग बात है कि वातावरण के अंदर बदलाव किस वजह से हुआ होगा । लेकिन और कोई कारक बस वातावरण के अंदर बदलाव के लिए ही काम कर रहा था।
डायनासोर का अंत किस तरीके से हुआ बताएं ?
दोस्तों डायनासोर का अंत तापमान के अंदर बदलाव होने की वजह से हुआ था। आमतौर पर उपर बताए दो कारणों से धरती का तापमान काफी तेजी से बदल रहा था और वह काफी बढ़ रहा था। पहले जहां धरती पर काफी नम हवाएं चलती थी धीरे धीरे सूखी हवाएं चलने लगी और धरती का तापमान भी प्रदूषण की वजह से बढ़ गया था। इस तरह से धीरे धीरे खाने पीने की घास आदि सब सूखते चले गए और डायनासोर के लिए भोजन का इंतजाम करना कठिन हो गया ।
इस तरह का वातावरण काफी लंबे समय तक रहा होगा । और डायनासोर बिना भोजन के मरने लगे थे । आज यदि आप सूखे इलाकों का हाल देंखें तो आपको पता चल सकता है कि वहां डायनासोर क्या छोटा जानवर भी आसानी से जिंदा नहीं रह सकता है। और इंसान तो खुद अनाज को स्टोर करता है। लेकिन डायनासोर ऐसा नहीं कर सकते थे । ऐसी स्थिति के अंदर उनका अंत तो होना ही था।
और आपको यह भी पता होना चाहिए कि डायनासोर से पहले भी इस तरह की कई प्रजातियों का विकास हो चुका होगा । लेकिन इनके बारे मे हमे किसी तरह की जानकारी नहीं है। लेकिन इस दुनिया के अंदर अनेक तरह की प्रजातियां अब तक आ चुकी हैं और जा भी रही हैं।
dinosaur ka ant kaise hua ? आइए इसके बारे मे हमने विस्तार से जाना तो आपको समझ मे आ ही गया होगा कि डायनासोर किस तरह से धीरे धीरे नष्ट होने लगे थे । धरती के तापमान मे बदलाव के साथ भोजन मिलने की स्थिति नष्ट हो गई और वर्षा आदि समय पर नहीं होने से भोजन का संकट पैदा हो गया होगा । और इसकी वजह से अधिक खाने वाले जीव हमेशा हमेशा के लिए नष्ट होने लगे ।
dinosaur history
डायनासोर जानवरों का एक सफल समूह था जो 240 मिलियन से 230 मिलियन वर्ष पहले उभरा था और लगभग 66 मिलियन वर्ष पहले तक दुनिया पर शासन करने के लिए आया था। और ऐसा माना जाता है कि जब डायनासोर धरती पर रह नहीं पाये थे तब वे सिकुड़ने लगे और छोटे जीवों के अंदर बदल गए थे ।और जो छोटे जीवों के अंदर नहीं बदल सकते वे नष्ट हो गए थे । आपको इसके बारे मे समझना चाहिए ।
लगभग 231 मिलियन वर्ष पहले के सबसे पुराने स्पष्ट डायनासोर जीवाश्म, उत्तर-पश्चिमी अर्जेंटीना के इस्चिगुआलास्टो प्रांतीय पार्क से हैं।
जीवाश्म साक्ष्य का उपयोग करते हुए, जीवाश्म विज्ञानियों ने 900 से अधिक विशिष्ट प्रजातियों और गैर-एवियन डायनासोर की 1,000 से अधिक विभिन्न प्रजातियों की पहचान की है।
वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर यह बात सामने आई है कि डायनासोर ठंडे खून वाले जानवर थे और यह अंडे देते थे और घोसला भी बनाने का काम करते थे ।जिसके अंदर यह अपने बच्चों को पाला करते थे ।कुछ विलुप्त समूहों ने कंकाल संशोधनों जैसे कि बोनी कवच और रीढ़ विकसित किए हैं ।डायनासोर 39.7 मीटर (130 फीट) की लंबाई और 18 मीटर (59 फीट) की ऊंचाई तक पहुंच गए थे और अब तक के सबसे बड़े भूमि जानवर थे।लेकिन कई डायनासोर काफी छोटे थे ।कुछ की लंबाई लगभग 50 सेंटीमीटर (20 इंच) थी।
1841 ई के अंदर पहले डायनासोर को पहचाना गया था। और आज डायनासोर के कंकाल दुनिया भर के संग्रालय के अंदर पड़े हुए हैं। डायनासोर पर जुरासिक पार्क जैसी फिल्मों का निर्माण हो चुका है। कुल मिलाकर यह आपके लिए भी अच्छा है आपने भी कई बार डायनासोर की फिल्मों को देखा होगा और उससे आपको यह भी पता चला होगा कि डायनासोर किस तरह के हुआ करते थे ।
पश्चिमी जिन राजवंश (265-316 ) के समय डायनासोर की हडियों की खोज की और उनको प्राचीन ड्रेगन के नाम से जाना जाता था। इसी प्रकार से यूरोप के अंदर जब डायनासोर की खोज हुई तो उनको बाइबिल के प्राणियों के अवशेष को माना जाता था।
एक हड्डी का एक हिस्सा, जिसे अब मेगालोसॉरस की फीमर के रूप में जाना जाता है को 1676 में चिपिंग नॉर्टन , ऑक्सफ़ोर्डशायर के पास कॉर्नवेल में एक चूना पत्थर की खदान से बरामद किया गया था ।
क्या खाते थे डायनासोर ? dinosaur eating food
दोस्तों हम अधिक घूमा फिराकर बात नहीं करते हैं। लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च से यह बात सामने आई है कि डायनासोर आमतौर पर शाकहारी और मांसहारी दोनो ही प्रकार के हुआ करते थे ।
दोस्तों अब तक 900 से अधिक डायनासोर की प्रजातियों की खोज की जा चुकी है। और खोज के अंदर यह पता चला है कि अधिकांश डायनासोर शाकहारी हुआ करते थे ।और वे अधिकतर समय घास फूस खाना अधिक पसंद करते थे ।और यह रिसर्च से पता चलता है कि जो डायनासोर जितना बड़ा होता था उसके शाकहारी होने की संभावना अधिक थी। अब आपके भी दिमाग मे यह आता होगा कि एक हाथी जितना भारी जानवर मांसहारी रहकर जीवित भी कैसे रह सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
और डायनासोर अधिक बड़े हुआ करते थे । और उनको न जाने कितने भोजन को एक दिन के अंदर खाना पड़ता था तब जाकर उनका पेट भरता था तो आपको समझ आ गया होगा कि यह कितना अधिक खाते थे ।और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि जो बड़े मांसहारी डायनासोर थे वे बस अपने से छोटे डायनासोर को खालिया करते थे ।और इन डायनासोर के एक तरह से खास प्रकार के दांत हुआ करते थे जिससे कि यह आसानी से अपने से छोटे डायनासोर को खा सकते थे ।
और कई जिवाश्म से इस बात का संकेत मिलता है कि कई बार डायनासोर लकड़ी और कांटे भी खालिया करते थे । यह उनके मल से सबूत मिले हैं।लेकिन अधिक भोजन नहीं मिलने की वजह से डायनासोर धरती से धीरे धीरे समाप्त होते चले गए ।और इनके समाप्त होने की बड़ी वजह यही रही कि यह अपने लिए भोजन का इंतजाम ठीक से नहीं कर पाए थे ।
क्या डायनासोर पानी के अंदर तैर सकते थे ?
हां दोस्तों मात्र स्पिनोसॉरस डायनासोर एक प्रकार का इस तरह का डायनासोर था जिसके बारे मे यह विश्वास किया जाता है कि यह समुद्र के अंदर रह सकता था और वहां पर यह शिकार कर सकता था । इसके अलावा जमीन पर भी रह सकता था। इसकी स्थिति कछुआ की तरह होती थी।
समुद्री सरीसृप की उस समय बहुत सारी प्रजातियां मौजूद थी जोकि पानी के अंदर ही निवास करती थी और तैर सकती थी।पहले बड़े समुद्री सरीसृप नोथोसॉर थे और यह आज भी मौजूद हैं। यह लगभग 13 फीट तक लंबा होता है।इनमें से सबसे बड़ा प्लियोसौर था । इसके दांत 30 सेंटीमीटर (12 इंच) से अधिक लंबे थे और यह 15 मीटर लंबा हुआ करता था।
एक और प्लेसीओसॉर लंबी गर्दन वाला एलास्मोसॉरस है। और इसकी गर्दन 14 मीटर तक लंबी हुआ करती थी जिसको पानी से उपर उठान इतना अधिक कठिन काम था कि यह कर नहीं सकते थे । यह पानी के अंदर रहते हुए ही अपनी गर्दन को उठा सकते थे ।
इस तरह से दोस्तों आपको यह समझ आया होगा कि डायनासोर पानी के अंदर तैर सकते थे हालांकि सभी डायनासोर ऐसा नहीं करते थे । बस कुछ ही डायनासोर थे जोकि इस तरह से कर सकते थे बाकि धरती पर ही घूमते थे आपको इसके बारे मे पता ही होगा ।
फ्लाइंग डायनासोर क्या मौजूद थे ?
दोस्तों उड़ने वाले डायनासोर के बारे मे कोई जानकारी नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि उड़ने वाले डायनासोर नहीं होते थे हालांकि उड़ने वाले सरीसृप उस समय हुआ करते थे और यह डायनासोर के ही रिश्तेदार होते थे ।पक्षियों के विपरीत, उनके पंख त्वचा, मांसपेशियों और अन्य ऊतकों से बने होते थे जो एक बहुत लंबी चौथी उंगली से उनकी टखनों तक फैले होते थे। इनके पंख कुछ इस तरह से बने होते थे कि जब यह उड़ते थे तो वे काफी हल्का बना देते थे जिससे कि यह उड़ने मे सक्षम हो जाते थे ।और आज के जो पक्षी हैं वे डायनासोर से ही बनें हुए हैं। ऐसा वैज्ञानिक मानते हैं।डाइनोनीचस जैसे पंखों वाले डायनासोर तो हुआ करते थे लेकिन वे इनकी पंखों की मदद से उड़ नहीं सकते थे वे इन पंखों का प्रयोग अधिक तेज गति से भागने और खुद को गर्म रखने के लिए ही करते थे ।Pterosaurs जिनको हम उड़ने वाले जानवर कह सकते हैं वे अलग अलग आकार के अंदर मौजूद हुआ करते थे ।बड़ा क्वेटज़ालकोटलस थाइसके पंखों की लंबाई लगभग 22 फीट (10 मीटर) थी।
इसके अलावा आपकी जानकारी के लिए बतादें कि उड़ने वाले जो Pterosaurs हुआ करते थे और यदि हम इनके खाने की बात करें तो यह कई तरह की चीजों को खाना पसंद करते थे ।लेकिन इनका जो मुख्य भोजन था वह मछली और कीड़े ही हुआ करता था। यह पानी के अंदर मछली को पकड़ते और उनका सेवन करते थे ।
डायनासोर कहां पर निवास करते थे ?
दोस्तों आपके दिमाग मे यह भी आता होगा कि डायनासोर कहां कहां पर रहते थे तो आपकी जानकारी के लिए बतादें कि डायनासोर कई जगहों पर निवास करते थे । वे आमतौर पर नदियों के आस पास रहते थे ताकि प्यास लगने पर आसानी से पानी मिल सके और कुछ डायनासोर घने जंगलों के अंदर भी निवास करते थे जहां पर वे आसानी से अपने भोजन की व्यवस्था कर सकते थे । इसके लिए उन्हें कुछ अधिक करने की जरूरत नहीं होती थी। इसके अलावा रेगिस्तान के अंदर भी डायनासोर के कंकाल मिलें हैं जिससे यह पता चलता है कि डायनासोर रेगिस्तानी इलाकों के अंदर भी रहते थे । हालांकि पहाड़ों की उंचाई के आस पास डायनासोर कम ही जाते थे क्योंकि वहां पर पहाड़ों के टूटने से उनको काफी खतरा था। इसलिए पहाड़ी इलाकों के अंदर डायनासोर के कंकाल काफी कम पाएंगए हैं। इस तरह से आप समझ सकते हैं कि डायनासोर का निवास स्थान कहां कहां पर पाया गया था।
क्योंकि डायनासोर एक भारी जीव होता था और उस भारी जीव के लिए पानी का होना बहुत ही जरूरी था । इस वजह से अधिकतर डायनासोर के कंकाल पानी के स्त्रोत के आस पास ही पाये गए हैं।
डायनासोर किस तरह की आवाज करते थे ?
दोस्तों डायनासोर को धरती से विलुप्त हुए 66 मिलियन से अधिक वर्ष हो चुका है। ऐसी स्थिति के अंदर यह सही सही पता लगाना बहुत ही कठिन है कि डायनासोर किस तरह की आवाज करते थे । लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च से यह बात पता चली है कि डायानासारे चिंघाड़ते थे ।और उनके मुंह से धाड़ने जैसी आवाज निकलती होगी । ऐसा एक अनुमान है।
डायनासोर शायद कुछ आधुनिक सरीसृपों की तरह अपने जबड़ों को ताली बजाकर, अपने तराजू को एक साथ रगड़कर और अपनी पूंछ को झपट्टा मारकर आवाज निकालते थे।
क्या आप जानते हैं कि डायनासोर किस तरह से संभोग करते थे ?
दोस्तों आपको पता ही है कि आज से 66 मिलियन साल पहले धरती पर डायनासोर रहते थे और उन्होंने किस तरह से भोग किया इसके बारे मे सही सही पता लगाना बहुत ही कठिन काम है। आप इस बात को समझ सकते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने इन सब चीजों के बारे मे एक अनुमान ही लगाया है जिसको हम जान सकते हैं। और यह कल्पना कर सकते हैं कि यह किस तरह से हुआ होगा ।और अब तो वैज्ञानिक नर और मादा डायनासोर की पहचान कर चुके हैं। लेकिन वैज्ञानिकों के पास अभी तक डायनासोर के प्रजनन अंग का जिवाश्म नहीं है। कारण यह है। कि प्रजनन अंग कोमल उत्तकों से बने होते हैं और इसकी वजह से यह काफी आसानी से नष्ट हो जाते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने इनके करीबी रिश्तेदारों से इनके बारे मे काफी कुछ अनुमान लगाया है।
पक्षी और मगरमच्छ क्लोअका नामक एक अंग का उपयोग करके प्रजनन करते हैं, और यह एक तरह से पेशाब और शौच के लिए प्रयोग किया जाने वाला ही एक अंग होता है।शुक्राणु नर पक्षी के क्लोअका से मादा के क्लोअका में गुजरते हैं और यह हो सकता है कि डायनासोर ने भी इसी तरह की किसी विधि का प्रयोग किया होगा । हालांकि यह बस एक अनुमान है। सही तौर पर डायनासोर ने किसी विधि का प्रयोग किया था इसके बारे मे कोई भी जानकारी नहीं है। आपको पता होना चाहिए ।
छोटे डायनासोर जो होते थे उन्होंने इस विधि को अपनाया होगा जिसके अंदर मादा नीचे झुकती थी और नर जो होता है वह उपर चढ़ता था इस दौरान मादा अपनी पूंछ को भी उपर कर लेती थी।दो पैरों पर ग्रह को पार करने वाले द्विपाद डायनासोर को भी संतुलन की समस्या से जूझना पड़ा होगा ।
इसके अलावा यदि हम उन डायनासोर के प्रजनन की बात करें जिनका वजन 80 टन से भी अधिक था यदि वे एक दूसरे के उपर चढ़ते थे तो यह दूसरे को कुचल सकते थे जोकि अधिक वजन होता है। लेकिन इनके लिए एक सिद्धांत काम करता है कि उन्होंने पानी के अंदर संभोग किया होगा आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
इसके अलावा अधिक वजनी डायनासोर को संभोग करने के लिए तिरछा होना पड़ा होगा जिसके अंदर नर और मादा जमीन पर लेटकर भोग कर सकते थे ।हालांकि यह बस अनुमान हैं हकीकत मे क्या हुआ था इसके बारे मे कोई भी नहीं जानता है।
इसके अलावा यह माना जा सकता है कि डायानासोर मादा को आकर्षित करने के लिए कई चीजें कर सकते थे ।मोर जैसे पक्षियों के समान, तामझाम, सींग और लंबी गर्दन का उपयोग प्रेमालाप प्रदर्शनों में किया जा सकता है।और यदि वह अपने करतब से मादा को लुभाने मे कामयाब हो जाता है तो फिर सभी तरह से मादा उसके पास आ सकती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
डायनासोर के अंडों के बारे मे आप क्या जानते हैं ?
सबसे पुराने ज्ञात डायनासोर के अंडे और भ्रूण मैसोस्पोंडिलस के हैं, जो लगभग 190 मिलियन वर्ष पहले प्रारंभिक जुरासिक के दौरान रहते थे। और आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है। कि डायनासोर इंसानों की तरह सीधे ही बच्चे नहीं देते थे वरन वे अंडे देते थे और उन अंडों से बच्चों का विकास होता था आपको यह समझ लेना चाहिए ।
पहली वैज्ञानिक रूप से मान्यता प्राप्त गैर-एवियन डायनासोर अंडे के जीवाश्मों की खोज 1923 में मंगोलिया में एक अमेरिकी प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के चालक दल द्वारा की गई थी।सबसे पुराने ज्ञात डायनासोर के अंडे और भ्रूण मैसोस्पोंडिलस के हैं, जो लगभग 190 मिलियन वर्ष पहले प्रारंभिक जुरासिक के दौरान रहते थे।
- आपको यह जानकार हैरानी हो सकती है कि असली डायनासोर के अंडे जिवाश्म होते हैं और कई खोज के अंदर यह पाया गया है। कई अंड़ों के अंदर भ्रूण भी पाया गया है तो आप समझ सकते हैं। कि असली डायनासोर के अंडे के कैसे होते हैं।और डायनासोर के अंड़ों का आकार अलग अलग हो सकता है। और यह अंडे आमतौर पर घोसलों मे एक साथ मिलें हैं। अंड़ों की मदद से डायनासोर की प्रजातियों को नहीं पहचाना जा सकता है।
- लंबे और अंडाकार आकार के अंडे होते हैं जो नाशपाती के आकार के भी होते हैं। लेकिन सभी अंडे एक समान नहीं होते हैं इनका आकार अलग अलग हो सकता है। और वैज्ञानिकों ने अंड़ों का वर्गीकरण करने के लिए छिलके के आधार पर किया है।
- पाइरिफॉर्म अंडे प्याज या नाशपाती के आकार के होते हैं, जिनमें से शीर्ष आधा कटा हुआ होता है। पाइरीफॉर्म अंडे देने वाले विशिष्ट डायनासोर ट्रोडोन और सिटीपति जैसे थेरोपोड हैं।
- पैलियोन्टोलॉजिस्टों ने टाइटानोसॉर सॉरोपोड्स और अन्य शाकाहारी डायनासोर के जीवाश्म रिकॉर्ड में गोलाकार अंडे पाए हैं । और इनके अंड़े सबसे बडे अंडों मे से एक माने गए हैं। आप समझ सकते हैं।
- ट्रेस जीवाश्म डायनासोर का अंडा होता है जिसकी मदद से डायनासोर के बारे मे कई तरह की जानकारी मिल सकती है। इसके अलावा डायनासोर का गोबर और पैरों के निसान को भी ट्रेस जीवाश्म के नाम से जाना जाता है।
- 2021 में औसतन एक डायनासोर के अंडे की कीमत लगभग $500 से $2000 तक होती है। हालांकि असली डायनासोर के अंडे की जो कीमत होती है वह समय समय पर बदलती रहती है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना जरूरी होता है।
- एक डायनासोर का अंडा लंबे डायनासोर के अंडे के लिए लंबाई में 13 इंच और व्यास में 9 इंच और गोलाकार डायनासोर के अंडे के लिए 12 इंच या उससे अधिक व्यास तक पहुंच सकता है। और डायनासोर के अंडे उनके आकार पर निर्भर कर सकते हैं। जैसे कि सॉरोपॉड डायनासोर के अंडे 18 इंच व्यास के हो सकते हैं और यह दो फिट के करीब होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
- यदि आपको एक डायनासोर का अंडा मिलता है और आपको यह पता लगाना है कि यह असली है या नहीं तो आपको कई चीजों पर विचार करना होगा जैसे कि डायनासोर का अंडा कहां पर मिला है ? इसके अलावा आप किसी जानकार से भी संपर्क कर सकते हैं जिसे इसके बारे मे अच्छी जानकारी हो ।
- अब तक पाया गया सबसे बड़ा डायनासोर का अंडा जो आकार में गोलाकार होता है वह 24 इंच का था और सबसे बड़ा लम्बा डायनासोर का अंडा 17.72 इंच लंबा था। और यह फ्रांस के अंदर 1846 ई के अंदर मिला था या फिर इसकी खोज की गई थी।
- जीवाश्म भ्रूण भी इन अंडो के अंदर पाये गए हैं। हालांकि यह अधिक बड़े नहीं हैं। आपको समझना होगा ।2020 में अंटार्कटिका में खोजा गया था और जीवाश्म विज्ञानियों द्वारा इसे लगभग 50 मिलियन वर्ष पुराना माना जाता है। और इसको किसी समुद्री सिरीसृप ने रखा होगा ।
- वैसे वैज्ञानिकों का मानना है कि डायनासोर के अंडे नर्म और कठोर खाल वाले हो सकते थे हालांकि नर्म अंडे बहुत ही कम मिले हैं। इसका मतलब यह है कि यह नष्ट हो गए थे लेकिन कठोर खाल वाले अंडे आसानी से नष्ट नहीं होते थे जोकि जीवाश्म के रूप मे मिले हैं।
- सबसे छोटा डायनासोर का अंडा 1.77 इंच लंबा और 0.79 इंच व्यास का है और एक गैर-एवियन डायनासोर का था। और यह जापान के अंदर मिला है। वैज्ञानिकों का यह मानना है कि यह अंडा आज से 110 मिलियन साल पुराना है।
- दोस्तों वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर अंडो पर डायनासोर का एक कंकाल मिला है। जिससे यह प्रतीत होता है कि डायनासोर की प्रजातियां अपने अंडो पर बैठा करती होगी । और यह भी हो सकता है कि वे अंडों को सेती भी होगी । चीन के युन्नान में इस जीवाश्म की खोज से इस बात का पता चला कि डायनासोर अंडों के उपर बैठा करते थे ।
- दोस्तों जानकारी ये यह पता चला है कि डायनासोर की कुछ प्रजातियां जो होती थी वे घोसलों के अंदर अंडे देती थी।हालांकि यह अंडे क्या सुरक्षा के लिए ढक दिये जाते थे या फिर ऐसे ही पड़े रहते थे । इसके बारे मे कोई जानकारी नहीं है।
- डायनासोर के जो अंडे मिले हैं वे नीले-हरे, भूरे और लाल-भूरे रंग के होते हैं। वैज्ञानिकों ने जीवाश्मित अंडों में नीले, हरे और लाल रंग के वर्णक पाए हैं ।हालांकि अन्य रंग के अंडे भी हो सकते हैं। लेकिन इसके बारे मे हमको जानकारी नहीं है। लंबे समय से अंडे रखे रहने की वजह से उनका रंग खो चुका है।
dinosaur ka ant kaise hua ? लेख के अंदर हमने डायनासोर के बारे मे विस्तार से जाना उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा यदि आपके इस संबंध मे कुछ विचार हैं तो आप हमे अपने विचारों से अवगत करवा सकते हैं। आपको इस बात को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए ।
डायनासोर के अंत के बारे मे सबसे मान्य थ्योरी
डायनासोर के अंत के बारे में सबसे मान्य सिद्धांत यह है कि लगभग 66 मिलियन साल पहले, एक विशाल उल्कापिंड या धूमकेतु पृथ्वी से टकराया था। और कहा जाता है , कि इस टक्कर की वजह से धूल के कण निकले और इसकी वजह से सूर्य का प्रकाश धरती पर नहीं पहुंच पाया । क्योंकि आसमान के अंदर बहुत अधिक धूल एकत्रित हो चुकी थी ।जिससे पृथ्वी का तापमान कई डिग्री कम हो गया। इससे पौधों की वृद्धि में बाधा आई और जानवरों के लिए भोजन की कमी हो गई। और इसकी वजह से ज्वालामुखी विस्फोट भी हुए । और इसकी वजह से डायनासोर तेजी से मरने लग गए ।इस सिद्धांत के समर्थन में कई सबूत हैं। सबसे पहले, पृथ्वी के सभी महाद्वीपों पर, टक्कर के समय के आसपास के तलछट में एक विशिष्ट परत पाई जाती है। इस परत में टक्कर से निकली धूल और राख के कण पाए जाते हैं। इसके अलावा भी और भी कई सारे सबूत मिलें हैं जिससे यह पता चलता है कि इस टक्कर से डायनासारे मारे गए थे ।
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This post was last modified on December 3, 2023