इस लेख के अंदर हम बात करेंगे disc brake kya hai और डिस्क ब्रेक काम सिद्धांत क्या है। दोस्तों अधिकतर लोग डिस्क ब्रेक की बाइक पसंद करते हैं। क्योंकि यह देखने मे काफी अच्छी होती है। और ड्रम ब्रेक टायर के अंदर होने से दिखाई नहीं देते हैं। जबकि डिस्क ब्रेक टायर के बाहर रहते हैं और आसानी से दिख जाते हैं। जो बाइक की सुंदरता को बढ़ा देते हैं। अक्सर आपने देखा होगा की महंगी गाड़ियों के अंदर डिस्क ब्रेक होते हैं। और जो बाइक कम कीमत के अंदर आती हैं। उनमे कम्पनी ड्रम ब्रेक ही देती है।
जबकि कुछ बाइकों के अंदर केवल आगे वाले टायर मे ही डिस्क ब्रेक दिये जाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि यदि पीछे वाले टायर मे डिस्क ब्रेक होंगे तो उसको निकालना और सेट करना आसान नहीं होगा ।
हालांकि ऐसा नहीं है कि डिस्क ब्रेक केवल बाइक की सुंदरता को बढ़ाने का ही काम करते हैं। इनके अनेक फायदे भी हैं। नीचे हम इनके फायदों के बारे मे बात करेंगे । वैसे तो आपने डिस्क ब्रेक देखे ही होंगे । यदि नहीं देखें तो चित्र को देख कर आपको याद आ गए होंगे ।
डिस्क ब्रेक का प्रयोग आजकल हर प्रकार की गाड़ियों के अंदर होने लगा है। यहां तक की ट्रेन के अंदर भी डिस्क ब्रेक का प्रयोग किया जाने लगा है।डिस्क ब्रेक के अंदर एक रोटर होता है। जिसको कैलिपर्स की मदद से धीमा किया जाता है। हालांकि इस तरीके के अंदर गर्मी पैदा होती है। जिसको फैलाया जाता है। हाइड्रॉलिक रूप से सक्रिय डिस्क ब्रेक मोटर वाहनों के लिए ब्रेक का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला रूप है, लेकिन डिस्क ब्रेक किसी भी घूर्णन शाफ्ट पर लगाये जा सकते हैं।
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डिस्क ब्रेक की डिजाइन
सबसे पहले 1890 ई के अंदर इंग्लैंड मे डिस्क टाइम ब्रेक डिजाइनिंग का काम शूरू हुआ था। उसके बाद 1902 में, लैंचेस्टर मोटर कंपनी ने ब्रेक डिजाइन किए थे जो एक आधुनिक डिस्क-ब्रेक सिस्टम के समान दिखते थे । द्वितीय विश्व युद्ध से पहले हवाई जहाज में डिस्क ब्रेक लगाया गया जो सफल रहा , और यहां तक कि 1942 में जर्मन टाइगर टैंक को डिस्क के साथ फिट किया गया था।1953 के अंदर डिस्क ब्रेक का अच्छा पदर्शन देखने को मिला ।
मैन्स रेस, के अंदर डिस्क ब्रेक का प्रयोग किया गया था।। जगुआर रेसिंग टीम ने डिस्क ब्रेक से लैस कारों का उपयोग करते हुए जीत हासिल की, क्योंकि प्रतिद्वंद्वी केवल ड्रंम ब्रेक का प्रयोग कर रहे थे । और उनका प्रदर्शन खराब था।
पहला कैलीपर-प्रकार का ऑटोमोबाइल डिस्क ब्रेक 1902 में बर्मिंघम कारखाने में फ्रेडरिक विलियम लैंचेस्टर द्वारा पेटेंट कराया गया था और लैंचेस्टर कारों के अंदर प्रयोग किया गया था । इस समय के अंदर डिस्क ब्रेक के अंदर तांबे का प्रयोग किया गया था। लेकिन डिस्क ब्रेक के अंदर तांबे का प्रयोग ज्यादा सक्सेस नहीं हो सका क्योंकि उबड़ खाबड़ जगह और धूल गढडे की वजह से तांबा ठीक से काम नहीं कर पाया । ब्रिटेन में, डेमलर कंपनी ने 1939 की अपनी डेमलर आर्मर्ड कार पर डिस्क ब्रेक का इस्तेमाल किया, गर्लिंग कंपनी द्वारा बनाए गए डिस्क ब्रेक भी भारी वहानों मे प्रयोग किये गए थे ।
जर्मनी के आर्गस मोटरन में, हरमन क्लू (1912-2001) ने 1940 में डिस्क ब्रेक का पेटेंट कराया था। जिसमे उसने हर प्रकार की शाफट के लिए डिस्क ब्रेक पेश किया था। अमेरिकन क्रॉस्ली हॉट शॉट को अक्सर पहले प्रोडक्शन डिस्क ब्रेक का श्रेय दिया जाता है। अमेरिकन क्रॉस्ली हॉट शॉट ने सन 1950 ई के अंदर एक कार बनाई थी। जिसके अंदर पूरी तरीके से डिस्क ब्रेक का यूज किया गया था।
हालांकि यह सिस्टम लोकप्रिय नहीं हो सका क्योंकि बारिश आदि के मौसम के अंदर अधिक जंग लगने से यह खराब होते थे । इनका प्रयोग आम दिनों के अंदर आसानी से किया जा सकता था। क्रिसलर ने सन 1949 से 1953 ई के बीच एक स्पेसल डिस्क सिस्टम का प्रयोग करके डिस्क ब्रेक प्रस्तुत किये गए थे।इस प्रणाली ने ट्विन एक्सपैंडिंग डिस्क का उपयोग किया, जो कि कास्ट-आयरन ब्रेक ड्रम के अंदर रगड़कर पहिये को रोकती थी।
इसके अलावा चार-पहिया डिस्क ब्रेक आविष्कारक एचएल लैंबर्ट के पेटेंट के तहत , सेंट जोसेफ, मिशिगन की ऑटो स्पेशलिटी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी द्वारा बनाया गया था और पहली बार 1939 में प्लायमाउथ पर परीक्षण करके देखा गया था।
डिस्क ब्रेक का सबसे पहला प्रयोग सन 1951 ई के अंदर फॉर्मूला वन कार के अंदर किया गया था। उसके बाद डिस्क ब्रेक का प्रयोग 1953 में जगुआर सी-टाइप रेसिंग कार मे हुआ । यह रेस जीतने मे काफी मददगार साबित हुए ।
डिस्क ब्रेक का उत्पादन
- आधुनिक डिस्क ब्रेक का पहला बड़े पैमाने पर उत्पादन का उपयोग 1955 में के अंदर किया गया । जिसमे कई प्रकार के डिस्क ब्रेक का उत्पादन शामिल था।
- ट्रायम्फ ने 1956 TR3 को जनता के लिए डिस्क ब्रेक प्रदर्शित किया, सितंबर 1956 में गर्लिंग फ्रंट-डिस्क ब्रेक वाली पहली प्रोडक्शन कारें बनाई गईं थी।
- स्पोर्ट्स कारों के अंदर डिस्क ब्रेक की अधिक मांग रहती है।क्योंकि यह उन्हें अच्छा पदर्शन करने के लिए काफी आवश्यक है।
- 1989 और 2005 के बीच, ब्रेक डिस्क का निर्माण मुख्य रूप से चीन में चला गया।
डिस्क ब्रेक के साथ पहली बाइक
एमवी अगस्ता ने 1965 ई के अंदर अपनी एक महंगी बाइक के अंदर डेस्क ब्रेक को लगाकर प्रस्तुत किया गया था।उन्होंने बाइक के फ्रंट टायर पर डिस्क ब्रेक लगाकर पेश किया था।उसके बाद होंडा ने CB750 बाइक प्रस्तुत की थी। जिसके अंदर डिस्क ब्रेक का प्रयोग किया गया था। और उसके बाद तो मोपेड और स्कूटर सभी मे डिस्क ब्रेक का प्रयोग होने लगा ।
Hydraulic ब्रेकिंग सिस्टम क्या है
दोस्तों डिस्क ब्रेक के अंदर हाइड्रोलिक ब्रेकिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। तो डिस्क ब्रेक के बारे मे जानने से पहले हम हाइड्रोलिक ब्रेकिंग सिस्टम के बारे मे जान लेते हैं। हाइड्रोलिक ब्रेक सिस्टम के अंदर एक पिस्टन से ब्रेक वायर जुड़ा हुआ होता है।
जब आप ब्रेक दबाते हैं तो पिस्टन अंदर की ओर जाता है। और पिस्टन के आगे भरा ऑयल पंप होता है और पैड को अंदर की और प्रेसर से दबाता है। जिसे पैड घूमते रोटर को रोक देती हैं। पिस्टन के उपर एक ऑयल टैंक होता है। डिस्क ब्रेक वाली बाइकों पर यदि आपने ध्यान दिया होगा तो ।उनके ब्रेक के पास एक टैंक सा होता है। उसके अंदर ऑयल भरा होता है। और जब ब्रेक दबाते हैं तो फिर यह ऑयल पैड को फोर्स करता है और ब्रेक लगता है।
डिस्क ब्रेक काम सिद्धांत Disk brack कैसे काम करते हैं
दोस्तों बाइक और कार के अंदर व दूसरे वहानों के अंदर डिस्क ब्रेक का काम करने का मैकेनिज्म लगभग एक जैसा ही होता है। तो आइए साधारण तरीके से समझते हैं कि डिस्क ब्रेक कैसे काम करते हैं।दोस्तों अधिकतर डिस्क ब्रेक आपकी साइकिल के ब्रेक की तरह होते हैं। साइकिल के अंदर जो कैलिपर्स होते हैं। वे रीम के उपर तेजी से चिपकते हैं। और ऐसा करने से आपकी साइकिल रूक जाती है। एक तरह से यह रिम और कैलिपर्स के बीच घर्षण होता है।
एक चलती हुई कार के अंदर गतिज उर्जा होती है। और कार को रोकने के लिए उस गतिज उर्जा को कार से निकालना पड़ता है। तभी कार का रूकना संभव हो पाता है।और ब्रेक ऐसा करते हैं। जब आप कार को रोकते हैं तो ब्रेक पेड और डिस्क के बीच घर्षण पैदा होता है।कार के अंदर डिस्क ब्रेक वैंटेड होते हैं।
डिस्क ब्रेक के अंदर एक कैलिपर्स होता है। डिस्क ब्रेक पेड कैलिपर्स से जुडा होता है। । यह मूवेबल होता है। और ब्रेक लगाने पर मूव करता है। इसके अलावा डिस्क ब्रेक पैड रोटर के साथ चिपक कर काम करता है। । डिस्क ब्रेक मे पैड घर्षण कम करने के लिए लगाया जाता है। रोटर से हब जुड़ा हुआ होता है। और उसके आगे विहील को अटैच किया जाता है। और नट बोल्ट से कस दिया जाता है। इसके अलावा कैलिपर्स पिस्टन से जुड़ा होता है। कैलिपर्स को मूव करने के लिए पिस्टन काम करता है।
इसके विपरित पुरानी कारों के अंदर दो या चार पिस्टन का प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब इस सिस्टम को समाप्त कर दिया गया है। अब केवल एक ही पिस्टन का प्रयोग किया जाता है। और वह अधिक विश्वसनिय भी है। अधिकतर चार पहिया वहान के अंदर जिनमे डिस्क ब्रेक का प्रयोग किया जाता है। उसमे एक अपातकालीन ब्रेक भी होता है।यह प्राथमिक ब्रेक से काफी अलग होता है।और इसको सक्रिय करने के लिए एक केबल का यूज किया जाता है।
जबकि कुछ कारों के अंदर पीछे के डिस्क ब्रेक के साथ एक ड्रम ब्रेक भी दिया होता है। जो केवल अपातकालीन स्थिति के अंदर ही सक्रिय होता है।
डिस्क ब्रेक पैड
डिस्क ब्रेक पैड कैलिपर्स से जुड़ा होता है।पैड आमतौर पर एक धातु से बना टुकड़ा होता है।आपके ब्रेक पैड पर विशेष सामग्री लगी होती है जो गाड़ी के ब्रेक लगाने और रोटर मे घर्षण कम करने का काम करती है। आप देख सकते हैं कि यदि ब्रेक सामग्री खराब हो चुकी है तो ब्रेक पैड बदल दिया जाता है। ब्रेक पैड के अंदर भी पर्याप्त मात्रा के अंदर घर्षण सामग्री होती है और निर्माता भी इसे निश्चित मात्रा के अंदर रखने की चेतावनी देते हैं। यदि इसकी मोटाई कम हो गई है तो ब्रेक पैड़ को भी बदलना आवश्यक होता है।
ब्रेक रोटर का पैड के साथ घर्षण होने की वजह से रोटर का जीवन काल कम होता है। और कई बार रोटर खराब भी हो जाते हैं।उनका सपाटपन खत्म हो जाता है। जिससे ब्रेक रूकने मे कंपकंपी पैदा होती है। इसके लिए रोटर की मशीनिंग करनी आवश्यक होती है।
हालांकि हर बार रोटर की मशीनिंग नहीं की जानी चाहिए ।क्योंकि ऐसा करने से उसकी मोटाई कम हो जाती है। और मानक से कम मोटाई का रोटर का प्रयोग करना उचित नहीं होता है। जब पैड में से एक कैलीपर ब्रैकेट के अंदर जब्त हो जाता है तो यह कई समस्याएं पैदा कर सकता है।जैसे ओवरहिटिंग और शौर पैदा हो सकता है।
ब्रेक डिस्क
डिस्क हब के उपर लगाई जाती है। और डिस्क और हब के बीच की जगह एकदम से साफ होनी चाहिए। नहीं तो डिस्क ब्रेक की क्षमता प्रभावित होती है।इसके अलावा कई बार जब डिस्क को जंग लग जाता है तो फिर भी ब्रेक की काम काग क्षमता प्रभावित होती है। डिस्क या रोटर के साथ एक समस्या यह भी है। कि जब आप ब्रेक लगाते हैं तो वह गर्म होती है। और ऐसा करने से धीरे धीरे डिस्क की मोटाई के अंदर बदलाव आने लग जाते हैं। मतलब डिस्क कहीं से पतली तो कहीं से मोटी हो जाती है। यदि डिस्क ब्रेक मे दरार आ गई है या फिर वह डेमेज हो गई है तो उसे बदलना बेहतर रहता है।
हवादार डिस्क
आपने देखा होगा की आधुनिक डिस्क हवादार आती हैं। इसकी वजह यह है कि जब पैड और डिस्क के बीच घर्षण होता है तो फिर काफी मात्रा के अंदर गर्मी पैदा होती है। और वेंटिलेटेड डिस्क इस गर्मी को कम करके डिस्क को शीतलन प्रदान करती है।
ब्रेक कैलिपर्स
फ्रंट ब्रेक कैलीपर्स स्टीयरिंग पोर पर लगाए गए हैं। रियर कैलिपर्स को पीछे वाले स्पिंडल पर बोल्ट किया हुआ होता है।ब्रेक पैड कैलीपर्स से जुड़े होते हैं। और कैलीपर्स की मदद से जब ब्रेक पैड रोटर के चिपकते हैं जिससे ब्रेक लगाता है इस दौरान उष्मा पैदा होती । जिसका सामना कैलीपर्स को भी करना पड़ता है। जब आप रोटर को बदलते हैं तो आप कैलिपर्स को भी चैक कर सकते हैं। यदि वे खराब हो चुके हैं तो उनको भी बदल देना चाहिए।
डिस्क ब्रेक के प्रकार
डिस्क ब्रेक सिस्टम कई प्रकार का होता है। जैसे कुछ डिस्क ब्रेक के अंदर दो पिस्टन का प्रयोग किया जाता है। तो कुछ मे केवल एक ही पिस्टन का प्रयोग होता है।इसके अलावा दो कपलर्स भी होते हैं।
एकल पिस्टन टाइप डिस्क ब्रेक
दोस्तों यह आम डिस्क ब्रेक के ही होते हैं। और इनके अंदर केवल एक ही पिस्टन का प्रयोग किया जाता है। एकल पिस्टन डिस्क ब्रेक के बारे मे हम आपको उपर विस्तार से बता चुके हैं।जब आप ब्रेक लीवर को दबाते हैं तो ऑयल पिस्टन को धक्का देता है। जिससे ब्रेक पैड सिकुड़ जाते हैं और वे रोटर पर चिपकते हैं। जिसके पहिया चलना बंद हो जाता है।
डबल पिस्टन डिस्क ब्रेक
डबल पिस्टन डिस्क ब्रेक के अंदर दोपिस्टन होते हैं। और बाकी कार्य आम डिस्क ब्रेक की ही भांति होता है।यहां पर दो कैलिपर्स भी प्रयोग किये जाते हैं। आमतौर पर जब ब्रेक लीवर को दबाया जाता है तो पिस्टन के दबाव के कारण ब्रेक पैड रोटर के उपर चिपक जाते हैं।
2 कैलिपर्स टाइप डिस्क ब्रेक
दोस्तो यह भी आम डिस्क ब्रेक की तरह ही होते हैं। लेकिन इसकी खास बात यह होती है कि इसके अंदर एक डिस्क पर दो कैलिपर्स होते हैं। और यह गाड़ी को रोकने का काम करते हैं। खास कर भारी वाहनों को रोकने के लिए इस प्रकार का डिस्क सिस्टम प्रयोग मे लिया जाता है। क्योंकि यह अच्छा ब्रेकिंग सिस्टम प्रदान करते हैं।
प्रेसर के अनुसार डिस्क ब्रेक के प्रकार
दोस्तों हमने आपको उपर डिस्क ब्रेक के कई प्रकार बताए थे । वे डिस्क ब्रेक की संरचना के आधार पर डिस्क ब्रेक के प्रकार थे । लेकिन सबसे कॉमन डिस्क ब्रेक मैकेनिकल और हाइड्रोलिक डिस्क ब्रेक होते हैं।
मैकेनिकल डिस्क ब्रेक
अधिकतर उन बाइकस और साइकिल के अंदर आते हैं जोकि काफी सस्ती होती हैं। इनके अंदर द्रव का प्रयोग नहीं किया जाता है। इस वजह से यह लो कोस्ट के अंदर पड़ते हैं। और इनका मैंटेनेंस करना काफी आसान होता है। यदि आप डिस्क ब्रेक के अक्स्ट्रा खर्चे से बचना चाहते हैं तो मैकेनिकल डिस्क ब्रेक का प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन यह हाइड्रोलिक डिस्क ब्रेक के समान आपको मोर कंट्रोल नहीं देते हैं।
हाइड्रोलिक डिस्क ब्रेक
हाइड्रोलिक डिस्क ब्रेक ब्रेकिंग का सबसे आम प्रकार होता है। इसके अंदर क्या होता है कि केबलों मे हाइड्रोलिक द्रव भर दिया जाता है। आमतौर पर डिस्क ब्रेक का यह प्रकार सबसे ज्यादा यूज किया जाता है। इन ब्रेक्स का कंट्रोल अच्छा होता है। लेकिन मेंटेनेंस ज्यादा होता है। हर 6 महिने के अंदर केबल को बदला जाता है। इसके अलावा द्रव को भी चेंज करना आवश्यक होता है। ताकि वह गर्म सहन करने की क्षमता को बनाए रख सके ।
डिस्क ब्रेक आजकल काम आम हो चुके हैं। अक्सर नई बाइक के अंदर भी आजकल डिस्क ब्रेक आते हैं। और यह काफी पॉवरफुल होते हैं। आमतौर पर जब किसी गाड़ी को अचानक से रोकना होता है , तो उसके लिए डिस्क ब्रे की काम मे लिया जाता है। हालांकि यह आम ब्रेक की तरह आसानी से फैल नहीं होते हैं। आम ब्रेक तो बहुत ही जल्दी फैल भी हो सकते हैं। इसके अलावा आम ब्रे की तरह डिस्क ब्रेक आवाज भी नहीं करते हैं। मगर इनके साथ समस्या यह रहती है , कि आप यदि सही तरह से इनका इस्तेमाल नहीं करते हैं , तो फिर यह गाड़ी को पल्ट भी सकते हैं।
इस लेख के अंदर हम बात करेंगे disc brake kya hai और डिस्क ब्रेक काम सिद्धांत क्या है। के बारे मे आपने विस्तार से जाना । यह लेख आपको कैसा लगा कमेंट करके बताएं ।
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