विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता ,दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता duniya ki sabse purani sabhyata kaun si hai ,vishwa ki sabse purani sabhyata दोस्तों आपको यह पता होना चाहिए कि इस धरती पर आज से 2 मिलियन साल पहले इस धरती पर इंसान आ चुके थे लेकिन वे आज के जितने विकसित नहीं थे । हम आपको नीचे विश्व के अंदर मिली कुछ पुरानी संरचनाओं के बारे मे भी बताएंगे । और वैसे यदि बात करें जीव की तो धरती पर जीव मिलियन साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि धरती पर जीव सबसे पहले पानी के अंदर विकसित हुआ और उत्परिवर्तन करते हुए यहां तक पहुंचा ।
होमो सेपियंस मानव 2 लाख साल पहले अफ्रिका के अंदर दिखाई दिये थे ।खैर उसके बाद इंसान विकास करते गए और आज हम यहां तक पहुंचे हैं। प्रकृति के अंदर कई तरह की मानव प्रजातियां आई और विलुप्त हो गई । हम होमो सेपियंस की संतान हैं। एक ऐसा युग भी आएगा जिसके अंदर होमो सेपियंस विलुप्त हो जाएंगे । और वातावरण के अनुरूप दूसरी प्रजाति विकसित होगी । विलुप्त और उत्पन्न होने का यह दौर निरंतर चलता ही रहता है।और चलता ही रहेगा ।
यदि हम बात करे दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता की तो वह मेसोपोटामिया थी और यह आज से 6500 साल पहले मौजूद थी । आधुनिक इराक के अंदर यह सभ्यता बसती थी।539 ईसा पूर्व । दोस्तों इस सभ्यता के अंदर आधुनिक शहर के जैसे ही शहर हुआ करते थे । और इसको एक विकसित सभ्यता माना जाता है।
मेसोपोटामिया को सुमेरियन सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है।पश्चिमी एशिया में फारस की खाड़ी के उत्तर में स्थित वर्तमान इराक को प्राचीन समय में मेसोपोटामिया कहा जाता था। और यह सभ्यता दजला और फरात नामक दो नदियों के बीच विकसित हुई थी।
सुमेरिया, बेबीलोनिया और असीरिया इन तीनों सभ्यताओं को मिलाकर जो सभ्यता बनी उसे मेसोपोटामिया की सभ्यता के नाम से जाना जाता है।मेसोपोटामिया की सभ्यता के हजारों साल पुराने सबूत भी मिलें हैं। आज जहां पर इराक बसा हुआ है वहां और सीरिया बसा है वहां पर यह सभ्यता हुआ करती थी। वह प्राचीन सभ्यता उत्तरी असीरिया और दक्षिणी बेबीलोनिया में विभाजित थी।
आपको यह बतादें कि शहरी जीवन की शूरूआत मेसोपोटामिया मे ही हुई थी।मेसोपोटामिया मे रहने वाले लोगों का जीवन काफी वैज्ञानिक था। यह लोग गणीत ,भूगोल आदि का अच्छा प्रयोग करना जानते थे ।मेसोपोटामिया की सभ्यता की खोज की शूरूआत 1840 ई के अंदर हो चुकी थी।
मेसोपोटामिया के अंदर खुदाई कई दशकों तक चली । इतनी लंबी खुदाई भारत के अंदर कहीं पर भी नहीं चली थी।खुदाई के अंदर कई चीजें सामने आई जैसे आभूषण ,कलाकृति ,औजार ,मूर्ति आदि । और अभिलेख भी मिले जिनको बाद मे पढ़ा भी गया था।
इसके अलावा मेसोपोटामिया के बारे मे उल्लेख बाइबिल के अंदर भी मिलता है। सन 1873 ई के अंदर एक ब्रिटिश समाचार पत्र ने इस खोज का खर्च उठाया था।1960 के दशक मे इस खोज ने यह साबित कर दिया कि बाइबिल की कहानी मात्र कहानी नहीं है। बल्कि एक सच्चाई है।
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दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता मेसोपोटामिया का भूगोल vishwa ki sabse purani sabhyata
मेसोपोटामिया जिसको आधुनिक नाम इराक कहते हैं। इसके पूर्वोत्तर भाग के अंदर हरे भरे मैदान देखने को मिलते हैं जोकि वनों से ढके हुए हैं।और अच्छे झरने और जंगली फूल भी देखने को मिलते हैं। यहां पर खेती के लिए अच्छी वर्षा भी हो जाती है।
लगभग 7000 साल पहले यहां पर खेती शूरू हो चुकी थी।यहां पर घास के मैदान हैं जिनके अंदर पशुपालन किया जाता है। और खेती भी की जा सकती है।इसके अलावा इसा दक्षिण भाग एक रेगिस्तान है।
इसी स्थान पर सबसे पहले भरण पोषण के साधन का विकास हुआ ।फरात और दजला नदी की बाढ़ से यहां पर पानी आता और मिट्टी काफी उपजाउ हो जाती थी।फरात नदी रेगिस्तान मे आने के बाद कई तरह की छोटी छोटी धाराओं के अंदर बहने लग जाती थी और पुराने जमाने के अंदर इन्हीं धाराओं की मदद से रेगिस्तान मे खेती की जाती थी।
यहां पर गेंहू ,मटर आदि की खेती होती थी।दक्षिण मेसोपोटामिया ही खेती के अंदर सबसे अधिक उपज देने वाला क्षेत्र हुआ करता था।हालांकि फसल के लिए यहां पर वर्षा बहुत ही कम होती थी।
इसके अलावा यहां के लोग मैदानों के अंदर भेड बकरियों को पालते थे जो घास के मैदानों मे चरती थी। जिनकी मदद से उन और मांस व दूध भी प्राप्त होता था। इसके अलावा नदियों के अंदर मछलियों की बड़ी मात्रा हुआ करती थी। इसके अलावा यहां पर खजूर के पेड़ भी थे ।जिनसे बड़ी मात्रा मे खजूर प्राप्त किये जाते थे ।
विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता मेसोपोटामिया मे माल की आवाजाही
दोस्तों मेसोपोटामिया मे खाने के लिए अच्छी मात्रा मे अन्न तो हो जाता था लेकिन यहां पर किसी भी प्रकार की कोई धातु जैसे ,तांबा ,रांगा ,चांदी और सोना नहीं थे ।इसके अलावा आभूषण बनाने के लिए पत्थरों की भारी कमी थी। इसके अलावा यहां पर कोई मजबूत लकड़ी वाले पेड़ भी नहीं थे ।जिससे की नाव वैगरह बनाई जा सके । ऐसा माना जाता है कि मेसोपोटामिया के लोग अपने खाध्य पदार्थों को ईरान और तुर्की जैसे देशों को भेजते थे और वहां से कीमती धातुएं लेकर आते थे ।
मेसोपोटामियां के अंदर उस समय भी ऐसे संगठन कार्यरत थे जोकि सामान को बाहर भेजन और लाने का काम करते थे । आमतौर पर सामान को बोरे के अंदर भरकर और पशु पर लादकर लंबी दूरी पर ले जाना काफी कठिन कार्य है और इसमे पशुओं के चारे का खर्च अधिक आता है। इसलिए खाने पीने की चीजों को नावों मे लादकर और दूसरे स्थान पर भेजी जाती थी। यह अन्य परिवहन संसाधनों की तुलना मे काफी अधिक सस्ता था। इस प्रकार से फरात नदी उस समय जल परिवहन के लिए काफी उपयोगी थी।
मेसोपोटामिया मे लेखन का विकास
मेसोपोटामिया के लोग की अपनी भाषा भी थी।यहां पर कई पट्टीकाएं मिली हैं जिनके उपर कुछ लिखा हुआ है।और इनके उपर बैल ,मछली और रौटियों की 5000 से अधिक बड़ी सूचि मिलती है।वहां के दक्षिण के उरूक मंदिर से यह लेखानी मिली थी।
दोस्तों मेसोपोटामियां के अंदर लिखने के लिए आज की तरह कागज की सुविधा नहीं थी।वरन लोग चिकनी मिट्टी की पटिकाओं पर लिखा करते थे ।इसके लिए चिकनी मिट्टी को गिला कर लिया जाता था और उसके बाद उसके उपर सरकंडे की तिल्ली की मदद से कुछ भी लिखा जा सकता था। लिखने के बाद इसे सूखा दिया जाता था। एक बार जब यह गिली पट्टी सूख जाती थी तो उसके उपर कोई भी दूसरा हिसाब नहीं लिखा जा सकता था।और उपयोगहीन होने के बाद इस पट्टी का को फेंक दिया जाता था।
इस प्रकार से प्रत्येक सौदे को लिखने के लिए एक अलग पट्टी का की जरूरत होती थी। यही वजह है कि मेसोपोटामियां के अंदर अनेक पट्टीकाएं मिली हैं।लगभग 2600 साल पहले भाषा सुमेरियन थी। और इसकी मदद से कई कार्य किये जाते थे जैसे कि शब्द कौश बनाने और सौदा करने ,और उसके बाद अकादी भाषा ने इसका स्थान लेलिया ।
विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता दक्षिणी मेसोपोटामिया का शहरी करण
5000 ई पूर्व दक्षिणी मेसोपोटामिया मे बसतियों का विकास होने लगा था।और बाद मे इन बस्तियों ने प्राचीन शहरों का रूप लेलिया था।यहां पर दो प्रकार के शहर विकसित हुए । पहले जोकि किन्हीं मंदिर के किनारे विकसित हुए थे और दूसरे व्यापारिक केंद्र थे ।
और यहां पर बाहर से आने वाले लोगों ने मंदिर बनान भी शूरू कर दिया था।और सबसे पहला ज्ञात मंदिर छोटा सा देवालय था जोकि कच्ची ईंटों से बना हुआ था।इन मंदिर देवताओं मे चंद्र देव और इन्नाना नामक एक देवी भी हुआ करती थी।
और मंदिर की बनावट आमतौर पर घर की बनावट से अलग प्रकार की होती थी। साधारण घरों की दीवारें सीधी होती थी लेकिन मंदिर की दिवारें सीधी ना होकर अंदर बाहर होती थी।
मंदिर के अंदर देवता की पूजा की जाती थी और देवता को दूध ,दही और मछली भी चढ़ाया जाता था। क्योंकि कई मंदिरों मे खुदाई के दौरान मछली की हडिया मिली हैं।इसके अलावा देवताओं को खेतों और पशुओं का स्वामी माना जाता था।
इस सभ्यता के लोग अनाज से तेल निकालना और कपड़ा बुनना जैसे काम के बारे मे भी जानते थे ।इसके अलावा लोग हल जोत सकते थे और शराब बनाने मे भी सक्षम थे ।
वैसे वर्षा कम होती थी लेकिन फरात नदी के अंदर कई बार बहुत अधिक पानी आने से फसल डूब जाती थी तो कई बार नदी अपना रस्ता बदलने की वजह से फसले सूखी ही रह जाती थी।
इसके अलावा यह पता चलता है कि मेसोपोटामिया अंदर गांवों को कई बार बसाया गया था। इसका कारण कई बार प्राकृतिक आपदाएं आ जाती थी तो कई बार कुछ लोग जल धारा के बहुत अधिक पानी का प्रयोग करते थे ।
इस वजह से मेसोपोटामिया के लोगों के अंदर भी पानी को लेकर झगड़े हुआ करते थे ।और कई बार यह लड़ाई काफी लंबी चलती थी । जो मुख्यिा इस लड़ाई के अंदर जीत जाते वे हारे हुए लोगों के यहां पर माल को लूट कर अपने लोगों मे बांट लेते थे और हारे हुए लोगों को बंदी बनाकर अपने यहां पर रख लेते थे ।
पहले तो यहां पर मुख्यिा स्थाई नहीं होते थे लेकिन बाद मे परिवार कल्याण पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा तो मंदिरों मे कीमती भेंट की जाने लगी जिससे कि मंदिरों की सुद्रढता और अधिक बढ़ गई ।इसके अलावा मंदिर मे अलग से व्यक्ति रखे जाने लगे जो मंदिरों की देखरेख करते थे और हिसाब किताब रखते थे ।उस समय भी मुखिया अपने लोगों को एक ही जगह पर बसाने का प्रयास करते थे ताकि जरूरत पड़ने पर आसानी से सुरक्षा की जा सके और एकत्रित हो सकें ।इसके अलावा लोग भी पास पास बसने मे खुद को सुरक्षित महसूस करते थे ।
उरूक शहर के अंदर कई तरह के चित्र बने हुए हैं।शस्त्र लिए हुए नौजवानों को दिखाया गया है।उरूक नगर की रक्षा के लिए इसके चारों और एक दीवार को भी बनाया गया था।
यह नगर 4200 ई से 420 ई तक अपने अस्तित्व के अंदर बना रहा था।इसके अलावा नगर के लोगों को और युद्ध बंदियों को शासक का काम करना पड़ता था। और उसके बदले उनको अनाज दिया जाता था।यहां पर कई सारी सूचियां ऐसी मिली हैं जिनके अंदर अनाज दिये गए लोगों के नाम के साथ साथ ही उनको क्या क्या दिया गया था इसके बारे मे भी उल्लेख मिलता है।
शाशक के हुक्म के बाद लोग कई तरह का काम करते थे जिसके अंदर पत्थर काटने ,मंदिर बनाने , और दूसरी जगह जाकर सामान लाने जैसे काम भी होते थे । इसके चलते उरूक नगर के अंदर काफी अधिक प्रगति हुई ।
यह लोग ईंट बनाना सीख चुके थे और छतों को डाटना भी इनको अच्छी तरह से आता था।इसके अलावा यह लोग चिकनी मिट्टी के शंकु बनाते थे और उनको पकाकर दीवार मे सजाया जाता था।
मेसोपोटामियां मे पत्थर की मोहरें
आपको यह भी बतादें कि मेसोपोटामिया के अंदर पत्थर की मोहरें हुआ करती थी। इन पत्थर की मोहरों पर चित्र या कुछ अंकित होता था। यह बेलनाकार होती थी। गिली मिट्टी पर जब यह मोहरें घुमाई जाती थी तो मिट्टी पर चित्र अंकित हो जाते थे ।खुदाई के अंदर इस प्रकार की मोहरें देखने को मिलती हैं।
मेसोपोटामिया का शहरी जीवन
जैसा कि आज है अधिकतर धन संपति कुछ वर्गों तक ही सीमित है। इसी तरह का सिस्टम मेसोपोटामिया मे देखने को मिला है।हीरे ,जवाहरात ,सोना चांदी आदि राजा रानियों की कब्रों के पास दफनाए हुए मिलें हैं।मेसोपोटामिया के अंदर एकल परिवार था। बच्चे शादी के बाद अपने माता पिता के साथ ही रहा करते थे ।इसके अंदर पिता ही परिवार का मुखिया होता था। और उनकी स्वीक्रति से विवाह होता था। वधु पक्ष वर पक्ष को उपहार भी देते थे ।विवाह के बाद मंदिर मे भेंट भी चढ़ाई जाती थी। इसके अलावा वर पक्ष को उस समय भी सामान वैगरह दिया जाता था जिसे आज हम देहज कहते हैं।
मेसोपोटामिया मे 1930 ई मे हुई खुदाई से यह पता चलता है कि इनकी गलियां ढेडी मेड़ी हुआ करती थी । इसलिए पहियों वाली गाडियां इनके घर तक नहीं पहुंच सकती थी सामान को गधे पर लाद कर ले जाया जाता था।
खुदाई के दौरान यह पता चलता है कि यहां पर पानी के निकास के लिए कुछ भी सिस्टम नहीं था। घरों की छत से पानी को घरों की हौज के अंदर ले जाया जाता था। और वर्षा के पानी से वे भर जाती थी। पानी सड़क पर नहीं फैलता था। जबकि मोहनजोदड़ों मे पानी की निकासी के लिए नलियां बनी हुई थी।
इसके अलावा यह भी पता चलता है कि लोग उस समय भी अपने घरों का कूड़ा कचरा उठाकर गलियों मे डाल देते थे और जिससे कि वे आने जाने वाले के पैरों के नीचे आता था। कुछ समय बाद गलियां उंची हो जाती थी। जिसके बाद घरों की दहलीज को भी उंचा उठाना पड़ता था।
इन लोगों के घरों मे कोई भी खिड़की नहीं होती थी। रोशनी बस दरवाजे से होकर आती थी। इसके अलावा यहां पर भी कई तरह के शकुन अपशकुन जैसी चीजें प्रचलित थी। जैसे कि घर का दरवाजा बाहर की तरफ खुलने पर सौभाग्य लेकर आता है।इसके अलावा नगर मे एक कब्रिस्तान भी बना हुआ है। जिसके अंदर कई लोगों को दफनाया गया है। उनकी कब्रें हैं लेकिन कुछ लोगों को घर के आंगन मे दफनाया हुआ भी पाया गया है।
पशुचारक क्षेत्र और व्यापारिक नगर
2000 ई पूर्व के बाद माही नगर काफी फला फूला ।माही नगर फरात नदी के उर्ध्वधर पड़ता है।इस क्षेत्र के अंदर खेती और पशुपालन दोनो साथ साथ ही चलते थे ।लेकिन यहां के अधिकतर लोग पशुपालन का काम करते थे ।और जब इन पशुपालकों को धातू और दूसरी कीमती चीजों की जरूरत पड़ती थी तो यह अपने पशु के मांस और दूध व उन को बेच कर प्राप्त कर लेते थे।
और उस समय भी पशुओं को रखने के लिए बाड़े हुआ करते थे जिसके अंदर खात बनती थी जिसका प्रयोग दूसरी चीजों मे किया जाता था।इसके अलावा गडरियों और किसानों के बीच बहुत बार झगड़े हुआ करते थे क्योंकि गडरिये पशुओं को किसानों के खेतों से गुजार कर पानी पीने के लिए लेकर जाते थे ।इसके अलावा गई गडरिये किसानों के गांवों पर हमला करके उनके गांव को लूट भी लिया करते थे और उसके बाद वहां से फरार हो जाते थे ।
आपको बतादें कि गडरिये या तो भाड़े के लोग होते थे या फिर सैनिकों के रूप मे यहां पर आते थे । और अच्छा धन संपति होने के बाद इसी क्षेत्र मे बस जाते थे । इनमे से कुछ तो ऐसे थे जिन्होंने खुद के शासन तक को स्थापित कर लिया था।
मारी के राजा ऐमोराइट समुदाय से थे ।और उनकी पोशाक भी आम जनता से अलग प्रकार की होती थी। उन्होंने मारी के अंदर डैगन नामक एक देवता का मंदिर भी बनाया था।
वैसे मारी के राजा को हमेशा सावधान रहना पड़ता था। वैसे गडरियों और चरवाहों की इधर उधर जाने की इजाजत तो थी लेकिन इसके लिए उनके उपर नजर रखी जाती थी।और कुछ लोग रात के अंदर आग के संकेतों को भी नोटिस करते थे और यह संदेह किया जाता है कि हमले की योजना हो ।आपको बतादें कि मारी नगर एक अच्छा व्यापारिक स्थल था।यहां से होकर माल जैसे सोना चांदी और अन्य कीमती चीजों को फरात नदी से होकर तुर्की और सीरिया लेकर भी जाया जाता था।
आपको बतादें कि मारी के अंदर चांदी ,तांबा और तेल वैगरह ले जाने वाली नौका मारी के अंदर रूका करती थी। और मारी राज्य के अधिकारी उन नावों के उपर जाकर सामान की जांच करते थे और भार का 10 फीसदी भी वसूलते थे और उसके बाद सामान को आगे जाने दिया जाता था।
साइप्रस के द्धवीप अलाशिया उस समय तांबे और टीन के लिए काफी मशहूर हुआ करता था।तांबे और टीन की मदद से हथियार और दूसरे कई तरह के उपकरण बनाये जाते थे ।वैसे मारी राज्य सैनिक द्रष्टि से उतना अच्छा नहीं था लेकिन व्यापार के मामले मे यह काफी अच्छा था।
मेसोपोटामिया मे नगरों की खुदाई]
दोस्तों मेसोपोटामिया मे अबु सलाबिख नामक एक छोटे से कस्बे की खुदाई की गई तो उससे कई चीजें देखने को मिली हैं। यह कस्बा 10 हैक्टर के अंदर बसा हुआ है।इस कस्बे के अंदर 10 हजार से अधिक लोग निवास करते थे । वैज्ञानिकों ने थोड़े से घरों को खोद कर निकाला और यहां के बारे मे काफी कुछ जानकारी प्राप्त की ।पशुओं के अवशेष और मिट्टी की छान बीन से वैज्ञानिक यहां के जीवन के बारे मे जानने मे सफल हो पाए ।इसके अलावा यहां पर बड़ी मात्रा मे मछलियों को जली हुई हडियां मिली हैं जिससें यह पता चलता है कि लोग मछली का सेवन करते थे ।
इसके अलावा यहां पर गोबर के उपले भी मिले हैं।कई पौधों के बीज भी मिलें हैं।इसके अलावा सूअर के दांत भी यहां पर मिले हैं। जिससे यह पता चलता है कि यहां की गलियों मे भी सूअर घूमा करते हैं। एक कब्र मे सूअर की हडियां मिली हैं जिससे यह पता चलता है कि मृत इंसान के खाने के लिए सूअर का मांस रखा गया होगा।यहां पर मकानों की छते घास फूस की हुआ करती थी।उस समय आज की तरह ढकने के लिए सीमेंट प्रयोग मे नहीं होती थी।
गणित को भी जानते थे मेसोपोटामिया के लोग
दोस्तों आपको जानकार यह हैरानी होगी कि मेसोपोटामितयां के लोग गणित को भी जानते थे ।पृथ्वी की परिक्रमा के अनुसार पूरे वर्ष को 12 महिनों मे विभाजन किया गया था।इसके अलावा एक दिन को 24 घंटे मे भी विभाजित किया गया था।इसके अलावा एक घंटे मे 60 सैकिंड जैसी चीजे जो अब हमे कॉमन लग रही है वे हमे इन्हीं सभ्यता के लोगो ने दिया है।
और सिर्फ इतना ही नहीं सूर्य और चंद्रग्रहण आदि के बारे मे इनको पहले ही पता चल जाता था।और इनका यह पूरा हिसाब रखते थे ।
मेसोपोटामिया शहर का महाकाव्य
दोस्तों इस जगह के लोग साथ साथ रहते थे और युद्ध के अंदर अपने शहर के नष्ट हो जाने के बाद वे उनको याद किया करते थे ।गिल्गेमिश महाकाव्य इसके अंदर प्रमुख है। गिल्गेमिश ने उरूक नगर पर शासन किया था।और वह एक महाप्राक्रमी इंसान उसने दूर दूर के क्षेत्र को अपने अधीन करलिया लेकिन उसे झटका तब लगा जब उसके वीर मित्र की अचानक से मौत हो गई और उसके बाद वह शांति की तलास मे भटकता रहा ।लेकिन उसे कहीं पर भी शांति नहीं मिली । उसके बाद वह अपने नगर लौट आया । उसे अपने नगर पर गर्व था। उसे यकीन था कि उसे पुत्र इस नगर का आनन्द लेंगे ।
एक स्त्री का सर vishwa ki sabse purani sabhyata
3000 ई पूर्व के मिले एक स्त्री के सर को संगमरमर से तराश कर बनाया गया था।देखने मे यह आधुनिक मूर्तिकला का एक बेहतरीन नमूना लगता है।इसके अलावा इसके सिर पर एक खांचा बना हुआ है जोकि एक गहना हो सकता है।इसके अलावा देखने मे यह काफी अच्छा लगता है। लेकिन यह जरूर कहा जाता है कि इस प्रकार के पत्थर मेसोपोटामिया मे नहीं मिलते थे । वरन इनको दूर से लाना होता था।
मेसोपोटामिया सभ्यता का अंत end of mesopotamian civilization
मेसोपोटामिया दो नदियों के बीच बसा हुआ क्षेत्र था जोकि काफी उपजाउ भी था। लेकिन इस सभ्यता के अंत के कई कारण थे । जिनके उपर हम चर्चा करेंगे । वैसे आपको यह बतादें कि यह सभ्यता अचानक से नष्ट नहीं हुई। वरन धीरे धीरे यह पतन की ओर जाने लगी । जैसा कि लगभग हर सभ्यता के साथ होता है।
- यु़द्ध मेसोपोटामिया की सभ्यता को नष्ट होने का भी एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से मेसोपोटामिया का पतन हुआ । वैसे भी यह काफी बड़े महत्व का शहर होने की वजह से हर कोई इसके उपर अपना अधिकार करना चाहता था। तो इसके लिए युद्ध होता था। और युद्ध के अंदर यहां पर रहने वाले लोगों का आर्थिक नुकसान होता था। मेसोपोटामिया एक केंद्रिय स्थान होने की वजह से आस पास के दूसरे क्षेत्र के लोग इस स्थान पर अपना कब्जा जमाने के विचार से आक्रमण करते रहते थे । और शायद बार बार आक्रमणों से परेशान होने के बाद वहां के लोगों ने उस स्थान को धीरे धीरे छोड़ना शूरू कर दिया था। क्योंकि एक बार युद्ध के अंदर सब कुछ नष्ट हो जाने के बाद उसको दूबारा सही करना इतना आसान नहीं था।इस वजह से यहां के लोग इस क्षेत्र को छोड़कर जाने लगे ।
- दोषपूर्ण सिंचाई प्रणाली भी मेसोपोटामिया के पतन के लिए जिम्मेदार रही । यह लोग सिंचाई करने के लिए नदी के पानी का प्रयोग करते थे । नदी के तट खेतों से उपर हुआ करते थे और बाद मे वे और अधिक उपर हो गए । एक बार यदि किसी खेत के अंदर अधिक पानी प्रवेश कर जाता तो उसके बाद उस पानी को निकालना कठिन होता था । और उसके बाद लवण उपर आने लगा । इस प्रकार से धीरे धीरे वहां की भूमी खेती योग्य नहीं रही ।जिससे की खाने के अनाज की समस्या होने लगी और वहां पर बसे लोग दूसरे क्षेत्रों के अंदर पलायन करने लगे ।
- मेसोपोटामिया की सभ्यता के नष्ट होने का तीसरा प्रमुख कारण धूल भरी आंधी का आना था।सन 2019 ई मे हुए एक अन्य रिसर्च मे यह सामने आया कि मेसोपोटामिया की सभ्यता धूल भरी आंधी की वजह से भी नष्ट हो गई । मौसम के बदलाव की वजह से इस क्षेत्र को छोड़ना पड़ा ।होक्काइडो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर त्सुयोशी वतनबे ने एक बयान में कहा कि धूल भरी आंधी के चलने और अकाल के चलते यहां के लोग पलायन करने को मजबूर हुए ।अध्ययन के सार के अनुसार, शोधकर्ताओं ने ओमान की खाड़ी से छह 4,100 वर्षीय पोराइट्स कोरल जीवाश्मों को देखा, जिन्होंने “लगातार शामल दिनों के साथ लंबे समय तक चलने वाले सर्दियों के मौसम” की कहानियों को बताया।इसके अलावा डेटा मे यह दिखाया गया कि मौसम अचानक से अधिक शुष्क होने लगा था।मेसोपोटामिया में कृषि विफलताओं की वजह से वहां के लोगों ने बस्ती को छोड़ दिया और अन्य जगहों पर जाकर बस गए ।दोस्तों इस प्रकार से मेसोपोटामिया की सभ्यता का अंत हुआ ।लोगों को बस्ती के छोड़ने के बाद धूल भरी आंधी की वजह से घर मे रेत गिरती रही और उसके बाद सारे घर रेत मे दब गए ।
सैन पीपल लोग
दोस्तों इतिहास कार मेसोपोटामिया की सभ्यता को सबसे पुरानी मानते हैं लेकिन इससे पुरानी सभ्यताएं भी मौजूद हैं।सैन पीपल लोग सबसे प्राचीन लोग थे जोकि आज से 140,000 से 100,000 साल पहले बोत्सवाना, नामीबिया, अंगोला, जाम्बिया, जिम्बाब्वे, लेसोथो और दक्षिण अफ्रीका जैसे शहरों के अंदर यह लोग निवास करते थे ।वास्तव में, सैन मूल पैतृक मानव समूहों (हापलोग्रुप) में से एक के प्रत्यक्ष वंशज हैं, जो सैन को दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता बनाते हैं। आपको बतादें कि यह शिकारी भी हुआ करते थे और कुछ लोग खेती भी करते थे ।
पुरातत्वविदों ने बोत्सवाना के त्सोडिलो हिल्स में एक गुफा में 70,000 साल पुराने भाले की खोज की थी।त्सोलिडो हिल्स दुनिया की सबसे बड़ी रॉक पेंटिंग्स की साइट है।
वैसे आपको बतादें कि सैन दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति है जो आज भी मौजूद है।ऐतिहासिक साक्ष्य से पता चलता है कि कुछ सैन समुदाय हमेशा कालाहारी के रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहे हैं; हालांकि, अंततः दक्षिणी अफ्रीका के लगभग सभी अन्य सैन समुदायों को इस क्षेत्र में मजबूर किया गया। कालाहारी सैन गरीबी में रहा।
आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई
आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई आज से 50000 साल पहले के हैं। ऐसा सबूत मिलता है।आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई आज से 40000 साल पहले ऑस्ट्रेलिया के अंदर बसे थे ।और 969 में ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में मुंगो झील से मानव अवशेषों की खोज सबसे पुराने ज्ञात श्मशानों में से एक होने के संकेत देती है।
कैटलहोयुक
कैटलहोयुक के लोगों की एक बस्ती तुर्की के अंदर मिली है। जिससे देखने पर यह पता चलता है कि यहां पर कोई 7000 से अधिक लोग रहेहोंगे और इनके घरों की छतों को एक साथ ही जोड़ दिया गया था। घरों के बीच मे किसी भी तरह की कोई सड़क वैगरह नहीं थी। इसके अलावा इन लोगों के बारे मे यह जानकारी मिलती है कि यह अपने रहने के स्थान को साफ सुथरा रखते थे और इनके यहां से कई तरह की मूर्तियां और चित्र देखने को मिले हैं।
ऐन ग़ज़ल
ऐन ग़ज़ल एक प्राचीन कृषि समुदाय था जोकि अम्मान, जॉर्डन के अंदर आज से 7000 साल पहले निवास करता था। यह लोग मूर्ति बनाने मे काफी एक्सपर्ट थे ।इनकी बनाई 15 मूर्तियां मिली हैं जोकि आज से काफी साल पुरानी हैं और अलग अलग स्थान पर मिली हैं। इसके अलावा यह लोग गेहूं, जौ, मटर, दाल और छोले को पालते थे।इसके अलावा खरगोश जैसे जंगली जानवरों का शिकार करके उनके मासं को भी बड़े चाव से खाते थे ।
जियाहू
जियाहू लोग चीन के अंदर निवास करने वाली एक बस्ती थी।जिन्होंने चीनी संस्कृति के कुछ शूरूआती पहलूओं को विकसित किया था।यह लोग चावल की खेती करते थे और चावल इनका प्रमुख भोजन भी था।यह संस्कृति लगभग 5500 साल पुरानी है।उस समय ही एक अन्य संस्कृति भी विकसित हुई जिसे पीलीगैंग के नाम से जाना जाता था हालांकि दोनो अलग अलग संस्कृति थी। और दोनों के अंदर कई सारे अंतर भी मौजूद थे । जियाहू को दुनिया की सबसे पुरानी शराब बनाने के लिए भी जाना जाता है, कुछ शुरुआती बजाने योग्य संगीत भी इनको आता था । इसके अलावा चिनी लेखने के प्रमाण भी यहां से मिलते हैं।
दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता लेख के अंदर हमने दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता के बारे मे विस्तार से बताया उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आयेगा । यदि आपका कोई सवाल है तो हमे कमेंट मे पूछ सकते हैं।
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This post was last modified on December 2, 2021