करंट मारने वाली मछली का नाम electric eel है इसी को बिजली पैदा करने वाली मछली के नाम से जाना जाता है। यह काफी अदभुत मछली है
आपने कई प्रकार की मछली के बारे मे सुना और पढ़ा होगा । लेकिन electric eel एक स्पेसल प्रकार की मछली है। यदि आपने इसका नाम सुना ही होगा और आप इसके बारे मे कुछ जानते भी होंगे । electric eel South American के अंदर पाई जाने वाली एक मात्र प्रजाति है। जिसको मछली की बजाय एक तेज धार वाला चाकू कहना अधिक उपयुक्त होगा ।
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current marne wali machli करंट पैदा करने वाली मछली की सरंचना
electric eel का शरीर बेलनाकार होता है। इनकी लम्बाई 2 मीटर और वजन 20 किलो के आस पास होता है। electric eel के रंग की बात करें तो पीला व नारंगी और कुछ भूरा भूरा होता है। मादाओं के पेट पर गहरा रंग होता है। और लम्बाई पेट तक फैली रहती है। मुंह चकौर होता है। मूत्राशय दो कक्ष है। पूर्ववर्ती कक्ष आंतरिक कान से जुड़ा हुआ है जो गर्दन कशेरुका से ली गई छोटी हड्डियों की एक श्रृंखला द्वारा वेबरियन उपकरण कहा जाता है, जो इसकी सुनवाई क्षमता को काफी बढ़ाता है। पिछला कक्ष शरीर की पूरी लंबाई के साथ फैला हुआ है
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इस मछली में एक संवहनी श्वसन प्रणाली है जिसमें गैस एक्सचेंज अपने उपलक्ष्य ऊतक में उपकला ऊतक के माध्यम से होता है। बाध्य हवा-श्वास के रूप में, नीचे की ओर लौटने से पहले प्रत्येक दस मिनट या उससे पहले श्वास लेने के लिए इलेक्ट्रिक ईल्स सतह पर आती है।
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करंट पैदा करने वाली मछली मे कैसे पैदा होती है बिजली
इलेक्ट्रिक ईल में पेट के अंगों के तीन जोड़े होते हैं जो बिजली उत्पन्न करते हैं: abdominal organs the main organ, the Hunter’s organ ये अंग अपने शरीर के चार पांचवें हिस्से बनाते हैं, और इलेक्ट्रिक ईल को दो प्रकार के इलेक्ट्रिक अंग डिस्चार्ज उत्पन्न करने की क्षमता देते हैं: कम वोल्टेज और उच्च वोल्टेज। ये अंग इलेक्ट्रोसाइट्स से बने होते हैं, जब ईल अपने शिकार को खाता है।तो दिमाग तंत्रिका के माध्यम से इलेक्ट्राड को एक संकेत भेजता है। जिससे आयन चैनल खोल दिया जाता है। जो सोडियम को प्रवाहित होने देता है। इस प्रकार से ईल के अंदर तेज वोल्टेज पैदा हो जाता है।
इलेक्ट्रिक ईल्स 860 वोल्ट के आस पास वोल्टेज उत्पन करती है। इसमे एक एम्पियर के लगभग करंट होता है। वैसे देखा जाए तो यह ज्यादा घातक नहीं होता है। लेकिन यह इंसान को कुछ समय के लिए सुन्न कर देने के लिए काफी होता है। इलेक्ट्रिक ईल्स की देखभाल करने वाले लोगों के लिए यह एक आम जोखिम है।
electric eel में कई मांसपेशी जैसी कोशिकाएं होती हैं जिन्हें electrolocation कहा जाता है। प्रत्येक सेल केवल 0.15 v उत्पन्न कर सकता है, हालांकि अंग आवृत्ति में लगभग 25 हर्ट्ज पर आयाम में लगभग 10 v के सिग्नल को प्रेषित कर सकता है। ये संकेत मुख्य अंग द्वारा उत्सर्जित होते हैं; हंटर का अंग कई 100Hz की दरों पर सिग्नल उत्सर्जित कर सकता है
इलेक्ट्रिक ईल के अंदर बड़े वोल्टेज को पैदा करने के अंग भी होते हैं। जो उनके शिकार को रोकने के लिए काफी होता है। वैसे उनका शिकार 100 वोल्ट को भी झेल नहीं पाता है। इलेक्टि्रक ईल अपने अंदर के वोल्टेज को आसानी से बदल भी सकते हैं। छोटे बच्चे 100 वोल्ट पैदा करते हैं। वे खुद के बचाव के लिए बिजली की तिव्रता को बदल भी सकते हैं।
येल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी का तर्क है की इलेक्ट्रिक ईल के अंगों की तरह ऐसे अंगों को बनाया जा सकता है जोकि एक पॉवर स्त्रोत के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। और इनक यूज भी अच्छे से किया जा सकता है।
करंट पैदा करने वाली मछली Electric eel का वास
Electric eel दक्षिण अमेरिका में बाढ़ के मैदानों, दलदलों, खाड़ियों, छोटी नदियों और तटीय मैदानी इलाकों में अमेज़ॅन और ओरिनोको नदी घाटी के ताजे पानी में रहते हैं। वे अक्सर शांत या स्थिर पानी में गंदे जगहों पर रहते हैं
current marne wali fish Electric eel का भोजन
इलेक्ट्रिक ईल कई प्रकार के जीवों को खाती हैं। चूहे मछली और छोटे स्तनधारी व पैदा हुए भ्रूण झींगा और केकड़े भी खाते हैं। इसके अलावा वे अंडे भी खा जाते हैं।
करंट पैदा करने वाली मछली में प्रजनन
Electric eel अपने असामान्य प्रजनन के लिए मसहूर है। सूखे मौसम में, एक पुरुष ईल अपने कूड़े से घोंसला बनाता है जिसमें मादा उसके अंडे देती है। एक घोंसला में अंडे से 3,000 युवा निकलते हैं। नर महिलाओं की तुलना में बड़े होने लगते हैं
Electric eel को पकड़ना
इलेक्ट्रिक ईल को पकड़कर चिड़िया घर के अंदर रखना भी बहुत अधिक मुश्किल काम होता है।संयुक्त राज्य अमेरिका में टेनेसी एक्वेरियम एक इलेक्ट्रिक ईल का घर है। जहां पर इलेक्टि्रक ईल का प्रदर्शन किया जाता है। वैसे समुद्र के अंदर ईल को पकड़ने का एक मात्र तरीका यही है कि ईल्स को लगातार बिजली पैदा करने के लिए विवश किया जाए । उसके बाद वह जब लगातार बिजली पैदा करेगी तो बाद मे कुछ समय के लिए वह वोल्टेज पैदा नहीं कर पाएगी और तब पानी मे घुस कर उसे पकड़ा जा सकता है।
करंट मारने वाली मछली Electric eel कितनी डेंजर है ?
Electric eel की अगर हम बात करें तो यह वैसे बहुत अधिक डेंजर है। यह निर्भर करता है कि वह कितना पॉवर प्रयोडूस कर रही है। एक इलेक्टि्रक ईल 300 वोल्ट से लेकर 600 वोल्ट तक का बिजली का झटका दे सकती है। जो किसी भी जानवर को मारने के लिए काफी होता है। ईल अपने शिकार कोभी इसी तरीके से मार देती है।
आपको बतादें कि ईल करंट मारने वाले सांपों की तरह पानी के अंदर ही नहीं वरन पानी से बाहर निकल कर भी हमला कर सकती है। जीवविज्ञान के अंदर प्रकाशित शोध पत्रों के अंदर यह बताया गया है कि ईल का झटका कितना घातक हो सकता है। इसको जानने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रयोग भी किये हैं।अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट ने कहा की प्राचीन काल के अंदर वेनेजुएला मे घोड़ों को काबू करने के लिए बिजली के झटकों का इस्तेमाल किया जाता था।वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी में एक जीवविज्ञानी और न्यूरोसाइंटिस्ट केनेथ कैटेनिया ने कहा कि इलेक्ट्रिक ईल 8 फीट तक लंबा हो सकता है। और 44 पाउंड वजन का हो सकता है।
19 मार्च, 1800 को, हम्बोल्ट ने अपनी यात्रा के दौरान वे वेनेज़ुएला के रास्त्रो डी अबासो के दक्षिण अमेरिकी गाँव आए और वहां पर एक रोचक प्रयोग करना चाहते थे । इसलिए उन्होंने वहां के मूल निवासियों की मदद ली ।इलेक्ट्रिक ईल गंदे पानी के अंदर रहते हैं। और नीचे तक जाना पसंद करते हैं।हम्बोल्ट घोड़ों पर एक प्रयोग करना चाहते थे ।उसके बाद वैज्ञानिकों ने कुछ जंगली घोड़ों को पकड़ा और उस पानी के अंदर धकेल दिया । जहां पर ईल्स रहती थी। उसके बाद ईल्स को खतरा महसूस हुआ तो उन्होंने घोड़ों को करंट के झटके देने शूरू कर दिए ।
बिजली के झटकों की वजह से घोड़े काफी परेशान हो गए और पानी से वापस भागने लगे । लेकिन घोड़ों को वापस मोड़ने का काम वहां के मूल निवासियों ने किया ।लेकिन पहले पांच मिनट के अंदर दो घोड़े पानी के अंदर डूब गए तो हम्बोल्ट आवश्वत हो गया कि सारे मर जाएंगे । लेकिन उसके बाद ईल्स थक गए और बिजली का उत्पादन बंद कर दिया तो उसे रसियों के सहारे पकड़ लिया गया ।लेकिन 200 वर्षों से किसी ने भी इलेक्ट्रिक ईल के समान व्यवहार को नहीं देखा । इसी वजह से वैज्ञानिको ने इसको खारिज कर दिया था।
उसके बाद वैज्ञानिक कैटेनिया ने इस अध्ययन को अपनी प्रयोगशाला के अंदर किया था। तो उसे इस बात का पता चला कि ईल्स अपने वोल्टेज को कंट्रोल करने की क्षमता रखते हैं। 2015 के अंदर एक पेपर मे कैटेनिया ने लिखा कि ईल्स कम वोल्टेज का प्रयोग शिकार को मारने के लिए करती हैं। और अधिक वोल्टेज का प्रयोग शिकार करने के लिए भी करती हैं।
कैटेनिया ने बाद मे ईल्स के झटके को महसूस करने के लिए अपने हाथ का प्रयोग किया वह यह देखना चाहता था कि ईल्स का झटका किस तरह से इंसान को लगता है।उसने एक प्लास्टि का चैंबर लिया जो ईल्स के पानी के अंदर डूबा हुआ था। और उसके अंदर उसने अपना हाथ डूबो लिया। और प्लास्टिक चैंबर के अंदर एक तार से एमिटर को लगादिया गया ।कैटेनिया ने किसी भी तरह के पक्षघात की रिपोर्ट नहीं की हालांकि ईल्स का करंट बहुत कम उसके हाथ पर प्रवाहित हुआ था। बस यह उसके हाथ तक ही सीमित होकर रह गया था। हालांकि कैटेनिया के अनुसार यदि ईल्स अपने फुल पॉवर का प्रयोग करती तो वह इंसान को मार भी सकती है।
इलेक्ट्रिक ईल बिजली का प्रयोग देखने के लिए भी करता है
एक नए अध्ययन के अंदर यह खुलासा हुआ है कि इलेक्ट्रिक ईल बिजली का प्रयोग केवल अपना शिकार करने के लिए ही नहीं करते हैं। वरन वे बिजली का प्रयोग देखने के लिए भी करते हैं। कैटेनिया ने बताया कि ईल्स पहले अपने शिकार पर हमला करती है। और उसके बाद वह उसे लकवाग्रस्त बना देती है। जिसके परिणामस्वरूप वह अपने शिकार का पता लगाने के लिए ऊर्जा क्षेत्रों का प्रयोग करती है। इलेक्ट्रिक ईल्स अमेज़ॅन नदी की गहराइयों के अंदर बीमार जीवों की तलास करती है।जिन पर करंट छोड़ा जा सके ।हम ईल की क्षमताओं के बारे मे जानते हैं। लेकिन एक 8 फुट के ईल्स को पकड़ा और उसे प्रयोग शाला तक लेकर जाना काफी कठिन है। इलेक्ट्रिक ईल्स के उच्च वोल्टेज जीव के मोटर न्यूरॉन्स को प्रभावित करते हैं। और जिससे मांसपेशियों के अंदर गड़बड़ हो सकती है।जिससे लकवाग्रस्तता पैदा हो सकती है।
इलेक्ट्रिक ईल शिकार किस तरह से करती है?
इलेक्ट्रिक ईल को वास्तव मे अच्छे से शिकार करना भी आता है। किसी भी जीव का शिकार करने के लिए ईल एक विशेष तकनीक का प्रयोग करती है। ईल्स की पूंछ को नगेटिव धुव्र कहा जाता है। और जो सर होता है। उसे पॉजिटिव धुव्र कहा जाता है। जब ईल शिकार करती है। तो शिकार को वह अपने पॉजिटिव और नगेटिव शिरे से टच करती है। जिससे उसे जोर दार करंट लगता है। मतलब वह शिकार को पूंछ और मुंह से टच करती है। और उसके बाद उसे निगल लेती है।
मछली को करंट क्यों नहीं लगता है ?
इलेक्ट्रिक ईल के द्वारा पैदा किया गया करंट उसे खुद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। जबकि दूसरे जीवों को मार देता है। इसकी वजह है कि दिल और मष्तिष्क इसके आगे के भाग के अंदर होते हैं। और उसके बाद एक सुरक्षात्मक कवच पाया जाता है। और इस कवच के उपर इलेक्ट्रोलाईट कोशिकाएं पाई जाती हैं। यदि ऐसी स्थिति के अंदर कोई करंट पास भी होता है। तो मछली खुद को इसका कोई असर नहीं पड़ता है। यह ठीक वैसे ही है जैसे की तार के अंदर करंट बहुत है। और उसके उपर रबर चढ़ा होता है। जिसकी वजह से हम तार को छूते हैं तो करंट नहीं लगता है। करंट पैदा करने वाली मछली के साथ भी ऐसा ही होता है।
इलेक्ट्रिक ईल केा अपने असामान्य विधुत पॉवर के लिए जाना जाता है और इसका शिकार करने का अंदाज भी काफी मस्त होता है।जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि ईल्स 500 हर्ट्ज तक की बिजली पैदा कर सकते हैं जो बड़े बड़ों को मौत की नींद सुलाने के लिए काफी होता है। जब ईल्स अपने शिकार को करंट मारती है तो उसके बाद कुछ समय के लिए शिकार गतिहीन हो जाता है और इसका फायदा ईल्स उठाती है और अपने शिकार को निगल जाती है।
ईल को प्रयोगशाला के अंदर भी रखा जाता है और उसे खाने के लिए छोटी मछली भी दी जाती हैं। वैसे ईल्स अमैजन के अंदर रहती हैं और वहां पर वह किन किन चीजों का सेवन करती है। इसके बारे मे कुछ खास नहीं बताया जा सकता है। यदि आप इंटरनेट पर देखेंगे तो आपको कई ऐसे विडियो भी मिलेंगे जिनके अंदर एक ईल्स को चुनौती पूर्ण शिकार करते हुए दिखाया गया है।
जैसा कि हमने आपको बताया कि ईल्स के दो ध्रुव होते हैं।इसके सर के अंदर प्लस चार्ज निकलता है और इसके पूंछ के अंदर माइनस चार्ज निकलता है। इसके अलावा यदि ईल्स को लगता है कि शिकार पर असर नहीं हो रहा है तो वह अपने अंदर के विधुत प्रवाह को भी बढ़ा सकता है। जिसकी वजह से शिकार का बहुत ही जल्दी से प्राणांत हो जाता है।
आपको बतादें कि इलेक्टि्रक ईल्स बिना करंट के शिकार को नहीं खा सकती है। मतलब उसे सीधे खाने मे समस्या होती है। वह सबसे पहले अपने मुंह से शिकार को पकड़ती है और उसके बाद अपनी पूंछ को शिकार के शरीर से टच करती है। ऐसा करने से शिकार कुछ समय के लिए सुन्न हो जाता है इतने मे वह उसे अपना निवाला बना लेती है।
सिर्फ छूने से कुछ असर नहीं होता है
दोस्तों आपको बतादें कि करंट मारने वाली मछली जब दूसरी मछली को पकड़ती है तो पकड़ने मात्र से ही उनकी मौत नहीं होती है। क्योंकि ईल्स का प्लस पॉइट के ही वे टच मे होती हैं। ऐसा अनेक बार देखा गया है जब ईल्स के द्वारा पकड़ी गई मछली भाग जाती हैं। और यदि कोई मछली इसके शरीर को छू लेती है तो भी वह सुन्न नहीं होती है। लेकिन जब मछली को दोनो भाग प्लस और माइनस टच कर जाते हैं।तो उसके बाद मछली सुन्न हो जाती है।
इलेक्टि्रक ईल्स की खोज
1800 में, जर्मन प्रकृतिवादी अलेक्जेंडर हंबोल्ट ने वेनेजुएला में इलेक्ट्रिक ईल की खोज की थी।वह वैज्ञानिक यह जानता था कि ईल्स के अंदर काफी क्षमताएं होती हैं और यदि वह किसी को जीवित पकड़ सका तो उसके रहस्य को समझने मे उसे काफी मदद मिल सकती है। लेकिन इसके साथ ही वह यह भी जानता था कि वह इल को अकेला नहीं पकड़ सकता है। इसलिए उसने स्थानिए मछुआरों की मदद ली थी।
30 घोड़ों पर किया गया था परीक्षण
दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि उस समय के अंदर एलेक्जैंडर के पास ईल को पकड़ने के लिए किसी भी प्रकार का कोई उपकरण नहीं था तो उसने कुछ घोड़ों को पानी के अंदर उतार दिया था। हालांकि ईल ने इन घोंड़ों को बहुत अधिक जोरदार झटके दिया था।वैसे देखा जाए तो यह एक सैफ तरीका नहीं था।लेकिन इसके अलावा एलैक्जेंडर के पास कोई साधन भी तो नहीं था।
येल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक इलेक्ट्रोसाइट्स को कोशिकाओं के लिए एक मॉडल के रूप में देख रहे हैं। वै एक ऐसी बैटरी बनाना चाहते हैं जो इंसान को किसी प्रकार का हर्ट ना करें । अक्सर पैसमेकर बैटरी के अंदर रसायन होते हैं जो नष्ट होने पर इंसान के लिए घातक सिद्व हो सकते हैं। लेकिन इलेक्टि्रकल ईल्स वाला सिस्टम काफी उपयोगी हो सकता है।
इलेक्टि्रक ईल एक बैटरी की तरह ही है
दोस्तों ईल्स एक बैटरी की तरह ही होती है। यदि आप एक बैटरी के प्लस और माइनस ट्रमिनल को सोर्ट करते हो तो करंट लगता है। इसी तरीके से यह काम करती है। यह प्लस और माइनस की मदद से शिकार करती है।
तीन इलेक्ट्रिक ऑर्गन्स एक इलेक्ट्रिक ईल के अधिकांश को बनाते हैं और इसे इसकी शक्तिशाली चौंकाने वाली क्षमताएं देते हैं। इलेक्ट्रिक अंग ईल के सिर के ठीक पीछे से शुरू होते हैं,
अपनी पूंछ के माध्यम से अपनी पीठ और दोनों तरफ नीचे जा रहा है। एक इलेक्ट्रिक ईल का शरीर दो तिहाई इलेक्ट्रिक ऑर्गन्स है। अंगों को डिजाइन किया गया है
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