आप लोग भी अपने घर के अंदर फ्रीज का यूज करते होंगे और आपके दिमाग मे कभी ना कभी यह प्रश्न आया होगा कि freeze me konsi gas hoti hai । जिसकी वजह से हम जो कुछ भी फ्रीज के अंदर रख देते हैं वह आसानी से ठंडा हो जाता है। दोस्तों पदार्थ को ठंडा करने के लिए वैसे तो फ्रीज के अंदर अनेक प्रकार की गैस यूज की जाती हैं ।लेकिन साथ ही यूज की जाने वाली गैस की प्रक्रति के बारे मे भी पहले देखा जाता है। कुछ गैसों की खास प्रक्रति होती है उन्हीं को फ्रीज मे यूज किया जाता है।
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रेफ्रिजरेंट गैस क्या होती है?
दोस्तों फ्रीज के अंदर यूज की जाने वाली गैस एक रसायनिक गैस होती है। वाष्पीकरण के बहुत कम बिंदु होते हैं और आसपास की हवा को ठंडा करने के लिए इसको दबाव मे संघनित किया जाता है।वाष्पीकरण और संघनन प्रक्रिया से गुजरती हैं तो सारी गर्मी बाहर खींच लेती हैं और अंदर का तापमान कम कर देती हैं।
20 वीं शताब्दी में के अंदर जो फ्रीज आते थे , उनके अंदर क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग किया जाता था। लेकिन वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर यह साबित हो गया कि क्लोरोफ्लोरोकार्बन बहुत घटिया गैस होती है और इसके उपयोग से हमारी ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है। हालांकि अब इसका प्रयोग बंद हो चुका है।
फ्रीज मे प्रयोग की जाने वाली गैसों का संक्षिप्त इतिहास
1920 तक 1800 के शुरुआती दौर के अंदर फ्रीज मे केवल जहरीली गैसों का प्रयोग किया जाता था ।उसके बाद सन 1970 के आस पास वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि क्लोरीन, फ्लोरीन और कार्बन्स का मिश्रण वाली यह गैंसे वायुमंडल के लिए बहुत अधिक खतरनाक होती हैं ।
जब यह गैंसे वायुमंडल के अंदर रिसाव करती हैं तो यह हमारी ओजोन परत को क्षति पहुंचाती हैं। जिसकी वजह से यूवी किरणें सीधी धरती पर आने लगती हैं। जिसका हम सब जीवों को नुकसान उठाना पड़ता है। आपको पता होगा कि जहरीली गैंसों की वजह से ओजोन परत के अंदर छेद हो चुका है और इससे धरती का तापमान हर साल बढ़ रहा है।
HCFC गैंस जैसे हाइड्रोजन, क्लोरीन, फ्लोरीन और कार्बन का मिश्रण होती हैं। इसके अलावा HFC गैसों के अंदर हाइड्रोजन, फ्लोरीन और कार्बन का मिश्रण होता है। और यह गैंसे जब वायुमंडल के संपर्क मे आती हैं तो ओजोन परत को बहुत कम नुकसान होता है।यही कारण है कि HCFC और HFC गैसें आजकल बहुत अधिक लोकप्रिय हो रही हैं।
freeze me konsi gas hoti hai
फ्रीज के अंदर प्रयोग की जाने वाली गैंसों को हमेशा से बदला जाता रहा है। पहले R22 क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसी गैसों का प्रयोग किया जाता था । लेकिन इनके नुकसान को देखते हुए अब इनका प्रयोग बंद कर दिया गया है। तकनीकी के विकास के साथ गैसों के प्रयोग मे भी बदलाव आया है।
R22 क्लोरोफ्लोरोकार्बन
यह पुराने फ्रीज के अंदर प्रयोग की जाती थी। हालांकि यह बहुत अधिक ओजोन क्षति के लिए जिम्मेदार होने की वजह से मार्डन फ्रीज के अंदर इस गैस का प्रयोग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
R134A Tetrafluoroethane
इस गैस का प्रयोग आधुनिक फ्रीज के अंदर देखा जा सकता है। हालांकि यह ओजोन फ्रेंडली गैस है। लेकिन यह ग्रीन हाउस के लिए जिम्मेदार है। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही इस गैस का प्रयोग भी बंद किया जा सकता है।
R438A Freon
R438A Freon गैस का प्रयोग अक्सर उस समय किया जाता है। जबकि फ्रीज के अंदर आने वाली गैस लीक हो जाती है। मरम्मत करने वाले कर्मचारी उस गैस की जगह पर इस गैस को प्रतिस्थापित कर देते हैं। दोस्तों कई पुराने फ्रीज की मरम्मत के बाद उनके अंदर यह गैस भरी जाती है।
R600A Iso ब्यूटेन
R600A Iso ब्यूटेन एक ज्वलनशील गैस होती है। इसका प्रयोग आमतौर पर छोटे मोर्डन फ्रीज के अंदर किया जाता है।
freeze me konsi gas hoti hai आधुनिक रेफ्रिजरेटर में प्रयोग की जाने वाली गैसें
दोस्तों तकनीक के साथ साथ फ्रीज के अंदर प्रयोग की जाने वाली गैंसों के अंदर भी बहुत बदलाव आये हैं। पहले इस बात का ध्यान नहीं दिया जाता था कि फ्रीज की गैंसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं। लेकिन जैसे जैसे वैज्ञानिक समुदाय जागरूक हुए हैं। उन्होंने कुछ ऐसी गैसों को खोज निकाला जो हमारी ओजोन परत को नुकसान पहुंचाए बिना पदार्थों को ठंडा रख सकें । आधुनिक फ्रीज के अंदर कुछ इसी तरह की गैंसों का प्रयोग किया जाता है।
टेट्रफ्लुओरोहेथेन
मार्डन फ्रीज के अंदर यह सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली गैस है। और इसको अच्छे से संघनित की जाती है। जिसकी वजह से यह किसी भी प्रकार की ओजोन क्षति को पैदा नहीं करती है।और पदार्थ को भी अच्छे से ठंडा करती है।
इस गैस का प्रयोग 1990 के अंदर शूरू हुआ था और वर्तमान के अंदर बहुतायत मे इसका युज हो रहा है। यह आसानी से उपलब्ध है।
क्लोरोफ्लोरो कार्बन
रेफ्रिजरेटर में क्लोरोफ्लोरोकार्बन का उपयोग 1970 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ था। अभी भी आप कई बड़े ब्रांडों के अंदर इस गैस को पा सकते हैं।इसका उपयोग दबाव तरल के रूप मे होता है। यह गर्मी को सोख लेती है और फ्रीज के भीतर के तापमान को ठंडा कर देती है।
पॉलीस्टाइनिन
पॉलीस्टाइन का उपयोग पहली बार 19 वीं शताब्दी में कूलिंग के लिए किया गया था। यह एक लोकप्रिय इन्सुलेटर है जो मशीन के अंदर गी गर्मी को बाहर निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है।यह काफी कम खर्चीला होता है और फ्रीज व गर्मी के बीच एक अवरोधक के रूप मे काम करता है।
एक्रिलोनिट्राइल
19 वीं शताब्दी में एक्रिलोनिट्राइल के उपयोग के बारे मे बताया गया था।यह सबसे लोकप्रिय गैसों मे से एक है। इसके प्रयोग से ना केवल फ्रीज का कार्य सुधरा वरन पर्यावरण को संतुलित करने मे भी अच्छी मदद मिली ।
freeze मे पाई जाने वाली कुछ अन्य गैस
उपर दी गई गैंसों के अलावा कुछ और गैसें भी हैं जोकि फ्रीज के अंदर यूज की जाती हैं। इन गैसों के अंदर मिथाइल क्लोराइड ,अमोनिया जैसी गैसें भी आती हैं। आइए जानते हैं इनके बारे मे
मिथाइल क्लोराइड
व्यापारिक रेफ्रिजरेशन प्रणालियों के अंदर इसका प्रयोग सीमित मात्रा के अंदर किया जाता है। यदि इसका प्रयोग अधिक किया जाए तो यह नुकसान कर सकती है क्योंकि यह जहरीली होती है।इस गैस ने 1929 में अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन द्वारा जांच के लिए पर्याप्त ध्यान आकर्षित किया।
एक केस के अंदर 44 और 28 साल के दो लोग तहखाने में स्थित एक एयर कंडीशनिंग संयंत्र की मरम्मत में लगे हुए थे। दो घंटे काम करने के बाद एक व्यक्ति ने सर दर्द और चक्कर आने की शिकायत की थी। जबकि दूसरे व्यक्ति को भी इस गैस का बुरा प्रभाव अनुभव होने लगा और काम को बीच मे ही रोकना पड़ा ।
अमोनिया Ammonia
यह नाइट्रोजन और हाइड्रोजन का कंपाउंड होती है और इस गैस का सूत्र NH3 होता है। यह विस्फोटक और नशीली होती है। वायु के संपर्क मे आने पर जल भी सकती है।
1. अमोनिया हाइड्रोजन के साथ पाइप के अंदर प्रवेश करती है।
2. अमोनिया और हाइड्रोजन रेफ्रिजरेटर के अंदर भाग मे प्रवेश करते हैं। और यहां पर अमोनिया वाष्पित होता है और तरल अमोनिया से गर्मी लेता है।इस प्रकार इसका तापमान कम होता है।
3. अमोनिया और हाइड्रोजन आंतरिक डिब्बे के अंदर आते हैं उसके बाद अमोनिया अवशोषित होकर पानी के अंदर घुल जाता है। जबकि हाइड्रोजन उपर उठने के लिए स्वतंत्र हो जाता है।
4. यहां पर अमोनिया गैस संघनन होती है।
5.गर्म अमोनिया।
6.गर्मी इन्सुलेशन और पानी से अमोनिया गैस का आसवन हो जाता है।
7.ऊष्मा स्रोत है।
8.अवशोषक पोत।
कार्बन डाइऑक्साइड
कार्बन डाइऑक्साइड का प्रयोग भी फ्रीज के अंदर किया जाता है।इसका रासायनिक सूत्र CO2 होता है।इसका निर्माण ऑक्सीजन के दो प्रमाणु और कार्बन के एक परमाणु से मिलकर होता है।यह सामान्य ताप और दाब पर गैसिय अवस्था के अंदर रहती है।मोसम के बदलाव के साथ इसकी सांद्रता के अंदर भी बदलाव होता है।यह रंगहीन और गंधहीन होता है। नशीला भी नहीं होता है।
Freon – 11
यह व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला refrigerant है।इसका उपयोग कम ऑपरेटिंग दबाव वाले सिस्टम में किया जा सकता है।ट्राइक्लोरोफ्लोरोमीथेन, जिसे फ्रीऑन -11, सीएफसी -11 या आर -11 के नाम से भी जाना जाता है। यह क्लोरोफ्लोरो कार्बन है। यह एक बेरंग, बेहोश करने वाला ईथर और मीठा-महक वाला तरल है जो कमरे के तापमान के आसपास उबलता है।
Freon-13
इसको कई नाम जैसे क्लोरोट्रिप्लोरोमेथेन, आर -13, सीएफसी -13 या फ्रीन 13 से जाना जाता है।यह एक प्रकार का क्लोरोफ्लोरो कार्बन होता है।इसका प्रयोग भी refrigerant मे किया जाता है। हालांकि यह ओजोन परत को नुकसान पहुंचाता है।इसका रासायनिक सूत्र CCIF3 होता है। इसके अंदर इसमे कार्बन की एक मात्रा और फ्लोरीन की तीन मात्राएं होती हैं।यह एयर कण्डीशनिंग सिस्टम के अंदर प्रयोग होता है।
Freon-14
Tetrafluoromethane, जिसे कार्बन टेट्राफ्लूराइड भी कहा जाता है। यह शीतल के लिए प्रयोग की जाती है। लेकिन यह ओजोन परत पर बहुत अधिक बुरा असर डालती है।इसका यूज औद्योगिक रेफ्रिजरेटरों मे अधिक होता है।फ्लोरीन की उच्च इलेक्ट्रोनगेटिविटी के कारण, टेट्रफ्लुओरोमेथेन में कार्बन सकारात्मक रूप से चार्ज होता है।
Freon-22
क्लोरोडिफ्लोरोमीथेन(HCFC) एक रंगहीन गैस होती है। और इस गैस को HCFC-22, या R-22 के नाम से जाना जाता है।यह एक प्रणोदक और refrigerant के अंदर प्रयोग की जाती है।उच्च ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP) के कारण अब विकसित देश इसका प्रयोग कम कर चुके हैं। लेकिन भारत के अंदर यह भी भी प्रयोग होती है।यहां पर इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है।
Freon-114
इसको 2-Dichlorotetrafluoroethane, या R-114 के नाम से जाना जाता है।इसका सूत्र ClF2CCF2Cl होता है। Freon-114 गैस का प्रयोग प्रशीतक के रूप मे किया जाता है।गैर-ज्वलनशील गैस है जिसमें 145.6 डिग्री सेल्सियस और 3.26 एमपीए ,महत्वपूर्ण बिंदु के साथ एक मीठी, क्लोरोफॉर्म के समान गंध रहती है।इस गैस को भी ओजोन क्षति के लिए जिम्मेदार माना गया है।
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This post was last modified on September 26, 2019