gunin shabd roop गुणिन् शब्द के रूप के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं।दोस्तों जब हम बात करते हैं गुणिन् की तो इसकी लिस्ट हम आपको दे रहे हैं। और आप इसकी मदद से गुणिन् शब्द रूप के बारे मे जानकारी हाशिल कर सकते हैं। और उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा प्रयास काफी अधिक पसंद आएगा । यदि आपका कोई सवाल है तो आप कमेंट करके हमें बता सकते हैं।
gunin shabd roop गुणिन् शब्द रूप के बारे मे जानकारी विस्तार से
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | गुणी | गुणिनौ | गुणिनः |
द्वितीया | गुणिनम् | गुणिनौ | गुणिनः |
तृतीया | गुणिना | गुणिभ्याम् | गुणिभिः |
चतुर्थी | गुणिने | गुणिभ्याम् | गुणिभ्यः |
पंचमी | गुणिनः | गुणिभ्याम् | गुणिभ्यः |
षष्ठी | गुणिनः | गुणिनोः | गुणिनाम् |
सप्तमी | गुणिनि | गुणिनोः | गुणिषु |
सम्बोधन | हे गुणिन् ! | हे गुणिनौ ! | हे गुणिनः ! |
दोस्तों प्राचीन काल की बात है। एक गांव के अंदर गुणीं नाम की महिला रहती थी। वह महिला काफी अधिक धार्मिक हुआ करती थी। और धर्म के नाम पर कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहती थी। लेकिन उसी गांव के अंदर कुछ इस प्रकार के लोग रहते थे जोकि उसे अक्सर कहा करते थे कि पत्थर पूजने से यदि भगवान मिलता है तों हम पहाड़ पूज लेते हैं। लेकिन वह महिला इस तरह के लोगों को इग्नोर कर देती थी । इसका कारण यह था कि वह मानती थी कि भगवान मौजूद हैं और संकट के अंदर उसकी रक्षा करने के लिए वे ही आते हैं। और उस गांव के राजा हुआ करते थे वे भी नास्कित किस्म के इंसान थे । जिसकी वजह से वे गांव के अंदर सारे धार्मिक स्थल तुड़वा चुके थे । उनको लगता था कि भगवान के नाम पर पैसा बहाना कोई बुद्धिमानी नहीं होती है। इसी तरह से कुछ दिन बीत गए । वह महिला गांव के अंदर कोई मंदिर नहीं होने की वजह से दूसरे राज्य के अंदर दूध को लेकर जाती थी और उसके बाद उस दूध को शिवलिंग के उपर चढ़ा कर आ जाती थी। यह उसका रोज का काम था । इसी तरह से कुछ दिन और बीत गए ।
एक दिन किसी ने यह पता कर लिया कि यह महिला शिवलिंग पर दूध को चढ़ाकर आती है। और इसकी वजह से बहुत सारा दूध ऐसे ही नष्ट हो जाता है। और इसकी सूचना जब राजा को दी गई तो उसके बाद राजा ने उस महिला को सुबह सुबह शिवलिंग पर दूध चढ़ाने जाते समय पकड़ लिया और उसके बाद जेल के अंदर डाल दिया । उसके बाद क्या था महिला को राजा के सामने पेश किया गया । राजा ने कहा कि …..की आपको पता है कि इस राज्य के अंदर भगवान की पूजा करना अनुचित है तो फिर तुम क्यों कर रही हो । यदि आज से ही तुम भगवान की पूजा करना बंद कर देती हो तो उसके बाद तुम्हे छोड़ दिया जाएगा । लेकिन वह महिला कहां पर मानने वाली थी उसने कहा ……… नहीं मैं भगवान की पूजा करना बंद नहीं कर सकती हूं । भले ही आप मुझे छोड़े या ना छोड़ें । इस बात पर राजा को बहुत अधिक गुस्सा आ गया और उसके बाद राजा ने उसको 10 कोड़े लगाने का आदेश दिया गया ।
और उसके बाद फिर से जेल मे डाल दिया गया । उसके बाद राजा की यह हरकत सब जगह आग की तरह फैल गई कि देखो भगवान शिव के भक्त को राजा ने मारा लेकिन शिव उसे बचाने के लिए नहीं आए । जब पास के ही राज्य के अंदर यह बात पता चली तो राजा हरी महान शिवभगत थे । उनको काफी गुस्सा आया ।
क्योंकि वे इस बात को सहन नहीं कर सकते थे कि कोई भगवान शिव के भगत पर अत्याचार करे । उसके बाद उन्होंने उस राजा के पास एक संदेश भिजवाया कि वह उस महिला को रिहा करदे । यदि वह उसको रिहा नहीं करता है तो उसके बाद उसको अंजाम भुगतना होगा । लेकिन राजा ने हरि के इस संदेश का मजाक उड़ाया ।
दूसरी तरफ जिस राज्य के अंदर धर्म नहीं था वहां पर लोग काफी अराजक होते जा रहे थे । वह बस वासनाओं के अंदर डूबे रहते थे और किसी भी काम पर सही से ध्यान नहीं देते थे । लेकिन हरि सिंह का राज्य काफी अच्छा चल रहा था और उसके बाद उसके पास काफी अधिक ताकतवर सेना था । उनके राज्य के अंदर लोग काफी खुशहाल थे । इसी तरह से कुछ समय और बीत गया । और राजा हरि सिंह की धमकी को भूल चुका था। उसके बाद एक दिन हरि सिंह ने राजा को फिर चेतावनी दी की यदि उसने गुणीं को रिहा नहीं किया तो कल युद्ध के लिए तैयार हो जाए। राजा ने हरि सिंह की चुनौती को स्वीकार कर लिया ।
और उसके बाद दूसरे दिन सुबह ही दोनों सेनाए लड़ने के लिए जंग के मैदान मे पहुंच चुकी थी। एक सेना का नेत्रत्व हरि सिंह कर रहा था । दूसरी तरफ राजा का सेनापति था। राजा खुद युद्ध करने के लिए भी नहीं आया था । कुछ समय तक भयंकर युद्ध होता रहा और अचानक से हरिसिंह की सेना राजा की सेना पर हावी होने लगी।
इतनी अधिक भयंकर मार काट मंची की राजा की सेना को मैदान छोड़कर भागना पड़ा । इस तरह से कुछ ही समय के अंदर हरिसिंह की सेना ने राजा के महल पर धावा बोल दिया । कुछ समय तक राजा की सेना मुकाबला करती रही । लेकिन उसके बाद उसे भी भागना पड़ा । उसके बाद अंदर राजा लड़कियों के साथ लेटा हुआ था । उसे पकड़ कर कर बाहर निकाला गया और उसके बाद उसको हरिसिंह के चरणों के अंदर लाया गया । और उसके बाद हरी सिंह ने राजा को 100 कोड़े लगाने का आदेश दिया गया । उसके बाद राजा बिलबिला उठा । और फिर हरी सिंह ने कहा ……भगवान शिव को यहां पर आने की जरूरत नहीं है। जब तक हम उनके भगत जिंदा हैं तब तक उनके किसी भी भगत पर अत्याचार नहीं हो सकता है। तू एक बुढ़िया को जेल मे बंदर कर खुशियां मना रहा था तो अब इस बात को समझ जा कि तेरा अंत बहुत ही निकट आ चुका है। राजा ने हरि सिंह से जान बख्सने की मनतें की लेकिन उसके बाद भी राजा हरि सिंह ने राजा की गर्दन को धड़ से अलग करते हुए कहा कि तेरे जैसे राक्षसों का यहां पर कोई काम नहीं है। यदि तू जिंदा रहेगा तो फिर कोई फायदा नहीं होगा । गंध ही फैलाएगा । इसलिए तेरा मरना कोई भी पाप नहीं है। यह एक पुण्य का काम है ।जिसको हम कर रहे हैं। और इस प्रकार से पापी राजा का अंत हो