गुरु के शब्द रूप guru shabd roop in sanskrit के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं। इसकी लिस्ट आपको नीचे दी गई है आप इसको देख सकते हैं।
गुरु के शब्द रूप guru shabd roop in sanskrit
विभक्ति | एकवचन | द्विवचन | बहुवचन |
प्रथमा | गुरुः | गुरू | गुरवः |
द्वितीया | गुरुम् | गुरू | गुरून् |
तृतीया | गुरुणा | गुरुभ्याम् | गुरुभिः |
चतुर्थी | गुरवे | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
पंचमी | गुरोः | गुरुभ्याम् | गुरुभ्यः |
षष्ठी | गुरोः | गुर्वोः | गुरुणाम् |
सप्तमी | गुरौ | गुर्वोः | गुरुषु |
सम्बोधन | हे गुरो ! | हे गुरू ! | हे गुरवः ! |
गुरू के बारे मे आप जानते ही हैं। गुरू का मतलब होता है जोकि आपको ज्ञान देता है वह गुरू कहलाता है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । वैसे आजकल के गुरू का तो कहना ही क्या है। लेकिन गुरू अधिकतर प्राचीन काल के अंदर हुआ करते थे । अब तो अधिकतर गुरू का हाल ही बुरा हो चुका है। कुछ गुरू तो इस तरह के हैं जोकि गुरू शब्द को ही बदनाम कर रहे हैं। और उनके शिष्य भी उसी तरह के होते हैं। उनको यह लगता है कि उनके गुरू से कोई महान इंसान नहीं है।आजकल के गुरूओं की कहानी मैं आपको क्या सुनाउं ।
कुछ दिनों पहले न्यूज के अंदर आया था कि एक टीचर को अपनी ही छात्रा से प्यार हो गया और उसके बाद दोनों ने भाग कर शादी करली । इसी तरह से कुछ टीचर ऐसे भी देखे गए हैं जोकि लड़कियों को क्लाश मे छेड़ते हैं तो इस तरह के लोग असली गुरू नहीं होते हैं। और टीचर और गुरू मे असल मे बहुत ही फर्क होता है।
असली गुरू के कुछ नियम और कायदे होते हैं। इसके बारे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और यही आपके लिए सबसे अधिक उपयोगी होता है। कुछ गुरू के कोई नियम कायदे नहीं होते हैं। कुछ दिन पहले एक प्रसंग चल रहा था और किसी कोचिंग वाले ने यह कहा कि सीता अपवित्र हो चुकी थी। और इस वजह से वह अच्छी नहीं थी । और यह रामायण के अंदर लिखा है। इस तरह की बातें लिखने वालों से हम यह पूछना चाहते हैं कि सीता की जगह यदि उनकी पत्नी होती तो क्या वे यही बातें लिखते । दोस्तों कुछ वामपंथी लोग होते हैं जो धर्म को बदनाम करने की कोशिश करते हैं। आपको बतादें ज्ञानी होना एक अलग बात है और धर्म के मार्ग पर चलना पूरी तरह से अलग बात है ज्ञानी तो रावण भी था लेकिन अधर्मी था । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
इसलिए दोस्तों यदि कोई रावण राम के बारे मे लिखेगा तो क्या वह राम की प्रसंसा करेगा नहीं । यदि कोई राक्षस देवता के बारे मे लिखेगा तो क्या वह देवता की प्रसंसा करेगा नहीं । यह असल मे एक नैचुरल गुण होता है जिस इंसान की बुद्धि ही गदंगी मे रहती है तो उसके मन से भी वही गदंगी निकलेगी आप इस बात को समझ सकते हैं इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप यह समझ सकते हैं। इस तरह से दोस्तों जिस प्रकार से गदंगी के अंदर रहने वाले कीड़े को बाहर की दुनिया के बारे मे पता नहीं होता है उसे वह गदंगी ही पसंद आती है। इसी प्रकार से बुरे लोग जिनका मन गंदा रहता है उने बाहर की कोमल सुंदरता कैसे पसंद आ सकती है।
पुराण और धर्म इस तरह के लोगों के लिए नहीं होता है। यह उन लोगों के लिए होता है जिनकी बुद्धि इसके लायक होती है। आप इस बात को समझ सकते हैं और इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए। और गुरू अपने शिष्यों को यह सीखा रहा है कि जिस प्रकार से कुत्ते द्धारा चाटे जाने के बाद घी खाने योग्य नहीं रहता है उसी प्रकार से कोई स्त्री पर पुरूष के पास जाने के बाद इसी प्रकार से त्याज्य हो जाती है। भले ही वह लिखने वाले की कुछ भी हो आप इस बात को समझ सकते हैं। तो इस तरह के जो लोग होते हैं वे अपने स्टूडेंट को यह सीखाते हैं और स्टूडेंट वाहा वाही करते हैं।
और दोस्तों महान लोग महान महान बातें लिखते हैं। तो गुरू आजकल क्या हो चुके हैं आप इस बात को समझ ही चुके हैं। असल मे प्राचीन काल के ग्रंथों के अंदर काफी अधिक मिलावट किया गया है। रामायण का उत्तरकांड भी इसी का एक हिस्सा है। इसके अंदर भी मिलावट की गई और मनगंढत चीजों को लिखा गया था।
कई अंग्रेजों ने रामायण का अंग्रेजी मे अनुवाद किया है तो उन्होंने लिखा है कि उत्तरकांड रामायण का हिस्सा नहीं है।और यह अब साबित हो चुका है कि उत्तरकांड का यह हिस्सा नहीं है। और कुछ लोग यह बात नहीं बताते हैं कि यह रामायण का हिस्सा नहीं है। असल मे उत्तर कांड के अंदर कई सारी चीजें ऐसी लिखी गई हैं लेकिन उनमे अनके घटियां चीजों को भी जोड़ दिया गया है।
खैर जो भी जोड़ा गया हो । यह पढ़ाने वाले कि बुद्धि पर निर्भर करता है कि उसे क्या बताना चाहिए और क्या नहीं बताना चाहिए आप इस बात को समझ सकते हैं। यह भी परीक्षा मे आता है वही कुत्ते वाली बात और स्टूडेंट को इसे याद रखना है।
इस तरह से आप समझ सकते हैं। दोस्तों आजकल गुरूओं का विश्वास भी नहीं किया जा सकता है आप इस बात को समझ सकते हैं। कारण यह है कि अधिकतर गुरू पथभ्रष्ट हो चुके हैं। और आजकल शिक्षा देना गुरू का काम रह गया है। उसके अंदर नैतिकता है या नहीं है इससे सरकार को भी कई मतलब नहीं रह गया है।
और कुछ महान लोग तो ऐसे भी देखे हैं जोकि अपने गुरू की पत्नी के साथ ही अवैध संबंध स्थापित कर लेते हैं आप इस बात को समझ सकते हैं। इस तरह की अनेक घटनाएं होती हैं जोकि प्रकाश मे आती रहती हैं आप समझ सकते हैं।
खैर भाई आजकलयुग है और कलयुग के अंदर जितने भी काम होते हैं वह सभी काले ही होते हैं और कलयुग की वजह से ही संसार के अंदर पाप तेजी से बढ़ रहा है और आगे तो अभी और भी हाल बुरा हो जाएगा । चरित्र का पतन काफी तेजी से हो रहा है। जिन सरकारों को धर्म की चीजें पढ़ानी चाहिए वहां पर फालतू की चीजों को पढ़ाया
जा रहा है ऐसी स्थिति के अंदर आप किसी से भी अच्छाई की उम्मीद कभी भी नहीं कर सकते हैं। और नेट के उपर क्या क्या होता रहता है इसका प्रभाव कहीं ना कहीं हमारे मन के उपर भी दिखाई देता है । और इसका ही असर है कि समाज ही पथभ्रष्ट होता जा रहा है जिसकी वजह से गुरू तो पथभ्रष्ट होने की हैं।
- हरि शब्द रूप पुल्लिंग hari ke shabd roop sanskrit mein
- फल का शब्द रूप संस्कृत में fal ka shabd roop in sanskrit
- किम शब्द रूप स्त्रीलिंग Kim Striling ke roop के बारे मे जानकारी
- बालक के शब्द रूप balak shabd roop in sanskrit
- राम के शब्द रूप ram shabd roop in sanskrit
This post was last modified on October 24, 2023