हड्डी को जोड़ने मे काम आती हैं यह 13 जड़ी बूटी

haddi jodne ki jadi buti के बारे मे हम बात करने वाले हैं।हड्डी का टूटना काफी अधिक दर्दनाक हो सकता है। जब हड्डी  टूटती है , तो बहुत अधिक दर्द होता है। हमने इस तरह के दर्द को अनुभव किया है। हालांकि पहले आयुर्वेद ही चलता था , आजकल हड्डी  टूटने पर कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं। और ओपरेशन वैगरह कर दिया जाता है। मगर आज हम आपको हड्डी  जोड़ने वाले जड़ी बूंटी के बारे मे बात करने वाले हैं। बहुत सारी जड़ी बूंटी इस तरह की होती हैं ,जोकि हड्डी को जोड़ने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। शायद उनके बारे मे आपको पता नहीं है।

haddi jodne ki jadi buti हड्डी जोड़ने की जड़ी बूंटी ( Hadjod )

दोस्तों हड्डी जोड़ने की जड़ी बूंटी के बारे मे बात करें , तो आपको बतादें कि हड़जोड़ एक इसी तरह की जड़ी बूंटी होती है।आयुर्वेद में हड्डी जोड़ने की दवा के रूप में जाना जाता है। इसकी वैज्ञानिक नाम है ‘Cissus quadrangularis’। यह एक चढ़ने वाला पौधा है जो भारत, श्रीलंका, म्यांमार और इंडोनेशिया में पाया जाता है।

हड़जोड़  के अंदर आपको कई सारे गुण देखने को मिलते हैं। यह आपके जोड़ों के दर्द से राहत प्रदान करने का कार्य करता है। इसके अलावा यदि जोड़ों के अंदर सूजन वैगरह है , तो उसको भी कम करने का काम करता है। यह हड्डी के ऊतकों के निर्माण को बढ़ावा देता है।

आपको बतादें कि यह 6 इंच की एक खंड़ाकार बेल होती है। और इससे एक नया पौध पनपता है। इसके अंदर लाल रंग के मटर के दाने के बराबर फल होते हैं।इसके स्वाद के बारे मे यदि हम बात करें , तो वह कसैला होता है। यह खाने और लगाने दोनों ही प्रकार से उपयोगी होती है। हालांकि इसकी प्रवृति काफी गर्म होती है।

सोडियम, पोटैशियम, कार्बोनेट जैसी चीजें इसके अंदर पाई जाती हैं। और यह कहा जाता है , कि इस दवा के सेवन करने से हड्डी के जोड़ का समय काफी हद तक कम हो सकता है। और काफी उपयोगी होती है।यह हड्डियों  को लचीला भी बनाने का काम करता है। आप समझ सकते है।

हड़जाेड़ का पौधा प्राकृतिक एनाबॉलिक हार्मोंस को नियंत्रित रखता है जिससे यह ऑस्टियोपोरोसिस रोग से आपको बचाने का काम करता है।

हड़जोड़ पौधे के और भी बहुत सारे उपयोग होते हैं। इसके बारे मे हम आपको यहां पर बता देते हैं।

  • टूटी हड्डियाँ
  • गठिया
  • ऑस्टियोपोरोसिस
  • मांसपेशियों में दर्द
  • जोड़ों का दर्द
  • खिंचाव
  • सूजन
  • घाव

हड्डी को बेहतर बनाने के लिए तुलसी का प्रयोग

तुलसी एक बहुत ही अच्छी जड़ी बूंटी होती है , जोकि कई तरह की समस्याओं के अंदर प्रयोग मे ली जाती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस  जैसी समस्याओं को कम करने मे तुलसी का प्रयोग किया जा सकता है। यह आपकी हड्डी को कमजोर और भंगुर होने से बचाने का काम करती है। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं  , जोकि ऑस्टियोपोरोसिस   जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए काफी उपयोगी साबित होते हैं।

हड्डी के निर्माण को बढ़ावा देने मे भी तुलसी मदद करती है। क्योंकि इसके अंदर विटामिन डी होता है। यह हड्डी के घनत्व को बढ़ाने में मदद कर सकती है। हड्डी का घनत्व हड्डियों की ताकत का एक उपाय है। तुलसी में कैल्शियम और अन्य खनिज होते हैं।

तुलसी का प्रयोग आप कई तरह से कर सकते हैं। लेकिन इसका प्रयोग करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । और आप जैसे कि तुलसी के पत्तों को चबा सकते हैं। तुलसी के पतों के चूर्ण को खा सकते हैं।तुलसी के सप्लीमेंट ले सकते हैं।

जैसा कि हमने आपको उपर बताया कि तुलसी का सेवन करने से पहले आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए ।कि कितनी मात्रा के अंदर और किस तरह से इसका सेवन किया जाना है।

अश्वगंधा का प्रयोग

आपको बतादें कि अश्वगंधा एक प्रकार की जड़ी बूंटी होती है , जोकि हड्डी को जोड़ने के लिए और उनको मजबूती प्रदान करने के लिए प्रयोग मे ली जाती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और विरोधी भड़काऊ गुण होते हैं । जोकि हड्डी के नुकसान को कम करने का काम करते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस  जैसी समस्याओं को दूर करने मे अश्वगंधा काफी अधिक फायदेमंद होता है। अश्वगंधा के अंदर एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं , जोकि हड्डी के लिए काफी उपयोगी हो सकते हैं।

बाकि यदि आप अश्वगंधा का सेवन कर रहे हैं , तो एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करें । क्योंकि इसकी सही मात्रा के अंदर आपको सेवन करना होता है। और किस तरह से आपको इसका सेवन करना है ? इसके बारे मे भी आपको पता करना होगा ।

  • अश्वगंधा की जड़ों का काढ़ा या चाय पी सकते हैं।
  • अश्वगंधा की जड़ों का चूर्ण बनाकर खा सकते हैं।
  • अश्वगंधा के सप्लीमेंट ले सकते हैं।

गुग्गुल का प्रयोग

गुग्गुल भी एक प्रकार की औषधी होती है , जोकि आपकी हड्डी के लिए काफी अधिक फायदेमंद होती है। जो हड्डियों को मजबूत करने और जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करती है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसी चीजें होती हैं , जोकि हड्डी के लिए उपयोगी मानी जाती हैं आप इस बात को समझ सकते हैं।

गुग्गुल का सेवन करने से पहले आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । और आपका डॉक्टर आपको जो निर्देश देता है , आपको उसका पालन करना चाहिए । यह कैल्शियम  की कमी को पूरा करने का काम करता है।  इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जोकि जोड़ों के दर्द को सूजन को कम करने का काम करते हैं ।यदि आप इसको लेना चाहते हैं , तो दूध के साथ ले सकते हैं।

इन सभी दवाओं का सही मात्रा के अंदर सेवन करना जरूरी होता है। यदि आप सही मात्रा के अंदर सेवन नहीं करते हैं ,तो यह फायदे की बजाय नुकसान कर सकती हैं। इसके बारे मे भी आपको नहीं भूलना चाहिए ।

गिलोय का सेवन

गिलोय का महत्व सभी को कोरोना काल के अंदर पता चला था । लोग जब अंग्रेजी दवाओं से काफी अधिक थक गए थे , तो उन्होंने गिलोय का सेवन करना शूरू कर दिया ।गिलोय सिर्फ हड्डी के लिए ही फायदेमंद नहीं होती है। वरन यह आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम भी करती है। गिलोय में कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, जोकि आपकी हड्डी को मजबूत बनाने का काम करते हैं। यदि आपको गठिया की समस्या है , तो यह उसके अंदर भी बहुत अधिक उपयोगी होती है। आप यदि गिलोय का सेवन करना चाहते हैं , तो इसकी गोली भी आती है , जोकि आप आयुर्वेदिक स्टोर से खरीद सकते हैं। नहीं तो गिलोय की बेल के जूस का सेवन कर सकते हैं।

डेंडिलियन

डेंडिलियन एक प्रकार का पौधा होता है , जोकि पोषक तत्वों से भरपूर होता है। जो यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका के मूल निवासी है। यह दुनिया भर में एक आम खरपतवार के रूप में जाना जाता है । हालांकि इसका प्रयोग चिकित्सा के रूप मे भी किया जाता है। डेंडिलियन के पत्ते, फूल, और जड़ के अंदर पौषक तत्व होते हैं। इसके पत्तों के अंदर विटामिन के सी और ए होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट  गुण भी इसके अंदर होते हैं। इसके अलावा इसके अंदर फाइबर भी होता है।  इसमें कैल्शियम और सिलिकॉन जैसे तत्व भी होते हैं , जोकि हड्डी को मजबूत करने का काम करते हैं , और यह आपकी हड्डी को नुकसान होने से बचाते हैं। पहले से कोई हड्डी से जुड़ा रोग है , तो उसको भी दूर करने का काम करते हैं।

गोटू कोला

गोटू कोला, जिसे सेंटेला एशियाटिका के नाम से भी जाना जाता है, एक बारहमासी जड़ी-बूटी है जो एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के अंदर आपको देखने को मिलती है। यह एक छोटा पौधा होता है , जिसकी पतियां गहरी हरे रंग की होती हैं।आपको बतादें कि इसके अंदर एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण  होते हैं , जोकि हड्डी और मांसपेशियों के लिए उपयोगी होता है। यह उनके दर्द और सूजन को कम करने का काम करता है। आप इसकी चाय बनाकर पी सकते हैं। या फिर यह कैप्सूल के रूप मे भी आपको मिल सकता है।

गोटू कोला सिर्फ हड्डी की मजबूती के अंदर ही काम नहीं आता है। इसके अलावा भी यह बहुत सारे काम आता है , जैसे कि याददाश्त, ध्यान और सीखने में  मे सुधार कर सकता है । चिंता और तनाव को कम करने मे भी यह उपयोगी होता है। और घाव को भरने मे , व सूजन को कम करने मे काफी उपयोगी होता है। हालांकि यदि आप इसका प्रयोग कर रहे हैं , तो एक बार अपने डॉक्टर से आपको जरूर ही परामर्श करना चाहिए ।

गोटू कोला आमतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन कुछ लोगों को पेट खराब, सिरदर्द या त्वचा पर जलन जैसी समस्याएं आपको देखने को मिल सकती हैं। तो ऐसी स्थिति के अंदर आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए । गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।

लेमनग्रास

लेमनग्रास  एक बारहमासी घास है जो एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के अंदर आपको देखने को मिलता है। यह पौधा एक तरह की लंबी पतियों के साथ आता है , और इसके अंदर नींबू जैसी सुंगध आती है। लेमनग्रास को कई सारी चीजों के अंदर प्रयोग किया जाता है। यह सूप, स्ट्यू, सलाद और चाय में स्वाद जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फ्लेवोनॉइड  इसके अंदर होता है , जोकि हड्डी को मजबूत बनाने का काम करता है। यह आपकी इम्यूनिटी को बूस्ट करने का काम करता है। हालांकि यह सिर्फ इतना ही फायदेमंद नहीं है। इसके अलावा  भी बहुत सारी चीजों के अंदर इसका प्रयोग किया जाता है। एंटीस्पास्मोडिक  गुण इसके अंदर होता है , जोकि पाचन के अंदर सुधार करने का काम करता है। पेट गैस को कम करता है। और कब्ज को भी कम करने का काम करता है। लेमनग्रास में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं । जोकि गठिया और सूजन को कम करने का काम भी करता है। यह कैंसर, हृदय रोग और दूसरे कई तरह के रोगों को दूर करने के लिए प्रयोग मे लिया जाता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। लेमनग्रास का उपयोग अक्सर त्वचा और बालों के लिए एक टॉनिक के रूप मे काम करता है। और यह झुर्रियों को कम करने का काम भी करती है।

बबूल का पंचांग

दोस्तों बबूल के पंचांग को भी हड्डी जोड़ने वाला माना जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।बबूल का पंचांग का 6 ग्राम चूर्ण शहद व बकरी के दूध को आपस मे आपको मिलाना होगा ।और उसके बाद आपको सेवन करना होगा । ऐसा करने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है। यह उपाय आप कर सकते हैं। इससे आपको फायदा जरूर होगा ।

हल्दी वाला दूध

दोस्तों हल्दी वाले दूध के बारे मे आपने कई बार सुना ही होगा । हल्दी वाला दूध आपकी हड्डी के लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है। यह  एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सेप्टिक गुण  से युक्त होता है। और फैक्चर होने की दशा के अंदर यह काफी उपयोगी हो सकता है। आपको बतादें कि इसका सेवन यदि आप सही तरह से करते हैं , तो आपको फायदा जरूर ही मिलता है।

काली मिर्च और उड़द दाल

काली मिर्च और उड़द की दाल भी टूटी हुई हड्डी के लिए काफी अधिक फायदेमंद होती है। आप समझ सकते हैं।पिसी काली मिर्च और काग गंगा बूटी का रस मिक्स करके दिन में 3-4 बार पीएं। और उड़द की दाल को सबसे पहले आपको सूखा लेना चाहिए । और उसके बाद इसका पेस्ट बनाकर  लगा लेना चाहिए । ऐसा करने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाएगी ।

देसी घी का प्रयोग

दोस्तों देसी घी हड्डी के लिए काफी अधिक फायदेमंद होता है। अक्सर आपने लोगों को देसी घी को खाते हुए देखा होगा ।दो चम्मच देसी घी, 1 चम्मच गुड़ और 1 चम्मच हल्दी को मिलाकर  और उबालें । उसके बाद इसको पी लें । ऐसा करने से आपको धीरे धीरे फायदा होगा ।

प्याज होता है फायदेमंद

दोस्तों प्याज भी हड्डी को जोड़ने के लिए उपयोगी होता है। प्याज के रस को सबसे पहले निकालें । उसके बाद एक चम्मच हल्दी मिलाएं । फिर तिल के तेल मे इसको गर्म करके टूटी हुई हड्डी पर लगा लेना चाहिए । ऐसा करने से काफी अधिक फायदा होगा ।

haddi jodne ki jadi buti के बारे मे हमने विस्तार से जाना उम्मीद  करते हैं , कि आपको यह पसंद आएगा । यदि आपके मन मे कोई सवाल है , तो आप हमें बता सकते हैं।

This post was last modified on January 28, 2024

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