हनुमान चालीसा पढ़ने के जबरदस्त फायदे जानिए

‌‌‌यदि आप भी पढ़ते हैं हनुमान चालिसा तो जानिए हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे hanuman chalisa padhne ke fayde के बारे मे इस लेख में ।हनुमानजी के बारे मे आप सभी जानते ही हैं। उनको पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है। हनुमानजी का उल्लेख रामायण के अंदर मिलता है। और माना जाता है कि वे शिव के अवतार थे । और उनका जन्म भगवान राम की मदद करने के लिए हुआ था। वे माता जानकी के अतिप्रिय हैं और वे उन सात संतों मे से हैं जिनको अमरत्व ‌‌‌ का वरदान मिला हुआ है।हनुमानजी ने ही राम की सुग्रीव से मैत्री करवाई और राक्षसों का संहार किया ।

गणना के अनुसार हनुमानजी का जन्म 58 हजार और 122 वर्ष पहले झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव  के अंदर हुआ था। ‌‌‌हनुमानजी को बजरंगबली के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनका शरीर वज्र के समान था। हिंदु कथाओं के अनुसार हनुमानजी पवन पुत्र है। क्योंकि पवन देव ने भी इनको पालने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि लगभग हर हिंदु के घर के अंदर हनुमान चालिसा का पाठ होता है। हमारे यहां पर भी हनुमान चालिसा पढ़ी जाती है।पहले मैं रोजाना हनुमान चालिसा का पाठ करता था लेकिन बाद मे काम पर जाने की वजह से समय नहीं मिल पाता था। तो घर के दूसरे सदस्य करने लगे थे ।

‌‌‌यदि आप भी अपने घर के अंदर हनुमानजी के मंदिर के आगे या उनकी मूर्ति के आगे बेठ कर हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं तो यह आपके लिए बहुत अधिक फायदे मंद होता है।  ‌‌‌वैसे आपको बतादें कि बहुत से लोग हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं लेकिन उनको सही पता नहीं होता है कि हनुमान चालिसा पढ़ने पर क्या क्या फायदे होते हैं ? तो आइए जानते हैं कि हनुमान चालिसा का पाठ करने के फायदे के बारे मे ।

‌‌‌वैसे आपको बतादें कि हनुमान चालिसा पढ़ने के फायदे उसी के अंदर लिखे भी गए हैं। यदि आप उसे पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि इसको पढ़ना कितने फायदेमंद होता है।

1.हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे आपकी इच्छा पूर्ण करते हैं

दोस्तों यह कहा गया है कि कलयुग के अंदर हनुमानजी ही ऐसे देवता हैं जो कलयुग के अंत तक रहेगे ।और यदि आप हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं तो इससे हनुमानजी प्रसन्न होते हैं इसका फायदा यह है कि आप जो भी इच्छा करते हैं वे उसे पूर्ण करते हैं। इस ‌‌‌ प्रकार से यदि आपकी जीवन से कुछ इच्छा है जोकि पूर्ण नहीं हो रही है तो आप रोजाना किसी हनुमान मंदिर के अंदर जाकर या फिर अपने घर के अंदर हनुमान चालिसा का पाठ करें । ऐसा करने से आपकी इच्छा जरूर पूर्ण होगी ।

‌‌‌2. hanuman chalisa padhne ke fayde देते हैं हनुमानजी दर्शन

यदि आप चाहते हैं कि हनुमानजी आपको दर्शन दें तो उनकी पूजा विधि विधान से करते रहें और रोजाना शाम को हनुमान चालिसा का पाठ करें और दीपक जलाएं । दीपक घी का ही प्रयोग करें। मन ही मन उनके दर्शन की कामना करें । जब आप ऐसा करेंगे तो  निश्चिय ही हनुमानजी आपको दर्शन देंगे । ‌‌‌कहा जाता है कि तुलसीदास को हनुमानजी ने दर्शन दिये थे । इसी प्रकार से रामदास को भी हनुमानजी के दर्शन हुए थे ।

‌‌‌3.आप सिद्धि को प्राप्त कर सकते हैं

हनुमानजी को अष्टसिद्घि और नवनिधि के दाता माने जाते हैं।जो व्यक्ति नियमित रूप से हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं। उनको हनुमानजी सिद्धि प्रदान कर सकते हैं।यदि आप तंत्र क्रिया के अंदर रूचि रखते हैं तो यह आपके लिए और अधिक फायदेमंद होता है। आप हनुमान जी ‌‌‌साधना करके सिद्धि को प्राप्त कर सकते हैं।

‌‌‌यदि आप हनुमानजी की साधना करना चाहते हैं तो यह बहुत ही सरल है। और 41 दिन की साधना होती है। इसके अंदर पूरे नियमों का ध्यान रखना होता है।वरना यह साधना पूर्ण नहीं होती है। और साधना करते समय आपको हनुमानजी के प्रति समर्पित होना होता है।

ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकायं हुं फट्

सबसे पहले आपको किसी ऐसे कमरे या स्थान को चुनना होगा जहां पर कोई आता जाता नहीं है।इस कमरे के अंदर पूरी तरह से साफ सफाई करें और गोमूत्र और गंगाजल छिड़के ताकि यह पूरी तरह से पवित्र हो जाए ।अब पूर्व दिशा की ओर कैसरिया रंग का कपड़ा बिछाएं । फिर उस चौकी पर ‌‌‌हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करदें ।

इसके साथ ही आपको एक सिद्ध यंत्र भी स्थापित करना होगा ।अब ईषान कोण के अंदर चोकी के बांई तरफ एक मिट्टी का कलश पानी से भरकर रखदें।इसके बाद एक पानी वाला नारियल के उपर लाल कपड़ा लपेट कर इसके उपर रखदें ।और लाल कपड़े पहने और लाल ही आसन लगाकर बैठ जाएं ।

बाद दाएं हाथ में थोड़ा जल लेकर इस प्रकार संकल्प करें हे परम पिता प्रमेश्वर मैं अपना नाम बोलें गोत्र  भी बोलें आपकी क्रपा से हनुमानजी का यह मंत्र सिद्ध कर रहा हूं । मुझे सफलता प्रदान करें ।

ॐ श्री विष्णवे नमः  मंत्र का हाथ से जमीन को 3 बार स्पर्श करते हुए बोलें ।

अब आप दाएं हाथ में गोमुखी मे रूद्राक्ष की माला लेकर अपने गुरू के नाम की एक माला करें ।उसके बाद गणेश जी की एक माला करें फिर राम को याद करें । फिर उपर दिये गए मंत्र का जाप रोजाना ‌‌‌निश्चित संख्या के अंदर करें । ‌‌‌इस प्रकार से इस मंत्र का जाप 41 दिन तक करें और 41 दिन पूर्ण होने के बाद हनुमानजी की आहूतियां दें ।

फिर साधना पूर्ण होने के बाद नारियल और सिंदुर को हनुमानजी के मंदिर के अंदर चढ़ा देना चाहिए ।और जब साधना काल चल रहा हो तो हर मंगलवार को हनुमानजी को चोला चढ़ाएं और सुंदरकांड व हनुमान चालिसा का ‌‌‌ पाठ करें ।और एक डिब्बी सिंदूर की हनुमान जी के चरणों के अंदर लाकर रखदें । बस उसके बाद उसका रोजाना तिलक करते रहें ।

‌‌‌4.हनुमान चालिसा का पाठ करने के फायदे आर्थिक संकट दूर होता है

‌‌‌यदि आपको काम नहीं मिल रहा है या आपका काम अच्छा नहीं चल रहा है और आप आर्थिक संकट से झूझ रहे हैं तो इसके अंदर भी हनुमान चालिसा काफी फायदेमंद होती है। यदि आप रोजाना हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं तो आपके सारे आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और आपकी नौकरी के अंदर तरक्की होने लग जाती है और आप ‌‌‌के अर्थ से संबंधित सभी प्रकार के संकटों का अंत होता है।

यदि आपके घर के अंदर भी धन की समस्या है तो आप रोजाना शाम को हनुमानजी के मंदिर मे दिया जलाएं और उसके बाद हनुमान चालिसा का पाठ करें । यह आपके जीवन को बदल देगा । ‌‌‌आपको यह भी याद रखना चाहिए कि हनुमान चालिसा का पाठ मंगलवार सें करना शूरू करें तो अधिक अच्छा होगा ।

‌‌‌5.नगेटिव शक्तियां भाग जाती हैं।

हनुमान चालिसा का पाठ करना नगेटिव शक्तियों को भगा देता है।भूत पिशाच निकट नहीं आए, महावीर जब नाम सुनावे। इस दोहे के अंदर यही कहा गया है कि यदि आप कहीं पर जा रहे हैं और आपको भूत पिशाच का डर लगता है तो आपको हनुमान चालिसा का पाठ करना शूरू कर देना चाहिए ।

‌‌‌ऐसा करने से आपके आस पास जो भी नगेटिव ताकते हैं वे भाग जाएंगी और आपको किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी । कुल मिलाकर हनुमान चालिसा का पाठ आपको भूत प्रेत और पिशाच से दूर रखता है। हनुमानजी के भगत को यह छू भी नहीं सकते हैं।

‌‌‌6.भय को दूर भगाता है हनुमान चालिसा का पाठ

यदि आपके मन मे किसी भी प्रकार का अनजाना भय है तो आपको हनुमान चालिसा का पाठ रोजाना करना आरम्भ कर देना चाहिए । यह किसी भी तरह के अनजाने भय को दूर करने का कार्य करता है।

वैसे कुछ लोगों को अंधेरे के अंदर जाने से या फिर किसी अनजाने भय से काफी परेशानी  ‌‌‌होती है। लेकिन हनुमान चालिसा के पाठ से मनोबल बढ़ता है और इंसान काफी बलवान बन जाता है।यदि आपके मन के अंदर भी किसी भी तरह का डर बना रहता है तो हनुमान चालिसा का पाठ कर सकते हैं।

‌‌‌7.अच्छी नींद के लिए हनुमान चालिसा का पाठ करें

यदि आपको रात मे अच्छी नींद नहीं आती है और मन फालतू के विचारों के अंदर फंसा रहता है तो हनुमान चालिसा का पाठ आपको करना चाहिए । यह आपके मन को शांत करता है और जिससे आपको अच्छी नींद आती है। असल मे यह काफी चमत्कारी ढंग से होता है। आप खुद इसको ‌‌‌ट्राई कर सकते हैं।

‌‌‌शाम को आप हनुमानजी की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और उसके बाद हनुमान चालिसा का पाठ करें । यदि आप कुछ दिन ऐसा करेंगे तो आपको इसके प्रभाव का अंदाजा होगा । और इतनी अधिक नींद आएगी कि आप एकदम से फ्रेस हो जाएंगे ।

‌‌‌8.हनुमान चालिसा का पाठ बीमारी को दूर करता है

 नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।। आपने यह लाइन सुनी और बोली भी होगी ।इसका मतलब यह है कि जो हनुमाजी का नाम लेता है और हनुमान चालिसा का पाठ करता है उसके सभी तरह के रोग दूर हो जाते हैं और उसकी समस्त पीड़ा का नाश हो जाता है। ‌‌‌अक्सर आपने देखा होगा कि हनुमानजी के भगतों के अनेक ऐसे रोग भी ठीक हो जाते हैं जोकि बड़े बड़े डॉक्टर तक ठीक नहीं कर पाते हैं। इस संबंध मे हमारे खुद के घर की घटना है। जब मेरी मम्मी को गांठ की समस्या थी तो उन्होंने हनुमानजी की पूजा अर्चना की थी। तो उनकी गांठ ठीक हो गई थी।

‌‌‌इसी प्रकार से जब मैं छोटा था तो मैं बहुत अधिक भयंकर बीमार हो गया था। और मेरी ऐसी हालत हो चुकी थी कि मैं जिंदा नहीं बच सकता था। लेकिन उसके बाद हनुमानजी ही थे । जिन्होंने मुझे जीवनदान दिया था। और आज भी हमारे घर मे हनुमानजी की पूजा होती है । ‌‌‌यह हनुमानजी की वजह से ही संभव है कि मैं यहां पर लिख रहा हूं ।तो आप समझ सकते हैं कि हनुमानजी अपने भगतों के कष्ट को काटने का काम करते हैं।

9.स्मरण शक्ति बढ़ती है

हनुमान चालिसा का पाठ करने का फायदा यह है कि इससे स्मरण शक्ति बढ़ती है। यदि आप एक छात्र हैं तो आपके लिए हनुमान चालिसा का पाठ करना एकदम से सही होता है। कारण यह है कि इससे आपके मन का भटकाव बंद होता है। और आपके मन की एकाग्रता शक्ति बढ़ती है। जिससे धीरे धीरे चीजों को ‌‌‌याद रखने की क्षमता काफी तेज होती जाती है।अक्सर आपने देखा होगा कि बहुत सारे स्टूडेंट हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं ‌‌‌और वे मंगलवार का व्रत भी करते हैं।ऐसा करने से छात्रों की बुद्धि काफी तेज होती है।और शिक्षा के क्षेत्र के अंदर भी कामयाबी हाशिल होती है।

‌‌‌10.परमधाम मिलता है

हिंदु धर्म के अंदर मोक्ष से बड़ा कुछ भी नहीं माना गया है।और हर इंसान मरते वक्त यही कामना करता है कि उसे मोक्ष मिल जाए ।क्योंकि मोक्ष मिलेगा तभी तो सभी दुखों का अंत होगा । और इस जन्म और मरण के चक्र से छूटकारा मिलेगा ।

अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।। और देवता चित्त न धरई। हनुमत् सेई सर्व सुख करई। 

‌‌‌यदि आप निरंतर हनुमानजी की पूजा करते हैं और हनुमान चालिसा का पाठ करते हैं तो अंत समय मे आपको परमधाम  प्राप्त होता है। जहां पर आप सुख पूर्वक अपने कर्मों का भोग करते हो ।‌‌‌यदि आप चाहते हैं कि अंत समय मे भी हनुमानजी आपकी मदद करें तो आप जरूरी हनुमान चालिसा का पाठ करें और आप पर हनुमानजी का हाथ सदैव बना रहेगा ।

‌‌‌11.अपने भगतों को बचाते हैं मुश्बित से

हनुमानजी अपने भगतों को भी मुश्बित से बचाने का कार्य करते हैं। कहा जाता है कि एक बार अकबर ने तुलसीदास को अपने दरबार मे बुलाया और कहा कि श्रीराम से मिलवाओं तो तुलसीदास जी ने कहा कि भगवान राम केवल अपने भगतो को ही दर्शन देते हैं। ‌‌‌उसके बाद अकबर ने तुलसी दास को कैद कर लिया और फिर तुलसी दास ने जेल के अंदर ही हनुमान चालिसा की रचना की थी। जैसे ही उन्होंने रचना पूर्ण की बंदरों ने फतेपूर सिकरी पर धावा बोल दिया । अकबर ने बंदरों के आतंक से मुक्त होने के कई प्रयास किये लेकिन सफल नहीं हो सका । ‌‌‌उसके बाद अकबर के किसी मंत्री से अकबर को तुलसी दास को छोड़ने के लिए कहा तो जैसे ही अकबर ने तुलसीदास को छोड़ा बंदर उसी दिन से वहां से चले गए ।

‌‌‌हनुमान चालिसा का पाठ

‌‌‌वैसे तो आपको भी हनुमान चालिसा याद होगी लेकिन फिर भी हम आपको यहां पर हनुमान चालिसा दे रहे हैं।

 जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर

राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥1॥

महाबीर विक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी

कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुँचित केसा ॥2॥

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे काँधे मूँज जनेऊ साजे

शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जगवंदन ॥3॥

विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मनबसिया ॥4॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा

भीम रूप धरि असुर सँहारे रामचंद्र के काज सवाँरे ॥5॥

लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥6॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ॥7॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कवि कोविद कहि सके कहाँ ते

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥8॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भये सब जग जाना

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥9॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही जलधि लाँघि गए अचरज नाही

दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥10॥

राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे

सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डरना ॥11॥

आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हाँक ते काँपै

भूत पिशाच निकट नहि आवै महाबीर जब नाम सुनावै ॥12॥

नासै रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा

संकट ते हनुमान छुडावै मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥13॥

सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा

और मनोरथ जो कोई लावै सोइ अमित जीवन फल पावै ॥14॥

चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा

साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे ॥15॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता

राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा ॥16॥

तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै

अंतकाल रघुवरपुर जाई जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥17॥

और देवता चित्त ना धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई

संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥18॥

जै जै जै हनुमान गुसाईँ कृपा करहु गुरु देव की नाई

जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई ॥19॥

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा

तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥20॥

‌‌‌हनुमानजी लंका की ओर

अंजनी पुत्र आकार्श मार्ग से लंका की ओर जा रहे थे । और आज उनका चित बहुत अधिक प्रसन्न था।कारण यह था कि आज उनको माता सीता और भगवान राम की मदद करने का अवसर जो मिला था।सीता जैसी धर्मी स्त्री का संकट कैसे देखा जा सकता है। मैं शीघ्र ही संकट तो दूर करूंगा और सीता को खोज निकालूंगा।‌‌‌

और अब हनुमानजी काफी तेजी से चल रहे थे मार्ग के अंदर उनको मेहंद्रपूरी नगरी दिखाई थी।हनुमानजी को याद आया कि उनकी माता अंजना को उनकी सासु ने कलंकित होकर निकाल दिया था लेकिन बाद मे वह अपने पिता के यहां पर आई थी पिता ने भी माता अंजना के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया था। आज हनुमान ने सोचा कि ‌‌‌मेहंद्रकुमार ने बिना विचारे मेरी माता को निकाल दिया था।और उसके बाद मेरी माता को वन मे जाकर रहना पड़ता था । और मेरा जन्म भी वन के अंदर ही हुआ था।दुख से शरण मे आई हुई मेरी माता को मेहंद्र कुमार ने नहीं रखा आज ही उसका घमंड दूर करता हूं ।

‌‌‌और उसके बाद हनुमानजी ने रणभेरी बजा दी ।मेहंद्रकुमार इसके लिए तैयार नहीं था फिर भी अपनी सैना लेकर आ गया । उसके बाद मेहंद्र कुमार ने अनेक बाण चलाए लेकिन हनुमानजी को एक भी बाण नहीं लगा । उसके बाद हनुमानजी कूद कर मेंद्रकुमार के रथ मे आ गए और उनको तुरंत ही जीत लिया ।

‌‌‌हनुमानजी की विरता को देखकर मेहंद्र ने कहा …..हे पुत्र तुम्हारा प्रताप जैसा सुना था आज वैसा देख भी लिया है। क्षमा करो पुत्र ।हे पुत्र तुमने हमारे कुल के अंदर जन्म लिया और कुल के नाम को उज्जवल किया और मेहंद्र कुमार ने हनुमानजी को गले से लगा लिया ।

‌‌‌उसके बाद हनुमानजी ने अपने नाना से क्षमायाचना कि और कहा … क्रोध इंसान का स्वाभाव नहीं होता है। और यह क्रोध अधिक समय तक टिका नहीं रह सकता है। जीव का स्वाभाव क्षमा है और यही टिका रह सकता है।

‌‌‌उसके बाद हनुमानजी ने मेहंद्रकुमार को सारी कहानी सुनाई और खुद को लंकापुरी जाने के बारे मे कहा । उसके बाद मेहंद्रकुमार अपनी पुत्री अंजना के पास गए और उनको हनुमानजी की विरता की कहानी सुनाई और अंजना भी अपने माता पिता और भाई से मिलकर बहुत अधिक प्रसन्न हुई ।

‌‌‌माता अंजना यह जानकर प्रसन्न हुई कि मेरा पुत्र मेरे समान ही सति स्त्री सीता को बचाने के लिए और उनकी मदद करने के लिए लंका जा रहा है। हालांकि रावण भी बहुत अधिक शक्तिशाली है लेकिन मेरा पुत्र भी कम बलशाली नहीं हैं । वह सीता का अवश्य ही पता लगाएगा ।

‌‌‌अब हनुमानजी दधिमुकख नगरी के एक घोर वन के अंदर पहुंचे यहां पर दो मुनि आठ दिन से साधना कर रही हैं। और वहीं से कुछ दूरी पर आगे 3 राजकुमारियां खड़ी हैं और वे भी साधना कर रही हैं। उन राजकुमारियों पर अंगारक नाम एक दुष्ट मोहित हो गया है।

वह उनको पाना चाहता है। बल पूर्व या छल पूर्व जब राजकुमारी ‌‌‌उसके साथ नहीं जाती हैं तो फिर अंगारक क्रोध पूर्वक वन के अंदर आग लगा देता है। जिससे कुछ ही समय के अंदर वहां पर भयंकर आग भड़क जाती है लेकिन राजकुमारी और मुनि अपनी अपनी साधना मे लीन रहते हैं। उसके बाद  हनुमानजी देखते हैं तो वे नीचे उतरते हैं और उस आग को बुझा देते हैं।

‌‌‌उसके बाद हनुमानजी उन मुनि को प्रणाम करते हैं। तभी वहां पर वो तीनों राजकुमारियां आ जाती हैं और कहती हैं ……हे तात आपने हम सभी को आग से बचाकर काफी उपकार किया है।एक एक साधना कर रही थी। और इस साधना को सिद्ध करने मे 12 वर्ष का समय लगता है लेकिन हम यहां पर निर्भय रहे इसी वजह से यह केवल 12 दिन ‌‌‌ मे ही सिद्ध हो गई है।‌‌‌उसके बाद हनुमानजी ने उनको अपना परिचय दिया और कहा कि  जल्दी ही तुम सबको भगवान राम के दर्शन होंगे और तुम्हारे सारे कार्य सफल होंगे । और उसके बाद वहां से विदा ली ।

‌‌‌उसके बाद हनुमानजी लवण समुद्र के बीच आये जहां पर हनुमानजी का विमान रूक गया ।उसके बाद हनुमानजी ने सोचा विमान क्यों रूक गया ? क्या यहां कोई मंदिर है ? या फिर शत्रु ने विमान को रोका है?उसके बाद मंत्री से पूछा तो मंत्री ने कहा ….हे स्वामी यह लंका का मायावी कोट है। यहां पर सर्वभक्षी पुतली नामक ‌‌‌एक राक्षसी रहती है ।और  जो बिना विचारे यहां से निकलता है पुतली उसको अपना भोजन बना लेती है। इतना ही नहीं यहां पर भयंकर सर्प भी हैं जो जहर छोड़ते हैं । उनका जहर का प्रभाव बाणों के सामान होता है।

‌‌‌उसके बाद हनुमानजी ने कहा …….जिस प्रकार से मुनि ध्यान की मदद से माया को नष्ट कर देते हैं उसी प्रकार से मैं भी अपनी विधा से रावण की माया को नष्ट कर दूंगा । और उसके बाद हनुमान ने अपनी सेना को तो आकाश मे खड़ा कर दिया और स्वयं मायावी बनकर पुतली के मुख मे प्रवेश कर लिया ।

‌‌‌और उसके बाद हनुमान  ने अपनी गदा के प्रहार से उसके गढ़ को तोड़ डाला उसके बाद उसकी सुंदर पुत्री युद्ध के लिए आ खड़ी हुई ।और भयंकर युद्ध करने लगी लेकिन उस सुंदरी को कोई पराजित नहीं कर सकता था लेकिन कामदेव के समान हनुमानजी का सुंदर रूप देखकर वह कामबाण से घायल हो गई और फिर ‌‌‌फिर उसने एक प्रेमपत्र एक बाण के बांधा और हनुमानजी के चरणों मे फेंक दिया । और इसको हनुमानजी ने भी मान लिया ।और फिर हनुमानजी ने सुंदर को लंका मे जाने की बात कही तो सुंदरी ने कहा …..आप संभल कर जाना क्योंकि रावण का आपके प्रति पहले जैसा स्नेह नहीं है। कारण यह है कि जब से उसे पता चला है कि ‌‌‌आप राम की मदद करना चाह रहे हो तो वह आपके उपर क्रोधित है।

‌‌‌उसके बाद सर्वप्रथम हनुमानजी विभिषण के पास गए और बोले …..आप तो धर्मात्मा हैं और धर्म के राजा हैं लेकिन आपका भाई रावण किसी पराई स्त्री को लेकर आया है यह उचित नहीं है।एक राजा होकर ऐसा करना उचित नहीं है। आपके कुल के अंदर अनेक महात्मा और राजा मोक्ष गामी हुए हैं। रावण के ऐसा करने से आपका अपयश ‌‌‌ ही फैलेगा ।

‌‌‌उसके बाद विभीषण ने कहा ….बेटा हनुमान मैंने रावण को बहुत समझाया लेकिन वह मानने को तैयार नहीं है।और आजकल तो मुझसे बोलता भी नहीं है।जब से सीताजी आई है तब से वे खाना और पानी कुछ नहीं ले रही हैं। बस राम नाम से ही जीवित हैं। ऐसा सुनते ही हनुमानजी का गला भर आया और वे अशोक वाटिका के अंदर सीता को ‌‌‌देखने के लिए जाते हैं।

‌‌‌उसके बाद हनुमानजी सीता जी को देखते है। कि वे एक वट के नीचे उदास बैठी हैं उनके बाल बिखरे हुए हैं और आंखों के अंदर आंसू भरे हैं और काफी दुखी दिखाई दे रही हैं।धान्य है ऐसी नारी सीता जी को मैं यहां से छुटाउंगा चाहे इसके लिए मुझे प्राण भी क्यों ना देना पड़े ।

‌‌‌उसके बाद हनुमानजी सोचने लगे अरे राम जैसे महापुरूष की पटरानी भी यहां पर अकेली बैठी है। सही है इस संसार मे सुख दुख खुद ही तो भोगना पड़ता है। भला इसका दूसरा कोई भी साथी नहीं है।‌‌‌उसके बाद हनुमानजी ने राम की अंगूठी को सीता जी के गोद के अंदर डालदी । और सीता जी राम की अंगूठी को देखकर बहुत अधिक प्रसन्न हुई ।अरे यह अंगूठी कहां से आई । अवश्य ही कोई ना कोई सतपुरूष मेरे स्वामी का संदेश लेकर आया होगा ।

‌‌‌हमेशा दुखी रहने वाली सीता को प्रसन्न देखकर रावण की दूतियां रावण के पास गई और बोली की आज सीता प्रसन्न हुई थी। यह जानकर रावण काफी खुश हुआ और उनको बहुत अधिक ईनाम दिया ।उसके बाद रावण ने मंदोदरी और दूसरी रानियों को सीता को समझाने के लिए भेजा ।

‌‌‌मंदोदरी सीता के पास गई और बोली …..हे बाला तू आज प्रसन्न हुई अच्छी बात है। अब रावण को अपना पति मान और इनके साथ इंद्राणी के समान सुख भोग ।

यह सुनते ही सीता को क्रोध आया और बोली …….हे वाचाल मैं रावण पर प्रसन्न नहीं हुई । आज मेरे स्वामी का समाचार आया है। वे कुशल हैं यही जानकर प्रसन्न हुई।

‌‌‌उसके बाद मंदोदरी ने कहा …..अरे सीता इस लंका के अंदर राम का समाचार कैसे पहुंच सकता है? और लगता है तू 11 दिन से भूखी है तो तुझे ऐसा आभास हो रहा है।

…….मैं इस भयानक वन मे खड़ी हूं । यदि कोई मेरे स्वामी की अंगूठी लेकर आया है तो वह मुझे दर्शन दे ।

इतना कहते ही हनुमान सीता के सामने आए  और बोले.. ‌‌‌हे माता मैं अंजना पुत्र हनुमान हूं और मैं रामचंद्रजी का सेवक हूं । उन्होंने ही मुझे आपका पता लगाने के लिए भेजा था।हे देवी वे सकुशल हैं और स्वर्ण के महल मे रहते हैं लेकिन वह आपके बिना सुना सुना है।वे बस आपके मिलन की आशा से ही जी रहे हैं।

‌‌‌उसके बाद देवी सीता बोली ………हे हनुमान तुमने मुझे अच्छा समाचार सुनाया लेकिन मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है। तो मैं तुझे क्या दे सकती हूं ?

…….नहीं माते आपके दर्शन से ही सब लाभ मुझे मिल गया है। अब और मुझे कुछ नहीं चाहिए ।

….. ‌‌‌…….हनुमान राम चारो ओर समुद्र से घिरी हुई लंका के अंदर तुम किस प्रकार से आये हो ।क्या वास्तव मे तुमने राम और लक्षमण को देखा है या मेरे वियोग मे राम ने शरीर त्याग दिया और उनकी अंगूठी को तुम लेकर आये हो । क्या तुम मुझसे कोई छल तो नहीं कर रहे हो ।

—-‌‌‌उसके बाद हनुमानजी ने माता सीता को राम के कहे कुछ आंतरिक प्रसंग सुनाए और जटायु की कहीं बाते भी सुनाई। जिससे सीता को यह विश्वास हो गया कि हनुमानजी राम के ही दूत हैं। और उसके बाद हनुमानजी बोले ………माता रावण बहुत दयावान है मैं जाकर उनसे याचना करूंगा कि वह आपको छोड़दे । यदि वह ऐसा कर लेता ‌‌‌ है तब तो ठीक है लेकिन यदि वह ऐसा नहीं करता है तोफिर राम के साथ लक्ष्मण आकर रावण को मारकर सीता को लेकर जाएंगे ।

‌‌‌यह सुनकर मंदोदरी कहने लगी …….अरे हनुमान तू तो हमारा भनेजा है । तुमने तो रावण को अनेक युद्धों के अंदर विजय दिलाई है लेकिन अब तुझे क्या हो गया है तू आकाशगामी होकर भूमीगोचरी राम का साथ दे रहा है।ऐसा क्या हुआ ?

…… ‌‌‌हे माता तू राजा मद की पुत्री और महासति होने के बाद भी ऐसे दुष्ट कार्यों के लिए अपने पति को क्यों नहीं रोक रही है। वह अपनी मौत की तरफ जा रहा है। यदि तू उसे नहीं रोकेगी तो राम और लक्ष्मण उसका विनाश कर देंगे ।

‌‌‌अपना अपमान होने पर मंदोदरी क्रोधित हो गई और बोली ………..अरे तू तो अभी भी बालक के समान है। वन मे भटकने वाले राम की सेवा करना तू छोड़ और रावण की शरण मे आजा । यदि तू ऐसा नहीं करेगा तो रावण तूझे मार डालेगा ।

‌‌‌उसके बाद सीता कहने लगी ………अरे दुष्टा तेरा पति पापी है।मेरे राम और लक्ष्मण के पराक्रम को तू नहीं जानती है। और वे जल्दी ही समुद्र को लांघ कर यहां पर आ जाएंगे और उसके बाद वे रावण को मार देंगे तू विधवा हो जाएगी ।

‌‌‌उसके बाद हनुमानजी ने माता सीता को भोजन करने के लिए कहा । क्योंकि माता सीता ने यह प्रतीज्ञा ले रखी थी कि जब तक वह अपने स्वामी का समाचार नहीं सुनेगी तब तक भोजन ग्रहण नहीं करेगी । और उसके बाद सोने की थाली के अंदर भोजन प्रकट हुआ ।‌‌‌उसके बाद माता सीता ने भोजन किया और बोली ……..रावण तो कायरों की भांति मुझे उठाकर ले आया । यदि रावण के अंदर इतना ही दम था तो उन दोनों से लड़कर और उनको पराजित करके मुझे लेकर आता । तुम जाते ही राम को मेरे बारे मे बताना और उनको कहना कि जल्दी ही वे मुझे लेने के लिए आएं ।

‌‌‌और बहन अंजना को मेरा प्रणाम कहना ।और उसके बाद सीता ने अपनी चूड़ामणी को उतार कर कहा की राम को यह मेरी निशानी देदेना ।और तुझे यहां से जल्दी ही निकल जाना क्योंकि रावण को पता चलते ही वह तुझे पकड़ने का प्रयास करेगा ।

‌‌‌….हे माता तुमको भी अब धैर्य रखना होगा ।राम और लक्ष्मण आकर जल्दी ही आपको यहां से ले जाएंगे । और फिर सीता ने राम की अंगूठी को पहन लिया । उधर जब लंका की स्ति्रयों ने हनुमान के स्वरूप को देखा तो वे मंत्रमुग्ध हो गई कि इस प्रकार का पुरूष आज लंका मे कहां से आया है।

‌‌‌सीता से मिलने के बाद हनुमान को अपने जीवन का महान संतोष मिला और उनको लगा की एक धर्मात्मा की सहायता करना परम धर्म है। और इससे बड़ा धर्म और क्या हो सकता है ?उधर सारी स्त्री रोते हुए रावण के पास गई और रावण को हनुमान के बारे मे बताया । यह सुनकर रावण काफी क्रोधित हो गया ।‌‌‌उसने एक सेना हनुमान को पकड़ने के लिए भेजी लेकिन पूरी सेना को ही हनुमान ने पराजित कर दिया । उसके बाद इंद्रजीत गया और हनुमान को पकड़कर रावण के सामने आया । हनुमान को देखकर सभा मे बैठे लोग बोल पड़े ……अरे हनुमान तुम तो रावण के सेवक हो ।लेकिन तुम रावण की सेवा को छोड़कर वन मे भटकने वाले राम के ‌‌‌सेवक कैसे बन गए हो ?

——–‌‌‌रावण परस्त्री का अपहरण करके लाया है और यह दुष्ट कार्य कर रहा है।अब इसका विनाश निकट आ गया है। और रावण राम लक्ष्मण के पराक्रम को नहीं जानता है।वे यहां पर सेना सहित आयेंगे और रावण का विनाश करके सीता को लेकर जाएंगे ।‌‌‌आश्चर्य तो तब होता है जब रावण के साथ साथ तुम्हारी भी बुद्धि भ्रष्ट हो चुकी है।तुम भी रावण को यह नीच कार्य करने से पता नहीं क्यों नहीं रोक रहे हो ?

————‌‌‌उसके बाद हनुमान ने रावण को कहा ….महाराजा रावण यदि अब भी तुम्हारे अंदर कुछ इंसानियत बची है तो राम की शरण मे जाओ और सीता को समान सहित वापस राम को सौंप दो ।तुम्हारे कुल के अंदर अनेक महान प्रतापी राजा हुए जिन्होंने मोक्ष को प्राप्त किया है। तुम अपने कुल का विनाश करने मे क्यों लगे हुए हो ।‌‌‌ऐसा करने से तुम्हारे कुल का नाम ही बदनाम होगा ।मैं यही बात कहने के लिए लंका मे आया हूं ।

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———-‌‌‌हनुमान की बात सुनकर रावण को क्रोध आ गया और बोला …अरे  राम का दूत बनकर आया है तुझे मरने का भय नहीं है। इसको बांध दो और अपमानित करके पूरे गांव के अंदर घूमाओ ।

‌‌‌और उसके बाद सैनिकों ने हनुमान को बंधी बना लिया लेकिन एक ही पल के अंदर हनुमान ने सारे बंधनों को तोड़ दिया और उसके बाद लंका की नगरी को तहस नहस कर डाला । पूरी लंका नगरी के अंदर अफरा तफरी मच गई । उसके बाद जब सीता को पता चला कि हनुमान को रावण ने पकड़ लिया तो वह काफी दुखी हुई लेकिन जैसे ही सीता ‌‌‌ने हनुमान को आकाश के अंदर जाते हुए देखा । वे बहुत खुश हुई और उसके बाद हनुमान को आशीर्वाद दिया ।

‌‌‌जब सीता को खोजकर हनुमान किष्कंध्यानगरी पहुंचे तो वहां पर खुशी का माहौल बन गया ।जब हनुमान ने राम को सीता के बारे मे बताया तो रामजी बोले …..क्या सच कह रहे हो मित्र क्या मेरी सीता सच मे जीवित है ?

…….हां देव वह जीवित है और तुम्हारे ध्यान मे जीवन बीता रही हैं। निशानी के रूप मे उन्होंने ‌‌‌अपनी चूड़ामणी मुझे दी है।उन्होंने 11 दिन से कुछ नहीं खाया था लेकिन अब आपका समाचार सुनकर ही उन्होंने भोजन ग्रहण किया है। अब आप माता सीता को लाने के लिए प्रयत्न करें ।

इस प्रकार से हनुमान ने माता सीता की खोज की थी।

This post was last modified on March 30, 2021

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