insan ka sabse bada dushman kaun hai ? इंसान के सबसे बड़े दुश्मन के बारे मे हम जानेंगे विस्तार से ।बहुत से लोगों को यह लगता है , कि बाहर के दुश्मन काफी डेंजर हो सकते हैं। लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता है , कि बाहर के दुश्मन उतने अधिक डेंजर नहीं होते हैं। क्योंकि उनके पास अधिक ताकत नहीं होती है। बाहर के दुश्मन बस आपके शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मगर उससे अधिक कुछ नहीं कर सकते हैं। मगर आप तो शरीर नहीं हैं। यह बात आप शायद जानते भी होंगे । तो आज हम इस लेख के अंदर हम बात करने वाले हैं कि इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है ? यदि आप अपने सबसे बड़े दुश्मन को पहचान जाते हैं , तो फिर संभव हो सकता है कि आप उनको हरा दें । यह आपके बाहर के दुश्मन नहीं हैं। वरन यह आपके अंदर के दुश्मन हैं।
लेकिन बहुत से लोग इनको जानते ही नहीं हैं कि यह सब हमारे दुश्मन हैं। असल मे यह सब हमारे अंदर के दुश्मन को जब हम मित्र के रूप मे बनाकर रखते हैं , तो यह हमेशा हमें दगा ही देते हैं। इन दुश्मनों की वजह से कोई भी हमारा भला नहीं हो सकता है। इसके अंदर कोई भी शक नहीं है। तो इन दुश्मनों पर विजय प्राप्त करना काफी अधिक जरूरी है। मगर इन दुश्मनों पर विजय प्राप्त करना भी उतना आसान कार्य नहीं है। आप इस बात को समझ सकते हैं। इन अंदर के दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने के लिए आपको काफी अधिक संघर्ष करना पड़ सकता है। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लें ।
असल मे यह अंदर बैठे दुश्मन हमें जन्मों जन्मों मे कष्ट प्रदान करते हैं। हर जन्म का कारण कोई बाहर बैठा दुश्मन नहीं है। हर जन्म का कारण अंदर बैठा दुश्मन ही होता है। यह आपको बार बार इस नर्क मे आने के लिए विवश करता है। और आप आते हैं। यहां पर तरह तरह के भोगों को भोगते हैं। मगर उसके बाद भी संतुष्ट नहीं होते है। फिर से चले जाते हैं। और फिर यहां के भोगों को भोगने के लिए आप आते हैं।बस यही बकवास चलता रहता है। और आपको पता ही है कि भोगों को भोगने मे भी कितना सारा दुख होता है। यहां पर सुख कम दुख अधिक होते हैं।
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अहंकार इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन insan ka sabse bada dushman kaun hai
अहंकार इंसान के पतन का कारण बनता है।अहंकार के अंदर इंसान के मन मे यह भावना पैदा हो जाती है , कि वह दूसरों से काफी अधिक श्रेष्ठ है। और उसे यह लगने लग जाता है , कि उसके समान कोई दूसरा नहीं है। और इसकी वजह से वह बुरे कर्म भी करने लग जाता है। मगर यह भूल जाता है कि इस दुनिया मे बड़ा कोई भी नहीं है। आज एक का पलड़ा भारी हो सकता है , तो कल किसी और का भारी हो सकता है।
रावण की मौत उसके अहंकार की वजह से ही हुई थी। वैसे तो रावण एक महान ज्ञानी इंसान था । लेकिन उसके अहंकार ने उसको बुरे कर्म करने के लिए विवश कर दिया था । और उसने सीता का हरण कर लिया ।और उसके बाद भी रावण को अहंकार की वजह से लगता था कि उसको कोई नहीं हरा सकता है । मगर उसका अहंकार ही उसे ले डूबा । कहने का मतलब यही है कि अहंकार आपको झुकने से मना कर देता है। जंहा पर आपको झुकने की जरूरत है। अपनी गलतियों से सीखने की जरूरत है। वहां आपका अहंकार आडे आ जाता है।
कामवासना दूसरा सबसे बड़ा दुश्मन
बहुत से लोगों को लगता है , कि कामवासना वास्तव मे कोई बड़ा दुश्मन नहीं है। मगर यह पूरी तरह से लगत है। काम वासना इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। और बहुत से लोगों के पतन का कारण ही काम वासना ही होता है। काम वासना आपसे बहुत कुछ करवा देती है। जब आपको काम का वेग आता है , तो उसके बाद आप अपने वेग को पूरा करने के लिए काफी कुछ करते हैं। कुछ लोग अपने काम के वेग को पूरा करने के लिए किसी महिला को पकड़ लेते हैं। और उसके बाद उसका रेप कर देते हैं। फिर जेल चले जाते हैं या फिर उनको गोली मारदी जाती है। इसके अलावा काम वेग से वशीभूत इंसान मरने के बाद भी शांत नहीं रह पाते हैं। वे किसी ना किसी इंसान के साथ चिपक जाते हैं , और अपने काम वेग को शांत करने का प्रयास करते हैं।
इस तरह से काम वेग के वशीभूत होने की वजह से उनका पतन हो जाता है। और फिर उनका जन्म किसी ना किसी तरह से पशु योनी मे हो जाता है। तो इस तरह से काम भी हम इंसानों का बड़ा शत्रु है। ऐसा नहीं है , कि काम के उपर आप विजय नहीं प्राप्त कर सकते हैं ? यदि आपके अंदर दम है , तो फिर आप काम के उपर बहुत ही जल्दी विजय प्राप्त कर सकते हैं। मगर आपको मेहनत करनी होगी । जिस दिन आप काम पर विजय प्राप्त करलेंगे । उस दिन आपका आधा क्या पूरा काम समाप्त हो जाएगा । और हम तो यहां तक कहते हैं कि आपका सबसे बड़ा शत्रु बस कामवासना ही है। इसके अलावा कोई नहीं है। आप और चीजों को छोटे से संघर्ष के साथ छोड़ सकते है। मगर कामवेग को छोड़ना इतना आसान नहीं है।
ऐसा नहीं है कि लोग कामभाव पर विजय प्राप्त नहीं करते हैं। इस तरह के अनेक लोग हैं , जोकि कामवासना पर विजय प्राप्त कर चुके है। लेकिन वे बस साधु और संत हैं। जंहा तक मुझे अपना अनुभव है कि काम वेग जब भी उठे आपको उसको किसी दूसरे तरीके से शांत करना चाहिए । कुछ महिने जब आप अपनी वासना को शांत करने का प्रयास नहीं करेंगे । उसको सह लेंगे तो फिर धीरे धीरे आप कामवेग पर विजय प्राप्त करने मे सक्षम हो जाएंगे । यदि आप इसको बार बार शांत करने का प्रयास करेंगे ,तो यह शांत नहीं होगा । वरन यह आपको और अधिक परेशान करना शूरू कर देगा ।
क्रोध इंसान का बड़ा दुश्मन
दोस्तों क्रोध भी इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इसके अंदर कोई शक नहीं है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि क्रोध इंसान से पाप करवाने का काम करता है। बहुत सारे लोगों को गुस्सा आ जाता है , तो उसके बाद वे किसी की हत्या कर देते हैं। और आपको पता ही है कि क्रोध मे हत्या होने के बाद पुलिस पकड कर जेल मे डाल देती है। और इंसान और अधिक बुरा बनकर जेल से निकलता है। इसके अलावा क्रोध की वजह से ही लड़ाई झगड़े हो जाते हैं। क्रोध पर काबू करना इतना अधिक कठिन नहीं है।
क्रोध के मामले मे सबसे बड़ी बात यह होती है , कि यह इंसान की बुद्धि पर काफी तेजी से हावी हो जाता है। जिसकी वजह से क्रोध आने पर इंसान के सोचने और समझने की क्षमता नष्ट हो जाती है। और उसके बाद इंसान जो कुछ भी करता है , वह सब कुछ गलत हो जाता है। क्रोध की वजह से वह पाप पर पाप करता चला जाता है , जिससे कि उस इंसान का पता होता है। इसके अलावा भी शरीर के लिए क्रोध करना भी नुकसानदायी होता है। इसकी वजह से ब्लडप्रेसर बढ़ जाता है । और आपको हार्ट अटैक का भी खतरा हो सकता है।
इसलिए बेहतर यही होगा कि आपको अपने क्रोध पर काबू करने का प्रयास करना चाहिए । क्रोध पर काबू करने के कई सारे तरीके हो सकते हैं। जैसे कि योग करना या ध्यान करना इसकी वजह से आप अपने क्रोध पर काबू कर सकते हैं। और यह आपके लिए और अधिक आसान हो जाएगा । धीरे धीरे प्रयास करते चले जाएं । उसके बाद एक दिन ऐसा आएगा कि आपको क्रोध आना कम हो जाएगा । या फिर आप दिखावे के लिए क्रोध करेंगे।
इसके अलावा क्रोध को काबू करने के तरीकों के बारे मे यदि आप और अधिक अच्छे से जानना चाहते हैं , तो इसके लिए आपको गूगल पर सर्च करना होगा । वहां पर आपको कई सारे तरीके इसको काबू मे करने के लिए मिलेंगे । तो आप उनका यूज कर सकते हैं। और अपने क्रोध को काबू मे कर सकते हैं।
लोभ इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन कैसे शास्त्रों के अनुसार
लोभ को भी इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन माना गया है। लोभ की वजह से इंसान का पतन होता है। यह इंसान को भ्रष्ट कर देता है। और यह उसको लालची स्वार्थी और अन्यायी बना देता है।शास्त्रों में लोभ को कई नामों से संबोधित किया गया है, जैसे कि “लालच”, “लोभी”, “अतिविकार”, “अधिकार”, “मद”, “स्वार्थ”, आदि।
लोभ मनुष्य को पापी बनाने का काम करता है। लोभ की वजह से ही मनुष्य चोरी करता है। धोखा देता है। और दूसरों की संपति को हड़प लेता है।
इसके अलावा लोभ की वजह से ही मनुष्य अशांत रहता है। और उसकी वजह से ही इंसान अधिक धन पाने की इच्छा की वजह से बैचेन बना रहता है।
लोभ के कारण मनुष्य दूसरों से द्वेष करने लगता है। उसे दूसरों के पास जो है, वह भी चाहिए होता है। इससे उसे दूसरों के साथ तालमेल बैठाने में मुश्किल होती है।
लोभ को दूर करने के कई सारे साधन मौजूद हैं। और लोभ अधिकतर केस के अंदर ज्ञान से दूर होता है। ज्ञान का प्रकाश जब पड़ता है , तो लोभ दूर हो जाता है।
इसके अलावा लोभ को दूर करने के लिए धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए ।भक्ति से मनुष्य में ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति बढ़ती है। ईश्वर के भक्त व्यक्ति में लोभ की भावना नहीं होती है।
आपने वह एक लालची कुत्ते वाली कहानी सुनी ही होगी ।एक टुकड़ा उसके मुख के अंदर था , और वह एक नाले से गुजर रहा था ,तो उसने अपनी परछाई नाले मे देखी उसे लगा कि वह एक दूसरा कुत्ता है। और जैसे ही उसने मुख खोला उसका वह रोटी का टुकड़ा भी गिर गया । यही कहानी मनुष्य की है। एक लोभी मनुष्य कम से संतुष्ट नहीं हो पाता है। उसे और अधिक चाहिए होता है। जिसकी वजह से उसके पास जो होता है , उससे भी हाथ धो बैठता है।
मोह इंसान का दुश्मन
शास्त्रों के अंदर यह कहा गया है कि मोह भी इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। क्योंकि वह उसको सत्य से दूर लेकर जाता है। यहां पर मोह का मतलब होता है , किसी वस्तु या इंसान के प्रति आसक्ति ।जब इंसान मोह के अंदर फंस जाता है। तो उस वस्तु या इंसान को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है। फिर भले ही वह गलत ही क्योंना हो ।मोह के कारण मनुष्य कई प्रकार के पापों में लिप्त हो जाता है। वह चोरी, हिंसा, व्यभिचार आदि जैसी बुरी आदतों का शिकार हो जाता है। मोह मनुष्य को स्वार्थी और अहंकारी बना देता है। और उसके बाद मनुष्य दूसरों की कभी परवाह नहीं करता है। बस अपने स्वार्थ के लिए ही जीने का काम करता है।
आपको बतादें कि मोह इंसान को सुख और शांति प्राप्त करने से रोकने का काम करता है। एक मोह ग्रस्त इंसान हमेशा से ही दुखी होता रहता है।शास्त्रों के अंदर मोह को रोकने के लिए कई सारे उपाय बताए गए हैं। जिसके अंदर कि इंसान को ध्यान योग और राम नाम जाप आदि का प्रयोग करना चाहिए । ऐसा करने से धीरे धीरे मोह छूट जाएगा ।और इंसान का कल्याण हो जाएगा ।
ईष्र्या इंसान का दुश्मन
दोस्तों ईष्र्या भी इंसान का सबसे बड़ा दुश्मनों मे से एक होता है। इसकी वजह यह है कि यदि आप रियल धरातल पर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि बहुत से लोग दूसरों की तरक्की को देख देखकर काफी अधिक दुखी रहते हैं। उनको दूसरों की तरक्की से जलन होती है। और इसी को तो ईष्र्या के नाम से जाना जाता है। ईष्र्या जिस इंसान के अंदर घर कर जाती है। उसके बाद उसके रातों की नींद हराम हो जाती है। और उसे यह लगता है कि वह किस तरह से दूसरे इंसान को गिरा सकता है। वह उस दूसरे इंसान को गिराने के लिए हर जरूरी कदम उठाने लग जाता है। कई बार तो ईष्र्या से ग्रस्ति इंसान सामने वाले का बुरा भी करने लग जाता है। और आजकल तो ईष्र्या काफी अधिक देखने को मिल जाती है। ईष्र्या के अधिक होने का सबसे बड़ा कारण यह भी होता है। कि आजकल के इंसान धर्म मर्म के बारे मे तो अच्छी तरह से पढ़ते नहीं हैं। उनको स्कूल के अंदर जो कुछ पढ़ाया जाता है , वह किसी काम आता नहीं है। इसी वजह से ईष्या काफी अधिक होती है। याद रखें कभी भी कोई ज्ञानी इंसान किसी से ईष्र्या नहीं करता है। जो अज्ञानी होते हैं। जिनको पता नहीं होता है वे ही ईष्र्या करते हैं।
द्वेष भी इंसान का शत्रु
दोस्तों द्वेष भी एक प्रकार का इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है। असल मे जो द्वेष रखने वाले लोग होते हैं। उनको सही और गलत से कोई मतलब नहीं होता है। उनको बस सामने वाले इंसान के अंदर कमियां ही निकालनी होती हैं। आपको इस तरह के लोग बहुत सारे मिल जाएंगे । द्वेष रखने वाले इंसानों का सदैव ही पतन हो जाता है। द्वेष रखने वाले इंसान अपने फायदे के लिए दूसरों के बारे मे बुरी बातें फैलाने का काम करते हैं। इस तरह के लोगों को कोई खुश नहीं कर सकता है। आप चाहे कितना भी अच्छा काम करें । लेकिन आपसे द्वेष रखने वाले लोग आपके बारे मे और आपके काम के बारे मे हमेशा ही गलत ही बोलेंगे।
द्वेष रखने वाले लोगों को कभी भी संतुष्ट नहीं किया जा सकता है। द्वेष रखने वाले लोग सिर्फ यहीं तक नहीं रूकते हैं कि वे किसी के प्रति बुरी भावना रखते हैं। असल मे यह लोग हमेशा अच्छे लोगों के खिलाफ साजिशे रचने का काम करते हैं। और तरह तरह की साजिश रचकर उनको बदनाम करने का काम करते हैं। द्वेष को दूर करने का प्रयास करना चाहिए । द्वेष को दूर करने के लिए कई सारे उपाय किये जा सकते हैं। जैसे कि धर्म की किताबों को पढ़ा जा सकता है। और धर्म के नियमों का पालन किया जा सकता है।
द्वेष को दूर करने के लिए इंसान को खुद को अच्छाई की तरफ मुड़ना होगा । तभी द्वेष को दूर किया जा सकता है। नहीं तो द्वेष को दूर करना संभव नहीं है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
अब आपके दिमाग के अंदर यह सवाल भी आता होगा कि यह सभी रहते कहां पर हैं ? तो आपको बतादें कि यह सब आपके मन के अंदर रहते हैं। आपको बस अपने मन को नियंत्रित करना होगा ।यदि आप अपने मन को नियंत्रित करते हैं , तो उसके बाद आपका परम कल्याण हो जाएगा । जब तक आपका मन आपको चलाएगा । तब तक कुछ नहीं हो सकता है। और जिस दिन आप अपने मन को चलाना शूरू कर देंगे उसी दिन से आपका कल्याण होना शूरू हो जाएगा । हो सकता है कि इसके अंदर समय लगे लेकिन यदि आप प्रयास करेंगे तो एक दिन आप अपने मन पर विजय प्राप्त करने मे सक्षम हो जाएंगे।
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This post was last modified on December 10, 2023