इस दुनिया के अंदर जो भी आया है उसकी मौत निश्चित है। उसे मरना ही पड़ेगा ।दुनिया के अंदर जितने भी जीव जंतु पाये जाते हैं। उनको भी एक दिन मरना ही होता है। यह अलग बात है कि कोई देर से मरता है तो कोई बाद मे मरता है। लेकिन यह कड़वी सच्चाई है कि सबको मरना होगा ।बहुतबार जब किसी मर चुके इंसान को ले जाते हैं तो उसे देखकर हम सोचने लग जाते हैं कि इंसानमरता क्यों है ? क्या कुछ ऐसा किया जा सकता है जिससे इंसान अमर हो सके ? इस तरह केप्रश्न अपने आप ही हमारे दिमाग के अंदर आने लग जाते हैं। वैसेतो कोई भी मरना नहीं चाहता है लेकिन मरना और जन्म लेना हमारे हाथ मे नहीं है। यह सबएक तरह से नैचुरल क्रिया है। हां यह बात अलग है कि दुर्घटनाओं की वजह से होने वालीमौतों का समय आप चाहें तो बदल सकते हैं।
इस लेख मे हम विस्तार से जानने वाले हैं कि इंसान मरता क्यों है ? और इस संबंध मे विज्ञान और धर्म क्या कहते हैं। इंसान को मारने की क्या आवश्यकता है?
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मौत क्या होती है ? मौत की परिभाषा
वैसे मौत को किसी एक परिभाषा के अंदर बांधा नहीं जा सकता है। विज्ञान मौत की एक अलग परिभाषा रखता है। और दुनिया के अलग अलग धर्म मौत को अलग अलग तरीके से परिभाषित करते हैं। तो आइए जान लेते हैं कि मौत की परिभाषा क्या है ?
विज्ञान के अनुसार इंसान मरने के बाद कई प्रकार के लक्षण प्रकट करता है। सबसे पहले ह्रदय की धड़कन रूक जाती है। जिससे शरीर के अंदर खून की सप्लाई बंद हो जाती है। इंसान का सांस लेना बंद हो जाता है। जिससे दिमाग तक ऑक्सिजन नहीं पहुंच पाती है। उसके बाद इंसान का दिमाग 6 से 5 मिनट के अंदर मर जाता है। विज्ञान की भाषा के अंदर इस प्रकार की मौत को प्वांइट ऑफ नो रिटर्न कहते हैं।इसके अलावा नाड़ी की गति बंद होना , शरीर के अंदर चेतना खत्म होना मौत के आम लक्षणों मे से एक हैं।
मौत इस्लाम धर्म , हिंदू धर्म और दुनिया के लगभग सारे धर्मों की बात करें तो उनके अंदर मौत की परिभाषा कुछ अलग होती है। विश्व के सभी धर्मों मे यह माना जाता है कि इंसान के शरीर के अंदर आत्मा होती है और आत्मा जब शरीर से निकलती है तो इंसान की मौत हो जाता है।
यदि इन धर्मों के अनुसार यदि हम आत्मा को शरीर से ना निकलने दें तो निश्चय ही इंसान नहीं मरेगा । लेकिन ऐसा कोई तरीका अभी तक नहीं बना जो आत्मा को शरीर से निकले से रोक सके । कोई भी सिद्व व्यक्ति भी अपनी मौत को नहीं टाल सका है। महाभारत के अंदर अमर माने जाने वाले करेक्टर भिष्मपिता माह भी अपनी मौत से नहीं बच सके । उनको वरदान प्राप्त था कि वे अमर होंगे । लेकिन अंत मे उनको इच्छा म्रत्यु को चुनना पड़ा था।
इंसान मरता क्यों है ? विज्ञान के अनुसार
विज्ञान केवल सिद्व की चीजों पर विश्वास करता है। इस वजह से विज्ञान आत्मा जैसी चीजों को स्वीकार नहीं करता है। विज्ञान इंसान मरता क्यों है ? के सवाल का उत्तर अपने ढंग से देता है। तो आइए इंसान मरने के पीछे कुछ वैज्ञानिक कारणों की पड़ताल करते हैं। विज्ञान के अनुसार इंसान के मरने के पीछे बहुत से वैज्ञानिक कारण जिम्मेदार हैं। जिनमे से कुछ नीचे दिये गए हैं।
इंसान की शारीरिक सरंचना
एक इंसान की शारीरिक संरचना इस बात को स्पोर्ट नहीं करती है कि इंसानहमेशा से ही जिंदा रह सके ।इंसान और बहुत से जीवों के अंदर की कोशिकाएं निरंतर विभाजितहोती रहती है। यह विभाजन बचपन से लेकर युवावस्था तक तेजी से चलता है। लेकिन जैसे जैसेइंसान की उम्र अधिक होती है। कोशिकाओं का डिएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है। और कोशिकाएंमरने लग जाती हैं। जो इंसान के बूढ़े होने का संकेत देती हैं।
इंसान के बूढ़े होने का मौत से एक तरह से अप्रत्यक्ष कनेक्सन है। इंसान जब बूढ़ा हो जाता है तो उसके शरीर के अंग कमजोर हो जाते हैं। और कई बार हदय की धड़कन वैगरह रूकने से इंसान की मौत हो जाती है। यदि हम शारीरिक संरचना की बात करें तो दुनिया के अंदर कुछ जीव ऐसे भी हैं जिनकी शारीरिक संरचना इस प्रकार से बनाई गई है कि वे मरते नहीं हैं। इन जीवों के अंदर Immortal jellyfish,Lobster,Turtle आदि हैं।
बिमारियां
इंसान क्यों मरता है ? इसके पीछे अनेक बिमारियों को भी जिम्मेदार माना जा सकता है। ऐसी अनेक भंयकर बिमारियां मौजूद हैं। जो इंसान को मरने के लिए जिम्मेदार हैं।सन 2016 के अंदर 56.9 मिलियन लोगों की मौत टॉप 10 बिमारियों की वजह से हुई है।इस्किमिक हृदय रोग और स्ट्रोक दुनिया के अंदर सबसे ज्यादा हत्या करने वाले रोगों मे से एक हैं। यह रोग 2016 में संयुक्त राज्य मे 15.2 मिलियन मौत के लिए जिम्मेदार हैं।2016 में क्रोनिक अवरोधक फुफ्फुसीय रोग से 3 मिलियन लोगों की मौत हुई थी ।ट्रेकेआ और ब्रोंचस कैंसर की वजह से 1.7 मिलियन लोगों की मौत हुई थी ।2016 में मधुमेह में 1.6 मिलियन लोग मर गए थे ।
2000 और 2016 के बीच डिमेंशिया से होने वाली मौतों का स्तर दुगुना हो हो गया था।श्वसन संक्रमण की वजह से दुनिया के अंदर सन 2016 के अंदर 3 मिलियन लोगों की मौत हुई थी ।एचआईवी / एड्स की वजह से दुनिया के अंदर सन 2016 के अंदर 2 मिलियन लोगों की मौत हुई थी ।
विकासशील देसों की बात करें तो वहां पर मौत का कारण एथेरोस्क्लेरोसिस , मोटापा और संक्रामक बिमारियां हैं।दुनिया भर में हर दिन लगभग 150,000 लोग रोजाना मर जाते हैं। और लगभग 2 तिहाई लोग आयु से सबंधित कारणों की वजह से मर जाते हैं। धुम्रपान के सेवन से 20 वीं शताब्दी के अंदर लगभग 100 मिलियन लोग मर गए थे ।
विकसित देसों की तुलना मे विकासशील देसों के अंदर संक्रामक बिमारियां सबसे आम है। तपेदिक एक प्रकार की संक्रामक बिमारी है। जिसकी वजह से सन 2015 के अंदर 1.8 मिलियन लोगों की मौत हो गई थी।मलेरिया बुखार की वजह से दुनिया भर के अंदर लगभग 1.3 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है।
यदि आप उपर दिये गए आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो आपको पता चलेगाकि दुनिया के अंदर बहुत से लोग किसी ना किसी बिमारी की वजह से मारे जाते हैं। उपर हमनेकेवल बड़ी बड़ी बिमारियों से होने वाली मौंतों के आंकड़ों का जिक्र किया है। लेकिनयदि हम सारी बिमारियों से मरने वाले लोगों की संख्या देखेंगे।https://ourworldindata.org/causes-of-deathवेबसाइट के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो आपको पता चलेगा कि दुनिया पर मे 55 मिलियन लोगोंकी मौत किसी ना किसी बिमारी की वजह से होती है।
आंकड़ों को देखकर हम आसानी से यह कह सकते हैं कि दुनिया भर मे इंसान की मौत के लिए बिमारियां जिम्मेदार हैं। यदि हम इन बिमारियों पर किसी तरह से रोकथाम लगा सकें तो नियचय ही इंसान को लम्बी उम्र तक जिंदा रखा जा सकता है।
एक्सीडेंट
एक्सीडेंट की वजह से भी दुनिया भर के अंदर बहुत सारी मौते होती हैं। एक्सीडेंट के अंदर जब इंसान का शरीर डेमेज हो जाता है तो इंसान की मौत हो जाती है।राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपनी रिपोर्ट सन 2016 के अंदर बताया था कि 2015 में 496,762 दुर्घटनाएं हुई थी । जिसके अंदर सब तरह की दुर्घटनाएं शामिल हैं। इन दुर्घटनाओं मे 148,707 लोगों की मौत हुई थी ।उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के अंदर सन 2015 मे सबसे ज्यादा यातायात मौते हुई जो पूरे देश की मौतों का 35 प्रतिशत हिस्सा था । भारत के अंदर प्रति 1000 वाहनों मे 0.8 दुर्घटना दर रही।सन 2005 के अंदर प्रति 1 लाख लोगों मे तीन सबसे ज्यादा मौत वाले राज्य गोवा हरियाणा और तमिलनाडू थे । सन 2018 की बात करें तो सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना से मरने वाले लोग गोवा के थे ।2013 के अंदर संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन से जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत के अंदर 16.6 प्रति 100,000 के अंदर थी ।
यह तो था सड़क दुर्घटनाओं की वजह से भारत के अंदर मरने वाले लोगों की संख्या अब बात कर लेते हैं। सड़क दुर्घटनाओं की वजह से दुनिया भर के अंदर कितने लोग मारे जाते हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के अंदर सन 2000 मे सड़क दुर्घटना के अंदर मरने वाले लोगों की संख्या1.26 मिलियन थी । जो 20.8 प्रति एक लाख लोगों पर थी । इसके अलावा दुनिया भर के अंदर 30.8 प्रतिशत पुरूष सड़क दुर्घटना का शिकार होते हैं। जबकि महिलाएं सिर्फ 11 प्रतिशत ही हैं।वैसे देखा जाए तो इंसान की मौत एक्सीडेंट की वजह से होती है तो इसके पीछे खुद इंसान जिम्मेदार होते हैं। सावधानी बरतने पर इस प्रकार से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
सुसाइड
इंसान जब किसी वजह से खुद को खत्म कर लेता है तो सुसाइड कहलाता है। इंसान के मरने की वजह सुसाइड भी है। दुनिया भर के अंदर सुसाइड के बहुत से मामले सामने आते हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 5000 से 15000 वाली आबादी के अंदर हर साल एक व्यक्ति सुसाइड कर लेता है।2015 में सुसाइड दर 10.7 प्रति 100,000 आबादी पर थी ।इन सुसाइड केस के अंदर 30 प्रतिशत से अधिक सुसाइड जहर पीकर किये जाते हैं।इसमे अधिकतर ग्रामिण लोग आते हैं। 1 99 0 के दशक के अंदर तो चीन सबसे ज्यादा सुसाइड वाला देस था । लेकिन अब इसमे सुधार हो चुका है।
Suicide rates by WHO region in 2016 (per 100 000 people) | |||||
wHO | Crude | Age-standardized | Crude male | Crude female | Male–Female |
Southeast Asia | 13.2 | 13.40 | 14.8 | 11.6 | 1.28 |
Africa | 7.4 | 11.96 | 9.9 | 4.8 | 2.06 |
Europe | 15.4 | 12.85 | 24.7 | 6.6 | 3.74 |
Western Pacific | 10.2 | 8.45 | 10.9 | 9.4 | 1.16 |
Americas | 9.8 | 9.25 | 15.1 | 4.6 | 3.28 |
Eastern Mediterranean | 3.9 | 4.30 | 5.1 | 2.7 | 1.89 |
World | 10.6 | 10.53 | 13.5 | 7.7 | 1.75 |
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है। कि इंसान खुद को मारता है। इस वजह से भी उसकी मौत हो जाती है।
इंसान मरता क्यों है? mrityu kyu hoti hai ? के वैज्ञानिक कारणों पर अबतक हमने चर्चा की । इंसान के मरने की वजह को विज्ञान की नजरों से जाना। उपर दिये गए सारे कारण जायज हैं। इन वजहों से कोई भी अमर जीव भीमर जाता है। फिर इंसान का तो मरना तय ही है।
समकालीन विकासवादी सिद्धांत
समकानिल विकासवादी विचार धारा मौत को एक अलग तरह से देखती है। इस विचारधारा के अनुसार जीव की मौत होना इस वजह से भी जरूरी हो जाता है क्योंकि तभी वह अपने नए वंश का उत्पादन करता है। मतलब उत्परिर्वतन होता है। मान लें कि कोई जीव ना मरे तो दूसरे जीवों के जन्म पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन उस जीव के अंदर वातावरण के साथ अनूकूलन की ताकत नहीं आ पायेगी तो वह अपने आप ही मर जाएगा। उत्परिवर्तन बहुत जरूरी है। समय के साथ जो प्रजाति खुद को नहीं बदल सकी वह इस दुनिया से विलुप्त हो जाती है। यह विचारधारा काफी सटीक लगती है। धरती के विकास से लेकर अब तक दुनिया के अंदर कई प्रजातियां पैदा हुई हैं लेकिन उनमे से अधिकतर इस वजह से नष्ट हो गई क्योंकि वे उत्परिवर्तन नहीं कर सकी ।
नोट रिप्रोडेक्सन
इंसान के मरने के पीछे की वजह यह भी है कि इंसान का कोई भी अंग यदि अंदर से खराब हो जाता है तो इंसान के शरीर के अंदर ऐसी क्षमता नहीं है।जिसकी मदद से वह अपने खराब हो चुके अंगों को ठीक कर सके । अमर रहने वाले जीव जैसे Hemideina sp,Planaria torva आदि । इनके शरीर का यदि कोई भी बोड़ी पार्ट नष्ट हो जाता है तो यह दुबारा उसे पैदा कर लेते हैं। इसी वजह से यह आसानी से हजारों सालों तक जिंदा रह सकते हैं।
अधिक उम्र वाले जीव पानी मे रहते हैं
हालांकि मुझे इस बात का नहीं पता कि पानी और अधिक उम्र का क्या कनेक्सन है। लेकिन यदि हम अधिक उम्र वाले जीवों की बात करें तो उनमे से अधिकतर जीव पानी के अंदर ही रहते हैं। शायद पानी के अंदर उनको लंबा जीवन जीने की स्थितियां मिल जाती होंगी । ऐसा भी हो सकता है कि इंसान यदि पानी के अंदर घर बनाकर रहे तो वह अधिक समय तक जिंदा रह सके ।
इंसान मरता क्यों है ? इस प्रश्न की का उत्तर विज्ञान के संदर्भ मे दे तो कई ऐसी कमियां इंसान के अंदर हैं जों इंसान को अमर बनाने मे बाधक हैं। जिसमे इंसान का बड़ा शरीर भी है। अधिक बड़े शरीर को अधिक उर्जा की आवश्यकता होती है
और इसमे कोशिका विभाजन की दर अधिक होती है।जिससे जल्दी इंसान बुढ़ा हो जाता है। और उसके अंग क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। जबकि अमर रहने वाले जीवों की बात करें तो इंसान के जितना बड़ा शरीर वाला एक भी दुनिया के अंदर ऐसा जीव नहीं है। जो अमर है। इसके अलावा इंसान की प्रजनन क्षमता काफी ज्यादा है उन जीवों की तुलना मे तो बहुत ज्यादा है जो अमर हैं। अधिक प्रजनन क्षमता के साथ यदि इंसान को अमर कर दिया जाए तो प्राक्रतिक अंसंतुलन पैदा हो सकता है।
इंसान मरता क्यों है धर्म ग्रंथों के अंदर
दुनिया के लगभग हर धर्मों के अंदर यह माना जाता है कि इंसान के शरीर की मौत होती है। लेकिन उसकी आत्मा हमेशा अमर होती है। गीता के अंदर भी यह कहा गया है कि आत्मा को कोई नहीं मार सकता मरता केवल शरीर है। शरीर मिटटी का बना होता है जो मरने के बाद उसी के अंदर मिल जाता है।
दूसरा जन्म लेने के लिए
यदि आप पूर्व जन्म के उपर विश्वास करते हैं तो आपको निश्चय ही पता होगा कि आत्मा एक शरीर को छोड़ने के बाद दूसरा शरीर धारण कर लेती है।हिंदु धर्म के अनुसार इस वजह से भी इंसान की मौत होती है ताकि वह दूसरा जन्म ले सके । हिंदु धर्म मे 84 लाख योनियां बताई गई हैं। इंसान की मौत के बाद उसे इन 84 लाख योनियों के अंदर भटकना पड़ता है। मतलब इंसान को दूसरा जन्म लेना पड़ता है। और जब इंसान मरेगा नहीं तो दूसरा जन्म कैसे लेगा ? इसके अलावा यह भी बताया गया है कि आवश्यक नहीं है कि कोई व्यक्ति मरने के बाद दुबारा जन्म ले । उसकी कई और भी गति हो सकती है ।
आत्मा का शरीर से निकल ने से
हिंदु धर्म और अन्य धर्मों के अंदर ऐसा माना जाता है कि इंसान के शरीर के अंदर चेतना आत्मा की वजह से होती है। जबतक आत्मा शरीर के अंदर होती है। तब तक ही इंसान जिंदा रहता है। ऐसा माना जाता है कि मरने से पहले यमदूत आत्मा को निकालने के लिए आते हैं।
वे जब आत्मा को शरीर से निकाल देते हैं तो उसके बाद इंसान मर जाता है। और एक बार यदि इंसान मर गया तो आत्मा के पास इतनी पॉवर नहीं होती है कि दुबारा उस शरीर के अंदर धुस सके । इस वजह से भी इंसान की मौत हो जाती है।
पापों का प्रयाश्चित और मोक्ष
यह बात शायद आपको अटपटी लग सकती है कि इंसान मरने के बाद अपने पापोंका प्रयाश्चित कैसे करता है । तो आपको बतादें कि इंसान की मौत के बाद उसकी आत्मा कोयमदूत ले जाते हैं। और फिर आत्मा को उसके कर्मों के अनुसार सजा मिलती है। धर्मग्रंथोके अनुसार यदि व्यक्ति ने अपने जीवकाल के अंदर सतकर्म किये हैं तो उसे मोक्ष मिलताहै। और यदि उसने पाप किये हैं तो उनको नरक के अंदर जाना होता है। नरक के अंदर उस आत्माको अनेक तरह की यातनाएं दी जाती हैं। नरक मे आत्मा को तरह तरह से दंडित किया जाता है।
हिंदु धर्म के अंदर यह माना जाता है कि इंसान सतकर्म करने के लिए धरती पर आता है। और उसकी जन्म घड़ी और मरण घड़ी पहले से ही तय होती है। जिसको कोई टाल नहीं सकता । निश्चित समय से पहले उसे अपनी झोली के अंदर सतकर्म को डालना होता है। जिससे उसे मोक्ष मिल सके । एक तरह से देखा जाए तो इंसान का जन्म एक टैंपरेरी होता है। जिसका कोई उदेश्य होता है।और उस उदेश्य को पूरा करने के लिए समय भी होता है। हिंदू धर्म के अलावा दूसरे धर्मों के अंदर भी ऐसा ही माना जाता है।
इंसान का मरना क्यों जरूरी है ?
आप एक बार यह कल्पना करें कि दुनिया के सारे इंसान अमर हो जाएंगेतो क्या होगा ?
http://worldpopulationreview.com/countries/birth-rate-by-country/के अनुसार पर 1000 लोगों पर एक साल के अंदर लगभग 19 लोग जन्म लेतेहैं और केवल 8 लोग मरते हैं।एक साल के अंदर 131.4 million लोग जन्म लेते हैं औरमरते सिर्फ 55 मिलियन लोग हैं।360,000 births per day होती है और 151,600people प्रति दिन मर जाते हैं।एक घंटे के अंदर 15,000 लोग जन्म लेते हैं और 6316 लोग मर जाते हैं।यहसब आंकड़े हमने आपको इस वजह से बताएं हैं कि यदि इंसान नहीं मरेगा तो धरती पर उसकेरहने के लिए जगह नहीं बचेगी । और वैसे भी जन्मदर मौत दर से ज्यादा है। जबकि वे जीवजो अमर हैं उनकी जन्मदर बहुत कम या ना के बराबर होती है।शायद भगवन इंसान को अमरबनाने के पक्ष मे नहीं था । इंसान के अंदर वो सारी चीजें नहीं हैं जो किसी जीव को अमरबनाने के लिए आवश्यक होती हैं। और इसी वजह से इंसान मरता है ।
इंसान क्यों मरता है ? इस प्रश्न का उत्तर अब आपको इस लेख के अंदर मिल ही चुका होगा । लेख आपको कैसा लगा ? कमेंट करके बताएं ।
This post was last modified on December 7, 2018