Isbn एक ऐसा नम्बर होता है।जोकि हमारी ई बुक या बुक को एक यूनिक पहचान दिलाता है।जब आप किसी भी बुक को पढ़ते हो तो उसके उपर यह नम्बर लिखा होता है।वैसे बहुत सी बुक बिना isbn बिना नम्बर के भी आती हैं।लेकिन यदि आपकी ईबुक या बुक दूसरे देसों के अंदर सैल होती है।तो उसका isbn नम्बर होना अनिवार्य होता है। यह नम्बर 10 से13 डिजिट का होता है।जब आप कहीं पर अपनी ई बुक को पब्लिस करते हो तो या तो आपको वहीं से फ्रिके अंदर isbn मिल जाता है। लेकिन कुछ कम्पनियां इसकी सुविधा नहीं देती तो आपको खुद ही isbn खरीदना पड़ता है।
प्रत्येक ISBN में 5 तत्व होते हैं, प्रत्येक अनुभाग को रिक्त स्थान या हाइफ़न द्वारा अलग किया जाता है। पांच तत्वों में से तीन अलग-अलग हो सकते हैं:उपसर्ग तत्व – वर्तमान में यह केवल 978 या 979 हो सकता है। यह हमेशा लंबाई में 3 अंक होता है
Table of Contents
पंजीकरण समूह तत्व or Registration group element
– यह आईएसबीएन सिस्टम में भाग लेने वाले विशेष देश, भौगोलिक क्षेत्र या भाषा क्षेत्र की पहचान करता है। यह तत्व लंबाई के 1 और 5 अंकों के बीच हो सकता है
कुलसचिव तत्व – Prefix element
यह विशेष प्रकाशक या छाप को पहचानता है। यह लंबाई में 7 अंकों तक हो सकता है
प्रकाशन तत्व – Registrant element
यह एक विशिष्ट शीर्षक के विशेष संस्करण और प्रारूप की पहचान करता है। यह लंबाई में 6 अंकों तक हो सकता है
अंक की जांच करें –
यह हमेशा अंतिम एकल अंक होता है जो गणितीय रूप से बाकी संख्या को मान्य करता है।
क्या ईबुक और पेपर बेक बुक के isbn नम्बर अलग होते हैं।
हां यदि आप एक ही बुक कोई बुक और पेपर बेक संस्करण छपवाते हैं तो दोनों के isbn नम्बर अलग अलग होते हैं।इसलिए आपको दो अलग अलग isbn नम्बर खरीदने पड़ जातेहैं।
isbn नम्बर का क्या फायदा होता है।
यह नम्बर बुक पब्लिसर की पहचान बताते हैं। इस नम्बर के आधार पर बुकसैलर भी बुक को पहचानते हैं।
isbn नम्बर कहां से खरीदें
भारत के अंदर isbn नम्बर फ्रि मे मिलता है। इसके लिए आपको अपनी सारी डिटेल राजाराम मोहनराय नेशल ऐजेंसी को भेजनी होती हैं।
इन डिटेल्स के अंदर
1.आपकी बुक का प्रकार जैसे ई बुक है। या हार्ड कॉपी है।
2.आधार कार्ड की फोटो कॉपी
3.बुक की पब्लिसन डेट
4.फ्रंट पेज की फोटो कॉपी
अधिक डिटेल के लिए आप इस वेबसाईट पर जाकर देख सकते हैं।
isbn और कॉपी राईट
यह दोनों अलग अलग होतें हैं। isbn कॉपी राईट को व्यक्त नहीं करता है। आईएसबिएन आपकी किताब को एक पहचान दिलाने का काम करता है। जबकि कॉपी राईट का काम होता है आपके वर्क को प्रोटेक्ट करना ताकि कोई अन्य व्यक्ति उसका यूज ना कर सके ।
आईएसबीएन के लिए कौन आवेदन कर सकता है?
आमतौर पर isbn के लिए कोई प्रकाशसक आवेदन कर सकता है। या किताब का लेखक भी आवेदन कर सकता है। लेकिन प्रिंटर करने वाले लोग इसका आवेदन नहीं कर सकते । क्योंकि उनका किताब पर कोई अधिकार नहीं होता है। यदि आपने खुद कोई किताब लिखी है तो आप इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
isbn को आप कैसे आनलाईन भी अपलाई कर सकते हैं।
इसके लिए सबसे पहले आप को उपर दी गई वेबसाईट पर जाना है। उसके बाद New APPLICANT REGISTRATION पर क्लिक करें ।
उसके बाद आपको अपनी ई मेल आईडी वहां पर संबिट करनी है। जिस पर आपकी लॉग इन डिटेल आ जाएगी ।
उसके बाद दिए हुए पासर्वड का प्रयोग कर लॉग इन करें । APPLICANT LOGIN पर क्लिक करें ।
उसके बाद आप अपना पास वर्ड भी चेंजकर सकतेहैं।
इसके बाद APPLY FOR NEW APPLICATION पर क्लिककरें ।
उसके बाद अपने सारे डेटा जोकि उपर बताए गएहैं। उनको अपलोड कर दिजिए ।आपके डेटा पिडिफ format मे होने चाहिए ।
ISBNs किन चीजों के लिए दिया जाता है ?
यदि हम ISBNs की बात करें , तो आपको बतादें कि यह नंबर आमतौर पर दो तरह की किताबों के लिए दिया जाता है। पहला तो यदि आपने किताब को प्रकाशित करवाया है , तो उसके लिए ISBNs दिया जाता है। और दूसरा यदि आपने सिर्फ डिजिटल कॉपी किताब की प्रकाशित करवाई है , तो उसके लिए भी ISBNs दिया जाता है। हालांकि यह सभी किताबों के लिए जरूरी नहीं होता है। लेकिन विदेशों के अंदर बिकने के लिए ISBNs नंबर काफी अधिक जरूरी होता है।
ISBNs के अंदर कितने अंक होते हैं ?
यदि हम ISBNs के बारे मे बात करें , तो आपको बातदें कि इसके अंदर पहले 10 अंक हुआ करते थे । वर्तमान मे 13 अंक होते है।1970 में अन्तरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (जिसे आई॰एस॰ओ॰ या ISO भी कहते हैं) जिसने इसको 13 अंकों का बनाया है। हालांकि अब भी ISBNs आपको कई किताबों पर 10 अंकों का देखने को मिल जाता है।
इंडिया मे ISBNs से जुड़े रूल क्या हैं ?
- आईएसबीएन केवल हार्ड कवर, पेपर बैक, ईबुक के रूप में पुस्तकों के लिए अंग्रेजी में आवेदन पत्र भरने के बाद ही आपको आवंटित किया जाता है।
- किसी भी समाचार पत्र के लिए आपको आईएसबीएन नहीं दिया जा सकता है।
- आईएसबीएन लेखकों, प्रकाशकों और शैक्षिक/अनुसंधान संस्थानों को आवंटित किया जाता है इसके अंदर कई सारी चीजें आती हैं। जैसे कि मानचित्र, शैक्षिक/निर्देशात्मक फिल्में, वीडियो, सीडी या डीवीडी पर ऑडियो पुस्तकें आदि आती हैं।
- यदि किसी लेखक ने कोई बुक लिखी है , तो उसको एकल आईएसबीएन दिया जाएगा । यदि उसे अलग अलग आईएसबीएन चाहिए तो उसके लिए अलग अलग फोर्म को भरना होगा ।
- प्रकाशकों, शैक्षणिक/अनुसंधान संस्थानों को शुरुआत में 10 आईएसबीएन आवंटित किए जाएंगे।
- इसके लिए आवदेन करने के बाद भी कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। यह सभी को फ्री के अंदर ही दिया जाता है।
ISBNs आवेदन रिजेक्ट होने के कारण
ISBNs आवेदन यदि आपका रिजेक्ट हो जाता है। तो इसके कुछ कारण होते है। जिसके बारे मे हम आपको यहां पर बता रहे हैं।
- आवेदन पत्र बिना हस्ताक्षरित प्राप्त हुआ है तो यह रिजेक्ट हो जाएगा ।
- इसके उपर आपको सही ढंग से हस्ताक्षर करना होगा । छोटे अक्षरो मे ।
- हस्ताक्षर में भिन्नता आवेदन पत्र यदि प्राप्त होता है , तो इसको स्वीकार नहीं किया जाता है।
- सहायक दस्तावेज स्वप्रमाणित नहीं
- ग़लत तथ्यों के साथ दुर्भावनापूर्ण आवेदन
किंतु यदि आप अपनी ईबुक किसी ऐसी कम्पनी से पब्लिस करते हैं जोकिआईएसबिएन नम्बर देती है।तो आपको इसके लिए अप्लाई करने की आवश्यकता नहीं होते हैं। वैसे अधिकतर कम्पनियां आपको आईएस बिएन नम्बर फ्रि मे ही दे देती हैं।
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