जय अम्बे गौरी | jai ambe gauri lyrics जय अम्बे गौरी आरती PDF | Jai Ambe Gauri Aarti Lyrics in Hindi. जय अम्बे गौरी आरती | Jai Ambe Gauri Aarti Lyrics PDF Hindi जय अम्बे गौरी आरती pdf
अम्बे गौरी के बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही हैं । यदि आप माता को खुश करना चाहते हैं तो हम आपको यहां पर इस आरती की लिरिक्स को दे रहे हैं आप इसकी मदद से माता को खुश कर सकते हैं। यह लिरिक्स हम हिंदी और अंग्रेजी दोनों के अंदर दे रहे हैं तो आप अपनी पसंद के अनुसार इसको चुन सकते हैं और कुछ फायदा उठा सकते है।
अम्बे गौरी की यदि हम बात करें तो यह हिंदु धर्म की एक देवी है जिसको दुर्गा नाम से भी जाना जाता है।मां दुर्गा के सात मुखों वाले रूप के रूप में जानी जाती हैं और मां दुर्गा की शक्ति के स्वरूप को दर्शाती हैं। अम्बे गौरी का नाम दो विभिन्न देवियों को दर्शाता है। अम्बे नाम का अर्थ होता है “मां” और गौरी नाम का अर्थ होता है “गोरा” या “सफेद”।
अम्बे गौरी का पूजन भारत और नेपाल में काफी अधिक की जाती है । उन्हें नवरात्रि के दौरान रूप से पूजा जाता है । हालांकि अन्य समय पर भी पूजा जा सकता है। अम्बे गौरी की पूजा में दुर्गा सप्तशती के पाठ किया जाता है इसके अंदर देवी की महिमा के बारे मे उल्लेख मिलता है। पूजा के बाद देवी को विविध रंगों के वस्त्र ओढ़ाया जाता है और वे लाल फूलों से अलंकृत होती हैं।
अम्बे गौरी को शक्ति और समृद्धि की देवी माना जाता है।और यदि कोई भगतगण इनकी पूजा करते हैं तो उनकी सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
Table of Contents
jai ambe gauri aarti lyrics in hindi pdf download जय अम्बे गौरी आरती PDF
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥
जय अम्बे गौरी
माँग सिन्दूर विराजत,टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना,चन्द्रवदन नीको॥
जय अम्बे गौरी
कनक समान कलेवर,रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला,कण्ठन पर साजै॥
जय अम्बे गौरी
केहरि वाहन राजत,खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत,तिनके दुखहारी॥
जय अम्बे गौरी
कानन कुण्डल शोभित,नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर,सम राजत ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
शुम्भ-निशुम्भ बिदारे,महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना,निशिदिन मदमाती॥
जय अम्बे गौरी
चण्ड-मुण्ड संहारे,शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
जय अम्बे गौरी
ब्रहमाणी रुद्राणीतुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी,तुम शिव पटरानी॥
जय अम्बे गौरी
चौंसठ योगिनी मंगल गावत,नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा,अरु बाजत डमरु॥
जय अम्बे गौरी
तुम ही जग की माता,तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता,सुख सम्पत्ति करता॥
जय अम्बे गौरी
भुजा चार अति शोभित,वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत,सेवत नर-नारी॥
जय अम्बे गौरी
कन्चन थाल विराजत,अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत,कोटि रतन ज्योति॥
जय अम्बे गौरी
श्री अम्बेजी की आरती,जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी,सुख सम्पत्ति पावै॥
जय अम्बे गौरी
jai ambe gauri aarti lyrics in hindi pdf download in english jai ambe gauri aarti pdf
jay ambe gauree, maiya jay shyaama gauree.
tumako nishidin dhyaavat, hari brahm shivaree.
jay ambe gauree
sindoor viraajat,teeko mrgamad ko.
ujjal se dou naana,chandravadan neeko.
jay ambe gauree
kanak samaan kalevar, rakataambar raajai.
raktapushp gal malik,kanthan par saajai
jay ambe gauree
kehari vaahan raajat, khadg khap.
sur-nar-muni-jan sevat,tinake dukhaharee.
jay ambe gauree
kaan kundal shobhit,naasaagrem.
kotik chandraakar,sam raajatatv
jay ambe gauree
shumbh-nishumbh bidaare, mahishaasur dhaatee.
dhoomr vilochan naina,nishidin madamaatee.
jay ambe gauree
chand-mund sanhaare, shoshit beej.
madhu- dobh dou,sur bhayaheen kare.
jay ambe gauree
braahmanee rudraanee tum kamala raanee.
aagam-nigam-bakhaanee, tum shiv pataraanee.
jay ambe gauree
chaunsathinee mangal gaavat,nrty karat bhairav.
baaz taal mrdanga,aru baazat damaru.
jay ambe gauree
tum hee ho bharata.
bhaktaan kee: kh harata,sukh kharaabee.
jay ambe gauree
banchaachaar ati shobhit,var-mudra dhaaree.
manavaanchhit phal paavat, sevat nar-naaree.
jay ambe gauree
kanchan thaal viraajat, uddeep baatee.
shreemaalaketu mein raajat,kot ratan jyoti.
jay ambe gauree
shree ambejee kee aaratee, jo koi nar gaay.
kahat shivaanand svaamee,sukh paavai
jay ambe gauree
अम्बे गौरी की आरती कब करनी चाहिए ?
अम्बे गौरी की आरती देवी माँ के पूजन में करनी होती है। आप सुबह और शाम के समय मां की आरती कर सकते हैं। जैसा कि अन्य लोग करते हैं।
नवरात्रि के दौरान, अम्बे गौरी की आरती को नौ दिनों तक पूजन के अंत में किया जाता है। इन नौ दिनों मे देवी की महिमा का वर्णन किया जाता है और उसके बाद भक्ति भाव से देवी की पूजा भी की जाती है। नवरात्रि यदि आप करते हैं तो इसके बारे मे आप अच्छी तरह से जानते ही होंगे ।
अम्बे गौरी की आरती का पाठ करने से पहले, आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए ।आपके पास समस्त आवश्यक सामग्री जैसे दीपक, अगरबत्ती, फूल, पुष्पांजलि आदि होना चाहिए। आरती का पाठ करते समय, आपके मन मे भक्ति भाव होना चाहिए तभी आपकी की गई आरती काफी अधिक फायदेमंद होगी ।
यदि आप पूरी तरह से भक्ति भाव से आरती करते हैं तो इसका फायदा होगा और आपके जीवन की जो समस्याएं हैं वे दूर हो सकती हैं। लेकिन यदि आप बेमन से आरती करते हैं तो फिर किसी तरह का कोई भी फायदा नहीं होने वाला है और आपकी कोई भी समस्याएं दूर नहीं हो सकती हैं।
चाहे अंबे जी की आरती हो या फिर किसी और भगवान की आरती आपको पूरे भाव के साथ ही करनी चाहिए तभी यह काम करेगा । नहीं तो यह कोई भी काम नहीं करेगा । आप इस बात को समझ सकते हैं।
वैसे भी पूजा पाठ के प्रबल भाव से ही सब कुछ कमाल होता है।
अम्बे गौरी की आरती करने के फायदे
दोस्तों यदि आप माता अंबे की आरती करते हैं तो इसके कई सारे फायदे होते हैं इसके बारे मे हम आपको बताने वाले हैं। आपको इसकी वजह से कुछ लाभ मिल सकते हैं। यदि आप माता के भगत हैं तो आपको इसके बारे मे पता होना सबसे अधिक जरूरी होता है।
सबसे पहला लाभ यह है कि माता की आरती करने से जीवन की जो भी चुनौतियां हैं वे सब दूर हो जाती हैं। मतलब आपके जीवन की जो परेशानियां होती हैं वे आसानी से दूर हो जाती हैं।
यदि आपको जीवन के अंदर सुख को प्राप्त करने मे समस्याएं आ रही हैं तो फिर आपको इसकी मदद से सुख प्राप्त होता है। और दुख दूर हो जाता है।
इसके अलावा माता अंबे की आरती जो कोई करता है उसको शत्रु पराजित नहीं कर सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
इसके अलावा यदि आप माता अंबे की आरती करते हैं तो ऐसा करने से आपके मन के अंदर काफी अधिक शांति मिलती है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
बीमारी को दूर करती है माता अंबे । दोस्तों कुछ घरों के अंदर बार बार बीमारी प्रवेश करती रहती हैं। यदि आपके घर के अंदर भी बीमारी बार बार प्रवेश करती रहती है तो फिर आपको माता अंबे की पूजा करनी चाहिए । माता अंबे की पूजा करने से बीमारी दूर हो जाती है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
इसके अलावा यदि आपके परिवार के अंदर कलह काफी अधिक होती है तोभी आपको माता अंबे की पूजा करनी चाहिए । यह सबसे अधिक जरूरी होता है। ऐसा करने से आपके परिवार के अंदर जो कलह की समस्या है वह दूर हो जाएगी । आप इस बात को समझ सकते हैं।
आपको बतादें कि माता अंबे की पूजा सिर्फ इंसान ही नहीं करते हैं। देवता भी माता की पूजा करते हैं त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश भी माता की पूजा करते है। जब महिषासुर का आतंक मचा हुआ था तो देवता गणों ने भी माता से प्रार्थना की थी। और पूजा पाठ किया था ।
अम्बे मां की आरती से आध्यात्मिक लाभ
दोस्तों माता अंबे की पूजा यदि आप करते हैं तो आपको आध्यात्मिक लाभ भी मिलता है। आप इस बात को समझ सकते हैं। यदि आप मोक्ष की दिशा के अंदर आगे बढ़ रहे हैं। जीवन और मरण से काफी अधिक परेशान हो चुके हैं तो फिर आपको माता अंबे की पूजा करनी चाहिए । यह आपके लिए काफी अधिक जरूरी हो जाता है। ऐसा करने से आपका मन शुद्ध होता है और आप माया के बंधनों को तोड़ने मे सक्षम हो जाते हैं। आध्यात्मिक मार्ग के अंदर उन्नति चाहने वालों को भी माता की पूजा करनी चाहिए । यह उनके लिए बहुत ही अधिक फायदेमंद होता है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
अंबे माता की पूजा किस तरह से करनी चाहिए
दोस्तों यदि हम बात करें अंबे माता की तो आपको इनकी पूजा सही तरह से करनी चाहिए । यदि आप सही तरह से इनकी पूजा करते हैं तो ही आपको फायदा मिलता है। यदि आप सही तरह से पूजा नहीं करते हैं तो कोई फायदा नहीं मिलता है।
तिदिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करने के बाद धूप, दीप जलाकर माता की पूजा कर सकते हैं। आपको घी का दीपक जलाना चाहिए । और माता की आरती गानी चाहिए ।और यदि आप कर सकते हैं तो सुबह और शाम दोनों की समय माता की आरती करनी चाहिए । नहीं तो आप कम से कम एक समय तो कर ही सकते हैं।
महिषासुर वध की कथा
दोस्तों शास्त्रों के अंदर माता अंबे के बारे मे एक कहानी आती है। इस कहानी के अनुसार माता ने महिषासुर का वध किया था ।महिषासुर के बारे मे यह कहा जाता है कि उसने भगवान ब्रह्रमा को प्रसन्न कर एक वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसका वध चराचर जगत के अंदर केवल एक स्त्री के हाथों ही हो सकता है।क्योंकि उसे यह लगता था कि स्त्री निर्बल होती हैं इसकी वजह से वे उसको नहीं मार पाएंगे । और उसके बाद उसने तीनों लोकों पर अत्याचार करना शूरू कर दिया ।
उसके बाद यह कहा जाता है कि देवता काफी अधिक घबरागए और देवताओं ने मिलकर अंबे की उत्पति की ।इसके बाद देवताओं द्वारा माता दुर्गा को अस्त्र-शस्त्र दिए गए और सिंह को उनकी सवारी बनाया गया। और उसके बाद माता ने महिषासुर के साथ भयंकर युद्ध किया और उसके बाद जब महिषासुर ने भैंसे का रूप धारण किया तो माता ने उसका वध कर दिया । और उसके वध करने के बाद ही तीनों लोकों के अंदर शांति छा गई । इस तरह से महिषासुर का वध हो गया ।
इसके अलावा भी माता अंबे के कई सारे चमत्कार हैं जिनके बारे मे आप जान सकते हैं। यदि आप माता अंबे की आरती करते हैं तो इससे आपको काफी अधिक फायदा होगा । आप इस बात को समझ सकते हैं। और उम्मीद करते हैं कि आपको jai ambe gauri aarti lyrics in hindi pdf download जय अम्बे गौरी आरती PDF लेख पसंद आया होगा । यदि आपका कोई सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके बता सकते हैं। हम आपके सवाल का जवाब देने की कोशिश करेंगे ।
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