जल प्रदूषण को रोकने के उपाय के बारे मे हम जानेंगे।जल प्रदूषण के मतलब के बारे मे हम सबसे पहले आपको बतादेते हैं। जल प्रदूषण तब होता है , जब जल के अंदर हानिकारक पदार्थ प्रवेश करते हैं। और इसकी वजह से जल पूरी तरह से दूषित हो जाता है। तो इसको ही जल प्रदूषण के नाम से जाना जाता है। वैसे आपको बतादें कि जल प्रदूषण कई प्रकार का होता है। जैविक प्रदूषण के अंदर जल के अंदर बैक्टिरिया या वायरस परजीवी प्रवेश कर जाते हैं। और यदि हम उस तरह के जल का सेवन करते हैं , तो उससे हैजा, और टाइफाइड जैसी बीमारियां आपको देखने को मिल जाती हैं।
जब जल में विषाक्त रसायन प्रवेश करते हैं। ये रसायन मनुष्यों और अन्य जीवों में कैंसर, जन्म दोष, और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। और भौतिक जल प्रदूषण के अंदर जल के अंदर प्लास्टिक, धातु, या तेल आदि प्रवेश करते हैं। और जल के अंदर रहने वाले जीवों को काफी अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट, जिसमें रसायन, तेल, और ठोस पदार्थ भी जल के अंदर प्रवेश करके जल को दूषित करने का काम करते हैं।
कृषि से निकलने वाला अपशिष्ट, जिसमें उर्वरक, कीटनाशक, और सिंचाई का पानी यह सभी जल के अंदर प्रवेश करने के बाद उसको दूषित करने का काम करते हैं। आप इस बात को समझ सकते हैं।
अब हम आपको यह बताने वाले हैं , कि जल प्रदूषण को रोकने के उपाय के बारे मे , तो आपको बतादें कि जल प्रदूषण को आप कई सारे तरीकों से रोक सकते हैं। लेकिन जैसा कि आपको पता ही है कि जल प्रदूषण को रोकना किसी एक इंसान के बस की बात नहीं है। इसके लिए काफी कुछ प्रयास सभी को करना होता है। मगर सरकार की भी इसके अंदर बहुत ही बड़ी भूमिका हो सकती है। असल मे जल संरक्षण के बारे मे बहुत अधिक बातें की जाती है। पर्यावरण पर एक अलग से किताब भी पढ़ाई जाती है। मगर इसके बाद भी कुछ फायदा नहीं हुआ है। वही मोहनजोदड़ो वाली पुरानी नीति आज भी चलती है। कुड़ा घर से एकत्रित करने के बाद रस्ते मे वे लोग भी डाल देते थे और आज भी अपने यहां पर यही हो रहा है।
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jal pradushan ko rokne ke upay जल की बचत करना जरूरी है
दोस्तों जल प्रदूषण को रोकने का एक तरीका यह भी है कि आपको जल की बचत करनी चाहिए। यदि आप जल की बचत करते हैं , और अधिक पानी का उपयोग कपड़े धोने और नहाने मे नहीं करते हैं , तो फिर शहर का खराब पानी नदियों और नालों मे जाना कम हो जाएगा । एक तरह से देखा जाए तो रोजाना कुछ लीटर जल को बचाकर भी हम जल प्रदूषण को कम कर सकते हैं। मगर यह सभी को करना होगा । तभी यह उपाय कारगर हो सकता है। यदि आप सभी यह नहीं करते हैं , तो यह उपाय कारगर नहीं हो सकता है। आपने देखा होगा कि जिन घरों मे सीमित मात्रा के अंदर पानी आता है , वहां के लोग उसकी अच्छी तरह से बचत करना जानते हैं। लेकिन जिन घरों मे बहुत अधिक पानी आता है , वे पानी को व्यर्थ ही बहाते रहते हैं।
जल प्रदूषण को रोकने के उपाय पानी की आपूर्ती सीमित करें
दोस्तों सबसे अधिक बेकार पानी घरों से ही निकलता है। और पूरे दिन पानी निकलता ही रहता है। जिसकी वजह से सारी सड़के खराब हो जाती है। तो यदि घरों के अदंर पानी की आपूर्ति को सीमित कर दिया जाएगा तो पानी अधिक नहीं बिखरेगा । यह बहुत ही जरूरी है। यदि हम अपने ही गांव की देखें तो यहां पर इतने घर भी नहीं हैं। उसके बाद भी पानी रोड़ पर बहता रहता है। और यह जमीन के अंदर कुओं की मदद से जाकर उस जल को भी दूषित कर देता है। जितनी जरूरत है उतना ही पानी को खोला जाना चाहिए । जिससे कि जल प्रदूषण को रोेकने मे काफी हद तक मदद मिलेगी । आप इस बात को समझ सकते हैं।
jal pradushan ko rokne ke upay पानी मे मल मूत्र त्याग पर प्रतिबंध लगाएं
दोस्तों पानी मे मल मूत्र के त्याग पर पूरी तरह से प्रतिबंध होना चाहिए। नदियों के आस पास और तालाबों के अंदर मल मूत्र के त्याग करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाकर भी जल प्रदूषित होने से रोका जा सकता है। असल मे क्या होता है कि कुछ लोग उल्टे किस्म के होते है। वे पानी के अंदर जाकर मल का त्याग करते हैं। और इस तरह से पानी दूषित हो जाता है। षित जल पीने से दस्त, हैजा, टाइफाइड आदि जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।जल (प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम, 1974 जैसे कानून तो बने हैं । मगर यह अब यूजफुल नहीं हैं। क्योंकि अधिकतर लोग यह कार्य चुपके से कर देते हैं। ऐसी स्थिति के अंदर वे आसानी से पकड़ मे आते नहीं है। पानी मे मल मूत्र के त्याग को रोकने का एक ही तरीका है। कि इसके बारे मे जागरूकता फैलाई जानी चाहिए ।
जन जागरूकता बढ़ाना
जल प्रदूषण को रोकने का यह एक अच्छा उपाय है। इसके अलावा कोई भी अच्छा उपाय नहीं हो सकता है। आप इस बात को समझ लें । खैर जन जागरूकता की मदद से आप यह बता सकते हैं कि जल प्रदूषण को क्यों नहीं करना चाहिए ? और इसकी वजह से क्या क्या बीमारियां हो सकती हैं। जनजागरूकता को बढ़ाने के लिए कई सारे तरीके आजमाएं जा सकते है। जैसे कि सरकारें जगह जगह पर पोस्टर चिपका सकती हैं। इसके अलावा टीवी वैगरह पर एड चलाये जा सकते हैं । तो इस तरह से लोगों के पास जल संरक्षण और प्रदूषण को रोकने के बारे मे जानकारी फैलाई जा सकती है। जब तक जल प्रदूषण के बारे मे लोग जागरूक नहीं होंगे तब तक इसको रोका नहीं जा सकेगा ।
कानूनी प्रावधान करना
दोस्तों जल प्रदूषण को रोकने के लिए कानूनी प्रावधान का होना काफी अधिक जरूरी होता है। यदि कानूनी प्रावधान नहीं होंगे , तो कोई भी इंसान जल प्रदूषण की तरफ ध्यान ही नहीं देगा । और वैसे भी देखा जाए तो भारत के अंदर कानून होने के बाद भी लोकतंत्र होने की वजह से प्रभावी तरीके से काम नहीं करते हैं। मगर सरकारों को भी चाहिए कि जल प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त से सख्त कानून को बनाने चाहिए । तभी कुछ फायदा हो सकता है। जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 प्रदूषण को रोकने के लिए ही बनाया गया है। इस अधिनियम का उदेश्य जल स्त्रोतों को रोकना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना है।इस अधिनियम के अनुसार यदि कोई इंसान जल स्त्रोतों को गंदा करता हुआ पाया गया , तो उसके खिलाफ जुर्माना लगाया जा सकता है। या फिर उसको सजा भी दी जा सकती है।
भले ही सरकार ने इस नियम को बना दिया गया है। लेकिन उसके बाद भी यह उतना अधिक प्रभावी नहीं कहा जा सकता है कि यह काम करें। अभी सरकार को इस दिशा के अंदर और अधिक अच्छे से काम करने की जरूरत है।
नदी तालाबों मे नहाने और कपड़े धोने पर पाबंदी लगाएं
दोस्तों जल के प्रदूषित होने का एक कारण यह भी है , कि बहुत सारे लोग नदी और तालाबों के अंदर नहाते हैं। और उसके बाद कपड़े धोते हैं। जिसकी वजह से तालाबों आदि के अंदर गदंगी हो जाती है। तो बेहतर यही होगा कि सरकार के द्धारा नदी और तालाबों के अंदर नहाने और कपड़े धोने पर पाबंदी का लगाया जाना काफी अधिक जरूरी होता है। और इसके लिए कड़े नियम का बनाया जाना चाहिए । क्योंकि यदि कड़े नियम यदि नहीं बनते हैं , तो फिर लोग इसको इग्नोर करने लग जाते हैं। और उसके बाद वही करने लग जाते हैं , जोकि पहले कर रहे थे ।
प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना
जल के प्रदूषण को रोकने के लिए प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना होगा । क्योंकि जो हम प्लास्टिक यूज करते हैं , उसको एक बार यूज करने के बाद बाहर फेंक देते हैं। और बाद मे यह जल स्त्रोतों के अंदर चला जाता है।और इसकी वजह से जल प्रदूषण पैदा हो जाता है। इसलिए प्लास्टिक के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। या फिर इस तरह का प्लास्टिक बनाया जाना चाहिए कि एक बार उपयोग मे लेने के बाद वह नुकसान ना करें । खैर जब प्लास्टिक जलिय स्त्रोतों के अंदर चला जाता है , तो उसके बाद प्लास्टिक कचरा जलीय जीवों के लिए खतरा पैदा करता है। मछलियाँ और अन्य जलीय जीव प्लास्टिक कचरे को भोजन समझकर खा लेते हैं, जिससे उनकी मृत्यु हो सकती है। और प्लास्टिक के जल के अंदर घुल जाने की वजह से यह जल की गुणवकता को भी नुकसान पहुंचाता है। उसके बाद यदि कोई उस जल को पीता है , तो उसके शरीर के अंदर भी प्लास्टिक चल जाता है। और यह मानव शरीर को और जानवरों को नुकसान पहुंचाता है।
समय समय पर लीकेज को ठीक करें
दोस्तों नल पानी की टंकी आदि के अंदर कई बार लीकेज आ जाता है। और लीकेज आने की वजह से पानी यूं ही बरबाद होता है। और यही पानी बाद मे रोड़पर चला जाता है। और जल स्त्रोतों को दूषित कर देता है। गदंगी फैलाता है। इसलिए यदि आपके घर के अंदर किसी तरह का लीकेज है , तो फिर आपको उसको ठीक करना चाहिए। और अपने घर के पानी के नल को कभी भी रात को खुला नहीं छोड़ना चाहिए । कई बार रातभर पानी का नल खुला रह जाता है , तो पूरी रोड़ पर पानी ही पानी फैल जाता है।
फिर यदि आपके यहां पर जागरूकता होगी तभी आप इन सब चीजों को समझ पाएंगे । यदि आपके यहां पर जागरूकता नहीं होगी , तो आप इन सब चीजों को समझने मे असफल हो जाएंगे।
नदियो और तालाबों को साफ सुधरा रखना चाहिए
दोस्तों नदियों और तालाबों को साफ सुथरा रखना काफी अधिक जरूरी होता है। समय समय पर जब आप नदियों और तालाबों को साफ करते हैं। तो उनके अंदर मौजूद गदंगी निकल जाती है। और वे फिर से साफ सुधरा बने रहते हैं । जैसे कि बात करें नदी की तो नदी के किनारों को अच्छी तरह से साफ रखें। ताकि उसके अंदर किसी तरह की गदंगी ना मिले । तालाबों को हर एक साल मे कम से कम एक बार जरूर ही साफ करना चाहिए । जिससे कि जल के प्रदूषण को रोकने मे कुछ हद तक मदद मिलेगी । आप उस समय तालाबों को साफ कर सकते हैं। जब बारिश का मौसम आने वाला हो या तालाब मे पानी सबसे कम हो ।
गंदे पानी का सुरक्षित निकास बनाएं
जैसा कि आपको पता ही है कि हर घर के अंदर से गंदा पानी निकलता है। और यह गंदा पानी बाद मे नदी और तालाबों के अंदर मिल जाता है। या फिर कहीं पर एकत्रित हो जाता है। इसकी वजह से साफ पानी दूषित होता है। इसलिए आपको चाहिए कि आप गंदे पानी का सुरक्षित निकास बनाएं । यह सबसे अधिक जरूरी होता है। गंदे पानी का सुरक्षित निकास बनाने के लिए नालियां बनाई जानी चाहिए ।और उन नलियों को साफ पानी के अंदर नहीं खोला जाना चाहिए । वरन एक अलग ही स्थान पर खोला जाना चाहिए । ताकि गंदा पानी साफ पानी को दूषित ना कर सके ।
कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग कम करें।
दोस्तों हम जो किसान लोग कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। और अनेक तरह के रसायनों का प्रयोग करते हैं। उसका नुकसान हमारे जीवन पर होता है। इसके अलावा यदि आस पास कोई नदी और तालाब आदि होता है , तो उन कीटनाशकों से उसका पानी भी दूषित हो जाता है। जब बारिश आती है , तो बारिश का पानी खेतों से होते हुए उस नदी और तालाब के अंदर चला जाता है , जोकि आपके खेतों के पास बना हुआ है। और इस तरह से वहां का सारा जल दूषित हो जाता है। जल संरक्षण का एक उपाय यह है , कि आप अपने खेतों के अंदर जहरीले रसायनों का प्रयोग ना करें । और जैविक खेती को अधिक से अधिक महत्व दें । जिससे कि आप जल को सुरक्षित रखने मे सक्षम हो पाएंगे।
बाकि यह किसी एक इंसान का कार्य नहीं है। यदि सभी लोग अपने कर्तव्य को अच्छे से निभाएंगे , तो फिर यह सब कर सकते हैं। नहीं तो अकेले इंसान के प्रयास करने का कोई मतलब नहीं है।
जल स्त्रोतों मे पशुओं को नहीं नहलाना चाहिए
दोस्तों कुछ लोग क्या करते हैं कि जल स्त्रोतों के अंदर अपने पशुओं को नहलाते हैं। और इसकी वजह से तालाब और नदी के पानी को गंदा कर देते हैं। तो यदि जल को प्रदूषित होने से बचाना है , तो किसी भी जल स्त्रोत के अंदर पशुओं को नहीं नहलाना चाहिए ।और यदि कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है , तो उसके उपर जुर्माना लगाया जाना चाहिए ।
कचरे को जल मे डालने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए । अक्सर क्या होता है कि जो बड़ी बड़ी फैक्ट्री वैगरह होती हैं। उनके अंदर से कई तरह का अपशिष्ट निकलता है। और उसको जल स्त्रोतों के अंदर डाल दिया जाता है। इसकी वजह से भी जल दूषित हो जाता है। सरकारों को इसके उपर प्रतिबंध लगाना चाहिए । जल स्त्रोतों के अंदर अपशिष्ट को डालने से बचना चाहिए ।कंपनियों को चाहिए कि वे अपने द्धारा पैदा किये गए अपशिष्ट को बेहतर ढंग से निस्तारण के लिए प्रयास करें । ताकि जल प्रदूषित नहीं हो ।
पानी का शुद्धि करण करने की व्यवस्था करना
जो जल दूषित हो चुका है। उसको फिर से उपयोग मे लाने की व्यवस्था होनी चाहिए । इसके लिए शुद्धि करण की मशीने लगाया जाना काफी अधिक जरूरी होता है। इसकी मदद से जल के अंदर मिलने वाले सभी प्रकार के कचरे को अलग किया जाना चाहिए । और जल को साफ बनाकर उसको फिर से उपयोग मे लाना चाहिए । जिससे कि खराब जल दूसरे जल स्त्रोतों को दूषित नहीं करेगा । और एक जगह पर एकत्रित होकर बीमारियों को पैदा करने मे भी सक्षम नहीं होगा ।
कचरे का प्रबंधन
जल को दूषित होने से बचाने के लिए कचरे का भी सही तरह से प्रबंध करना काफी अधिक जरूरी होता है। यदि कचरे को यहीं कहीं पर डालते रहेंगे , तो इससे जल दूषित ही होगा । प्लास्टिक और दूसरे कचरे को कूड़ेदान के अंदर ही डालना चाहिए । और उसके बाद उपयोगी कचरे को रिसाइकिल किया जाना चाहिए। फिर से इसका उपयोग किया जाना चाहिए । जिससे कि जल प्रदूषण से आसानी से बचा जा सकता है।
वायु प्रदूषण पर नियंत्रण
जल प्रदूषण का कारण वायुप्रदूषण भी होता है। क्योंकि वाहनो और उधोगों से जहरीली गैस बाहर निकतली है। और यह हवा के अंदर मिल जाती है।जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाले उत्सर्जन से हवा में कार्बन डाइऑक्साइड या C02 बढ़ जाता है। जलवाष्प इस C02 को कुछ हद तक अवशोषित कर लेता है। और उसके बाद अम्ल वर्षा का खतरा बढ़ जाता है। इस तरह की अम्ल वर्षा जल स्त्रोतों को काफी अधिक नुकसान पहुंचाती है। इसको रोकने के लिए वायु प्रदूषण को कम करने के बारे मे विचार करना होगा । वाहनों के सीमित उपयोग करना होगा । और कारखानों से निकलने वाले धुए को भी कम करना होगा । घरों के अंदर जलाई जाने वाली लकड़ी के उपयोग को भी सीमित करना होगा । इसके जगह पर सौर चुल्हा या फिर गैस का उपयोग करना चाहिए । जिससे कि वायु प्रदूषण को रोकने मे काफी हद तक मदद मिलेगी ।
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