japji sahib path in hindi और japji sahib path के अनगिनत फायदे

japji sahib path in hindi के बारे मे हम आपको बताने वाले हैं। “जपजी साहिब” एक प्रमुख सिख धार्मिक पाठ है, जो गुरु नानक देव जी द्वारा रचा गया था और गुरु ग्रंथ साहिब, सिखों के प्रमुख ग्रंथ का हिस्सा है। यह पाठ सिखों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है ।यह पाठ पंच पौड़ियां में विभाजित होता है, जिन्हें रोज़ाना पढ़ा जाता है, और इसे सिख समुदाय के लोगों के अंदर इस पाठ का खासतौर पर काफी अधिक महत्व होता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।

japji sahib path benefits in hindi के बारे मे भी हम आपको बता देते हैं। वैसे तो इस पाठ के अनगिनत फायदे होते हैं। जिसके बारे मे हम यहां पर वर्णन भी नहीं कर सकते हैं। लेकिन इसके कुछ फायदों के बारे मे हम आपको यहां पर बता रहे है।

  • japji sahib path के फायदे के बारे मे बात करें , तो आपको बतादें कि इसकी वजह से आपको मानसिक शांति मिलती है। यह भगवान का पाठ है , और ऐसा करने से आपका दिमाग शांत हो जाता है। इसलिए रोजाना japji sahib path करना चाहिए ।
  • japji sahib path यदि कोई रोजाना करता है , तो इसकी वजह से इंसान आदर्श जीवन जीने के लिए प्रेरित हो सकता है। क्योंकि यह जो पाठ है , वह महान गुरूओं के द्धारा लिखा गया है। इसकी वजह से यह काफी अधिक प्रेरणा प्रदान करने का काम करता है।
  • आपके घर मे सुख और शांति बढ़ती है। यदि आप इस पाठ को करते हैं , तो ऐसा करने से आपके घर के अंदर सुख और शांति के अंदर बढ़ोतरी होती है। यदि आपके जीवन के अंदर कुछ अच्छा नहीं चल रहा है , तो आपको यह पाठ करना चाहिए । यह आपकी काफी अधिक मदद करेगा । और जीवन के अंदर सुख आएगा ।
  • japji sahib path की वजह से दया और सेवा की भावना पैदा होती है। क्योंकि यह बुराई को समाप्त करता है और इंसान के अंदर अच्छाई को लेकर आता है। जो लोग हिंसक हैं या गलत संगतों के अंदर पड़ गए हैं  उनको यह पाठ करने से काफी अधिक फायदा होता है।
  • आपको पता ही है , कि इंसान के जीवन के अंदर दुख दर्द तो हमेशा आता ही रहता है , यदि कोई japji sahib path  को करता है , तो इसकी वजह से उसका दुख और दर्द दूर हो जाता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
  • आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। दोस्तों हर इंसान की जीवन के अंदर कुछ ना कुछ कामना होती है। यदि आपकी कोई मनोकामना पूर्ण नहीं हो रही है , तो फिर आपको यह पाठ करना चाहिए । इस पाठ को करने से आपके जीवन के अंदर की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

japji sahib path in hindi

सत नाम करता पुरख निरभओ निरवैर अकाल मूरत अजूनी सैभं गुर प्रसाद i

i जप i

आद सच जुगाद सच i

है भी सच नानक होसी भी सच i१i

सोचै सोच न होवई जे सोची लख वार i

चुपै चुप न होवई जे लाए रहा लिव तार i

भुखिआ भुख न उतरी जे बंना पुरीआ भार i

सहस सिआणपा लख होहे त इक न चलै नाल i

किव सचिआरा होईऐ किव कूड़ै तुटै पाल i

हुकम रजाई चलणा नानक लिखिआ नाल i१i

हुकमी होवन आकार हुकम न कहिआ जाई i

हुकमी होवन जीअ हुकम मिलै वडिआई i

हुकमी उतम नीच हुकम लिख दुख सुख पाईअह i

इकना हुकमी बखसीस इक हुकमी सदा भवाईअह i

हुकमै अंदर सभ को बाहर हुकम न कोए i

नानक हुकमै जे बुझै त हओमै कहै न कोए i२i

गावै को ताण होवै किसै ताण i

गावै को दात जाणै नीसाण i

गावै को गुण वडिआईआ चार i

गावै को विद्या विखम वीचार i

गावै को साज करे तन खेह i

गावै को जीअ लै फिर देह i

गावै को जापै दिसै दूर i

गावै को वेखै हादरा हदूर i

कथना कथी न आवै तोट i

कथ कथ कथी कोटी कोट कोट i

देदा दे लैदे थक पाहे i

जुगा जुगंतर खाही खाहे i

हुकमी हुकम चलाए राहो i

नानक विगसै वेपरवाहो i३i

साचा साहिब साच नाए भाखिआ भाओ अपार i

आखह मंगह देहे देहे दात करे दातार i

फेर कि अगै रखीऐ जित दिसै दरबार i

मुहौ कि बोलण बोलीऐ जित सुण धरे प्यार i

अमृत वेला सच नाओ वडिआई वीचार i

करमी आवै कपड़ा नदरी मोख दुआर i

नानक एवै जाणीऐ सभ आपे सचिआर i४i

थापेआ न जाए कीता न होए i

आपे आप निरंजन सोए i

जिन सेविआ तेन पाया मान i

नानक गावीऐ गुणी निधान i

गावीऐ सुणीऐ मन रखीऐ भाओ i

दुख परहर सुख घर लै जाए i

गुरमुख नादं गुरमुख वेदं गुरमुख रहेआ समाई i

गुर ईसर गुर गोरख बरमा गुर पारबती माई i

जे हओ जाणा आखा नाही कहणा कथन न जाई i

गुरा इक देहे बुझाई i

सभना जीआ का इक दाता सो मै विसर न जाई i५i

तीरथ नावा जे तिस भावा विण भाणे कि नाए करी i

जेती सिरठि उपाई वेखा विण करमा कि मिलै लई i

मत विच रतन जवाहर माणेक जे इक गुर की सिख सुणी i

गुरा इक देहे बुझाई i

सभना जीआ का इक दाता सो मै विसर न जाई i६i

जे जुग चारे आरजा होर दसूणी होए i

नवा खंडा विच जाणीऐ नाल चलै सभ कोए i

चंगा नाओ रखाए कै जस कीरत जग लेए i

जे तिस नदर न आवई त वात न पुछै के i

कीटा अंदर कीट कर दोसी दोस धरे i

नानक निरगुण गुण करे गुणवंतेआ गुण दे i

तेहा कोए न सुझई ज तिस गुण कोए करे i७i

सुणिअै सिध पीर सुर नाथ i

सुणिअै धरत धवल आकास i

सुणिअै दीप लोअ पाताल i

सुणिअै पोहे न सकै काल i

नानक भगता सदा विगास i

सुणिअै दूख पाप का नास i८i

सुणिअै ईसर बरमा इंद i

सुणिअै मुख सालाहण मंद i

सुणिअै जोग जुगत तन भेद i

सुणिअै सासत सिम्रित वेद i

नानक भगता सदा विगास i

सुणिअै दूख पाप का नास i९i

सुणिअै सत संतोख ज्ञान i

सुणिअै अठसठ का इसनान i

सुणिअै पड़ पड़ पावहे मान i

सुणिअै लागै सहज ध्यान i

नानक भगता सदा विगास i

सुणिअै दूख पाप का नास i१०i

सुणिअै सरा गुणा के गाह i

सुणिअै सेख पीर पातिसाह i

सुणिअै अंधे पावहे राहो i

सुणिअै हाथ होवै असगाहो i

नानक भगता सदा विगास i

सुणिअै दूख पाप का नास i११i

मंने की गत कही न जाए i

जे को कहै पिछै पछुताए i

कागद कलम न लिखणहार i

मंने का बहे करन वीचार i

ऐसा नाम निरंजन होए i

जे को मंन जाणै मन कोए i१२i

मंनै सुरत होवै मन बुध i

मंनै सगल भवण की सुध i

मंनै मुहे चोटा ना खाए i

मंनै जम कै साथ न जाए i

ऐसा नाम निरंजन होए i

जे को मंन जाणै मन कोए i१३i

मंनै मारग ठाक न पाए i

मंनै पत सिओ परगट जाए i

मंनै मग न चलै पंथ i

मंनै धरम सेती सनबंध i

ऐसा नाम निरंजन होए i

जे को मंन जाणै मन कोए i१४i

मंनै पावहे मोख दुआर i

मंनै परवारै साधार i

मंनै तरै तारे गुर सिख i

मंनै नानक भवहे न भिख i

ऐसा नाम निरंजन होए i

जे को मंन जाणै मन कोए i१५i

पंच परवाण पंच परधान i

पंचे पावहे दरगहे मान i

पंचे सोहहे दर राजान i

पंचा का गुर एक ध्यान i

जे को कहै करै वीचार i

करते कै करणै नाही सुमार i

धौल धरम दया का पूत i

संतोख थाप रखिआ जिन सूत i

जे को बुझै होवै सचिआर i

धवलै उपर केता भार i

धरती होर परै होर होर i

तिस ते भार तलै कवण जोर i

जीअ जात रंगा के नाव i

सभना लिखिआ वुड़ी कलाम i

एहो लेखा लिख जाणै कोए i

लेखा लिखिआ केता होए i

केता ताण सुआलिहो रूप i

केती दात जाणै कौण कूत i

कीता पसाओ एको कवाओ i

तिस ते होए लख दरीआओ i

कुदरत कवण कहा वीचार i

वारिआ न जावा एक वार i

जो तुध भावै साई भली कार i

तू सदा सलामत निरंकार i१६i

असंख जप असंख भाओ i

असंख पूजा असंख तप ताओ i

असंख ग्रंथ मुख वेद पाठ i

असंख जोग मन रहहे उदास i

असंख भगत गुण ज्ञान वीचार i

असंख सती असंख दातार i

असंख सूर मुह भख सार i

असंख मोन लिव लाए तार i

कुदरत कवण कहा वीचार i

वारिआ न जावा एक वार i

जो तुध भावै साई भली कार i

तू सदा सलामत निरंकार i१७i

असंख मूरख अंध घोर i

असंख चोर हरामखोर i

असंख अमर कर जाहे जोर i

असंख गलवढ हत्या कमाहे i

असंख पापी पाप कर जाहे i

असंख कूड़िआर कूड़े फिराहे i

असंख मलेछ मल भख खाहे i

असंख निंदक सिर करह भार i

नानक नीच कहै वीचार i

वारिआ न जावा एक वार i

जो तुध भावै साई भली कार i

तू सदा सलामत निरंकार i१८i

असंख नाव असंख थाव i

अगम अगम असंख लोअ i

असंख कहह सिर भार होए i

अखरी नाम अखरी सालाह i

अखरी ज्ञान गीत गुण गाह i

अखरी लिखण बोलण बाण i

अखरा सिर संजोग वखाण i

जिन एहे लिखे तिस सिर नाहे i

जिव फुरमाए तेव तेव पाहे i

जेता कीता तेता नाओ i

विण नावै नाही को थाओ i

कुदरत कवण कहा वीचार i

वारिआ न जावा एक वार i

जो तुध भावै साई भली कार i

तू सदा सलामत निरंकार i१९i

 पौड़ी 19-27

भरीअै हथ पैर तन देह i

पाणी धोतै उतरस खेह i

मूत पलीती कपड़ होए i

दे साबूण लईऐ ओहो धोए i

भरीअै मत पापा कै संग i

ओहो धोपै नावै कै रंग i

पुंनी पापी आखण नाहे i

कर कर करणा लिख लै जाहो i

आपे बीज आपे ही खाहो i

नानक हुकमी आवहो जाहो i२०i

तीरथ तप दया दत दान i

जे को पावै तेल का मान i

सुणेआ मंनिआ मन कीता भाओ i

अंतरगत तीरथ मल नाओ i

सभ गुण तेरे मै नाही कोए i

विण गुण कीते भगत न होए i

सुअसत आथ बाणी बरमाओ i

सत सुहाण सदा मन चाओ i

कवण सु वेला वखत कवण कवण थित कवण वार i

कवण सि रुती माहो कवण जित होआ आकार i

वेल न पाईआ पंडती जे होवै लेख पुराण i

वखत न पाइओ कादीआ जे लिखन लेख कुराण i

थित वार ना जोगी जाणै रुत माहो ना कोई i

जा करता सिरठी कओ साजे आपे जाणै सोई i

किव कर आखा किव सालाही किओ वरनी किव जाणा i

नानक आखण सभ को आखै इक दू इक सिआणा i

वडा साहिब वडी नाई कीता जा का होवै i

नानक जे को आपौ जाणै अगै गया न सोहै i२१i

पाताला पाताल लख आगासा आगास i

ओड़क ओड़क भाल थके वेद कहन इक वात i

सहस अठारह कहन कतेबा असुलू इक धात i

लेखा होए त लिखीऐ लेखै होए विणास i

नानक वडा आखीऐ आपे जाणै आप i२२i

सालाही सालाहे एती सुरत न पाईआ i

नदीआ अतै वाह पवह समुंद न जाणीअहे i

समुंद साह सुलतान गिरहा सेती माल धन i

कीड़ी तुल न होवनी जे तिस मनहो न वीसरहे i२३i

अंत न सिफती कहण न अंत i

अंत न करणै देण न अंत i

अंत न वेखण सुणण न अंत i

अंत न जापै किआ मन मंत i

अंत न जापै कीता आकार i

अंत न जापै पारावार i

अंत कारण केते बिललाहे i

ता के अंत न पाए जाहे i

एहो अंत न जाणै कोए i

बहुता कहीऐ बहुता होए i

वडा साहिब ऊचा थाओ i

ऊचे उपर ऊचा नाओ i

एवड ऊचा होवै कोए i

तिस ऊचे कओ जाणै सोए i

जेवड आप जाणै आप आप i

नानक नदरी करमी दात i२४i

बहुता करम लिखिआ ना जाए i

वडा दाता तेल न तमाए i

केते मंगहे जोध अपार i

केतेआ गणत नही वीचार i

केते खप तुटहे वेकार i

केते लै लै मुकर पाहे i

केते मूरख खाही खाहे i

केतेआ दूख भूख सद मार i

एहे भि दात तेरी दातार i

बंद खलासी भाणै होए i

होर आख न सकै कोए i

जे को खाएक आखण पाए i

ओहो जाणै जेतीआ मुहे खाए i

आपे जाणै आपे देए i

आखह सि भि केई केए i

जिस नो बखसे सिफत सालाह i

नानक पातसाही पातसाहो i२५i

अमुल गुण अमुल वापार i

अमुल वापारीए अमुल भंडार i

अमुल आवह अमुल लै जाहे i

अमुल भाए अमुला समाहे i

अमुल धरम अमुल दीबाण i

अमुल तुल अमुल परवाण i

अमुल बखसीस अमुल नीसाण i

अमुल करम अमुल फुरमाण i

अमुलो अमुल आखिआ न जाए i

आख आख रहे लिव लाए i

आखहे वेद पाठ पुराण i

आखहे पड़े करह वखिआण i

आखहे बरमे आखहे इंद i

आखहे गोपी तै गोविंद i

आखहे ईसर आखहे सिध i

आखहे केते कीते बुध i

आखहे दानव आखहे देव i

आखहे सुर नर मुन जन सेव i

केते आखहे आखण पाहे i

केते कह कह उठ उठ जाहे i

एते कीते होर करेहे i

ता आख न सकह केई केए i

जेवड भावै तेवड होए i

नानक जाणै साचा सोए i

जे को आखै बोलुविगाड़ i

ता लिखीऐ सिर गावारा गावार i२६i

सो दर केहा सो घर केहा जित बह सरब समाले i

वाजे नाद अनेक असंखा केते वावणहारे i

केते राग परी सिओ कहीअन केते गावणहारे i

गावह तुहनो पौण पाणी बैसंतर गावै राजा धरम दुआरे i

गावह चित गुपत लिख जाणह लिख लिख धरम वीचारे i

गावह ईसर बरमा देवी सोहन सदा सवारे i

गावह इंद इदासण बैठे देवतेआ दर नाले i

गावह सिध समाधी अंदर गावन साध विचारे i

गावन जती सती संतोखी गावह वीर करारे i

गावन पंडित पड़न रखीसर जुग जुग वेदा नाले i

गावहे मोहणीआ मन मोहन सुरगा मछ पयाले i

गावन रतन उपाए तेरे अठसठ तीरथ नाले i

गावहे जोध महाबल सूरा गावह खाणी चारे i

गावहे खंड मंडल वरभंडा कर कर रखे धारे i

सेई तुधनो गावह जो तु भावन रते तेरे भगत रसाले i

होर केते गावन से मै चित न आवन नानक क्या वीचारे i

सोई सोई सदा सच साहिब साचा साची नाई i

है भी होसी जाए न जासी रचना जिन रचाई i

रंगी रंगी भाती कर कर जिनसी माया जिन उपाई i

कर कर वेखै कीता आपणा जिव तिस दी वडिआई i

जो तिस भावै सोई करसी हुकम न करणा जाई i

सो पातसाहो साहा पातसाहिब नानक रहण रजाई i२७i

Jap Ji Sahib in Hindi Pauri 27-38

मुंदा संतोख सरम पत झोली ध्यान की करह बिभूत i

खिंथा काल कुआरी काया जुगत डंडा परतीत i

आई पंथी सगल जमाती मन जीतै जग जीत i

आदेस तिसै आदेस i

आद अनील अनाद अनाहत जुग जुग एको वेस i२८i

भुगत ज्ञान दया भंडारण घट घट वाजह नाद i

आप नाथ नाथी सभ जा की रिध सिध अवरा साद i

संजोग विजोग दुए कार चलावहे लेखे आवहे भाग i

आदेस तिसै आदेस i

आद अनील अनाद अनाहत जुग जुग एको वेस i२९i

एका माई जुगत विआई तेन चेले परवाण i

इक संसारी इक भंडारी इक लाए दीबाण i

जिव तिस भावै तिवै चलावै जिव होवै फुरमाण i

ओहो वेखै ओना नदर न आवै बहुता एहो विडाण i

आदेस तिसै आदेस i

आद अनील अनाद अनाहत जुग जुग एको वेस i३०i

आसण लोए लोए भंडार i

जो किछ पाया सु एका वार i

कर कर वेखै सिरजणहार i

नानक सचे की साची कार i

आदेस तिसै आदेस i

आद अनील अनाद अनाहत जुग जुग एको वेस i३१i

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This post was last modified on September 6, 2023

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