jivashm kise kahate hain udaharan sahit samjhaie जीवाश्म किसे कहते हैं जीवाश्म का नाम तो आपने बहुत बार सुना ही होगा । और टीवी और अखबारों के अंदर जीवाश्म की खोजों के बारे मे देखा ही होगा । जीवाश्म खोजा गया है वह इतने साल पुराना है। और वैसे भी अब तक कई प्राचीन जीवों के जीवाश्म खोजे जा चुके हैं। पृथ्वी पर किसी समय रहने वाले जीवों के अवशेष को जीवाश्म कहा जाता है या चट्टानों के अंदर उनकी छाप को ही जीवाश्म के नाम से जाना जाता है।और आपको बतादें जीवाश्म के अंदर कार्बनिक विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। और जीवाश्मों का अध्ययन करने वाली विज्ञान की शाखा को पैलेन्टोलॉजी के नाम से जाना जाता है।
इस धरती का विकास करोड़ों साल पहले हो चुका था और तब से लेकर अब तक इसके उपर न जाने कितने जीव पैदा हुए और मर गए । उनमे से कुछ के अवशेष आज भी यदा कदा वैज्ञानिकों को मिल जाते हैं। जिससे वैज्ञानिक इस बात का अनुमान लगाते हैं कि धरती पर किस तरह से जीवों का विकास हुआ होगा । इसी तरह से इंसान की भी कई सारी प्रजातियां आई और चली गई । लेकिन यह बात उन प्राचीन प्रजातियों के जीवाश्म से ही पता चलता है। और यह बात भी पता चलती है कि जीवों के अंदर निरंतर बदलाव हो रहा है। हम उसको प्राचीन जीवाश्मों से ही देख सकते हैं। जैसे जीराफ की गर्दन का लंबा होना ।
अब तक हमने jivashm kise kahate hain के बारे मे विस्तार से जाना अब हम आपको दुनिया के अंदर मिले कुछ मसहूर जीवाश्म के बारे मे बताने वाले हैं तो आइए जानते हैं। दुनिया के अंदर मिले मशहूर जीवाश्म के बारे मे ।
Table of Contents
सबसे पुराना ज्ञात जीवाश्म
यदि हम दुनिया के सबसे पुराने ज्ञात जीवाश्म की बात करें तो यह ग्रीनलैंड में 3.7 अरब साल पुरानी चट्टानों में स्ट्रोमेटोलाइट्स के रूप में जाने जाने वाले प्राचीन बैक्टीरिया की कोलोनियां के रूपमे खोजा गया था। और धरती पर जीवन लगभग 4 अरब साल पहले शूरू हुआ था तो इससे यह पता चलता है कि यह धरती के सबसे पुराने और ज्ञात जीवाश्म हैं।
सबसे पुरानी ज्ञात मछली: मेटास्प्रिगिना
दोस्तों कनाड़ा के अंदर यह जीवाश्म मिला है। और इसके बारे मे वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि यह 505 मिलियन वर्ष पुराना जीवाश्म है। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।इसके बारे मे सन 2014 के अंदर नेचर पत्रिका ने एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की थी और इस मछली को देखने से पता चलता है कि उस समय भी मछली के जबड़े और आंख अच्छी तरह से विकसित हो चुके थे ।लेकिन उस समय की मछली के आज जैसी मछलियों की तरह के जबड़े नहीं थे ।
बहुकोशिकीय जीवन: 2,230 मिलियन वर्ष
चीन में 1.56 मिलियन वर्ष पुरानी चट्टानों में पाए जाने वाले ये शैवाल जैसे जीवाश्म कई कोशिकाओं द्वारा निर्मित जीवों के पहले ज्ञात उदाहरण हैं। और इससे यह पता चलता है कि बहुकोशिकिए जीवन की शूरूआत किस तरह से हुई होगी ?
सन 2016 ई के अंदर नेचर पत्रिका के अंदर इसके बारे मे लिखा गया था। और इससे पहले बहुकोशिकिए जीव की उत्पति के बारे मे कोई जीवाश्म नहीं था। यह बहुकोशिकिए जीवन की शूरूआत के बारे मे बताता है जोकि आज से 600 मिलियन साल पहले शूरू हो चुका था।
मेगालोसॉरस Megalosaurus
मेगालोसॉरस वैज्ञानिक साहित्य में वर्णित होने वाला पहला गैर एवियन डायनासोर हो सकता है। टैनटन लाइमस्टोन फॉर्मेशन से जीनस का सबसे पहला संभव जीवाश्म, एक फीमर का निचला हिस्सा था , जिसे 17 वीं शताब्दी में खोजा गया था। यह मूल रूप से रॉबर्ट प्लॉट द्वारा रोमन युद्ध हाथी की जांघ की हड्डी के रूप में वर्णित किया गया था।
हालांकि इस जीवाश्म के बारे मे बाद मे निष्कर्ष निकाला गया कि यह किसी विशाल मानव की हड्डी हो सकती है। लेकिन बाद मे वैज्ञानिकों ने कहा कि यह एक बड़े डायनासोर की हड्डी है जोकि डायनासोर के काफी पुराने जीवाश्म की हड्डी थी।
मोसासॉरस Mosasaurus
यह 18 वीं शताब्दी की बात है जब कुछ लोग एक विशाल जीवाश्म की हड्डी को एक यूरोप मे एक नदी के किनारे खोद रहे थे ।जॉर्जेस कुवियर ने इसको पहचाना था और यह एक विलुप्त प्रजाति है। जोकि इस धरती पर 60 से 76 मिलियन वर्ष पहले पैदा हुई और मर गई थी। यह बात है धरती पर इंसान के प्रकट होने से बहुत पहले की तो आप बात को अच्छी तरह से समझ सकते हैं। और आपको समझना भी चाहिए ।
Halszkaraptor
Halszkaraptor एक बतख के जैसा दिखने वाला डायनासोर था । जिसका 3डी अध्ययन किया गया तो पता चला कि उसके अंदर पक्षियों के समान कई तरह की विशेषताएं मौजूद हैं।2017 में वर्णित मंगोलिया से गैर-एवियन थेरोपोड डायनासोर की एक नई प्रजाति हल्स्ज़कारैप्टर एस्कुइली की भविष्यवाणी कोई भी नहीं कर सकता था।
यह एक इस प्रकार का डायनासोर था जो कि सबसे पहला जीवाश्म भी था जो जल के अंदर भी रह सकता था और भूमी के उपर भी चल सकता था। वह 71 और 75 मिलियन वर्ष पहले रहते थे।
लुसी, दुनिया में सबसे प्रसिद्ध जीवाश्म Lucy
लुसी एक मानव का जीवाश्म है। 3.22 और 3.18 मिलियन वर्ष का यह जीवाश्म माना जाता है।। यह 1974 में इथियोपिया के अफ़ार क्षेत्र में खोजा गया था। और यह चलने वाले इंसान का कंकाल है। इसके पास एक चिंपांजी जितना बड़ा दिमाग है। आप समझ सकते हैं। इसका मतलब यह है कि इंसानों के अंदर काफी पहले से ही दो पैरों पर चलने की क्षमता आ चुकी थी। इस होमिनिड के अवशेष वर्तमान में इथियोपिया की राजधानी अदीस अबाबा में एक तिजोरी में रखे गए हैं।
लूसी एक महिला का कंकाल है और इसके मौत के बारे मे भी वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था लेकिन अभी भी सही सही यह पता नहीं चल पाया है कि लूसी की मौत किस वजह से हुई होगी । हालांकि इसकी हडियों का 40 फीसदी हिस्सा सेफ है। और यह अनुमान लगाया गया कि इसकी मौत पेड़ से गिरने की वजह से हुई थी।
हालांकि यह भी कहा गया था कि लुसी की जब मौत हुई तो वह एक युवा महिला रही होगी । उसके हडियों पर किसी मांसहारी जीव के दांतों के निशान भी हैं लेकिन इससे यह साबित नहीं होता है कि किसी जीव ने उसको मारा होगा ।
Iguanodon
इगुआनोडोन लगभग 130 से 120 मिलियन वर्ष पहले क्रेटेशियस काल की शुरुआत में रहता था ।और इसकी खोज सन 1820 ई के अंदर की गई थी। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।हालांकि पहले कुछ वैज्ञानिकों ने यह माना था कि यह हडियां गैंडे की हैं लेकिन बाद मे यह पता चला कि यह डायनासोर की हडियां हैं।
Hadrosaurus
Hadrosaurus अमेरिका के अंदर खोजा गया सबसे पहला पूर्ण डायनासोर जीवाश्म था।यह प्रजाति जो लगभग 80 मिलियन साल पहले कैंपानिया में रहती थी, जो अब उत्तरी अमेरिका है।यह जीवाश्म अमेरिका के पूर्व तट के उपर खोजा गया था इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
दुनिया का सबसे अच्छी स्थिति का जीवाश्म
दोस्तों बोरेलोपेल्टा मार्क मिशेल जोकि लगभग 110 मिलियन साल पहले कनाड़ा के अंदर निवास करता था।इसका वजन 1.2 टन था और यह काफी समय तक पानी के उपर तैरता रहा बाद मे इसको खोजा गया यह जीवाश्म काफी अच्छी स्थिति मे हैं। जिसकी मदद से डायनासोर की संरचना का बहुत ही आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। इस तरह से इस जीवाश्म के बारे मे आप जान सकते हैं।
The child of Turkana
The child of Turkana अब तक का खोजा गया सबसे पुराना कंकाल है। और यह कंकाल 1.6 मिलियन वर्ष पुराना है। हालांकि इसके और सभी भाग पूर्ण हैं लेकिन इसका हाथ नहीं है। केन्या के तुर्काना क्षेत्र में 1984 में खोजा गया लड़का, 160 सेंटीमीटर मापता है, यह दर्शाता है कि 3.2 मिलियन साल पहले लुसी के दिनों से होमिनिड्स काफी लंबे हो गए थे। और इसके बारे मे यह कहा जाता है कि दांत के अंदर संक्रमण की वजह से बच्चे की मौत हुई थी।
दुनिया का सबसे पुराना फूल का पौधा
मोंटसेचिया विदाली एक फूल वाले पौधे का सबसे पुराना उदाहरण है। यह 130 मिलियन वर्ष पहले दलदलों में विकसित हुआ, जो अब स्पेन के पहाड़ी क्षेत्रों में मीठे पानी की झीलों में प्रचुर मात्रा में बिखरा हुआ है। इस तरह से पौधों के जीवाश्म भी हम इंसानों को प्राप्त हुए हैं।
पंखों वाले डायनासोर
दोस्तों यदि आपने डायनासोर की फिल्मों को देखा होगा तो आपको यह भी पता चला होगा कि डायनासोर के पंख होते थे और डायनासोर उन पंखों की मदद से खुद को संतुलित करने का काम करते थे । हालांकि यह उन पंखों की मदद से उड़ नहीं सकते थे । और खुद को हवा भी दे सकते थे । चीन में लियाओनिंग खदान में डायनासोर के इसी तरह के जीवाश्म मिले हैं जोकि पंखों वाले हैं। और वैज्ञानिक यह मानते हैं कि यह डायनासोर 120 मिलियन साल पुराने हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
प्राचीन चूहे का कंकाल
दोस्तों पहले से ही विलुप्त स्तनपायी प्रजातियों की यह प्रजाति 17 सेंटीमीटर मापी गई और इसका वजन 80 ग्राम था।यह चूहा जो है वह 160 मिलियन साल पहले उस क्षेत्र के अंदर रहता था जिस क्षेत्र के अंदर आज चीन है।यह चूहा इंसानों की तरह सर्वाहरी हुआ करता था। यह पेड़ पौधों को खा सकता था इसके अलावा यह चूहा मांस का भी सेवन करता था इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । यह मरे हुए जानवरों के मांस का सेवन कर लिया करता था।
मानव जीवाश्मों का सबसे बड़ा भंडार
400,000 वर्ष से अधिक पुराना, सिमा डे लॉस ह्यूसॉस इतिहास में मानव जीवाश्मों का सबसे बड़ा भंडार है। 1976 में पहले मानव जीवाश्म पाए गए थे, लेकिन यह कल्पना करना कठिन था कि बड़ी मात्रा में जीवाश्म विज्ञान सामग्री जो उनके तलछट में दबी हुई थी। और यहां पर 40 वर्षों तक खुदाई करी गई थी लेकिन अभी भी इंसानों के यहां पर इतने जीवाश्म मौजूद हैं जिनको अभी भी नहीं निकाला जा सकता है। इतने जीवाश्म यहां पर कैसे आए ? इसके बारे मे अभी भी कुछ सही सही ज्ञात नहीं है।
एसिलिसॉरस
यह वास्तव मे एक तरह से डायनासोर नहीं थे लेकिन सिरीसृप हुआ करते थे जिससे कि डायनासोर विकसित हुए थे ।एसिलिसॉरस 240 मिलियन वर्ष पहले ट्राइसिक काल की शुरुआत में रहते थे।मतलब यही है कि डायनासोर का विकास इनसे ही हुआ था। और बाद मे इसी से धीरे धीरे नये डायनासोर का विकास होता चला गया । असल मे यह प्रजाति जब आई थी तब हम थे ही नहीं और थे भी तो यह पता नहीं कि किस रूप मे मौजूद थे । आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
जीवाश्म कहां पर मिलते हैं। जरा इसके बारे मे बताएं
आपको बतादें कि जीवाश्म मुख्य रूप से चट्टानों के अंदर पाये जाते हैं। इसके अलावा जीवाश्म बर्फ और तेल के अंदर भी मिलें हैं।इसके अलावा जो पौधों के जीवाश्म होते हैं वे झील दलदल और समुद्र के पास बनी चट्टानों के अंदर देखने को मिलते हैं। और जब बाढ़ आती है तो उससे दबकर जो जीव मर जाते हैं वे नीचे दब जाते हैं। उनके शरीर का नरम हिस्सा को तो दूसरे जानवर खा जाते हैं। तो उनकी जो हडियां होती हैं वे जीवाश्म के रूप मे हमें मिलती हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।इसके अलावा कई बार खोज कर्ताओं को जीवाश्म तो नहीं मिलते हैं लेकिन रेत से रेंगकर चलने वाले जीवों के पद चिन्ह आसानी से मिल जाते हैं आपको पता होना चाहिए ।जैस की गोबर आदि इनको जीवाश्म के अंदर नहीं गिना जाता है क्योंकि इनके अंदर जैविक अंश नहीं होता है।
जीवाश्म कैसे बनते हैं इसके बारे मे बताएं ?
दोस्तों आपको पता होना चाहिए कि जीवाश्म बनने की जो प्रक्रिया होती है वह सदैव ही चलती ही रहती है। जीवाश्म ज्यादातर प्राणी के किसी एक भाग के बनते हैं। और यदि प्राणी का पूरा भाग रेत के अंदर बिना कवक और जीवाणू के संपर्क मे आये हुए दब गया है तो वह जीवाश्म बन जाता है। हालांकि जीवाश्म को बनने मे काफी अधिक समय लगता है इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।अधिक ठंड का होना ऑक्सीजन का नहीं होना पदार्थ के विघटन को रोक देते हैं और उसके बाद पदार्थ पर किचड़ और बालू जमा हो जाती है।और इस तरह की जो प्रक्रिया होती है वह जलाशयों की तली के अंदर ही होती है। हालांकि कभी कभी बाढ़ की वजह से भी इस तरह के जीवाश्म बन जाते हैं। आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।उसके बाद कोशिकाओं का जो जैविक द्रव्य होता है वह नष्ट हो जाता है।और उसके बाद नरम कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैंऔर अधिक दबाव की वजह से कोशिकाओं के बीच जो रिक्त स्थान होता है वह भर जाता है। इस तरह से जीवाश्म बन जाते हैं। तो अब आपको पता चल ही गया होगा कि जीवाश्म किस तरह से बनते हैं।
जीवाश्म कितने प्रकार के होते हैं इसके बारे मे बताएं
दोस्तों जीवाश्म कई प्रकार के होते हैं तो आइए हम आपको जीवाश्म के अलग अलग प्रकार के बारे मे विस्तार से बताने वाले हैं तो आइए जानते हैं जीवाश्म के प्रकार के बारे मे ।
जीवाश्म के प्रकार इम्प्रेशन
इस प्रकार के जो जीवाश्म होते हैं वे जैविक नमूनों की छाप मात्र होते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए । यह जो जीवाश्म होते हैं यह आमतौर पर किसी गिली मिट्टी पर गिरता है और उसके बाद उपर भी मिट्टी जमा हो जाती है। और यह मिट्टी चट्टान के अंदर बदल जाती है। इस प्रकार की चट्टान को तोड़ा जाता है तो एक जीव की आकृति की छाप अच्छी तरह से दिखाई देती है। यहां पर जैविक नमूने भी आसानी से देखे जा सकते हैं। इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
इन्क्रेस्टेशन जीवाश्म के प्रकार
इसके अंदर होता यह है कि जैविक नमूने का पूरा या कुछ भाग रेत के अंदर दब जाता है। और इस नमूने के चारो ओर मिट्टी काफी अधिक कड़ी हो जाती है।और नमूना विघटित होकर अपनी आकृति का खोखला सांचा छोड़ देता है।और फिर यह खाली भाग चट्टान का निर्माण करने वाले पदार्थों से भर जाता है।
अब यदि चट्टान के उपरी हिस्से को अलग किया जाता है तो फिर उस जीवन की आकृति प्राप्त हो जाती है। और इससे देखकर यह पता चलती है कि जैसे कि उस जीव की आकृति को चट्टान पर उकेरा गया है।
कम्प्रेशन
यह बहुत ही सामान्य प्रकार का जीवाश्म होता है। इसके अंदर चट्टान की दो परतों के बीच पौधे के फल पूष्प और तने दब जाते हैं। और इस प्रक्रिया की मदद से ही कोयले का निर्माण हुआ है। आपको बतादें कि विशाल पेड़ों के जमीन मे दब जाने की वजह से ही कोयले का निर्माण हुआ है। आपको इसके बारे मे आपको अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक फुट कोयले का निर्माण 15 फुट चौड़ी लकड़ी के जमीन मे दब जाने की वजह से हुआ है। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि इतने सारे कोयले का निर्माण होने मे धरती के अंदर कितना पदाप दब गया होगा ।
पेट्रीफैक्सन
पैट्रीफैक्सन की मदद से ही जीवाश्म के आंतरिक संरचना का ठीक तरह से अध्ययन हो चुका है। आपको पता होना चाहिए ।और इसके अंदर जीवाश्म काफी अधिक सुरक्षित तरीके से मिलते हैं और इसमे कार्बनिक पदार्थ भी जीवाश्म के साथ मिल जाते हैं।हालांकि इस तरह के जीवाश्म का मिलना काफी दुर्लभ होता है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
इसके बनने की प्रक्रिया के अंदर कॉर्बानेट फास्फेट सिलिकेट आदि का रिसाव किचड़ के चारो ओर होता है।जैविक नमूनों के अंदर रसायनों के जम जाने से सब कुछ पत्थर सा दिखाई देने लग जाता है। और इसको काट कर देखने पर आंतरिक संरचना दिखाई देने लग जाती है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । इस विधि की मदद से गोल गोल जीवाश्मों का निर्माण भी होता है। और इसको गोल गेंद कहते हैं। इसका आकार आमतौर पर एक मीटर तक हो सकता है।
ममी
ममी भी जीवाश्म का एक प्रकार होता है। जब किसी जीवाश्म का संरक्षण अंबर तेल या फिर बर्फ के अंदर हुआ हो तो उसको ममी के नाम से जाना जाता है। और आपने यह नाम अच्छी तरह से सुना भी होगा ।जब कोई जीव मर जाता है और बाद मे बर्फ के अंदर दब जाता है तो उसके अंदर का जल बर्फ मे अवशोषित हो जाता है और वह पूरी तरह से सुरक्षित अवस्था के अंदर मिल जाता है। आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से पता होना चाहिए । यह ठीक वैसे ही है जैसे कि आप फ्रीज के अंदर कम तापमान मे कोई वस्तु रखते हैं तो वह सुरक्षित रहती है।
इसके अलावा यदि प्राकृतिक तेल के अंदर कोई जीवाश्म दब जाता है तो वह भी पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।और रेजीन के पेड़ों के काटे जाने से एक पदार्थ निकलता है जिसकी वजह से भी जीवाश्म सुरक्षित रहते हैं।
दोस्तो रेजिन जो होता है वह प्राचीन काल के अनेक वृक्षों से निकलता था। और जब यही रेजीन जब जाता था तो उसको अंबर के नाम से जाना जाता है।जब कोई जीव किसी रेजिन के पेड़ की छाल के कुछ हिस्से को काट लेता था या फिर उसकी टहनियां टूट जाती थी तो रेजीन उससे निकलने लग जाता था।
जब यह रेजीन किसी कीट या छोटे से जीव के उपर गिर जाता था तो वह पूरी तरह से इसके अंदर बंद हो जाता था। और बाद मे यह कड़ा हो जाता था। और यह एक प्रकार के जीवाश्म का निर्माण कर लेता था। इस प्रकार के रेजीन से बनने वाले जीवाश्म किसी भी तरह से नष्ट नहीं होते थे । और यह लाखों साल तक ऐसे ही बने रहते थे जोकि अपने आप मे एक बहुत ही अच्छी बात है। आप इसको समझ सकते हैं।
जैसे कि एक मूवी के अंदर दिखाया गया है कि एक रेजीन के अंदर एक इस प्रकार का कीट बंद था जोकि करोड़ों साल पहले डायनासोर का खून चूसने का काम करता था। इस तरह से उस समय की स्थितियों को समझने मे काफी मदद मिलती है।
रासायनिक जीवाश्म
रासायनिक जीवाश्म आमतौर पर वे जीवाश्म होते हैं जोकि रसायन के रूप मे होते हैं।जैसे कि अमीनो अम्ल स्टेरायड क्लोरोफिल आदि के रूप मे जो जैविक नमूने मिलते हैं वे रासायनिक जीवाश्म के नाम से जाने जाते हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
जैसे कि पैट्रोलियम के अंदर भी जैविक जीवाश्म पाये गए हैं जिससे यह पता चलता है कि यह पादपों से बना है। इसी तरह से रसायनिक जीवाश्म पाये जाते हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।
जीवाश्म को किस तरह से प्राप्त किया जाता है
दोस्तों जीवाश्म आमतौर पर धरती की नीचली परतों के अंदर दबे होते हैं। क्योंकि जो धरती की नीचली परते होती हैं वह पले की तुलना मे काफी अधिक पुरानी होती हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।आमतौर पर बाढ़ आने भू संकलन और मानविय गतिविधियों की मदद से आसानी से जीवाश्म प्राप्त हो सकते हैं। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए ।इसके अलावा यदि कोई जीवाश्म चट्टानों के बीच दब गया है या दबा हुआ है तो उसको निकालना बहुत ही कठिन कार्य होता है। यह कोई आसान काम नहीं है। आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए । इसके लिए एक तो निकालने वाले मे धैर्य का गुण होना बहुत ही जरूरी होता है। यह एक तरह की कला होती है जिसको सिर्फ अनुभवी लोग ही कर सकते हैं।
चट्टानों के जीवाश्म के लिए आमतौर पर छैनी हथोड़े और एयर ब्लोवर और रसायनिक विधियां भी प्रयोग मे ली जाती हैं। आपको इसके बारे मे अच्छी तरह से पता होना चाहिए ।
जीवाश्म का महत्व
दोस्तों जीवाश्म अपने आप मे काफी महत्व रखने वाले होते हैं। जीवाश्म की मदद से किसी भी जीव या पादप के विकास क्रम के बारे मे जाना जा सकता है कि किस तरह से कोई जीव विकसित हुआ और उसके अंदर समय के साथ किस तरह से बदलाव आए ? इसके अलावा भविष्य के अंदर किस तरह के बदलाव आ सकते हैं ? इसके बारे मे विस्तार से जाना जा सकता है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।
इसके अलावा जीवाश्म की मदद से हम भविष्य के अंदर होने वाले बदलाव के बारे मे जान सकते हैं। जीवाश्म की मदद से ही तो यह पता चलता है कि आज से हजार साल पहले या फिर लाखों साल पहले धरती का वातावरण किस तरह का रहा होगा । इसके अलावा प्राचीन प्रजातियां किन कारणों से नष्ट हो गई होगी । इन सभी का पता जीवाश्म की मदद से ही चलता है आपको इसके बारे मे पता होना चाहिए और आप यह बात अच्छी तरह से समझ भी सकते हैं।
इसके अलावा जीवाश्म की मदद से ही हम यह पता लगाते हैं कि कौनसी पादप की प्रजाति का विकास किस तरह से हुआ था। इस तरह से जीवाश्म विकास क्रम को ठीक से समझने का एक तरीका है। हालांकि योगी कहते हैं कि धरती के अंदर जो कुछ भी घटित हुआ है वह हमारे अंदर मौजूद है।
वैसे डार्विन ने तो मात्र कुछ साल पहले कहा था कि जो अंग काम नहीं आते हैं विलुप्त हो जाते हैं। और जरूरत के अनुसार अंग विकसित होते हैं। लेकिन कई भारत के योगी हजारों साल पहले यह बात बता चुके हैं। लेकिन भारत की सुनने वाला कोई नहीं होता है।
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This post was last modified on May 22, 2022