jugnu raat mein kyu chamakta hai ,जुगनू रात्रि में क्यों चमकते हैं – बरसात के मौसम मे आपने रात के अंदर प्रकाश पैदा करने वाले जुगनू को तो देखा हीहोगा ।यह एक छोटा सा जीव होता है जोकि खुद ही प्रकाश पैदा करता है।यह कई रंग का प्रकाश पैदा करता है जैसे लाल पीला आदि। जुगनू की कई प्रजातियां भी पाई जाती हैं।
जुगनू बारी बारी से चमकता और बंद होता है।उसका इस प्रकार से चमकना मनमोहक लगता है।वैज्ञानिक राबर्ट ने 1667 ई के अदर कीटो से पैदा होने वाली रोशनी के बारे मेबता या था। जुगनू की कुछ प्रजातियां काफी अधिक रोशनी पैदा करती हैं।ऐसी प्रजातियां दक्षिणी अमेरिका के अंदर पाई जाती हैं।
कीटों की लगभग1000 प्रजातियां रोशनी पैदा करती हैं।जिनमे कुछ बैक्टिरिया कुछ मछलीयां और कुछ केकड़े भी आते हैं।लेकिन जुगनू सबसे अधिक लोक प्रिय है।
जुगनू निशाचरी होता है। इसके पीछे के कुछ हिस्सों के अंदर रोशनी पैदा होती है।नर जुगनूके पंख होते हैं।और यह उड़ सकता है किंतु मादा जुगनू के पंख नहीं होते हैं। वह एक स्थान पर बैठी रहती है। और नर की चमक को देखती रहती है। जुगनू पेड़ की छाल और जमीन के अंदर रहते हैं। इनका प्रमुख भोजन छोटे कीट और पंतगे होता है।
प्राचीन काल के अंदर लोग जूगनूओं को पकड़ कर एक डिब्बे के अंदर भर लेते थे और रात के अंदर इनकी रोशनी का प्रयोग कर खाना आदि बनाते थे क्योंकि उस समय लाईट की व्यवस्था तो थी नहीं ।
जुगनू कोल्ड लाइट का उत्पादन करते हैं।इसके अंदर पराबैंगनी आवृत्तियों नहीं होती है। यह रोशनी इनके पेट के नीचले हिस्से से उत्पादित होती है।यह रोशनी पीले, हरे या हल्के लाल रंग की हो सकती है, जिसमें तरंगदैर्ध्य 510 से 670 किमी किलोमीटर तक हो सकता है।जुगनू समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु के अंदर रहने वाले होते हैं। जबकि कई जूगनू की प्रजातियां दलदल के अंदर भी पाई जाती हैं।यूरेशिया और अन्य जगहों पर कुछ प्रजातियों को “ग्लोववर्म्स” कहा जाता है। उड़ने के मामले मे कुछ प्रजातियों के अंदर नर और मादा दोनो उड़ने की क्षमता रखते हैं।
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जुगनू रात में क्यों चमकता है jugnu raat me kyu chamakta hai
जूगनू के शरीर मे होने वाले रसायनिक क्रिया की वजह से प्रकाश पैदा होता है।प्रकाश पैदा करने वाली इस क्रिया को फास्फोरसेंस कहा जाता है। जुगनू के अंदर प्रकाश तीन पदार्थों पर निर्भर करताहै। लूसिफरीननामक कार्बनिकअम्ल दूसराएटीपी याअमानो ट्राईफास्फेटऔर तीसरालूसिफरेज नामकएंन्जाइम है।
जब लूसिफरीन अम्ल एटीपी के साथ क्रिया करता है तो ऐसा पदार्थ उत्पन्न होता है जोकि लूसीफरेज इंजाएम के साथ क्रिया करने पर प्रकाश उत्पन्न होता है। यदि लूसीफरेज एंजाइम की संरचना मे कुछ परिवर्तन कर दिया जाए तो विभिन्न रंग का प्रकाश उत्पन्न होता है।
जुगनू रात को क्यों चमकते हैं जुगनु दुनिया का सबसे अच्छा बल्ब है
आप घरों के अंदर जो बल्ब जलाते हैं। उसके अंदर ऊर्जा का 90 प्रतिशत केवल गर्मी के रूप मे निकलता है। और ऊर्जा का केवल 10 प्रतिशत ही प्रकाश के रूप मे पैदा होता है। जबकि बात करें जुगनू की तो जूगनु लाइट पैदा करने के दौरान हीट नहीं होता है। यदि वह ऐसे हीट होगातो जल जाएगा। जुगनू की सारी उर्जा प्रकाश पैदा करने मे खपत होती है।
जुगनू बायोलुमिनसेंट हैं
इसका मतलब है कि जुगनू एक ऐसा कीड़ा है जोकि जीवित ही प्रकाश पैदा करने मे सक्षम है। दुनिया के अंदर कुछ कीड़े ही ऐसे हैं। जोकि जीवित प्रकाश पैदा कर सकते हैं। जिनके अंदर बीटल और रेलरोड कीड़े आते हैं।यह अपने प्रकाश का प्रयोग शिकारियों को दूर रखने के लिए भी करते हैं।
लाइट सिग्नल से जुगनू एक दूसरे को ट्रेक कर सकते हैं
जुगनू अपने लाइट का प्रयोग केवल प्रकाश पैदा करने मे ही नहीं करते हैं। वरन वे इसकी मदद से अपने साथी को ट्रेक भी कर सकते हैं। अक्सर नर जुगनू मादाओं को संकेत देने के लिए एक विशेष पैटर्न को फलैश करते हैं।इससे मादाओं को यह पता चलता है कि वे कहां पर हैं? मतलब किस डाल पर या पेड़ के आस पास हैं।
जुगनू के चमकते हुए भाग को लालटेन कहा जाता है
जुगनू अपनी चमक को घटा और बढ़ा भी सकता है।तंत्रिका उत्तेजना और नाइट्रिक ऑक्साइड की मदद से वह अपनी चमक को नियंत्रित करता है।जुगनू की कई प्रजातियां अलग अलग रोशनी करती हैं। जैसे पीले-हरे से नारंगी ।
जुगनू लार्वा के रूप मे अपनी जिंदगी बिताते हैं
गर्मियों के अंत में मादाएं मिट्टी की सतह पर लगभग 100 अंड़े देती हैं।लार्वा तीन से चार सप्ताह में बाहर निकल जाता है। यह लार्वा हाइपोडर्मिक रणनिति का प्रयोग करके शिकार करते हैं।लार्वा कई हफ्तों के बाद अपने प्यूपा से व्यवस्कों के रूप मे निकलते हैं। वयस्क अवस्था के अंदर यह केवल एक या दो महिने ही रहते हैं। गर्मियों के अंदर संभोग के बाद अंडे देने और मरने से पहले यह प्रकाश को प्रदर्शित करते हैं।
जुगनू लार्वा मांसहारी होते हैं
जुगनू के लार्वा मांसाहारी शिकारी होते हैं। यह मांस खाना पसंद करते हैं। उनका पसंदीदा भोजन एस्केरगेट होता है। अधिकांश प्रजातियां नम वातावरण के अंदर रहती हैं। जहां पर वे मिट्टी के घोंघे या कीड़े खाते हैं। लेकिन कुछ एशियाई प्रजातियां पानी के अंदर सांस लेने के लिए गिल्स का उपयोग करती हैं।जलीय घोंघे या अन्य मॉलस्क खाती हैं.
इन जगहों पर हजारो जुगनू एक साथ चमकते हैं
एक बार क्या आपने कभी एक ऐसा नजारा देखा है। जब हजारों जुगनू कहीं पर एक साथ ही चमकते हों । इस क्रिया को बायोलुमिनेसिस कहा जाता है।दक्षिण पूर्व एशिया और ग्रेट स्मोकी पर्वत राष्ट्रीय उद्यान, इन जगहों पर हजारों जुगनू रात को एक साथ चमकते हैं।
दक्षिण पूर्व एशिया के अंदर जो जुगनूओं का शानदार नजारा देखने को मिलता है। यहां पर रात के अंदर हजारों जुगनू लयबद्व स्थिति के अंदर एक साथ चमकते हैं।अमेरिकी दक्षिणपूर्व में, ब्लू घोस्ट जुगनू रात को मादा की तलास के अंदर घूमते हैं। इन ब्लू जुगनू को देखने के लिए अप्रैल और जुलाई के बीच का समय काफी अच्छा होता है।
जुगनू रात में क्यों चमकता है जुगनू लूसिफ़ेरस चिकित्सा अनुसंधान मे प्रयोग होता है।
जुगनू के अंदर ल्यूसिफरेज का प्रयोग रोशनी का उत्पादन के लिए किया जाता है।ल्यूसिफरेज एक इंजाइम है जिसका प्रयोग रक्त के थक्कों का पता लगाने जीवित जीवों के अंदर हाइड्रोजन पराक्साइड का स्तर का पता लगाने मे किया जाता है।पेदिक वायरस कोशिकाओं को टैग करने मे भी किया जाता है।कुछ जुगनू अन्य प्रजाति के जुगनू को खाते हैं
फ़ोटोरिस मादा अन्य प्रजाति के जुगनू को अपना शिकार बनाती है।इसके लिए वह आक्रामक मिमिक्री नामक एक चाल का यूज करती है।जब एक अन्य जीनस का पुरूष जुगनू प्रकाश चमकाता है तो फ़ोटोरिस मादा पुरूष के फ्लैश पैटर्न के साथ जवाब देती है, जिसका मतलब यह होता है कि वह जिसे खोज रहा है वह वही है। उसके बाद नर जुगनू उसके पास जाता है तो फिर मादा का भोजन शूरू होता है।
प्रत्येक प्रजाति का एक विशिष्ट पेटर्न होता है jugnu raat me kyu chamakta hai
आपको बतादें की जुगनू की रह प्रजाति के प्रकाश का एक स्पेसल पेटर्न होता है। जिसकी मदद से जुगनी अपनी ही प्रजाति की मादा को अच्छे से पहचान पाते हैं। यह एक अच्छे मैच के लिए जरूरी भी होता है।
जब एक महिला उचित पैटर्न को नोटिस करती है तो वह एक प्रजाति विशेष के पैटर्न के अंदर जवाब देती है। जिससे दूसरे नर नोटिस करते हैं। यह संभोग का संकेत होता है।
जुगनू की संख्या तेजी से घट रही है
इस बात को हमने भी नोटिस किया है। पहले हम खेत वैगरह के अंदर रात को आते थे । तो कुछ जुगनू मिल भी जाते थे । लेकिन अब एक भी दिखना काफी मुश्किल होता है। प्रकाश प्रदूषण और कीटनासकों के प्रयोग से इनकी संख्या मे कमी आई है।
जुगनू दो कारणों से चमकते हैं
पहला कारण तो हम आपको बता चुके हैं कि जुगनू मादा को आकर्षित करने के लिए चमकते हैं। वहीं यह शिकारियों को चेतावनी देने के लिए भी चमकते हैं कि उनका रक्त विषाक्त है। और वे उनको नहीं खा सकते हैं।
अपने बगीचे के अंदर जुगनू कैसे आकर्षित करें
यदि आपके घर के अंदर एक बड़ा बगीचा है तो आप उसे जुगनूओं के अनुकूल बना सकते हैं। यदि वहां पर बहुत सारे जुगनू एकत्रित हो जाते हैं। तो रात के अंदर आपके घर का बगीचा काफी शानदार लगेगा । आप यह सब कैसे कर सकते हैं? आइए जानते हैं।
रसायनों का प्रयोग ना करें
आमतौर पर जुगनूओं की आबादी के पीछे कमी का कारण है कीड़े मारने वाले रसायनों का प्रयोग । जब आप इन रसायनों का प्रयोग करते हैं तो जुगनू के लार्वा जोकि जमीन के अंदर रहते हैं। वे भी मारे जाते हैं। इस वजह से आपके बगीचे के अंदर रसायनों का प्रयोग ना करें ।
रहने के लिए अच्छा स्थान प्रदान करें
जुगनू निशाचर होते हैं। इस वजह से उनको रहने के लिए अच्छा स्थान की व्यवस्था भी की जानी चाहिए। आप उनके लिए उंची घास या कम बड़े पौधों की व्यवस्था कर सकते हैं। फूलों वाले पौधे उनको ज्यादा पसंद हैं।
ज्यादा प्रकाश ना रखें
अमतौर पर जुगनू प्रकाश की मदद से अपना प्रजनन करते हैं। यदि जुगनू रहने वाले स्थान पर ज्यादा प्रकाश होगा तो यह जुगनू के लिए सही नहीं होगा । जुगनू इससे भ्रमित हो जाएंगे । और मादा को तलास करने मे समर्थ नहीं हो पाएंगे । जुगनू की आबादी घटने का यह एक बड़ा कारण है।
उनको एक जार मे ना भरें
बहुत से लोग जुगनू को एक जार के अंदर भर लेते हैं। और उसके बाद मजे लेते हैं। ऐसा ना करें क्योंकि ऐसा करने से उनकी आकस्मिक मृत्यु हो जाती है। इससे अच्छा होगा आप उनको स्वतंत्रता पूवर्क उड़ने दें ।
क्यों गायब हो रहे हैं जुगनू
दोस्तों मुझे अच्छी तरह से याद है । कई बार क्या होता था जब हम खेत से घर आते थे तो हमें जुगनू मिल जाया करते थे । क्योंकि यह आसानी से रात के अंदर चमकते थे तो कई बार हम इनको पकड़ लेते थे । लेकिन अब यह हाल हो चुका है कि जुगनू का मिलना ही काफी कठिन हो चुका है। इसका मतलब यह है कि जुगनू काफी तेजी से गायब होते जा रहे हैं ।यह सिर्फ भारत की ही बात नहीं है। वरन दुनिया के कई कौनों से जुगनू काफी तेजी से गायब होता जा रहा है इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
और वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर यह बात भी सामने आई है कि दुनिया के अंदर 40 फीसदी आबादी इनकी है और यह डायनासोर के युग से पहले के हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । लेकिन आपको बतादें कि इसके गायब होने के पीछे का सबसे बड़ा कारण है वातावरण के अंदर बदलाव का होना ।
जुगनू कोलियोप्टेरा समूह के लैंपिरिडी परिवार से संबंध रखते हैं. और इनकी 2000 से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं। दुनिया के लगभग हर हिस्से के अंदर पाये जाते हैं आपको बतादें कि भारत के अंदर तो यह बड़ी संख्या के अंदर पाई जाते थे लेकिन यह अब काफी तेजी से विलुप्त हो रहे हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए ।असल मे आपको बतादें कि जंहा पर यदि यह जुगनू चमकते हैं तो यह एक प्रकार का संकेत देते हैं इसका मतलब यह है कि वहां का वातावरण काफी अधिक शुद्ध है और वहां पर किसी भी तरह की अशुद्धता नहीं है। आप इस बात को समझ सकते हैं।
एक तरह से देखा जाए तो यह जीवन के संकेत होते हैं। यदि वातावरण दूषित होता है तो इसका मतलब यह है कि वहां पर यह जुगनू नहीं रहेंगे ।साल 2015 में नेचर कम्युनिकेशंस में एक लेख प्रकाशित हुआ था. इसमें कहा गया था कि स्विट्जरलैंड के कुछ वैज्ञानिकों ने जुगनुओं की प्रोटीन को एक कैंसर कोशिका से जोड़ा जिससे कि सकारात्मक परिणाम सामने आए । इसका मतलब यह है कि आपको यह जीव कैंसर जैसी बीमारी से बचा सकते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । और आप इस बात को समझ सकते हैं।
खत्म हो रहे हैं जुगनू तेजी से
दोस्तों आपको पता ही है कि इस धरती के अंदर रहने वाले दूसरे जीवों का इंसान ही सबसे बड़ा दुश्मन होता जा रहा है। जुगनू को रहने के लिए अधिक मात्रा के अंदर पेड़ पौधें की जरूरत होती है। लेकिन आपको पता ही है कि पेड़ पौधों को काफी तेजी से काटा जा रहा है।
और हर जगह पर लाइट ही लाइट है और इसका परिणाम यह हो रहा है कि जुगनू अंधे हो रहे हैं। इस तरह से धीरे धीरे यह समाप्त हो रहें हैं । एक तो इनका स्थान ही नहीं बचा है और दूसरा काफी तेजी से प्रदूषण के अंदर बढ़ोतरी हो रही है जिसकी वजह से यह मर रहे हैं।
अब नहीं दिखाई देते हैं वसंत मे जुगनू jugnu raat me kyu chamakta hai
दोस्तों एक वैज्ञानिक रिसर्च के अंदर कहा गया है कि वसंत के अंदर जुगनू दिखाई नहीं देते हैं। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए । वैज्ञानिक रिसर्च मे बताया कि वसंत मे जुगनू पीक पर होते हैं और यह काफी अधिक दिखते हैं क्योंकि इस समय नमी होती है लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है। इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए। इसका कारण यह है कि जुगनू अब नहीं बचे हैं। एक तो तेजी से वातावरण के अंदर गर्मी बढ़ रही है। ऐसी स्थिति के अंदर सिर्फ जुगनू ही नहीं और भी धरती पर रहने वाले दूसरे कीट और पतंगे विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके हैं।
साल 2016 में साइंस में प्रकाशित एक 12 साल तक चले रिसर्च रिपोर्ट में मे यह कहा गया है कि आने वाले दिनों मे यह हो सकता है कि जुगनू को सिर्फ किताबों के अंदर ही पढ़ा जाए और यह बस एक किताबी विषय ही बनकर रह जाए । क्योंकि यह काफी तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं।
नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, आने वाले 50 से 100 सालों में पृथ्वी पर मौजूद तमाम कीट पतंगों की 65 फीसद आबादी विलुप्त हो जाएगी। इसका मतलब यह है कि एक नये तरह का खतरा धरती पर आने वाला है। क्योंकि इस दुनिया के अंदर कीट पतंगों का भी काफी महत्व होता है।
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