गुस्सा ज्यादा आने के कारण jyada gussa aane ka kya karan hai के बारे मे हम बात करेंगे। दोस्तों गुस्सा बहुत ही बुरी चीज होती है। आज आप देख सकते हैं कि पूरी दुनिया के अंदर गुस्सा है। हम लोग इंसान होने के बाद भी जानवर हो चुके हैं। आज मुझे सही मायने मे कोई इंसान खोजने मे बड़ी समस्या हो रही है। इसका कारण यह है कि इंसान के काबू मे गुस्सा नहीं है वरन गुस्से के काबू मे इंसान हो गया । मुझे बहुत हंसी आती है कि जब खुद को बुद्विमान कहने वाला इंसान प्रक्रति के द्वारा वशीभूत कर लिया जाता है तो उसके अंदर और जानवर मे कोई फर्क नहीं होता है। जानवर विचारशील नहीं होता है। इसमे उसका दोष नहीं है।
आज आप अपने चारो ओर जिनते भी इंसान देख रहे हैं उनमे से अधिकतर जानवर हैं वे एक कम्प्यूटर प्रोग्राम की तरह काम कर रहे हैं। यदि आप उनको गाली दोगे तो वो आपको काट देंगे । मतलब एक विशेष क्रिया कि उनके अंदर प्रतिक्रिया सेट है। वे नहीं जानते हैं कि ऐसा है।
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कुछ समय पहले तक मैं भी इन्हीं जानवरों के अंदर आता था। उसके बाद मुझे यह एहसास हुआ की क्रोध मुझे काबू मैं कर रहा है तो मैंने उसको काबू मे कर लिया आज क्रोध तभी आता है जब मैं चाहता हूं । क्योंकि क्रोध का इस्तेमाल करना आना बेहद जरूरी है। यदि ऐसा नहीं होगा तो यह विनाश का कारण बनेगा ।
यह ठीक ऐसा है जैसे आप गाड़ी के अंदर बैठ गए हैं और वो गाड़ी आपको चलानी ही नहीं आती हो तो आप जान सकते हैं कि क्या हो सकता है ?
वैसे गुस्सा शांत करने की कोई दवा नहीं है । लेकिन यदि आप गुस्से को शांत करने के लिए कुछ उपाय करते हैं तो गुस्सा दूर हो सकता है हालांकि गुस्से को पूरी तरह से दिमाग से हटाने के लिए एक लंबा अभियास भी करना होता है।
सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि गुस्सा क्या होता है।दरसअल यह एक प्रकार का मनोभाव होता है जिसके अंदर हम किसी कार्य के प्रतिआक्रमक हो जाते हैं। हमारे शरीर या मन की आक्रमकता ही गुस्सा कहलाती है। गुस्सा पैदा होने के कारणों की बात करें तो इसके पीछे बहुत सारे कारण होते हैं।जिनके बारे मे हम यहां पर चर्चा करेंगे यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गुस्से के लिए जिम्मेदार होते हैं। कुछ कारण गुस्से की उत्पति के लिए होते हैं तो कुछ गुस्से को ट्रिगर करने के लिए होते हैं। इन दोनों के अंदर बहुत अधिक फर्क होता है। ट्रिगर कारण वे होते हैं जो अंदर पड़े गुस्से को बाहर निकाल देते हैं और उत्पति कारण प्राक्रतिक रूप से विकसित होते हैं।
Table of Contents
1.gussa aane ka kya karan hai प्रक्रति मे गुस्से की उत्पति की प्रक्रिया ?
दोस्तों आपको बतादें कि इस भौतिक शरीर के निर्माण मे अरबों साल लगे हैं । और इतनी अरबों सालों के अंदर हमने अरबों शरीर को धारण किया है। जैसे कि हम कभी कीड़े हुआ करते थे तो कभी कोई और जानवर हुआ करते थे । मानलिजिए किसी जन्म के अंदर हम हिरण थे और दूसरे हिरण के साथ हमारा भोजन को लेकर झगड़ा हुआ तो हम आक्रमक हो गए और इसी प्रकार से उस जन्म के अंदर हम कई बार आक्रमक हुए ।
इन सबकी यादें हमारे अंदर संचित हो गई। उसके बाद अगले जन्म मे हम एक मांस हारी भेडिया बने और मांस के लिए हिरणों का शिकार किया । उस समय हम बेहद आक्रमक थे । उस जीव की यादें भी हमारे अंदर संग्रहित हो चुकी हैं। इस प्रकार से एक शरीर को बदलते हुए हम इंसान तक पहुंचे । अब भले ही वे गुस्से की यादें हमको सीधे प्रभावित नहीं करती हैं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह हमको प्रभावित करती हैं।
यदि कोई इंसान पीछले जन्मों के अंदर काफी गुस्सेल रहा है तो वह इस जन्म मे भी अधिक गुस्सेल होगा । इस बात का तो मैं खुद ही परीक्षण कर चुका हूं । एक 2 साल की लड़की है। किसी ने उसको गुस्सा करना नहीं सीखाया लेकिन उसके बाद भी वह जबरदस्त गुस्सा करती है। इसके विपरित उतनी ही उम्र का दूसरा लड़का है।वह बिल्कुल गुस्सा नहीं करता है । तो दोस्तों गुस्से की उत्पति हमारे कर्म संस्कार से हुई है। यदि अब हम इसको नहीं बदलते हैं तो हमारे अगले जन्म के अंदर वह और अधिक ताकतवर होता जाएगा । जो लोग पूर्व जन्म को नहीं मानते हैं। उनको मैं यह कहना चाहता हूं कि पूर्व जन्म को अब वैज्ञानिक प्रूफ मिल चुका है। और कई किताबे अब इस विषय पर उपलब्ध हैं।
दोस्तों गुस्सा एक प्रकार का प्राक्रतिक गुण है और इस गुण का भी प्रक्रति के अंदर बहुत अधिक महत्व है। यदि शैर के पास गुस्सा नहीं होता है तो उसके अंदर आक्रमकता कैसे हो सकती है ? मतलब की गुस्सा एक तरह से जीवन के लिए काफी उपयोगी चीज थी।
2. gussa aane ka reason कर्मजनित संस्कार
दोस्तों ज्यादा गुस्सा आने का कारण कर्मजनित संस्कार भी होता है। और गुस्सा आने का सबसे बड़ा कारण यही होता है। कर्मजनित संस्कार का मतलब होता है कि हमारी वे यादे जो एक जन्म से दूसरे जन्म के अंदर जाती हैं। यदि हम एक जन्म के अंदर बहुत गुस्सेल होते हैं तो दूसरे जन्म के अंदर भी गुस्सेल ही होंगे ।उसके बाद हम अपने विवेक से गुस्से को काबू भी पा सकते हैं। आपने देखा होगा कि कुछ बच्चे जन्म 2 साल बाद ही बेहद गुस्सेल हो जाते हैं । इसका कारण वातावरण नहीं वरन कर्म जनित संस्कार होता है।हम पिछले कर्म को नहीं बदल सकते हैं।लेकिन जो वर्तमान है उसको बदलने की क्षमता हमारे पास है तो हमे गुस्से को कम करने के उपाय करने चाहिए ।
3.गुस्सा ज्यादा आने के कारण गुस्से पैदा करने वाला वातावरण
गुस्सा विकसित होने का एक बहुत बड़ा कारण यह कि गुस्सा पैदा करने वाला वातावरण । यदि आप छोटी उम्र के अंदर ही गुस्सा पैदा करने वाले वातारण मे रहते आ रहे हैं तो वैसी स्थिति के अंदर आप गुस्सैल हो ही जाएंगे । जैसे एक बच्चा ऐसे माहौल के अंदर रहता है जहां पर बार बार उसकी खाने पीने की चीजों को दूसरे बच्चे हड़पलेते हैं तो ऐसी स्थिति के अंदर वह बच्चा इसका प्रतिरोध करेगा और सकारात्मक परिणाम मिलने पर उसके अंदर एक तरह की आक्रमकता विकसित हो जाएगी और बाद मे वह गुस्सा बन जाएगी । यदि फिर कोई उसकी चीजों को चुराएगा तो फिर वह गुस्सा करेगा ।
बहुत से माता पिता इस प्रकार के मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे मे जानते नहीं हैं। गुस्सा करने का सबसे बड़ा कारण यह होता है कि हम किसी कार्य को रोकना चाहते हैं और जब वह नहीं रूकता है तो गुस्सा करते हैं।
4.गुस्सा ज्यादा आने के कारण आक्रमकता के साथ सकारात्मक संबंध
क्रोध पैदा होने का सबसे बड़ा कारण है यही है। यदि आप आक्रमकता के साथ सकारात्मक संबंध बना देंगे तो क्रोध बहुत अधिक बढ़ जाएगा । बहुत से लोग यह चीज अनजाने के अंदर करते चले जाते हैं। जिसका परिणाम बाद मे उनको मिलता है लेकिन फिर भी वे नहीं समझ पाते हैं कि यह सब क्या हो रहा है।
मतलब यह है कि आप अपने बच्चे की जिद को जब बार बार पूरा करते हैं तो वह क्रोध को विकसित करने का कारण बन जाता है। आप इसे नहीं जानते हैं। यहां पर हम एक रियल घटना का उल्लेख करना चाहेंगे जो हमारे ही गांव की है।
इस लड़के का नाम नरेंद्र था। बचपन मे इसके माता पिता ने इसके उपर ध्यान नहीं दिया था। वह जब स्कूल जाता तो पैसा लेकर जाता था। पहले पहले तो वह बिना पैसा ही जाता था लेकिन बाद मैं जब पैसा मिलने लगा तो जिद पकड़ लिया । उसके कुछ दिन बाद जब घरवालों ने पैसा नहीं दिया तो रोने लगा ।
और जब भी पैसा नहीं मिलता वह रोने लग जाता । उसके बाद घरवाले उसे पैसा देदेते । फिर एक दिन उसकी मां के पास सचमुच पैसा नहीं था तो पैसा कहां से देती । ऐसी स्थिति के अंदर वह नरेन्द्र को मना कर देती है लेकिन नरेन्द्र बहुत रोता है और गुस्से के अंदर खुद की किताबें फाड़ डालता है। तो मां पड़ोसी से लाकर उसे पैसा देदेती है।इस तरह से नरेंद्र की माता ने ही उसकी आक्रमकता के साथ एक सकारात्मक चीज को जोड़ दिया । अब उसे पता है कि वह जब आक्रमक होगा या क्रोध करेगा तो उसे पैसा मिल जाएगा ।
यह 3 मुख्य रूप से गुस्सा पैदा करने के नेचुरल कारणों के अंदर आते हैं। इसके अलावा बहुत सारे कारण हैं जो गुस्से को ट्रिगर करते हैं यह अपने अंदर पड़े गुस्से को बाहर निकाल देते हैं।
5.संस्कारों के विकास पर ध्यान नहीं देना
दोस्तों क्रोध का विकास होने का एक बड़ा कारण यह है कि संस्कारों के विकास पर माता पिता ध्यान नहीं देते हैं। आज तो यह बहुत ही बेकार हो चुका है। माता पिता अपने बच्चे को को या तो बाई के सहारे छोड़ देते हैं या नौकर के सहारे और ऐसी स्थिति के अंदर उनका नौकर जैसा करता है बच्चे भी वैसा ही करते हैं। बच्चा कहां जाता है और क्या करता है ? इस बात से माता पिता को कोई लेना देना नहीं होता है।
वे तो पैसा कमाने मे मसगूल होते हैं।ऐसी स्थिति के अंदर कई बार बच्चा गलत संगति के अंदर भी पड़ जाता है तो जाहिर तौर पर वह गुस्सेल हो सकता है। और बच्चा एक कोरा कागज की तरह होता है उसे जो कुछ देखने को मिलता है वह उसे उसी तरीके से सीख लेता है।
6.गुस्से का जन्मदाता अहंकार
दोस्तों गुस्से का जन्म अहंकार की वजह से होता है। यदि आपके अंदर अहंकार है तो आपको गुस्सा आएगा ही । खैर जब कोई हमको गाली देता है तो वह हमारे अंहकार के उपर चोट करता है तो हमे गुस्सा आता है। अहंकार का मतलब होता है कि हम दूसरो से अच्छे हैं दूसरों से बेहतर हैं ।खुद की शान शौकत पर नाज होना या खुद पर गर्व होना । खैर अहंकार एक बहुत ही गहरी चीज होती है। और आज लगभग हर इंसान के अंदर अहंकार मिल ही जाएगा । किसी को यदि आप ओछा बोलकर देखोगे तो उसे गुस्सा आ जाएगा ।हालांकि हर प्रकार के गुस्से का कारण अहंकार नहीं होता है।लेकिन अधिकर लड़ाई और झगड़े अहंकार की वजह से ही होते हैं।
जैसे एक इंसान को अपने पद पर गर्व है ।उसे पद का बहुत अधिक घमंड है और कोई दूसरा इंसान उसके पद के बारे मे कोई बुरा बोल देता है तो फिर वह उसे सहन नहीं कर पाता है और गुस्सा करने लग जाता है।यदि उसे अपने पद का घमंड नहीं होता है तो फिर वह कभी भी गुस्सा नहीं करेगा । क्योंकि उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ेगा ।
7.चिड़चिड़ापन
दोस्तों गुस्से को ट्रिगर करने का काम चिड़चिड़ापन भी करता है।जिस इंसान के अंदर चिड़चिड़ापन रहता है उस इंसान को गुस्सा अधिक आता है। चिड़चिड़ापन के विकास होने के पीछे कई सारे कारण होते हैं। जैसे यदि कोई किसी प्रकार के दबाव मे हो तो उसके अंदर चिड़चिड़ापन विकसित हो सकता है। और उसके बाद वह गुस्सा करने लगता है।
एक महिला ने अपने पति के बारे मे शिकायत करते हुए लिखा उसका पति काफी दिनों से चिड़चिड़ा रहता था। इसका कारण यह था कि उसका बोस उसके उपर बहुत अधिक दबाव डालता था। और जब वह खुद पति से बात करने की कोशिश करती तो पति चिल्लाने लगता था। इस प्रकार की समस्या का समाधान तभी हो सकता है जब किसी प्रकार का मानसिक दबाव को खत्म कर दिया जाए ।
8.खुद को सबसे बेस्ट सिद्व करने की मानसिकता
दोस्तों आज हर इंसान यह सिद्व करने मे लगा हुआ है कि वह दूसरों से बेस्ट है । और यदि वह सिद्व नहीं कर पाता है तो यह गुस्से का कारण बनता है। उसे अपने अंदर कमजोरी दिखती है जिसकी वजह से उसे इस बात पर गुस्सा आता है कि उसी के साथ ऐसा क्यों होता है।
मेरे सामने बहुत सारे ऐसे लोग आए हैं जो बहुत से मामलों मे खुद को बेस्ट सिद्व करने की कोशिश करते हैं हालांकि वे बेस्ट होते नहीं हैं। ऐसी स्थिति के अंदर वे औंधे मुह गिरते हैं तो फिर भगवान को भला बुरा कहते हैं या दूसरों पर गुस्सा करते हैं। यह ठीक वैसा ही है जैसे आपको पानी मे तैरना नहीं आता लेकिन उसके बाद आप पानी मे कूद जाते हैं तो डूबना तय है।
9. गुस्सा आने के कारण मानसिक विकास मे कमी
दोस्तों कुछ लोगों का मानसिक विकास पूरी तरीके से नहीं होता है। और इस प्रकार के लोगों का उपचार भी नहीं किया जाता है । क्योंकि इस प्रकार की बीमारियों के बारे मे सही तरीके से पता ही नहीं होता है। यदि आप कम्प्यूटर के अंदर सही तरीके से प्रोग्रामिंग नहीं करोगे तो वह गलत तरीके से काम करेगा ।कुछ लोगों के अंदर सही निर्णय लेने की क्षमता ही नहीं होती है। इस प्रकार के लोग अपने विचारों को दूसरों पर थोपने का प्रयास करते हैं । ऐसी स्थिति के अंदर क्रोध पैदा होता है।यदि आप जानबूझ कर अपने विचारों को किसी दूसरे के उपर थोपोगे तो क्रोध तो पैदा होगा ही ।यदि आप मरना नहीं चाहते हो लेकिन यदि कोई आपको मारना चाहता है तो क्रोध पैदा होना तय है।
बहुत से लोग आज इस देश के अंदर मानसिक रूप से बीमार हैं।इतना ही नहीं आप चाइना को भी ले सकते हैं। बहुत से लोगों को यह लगता है कि वे जमीन पर कब्जा करलेंगे और आराम से रहने लग जाएंगे और इसके चलते मार काट करते हैं लेकिन उस जमीन को वे अपने साथ कभी नहीं ले जा पाएंगे ।
10.गुस्सा आने के क्या कारण है सुरक्षात्मक क्रोध
दोस्तों जो लोग बस अपने या किसी दूसरों की सुरक्षा करने के लिए क्रोध प्रकट करते हैं उसे सुरक्षात्मक क्रोध होता है। यह उनके अंदर से नहीं निकलता है। वरन यह बस दिखावा होता है।आम इंसान भी इस प्रकार का क्रोध करता है लेकिन यह उनका स्वाभाव होता है।भगवान क्रष्ण के अंदर क्रोध कहीं पर था ही नहीं उसके बाद भी उन्होंने ऐसा किया । यह बस मात्र एक दिखावा ही था। इससे ज्यादा कुछ नहीं ।
वैसे एक आम इंसान के लिए सुरक्षात्मक क्रोध बेहद ही आवश्यक होता है। यदि आप सुरक्षात्मक क्रोध नहीं करेंगे तो फिर दूसरे आपको खत्म करदेंगे या आपका फायदा उठाने लग जाएंगे । अपने प्रभुत्व को प्रकट करने के लिए यह बेहद ही आवश्यक हो जाता है।यदि आपने देखा हो तो एक बकरी भी कुत्ते से बचने के लिए क्रोध या गुस्से का सहारा लेती है और कई बार यह उसकी मदद से अपने जीवन को बचाने के लिए सहायक होती है।
11.स्वाभाविक आदत
दोस्तों आपको बतादें कि कुछ लोगों की आदत ही क्रोध करने की होती है। हालांकि इस प्रकार के लोग किसी घरेलू आदत का शिकार हो जाते हैं। इसी संबंध मे एक नरेंद्र नामक इंसान है जो टैम्पू चलाता है और उसकी आदत बार बार क्रोध करने की है।हालांकि यह दूसरे को लगता है कि वह क्रोध कर रहा है। अंदर से वह बिल्कुल ही शांत रहता है। इसका कारण यह है कि वह इसी प्रकार के वातावरण के अंदर पला हुआ है।
एक दिन मैंने उससे पूछ लिया कि उसे इतना अधिक क्रोध या गुस्सा क्यों आता है ? तो उसने कहा कि उसे गुस्सा बेहद ही कम आता है यह तो उसकी आदत है जिसको बहुत से लोग गुस्सा समझ लेते हैं।यदि आपके अंदर जोर जोर से बोलने की आदत है तो आपको यह आदत दूर करने का प्रयास करना चाहिए । और हमेशा दूसरों के सामने क्लीन होकर बात करना चाहिए ।
12.सहनशीलता की कमी
दोस्तों आजकल के लोगों के अंदर सहनशीलता की कमी भी देखी गई है। आज लोग बिल्कुल भी सहनशील नहीं हैं। यदि आप किसी भी छोटे से बच्चे को भी कुछ बुरा बोल दोगे तो वह भी गुस्सा और क्रोध करने लग जाएगा ।जिन इंसानों के पास सहनशीलता की कमी होती है उनको बहुत अधिक गुस्सा आता है। आप यदि अपने गुस्से को कम करना चाहते हैं तो आपको अपनी सहशीलता को बढ़ाना होगा ।
13.नसा करना
दोस्तों नसा करने वाला इंसान भी गुस्सेल होता है। इसका कारण यह है कि नसा हमारे दिमाग के उपर प्रभाव डालता है। जब कोई शराब पी लेता है तो वह पूरे तरीके से अनकंट्रोल हो जाता है। यदि आपने नसा करने वाले व्यक्तियों को देखा हो तो आपको पता होगा कि यह लोग नसा करने के बाद अपने घर के अंदर हंगामा करने लग जाते हैं । हमारे पड़ोस के अंदर एक इसी प्रकार का इंसान रहता है जो लगभग शराब के नसे के अंदर ही रहता है।
वह पूरे दिन गाली बकता रहता है । इतना ही नहीं अपनी पत्नी को मारता रहता है।और वही आदमी जब बिना शराब के होता है तो फिर जाबान ही नहीं खोलता है। हालांकि शराब पीने के बाद लोग अपने नीचे के लोगों को बहुत अधिक परेशान करते हैं।
14.नैतिक शिक्षा का अभाव
दोस्तों मुझे हंसी आती है भारत की सरकारों पर वह हम लोगों को बहुत सी किताबें पढ़ाती है लेकिन कोई भी किताब ऐसी नहीं है जो एक इंसान को इंसान बनने की शिक्षा देती है। नैतिक शिक्षा की कोई किताब नहीं होती है। जिसका परिणाम यह होता है कि हमको यह कभी नहीं पता चल पाता है क्रोध कब करना चाहिए ।
एक बच्चे को क्रोध के बारे मे सही सही जानकारी तब होती है जब वह लगभग 16 साल का हो जाता है और कुछ लोगों के अंदर तो क्रोध की समझ पूरे जीवन भर ही विकसित नहीं होती है।यदि हमें कोई नेतिक शिक्षा सही तरीके से देता है तो क्रोध को बहुत हद तक हम कंट्रोल करना सीख जाते हैं।
15.धार्मिक शिक्षा का अभाव
दोस्तों धार्मिक शिक्षा भी क्रोध को कम कर सकती है लेकिन आज के शिक्षा क्षेत्र के अंदर किसी भी प्रकार की धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाती है। और ऐसी स्थिति के अंदर क्रोध पैदा होने लग जाता है। आज लगभग हर व्यक्ति क्रोधी हो रहा है। दुनिया के अंदर आज तो अशांति है वह क्रोध के कारण ही तो है।क्रोध की वजह से इंसान पूरे तरीके से अंधा हो जाता है और उसके बाद किसी को मार देता है। कई बार मैंने देखा है कि पहले तो लोग क्रोध के वशीभूत होकर रेप कर देते हैं और जब उनको फांसी होने वाली होती है तो बैचेनी बढ़ जाती है।यदि उन्हीं इंसानों को धार्मिक शिक्षा दी गई होती तो फिर वे व्यक्ति कभी भी कोई गलत काम नहीं करते लेकिन ऐसा नहीं हो पाया ।
16.कैमिकल असंतुलन
दोस्तों शरीर के अंदर कई इस प्रकार के हार्मोन होते हैं जो गुस्से के लिए जिम्मेदार होते हैं। सेरोटोनिन हार्मोन के असंतुलन की वजह से भी गुस्सा आता है। कुछ लोगों को बार बार गुस्सा आता है।आपको बतादें कि हार्मोन असंतुलन की वजह से जो गुस्सा आता है वह अलग ही महसूस करवाने वाला होता है। हमे साफ तौर पर यह महसूस होता है कि हम शारीरिक रूप से गुस्सैल हो रहे हैं।
मतलब हमारे अंदर पहले उत्तेजना पैदा होती है और उसके बाद मानसिक रूप से गुस्सा आता है। यदि आपके अंदर यह स्थिति हो रही है तो फिर आपको एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श कर लेना चाहिए ।
17.अपनी गलती स्वीकार करने की आदत डालो
दोस्तों आज आप इस दुनिया के अंदर बहुत सारे लोग ऐसे देखते हैं जोकि अपनी गलती स्वीकार करने मे हिचकिचाते हैं। उनको यही लगता है कि वे गलत हो ही नहीं सकते हैं। इस प्रकार के लोग गुस्सैल किस्म के होते हैं। जब वे असफल होते हैं तो अपनी असफलता का दोष दूसरों को ही देते हैं। हमारे गांव के अंदर एक महेश नाम का लड़का है। वह पीछले 3 साल से नौकरी की तैयारी कर रहा है। और अभी तक उसका नंबर नहीं आया है।एक दिन जब उससे मैं मिला और पूछा कि इतनी साल हो जाने के बाद भी नौकरी का नंबर क्यों नहीं आया तो वह बोला कि सरकार ही बेकार है। भर्ति नहीं निकलती है। और वह खुद न जाने कितने कम्पीटिशन पैपर को देकर आ चुका है।
इसी तरीके से जब भी वह असफल होता है तो इसका दोष सरकार पर मंढ देता है और सरकार पर ही गुस्सा करने लग जाता है। वह एक ही इस प्रकार का नहीं है और भी बहुत सारे लोग मैंने देखें हैं जो खुद की गलती कभी मानते ही नहीं हैं।
18.माहौल का प्रभाव
दोस्तों यह बहुत अधिक प्रभावित करता है कि आप किस प्रकार के माहौल के अंदर रहते हो ।यदि आप अच्छे माहौल के अंदर रहते हो तो आप जाहिर तौर पर अच्छे बनोगे ही लेकिन यदि आप बुरे माहौल के अंदर रहते हो तो आप बुरे ही बनोगे ।
एक ओंकार नामक व्यक्ति है । जिसको मैं बेहद ही अच्छे तरीके से जानता हूं और उसका एक बेटा भी है। उस ओंकार की आदत है कि सारे दिन घर मे गालियां निकालना और गुस्सा करना । एक दिन मैं ऐसे ही उनके घर गया हुआ था तो मैंने देखा कि उसका बेटा जो 5 साल का है बेहद ही बुरी तरीके से गालियां निकाल रहा था।
मैंने पहली बार किसी ऐसे इंसान को देखा था जो इतना छोटा होने के बाद भी गालियां निकाल रहा था। यदि आपके घर का माहौल खराब रहा है तो आप गुस्से वाले इंसान बन जाओगे और आपको पता ही नहीं चलेगा ।
इसी तरीके से मैं जब एक कम्पनी के अंदर काम करने के लिए जाता था तो वहां पर एक मेरा साथी था जो अनपढ़ था और पूरे दिन गालियां निकालने का काम करता था। तो उसके साथ रहकर मैं भी वैसा ही हो गया । कहने का मतलब यही है कि कर्मसंस्कार का प्रभाव पड़ता है।
19.स्वछंदता
दोस्तों कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके उपर किसी भी प्रकार के प्रतिबंध नहीं होते हैं। शूरू से ही उनको स्वछंद रहना सीखाया जाता है। यही स्वछंद व्यक्ति आगे चलकर गुस्सेल बनते हैं। यदि आप अपने बच्चे को गुस्सा करने पर डांट देते हैं तो फिर वह गुस्सा नहीं करेगा और उसे इस बात का पता चल जाता है कि गुस्सा करने का कोई भी फायदा नहीं है।लेकिन जब गुस्सा करने पर इसी गुस्से को दबाने की बजाय हवा दी जाती है तो इसका परिणाम यह होता है कि वही व्यक्ति और अधिक गुस्सैल होता ही चला जाता है।समाज के अंदर संतुलन बनाए रखने के लिए गुस्से पर लगाम लगाना बहुत ही जरूरी होता है। विवेकहीन व्यक्ति सबसे अधिक गुस्सा करते हैं।
20.समझ की कमी
दोस्तों आपको बतादें कि समझ की कमी की वजह से भी गुस्सा पैदा होता है। कोई भी इंसान गुस्से को समझकर ही उससे अलग हो सकता है लेकिन आज ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो गुस्से को समझ पाते हैं।वरन अधिकतर लोग तो ऐसे हैं ,जो गुस्से के अधीन काम करते हैं वे गुस्से को काम मे लेना कभी नहीं जानते हैं। और यही वजह है उनका विनास होता है।यदि आप एक बार गुस्से की समझ को विकसित कर लेते हैं तो उसके बाद आप गुस्से को आसानी से दूर कर सकते हैं।
गुस्से को काम मे लेने वाला और गुस्से का गुलाम
प्राचीन काल के अंदर एक महान संत हिमालय के अंदर रहा करते थे । एक दिन उनके पास दो शिष्य आए और बोले कि महाराज आप हमे अपना शिष्य बनाकर ज्ञान प्रदान करें । संत ने दोनों को कहा कि आपको फिर कभी आना चाहिए ।वे लोग मान गए और वापस चले गए । उसके बाद फिर किसी दिन संत के पास आए और दुबारा बोले कि हे महाराज आप हमे अपना शिष्य स्वीकार करिए ।
तो महाराज ने कहा जाओ गुस्से को को सीखकर आओ । गुस्सा करने का तरीका तुमको सीखना है जो सफल हो जाएगा वही शिष्य बन पाएगा नहीं तो उसे फिर प्रयास करना होगा । क्योंकि अध्यात्म मे आपको गुस्सा ही नहीं हर चीज को सीखना होता है।
दोनो व्यक्ति चले गए और एक महिने के बाद वापस उसी संत के पास आए और बोले महात्मा हम गुस्से को सीखकर आ गए ।महात्मा ने एक लीला रची और एक तलवार लिए इंसान उन दोनों को मारने के लिए वहां पर आ गया ।महात्मा वहां से भाग गए । उसके बाद दोनों व्यक्तियों ने जब मौत को अपने सर पर देखी तो जिसने गुस्सा सीखा था।
वह बोला ……….. देखिए आप हमे मार सकते हैं लेकिन अभी हमे थोड़ा सा काम करना होगा ।
………ठीक है मैं आपको बाद मे मार दूंगा उस बुरे व्यक्ति ने कहा ।
———–तुम मुझे क्यों मारना चाहते हो और वह बेहद ही गुस्सेल हो गया और एक पत्थर उठाकर उस प्रेत पर मार डाला ।इतने मे प्रेत गायब हो गया और महात्मा प्रकट हुए और बोले कि
तुम लोगों मे से एक ही व्यक्ति ने गुस्से को सीख लिया है।और वह मेरे शिष्य बनने के योग्य है। जबकि पत्थर फेंकने वाले व्यक्ति को महात्मा ने कहा कि आप अभी भी अपने गुस्से के अधीन हैं। गुस्से को सीखना मतलब गुस्से को अपने अधीन कर लेना ।
गुस्सा ज्यादा आने के कारण ? लेख के अंदर हमनें यह जाना गुस्सा किस तरह का होता है। यह लेख आपको कैसा लगा नीचे कमेंट करके बताएं ।
This post was last modified on June 1, 2020