kabutar par shayari कबूतर पर शायरी के बारे मे हम आपको बता रहे हैं। दोस्तों यदि आपको कबूतर पर शायरी के बारे मे जानना है तो हम आपको यहां पर कुछ कबूतर पर शायरी आपको दे रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि आपको यह पसंद आएगा । यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमें बता सकते हैं। इस तरह से हम उम्मीद करते हैं कि कबूतर की शायरी आपको काफी अधिक पसंद आएगी । आप इस बात को समझ सकते हैं। और यही आपके लिए सही होगा । इसके बारे मे आपको पता होना चाहिए और आप इस बात को समझ सकते हैं।
कट गए न जाने कितने कबूतर कत्लखानों मे ,
दया नाम की कोई चीज नहीं इंसानों मे ।
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कबूतर कहता है ,
ऐ मुझे काटने वाले इंसान ,
एक दिन तुझे भी काटा जाएगा ,
गुमान ना कर अपनी शक्ति पर
एक दिन सब कुछ नष्ट हो जाएगा ।
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शौक रखते हैं इंसान मुझे ,
पिंजरे मे कैद करने का ,
कोई अधिकार ही नहीं है मुझे
खेद करने का ।
कौन देगा कबूतरों को इंसाफ ,
लेकिन चिंता मत करो ,
भगवान के पास है सबका हिसाब ।
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जिस पर हम बैठ नहीं सकते ,
क्या ही करें ऐसे चबूतरों का ,
इंसानों ने जीवन नर्क बना दिया
है बेचारे कबूतरों का ।
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कबूतर तेरा खत लेकर आता है ,
साथ मे वह तेरा प्यार हमें बताता है ,
कभी कभी लगता है कबूतर से प्रेम
तुझ से ज्यादा है।
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लोग हमे तकलीफ देते हैं ,
फिर भी किसी का बुरा हम नहीं करते ,
हम तो कबूतर हैं जनाब ,
हर किसी से सलाह मशवरा हम नहीं करते ।
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खत देना जरूरी था ,
कबूतर के साथ खत भेजना
हमारी भी मजबूरी था ,
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मौसम बदल गए ,
साल बदल गए ,
पर कबूतरों के हाल ,
आज भी नहीं बदले ।
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कबूतर को पता है घर तुम्हारा ,
वही है अब हमारे टूटे दिल का सहारा ।
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छत पर गूंज रही है कबूतर की आवाज ,
मन चाहता है उसे भगा दें ,
पर क्यों परेशान करें उसे आज ,।
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कौन कहता है कबूतर निराश नहीं होते ,
पर वह उनको कैसे समझ सकते हैं
जिसके दिल मे एहसास नहीं होते ,।
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अगर इंसान हो तो समझे दर्द हमारा ,
अगर इंसान के रूप मे भगवान हो ,
तो दिलादे हमें बंदिशों से छूटकारा
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जब अंधों की मंजिल होती है ,
तो कबूतरों की भी महफिल होती है ।
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इक दोस्त कबूतर है हमारा ,
जो हमे रोज देखने के लिए आता है ,
और एक तू है जो फोन भी नहीं करती ।
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चाहे मिल जाएं आसमां और धरती ,
फिर भी खुद से ज्यादा महोब्ब्त वह कबूतर से करती ।
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कुछ कबूतर भी शैतान होते हैं ,
पर जानवरों से कमीने तो इंसान होते हैं।
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हम कबूतर हैं जनाब ,
बिना वजह किसी को सताया नहीं करते ,
आपके घर मे घर है हमारा ,
यूं ही हम आपके घर आया नहीं करते ।
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बस अब कबूतरों का सहारा है इस अकेलेपन मे ,
दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है इस वन मे ।
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याद रखना कबूतरों मे भी जान होती है ,
दया करना उन पर भी ,
जो दया करते हैं उनकी जिदंगी महान होती है।
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कबूतरों का हम शिकार नहीं करते ,
अरे धड़कन तो उनमे भी है ,
यूं ही हम उनसे प्यार नहीं करते ।
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कबूतर वैसे तो प्रतीक है शांति का ,
आओ पक्षियों को बचाने के लिए ,
आहवान करते हैं क्रांति का ।
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कभी कभी कबूतरों को भी चढ़ जाता है इश्क का भूत ,
और दूसरे कबूतर बन जाते हैं इसके दूत ।
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कबूतरों को अपने दिल की बात बताया ना करो ,
हद से ज्यादा किसी को सताया ना करो ।
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हमारे दिल की रवानगी है उस कबूतरों से ,
मगर वो तो किसी और से इश्क लड़ा रहे हैं
हमे पता चला है सूत्रों से ।
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तेरी आंखें हैं कबूतर जैसी ,
महोब्बत मैं क्यों ना करूं ,
हमारी जिदंगी है तुमसे ,
और तू हमें चाहती ही नहीं है
तो मैं क्यों ना मरूं ।
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अगर कबूतरों ने भांप लिया होता ,
शिकारी के इरादों को ,
तो तड़पा तड़पा कर मारते राहमजादों को ।
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कबूतरों की तरह नैन मटकाती है तू ,
अगर हम से प्यार नहीं है तो बतादे
क्यों हमे इतना भटकाती है तू ।
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शीशे मे देखा कबूतरों ने
तो बहुत सुंदर दिखे ,
जब शिकारी ने देखा
तो वो लाखो मे बिके ।
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दिखने मे सफेद रंग के हैं वो ,
पर खिलाड़ी जंग के हैं वो ।
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चेहरे पर उमंग है ,
सफेद उनका रंग है ,
जीवन जीते हैं खुशी से
मौत भी उनको देखकर दंग है।
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पता नहीं चलता है वक्त का ,
बुरा हाल एक दिन उसका होगा ,
जो प्यासा हो कबूतरों के रक्त का ।
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छत पर हम तुम्हारी रहते हैं ,
हमारी भी सुन लिया करो कभी ,
हम भी अपनी कहानी कहते हैं।
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तेरे कबूतर संग आशकी हो गई ,
नाता जोड़ लेते हम तुमसे ,
ऐ कबूतरवाली बस बात विश्वास की हो गई ।
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उड़कर जाते हैं हम दूर तक ,
एक दिन इंसानों की खुद की ताकत
उनको खत्म कर देगी ,
जब बात आ जाएगी गरूर तक ।
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सितारों मे छुप नहीं सकते ,
लोगों के घरों मे रूक नहीं सकते ,
हम जाएं तो कहां जाएं,
जानते ही नहीं खुदा के बारे मे
तो उसके आगे झुक नहीं सकते ।
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पेड़ों को आपने काट दिया ,
जंगलों को आपने बांट दिया ,
हम तो कबूतर हैं जनाब
कहने गए तो हमें डांट दिया ।
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बेईमानी करने वाले इंसान ,
हमे सच्चाई का पाठ पढ़ाते हैं ,
हम कबूतर हैं कमीने इंसान नहीं ,
बस अपनी खाते हैं और अपनी बजाते हैं।
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कोई गुनाह नहीं है कबूतरों से प्यार करना ,
अच्छा नहीं है प्यार मे किसी का इंतजार करना ।
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हम तो ताक झांक करते हैं हर किसी के घरों मे ,
कभी कभी बीट भी कर देते हैं लोगों के सरों मे ।
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ऐ कबूतर लेजा मेरा भी इक प्रेम पत्र ,
ताकि समाप्त हो जाए दिल मे पड़ा
उसकी महोब्बत का सत्र ।
कबूतरों मे भी प्यार तो होता है ,
बस इंसानों की तरह इंतजार नहीं होता ।
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पंछी भी आसमां को छू नहीं पाए ,
महोब्बत तो छुप छुप कर हमसे वो
करते थे पर ढूंढ नहीं पाए ।
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करली अब हमने कबूतरों से दोस्ती ,
पर उसने कुछ नहीं कहा हमसे ,
वह तो आज भी खामोश थी ।
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दिल जले तो दिलवाले जले ,
आसियाना नहीं है हमारा कोई
हम तो रहते हैं कबूतरों तले ।
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जरूरत नहीं है हमे सम्मान की ,
हे खुदा कबूतर की जिदंगी से थक गए हैं हम
हमें देदो जिदंगी इंसान की ।
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कबूतरों का मिलन हमने देखा ,
दुनिया मे बेवफाई का चलन हमने देखा ।
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कबूतरों पर इतना जुल्म ना करो ,
तुम भी संभल जाओ कबूतरों ,
यह शौच खुले मे ना करो ।
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उंचि है उड़ान हमारी ,
फिर भी लुप्त हो रही है ,
पहचान हमारी ।
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बुद्धि सब पर भारी होती है ,
वरना कबूतरों के जैसी जिदंगी
सारी होती है।
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तेरा एहसास इस दिल मे करते हैं ,
बेइंतेहा महोब्बत तो हम ,
कबूतरों से करते हैं।
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अगर अकेलापन सताए तो कबूतर पाल लेना ,
अगर हम गिरे कहीं पर ,
तो तुम आकर हमे संभाल लेना ।
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पंख कट गए हमारे अब उड़ नहीं सकते ,
सच्चे प्रेमी हैं हम यार ,
यूं ही बिछुड़ नहीं सकते ।
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शैतान का भी घर होता है ,
कैसे सो सकते हैं चैन से हम ,
हमें तो बुद्धिमान इंसान का भी डर होता है।
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जो खुद को बुद्धिमान समझते हैं ,
वही कबूतरों के घर मे आने से
अपना अपमान समझते हैं।
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किसी के बेड लक नहीं हैं हम ,
खुद की नजरों मे सही हैं हम ।
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सोये हुए कबूतरों को जगाया नहीं करते ,
जिन कबूतरों के घोसलों मे अंडे हों ,
उनको सताया नहीं करते ।
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कबूतरों संग दिवानगी है मेरी ,
पक्षियों से प्यार करना इंसानगी है मेरी ।
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कितना भी भगाओ हमको ,
हम फिर आ जाएंगे ,
रहेंगे आपके ही घर मे ,
और फिर आपको सताएंगे ।
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मन करता है कबूतरों संग
आकाश मे उड़ जाउं ,
कोई अलग ना कर सके हम दोनों
इतना तेरे संग जुड़ जाउं ।
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तुम तो कबूतर हो सब जानते हो ,
अगर पत्थर मे भगवान है ही नहीं ,
तो फिर क्यों खुदा मानते हो ।
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खबर ना है शाम की और ना सुबह का ठिकाना है ,
मौसम की बात क्या करें ,
यह तो कबूतरों संग सुहाना है।
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घर तो हम भी बनाते हैं जनाब ,
पर इंसान कर देते हैं हमारे घर को खराब ।
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चैन की नींद हम कभी सोया नहीं करते ,
जिदंगी मे गम बहुत हैं ,
पर इंसानों की तरह हम रोया नहीं करते ।
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छोटे हैं तो क्या हुआ ,
खुदा ने हमको भी बनाया है ,
पर कमीने इंसानों ने हमको
बहुत सताया है।
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दुनिया तो हमारे बारे मे भला बुरा सोचती ,
फिर भी हम करते हैं इंसानों से दोस्ती ।
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तू है पुरानी शराब जैसी ,
कबूतरों के ख्वाब जैसी ,
पढ़लूं जिसको मैं खोलकर
प्यार की उस किताब जैसी ।
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आज कबूतरों ने भी नशा कर लिया ,
तेरे प्यार का ,
तेरे बिना क्या करेंगे इस संसार का ।
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पी नहीं है कबूतरों ने कभी शराब ,
फिर भी तुझे देखकर वो शराब जैसे हो गए ,
हमारे हालत की तो बात ही क्या करें ,
हम तो फटी किताब जैसे हो गए ।
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आज कबूतरों संग ढूंढ रहे तेरी राहें ,
मदहोश कर जाती हैं वो तेरी अदाएं ।
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कि मुकाबला ना कर सकें
शेरों का ,
इतने बड़े कायर हम नहीं ,
जो लिखदें कबूतरों पर शायरी ,
इतने बड़े शायर हम नहीं ।
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शाम को हर कबूतर ढूंढता है अपना ठिकाना ,
जिसका घर नहीं , उसने घर का महत्व जाना ।
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तेरी महोब्बत के लिए दीवार तोड़ कर आ जाएंगे ,
हम कबूतर नहीं हैं जनाब ,
कि अपने प्यार को छोड़ कर आ जाएंगे ।
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हमे भरोशा है कबूतरों के विल पर ,
इसलिए नाम तेरा लिख दिया इस दिल पर ।
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खामोशी कबूतरों की बड़ी प्यारी लगती है ,
हम प्यार करे तो किससे करें ,
यह दुनिया तो प्यार मे हारी लगती है।
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इंसान क्या जाने उड़ने का मजा ,
जो प्यार नहीं करते उनको क्या पता ,
दिल से दिल जुड़ने का मजा ।
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खूब खेलते हैं कबूतर हमारी छत पर ,
हम तब उठते हैं उनको उड़ाने के लिए
जब बात आ जाती है हमारी इज्जत पर ।
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गम मे हंसते हुए किसी को नहीं देखा ,
यह भी बेचारे क्या करें ,
खुदा ने ही लिखा है कबूतरों का लेखा ।
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दोस्ती हो जाती है कबूतरों के संग भी ,
जो देती है दर्द , किस काम की ऐसी उमंग भी ।
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This post was last modified on December 6, 2023